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अनु�क्रम

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प्रा�स्ता�वि�कअगर ता�म ठा�न लो�, ता�र� गगन क� ता�ड़ सकता� हो�।

अगर ता�म ठा�न लो�, ता�फा�न क� म�ख म�ड़ सकता� हो�।।कहनु� क तात्पर्य� र्यह� ह� किक जी�वनु म� ऐसा क�ई कर्य� नुह� जिजीसा� मनुव नु कर साक� । जी�वनु म� ऐसा� क�ई

सामस्र्य नुह� जिजीसाक सामधानु नु ह�।जी�वनु म� सा र्यम, सादाचार, प्रे�म, साकिहष्णु�ता, किनुर्भ�र्यता, पकिवत्रता, दृढ़ आत्मकिवश्वासा, सात्साकिहत्र्य क पठनु,

उत्तम सा ग और महप�रुषों3 क मग�दार्श�नु ह� ता� हमर� लि6ए अपनु 6क्षर्य प्रेप्ता करनु आसानु ह� जीता ह�। जी�वनु क� इनु सादाग�णु3 सा� र्य�क्त बनुनु� क� लि6ए ताथा जी�वनु क� ऊँ? चा�-म�-ऊँ? चा� ध्र्य�र्य परमत्म-प्रेप्तिप्ता क� लि6ए आदार्श� चारिरत्र3 क पठनु बड़ा 6र्भदार्यक ह� ह�ता ह�।

पDज्र्य बपD जी� क� सात्सा ग प्रेवचानु3 म� सा� सा कलि6ता महप�रुषों3, दा�र्शर्भलिक्त व साहसा� व�र ब6क3 क� प्रे�रणुदार्यक जी�वनु प्रेसा ग3 क र्यह सा ग्रह प�स्ताक क� रूप म� आपक� करकम63 ताक पहुँ?चानु� क ब6र्यत्नु सामिमकिता नु� किकर्य ह�। आप इसाक 6र्भ 6� और इसा� दूसार3 ताक पहुँ?चा कर प�ण्र्यर्भग� बनु�।

श्री� यो�ग ��दा�न्ता स��� समिमविताअमदा���दा आश्रीम।

हो�विनक�रक और लो�भदा�योक बा�ता#

साता बता� बड़ा� हकिनुकरक हL-अमिधाक ब�6नु, व्यथा� क र्भटकनु, अमिधाक र्शर्यनु, अमिधाक र्भ�जीनु, श्रृंP गर, ह�नु र्भवनु और अह कर।जी�वनु म� किनुम्नुलि6खिSता आठ ग�णु ह3 ता� वह बड़ा र्यर्शस्व� ह� जीता ह�Tर्श ता स्वर्भव, उत्साह, सात्र्यकिनुष्ठा, धा�र्य�, साहनुर्शलिक्त, नुम्रता, सामता, साहसा।

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अन�क्रमहमर� आदार्श�........................................................................................................................................2प्रेस्ताकिवक...........................................................................................................................................3हकिनुकरक और 6र्भदार्यक बता�.............................................................................................................3साबसा� श्रृं�ष्ठा सा पत्तिःत्तT चारिरत्र........................................................................................................................6साफ6ता कY क� जी�................................................................................................................................8चार प्रेकर क� ब6...............................................................................................................................11अपनु� सा स्कP किता क आदार कर�................................................................................................................13मथा� पर ता� र्भरता ह� रह�ग...................................................................................................................15धाम�किनुष्ठा दा�र्शर्भक्त क� र्शवरव ह�डग�वर......................................................................................................15र्भई मकितादासा कY धाम�किनुष्ठा...................................................................................................................19स्वधाम[ किनुधानु श्रृं�र्यT...............................................................................................................................20धाम� क� लि6ए बलि6दानु दा�नु� व6� चार अमर र्शह�दा........................................................................................22अमर र्शह�दा ग�रु ता�गबहदुरजी�...............................................................................................................26धानु छो�ड़ा पर धाम� नु छो�ड़ा....................................................................................................................27स्वधाम�किनुष्ठा........................................................................................................................................28छोत्रसा6 कY व�रता..............................................................................................................................31महरणु प्रेताप कY महनुता.................................................................................................................32साहलिसाक 6ड़ाक.................................................................................................................................33चान्द्रर्श�Sर आजीदा कY दृढ़किनुष्ठा..............................................................................................................34हजीर3 पर ता�नु सा` कY किवजीर्य !.............................................................................................................35मनु क� स्वम� रजी र्भताP�हरिर...................................................................................................................36म�र कY अकिडगता...............................................................................................................................38रजी�न्द्रबबD कY दृढ़ता...........................................................................................................................40जिजीसाक� चारणु3 क� रवणु र्भ� नु किह6 साक................................................................................................42क6� कY व�रता.................................................................................................................................43आत्मज्ञानु कY दिदाव्यता..........................................................................................................................44प्रेकितार्भवनु ब6क रमणु......................................................................................................................47किता6कजी� कY सात्र्यकिनुष्ठा.......................................................................................................................50दार्य6� ब6क र्शतामन्र्य�.........................................................................................................................51सारस्वत्र्य म त्र और ब�रब6...................................................................................................................53मताP-किपताP-ग�रु र्भक्त प�ण्डलि6क................................................................................................................57दाcर्घा�र्य� क रहस्र्य.................................................................................................................................60साफ6ता क� सा� पर्य�?............................................................................................................................62किवद्यार्थिथाgर्य3 सा� दा� बता�...........................................................................................................................64

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सबास� श्री�ष्ठ स&पत्तिः)* चरिरत्रचारिरत्र मनुव कY श्रृं�ष्ठा सा पत्तिःत्त ह�, दुकिनुर्य कY सामस्ता सा पदाओं म� महनु सा पदा ह�। प चार्भDता3 सा� किनुर्मिमgता मनुव-

र्शर�र कY मPत्र्य� क� बदा, प चामहर्भDता3 म� किव6�नु ह�नु� क� बदा र्भ� जिजीसाक अस्तिस्तात्व बनु रहता ह�, वह ह� उसाक चारिरत्र।चारिरत्रवनु व्यलिक्त ह� सामजी, रष्ट्र व किवश्वासाम�दार्य क साह� नु�ताPत्व और मग�दार्श�नु कर साकता ह�। आजी जीनुता

क� दुकिनुर्यव� सा�S-र्भ�ग व सा�किवधाओं कY उतानु� आवश्र्यकता नुह� ह�, जिजीतानु� चारिरत्र कY। अपनु� सा�किवधाओं कY उतानु� आवश्र्यकता नुह� ह�, जिजीतानु� कY चारिरत्र कY। अपनु� चारिरत्र व सात्कमm सा� ह� मनुव लिचार आदारणु�र्य और पDजीनु�र्य ह� जीता ह�।

स्वम� लिर्शवनु दा कह करता� था�T"मनु�ष्र्य जी�वनु क सार र्श ह� चारिरत्र। मनु�ष्र्य क चारिरत्रमत्र ह� सादा जी�किवता रहता ह�। चारिरत्र क अजी�नु नुह�

किकर्य गर्य ता� ज्ञानु क अजी�नु र्भ� किकर्य जी साकता। अताT किनुष्क6 क चारिरत्र क किनुम�णु कर�।"अपनु� अ6`किकक चारिरत्र क� करणु ह� आद्या र्श करचार्य�, महत्म ब�द्ध, स्वम� किवव�कनु दा, पDज्र्य 6�6र्शह जी�

बपD जी�सा� महप�रुषों आजी र्भ� र्यदा किकर्य� जीता� हL।व्यलिक्तत्व क किनुम�णु चारिरत्र सा� ह� ह�ता ह�। बह्य रूप सा� व्यलिक्त किकतानु ह� सा�न्दार क्र्य3 नु ह�, किकतानु ह�

किनुप�णु गर्यक क्र्य3 नु ह�, बड़ा�-सा�-बड़ा ककिव र्य व�ज्ञाकिनुक क्र्य3 नु ह�, पर र्यदिदा वह चारिरत्रवनु नु हुँआ ता� सामजी म� उसाक� लि6ए साम्मकिनुता स्थानु क सादा अर्भव ह� रह�ग। चारिरत्रह�नु व्यलिक्त आत्मसा ता�षों और आत्मसा�S सा� व लिचाता रहता ह�। आत्मग्6किनु व अर्श किता दा�र-साव�र चारिरत्रह�नु व्यलिक्त क प�छो करता� ह� ह�। चारिरत्रवनु व्यलिक्त क� आसा-पसा आत्मसा ता�षों, आत्मर्श किता और साम्मनु व�सा� ह� म डरता� हL. जी�सा� कम6 क� इदा�-किगदा� र्भsर�, मधा� क� इदा�-किगदा� मधा�मक्S� व सार�वर क� इदा�-किगदा� पनु� क� प्र्यसा�।

चारिरत्र एक र्शलिक्तर्श6� उपकरणु ह� जी� र्श किता, धा�र्य�, स्नु�ह, प्रे�म, सार6ता, नुम्रता आदिदा दा�व� ग�णु3 क� किनुSरता ह�। र्यह उसा प�ष्प कY र्भ?किता ह� जी� अपनु सा`रर्भ सा�दूर दा�र्श3 ताक फ� 6ता ह�। महनु किवचार ताथा उज्जव6 चारिरत्र व6� व्यलिक्त क ओजी चा� बक कY र्भ?किता प्रेर्भवर्श6� ह�ता ह�।र्भगवनु श्रृं�कP ष्णु नु� अजी��नु क� किनुमिमत्त बनुकर साम्पूDणु� मनुव-साम�दार्य क� उत्तम चारिरत्र-किनुम�णु क� लि6ए श्रृं�मदाw र्भगवदाw ग�ता क� सा�6हव� अध्र्यर्य म� दा�व� ग�णु3 क उपदा�र्श किकर्य ह�, जी� मनुवमत्र क� लि6ए प्रे�रणुस्रो�ता हL, चाह� वह किकसा� र्भ� जीकिता, धाम� अथाव सा प्रेदार्य क ह�। उनु दा�व� ग�णु3 क� प्रेर्यत्नुपDव�क अपनु� आचारणु म� 6कर क�ई र्भ� व्यलिक्त महनु बनु साकता ह�।

किनुष्क6 क चारिरत्र किनुम�णु क� लि6ए नुम्रता, अहिंहgसा, क्षमर्श�6ता, ग�रुसा�व, र्श�लिचाता, आत्मसा र्यम, किवषोंर्य3 क� प्रेकिता अनुसालिक्त, किनुरह करिरता, जीन्म-मPत्र्य�-जीर-व्यमिधा ताथा दुTS3 क� प्रेकिता अ तादृ�मिz, किनुर्भ�र्यता, स्वच्छता, दानुर्श�6ता, स्वध्र्यर्य, तापस्र्य, त्र्यग-परर्यणुता, अ6�6�पता, ईष्र्य�, अत्तिःर्भमनु, क� दिट6ता व क्र�धा क अर्भव ताथा र्श?किता और र्श`र्य� जी�सा� ग�णु किवकलिसाता करनु� चाकिहए।

कर्य� करनु� पर एक प्रेकर कY आदाता क र्भव उदार्य ह�ता ह�। आदाता क ब�जी ब�नु� सा� चारिरत्र क उदार्य और चारिरत्र क ब�जी ब�नु� सा� र्भग्र्य क उदार्य ह�ता ह�। वता�मनु कमm सा� ह� र्भग्र्य बनुता ह�, इसालि6ए सात्कम� करनु� कY आदाता बनु 6�।

लिचात्त म� किवचार, अनु�र्भव और कम� सा� सा स्कर म�दिद्रता ह�ता� हL। व्यलिक्त जी� र्भ� सा�चाता ताथा कम� करता ह�, वह साब र्यह? अमिमट रूप सा� म�दिद्रता ह� जीता ह�। व्यलिक्त क� मरणु�पर ता र्भ� र्य� सा स्कर जी�किवता रहता� हL। इनुक� करणु ह� मनु�ष्र्य सा सार म� बर-बर जीन्मता-मरता रहता ह�।

दुश्चरिरत्र व्यलिक्त सादा क� लि6ए दुश्चरिरत्र ह� गर्य – र्यह ताक� उलिचाता नुह� ह�। अपनु� ब�र� चारिरत्र व किवचार3 क� बदा6नु� कY र्शलिक्त प्रेत्र्य�क व्यलिक्त म� किवद्यामनु ह�। आम्रप6� व�श्र्य, म�ग6 डकD , किबल्वम ग6, व�मनु र्य�ग�, और र्भ� कई नुम लि6र्य� जी साकता� हL। एक व�श्र्य क� चा?ग�6 म� फ? सा� व्यलिक्त किबल्वम ग6 सा� सा ता साDरदासा ह� गर्य�। पत्नु� क� प्रे�म म�

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दाcवनु� था� 6�किकनु पत्नु� नु� किवव�क क� दा� र्शब्दा सा�नुर्य� ता� व� ह� सा ता ता�6सा�दासा ह� गर्य�। आम्रप6� व�श्र्य र्भगवनु ब�द्ध कY परम र्भलिक्तनु बनु कर सान्मग� पर चा6 पड़ा�।

विबागड़� जनम अन�क क/ स�धर� अबा और आज।र्यदिदा ब�र� किवचार3 और ब�र� र्भवनुओं क स्थानु अच्छ� किवचार3 और आदार्शm क� दिदार्य जीए ता� मनु�ष्र्य सादाग�णु3

क� मग� म� प्रेगकिता कर साकता ह�। असात्र्यर्भषों� सात्र्यर्भषों� बनु साकता ह�, दुष्चारिरत्र साच्चरिरत्र म� परिरवर्तिताgता ह� साकता ह�, डकD एक नु�क इन्सानु ह� नुह� ऋकिषों र्भ� बनु साकता ह�। व्यलिक्त कY आदाता3, ग�णु3 और आचार3 कY प्रेकितापक्ष� र्भवनु (किवर�धा� ग�णु3 कY र्भवनु) सा� बदा6 जी साकता ह�। साताता अभ्र्यसा सा� अवश्र्य ह� साफ6ता प्रेप्ता ह�ता� ह�। दृढ़ सा कल्प और अदाम्र्य साहसा सा� जी� व्यलिक्त उन्नकिता क� मग� पर आग� बढ़ता ह�, साफ6ता ता� उसाक� चारणु चाDमता� ह�।

चारिरत्र-किनुम�णु क अथा� ह�ता ह� आदाता3 क किनुम�णु। आदाता क� बदा6नु� सा� चारिरत्र र्भ� बदा6 जीता ह�। सा कल्प, रूलिचा, ध्र्यनु ताथा श्रृंद्ध सा� स्वर्भव म� किकसा� र्भ� क्षणु परिरवता�नु किकर्य जी साकता ह�। र्य�गभ्र्यसा द्वार र्भ� मनु�ष्र्य अपनु� प�रनु� क्ष�द्र आदाता3 क� त्र्यग कर नुव�नु कल्र्यणुकर� आदाता3 क� ग्रहणु कर साकता ह�।

आजी क र्भरतावसा� अपनु� ब�र� आदाता� बदा6कर अच्छ इन्सानु बनुनु ता� दूर रह, प्रेत्र्य�ता पश्चत्र्य सा स्कP किता क अ धानु�करणु करता� हुँए और ज्र्यदा ब�र� आदाता3 क लिर्शकर बनुता जी रह ह�, जी� रष्ट्र क� सामजिजीक व नु�किताक पतानु क ह�ता� ह�।

जिजीसा रष्ट्र म� पह6� रजी-महरजी र्भ� जी�वनु क वस्ताकिवक रहस्र्य जीनुनु� क� लि6ए, ईश्वार�र्य सा�S प्रेप्ता करनु� क� लि6ए रजी-पट, र्भ`किताक सा�S-सा�किवधाओं क� त्र्यगकर ब्रह्मज्ञानु� सा ता3 कY S�जी करता� था�, �हो1 वि�षयो-��सन� � प�श्चा�त्यो चक�च6ध पर लोट्टू हो�कर कई भ�रता��स� अपन� पतान आप आम&वित्रता कर रहो� हो9।

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

सफालोता� क/ क�& ज�साधाक क� जी�वनु म�, मनु�ष्र्य मत्र क� जी�वनु म� अपनु� 6क्ष्र्य कY स्मPकिता और तात्परता ह�नु� ह� चाकिहए। जी� कम

जिजीसा सामर्य करनु चाकिहए कर ह� 6�नु चाकिहए। सा र्यम और तात्परता साफ6ता कY क� जी� ह�। 6परवह� और सा र्यम क अनुदार किवनुर्श क करणु ह�। जिजीसा कम क� कर�, उसा� ईश्वार क कर्य� मनु कर साधानु क अ ग बनु 6�। उसा कम म� सा� ह� ईश्वार कY मस्ता� क आनु दा आनु� 6ग जीर्य�ग।

दा� किकसानु था�। दा�नु3 नु� अपनु�-अपनु� बग�चा� म� प`धा� 6गर्य�। एक किकसानु नु� बड़ा� तात्परता सा� और ख्र्य6 रSकर सिंसाgचाई कY, Sदा पनु� इत्र्यदिदा दिदार्य। क� छो ह� सामर्य म� उसाक बग�चा सा� दार नु दानुवनु बनु गर्य। दूर-दूर सा� 6�ग उसाक� बग�चा� म� आनु� 6ग� और SDब कमई ह�नु� 6ग�।

दूसार� किकसानु नु� र्भ� प`धा� ता� 6गर्य� था� 6�किकनु उसानु� ध्र्यनु नुह� दिदार्य, 6परवह� कY, अकिनुर्यमिमता Sदा-पनु� दिदार्य�। 6परवह� कY ता� उसाक� परिरणुम वह नुह� मिम6। उसाक बग�चा उजीड़ा सा दिदाSता था।

अब पह6� किकसानु क� ता� SDब र्यर्श मिम6नु� 6ग, 6�ग उसाक� सारहनु� 6ग�। दूसार किकसानु अपनु� र्भग्र्य क� क�सानु� 6ग, र्भगवनु क� दा�षों� ठहरनु� 6ग। अर� र्भई ! र्भगवनु नु� साDर्य� किक किकरणु� और वPमिz ता� दा�नु3 क� लि6ए बरबर दाc था�, दा�नु3 क� पसा साधानु था�, 6�किकनु दूसार� किकसानु म� कम� था� तात्परता व साजीगता कY, अताT उसा� वह परिरणुम नुह� मिम6 पर्य।

पह6� किकसानु क तात्पर व साजीग ह�नु ह� उसाकY साफ6ता क करणु था और दूसार� किकसानु कY 6परवह� ह� उसाकY किवफ6ता क करणु था�। अब जिजीसाक� र्यर्श मिम6 रह ह� वह ब�जिद्धमनु किकसानु कहता ह� किक 'र्यह साब र्भगवनु कY 6�6 ह�' और दूसार र्भगवनु क� दा�षों� ठहरता ह�। पह6 किकसानु तात्परता व साजीगता सा� कम करता ह� और र्भगवनु कY स्मPकिता रSता ह�। तात्परता व साजीगता सा� कम करनु� व6 व्यलिक्त कर्भ� किवफ6 नुह� ह�ता और कर्भ� किवफ6 ह� र्भ� जीता ह� ता� किवफ6ता क करणु S�जीता ह�। किवफ6ता क करणु ईश्वार और प्रेकP किता नुह� ह�। ब�जिद्धमनु व्यलिक्त अपनु� ब�वकD फY किनुक6ता� हL और तात्परता ताथा साजीगता सा� कर्य� करता� हL।

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एक ह�ता ह� आ6स्र्य और दूसार ह�ता ह� प्रेमदा। पकिता जीता�-जीता� पत्नु� क� कह गर्यT "मL जी रह हूँ?। फ� क्टर� म� र्य�-र्य� कम हL। म�नु�जीर क� बता दा�नु।" दा� दिदानु बदा पकिता आर्य और पत्नु� सा� पDछोT "फ� क्टर� क कम कह? ताक पहुँ?चा?"

पत्नु� ब�6�T "म�र� ता� ध्र्यनु म� ह� नुह� रह।"र्यह आ6स्र्य नुह� ह�, प्रेमदा ह�। किकसा� नु� क� छो कर्य� कह किक इतानु कर्य� कर दा�नु। ब�6�T "अच्छ, ह�ग ता�

दा�Sता� हL।" ऐसा कहता� हुँए कम र्भटक गर्य। र्यह ह� आ6स्र्य।आलोस कबाहुँ< न क/जिजए, आलोस अरिर सम ज�विन।

आलोस स� वि�द्या� घटे�, स�ख-सम्पत्तिः) क/ हो�विन।।आ6स्र्य और प्रेमदा मनु�ष्र्य कY र्य�ग्र्यताओं क� र्शत्र� हL। अपनु� र्य�ग्र्यता किवकलिसाता करनु� क� लि6ए र्भ� तात्परता

सा� कर्य� करनु चाकिहए। जिजीसाकY कम सामर्य म� सा�न्दार, सा�चारू व अमिधाक-सा�-अमिधाक कर्य� करनु� कY क6 किवकलिसाता ह�, वह आध्र्यत्मित्मक जीगता म� जीता ह� ता� वह? र्भ� साफ6 ह� जीर्यग और 6`किकक जीगता म� र्भ�। 6�किकनु सामर्य बरबदा करनु� व6, ट6मट�6 करनु� व6 ता� व्यवहर म� र्भ� किवफ6 रहता ह� और परमथा� म� ता� साफ6 ह� ह� नुह� साकता।

6परवह, प6र्यनुवदाc 6�ग3 क� सा�S सा�किवधा और र्भजीनु क स्थानु र्भ� मिम6 जीर्य 6�किकनु र्यदिदा कर्य� करनु� म� तात्परता नुह� ह�, ईश्वार म� प्रे�किता नुह� ह�, जीप म� प्रे�किता नुह� ह� ता� ऐसा� व्यलिक्त क� ब्रह्मजी� र्भ� आकर सा�S� करनु चाह� ता� सा�S� नुह� कर साकता�। ऐसा व्यलिक्त दुTS� ह� रह�ग। कर्भ�-कर्भ� दा�वर्य�ग सा� उसा� सा�S मिम6�ग ता� आसाक्त ह� जीर्य�ग और दुTS मिम6�ग ता� ब�6�गT "क्र्य कर�? जीमनु ऐसा ह�।" ऐसा करकर वह फरिरर्यदा ह� कर�ग।

कम-क्र�धा ता� मनु�ष्र्य क� व�र� हL ह�, पर ता� 6परवह�, आ6स्र्य, प्रेमदा – र्य� मनु�ष्र्य कY र्य�ग्र्यओं क� व�र� हL।अदृढ़ं& होता& ज्ञा�नमF।

'र्भगवता' म� आता ह� किक आत्मज्ञानु अगर अदृढ़ ह� ता� मरता� सामर्य रक्ष नुह� करता।प्राम�दा� होता& श्री�तामF।

प्रेमदा सा� जी� सा�नु ह� उसाक फ6 और सा�नुनु� क 6र्भ किबSर जीता ह�। जीब सा�नुता� हL ताब तात्परता सा� सा�नु�। क�ई वक्र्य र्य र्शब्दा छोD ट नु जीर्य।

स&दिदाग्ध� होता� म&त्र* व्यग्रत्तिःच)� होता� जप*।म त्र म� सा दा�ह ह� किक 'म�र र्यह म त्र साह� ह� किक नुह�? बदिढ़र्य ह� किक नुह�?' ता�मनु� जीप किकर्य और किफर सा दा�ह

किकर्य ता� क� व6 जीप क� प्रेर्भव सा� था�ड़ा बहुँता 6र्भ ता� ह�ग 6�किकनु पDणु� 6र्भ ता� किनुTसा दा�ह ह�कर जीप करनु� व6� क� ह� ह� ह�ग। जीप ता� किकर्य 6�किकनु व्यग्रलिचात्त ह�कर ब दार-छोप जीप किकर्य ता� उसाक फ6 क्ष�णु ह� जीता ह�। अन्र्यथा एकग्रता और तात्परतापDव�क जीप सा� बहुँता 6र्भ ह�ता ह�। सामथा� रमदासा नु� तात्परता सा� जीप कर साकर र्भगवनु क� प्रेकट कर दिदार्य था। म�र नु� जीप सा� बहुँता ऊँ? चाई पर्य� था�। ता�6सा�दासा जी� नु� जीप सा� ह� ककिवत्व र्शलिक्त किवकलिसाता कY था�।

जप�ताF त्तिःसद्धिःL* जप�ताF त्तिःसद्धिःL* जप�ताF त्तिःसद्धिःLनM स&शयो*।जीब ताक 6परवह� ह�, तात्परता नुह� ह� ता� 6S म त्र जीप�, क्र्य ह� जीर्य�ग? सा र्यम और तात्परता सा� छो�ट�-सा�-

छो�ट� व्यलिक्त क� महनु बनु दा�ता� ह� और सा र्यम क त्र्यग करक� किव6लिसाता और 6परवह� पतानु कर दा�ता� ह�। जीह? किव6सा ह�ग, वह? 6परवह� आ जीर्य�ग�। पपकम�, ब�र� आदाता� 6परवह� 6� आता� हL, आपकY र्य�ग्र्यताओं क� नुz कर दा�ता� ह� और तात्परता क� हड़ाप 6�ता� हL।

किकसा� दा�र्श पर र्शत्र�ओं नु� आक्रमणु कY ता�र्यर� कY। ग�प्ताचार3 द्वार रजी क� सामचार पहुँ?चार्य गर्य किक र्शत्र�दा�र्श द्वार सा�म पर ऐसा�-ऐसा� ता�र्यरिरर्य? ह� रह� हL। रजी नु� म�ख्र्य सा�नुपकिता क� लि6ए सा दा�र्शवहक द्वार पत्र र्भ�जी। सा दा�र्शवहक कY र्घा�ड़ा� क� प�र कY नु6 म� सा� एक कY6 किनुक6 गर्य� था�। उसानु� सा�चाT 'एक कY6 ह� ता� किनुक6 गर्य� ह�, कर्भ� ठ�कव 6�ग�।' उसानु� था�ड़ा� 6परवह� कY। जीब सा दा�र्श 6�कर जी रह था ता� उसा र्घा�ड़ा� क� प�र कY नु6 किनुक6 पड़ा�। र्घा�ड़ा� किगर गर्य�। सा�किनुक मर गर्य। सा दा�र्श नु पहुँ?चा पनु� क� करणु दुश्मनु3 नु� आक्रमणु कर दिदार्य और दा�र्श हर गर्य।

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कY6 नु ठ�कवर्य�.... र्घा�ड़ा� किगर�.... सा�किनुक मर.... दा�र्श हर।एक छो�टc सा� कY6 नु 6गवनु� कY 6परवह� क� करणु पDर दा�र्श हर गर्य। अगर उसानु� उसा� सामर्य तात्पर

ह�कर कY6 6गवर्य� ह�ता� ता� ऐसा नु ह�ता। अताT जी� कम जीब करनु चाकिहए, कर ह� 6�नु चाकिहए। सामर्य बरबदा नुह� करनु चाकिहए।

आजीक6 ऑकिफसा3 म� क्र्य ह� रह ह�? कम म� ट6मट�6। इ ताजीर करवता� हL। व�तानु पDर चाकिहए 6�किकनु कम किबगड़ाता ह�। दा�र्श कY व मनुव-जीकिता कY हकिनु ह� रह� ह�। साब एक-दूसार� क� जिजीम्म� छो�ड़ाता� हL। बड़ा� ब�र� ह6ता ह� रह� ह� हमर� दा�र्श कY जीबकिक जीपनु आग� आ रह ह�, क्र्य3किक वह? तात्परता ह�। इसा�लि6ए इतानु� ता�जी� सा� किवकलिसाता ह� गर्य।

महरजी ! जी� व्यवहर म� तात्पर नुह� ह� और अपनु कता�व्य नुह� प6ता, वह अगर साधा� र्भ� बनु जीर्य�ग ता� क्र्य कर�ग? प6र्यनुवदाc आदाम� जीह? र्भ� जीर्य�ग, दा�र्श और सामजी क� लि6ए ब�झा ह� ह�। जीह? र्भ� जीर्य�ग, लिसार Sपर्य�ग।

र्भगवनु श्रृं�कP ष्णु नु� उद्धव, सात्र्यकिक, कP तावम� सा� चाचा� करता�-करता� पDछोT "मL ता�म्ह� प?चा मDSm, प6र्यनुवदिदार्य3 क� साथा स्वग� म� र्भ�जीD? र्यह पसा दा कर�ग� किक प?चा ब�जिद्धमनु3 क� साथा नुरक म� र्भ�जीD? र्यह पसा दा कर�ग�?"

उन्ह3नु� कहT "प्रेर्भ� ! आप क� सा प्रेश्न पDछोता� हL? प?चा प6र्यनुवदाc-6परवह� अगर स्वग� म� र्भ� जीर्य�ग� ता� स्वग� कY व्यवस्था ह� किबगड़ा जीर्य�ग� और अगर प?चा ब�जिद्धमनु व तात्पर व्यलिक्त नुरक म� जीर्य�ग� ता� कर्य�क� र्श6ता और र्य�ग्र्यता सा� नुरक क नुक्शा ह� बदा6 जीर्य�ग, उसाक� स्वग� बनु दा�ग�।"

प6र्यनुवदाc, 6परवह� व्यलिक्त र्घार-दुकनु, दाफ्तार और आश्रृंम, जीह? र्भ� जीर्य�ग दा�र-साव�र असाफ6 ह� जीर्य�ग। कम� क� प�छो� र्भग्र्य बनुता ह�, हथा कY र�Sए? बदा6 जीता� हL, प्रेरब्ध बदा6 जीता ह�। सा�किवधा पDर� चाकिहए 6�किकनु जिजीम्म�दार� नुह�, इसासा� 6परवह व्यलिक्त S�S6 ह� जीता ह�। जी� तात्परता सा� कम नुह� करता, उसा� क� दारता दुबर मनु�ष्र्य-र्शर�र नुह� दा�ता�। कई 6�ग अपनु�-आप कम करता� हL, क� छो 6�ग ऐसा� ह�ता� हL, जिजीनुसा� कम लि6र्य जीता ह� 6�किकनु तात्पर व्यलिक्त क� कहनु नुह� पड़ाता। वह स्वर्य कर्य� करता ह�। सामझा बदा6�ग� ताब व्यलिक्त बदा6�ग और व्यलिक्त बदा6�ग ताब सामजी और दा�र्श बदा6�ग।

जी� मनु�ष्र्य-जीन्म म� कम कतारता ह�, वह प�ड़ा प`धा पर्श� बनु जीता। किफर उसासा� ड ड� मर-मर कर, क� ल्हड़ा� मरकर कम लि6र्य जीता ह�। प्रेकP किता दिदानु रता कर्य� कर रह� ह�, साDर्य� दिदानु रता कर्य� कर रह ह�, हवए? दिदानु रता कर्य� कर रह� हL, परमत्म दिदानु रता चा�तानु दा� रह ह�। हम अगर कर्य� सा� र्भगता� किफरता� हL ता� स्वर्य ह� अपनु� प�र पर क� ल्हड़ा मरता� हL।

जी� कम, जी� बता अपनु� बसा कY ह�, उसा� तात्परता सा� कर�। अपनु� कर्य� क� ईश्वार कY पDजी सामझा�। रजीव्यवस्था म� र्भ� अगर तात्परता नुह� ह� ता� तात्परता किबगड़ा जीर्य�ग�। तात्परता सा� जी� कम अमिधाकरिरर्य3 सा� 6�नु ह�, वह नुह� 6�ता� क्र्य3किक रिरश्वाता मिम6 जीता� ह� और व� 6परवह ह� जीता� हL। इसा दा�र्श म� 'ऑपर�र्शनु' कY जीरूरता ह�। जी� कम नुह� करता उसाक� ता�र ता साजी मिम6�, तार्भ� दा�र्श सा�धार�ग।

र्शत्र� र्य किवर�धा� पक्ष कY बता र्भ� र्यदिदा दा�र्श व मनुवता क� किहता कY ह� ता� उसा� आदार सा� स्व�कर करनु चाकिहए और अपनु� व6� कY बता र्भ� र्यदिदा दा�र्श क� , धाम� क� अनु�कD 6 नुह� ह� ता� उसा� नुह� मनुनु चाकिहए।

आप 6�ग जीह? र्भ� ह�, अपनु� जी�वनु क� सा र्यम और तात्परता सा� ऊँपर उठओ। परमत्म हम�र्श उन्नकिता म� साथा दा�ता ह�। पतानु म� परमत्म साथा नुह� दा�ता। पतानु म� हमर� वसानुए?, 6परवह� कम करता� ह�। म�लिक्त क� रस्ता� र्भगवनु साथा दा�ता ह�, प्रेकP किता साथा दा�ता� ह�। ब धानु क� लि6ए ता� हमर� ब�वकD फY, इजिन्द्रर्य3 कY ग�6म�, 66चा र ह6क सा ग ह� करणुरूप ह�ता ह�। ऊँ? चा सा ग ह� ता� ईश्वार र्भ� उत्थानु म� साथा दा�ता ह�। र्यदिदा हम ईश्वार क स्मरणु कर� ता� चाह� हम� हजीर फटकर मिम6�, हजीर3 ताक6�फ� आर्य� ता� र्भ� क्र्य? हम ता� ईश्वार क सा ग कर�ग�, सा ता3-र्शस्त्र3 कY र्शरणु जीर्य�ग�, श्रृं�ष्ठा सा ग कर�ग� और सा र्यम� व तात्पर ह�कर अपनु कर्य� कर�ग�-र्यह� र्भव रSनु चाकिहए।

हम साब मिम6कर सा कल्प कर� किक 6परवह�, प6र्यनुवदा क� किनुक6कर, सा र्यम� और तात्पर ह�कर अपनु� क� बदा6�ग�, सामजी क� बदा6�ग� और 6�क कल्र्यणु ह�ता� तात्पर ह�कर दा�र्श क� उन्नता कर�ग�।

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ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम

च�र प्राक�र क� बालोजी�वनु म� साव�ग�णु उन्नकिता क� लि6ए चार प्रेकर क� ब6 जीरूर� हL- र्शर�रिरक ब6, मनुलिसाक ब6, ब`जिद्धक ब6,

सा गठनु ब6।पह6 ब6 ह� र्शर�रिरक ब6। र्शर�र तान्दारुस्ता ह�नु चाकिहए। म�ट ह�नु र्शर�रिरक ब6 नुह� ह� वरनुw र्शर�र क

स्वस्था ह�नु र्शर�रिरक ब6 ह�।दूसार ब6 ह� मनुलिसाक ब6। जीर-जीर बता म� क्र�मिधाता ह� जीनु, जीर-जीर बता म� डर जीनु, लिचाढ़ जीनु –

र्यह कमजी�र मनु कY किनुर्शनु� ह�। जीर-जीर बता म� र्घाबरनु नुह� चाकिहए, लिचाप्तिन्ताता-पर�र्शनु नुह� ह�नु चाकिहए वरनुw अपनु� मनु क� मजीबDता बनुनु चाकिहए।

ता�सार ब6 ह� ब�जिद्धब6। र्शस्त्र क ज्ञानु पकर अपनु, क� 6 क, सामजी क, अपनु� रष्ट्र क ताथा पDर� मनुव-जीकिता क कल्र्यणु करनु� कY जी� ब�जिद्ध ह�, वह� ब�जिद्धब6 ह�।

र्शर�रिरक, मनुलिसाक और ब`जिद्धक ब6 ता� ह�, किकन्ता� सा गठनु-ब6 नु ह� ता� व्यलिक्त व्यपक कर्य� नुह� कर साकता। अताT जी�वनु म� सा गठनु ब6 क ह�नु र्भ� आवश्र्यक ह�।

र्य� चार3 प्रेकर क� ब6 कह? सा� आता� हL? इनु साब ब63 क मD6 क� न्द्र ह� आत्म। अपनु आत्म-परमत्म किवश्वा क� सार� ब63 क मह Sजीनु ह�। ब6वनु3 क ब6, ब�जिद्धमनु3 कY ब�जिद्ध, ता�जीस्तिस्वर्य3 क ता�जी, र्य�किगर्य3 क र्य�ग-सामर्थ्यर्य� साब वह� सा� आता� हL।

र्य� चार3 ब6 जिजीसा परमत्म सा� प्रेप्ता ह�ता� हL, उसा परमत्म सा� प्रेकितादिदानु प्रेथा�नु करनु� चाकिहएT'ह� र्भगवनु ! ता�झाम� साब र्शलिक्तर्य? हL। हम ता�र� हL, ताD हमर ह�। ताD प?चा सा6 क� ध्रु�व क� दिदा6 म� प्रेकट ह� साकता

ह�, ताD प्रेह्लादा क� आग� प्रेकट ह� साकता ह�.... ह� परम�श्वार ! ह� प ड�र ग ! ताD हमर� दिदा6 म� र्भ� प्रेकट ह�नु....'इसा प्रेकर हृदार्यपDव�क, प्रे�कितापDव�क व र्श तार्भव सा� प्रेथा�नु करता�-करता� प्रे�म और र्श किता म� सारब�र ह�ता� जीओ।

प्रेर्भ�प्रे�किता और प्रेर्भ�र्श किता सामर्थ्यर्य� कY जीनुनु� ह�। सा र्यम और धा�र्य�पDव�क इजिन्द्रर्य3 क� किनुर्य कित्रता रSकर परमत्म-र्श किता म� अपनु� स्थिस्थाकिता बढ़नु� व6� क� इसा आत्म-ईश्वार कY सा पदा मिम6ता� जीता� ह�। इसा प्रेकर प्रेथा�नु करनु� सा� ता�म्हर� र्भ�तार परमत्म-र्श किता प्रेकट ह�ता� जीर्य�ग� और परमत्म-र्श किता सा� आत्मित्मक र्शलिक्तर्य? प्रेकट ह�ता� हL, जी� र्शर�रिरक, मनुलिसाक, ब`जिद्धक और सा गठनु ब6 क� बड़ा� आसानु� सा� किवकलिसाता कर साकता� ह�।

ह� किवद्यार्थिथाgर्य� ! ता�म र्भ� आसानु-प्रेणुर्यम आदिदा क� द्वार अपनु� तानु क� तान्दारुस्ता रSनु� कY क6 सा�S 6�। जीप-ध्र्यनु आदिदा क� द्वार मनु क� मजीबDता बनुनु� कY र्य�लिक्त जीनु 6�। सा ता-महप�रुषों3 क� श्रृं�चारणु3 म� आदारसाकिहता ब�ठकर उनुकY अमPतावणु� क पनु करक� ताथा र्शस्त्र3 क अध्र्यर्यनु कर अपनु� ब`जिद्धक ब6 क� बढ़नु� कY क� जी� जीनु 6� और आपसा म� सा गदिठता ह�कर रह�। र्यदिदा ता�म्हर� जी�वनु म� र्य� चार3 ब6 आ जीर्य� ता� किफर ता�म्हर� लि6ए क� छो र्भ� असा र्भव नु ह�ग।

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम

अपन� स&स्कO विता क� आदार कर#.....किकसा� ग?व क एक 6ड़ाक पढ़-लि6Sकर प�सा� कमनु� क� लि6ए किवदा�र्श गर्य। र्श�रु म� ता� उसा� कह� दिठकनु नु

मिम6, पर ता� धा�र�-धा�र� प�ट्रो�6 प प आदिदा जीगह3 पर कम करक� क� छो धानु कमर्य और र्भरता आर्य। अब उसाक� लि6ए अपनु दा�र्श र्भरता 'र्भरता' नुह� रह, 'इ किडर्य' ह� गर्य।

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परदा�र्श क� वतावरणु, बह्य चाकचाsधा ताथा इजिन्द्रर्यगता ज्ञानु सा� उसाकY ब�जिद्ध इतानु� प्रेर्भकिवता ह� गर्य� था� कY वह सामन्र्य किवव�क ताक र्भD6 गर्य था। पह6� ता� वह र�जी मता-किपता क� प्रेणुम करता था, हिंकgता� आजी दा� वषों� क� बदा इतानु� दूर सा� आनु� पर र्भ� उसानु� किपता क� प्रेणुम नु किकर्य बस्तिल्क ब�6T

"ओह, पप ! क� सा� ह�?"किपता कY ता�क्ष्णु नुजीर3 नु� परS लि6र्य किक प�त्र क व्यवहर बदा6 गर्य ह�। दूसार� दिदानु किपता नु� प�त्र सा� कहT"चा6�, ब�ट ! ग?व म� जीर चाक्कर 6गकर आर्य� और साब्जी� र्भ� 6� आर्य�।"किपता प�त्र दा�नु3 गर्य�। किपता नु� साब्जी�व6� सा� 250 ग्रम किगल्कY ता`6नु� क� लि6ए कह।प�त्रT "पप ! आपक� इ किडर्य म� इतानु� छो�टc-छो�टc किगल्कY? हमर� अम�रिरक म� ता� इसासा� दुगनु� बड़ा� किगल्कY

ह�ता� ह�।"अब इ किडर्य उसाक अपनु नु रह, किपता क ह� गर्य। क� सा� सामझा ! अपनु� दा�र्श सा� क�ई पढ़नु� र्य प�सा कमनु�

क� लि6ए परदा�र्श जीर्य ता� ठ�क ह�, हिंकgता� क� छो सामर्य ताक वह? रहनु� क� बदा वह? कY बह्य चाकचाsधा सा� आकर्तिषोंgता ह�कर अपनु� दा�र्श क ग`रव ताथा अपनु� सा स्कP किता र्भD6 जीर्य, वह? कY फ6ताD बता� अपनु� दिदामग म� र्भ6 6� और र्यह? आनु� पर अपनु� ब�जिद्धमनु बड़ा�-ब�जी�गm क� साथा ऐसा व्यवहर कर�, इसासा� अमिधाक दूसार� क्र्य मDS�ता ह�ग�?

किपता क� छो नु ब�6�। था�ड़ा आग� गर्य�। किपता नु� 250 ग्रम भिंर्भgड� ता�6वर्य�। ताब प�त्र ब�6T"ह्वाट इज़ दिदासा, पप? इतानु� छो�टc भिंर्भgड� ! हमर� अम�रिरक म� ता� बहुँता बड़ा�-बड़ा� भिंर्भgड� ह�ता� ह�।"किपता क� ग�स्सा आर्य हिंकgता� व� सात्सा ग� था�, अताT अपनु� मनु क� सामझार्य किक कबसा� ड�ग ह?क रह ह�... म`क

दा�Sकर सामझानु पड़ा�ग। प्रेकट म� ब�6�T"प�त्र ! वह? साब ऐसा Sता� ह3ग� ता� उनुक र्शर�र र्भ� ऐसा ह� र्भर�-र्भरकम ह�ग और उनुकY ब�जिद्ध र्भ� म�टc

ह�ग�। र्भरता म� ता� हम सास्ति वक आहर 6�नु पसान्दा करता� हL, अताT हमर� मनु-ब�जिद्ध र्भ� सास्ति वक ह�ता� हL।"चा6ता�-चा6ता� उनुकY तारबDजी क� ढे�र पर गर्य�। प�त्र नु� कहT "पप ! हम व¢टरम�6नु (तारबDजी) 6�ग�?"किपता नु� कहT "ब�ट ! र्य� नु�बD हL। अर्भ� कच्च� हL, पक� ग� ताब 6�ग�।"प�त्र किपता कY बता क अथा� सामझा गर्य और चा�प ह� गर्य।परदा�र्श क वतावरणु ठ ड और वह? क� 6�ग3 क आहर चाब£र्य�क्त ह�नु� सा� उनुकY त्वचा ग�र� ताथा र्शर�र क

कदा अमिधाक ह�ता ह�। र्भ`किताक सा�S-सा�किवधाए? किकतानु� र्भ� ह3, र्शर�र चाह� किकतानु र्भ� हृz-प�z और ग�र ह� 6�किकनु उसासा� आकर्तिषोंgता नुह� ह�नु चाकिहए।

वह? कY जी� अच्छc बता� हL उनुक� ता� हम 6�ता� नुह�, हिंकgता� वह? क� ह6क� सा स्कर3 क� हमर� र्य�वनु ता�र ता ग्रहणु कर 6�ता� हL। क्र्य3? क्र्य3किक अपनु� सा स्कP किता क� ग`रव सा� व� अपरिरलिचाता हL। हमर� ऋकिषों-म�किनुर्य3 द्वार प्रेदात्त ज्ञानु कY मकिहम क� उन्ह3नु� अब ताक जीनु नुह� ह�। रम ता व क� , कP ष्णु ता व क� , चा�तान्र्य-ता व क� ज्ञानु सा� व� अनुत्तिःर्भज्ञा हL।

वईनु प�नु� व6�, अण्ड�-म सा-मछो6� Sनु� व6� परदा�र्श क� 6�Sक3 कY प�स्ताक� SDब रुपर्य� Sचा� करक� र्भरता क� र्य�वनु पढ़ता� हL, हिंकgता� अपनु� ऋकिषों म�किनुर्य3 नु� वल्क6 पहनुकर, क दामD6, फ6 और पत्त� Sकर, पनु� और हव पर रहकर तापस्र्य-साधानु कY, र्य�ग कY लिसाजिद्धर्य? पर्य�, आत्म-परमत्म क ज्ञानु पर्य और इसा� जी�वनु म� जी�वनुदाता सा� म�6कता ह� साक� ऐसा� र्य�लिक्तर्य? बतानु� व6� र्शस्त्र रचा�। उनु र्शस्त्र3 क� पढ़नु� क सामर्य ह� आजी क� र्य�वनु3 क� पसा नुह� ह�।

उपन्र्यसा, अSबर और अन्र्य पत्र-पकित्रकए? पढ़नु� क� सामर्य मिम6ता ह�, मनु मस्तिस्ताष्क क� किवकP ता करनु� व6� ताथा व्यसानु, फ� र्शनु और किवकर उर्भरनु� व6� चा6लिचात्र व चा�नु6 दा�Sनु� क� सामर्य मिम6ता ह�, फ6ताD गपर्शप 6गनु� क� सामर्य मिम6ता ह�, र्शर�र क� ब�मर करनु� व6� अर्श�द्ध Sनु-पनु क� लि6ए सामर्य मिम6ता ह�, व्यसानु3 क� म�ह म� पड़ाकर मPत्र्य� क� कगर पर Sड़ा� ह�नु� क� लि6ए सामर्य मिम6ता ह� 6�किकनु सात्शास्त्र पढ़नु� क� लि6ए, ध्र्यनु-साधानु करक� तानु क� तान्दुरुस्ता, मनु क� प्रेसान्न और ब�जिद्ध क� ब�जिद्धदाता म� 6गनु� क� लि6ए उनुक� पसा सामर्य ह� नुह� ह�। S�दा कY, सामजी कY, रष्ट्र कY उन्नकिता म� साहर्भग� ह�नु� कY उनुम� रुलिचा ह� नुह� ह�।

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ह� र्भरता क� र्य�वनु� ! इसा किवषोंर्य म� ग र्भ�रता सा� सा�चानु� क सामर्य आ गर्य ह�। ता�म इसा दा�र्श क� कणु�धार ह�। ता�म्हर� सा र्यम, त्र्यग, साच्चरिरत्रता, सामझा और साकिहष्णु�ता पर ह� र्भरता कY उन्नकिता किनुर्भ�र ह�।

वPक्ष, कYट, पर्श�, पक्ष� आदिदा र्य�किनुर्य3 म� जी�वनु प्रेकP किता क� किनुर्यमनु�सार चा6ता ह�। उन्ह� अपनु� किवकसा कY स्वता त्रता नुह� ह�ता� ह� 6�किकनु ता�म मनु�ष्र्य ह�। मनु�ष्र्य जीन्म म� कम� करनु� कY स्वतान्त्रता ह�ता� ह�। मनु�ष्र्य अपनु� उन्नकिता क� लि6ए प�रुषोंथा� कर साकता ह�, क्र्य3किक परमत्म नु� उसा� सामझा दाc ह�, किवव�क दिदार्य ह�।

अगर ता�म चाहता� ह� साफ6 उद्या�गपकिता, साफ6 अत्तिःर्भर्य ता, साफ6 लिचाकिकत्साक, साफ6 नु�ता आदिदा बनुकर रष्ट्र क� किवकसा म� साहर्य�ग� ह� साकता� ह�, साथा ह� किकसा� ब्रह्मव�त्त महप�रुषों क सात्सा ग-सामिन्नध्र्य ताथा मग�दार्श�नु पकर अपनु� लिर्शवत्व म� र्भ� जीग साकता� ह�। इसा�लि6ए ता�म्ह� र्यह मनुव तानु मिम6 ह�।

र्भताP�हरिर नु� र्भ� कह ह�Tयो��त्स्�स्थमिमदा& कलो��रगOहो& यो��च्च दूर� जर�

यो��च्च�जिन्Sयोशत्तिःTरप्राविताहोता� यो��त्क्षयो� न�यो�ष*।आत्मश्री�योत्तिःस ता��दा�� वि�दुष� क�योM* प्रायोत्न� महो�नFप्रा�द्दीXप्ता� भ�न� च क� पखनन& प्रात्यो�द्याम* क/दृश*।।

"जीब ताक कर्य स्वस्था ह� और वPद्धवस्था दूर ह�, इजिन्द्रर्य? अपनु�-अपनु� कर्यm क� करनु� म� अर्शक्त नुह� हुँई हL ताथा जीब ताक आर्य� नुz नुह� हुँई ह�, ताब ताक किवद्वानु प�रुषों क� अपनु� श्रृं�र्य क� लि6ए प्रेर्यत्नुर्श�6 रहनु चाकिहए। र्घार म� आग 6ग जीनु� पर क� आ? S�दानु� सा� क्र्य 6र्भ?"

(�Zर�ग्योशताक* 75)अताT ह� महनु दा�र्श क� वसा� ! ब�ढ़प, कमजी�र� व 6चार� आ र्घा�र�, उसाक� पह6� अपनु� दिदाव्यता क�, अपनु�

महनुता क�, महनु पदा क� प 6�, किप्रेर्य !ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनु�क्रम

म�थे� पर ता� भ�रता हो� रहो�ग�अपनु� ढेई वषों� क� अमर�कY प्रेवसा म� स्वम� रमता�था� क� र्भ�टस्वरूप जी� प्रेचा�र धानुरलिर्श मिम6� था�, वह साब

उन्ह3नु� अन्र्य दा�र्श3 क� ब�र्भ�त्तिःक्षता3 क� लि6ए सामर्तिपgता कर दाc। उनुक� पसा रह गर्य� क� व6 एक अमर�कY प�र्शक। स्वम� रम नु� अमर�क सा� वपसा 6`ट आनु� क� बदा एक वह प�र्शक पहनु�। क�ट पLट ता� पहनुनु� क� बजीर्य उन्ह3नु� क धा3 सा� 6टक लि6र्य� और अमर�कY जीDता� प?व म� ड6कर Sड़ा� ह� गर्य�, हिंकgता� कYमता� ट�प� कY जीगह उन्ह3नु� अपनु सादा साफ ह� लिसार पर ब?धा।

जीब उनुसा� पDछो गर्य किक 'इतानु सा� दार ह�ट ता� आपनु� पहनु ह� नुह�?' ता� बड़ा� मस्ता� सा� उन्ह3नु� जीवब दिदार्यT 'रम क� लिसार मथा� पर ता� हम�र्श महनु र्भरता ह� रह�ग, अ6बत्त अमर�क प?व3 म� पड़ा रह साकता ह�....' इतानु कह उन्ह3नु� नु�चा� झा�ककर मताPर्भDमिम कY मिमट्टीc उठर्य� और उसा� मथा� पर 6ग लि6र्य।

ॐॐॐॐअनु�क्रम

धमMविनष्ठ दा�शभT क� श�र�� हो�डग���रकिवद्या6र्य म� बच्च3 क� मिमठई ब?टc जी रह� था�। जीब एक 11 वषों� क� ब6क क� र्शव क� मिमठई क ट�कड़ा

दिदार्य गर्य ता� उसानु� पDछोT "र्यह मिमठई किकसा बता कY ह�?"क� सा ब�जिद्धमनु रह ह�ग वह ब6क ! जी�र्भ क 6 पट नुह� वरनुw किवव�क किवचार क धानु� ह�ग।

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ब6क क� बतार्य गर्यT "आजी महरनु� किवक्ट�रिरर्य क बथा� ड� (जीन्मदिदानु) ह� इसालि6ए S�र्श� मनुर्य� जी रह� ह�।"

ब6क नु� ता�र ता मिमठई क� ट�कड़ा� क� नु6� म� फ� क दिदार्य और कहT "रनु� किवक्ट�रिरर्य अ ग्र�जी3 कY रनु� ह� और उनु अ ग्रजी3 नु� हमक� ग�6म बनुर्य ह�। ग�6म बनुनु� व63 क� जीन्मदिदानु कY S�लिर्शर्य? हम क्र्य3 मनुर्य�? हम ता� S�लिर्शर्य? ताब मनुर्य�ग� जीब हम अपनु� दा�र्श र्भरता क� आजीदा कर 6�ग�।"

वह ब�जिद्धमनु ब6क क� र्शव जीब नुगप�र क� 'नु�6लिसाटc हई स्कD 6' म� पढ़ता था, ताब उसानु� दा�S किक अ ग्र�जी जी�र जी�ल्म करक� हम� हमर� सा स्कP किता सा�, हमर� धाम� सा�, हमर� मताPर्भलिक्त सा� दूर कर रह� हL। र्यह? ताक किक �न्दा� म�तारमF कहनु� पर र्भ� प्रेकिताबन्ध 6ग दिदार्य ह� !

वह धा�र्य�वनु और ब�जिद्धमनु 6ड़ाक हर कक्ष क� प्रेम�S सा� मिम6 और उनुक� साथा ग�प्ता ब�ठक कY। उसानु� कहT "हम अपनु� मताPर्भDमिम म� रहता� हL और अ ग्र�जी सारकर द्वार हम� ह� �न्दा� म�तारमF कहनु� सा� र�क जीता ह�। अ ग्र�जी सारकर कY ऐसा�-ता�सा�...."

जी� किहम्मतावनु और ब�जिद्धमनु 6ड़ाक� था� उन्ह3नु� क� र्शव क साथा दिदार्य और सार्भ� नु� मिम6कर तार्य किकर्य किक क्र्य करनु ह�। 6�किकनु 'र्यह बता ग�प्ता रSनु� ह� और नु�ता क नुम नुह� 6�नु ह�।' र्यह बता प्रेत्र्य�क कक्ष-प्रेम�S नु� तार्य कर 6�।

ज्र्य3 ह� स्कD 6 क किनुर�क्षणु बड़ा अमिधाकर� और क� छो 6�ग क� र्शव कY कक्ष म� आर्य�, त्र्य3 ह� उसाक� साथा कक्ष क� सार्भ� बच्च� Sड़ा� ह� गर्य� और ब�6 पड़ा�T �न्दा� म�तारमF ! लिर्शक्षक र्भरता�र्य ता� था� 6�किकनु अ ग्र�जी3 कY ग�6म� सा� जीकड़ा� हुँए, अताT चाsक� । किनुर�क्षक हड़ाबड़ाकर ब�6�T र्यह क्र्य बदाताम�जी� ह�? र्यह �न्दा� म�तारमF किकसानु� लिसाSर्य? उसाक� S�जी� पकड़ा�।

दूसार� कक्ष म� गर्य�। वह? र्भ� बच्च3 नु� Sड़ा� ह�कर कहT �न्दा� म�तारमF !अमिधाकर�T र्य� र्भ� किबगड़ा गर्य�?स्कD 6 कY हर एक कक्ष क� किवद्यार्थिथाgर्य3 नु� ऐसा ह� किकर्य।अ ग्र�जी अमिधाकर� ब`S6 गर्य और लिचाल्6र्यT 'किकसानु� दाc र्यह सा�S?'साब बच्च3 सा� कह गर्य पर ता� किकसा� नु� नुम नुह� बतार्य।अमिधाकर� नु� कहT "ता�म साबक� स्कD 6 सा� किनुक6 दा�ग�।"बच्च� ब�6�T "ता�म क्र्य किनुक6�ग�? हम ह� चा6�। जिजीसा स्कD 6 म� हम अपनु� मताPर्भDमिम कY व दानु नु कर साक� ,

�न्दा� म�तारमF नु कह साक� – ऐसा� स्कD 6 म� हम� नुह� पढ़नु।उनु दुz अमिधाकरिरर्य3 नु� सा�चा किक अब क्र्य कर�? किफर उन्ह3नु� बच्च3 क� म? बप पर दाबव ड6 किक बच्च3

क� सामझाओ, लिसाSओ ताकिक व� मफY म?ग 6�।क� र्शव क� मता किपता नु� कहT "ब�ट ! मफY म?ग 6�।"क� र्शवT "हमनु� क�ई ग�नुह नुह� किकर्य ता� मफY क्र्य3 म?ग�?"किकसा� नु� क� र्शव सा� कहT "दा�र्शसा�व और 6�ग3 क� जीगनु� कY बता इसा उम्र म� मता कर�, अर्भ� ता� पढ़ई

कर�।"क� र्शवT "बDढ़�-ब�जी�ग� और अमिधाकर� 6�ग म�झा� लिसाSता� हL किक दा�र्शसा�व बदा म� करनु। जी� कम आपक� करनु

चाकिहए वह आप नुह� कर रह� हL, इसालि6ए हम बच्च3 क� करनु पड़ा�ग। आप म�झा� अक्6 दा�ता� हL? अ ग्र�जी हम� दाब�चा रह� हL, हम� ग�6म बनुर्य� जी रह� हL ताथा किहन्दुओं क धाम�तारणु करर्य� जी रह� हL और आप चा�प्प� साधा� जी�ल्म साह रह� हL? आप जी�ल्म क� सामनु� 6�ह 6�नु� क सा कल्प कर� ता� पढ़ई म� 6ग जीऊँ? ग, नुह� ता� पढ़ई क� साथा दा�र्श कY आजीदाc कY पढ़ई र्भ� मL पढ़ूँ?ग और दूसार� किवद्यार्थिथाgर्य3 क� र्भ� मजीबDता बनुऊँ? ग।"

आखिSर बड�-बDढ़�-ब�जी�गm क� कहनु पड़ाT "र्यह र्भ6� 14 वषों� क ब6क 6गता ह� 6�किकनु ह� क�ई ह�नुहर।" उन्ह3नु� क� र्शव कY प�ठ थापथापता� हुँए कहT "र्शबर्श ह�, र्शबर्श!"

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"आप म�झा� र्शबर्श� ता� दा�ता� हL 6�किकनु आप र्भ� जीर किहम्मता सा� कम 6�। जी�ल्म करनु ता� पप ह� 6�किकनु जी�ल्म साहनु दुगनु पप ह�।"

क� र्शव नु� बDढ़�-ब�जी�गm क� सार6ता सा�, नुम्रता सा�, धा�रजी सा� सामझार्य।ड�ढ़ मह�नु� बदा वह स्कD 6 चा6D हुँई। अ ग्र�जी र्शसाक 14 वषों£र्य ब6क क 6�ह मनु गर्य� किक उसाक� आग�

हमर� सार� षोंडर्य त्र किवफ6 ह� गर्य�। उसा 6ड़ाक� क� प?चा मिमत्र था�। व�सा� र्य� प?चा मिमत्र रहता� ता� सार्भ� किवद्यार्थिथाgर्य3 क� साथा हL, 6�किकनु अक्6व6� किवद्याथा£ ह� उनुसा� मिमत्रता करता� हL। व� प?चा मिमत्र क`नु सा� हL?

वि�द्या� श]योM च दा�क्ष्यो& च बालो& धZयो_ च प&चकमF।मिमत्र�द्धिः` सहोजन्यो�हुँ* �ताMन्तिन्ता ए� वित्रबा�Mध�*।।

किवद्या, र्शDरता, दाक्षता, ब6 और धा�र्य� – र्य� प?चा मिमत्र साबक� पसा हL। अक्6व6� किवद्याथा£ इनुक फर्यदा उठता� हL, 6ल्6D-प जीD किवद्याथा£ इनुसा� 6र्भ नुह� उठ पता�।

क� र्शव क� पसा र्य� प?चा3 मिमत्र था�। वह र्शत्र� और किवर�मिधार्य3 क� र्भ� नुम्रता और दाक्षता सा� सामझा-ब�झाकर अपनु� पक्ष म� कर 6�ता था।

एक बर नुगप�र क� पसा र्यवताम6 (महरष्ट्र) म� क� र्शव अपनु� सालिथार्य3 क� साथा कह� टह6नु� जी रह था। उसा जीमनु� म� अ ग्र�जी3 क बड़ा दाबदाब था। वह? क अ ग्र�जी क6�क्टर ता� इतानु लिसार चाढ़ गर्य था किक क�ई र्भ� उसाक� सा6म मर� किबनु ग�जीरता ता� उसा� दा किडता किकर्य जीता था।

सा�र करनु� जी रह� क� र्शव और उसाक� सालिथार्य3 क� वह� अ ग्र�जी क6�क्टर सामनु� मिम6। बड़ा�-बड़ा� उम्र क� 6�ग उसा� प्रेणुम कर रह� था�। साबनु� क� र्शव सा� कहT "अ ग्र�जी क6�क्टर साहब आ रह� हL। इनुक� सा6म कर�।"

उसा 15-16 वषों£र्य क� र्शव नु� प्रेणुम नुह� किकर्य। क6�क्टर क� लिसापकिहर्य3 नु� उसा� पकड़ा लि6र्य और कहT "ताD प्रेणुम क्र्य3 नुह� करता? साहब ता�र� सा� बड़ा� हL।"

क� र्शवT "मL इनुक� प्रेणुम क्र्य3 करू? ? र्य� क�ई महत्म नुह� हL, वरनुw सारकर� नु`कर हL। अगर अच्छ कम करता� ता� आदार सा� सा6म किकर्य जीता, जी�र जी�ल्म सा� प्रेणुम करनु� कY क�ई जीरूरता नुह� ह�।"

लिसापह�T "अर� ब6क ! ता�झा� पता नुह�, सार्भ� 6�ग प्रेणुम करता� हL और ताD ऐसा� बता� ब�6ता ह�?" क6�क्टर ग�र�कर दा�Sनु� 6ग। अ ग्र�जी क6�क्टर कY तारफ प्रे�म कY किनुगह ड6ता� हुँए क� र्शव नु� कहT "प्रेणुम

र्भ�तार क� आदार कY चा�जी ह�ता� ह�। जी�र जी�ल्म सा� प्रेणुम करनु पप मनु जीता ह�, किफर आप म�झा� क्र्य3 जी�र-जीबरदास्ता� करक� पप म� ड6ता� ह�? दिदाSवटc प्रेणुम सा� आपक� क्र्य फर्यदा ह�ग?"

अ ग्र�जी क6�क्टर क लिसार नु�चा ह� गर्य, ब�6T "इसाक� जीनु� दा�, र्यह साधारणु ब6क नुह� ह�।"15-16 वषों£र्य ब6क कY क� सा� दाक्षता ह� किक दुश्मनु� क� र्भव सा� र्भर� क6�क्टर क� र्भ� लिसार नु�चा� करक� कहनु

पड़ाT 'इसाक� जीनु� दा�।'र्यवताम6 म� र्यह बता बड़ा� ता�व्र गकिता सा� फ� 6 गर्य� और 6�ग वहवह� करनु� 6ग�T 'क� र्शव नु� कम6 कर दिदार्य

! आजी ताक जी� साबक� प्रेणुम करवता था, साबक लिसार झा�कवता था, क� र्शव नु� उसा� क लिसार झा�कव दिदार्य !'पढ़ता�-पढ़ता� आग� चा6कर क� र्शव म�किडक6 क¢6�जी म� र्भता£ हुँआ। म�किडक6 क¢6�जी म� सा�र�द्र र्घा�षों नुमक एक

बड़ा 6 ब तागड़ा किवद्याथा£ था। वह र�जी 'प�6 अप्सा' करता था और दा ड-ब�ठक र्भ� 6गता था। अपनु� र्भ�जीओं पर उसा� बड़ा गव� था किक 'अगर एक र्घाD?सा किकसा� क� 6ग दू? ता� दूसार नु म ग�।'

एक दिदानु क¢6�जी म� जीब उसानु� क� र्शव कY प्रेर्श सा सा�नु� ताब वह क� र्शव क� सामनु� गर्य और ब�6T"क्र्य3 र� ! ताD बड़ा ब�जिद्धमनु, र्श`र्य�वनु और धा�र्य�वनु ह�कर उर्भर रह ह�। ह� र्शDरता ता� म�झा� म�क्क� मर, मL र्भ�

ता�र� ताकता दा�SD?।"क� र्शवT "नुह�-नुह�, र्भ�र्य ! मL आपकY नुह� मरु? ग। आप ह� म�झा� म�क्क� मरिरर्य�।" ऐसा कहकर क� र्शव नु�

अपनु� र्भ�जी आग� कर दाc।

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वह जी� प�6 अप्सा करक� , कसारता करक� अपनु� र्शर�र क� मजीबDता बनुता था, उसानु� म�क्क� मर� – एक, दा�, ता�नु.... प?चा... पन्द्रह.. पच्च�सा... ता�सा.... चा6�सा.... म�क्क� मरता�-मरता� आखिSर सा�र�न्द्र र्घा�षों थाक गर्य, पसा�नु� सा� तार-बतार ह� गर्य। दा�Sनु� व6� 6�ग चाकिकता ह� गर्य�। आखिSर सा�र�न्द्र नु� कहT

"ता�र र्शर�र हड़ा-म सा क ह� किक 6�ह� क? साचा बता, ताD क`नु ह�? म�क्क� मरता�-मरता� मL थाक गर्य पर ताD उफ ताक नुह� करता?

प्रेणुर्यम क रहस्र्य जीनु ह�ग क� र्शवरव नु� ! आत्मब6 बचापनु सा� ह� किवकलिसाता था। दुश्मनु� क� र्भव सा� र्भर सा�र�द्र र्घा�षों क� र्शव क मिमत्र बनु गर्य और ग6� 6ग गर्य।

क6कत्त क� प्रेलिसाद्ध म`6व� लि6र्यकता हुँसा�नु 60 सा6 क� था� और नु�ताकिगर� म� उनुक बड़ा नुम था। नु�ताकिगर� सा� उनुक� जी� S�लिर्शर्य? मिम6ता� था�, उनुसा� व� 60 सा6 क� ह�ता� हुँए र्भ� चा6नु�, ब�6नु� और कम करनु� म� जीवनु3 क� र्भ� प�छो� कर दा�ता� था�।

म`6व� लि6र्यकता हुँसा�नु नु� क� र्शवरव क� एक सार्भ म� दा�S। उसा सार्भ म� किकसा� नु� र्भषोंणु म� 6�कमन्र्य किता6क क� लि6ए क� छो ह6क� र्शब्दा3 क उपर्य�ग किकर्य। दा�र्शर्भलिक्त सा� र्भर� हुँए 6�कमन्र्य किता6क क� लि6ए ह6क� र्शब्दा ब�6नु� और र्भरता�र्य सा स्कP किता क� �न्दा� म�तारमF कर क� किनुहरनु�व6� 6�ग3 क� Sर�-S�टc सा�नुनु� कY जीब उसानु� बदाताम�जी� कY ता� र्य�वक क� र्शव उठ, म चा पर पहुँ?चा और उसा वक्त क कनु पकड़ा कर उसाक� ग6 पर ता�नु तामचा� जीड़ा दिदार्य।

आर्य�जीक ताथा उनुक� आदाम� आर्य� और क� र्शव क हथा पकड़ानु� 6ग�। क� र्शव नु� हथा पकड़ानु� व6� क� र्भ� तामचा� जीड़ा दिदार्य�। क� र्शव क र्यह र्श`र्य�, दा�र्शर्भलिक्त और आत्मकिनुर्भ�रता दा�Sकर म`6व� लि6र्यकता हुँसा�नु ब�6 उठ� T

"आफर�नु ह�, आफर�नु ह� ! र्भरता क� 66 ! आफर�नु ह�।"लि6र्यकता हुँसा�नु दा`ड़ा पड़ा� और क� र्शव क� ग6� 6ग लि6र्य, किफर ब�6�T "आजी सा� आप और हम जिजीगर� दा�स्ता !

म�र क�ई र्भ� कर्य�क्रम ह�ग, उसाम� मL आपक� ब�6ऊँ? ता� क्र्य आप आर्य�ग�?"क� र्शवT "क्र्य3 नुह� र्भ�र्य ! हम साब र्भरतावसा� हL।"जीब र्भ� लि6र्यकता हुँसा�नु कर्य�क्रम करता�, ताब क� र्शव क� अवश्र्य ब�6ता� और क� र्शव अपनु� सालिथार्य3 साकिहता

र्भगव ध्वजी 6�कर उनुक� कर्य�क्रम म� जीता�। वह? �न्दा� म�तारमF कY ध्वकिनु सा� आकर्श गD?जी उठता था।र्यह साहसा�, व�र, किनुडर, धा�र्य�वनु और ब�जिद्धमनु ब6क क� र्शव और क�ई नुह�, क� र्शवरव बलि6रम ह�डग�वर

ह� था�, जिजीन्ह3नु� आग� चा6कर रष्ट्र�र्य स्वर्य सा�वक सा र्घा (आर.एसा.एसा.) कY स्थापनु कY, जिजीनुक� सा स्कर आजी दुकिनुर्यर्भर क� बच्च3 और जीवनु3 क� दिदा6 ताक पहुँ?चा रह� हL।

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम

भ�ई मवितादा�स क/ धमMविनष्ठ�और गजी�ब नु� पDछोT "मकितादासा क`नु ह�?"....ता� र्भई मकितादासा नु� आग� बढ़कर कहT "मL हूँ? मकितादासा। र्यदिदा

ग�रुजी� आज्ञा दा� ता� मL र्यह? ब�ठ� -ब�ठ� दिदाल्6� और 6ह`र क सार्भ� ह6 बता साकता हूँ?। ता�र� किक6� कY ईंट-सा�-ईंट बजी साकता हूँ?।"

और गजी�ब ग�र�र्य और उसानु� र्भई मकितादासा क� धाम�-परिरवता�नु करनु� क� लि6ए किववर्श करनु� क� उद्दे�श्र्य सा� अनु�क प्रेकर कY र्यतानुए? दा�नु� कY धामकY दाc। S`6ता� हुँए गरम ता�6 क� कड़ाह� दिदाSकर उनुक� मनु म� र्भर्य उत्पन्न करनु� क प्रेर्यत्नु किकर्य, पर ता� धाम�व�र प�रुषों अपनु� प्रेणु3 कY लिचान्ता नुह� किकर्य करता�। धाम� क� लि6ए व� अपनु जी�वनु उत्साग� कर दा�नु श्रृं�ष्ठा सामझाता� हL।

जीब और गजी�ब कY सार्भ� धामकिकर्य? ब�कर गर्य�, सार्भ� प्रेर्यत्नु असाफ6 रह�, ता� वह लिचाढ़ गर्य। उसानु� कजी� क� ब�6कर पDछोT

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"बताओ इसा� क्र्य साजी दाc जीर्य�?"कजी� नु� क� रनु कY आर्यता3 क हव6 दा�कर हुँक्म सा�नुर्य किक 'इसा ककिफर क� इस्6म ग्रहणु नु करनु� क�

आर�प म� आर� सा� 6कड़ा� कY तारह चा�र दिदार्य जीर्य�।'और गजी�ब नु� लिसापकिहर्य3 क� कजी� क� आदा�र्श क प6नु करनु� क हुँक्म जीर� कर दिदार्य।दिदाल्6� क� चा?दानु� चा`क म� र्भई मकितादासा क� दा� S र्भ3 क� ब�चा रस्सा3 सा� कसाकर ब?धा दिदार्य गर्य और

लिसापकिहर्य3 नु� ऊँपर सा� आर� क� द्वार उन्ह� चा�रनु प्रेर र्भ किकर्य। हिंकgता� उन्ह3नु� 'सा�' ताक नुह� कY। और गजी�ब नु� प?चा मिमनुट बदा किफर कहT "अर्भ� र्भ� सामर्य ह�। र्यदिदा ता�म इस्6म कबD6 कर 6�, ता� ता�म्ह� छो�ड़ा दिदार्य जीर्य�ग और धानु-दा`6ता सा� म6म6 कर दिदार्य जीर्य�ग।" व�र मकितादासा नु� किनुर्भ�र्य ह�कर कहT

"मL जी�ता� जी� अपनु धाम� नुह� छो�ड़ूँ?ग।"ऐसा� था� धाम�व�र मकितादासा ! जीह? आर� सा� लिचारवर्य गर्य, आजी वह चा`क 'र्भई मकितादासा चा`क' क� नुम सा�

प्रेलिसाद्ध ह�।ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनु�क्रम

स्�धमb विनधन& श्री�यो*......प्रेत्र्य�क मनु�ष्र्य क� अपनु� धाम� क� प्रेकिता श्रृंद्ध और आदार ह�नु चाकिहए। र्भगवनु श्रृं�कP ष्णु नु� र्भ� कह ह�T

श्री�यो�न्स्�धमc वि�ग�`* परधम�Mत्स्�न�विष्ठता�ताF।स्�धमb विनधन& श्री�यो* परधमc भयो��हो*।।

'अच्छc प्रेकर आचारणु म� 6र्य� हुँए दूसार� क� धाम� सा� ग�णुरकिहता र्भ� अपनु धाम� अकिता उत्तम ह�। अपनु� धाम� म� ता� मरनु र्भ� कल्र्यणुकरक ह� और दूसार� क धाम� र्भर्य क� दा�नु� व6 ह�।'

(ग�ता�* 3.35)जीब र्भरता पर म�ग63 क र्शसानु था, ताब कY र्यह र्घादिटता र्घाटनु ह�T नु� मिम6कर उसा� गलि6र्य? दा¬। पह6� ता� वह

चा�प रह। व�सा� र्भ� साहनुर्श�6ता ता� किहन्दुओं क ग�णु ह� ह�... हिंकgता� जीब उनु उदा ड बच्च3 नु� ग�रुओं क� नुम कY और झाD6�66 व ग�रुनुनुक क� नुम कY गलि6र्य? दा�नु� र्श�रु क­, ताब उसा व�र ब6क सा� अपनु� ग�रु और धाम� क अपमनु सा� साह नुह� गर्य।

हकYकता रर्य नु� कहT "अब हदा ह� गर्य� ! अपनु� लि6ए ता� मLनु� साहनुर्शलिक्त क� उपर्य�ग किकर्य 6�किकनु म�र� धाम�, ग�रु और र्भगवनु क� लि6ए एक र्भ� र्शब्दा ब�6�ग� ता� र्यह म�र� साहनुर्शलिक्त सा� बहर कY बता ह�। म�र� पसा र्भ� जी�बनु ह�। मL र्भ� ता�म्ह� ब�6 साकता हूँ?।"

उद्दे ड बच्च3 नु� कहT "ब�6कर ता� दिदाS ! हम ता�र� Sबर 6� 6�ग�।"हकYकता रर्य नु� र्भ� उनुक� दा�-चार कट� र्शब्दा सा�नु दिदार्य�। बसा, उन्ह� दा�-चार र्शब्दा3 क� सा�नुकर म�ल्6-

म`6किवर्य3 क� SDनु उब6 पड़ा। व� हकYकता रर्य क� ठ�क करनु� क म`क ढेD?ढेनु� 6ग�। साब 6�ग एक तारफ और हकYकता रर्य अक� 6 दूसार तारफ।

उसा सामर्य म�ग63 क ह� र्शसानु था, इसालि6ए एककित्रता रर्य क� जी�6 म� क� दा कर दिदार्य गर्य।म�ग6 र्शसाक3 कY ओर हकYकता रर्य क� र्यह फरमनु र्भ�जी गर्य किक 'अगर ता�म क6म पढ़ 6� और

म�सा6मनु बनु जीओ ता� ता�म्ह� अर्भ� मफ कर दिदार्य जीर्य�ग और र्यदिदा ता�म म�सा6मनु नुह� बनु�ग� ता� ता�म्हर लिसार धाड़ा सा� अ6ग कर दिदार्य जीर्य�ग।'

हकYकता रर्य क� मता-किपता जी�6 क� बहर आ?साD बह रह� था�T "ब�ट ! ताD म�सा6मनु बनु जी। कम सा� कम हम ता�म्ह� जी�किवता ता� दा�S साक� ग� !" .....6�किकनु उसा ब�जिद्धमनु सिंसाgधा� ब6क नु� कहT

"क्र्य म�सा6मनु बनु जीनु� क� बदा म�र� मPत्र्य� नुह� ह�ग�?"मता-किपताT "मPत्र्य� ता� ह�ग� ह�।"

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हकYकता रर्यT ".... ता� किफर मL अपनु� धाम� म� ह� मरनु पसा दा करु? ग। मL जी�ता� जी� दूसार3 क धाम� स्व�कर नुह� करू? ग।"

क्रD र र्शसाक3 नु� हकYकता रर्य कY दृढ़ता दा�Sकर अनु�क3 धामकिकर्य? दा¬ 6�किकनु उसा बहदुर किकर्श�र पर उनुकY धामकिकर्य3 क जी�र नु चा6 साक। उसाक� दृढ़ किनुश्चर्य क� पDर रज्र्य-र्शसानु र्भ� नु किडग साक।

अ ता म� म�ग6 र्शसाक नु� उसा� प्रे6�र्भनु दा�कर अपनु� ओर S�चानु चाह 6�किकनु वह ब�जिद्धमनु व व�र किकर्श�र प्रे6�र्भनु3 म� र्भ� नुह� फ? सा।

आखिSर क्रD र म�सा6मनु र्शसाक3 नु� आदा�र्श दिदार्य किक 'अम�क दिदानु ब�चा म�दानु म� हकYकता रर्य क लिर्शर�च्छ�दा किकर्य जीर्य�ग।'

उसा व�र हकYकता रर्य नु� ग�रु क म त्र 6� रS था। ग�रुम त्र जीपता�-जीपता� उसाकY ब�जिद्ध साDक्ष्म ह� गर्य� था� वह 14 वषों£र्य किकर्श�र जील्6दा क� हथा म� चामचामता� हुँई ता6वर दा�Sकर जीर र्भ� र्भर्यर्भ�ता नु हुँआ वरनुw अपनु� ग�रु क� दिदार्य� हुँए ज्ञानु क� र्यदा करनु� 6ग� किक 'र्यह ता6वर किकसाक� मर�ग�? मर-मरकर इसा प?चार्भ`किताक र्शर�र क� ह� ता� मर�ग� और ऐसा� प चार्भ`किताक र्शर�र ता� कई बर मिम6� और कई बर मर गर्य�। ....ता� क्र्य र्यह ता6वर म�झा� मर�ग�? नुह� मL ता� अमर आत्म हूँ?... परमत्म क सानुतानु अ र्श हूँ?। म�झा� र्यह क� सा� मर साकता� ह�? ॐ....ॐ....ॐ...

हकYकता रर्य ग�रु क� इसा ज्ञानु क लिचान्तानु कर रह था, तार्भ� क्रD र कजिजीर्य3 नु� जील्6दा क� ता6वर चा6नु� क आदा�र्श दिदार्य। जील्6दा नु� ता6वर उठर्य� 6�किकनु उसा किनुदा®षों ब6क क� दा�Sकर उसाकY अ तारत्म थारथार उठ�। उसाक� हथा3 सा� ता6वर किगर पड़ा� और हथा क?पनु� 6ग�।

कजी� ब�6�T "ता�झा� नु`कर� करनु� ह� किक नुह�? र्यह ताD क्र्य कर रह ह�?" ताब हकYकता रर्य नु� अपनु� हथा3 सा� ता6वर उठर्य� और जील्6दा क� हथा म� थाम दाc। किफर वह किकर्श�र आ?S�

ब दा करक� परमत्म क लिचान्तानु करनु� 6गT 'ह� अक6 प�रुषों ! जी�सा� सा?प क� चा�6� क त्र्यग करता ह�, व�सा� ह� मL र्यह नुश्वार दा�ह छो�ड़ा रह हूँ?। म�झा� ता�र� चारणु3 कY प्रे�किता दा�नु ताकिक मL ता�र� चारणु3 म� पहुँ?चा जीऊँ? .... किफर सा� म�झा� वसानु क प�ता6 बनुकर इधार-उधार नु र्भटकनु पड़ा�.... अब ताD म�झा� अपनु� ह� र्शरणु म� रSनु.... मL ता�र हूँ?... ताD म�र ह�.... ह� म�र� अक6 प�रुषों !'

इतानु� म� जील्6दा नु� ता6वर चा6र्य� और हकYकता रर्य क लिसार धाड़ा सा� अ6ग ह� गर्य।हकYकता रर्य नु� 14 वषों� कY छो�टc सा� उम्र म� धाम� क� लि6ए अपनु� क� ब�नु� दा� दाc। उसानु� र्शर�र छो�ड़ा दिदार्य

6�किकनु धाम� नु छो�ड़ा।ग�रु ता�गबाहो�दुर बा�त्तिःलोयो�,

स�न� त्तिःसख� ! बाड़भ�विगयो�, धड़ दाXज� धरम न छो�विड़यो�....हकYकता रर्य नु� अपनु� जी�वनु म� र्यह वचानु चारिरताथा� करक� दिदाS दिदार्य।हकYकता रर्य ता� धाम� क� लि6ए बलि6व�दाc पर चाढ़ गर्य 6�किकनु उसाकY क� ब�नु� नु� सामजी क हजीर3-6S3

जीवनु3 म� एक जी�र्श र्भर दिदार्य किक 'धाम� कY Sकितार प्रेणु दा�नु� पड़ा� ता� दा�ग� 6�किकनु किवधार्मिमgर्य3 क� आग� कर्भ� नुह� झा�क� ग�। अपनु� धाम� म� र्भ6� र्भDS� मरनु पड़ा� ता� र्भ� स्व�कर ह� 6�किकनु परधाम� कY सार्भ� स्व�कर नुह� कर�ग�।'

ऐसा� व�र3 क� बलि6दानु क� फ6स्वरूप ह� हम� आजीदाc प्रेप्ता हुँई ह� और ऐसा� 6S3-6S3 प्रेणु3 कY आहुँकिता द्वार प्रेप्ता कY गर्य� इसा आजीदाc क� हम कह? व्यसानु, फ� र्शनु और चा6लिचात्र3 सा� प्रेर्भकिवता ह�कर ग?व नु दा� ! अब दा�र्शवलिसार्य3 क� सावधानु रहनु ह�ग।

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम

धमM क� त्तिःलोए बात्तिःलोदा�न दा�न� ��लो� च�र अमर शहो�दाधान्र्य ह� प जीब कY मटc जीह? सामर्य-सामर्य पर अनु�क महप�रुषों3 क प्रेदुर्भ�व हुँआ ! धाम� कY पकिवत्र र्यज्ञाव�दाc

म� बलि6दानु दा�नु� व63 कY पर पर म� ग�रु ग�हिंवgदासिंसाgह क� चार 6ड63 क�, अमर र्शह�दा3 क� र्भरता र्भD6 साकता ह�? नुह�,

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कदाकिप नुह�। अपनु� किपतामह ग�रु ता�गबहदुर कY क� ब�नु� और र्भरता कY स्वता त्रता क� लि6ए सा र्घाषों�रता किपता ग�रु ग�किवन्दासिंसाgह ह� उनुक� आदार्श� था�। तार्भ� ता� 8-10 वषों� कY छो�टc सा� अवस्था म� उनुकY व�रता र धाम�परर्यणुता क� दा�Sकर र्भरतावसा� उनुक� लि6ए श्रृंद्ध सा� नुतामस्ताक ह� उठता� हL।

ग�रुग�हिंवgदासिंसाgह कY बढ़ता� हुँई र्शलिक्त और र्शDरता क� दा�Sकर और गजी�ब झा�?झा6र्य हुँआ था। उसानु� र्शह� फरमनु किनुक6 किक 'प जीब क� सार्भ� साDब3 क� हकिकम और सारदार ताथा पहड़ा� रजी मिम6कर आनु दाप�र क� बरबदा कर ड6� और ग�रु ग�हिंवgदासिंसाgह क� जिंजीgदा किगरफ्तार कर� र्य उनुक लिसार कटकर र्शह� दारबर म� हजिजीर कर�।'

बसा किफर क्र्य था? म�ग6 सा�नु द्वार आनु दाप�र पर आक्रमणु कर दिदार्य गर्य। आनु दाप�र क� किक6� म� रहता� हुँए म�ट्ठीcर्भर लिसाक्S सारदार3 कY सा�नु नु� किवर्श6 म�ग6 सा�नु क� र्भ� त्रस्ता कर दिदार्य। हिंकgता� धा�र�-धा�र� रसादा-सामनु र्घाटनु� 6ग और लिसाक्S सा�नु र्भDS सा� व्यक� 6 ह� उठ�। आखिSरकर अपनु� सालिथार्य3 क� किवचार सा� बध्र्य ह�कर अनु�कD 6 अवसार पकर ग�रुग�हिंवgदासिंसाgह नु� आधा� रता म� सापरिरवर किक6 छो�ड़ा दिदार्य।

.....हिंकgता� नु जीनु� कह? सा� र्यवनु3 क� इसाकY र्भनुक मिम6 गर्य� और दा�नु3 सा�नुओं म� ह6चा6 मचा गर्य�। इसा� र्भगदा`ड़ा म� ग�रु ग�किवन्दासिंसाgह क� परिरवर व6� अ6ग ह�कर र्भटक गर्य�। ग�रु ग�हिंवgदासिंसाgह कY मता अपनु� दा� छो�ट�-छो�ट� प`त्र3, जी�रवरसिंसाgह और फता�हसिंसाgह क� साथा दूसार� ओर किनुक6 पड़ा�। उनुक� साथा रहनु� व6� रसा�इर्य� क� किवश्वासार्घाता क� करणु र्य� 6�ग किवपत्तिःक्षर्य3 द्वार किगरफ्तार किकर्य� गर्य� और साDब सारहिंहgदा क� पसा र्भ�जी दिदार्य� गर्य�। साDब�दार नु� ग�रु ग�किवन्दासिंसाgह क� हृदार्य पर आर्घाता पहुँ?चानु� क� ख्र्य6 सा� उनुक� दा�नु3 छो�ट� बच्च3 क� म�सा6मनु बनुनु� क किनुश्चर्य किकर्य।

र्भर� दारबर म� ग�रु ग�किवन्दासिंसाgह क� इनु दा�नु3 प�त्र3 सा� साDब�दार नु� पDछोT "ऐ बच्च� ! ता�म 6�ग3 क� दाcनु(मजीहब) इस्6म कY ग�दा म� आनु म जीDर ह� र्य कत्6 ह�नु?"

दा�-ता�नु बर पDछोनु� पर जी�रवरसिंसाgह नु� जीवब दिदार्यT"हम� कत्6 ह�नु म जीDर ह�।"क� सा� दिदा6�र� ह� ! किकतानु� किनुर्भ£कता ! जिजीसा उम्र म� बच्च� खिS6`नु3 सा� S�6ता� रहता� हL, उसा नुन्ह� सा� सा�क� मर

अवस्था म� र्भ� धाम� क� प्रेकिता इनु ब6क3 कY किकतानु� किनुष्ठा ह� !वजी�दा S? ब�6T "बच्च� ! दाcनु इस्6म म� आकर सा�S सा� जी�वनु व्यता�ता कर�। अर्भ� ता� ता�म्हर फ6नु�-

फD 6नु� क सामर्य ह�। मPत्र्य� सा� र्भ� इस्6म धाम� क� ब�र सामझाता� ह�? जीर सा�चा� ! अपनु� जिंजीgदाग� व्यथा� क्र्य3 ग?व रह� ह�?"

ग�रु ग�हिंवgदासिंसाgह क� 6ड6� व� व�र प�त्र... मनु� ग�ता क� इसा ज्ञानु क� उन्ह3नु� पDर� तारह आत्मसाताw कर लि6र्य थाT स्�धमb विनधन& श्री�यो* परधमc भयो��हो*। जी�रवरसिंसाgह नु� कहT "किहन्दू धाम� सा� बढ़कर सा सार म� क�ई धाम� नुह�। अपनु� धाम� पर अकिडग रहकर मरनु� सा� बढ़कर सा�S दा�नु� व6 दुकिनुर्य म� क�ई कम नुह�। अपनु� धाम� कY मर्य�दा पर मिमटनु ता� हमर� क� 6 कY र�किता ह�। हम 6�ग सा क्षणुर्भ ग�र जी�वनु कY परवह नुह� करता�। मर-मिमटकर र्भ� धाम� कY रक्ष करनु ह� हमर अ किताम ध्र्य�र्य ह�। चाह� ता�म कत्6 कर� र्य ता�म्हर� जी� इच्छ ह�, कर�।"

ग�रु ग�वि�न्दासिंसgहो क� प�त्र महो�न,न छो�ड़� धमM हुँए क� बा�Mन.........

इसा� प्रेकर फता�हसिंसाgह नु� र्भ� धाम� क� नु त्र्यगकर बड़ा� किनुर्भ£कतापDव�क मPत्र्य� क वरणु श्रृं�र्यस्कर सामझा। र्शह� साल्तानुता आश्चर्य�चाकिकता ह� उठ� किक 'इसा नुन्ह�-सा� आर्य� म� र्भ� अपनु� धाम� क� प्रेकिता किकतानु� अकिडगता ह� ! इनु नुन्ह�-नुन्ह� सा�क� मर ब6क3 म� किकतानु� किनुर्भ£कता ह� !' हिंकgता� अन्र्यर्य� र्शसाक क� र्भ6 र्यह क� सा� साहनु ह�ता? कजिजीर्य3 और म�ल्6ओं कY रर्य सा� इन्ह� जी�ता�-जी� दाcवर म� लिचानुवनु� क फरमनु जीर� कर दिदार्य गर्य।

क� छो ह� दूर� पर दा�नु3 र्भई दाcवर म� लिचानु� जीनु� 6ग� ताब धाम�धा साDब�दार नु� कहT "ऐ ब6क� ! अर्भ� र्भ� चाह� ता� ता�म्हर� प्रेणु बचा साकता� हL। ता�म 6�ग क6म पढ़कर म�सा6मनु धाम� स्व�कर कर 6�। मL ता�म्ह� नु�क सा6ह दा�ता हूँ?।"

र्यह सा�नुकर व�र जी�रवरसिंसाgह गरजी उठT "अर� अत्र्यचार� नुरधाम ! ताD क्र्य बकता ह�? म�झा� ता� S�र्श� ह� किक प चाम ग�रु अजी��नु दा�व और दादाग�रु ता�गबहदुर क� आदार्शm क� कर्यम करनु� क� लि6ए मL अपनु� क� ब�नु� दा� रह हूँ? ता�र�

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जी�सा� अत्र्यचारिरर्य3 सा� र्यह धाम� मिमटनु�व6 नुह�, बस्तिल्क हमर� SDनु सा� वह सा�चा जी रह ह� और आत्म ता� अगर ह�, इसा� क`नु मर साकता ह�?"

दाcवर र्शर�र क� ढेकता� हुँई ऊँपर बढ़ता� जी रह� था�। छो�ट� र्भई फता�हसिंसाgह कY गदा�नु ताक दाcवर आ गर्य� था�। वह पह6� ह� आ?S3 सा� ओझा6 ह� जीनु� व6 था। र्यह दा�Sकर जी�रवरसिंसाgह कY आ?S3 म� आ?साD आ गर्य�। साDब�दार क� 6ग किक अब म�6जिजीम मPत्र्य� सा� र्भर्यर्भ�ता ह� रह ह�। अताT मनु ह� मनु प्रेसान्न ह�कर ब�6T "जी�रवर ! अब र्भ� बता दा� ता�म्हर� क्र्य इच्छ ह�? र�नु� सा� क्र्य 6र्भ ह�ग?"

जी�रवर सिंसाgहT "मL बड़ा अर्भग हूँ? किक अपनु� छो�ट� र्भई सा� पह6� मLनु� जीन्म धारणु किकर्य, मता क दूधा और जीन्मर्भDमिम क अन्न जी6 ग्रहणु किकर्य, धाम� कY लिर्शक्ष पर्य� हिंकgता� धाम� क� किनुमिमत्त जी�वनु-दानु दा�नु� क सा`र्भग्र्य म�झासा� पह6� म�र� छो�ट� र्भई फता�ह क� प्रेप्ता ह� रह ह�। म�झासा� पह6� म�र छो�ट र्भई क� ब�नु� दा� रह ह�, इसा�लि6ए म�झा आजी S�दा ह� रह ह�।"

6�ग दा ग रह गर्य� किक किकतानु� साहसा� हL र्य� ब6क ! जी� प्रे6�र्भनु दिदार्य� जीनु� और जी�स्थिल्मर्य3 द्वार अत्र्यचार किकर्य� जीनु� पर र्भ� व�रतापDव�क स्वधाम� म� डट� रह�।

उधार ग�रु ग�हिंवgदासिंसाgह कY पDर� सा�नु र्य�द्ध म� कम आ गर्य�। र्यह दा�Sकर उनुक� बड़ा� प�त्र अजी�तासिंसाgह सा� नुह� रह गर्य और व� किपता क� पसा आकर ब�6 उठ� T

"किपताजी� ! जी�ता� जी� ब दाc ह�नु कर्यरता ह� और र्भगनु ब�जीदिदा6� ह�। इनुसा� अच्छ ह� 6ड़ाकर मरनु। आप आज्ञा कर�, मL इनु र्यवनु3 क� छोक्क� छो� ड़ा दू?ग र्य मPत्र्य� क आसिं6gगनु करू? ग।"

व�र प�त्र अजी�तासिंसाgह कY बता सा�नुकर ग�हिंवgदासिंसाgह क हृदार्य प्रेसान्न ह� उठ और व� ब�6�T"र्शबर्श ! धान्र्य ह� प�त्र ! जीओ, स्वदा�र्श और स्वधाम� क� किनुमिमत्त अपनु कता�व्यप6नु कर�। किहन्दू धाम� क�

ता�म्हर� जी�सा� व�र ब6क3 कY क� ब�नु� कY आवश्र्यकता ह�।"किपता सा� आज्ञा पकर अत्र्य ता प्रेसान्नता ताथा जी�र्श क� साथा अजी�तासिंसाgह आठ-दासा लिसाक्S3 क� साथा र्य�द्ध स्था6

म� जी धामक और दा�Sता� ह� दा�Sता� र्यवनु सा�नु क� बड़ा�-बड़ा� सारदार3 क� म`ता क� र्घाट उतारता� हुँए S�दा र्भ� र्शह�दा ह� गर्य।

ऐसा� व�र ब6क3 कY गथा सा� ह� र्भरता�र्य इकिताहसा अमर ह� रह ह�। अपनु� बड़ा� र्भइर्य3 क� व�रगकिता प्रेप्ता करता� दा�Sकर उनुसा� छो�ट र्भई जी�झारसिंसाgह र्भ6 क� सा� चा�प ब�ठता? वह र्भ� अपनु� किपता ग�रु ग�हिंवgदासिंसाgह क� पसा जी पहुँ?चा और ब�6T

"किपताजी� ! बड़ा� र्भ�र्य ता� व�रगकिता क� प्रेप्ता ह� गर्य�, इसालि6ए म�झा� र्भ� र्भ�र्य क अनु�गम� बनुनु� कY आज्ञा दाcजिजीए।"

ग�रु ग�किवन्दासिंसाgह क हृदार्य र्भर आर्य और उन्ह3नु� उठकर जी�झार क� ग6� 6ग लि6र्य। व� ब�6�T "जीओ, ब�ट ! ता�म र्भ� अमरपदा प्रेप्ता कर�, दा�वता ता�म्हर इ ताजीर कर रह� हL।"

धान्र्य ह� प�त्र कY व�रता और धान्र्य ह� किपता कY क� ब�नु� ! अपनु� ता�नु प�त्र3 कY मPत्र्य� क� पश्चताw स्वदा�र्श ताथा स्वधाम� प6नु क� किनुमिमत्त अपनु� चा`था� और अ किताम प�त्र क� र्भ� प्रेसान्नता सा� धाम� और स्वतान्त्रता कY बलि6व�दाc पर चाढ़नु� क� किनुमिमत्त स्व�कP किता प्रेदानु कर दाc !

व�र जी�झारसिंसाgह 'साताw श्रृं� अक6' कहकर उछो6 पड़ा। उसाक र�म-र�म र्शत्र� क� परस्ता करनु� क� लि6ए फड़ाकनु� 6ग। स्वर्य किपता नु� उसा� व�र3 क� दा�र्श सा� सा�सास्थिज्जता करक� आर्श�व�दा दिदार्य और व�र जी�झार किपता क� प्रेणुम करक� अपनु� क� छो सारदार सालिथार्य3 क� साथा किनुक6 पड़ा र्य�द्धर्भDमिम कY ओर। जिजीसा ओर जी�झार गर्य उसा ओर दुश्मनु3 क ता�व्रता सा� साफर्य ह�नु� 6ग और ऐसा 6गता मनु� महक6 कY 6प6पता� जिजीह्वा सा�नुओं क� चाट रह� ह�। दा�Sता�-दा�Sता� म�दानु साफ ह� गर्य। अ ता म� र्शत्र�ओं सा� जीDझाता�-जीDझाता� वह व�र ब6क र्भ� मPत्र्य� कY र्भ�ट चाढ़ गर्य। दा�Sनु�व6� दुश्मनु र्भ� उसाकY प्रेर्श सा किकर्य� किबनु नु रह साक� ।

धान्र्य ह� र्यह दा�र्श ! धान्र्य हL व� मता-किपता जिजीन्ह3नु� इनु चार प�त्ररत्नु3 क� जीन्म दिदार्य और धान्र्य हL व� चार3 व�र प�त्र जिजीन्ह3नु� दा�र्श, धाम� और सा स्कP किता क� रक्षणुथा� अपनु� प्रेणु3 ताक क उत्साग� कर दिदार्य।

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चाह� किकतानु� र्भ� किवकट परिरस्थिस्थाकिता ह� अथाव चाह� किकतानु� र्भ� बड़ा�-बड़ा� प्रे6�र्भनु आर्य�, हिंकgता� व�र वह� ह� जी� अपनु� धाम� ताथा दा�र्श कY रक्ष क� लि6ए उनुकY परवह नु करता� हुँए अपनु� प्रेणु3 कY र्भ� बजी� 6ग दा�। वह� वस्ताव म� मनु�ष्र्य कह6नु� र्य�ग्र्य ह�। किकसा� नु� साचा कह ह�T

जिजसक� नहो1 विनज दा�श पर विनज ज�विता पर अद्धिःभम�न होZ।�हो नर नहो1 पर पश� विनर� और मOताक सम�न होZ।।

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम

अमर शहो�दा ग�रु ता�गबाहो�दुरज�धमM, दा�श क� विहोता म# जिजसन� प�र� ज��न लोग� दिदायो�।

इस दुविनयो� म# उस� मन�ज न� नर तान क� स�थेMक विकयो�।।किहन्दास्तानु म� और गजी�ब क र्शसानुक6 था। किकसा� इकिताहसाकर नु� लि6S ह�T'और गजी�ब नु� र्यह हुँक्म दिदार्य किक किकसा� किहन्दू क� रज्र्य क� कर्य� म� किकसा� उच्च स्थानु पर किनुर्यता नु किकर्य

जीर्य� ताथा किहन्दुओं पर जीजिजीर्य (कर) 6ग दिदार्य जीर्य। उसा सामर्य अनु�क3 नुर्य� कर क� व6 किहन्दुओं पर 6गर्य� गर्य�। इसा र्भर्य सा� अनु�क3 किहन्दू म�सा6मनु ह� गर्य�। किहन्दुओं क� पDजी-आरता� आदिदा सार्भ� धार्मिमgक कर्य� ब दा ह�नु� 6ग�। म दिदार किगरर्य� गर्य�, मसाजिजीदा� बनुवर्य� गर्य� और अनु�क3 धाम�त्म मरव दिदार्य� गर्य�। उसा� सामर्य कY उलिक्त ह� किक 'साव मनु र्यज्ञा�पव�ता र�जीनु उतारव कर और गजी�ब र�टc Sता था....'

उसा� सामर्य कश्म�र क� क� छो प किडता3 नु� आकर ग�रु ता�गबहदुरजी� सा� किहन्दुओं पर ह� रह� अत्र्यचार क वणु�नु किकर्य। ताब ग�रु ता�गबहदुरजी� क हृदार्य द्रव�र्भDता ह� उठ और व� ब�6�T

"जीओ, ता�म 6�ग बदार्शह सा� कह� किक हमर प�र ता�गबहदुर ह�। र्यदिदा वह म�सा6मनु ह� जीर्य� ता� हम सार्भ� इस्6म स्व�कर कर 6�ग�।"

प किडता3 नु� व�सा कY किकर्य जी�सा किक श्रृं� ता�गबहदुरजी� नु� कह था। ताब बदार्शह और गजी�ब नु� ता�गबहदुरजी� क� दिदाल्6� आनु� क ब�6व र्भ�जी। जीब उनुक� लिर्शष्र्य मकितादासा और दार्य6 और गजी�ब क� पसा पहुँ?चा� ताब और गजी�ब नु� कहT

"र्यदिदा ता�म 6�ग इस्6म धाम� कबD6 नुह� कर�ग� ता� कत्6 कर दिदार्य� जीओग�।"मकितादासाT "र्शर�र ता� नुश्वार ह� और आत्म क कर्भ� कत्6 नुह� ह� साकता।"ताब और गजी�ब नु� क्र�मिधाता ह�कर मकितादासा क� आर� सा� लिचारव दिदार्य। र्यह दा�Sकर दार्य6 ब�6T"और गजी�ब ! ताDनु� बबर व र्श क� और अपनु� बदार्शकिहर्यता क� लिचारवर्य ह�।"र्यह सा�नुकर और गजी�ब नु� दार्य6 क� जिंजीgदा ह� जी6 दिदार्य।और गजी�ब क� अत्र्यचार क अ ता नुह� आ रह था। किफर ग�रुता�गबहदुरजी� स्वर्य गर्य�। उनुसा� र्भ� और गजी�ब नु�

कहT"र्यदिदा ता�म म�सा6मनु ह�नु स्व�कर नुह� कर�ग� ता� क6 ता�म्हर� र्भ� र्यह� दार्श ह�ग�।"दूसार� दिदानु (मग�र्श�षों� र्श�क्6 प चाम� क�) ब�चा चा`रह� पर ता�गबहदुरजी� क लिसार धाड़ा सा� अ6ग कर दिदार्य गर्य।

धाम� क� लि6ए एक सा ता क� ब�नु ह� गर्य�। ता�गबहदुरजी� क� बलि6दानु नु� जीनुता म� र�षों प�दा कर दिदार्य। अताT 6�ग3 म� बदा6 6�नु� कY धा�नु सावर ह� गर्य�। अनु�क3 र्शDरव�र धाम� क� ऊँपर न्र्य�छोवर ह�नु� क� ता�र्यर ह�नु� 6ग�। ता�ग बहदुरजी� क� बलि6दानु नु� सामर्य क� ह� बदा6 दिदार्य। ऐसा� र्शDरव�र3 क, धाम�प्रे�मिमर्य3 क बलि6दानु ह� र्भरता क� दासाता कY जी जी�र� सा� म�क्त कर साक ह�।

दा�र्श ता� म�क्त हुँआ हिंकgता� क्र्य मनुव कY वस्ताकिवक म�लिक्त हुँई? नुह�। किवषोंर्य-किवकर, ऐर्श-आरम और र्भ�ग-किव6सारूप� दासाता सा� अर्भ� र्भ� वह आबद्ध ह� ह� और इसा दासाता सा� म�लिक्त तार्भ� मिम6 साकता� ह� जीब सा ता महप�रुषों3

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कY र्शरणु म� जीकर उनुक� बतार्य� मग� पर चा6कर म�लिक्त पथा क पलिथाक बनु जीर्य। तार्भ� मनुव-जी�वनु साथा�क ह� साक� ग।

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम

धन छो�ड़� पर धमM न छो�ड़�.....ब ग6 क� मल्दा जिजी6� क� क� न्दूरप�र नुमक ग?व म� एक नु�मई नुम क ब6क था जी� बदा म� एक अच्छ�

स्वर्य सा�वक क� रूप म� प्रेलिसाद्ध हुँआ। उसा� बचापनु म� एक बर जी�रदार ब�Sर आ गर्य और प�र म� चा�ट 6ग गर्य�। अनु�क3 छो�ट�-म�ट� इ6जी करनु� पर ब�Sर ता� मिमट गर्य, हिंकgता� र्घाव मिमटनु� क नुम नुह� 6� रह था।

आखिSरकर थाककर किकसा� कY सा6ह सा� उसा� बड़ा� अस्पता6 म� र्भता£ कर दिदार्य गर्य। वह अस्पता6 ईसाई मिमर्शनुर� क था, अताT वह? उसाक� र्घाव क� र्भरनु� क� साथा-साथा नु�मई म� ईसाइर्यता क� सा स्कर र्भरनु� क र्भ� प्रेर्यसा किकर्य जीनु� 6ग। छो�ट�-सा� र्घाव क� र्भरनु� क� लि6ए उसा� 5-6 मह�नु� ताक अस्पता6 म� रS ताकिक धा�र�-धा�र� उसाक हृदार्य ईसाइर्यता क� सा स्कर3 सा� र्भर जीर्य�।

6�किकनु वह ब6क नु�मई अपनु� धाम� पर अकिडग रह और ब�6T "मL किहन्दू ह? और किहन्दू ह� रहूँ?ग। ता�म्हर� चाक्कर म� आकर मL ईसाई बनुनु� व6 नुह� हूँ?।"

अ किताम प्रेर्यसा करता� हुँए ईसाई मिमर्शनुर�व63 नु� उसाक� गर�ब किपता सा� कहT "इसाक� र्घाव र्भरनु� म� 6 हजीर रूपर्य� Sचा� ह� गर्य� हL। ता�म अपनु� 6ड़ाक� सा� कह दा� किक वह ईसाइर्यता स्व�कर कर 6�। अगर वह ईसाइर्यता स्व�कर कर 6�ग ता� 6 हजीर रुपर्य� मफ ह� जीर्य�ग�, नुह� ता� ता�म्ह� व� रुपर्य� र्भरनु� पड़ा�ग� जीबकिक ता�म ता� गर�ब ह�। ता�म्हर� पसा क� व6 12 ब�र्घा जीम�नु ह�। (उसा सामर्य एक ब�र्घा जीम�नु कY कYमता एक हजीर रुपर्य� था�।) र्य ता� ता�म 6 ब�र्घा जीम�नु दा� दा� जी� किक ता�म्हर र्भरणु-प�षोंणु क एक मत्र आधार ह� र्य नु�मई क� ईसाइर्यता स्व�कर करनु� क� लि6ए रजी� कर 6�।"

ताब किपता ब�6T "मL धानु क गर�ब हूँ? 6�किकनु धाम� क नुह�। धाम� ब�चानु� क� लि6ए नुह� ह�ता। मL 6 ब�र्घा जीम�नु ब�चाकर र्भ� 6 हजीर रुपर्य� ता�म्ह� दा� दू?ग।"

उसा गर�ब किपता नु� 6 ब�र्घा जीम�नु ब�चाकर रुपर्य� दा� दिदार्य�, हिंकgता� धाम� नुह� ब�चा। उसा ब6क नु� किहन्दू रहकर ह� अपनु पDर जी�वनु ईश्वार क� रस्ता� 6ग दिदार्य। किकतानु� किनुष्ठा ह� स्वधाम� म� !

कर्भ� र्भ� अपनु� धाम� क त्र्यग नुह� करनु चाकिहए वरनुw अपनु� ह� धाम� म� अकिडग रहकर, अपनु� धाम� क प6नु करता� हुँए अपनु� धाम� और अपनु� सा स्कP किता क� ग`रव कY रक्ष करनु� चाकिहए। इसा� म� हमर कल्र्यणु ह�।

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम

स्�धमMविनष्ठ�ग�ता म� कह गर्य ह�T

स्�धमb विनधन& श्री�यो* परधमc भयो��हो*।'अपनु� धाम� म� मर जीनु र्भ� श्रृं�र्यस्कर ह� हिंकgता� दूसार� क धाम� र्भर्यवह ह�।' (ग�ता�* 3.35)किकसा� क� धाम�च्र्य�ता करनु� कY चाह� क�ई 6S क�लिर्शर्श क्र्य3 नु कर�, र्यदिदा वह ब�जिद्धमनु ह�ग ता� नु ता� किकसा�

क� प्रे6�र्भनु म� आर्य�ग नु ह� र्भर्य म�, वह ता� हर कYमता पर अपनु� ह� धाम� म� अकिडग रह�ग।ईसाइर्यता व6� ग?व-ग?व जीकर प्रेचार करता� हL किक 'हमर� धाम� म� आ जीओ। हम ता�मक� म�लिक्त दिदा6र्य�ग�।'एक सामझादार वPद्ध साज्जनु नु� उन्ह� पDछोT"म�लिक्त क`नु दा�ग?"

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"र्य�र्श� र्भगवनु दा�ग�।""र्य�र्श� र्भगवनु क`नु हL?""व� र्भगवनु क� ब�ट� हL।"ताब उसा वPद्ध साज्जनु नु� कहT "हम ता� सा�धा� र्भगवनु क ज्ञानु प रह� हL, किफर र्भगवनु क� ब�ट� क� पसा क्र्य3

जीर्य�? र्भगवनु क� ब�ट� म�लिक्त क्र्य3 म?ग�?"इतानु ज्ञानु ता� र्भरता क एक ग्रम�णु किकसानु र्भ� रSता ह� किक र्भगवनु क� ब�ट� सा� क्र्य म�लिक्त म?गनु�? जिजीसा

ब�ट� क� S�6� 6ग� और जी� SDनु बहता�-बहता� चा6 गर्य, उसासा� हम म�लिक्त म?ग�? इसासा� ता� जी� म�क्तत्म-परमत्म श्रृं�कP ष्णु किवघ्नु-बधाओं क� ब�चा र्भ� चा�नु कY ब सा� बजी रह� हL, जिजीनुक� दा�Sता� ह लिचान्ता गर्यब ह� जीता� ह� और प्रे�म प्रेकट ह�नु� 6गता ह�, सा�धा उन्ह� सा� म�लिक्त क्र्य3 नु 6� 6�? र्भगवनु क� ब�ट� सा� हमक� म�लिक्त नुह� चाकिहए। हम ता� र्भगवनु सा� ह� म�लिक्त 6�ग�। क� सा� उत्तम सामझा ह� !

ॐर्भरता क एक ब6क कन्व�ट स्कD 6 म� अपनु नुम Sरिरजी करवकर र्भरता�र्य पद्धकिता सा� पढ़नु�व6� र्श6

म� र्भता£ ह� गर्य। उसा 6ड़ाक� कY दृमिz बड़ा� प�नु� था�। उसानु� दा�S किक र्श6 क� प्रेधानुचार्य� क� ता� और धा�ता� पहनु कर पठर्श6 म� आता� हL। अताT वह र्भ� अपनु� पठर्श6 कY प�र्शक उतारकर धा�ता�-क� ता[ म� पठर्श6 जीनु� 6ग। उसा� इसा प्रेकर जीता� दा�Sकर किपता नु� पDछोT "ब�ट ! ताDनु� र्यह क्र्य किकर्य?"

ब6कT "किपताजी� ! र्यह हमर� र्भरता�र्य व�र्शर्भDषों ह�। दा�र्श ताब ताक र्शदा-आबदा नुह� रह साकता जीब ताक हम अपनु� सा स्कP किता क और अपनु� व�र्शर्भDषों क आदार नुह� करता�। किपता जी� ! मLनु� क�ई ग6ता� ता� नुह� कY?"

किपताजी�T "ब�ट ! ग6ता� ता� नुह� कY 6�किकनु ऐसा पहनु क� सा� लि6र्य?"ब6कT "किपताजी� ! हमर� प्रेधानुचार्य� र्यह� प�र्शक पहनुता� हL। टई, र्शट�, क�ट, प�न्ट आदिदा ता� ठण्ड� प्रेदा�र्श3

कY आवश्र्यकता ह�। हमर प्रेदा�र्श ता� गरम ह�। हमर� व�र्शर्भDषों ता� ढेc6�-ढे6� ह� ह�नु� चाकिहए। र्यह व�र्शर्भDषों स्वस्थ्र्यप्रेदा र्भ� ह� और हमर� सा स्कP किता कY पहचानु र्भ�।"

किपता नु� ब6क क� ग6� 6गर्य और कहT"ब�ट ! ताD बड़ा ह�नु हर ह�। किकसा� क� किवचार3 सा� ताD दाबनु नुह�। अपनु� किवचार3 क� ब�6 दा रSनु। ब�ट ! ता�र�

जीर्य-जीर्यकर ह�ग�।"पठर्श6 म� पहुँ?चानु� पर अन्र्य किवद्याथा£ उसा� दा�Sकर दा ग रह गर्य� किक र्यह क्र्य ! जीब उसा ब6क सा� पDछो गर्य

किक 'ताD पठर्श6 कY प�र्शक पहनुकर क्र्य3 नुह� आर्य?' ताब उसानु� कहT"पश्चत्र्य दा�र्श3 म� ठण्ड� रहता� ह�, अताT वह? र्शट�-प�न्ट आदिदा कY जीरूरता पड़ाता� ह�। ठण्ड� हव र्शर�र म�

र्घा�साकर सादाµ नु कर दा�, इसालि6ए वह? क� 6�ग टई ब?धाता� हL। हमर� दा�र्श म� ता� गम£ ह�। किफर हम उनुक� प�र्शक कY नुक6 क्र्य3 कर�? जीब हमर� पठर्श6 क� प्रेधानुचार्य� र्भरता�र्य प�र्शक पहनु साकता� हL ता� र्भरता�र्य किवद्याथा£ क्र्य3 नुह� पहनु साकता�?"

उसा ब6क नु� अन्र्य किवद्यार्थिथाgर्य3 क� र्भ� अपनु� सा स्कP किता क� प्रेकिता प्रे�त्साकिहता किकर्य। उसानु� दा�S किक कन्व�ट स्कD 6 म� पदार� 6�ग किहन्दू धाम� कY किनुन्दा करता� हL और मता-किपता कY अवह�6नु करनु लिसाSता� हL। हमर� र्शस्त्र कहता� हL- 'म�ताOदा��� भ�। विपताOदा��� भ�। आच�योMदा��� भ�।' ....और अम�रिरक म� कहता� हL किक 'म? र्य बप ड?ट दा� ता� प�लि6सा क� Sबर कर दा�।' जी� लिर्शक्ष मता-किपता क� र्भ� दा किडता करनु� कY सा�S दा�, ऐसा� लिर्शक्ष हम क्र्य3 पर्य�? हम ता� र्भरता�र्य पद्धकिता सा� लिर्शक्ष दा�नु�व6� पठर्श6 म� ह� पढ़�ग�।' ऐसा सा�चाकर उसा ब6क नु� कन्व�ट स्कD 6 सा� अपनु नुम कटवकर र्भरता�र्य लिर्शक्ष पद्धकिताव6� पठर्श6 म� दाजी� करवर्य था।

इतानु� छो�टc सा� उम्र म� र्भ� अपनु� रष्ट्र क, अपनु� धाम� क ताथा अपनु� सा स्कP किता क आदार करनु� व6� व� ब6क था� सा�र्भषोंचा द्र ब�सा।

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एक पदार� किकसा� कन्व�ट स्कD 6 म� किवद्यार्थिथाgर्य3 क� आग� किहन्दू धाम� कY किनुन्दा कर रह था और अपनु� ईसाइर्यता कY ड�ग ह?क रह था। इतानु� म� एक किहम्मतावनु 6ड़ाक उठ Sड़ा हुँआ और पदार� क� र्भ� ता`ब प�करनु� पड़ा�, ऐसा साव6 किकर्य। 6ड़ाक� नु� कहT "पदार� मह�दार्य ! क्र्य आपक ईसाई धाम� किहन्दू धाम� कY किनुन्दा करनु लिसाSता ह�?"

पदार� किनुरुत्तर ह� गर्य, किफर था�ड़ा� दा�र बदा कD टनु�किता सा� ब�6T"ता�म्हर धाम� र्भ� ता� किनुन्दा करता ह�।"उसा 6ड़ाक� नु� कहT "हमर� धाम�ग्रन्थ म� कह? किकसा� धाम� कY हिंनुgदा कY गर्य� ह�? ग�ता म� ता� आता ह�T न विहो

ज्ञा�न�न सदृश& पवि�त्रमिमहो वि�द्याता�। 'इसा सा सार म� ज्ञानु क� सामनु पकिवत्र करनु� व6 किनुTसा दा�ह क� छो र्भ� नुह� ह�।'(ग�ता�*4.38)

ग�ता क� एक-एक र्शब्दा म� मनुवमत्र क उत्थानु करनु� क सामर्थ्यर्य� छो� प हुँआ ह�। ऐसा ज्ञानु दा�नु�व6� ग�ता म� कह? किकसा� क� धाम� कY किनुन्दा कY गर्य� ह�? हमर� एक अन्र्य धाम� ग्र था – रचामिर्यता र्भगवनु व�दाव्यसाजी� क श्लो�क र्भ� सा�नु 6�T

धमM यो� बा�धता� न स धमM* क� �त्मM ताताF।अवि�र�ध�दाF यो� धमM* स धमM* सत्यो वि�क्रम।।

ह� किवक्रम ! जी� धाम� किकसा� दूसार� धाम� क किवर�धा करता ह�, वह धाम� नुह� क� मग� ह�। धाम� वह� ह� जिजीसाक किकसा� धाम� सा� किवर�धा नुह� ह�।

पदार� किनुरुत्तर ह� गर्य।वह� 10-11 सा6 क 6ड़ाक आग� चा6कर ग�ता, रमर्यणु, उपकिनुषोंदाw आदिदा ग्र था3 क अध्र्यर्यनु करक� एक

प्रेलिसाद्ध धा�र धार दार्श�किनुक बनु और र्भरता क� रष्ट्रपकिता पदा पर र्श�र्भर्यमनु हुँआ। उसाक नुम था ड¢. साव�पल्6� रधाकP ष्णुनुw।

क� सा� किहम्मता और क� सा साहसा था र्भरता क� उनु नुन्ह�-नुन्ह� बच्च3 म� ! उनुक� साहसा, स्वत्तिःर्भमनु और स्वधाम�-प्रे�किता नु� ह� आग� चा6कर उन्ह� र्भरता क प्रेलिसाद्ध नु�ता व दार्श�किनुक बनु दिदार्य।

जी� धाम� कY रक्ष करता� हL, धाम� उनुकY रक्ष अवश्र्य करता ह�। उठ�, जीग�, र्भरतावलिसार्य� ! किवधार्मिमgर्य3 कY क� चा63 और षोंडर्य त्र3 क� करणु किफर सा� परधा�नु ह�नु पड़ा� इसासा� पह6� ह� अपनु� सा स्कP किता क� ग`रव क� पहचानु�। अपनु� रष्ट्र कY अस्तिस्मता कY रक्ष क� लि6ए कमर कसाकर ता�र्यर ह� जीओ। अब र्भ� वक्त ह�..... किफर कह� पछोतानु नु पड़ा�। र्भगवनु और र्भगवत्प्रेप्ता सा ता3 कY कP प ता�म्हर� साथा ह� किफर र्भर्य किकसा बता क? दा�र किकसा बता कY? र्शबर्श, व�र ! र्शबर्श...!!

ॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम

छोत्रस�लो क/ ��रता�बता उसा सामर्य कY ह�, जीब दिदाल्6� क� सिंसाgहसानु पर और गजी�ब ब�ठ चा�क था।हिंवgध्र्यवलिसानु� दा�व� क� म दिदार म� म�6 6ग हुँआ था, जीह? उनुक� दार्श�नु ह�ता� 6�ग3 कY SDब र्भ�ड़ा जीम� था�।

पन्ननुर�र्श छोत्रसा6 उसा वक्त 13-14 सा6 क� किकर्श�र था�। छोत्रसा6 नु� सा�चा किक 'जी ग6 सा� फD 6 ता�ड़ाकर किफर मता क� दार्श�नु क� लि6ए जीऊँ? ।' उनुक� साथा हम उम्र क� दूसार� रजीपDता ब6क र्भ� था�। जीब व� जी ग6 म� फD 6 ता�ड़ा रह� था�, उसा� सामर्य छोT म�सा6मनु सा�किनुक र्घा�ड़ा� पर सावर ह�कर वह? आर्य� और उन्ह3नु� पDछोT "ऐ 6ड़ाक� ! हिंवgध्र्यवलिसानु� क म दिदार कह? ह�?"

छोत्रसा6T "र्भग्र्यर्श6� ह�, मता क दार्श�नु करनु� क� लि6ए जी रह� ह�। सा�धा�... सामनु� जी� टc6 दिदाS रह ह�, वह� म दिदार ह�।"

सा�किनुकT "हम मता क� दार्श�नु करनु� नुह� जी रह�, हम ता� म दिदार क� ता�ड़ानु� क� लि6ए जी रह� हL।"

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छोत्रसा6 नु� फD 63 कY डलि6र्य एक दूसार� ब6क क� पकड़ार्य� और गरजी उठT "म�र� जी�किवता रहता� हुँए ता�म 6�ग म�र� मता क म दिदार ता�ड़ा�ग�?"

सा�किनुकT "6ड़ाक� ताD क्र्य कर 6�ग? ता�र� छो�टc सा� उम्र, छो�टc-सा�-ता6वर.... ताD क्र्य कर साकता ह�?"छोत्रसा6 नु� एक गहर श्वासा लि6र्य और जी�सा� हलिथार्य3 क� झा� ड पर सिंसाgह टDट पड़ाता ह�, व�सा� ह� उनु र्घा�ड़ासावर3

पर वह टDट पड़ा। छोत्रसा6 नु� ऐसा� व�रता दिदाSई किक एक क� मर किगरर्य, दूसार ब�ह�र्श ह� गर्य.... 6�ग3 क� पता चा6� उसाक� पह6� ह� आधा दाजी�नु सा�किनुक3 क� मर र्भगर्य। धाम� कY रक्ष क� लि6ए अपनु� जीनु ताक कY परवह नुह� कY व�र छोत्रसा6 नु�।

र्भरता क� ऐसा� ह� व�र सापDता3 क� लि6ए किकसा� नु� कह ह�Tता�म अन्तिग्न क/ भ�ष` लोपटे, जलोता� हुँए अ&ग�र हो�।

ता�म च&चलो� क/ द्या�विता चपलो, ता�ख� प्राखर अत्तिःसध�र हो�।ता�म ख]लोता� जलोविनत्तिःध-लोहोर, गवितामयो प�न उनच�स हो�।

ता�म र�ष्ट्र क� इविताहो�स हो�, ता�म क्र�&विता क/ आख्यो�मियोक�।भZर� प्रालोयो क� ग�न हो�, ता�म इन्S क� दुदाMम्यो पवि�।

ता�म त्तिःचर अमर बात्तिःलोदा�न हो�, ता�म क�त्तिःलोक� क� क�प हो�।पश�पविता रूS क� भ्रू�लो�स हो�, ता�म र�ष्ट्र क� इविताहो�स हो�।

ऐसा� व�र धाम�रक्षक3 कY दिदाव्य गथा र्यह� र्यदा दिदा6ता� ह� किक दुz बनु� नुह� और दुz3 सा� डर� र्भ� नुह�। जी� आतातार्य� व्यलिक्त बहूँ-ब�दिटर्य3 कY इज्जता सा� S�6ता ह� र्य दा�र्श क� लि6ए Sतार प�दा करता ह�, ऐसा� बदामर्श3 क सामनु साहसा क� साथा करनु चाकिहए। अपनु� र्शलिक्त जीगनु� चाकिहए। र्यदिदा ता�म धाम� और दा�र्श कY रक्ष क� लि6ए कर्य� करता� ह� ता� ईश्वार र्भ� ता�म्हर� साहर्यता करता ह�।

'हरिर ॐ.. हरिर ॐ... किहम्मता... साहसा... ॐ...ॐ...ब6... र्शलिक्त... हरिर ॐ... ॐ... ॐ...' ऐसा उच्चरणु करक� र्भ� ता�म अपनु� सा�र्य� हुँई र्शलिक्त क� जीग साकता� ह�। अर्भ� सा� 6ग जीओ अपनु� सा�षों�प्ता र्शलिक्त क� जीगनु� क� कर्य� म� और प्रेर्भ� क� पनु� म�।

ॐअनु�क्रम

महो�र�`� प्राता�प क/ महो�नता�बता उनु दिदानु3 कY ह� जीब र्भमर्शह कY साहर्यता सा� रणु प्रेताप प�नुT सा�नु एकत्र करक� म�ग63 क� छोक्क�

छो� ड़ाता� हुँए डD गरप�र, ब?सावड़ा आदिदा स्थानु3 पर अपनु अमिधाकर जीमता� जी रह� था�।एक दिदानु रणु प्रेताप अस्वस्था था�, उन्ह� ता�जी ज्वर था और र्य�द्ध क नु�ताPत्व उनुक� सा�प�त्र क�? वर अमर सिंसाgह कर

रह� था�। उनुकY म�ठर्भ�ड़ा अब्दुर�ह�म SनुSनु कY सा�नु सा� हुँई। SनुSनु और उनुकY सा�नु जीनु बचाकर र्भग Sड़ा� हुँई। अमर सिंसाgह नु� बचा� हुँए सा�किनुक3 ताथा SनुSनु परिरवर कY मकिह6ओं क� वह� क� दा कर लि6र्य। जीब र्यह सामचार महरणु क� मिम6 ता� व� बहुँता क्र� द्ध हुँए और ब�6�T

"विकस� स्त्र� पर र�जप�ता हो�थे उठा�यो�, योहो म9 सहोन नहो1 कर सकता�। योहो होम�र� त्तिःलोए ड�बा मरन� क/ बा�ता होZ।"

व� ता�जी ज्वर म� ह� र्य�द्ध-र्भDमिम क� उसा स्थानु पर पहुँ?चा गर्य� जीह? SनुSनु परिरवर कY मकिह6ए? क� दा था�।रणु प्रेताप SनुSनु क� ब�गम सा� किवनु�ता स्वर म� ब�6�T"SनुSनु म�र� बड़ा� र्भई हL। उनुक� रिरश्ता� सा� आप म�र� र्भर्भ� हL। र्यद्याकिप र्यह मस्ताक आजी ताक किकसा� व्यलिक्त

क� सामनु� नुह� झा�क, पर ता� म�र� प�त्र अमर सिंसाgह नु� आप 6�ग3 क� जी� क� दा कर लि6र्य और उसाक� इसा व्यवहर सा� आपक� जी� कz हुँआ उसाक� लि6ए मL मफY चाहता हूँ? और आप 6�ग3 क� सासाम्मनु म�ग6 छोवनु� म� पहुँ?चानु� क वचानु दा�ता हूँ?।"

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उधार हतार्श-किनुरर्श SनुSनु जीब अकबर क� पसा पहुँ?चा ता� अकबर नु� व्य ग्र्यर्भर� वणु� सा� उसाक स्वगता किकर्यT

"जीनुनुSनु� कY र्य�द्ध-र्भDमिम म� छो�ड़ाकर ता�म 6�ग जीनु बचाकर र्यह? ताक क� र्श6ता सा� पहुँ?चा गर्य�?"SनुSनु मस्ताक नु�चा करक� ब�6�T "जीह?पनुह ! आप चाह� जिजीतानु र्शर्मिमgन्दा कर 6�, पर ता� रणु प्रेताप क�

रहता� वह? मकिह6ओं क� क�ई Sतार नुह� ह�।" ताब ताक SनुSनु परिरवर कY मकिह6ए? क� र्श6तापDव�क वह? पहुँ?चा गर्य�।

र्यह दृश्र्य दा�S अकबर ग र्भ�र स्वर म� SनुSनु सा� कहनु� 6गT"र�`� प्राता�प न� ता�म्हो�र� परिर��र क/ बा�गमo क� योo ससम्म�न पहुँ<च�कर ता�म्हो�र� हो� नहो1, प�र� म�गलो

ख�नदा�न क/ इज्जता क� सम्म�न दिदायो� होZ। र�`� प्राता�प क/ महो�नता� क� आग� म�र� मस्ताक झु�क� ज� रहो� होZ। र�`� प्राता�प जZस� उदा�र यो�L� क� क�ई ग�लो�म नहो1 बान� सकता�।"

ॐअनु�क्रम

स�होत्तिःसक लोड़क�एक 6ड़ाक कर्श� म� हरिरश्चन्द्र हई स्कD 6 म� पढ़ता था। उसाक ग?व कर्श� सा� 8 म�6 दूर था। वह र�जीनु

वह? सा� प�दा6 चा6कर आता, ब�चा म� जी� ग ग नुदाc बहता� ह� उसा� पर करता और किफर किवद्या6र्य पहुँ?चाता।उसा जीमनु� म� ग ग पर करनु� क� लि6ए नुवव6� क� दा� प�सा� दा�नु� पड़ाता� था�। दा� प�सा� आनु� क� और दा� प�सा� जीनु�

क� , क� 6 चार प�सा� र्यनु� प�रनु एक आनु। मह�नु� म� कर�ब दा� रुपर्य� हुँए। जीब सा�नु� क� एक ता�6� क र्भव सा` रुपर्य3 सा� र्भ� कम था ताब क� दा� रुपर्य�। आजी क� ता� प?चा-पच्च�सा रुपर्य� ह� जीर्य�।

उसा 6ड़ाक� नु� अपनु� म?-बप पर अकितारिरक्त ब�झा नु पड़ा� इसालि6ए एक र्भ� प�सा� कY म?ग नुह� कY। उसानु� ता�रनु सा�S लि6र्य। गम£ ह�, बरिरर्श ह� किक ठण्ड� ह� ग ग पर करक� हई स्कD 6 म� जीनु उसाक क्रम ह� गर्य। ऐसा करता�-करता� किकतानु� ह� मह�नु� ग�जीर गर्य�।

एक बर प`षों मसा कY ठण्ड� म� वह 6ड़ाक सा�बह कY स्कD 6 र्भरनु� क� लि6ए ग ग म� कD दा। ता�रता�-ता�रता� मझाधार म� आर्य। एक नुव म� क� छो र्यत्र� नुदाc पर कर रह� था�। उन्ह3नु� दा�S किक छो�ट सा 6ड़ाक अर्भ� डDब मर�ग। व� नुव क� उसाक� पसा 6� गर्य� और हथा पकड़ाकर उसा� नुव म� S�चा लि6र्य। 6ड़ाक� क� म�S पर र्घाबरहट र्य लिचान्ता क क�ई लिचान्ह नुह� था। साब 6�ग दा ग रह गर्य� किक इतानु छो�ट ह� और इतानु साहसा� ! व� ब�6�T

"ताD अर्भ� डDब मरता ता�? ऐसा साहसा नुह� करनु चाकिहए।"ताब 6ड़ाक ब�6T "साहसा ता� ह�नु ह� चाकिहए ह�। अगर अर्भ� सा� साहसा नुह� जी�टर्य ता� जी�वनु म� बड़ा�-बड़ा�

कर्य� क� सा� कर पर्य�ग�?"6�ग3 नु� पDछोT "इसा सामर्य ता�रनु� क्र्य3 आर्य�? दा�पहर क� नुहनु� आता�?"6ड़ाक ब�6ता ह�T "मL नुदाc म� नुहनु� क� लि6ए नुह� आर्य हूँ?, मL ता� स्कD 6 जी रह हूँ?।""किफर नुव म� ब�ठकर जीता�?""र�जी क� चार प�सा� आनु�-जीनु� क� 6गता� हL। म�र� गर�ब म?-बप पर म�झा� ब�झा नुह� बनुनु ह�। म�झा� ता� अपनु� प�र3

पर Sड़ा� ह�नु ह�। म�र Sचा� बढ़�ग ता� म�र� म?-बप कY लिचान्ता बढ़�ग�, उन्ह� र्घार चा6नु म�स्तिश्क6 ह� जीर्य�ग।"6�ग उसा 6ड़ाक� क� आदार सा� दा�Sता� ह� रह गर्य�। वह� साहसा� 6ड़ाक आग� चा6कर र्भरता क प्रेधानुम त्र�

बनु। वह 6ड़ाक था 66 बहदुर र्शस्त्र�। र्शस्त्र� जी� उसा पदा पर र्भ� साच्चई, साहसा, सार6ता, ईमनुदार�, सादाग�, दा�र्शप्रे�म आदिदा सादाग�णु और सादाचार क� मDर्तिताgमन्ता स्वरूप था�। ऐसा� महमनुव र्भ6� किफर था�ड़ा� सामर्य ह� रज्र्य कर� पर एक अनु�S प्रेर्भव छो�ड़ा जीता� हL जीनुमनुसा पर।

ॐअनु�क्रम

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चन्Sश�खर आज�दा क/ दृढ़ंविनष्ठ�महनु दा�र्शर्भक्त, क्र किताकर�, व�र चान्द्रर्श�Sर आजीदा बड़ा� ह� दृढ़प्रेकिताज्ञा था�। उनुक� ग6� म� र्यज्ञा�पव�ता, जी�ब म�

ग�ता और साथा म� किपस्ता`6 रह करता� था�। व� ईश्वारपरर्यणु, बहदुर, सा र्यम� और सादाचार� था�।एक बर व� अपनु� एक मिमत्र क� र्घार ठहर� हुँए था�। उनुकY नुवर्य�वता� कन्र्य नु� उन्ह� कमजी6 म� फ? सानु चाह,

आजीदा नु� ड?टकर कहT 'इसा बर ता�म्ह� क्षम करता हूँ?, र्भकिवष्र्य म� ऐसा हुँआ ता� ग�6� सा� उड़ा दू?ग।' र्यह बता उन्ह3नु� उसाक� किपता क� र्भ� बता दाc और उनुक� र्यह? ठहरनु ताक ब दा कर दिदार्य।

जिजीनु दिदानु3 आजीदा र्भDमिमगता ह�कर मताPर्भDमिम कY स्वधा�नुता क� लि6ए किब्रदिटर्श हुँकD मता सा� सा र्घाषों� कर रह� था�, उनु दिदानु3 उनुकY म? जीगरनु� दा�व� अत्र्यन्ता किवपन्नवस्था म� रह रह� था�। तानु ढे?कनु� क� एक म�टc धा�ता� ताथा प�ट र्भरनु� क� दा� र�टc व नुमक र्भ� उन्ह� उप6ब्ध नुह� ह� प रह था। अड़ा�सा-पड़ा�सा क� 6�ग र्भ� उनुकY मदादा नुह� करता� था�। उन्ह� र्भर्य था किक अ ग्र�जी प�लि6सा आजीदा क� साहर्यता दा�नु� क� सा दा�ह म� उनुकY ताड़ानु कर�ग�।

म? कY इसा कzपDणु� स्थिस्थाकिता क सामचार जीब क्र किताकरिरर्य3 क� मिम6 ता� व� प�ड़ा सा� किता6मिम6 उठ� । एक क्र किताकर� नु�, जिजीसाक� पसा सा ग्रकिहता धानु रS ह�ता था, क� छो रुपर्य� चान्द्रर्श�Sर कY म? क� र्भ�जी दिदार्य�। रुपर्य� र्भ�जीनु� क सामचार जीब आजीदा क� मिम6 ता� व� क्र�मिधाता ह� गर्य� और उसा क्र किताकर� कY ओर किपस्ता`6 तानुकर ब�6�T 'गद्देर ! र्यह ताDनु� क्र्य किकर्य? र्यह प�सा म�र नुह� ह�, रष्ट्र क ह�। सा ग्रकिहता धानु क इसा प्रेकर अपव्यर्य कर ताDनु� हमर� दा�र्शर्भलिक्त क� 6 लिछोता किकर्य ह�। चान्द्रर्श�Sर इसाम� सा� एक प�सा र्भ� व्यलिक्तगता कर्यm म� नुह� 6ग साकता।' आजीदा कY र्यह अ6`किकक प्रेमत्तिःणुकता दा�Sकर वह क्र किताकर� दा ग रह गर्य। अपरधा� कY र्भ?किता वह नुतामस्ताक ह�कर Sड़ा रह। क्षणुर्भर बदा आजीदा किपस्ता`6 बग6 म� ड6ता� हुँए ब�6�T

'आजी ता� छो�ड़ा दिदार्य, पर ता� र्भकिवष्र्य म� ऐसा� र्भD6 कY प�नुरवPत्तिःत्त नुह� ह�नु� चाकिहए।'दा�र्श क� लि6ए अपनु साव�स्व न्र्य�छोवर करनु� व6� चान्द्रर्श�Sर आजीदा जी�सा� सा र्यम�, सादाचार� दा�र्शर्भक्त3 क�

पकिवत्र बलि6दानु सा� ह� र्भरता अ ग्र�जी� र्शसानु कY दासाता सा� म�क्त ह� पर्य ह�।ॐ

अनु�क्रम

होज�रo पर ता�न स] क/ वि�जयो !स्पट� एक छो�ट सा टपD ह�। वह? र्शत्र� क� हजीर3 सा�किनुक3 नु� एकएक हम6 कर दिदार्य। स्पट� क� 300

सा�किनुक अपनु� टपD कY रक्ष म� 6ग� और हजीर3 र्शत्र�ओं क� मर र्भगर्य ! स्पट� कY किवजीर्य हुँई।अन्व�षोंणुकता�ओं नु� स्पट� सा� सा�किनुक3 सा� पDछोT"आप 6�ग3 क� पसा क्र्य क�ई जीदू ह�? हजीर3 सा�किनुक3 नु� आकर आपक� टपD पर एकएक हम6 किकर्य

और क� व6 300 सा�किनुक3 नु� हजीर3 क� मर र्भगर्य और अपनु� दा�र्श कY रक्ष कY ! इसाक क्र्य करणु ह�?"सा�किनुक3 नु� कहT "हमर� दा�र्श स्पट� म� पह6� बहुँता किवषोंर्य-किव6सा और सा�क्सा चा6ता था और उसासा� हमर�

सा�नु और नुगरजीनु किनुस्ता�जी ह� गर्य� था�। किफर एक महप�रुषों नु� बतार्य किक 'सा र्यम-सादाचार सा� जी�कर दा�-ता�नु बच्च3 क� जीन्म दा�नु – र्यह ता� ठ�क ह� 6�किकनु अपनु� र्शलिक्त क� हर 8-15 दिदानु म� नुz करनु, अपनु किवनुर्श करनु ह�। प�र पर क� ल्हड़ा� मरनु� सा� इतानु र्घाट नुह� ह�ता क्र्य3किक उसासा� ता� क� व6 प�र क� नु�क्सानु ह�ता ह� 6�किकनु किवकर सा� र्शलिक्त नुz ह�ता� ह� ता� सार र्शर�र कमजी�र ह� जीता ह�।' इसा प्रेकर कY सा�S दा�कर उनु महप�रुषों नु� स्पट� क� सा�किनुक3 ताथा नुगरिरक3 क� सा र्यम और ब्रह्मचार्य� क पठ पढ़र्य किक 'हम 6�ग र्भ6� म�ट्ठीcर्भर हL 6�किकनु बड़ा�-सा�-बड़ा रष्ट्र र्भ� अगर हमक� ब�र� नुजीर सा� दा�Sता ह� र्य हड़ापनु� कY क�लिर्शर्श करता ह� ता� हम उसाकY नुक म� दाम 6 दा�नु� कY ताकता रSता� हL।"

जिजीनुक� जी�वनु म� सार्य म ह�, सादाचार ह�, जी� र्य`वनु सा�रक्ष क� किनुर्यम3 क� जीनुता� हL और उनुक प6नु करता� हL, जी� अपनु� जी�वनु क� मजीबDता बनुनु� कY क6 जीनुता� हL और उनुक प6नु करता� हL, जी� अपनु� जी�वनु क� मजीबDता

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बनुनु� कY क6 जीनुता� हL व� र्भग्र्यर्श6� साधाक, चाह� किकसा� दा�व�-दा�वता र्य ग�रु कY सा�व-उपसानु कर�, साफ6 ह� जीता� हL। जिजीसाक� जी�वनु म� सा र्यम ह� ऐसा र्य�वक बड़ा�-बड़ा� कर्यm क� र्भ� ह?साता�-ह?साता� पDणु� कर साकता ह�।

ह� किवद्याथा£ ! ताD अपनु� क� अक� 6 मता सामझानु... ता�र� दिदा6 म� दिदा6बर र दिदा6बर क ज्ञानु दा�नु3 हL.... ईश्वार कY असा�म र्शलिक्त ता�र� साथा जी�ड़ा� ह�। परमत्म-चा�तानु और ग�रुता व-चा�तानु, इनु दा�नु3 क साहर्य�ग 6�ता हुँआ ताD किवकर3 क� क� चा6 ड6, नुकरत्मक लिचान्तानु क� हट दा�, सा�व और स्नु�ह सा�, र्श�द्ध प्रे�म और पकिवत्रता सा� आग� बढ़ता जी.....

जी� महनु बनुनु चाहता� हL व� पकिवत्र किवद्याथा£ कर्भ� फरिरर्यदात्मक लिचान्तानु नुह� करता�, दुश्चरिरत्रवनु व्यलिक्तर्य3 क अनु�करणु नुह� करता�... जी� महनु आत्मए?, सा र्यम� हL ऐसा� म�ट्ठीcर्भर दृढ़ सा कल्पव6� सा र्यम� प�रुषों3 क ह� ता� इकिताहसा लि6S जीता ह�। इकिताहसा क्र्य ह�? जिजीनुक� जी�वनु म� दृढ़ मनु�ब6 ताथा दृढ़ चारिरत्रब6 ह�, उनु महर्भग्र्यर्श6� व्यलिक्तर्य3 क चारिरत्र ह� ता� इकिताहसा ह� !

ह� किवद्याथा£ ! ताD दृढ़ सा कल्प कर किक 'एक साप्ताह क� लि6ए इधार-उधार व्यथा� सामर्य नुह� गवऊँ? ग।' अगर र्य�वता� ह� ता� र्य�वनु कY तारफ किबनुजीरूर� किनुगह नुह� उठऊँ? ग�। और र्य�वक ह� ता� किकसा� र्य�वता� कY तारफ किबनुजीरूर� किनुगह नुह� उठऊँ? ग। अगर किनुगह उठनु� ह� पड़ा�, बता करनु� ह� पड़ा� ता� सा र्यम क�, पकिवत्रता क� और र्भगवनु क� आग� रSकर किफर ह� बता करू? ग।

ह� किवद्याथा£ ! ताD अपनु� ओजी क� अर्भ� सा� सा�रत्तिःक्षता कर, अर्भ� सा� सा र्यम-सादाचार क प6नु कर ताकिक जी�वनु क� हर क्ष�त्र म� ताD साफ6 साक� । चाह� हजीर किवघ्नु-बधाए? आ जीर्य�, किफर र्भ� जी� सा र्यम-सादाचार और ध्र्यनु क रस्ता नुह� छो�ड़ाता, वह सा सार म� बजी� मर 6�ता ह�।

ॐअनु�क्रम

मन क� स्��म� र�ज� भताOMहोरिरर्यह र्घाटनु ताब कY ह� जीब रजी र्भताP�हरिर साम्पूDणु� रजी-पट क त्र्यग करक� ग�रSनुथा जी� क� श्रृं�चारणु3 म� जी

पहुँ?चा� था� और उनुसा� दाcक्ष 6�कर, उनुकY आज्ञानु�सार क`प�नु पहनुकर किवचारणु करनु� 6ग� था�।एक बर र्भताP�हरिर किकसा� ग?व सा� ग�जीर रह� था�। वह? उन्ह3नु� दा�S किक किकसा� ह6वई कY दुकनु पर गरमगरम

जी6�ब� बनु रह� ह�। र्भDतापDव� साम्रट क� मनु म� आर्य किक 'आह ! र्यह गरमगरम जी6�ब� किकतानु� अच्छc 6गता� ह� !' व� दुकनु पर जीकर Sड़ा� ह� गर्य� और ब�6�T "था�ड़ा� जी6�ब� दा� दा�।"

रजी-पट क त्र्यग कर दिदार्य, मर्य और कमिमनु� क� र्भ� छो�ड़ा दिदार्य किफर र्भ� जीब ताक साक्षत्कर नुह� हुँआ, ताब ताक मनु कब धा�S दा� दा� क�ई पता नुह�।

दुकनुदार नु� ड?टता� हुँए कहT "अर� ! म�फ्ता क Sनु� क� साधा� बनु ह�? सा�बह-सा�बह क सामर्य ह�, अर्भ� क�ई ग्रहक र्भ� नुह� आर्य ह� और मL ता�झा� म�फ्ता म� जी6�ब� दा� दू? ता� सार दिदानु ऐसा� ह� म�फ्ता म� Sनु� व6� आता� रह�ग�। जीर कम-धा धा कर� और क� छो टक� कम 6�, किफर आनु। ग?व क� बहर ता6ब S�दा रह ह�, वह? कम कर� ता� दा� टक� मिम6 जीर्य�ग�, किफर मजी� सा� जी6�ब� Sनु।"

र्भताP�हरिर मजीदूर� करनु� ता6ब पर चा6� गर्य�। दिदानु र्भर ता6ब कY मिमट्टीc S�दाc, ट�कर� र्भर-र्भरकर फ� कY ता� र्शम क� दा� टक� मिम6 गर्य�। र्भताP�हरिर दा� टक� कY जी6�ब� 6� आर्य�। किफर मनु सा� कहनु� 6ग�T 'दा�S, दिदानुर्भर म�हनुता कY ह�, अब S 6�नु र्भरप�ट जी6�ब�।'

रस्ता� म� सा� उन्ह3नु� त्तिःर्भक्षपत्र म� ग�बर र्भर लि6र्य और ता6ब क� किकनुर� ब�ठ� । किफर मनु सा� कहनु� 6ग�T '6� ! दिदानुर्भर कY म�हनुता क फ6 S 6�।' एक हथा सा� ह�ठ3 ताक जी6�ब� 6र्य� व दूसार� हथा सा� म�?ह म� ग�बर ठD?सा दिदार्य और वह जी6�ब� पनु� म� फ� क दाc। किफर दूसार� 6�T '6�, 6�, S....' कहकर जी6�ब� ता6ब म� फ� क दाc और म�?ह म� ग�बर र्भर दिदार्य। र्भताP�हरिर मनु क� ड?टनु� 6ग�।

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'रजी-पट छो�ड़ा, साग�-साम्बन्ध� छो�ड़ा�, किफर र्भ� अर्भ� ताक स्वदा नुह� छोD ट? मछो6� कY तारह जिजीह्वा क� किवकर म� फ? सा ह� ता� 6�, S 6�।' ऐसा कहकर किफर सा� म�?ह म� ग�बर ठD?सा दिदार्य। म�?ह सा� थाD-थाD ह�नु� 6ग ताब र्भ� व� ब�6�T 'नुह�, नुह�, अर्भ� और S 6�। र्यह र्भ� ता� जी6�ब� ह�। गर्य नु� र्भ� जीब चार Sर्य था ता� उसाक� लि6ए वह जी6�ब� ह� था। गर्य क Sर्य हुँआ चार ता� अब ग�बर बनु ह�।'

ऐसा करता�-करता� उन्ह3नु� सार� जी6�किबर्य? ता6ब म� फ� क दा¬। अब हथा म� आखिSर� जी6�ब� बचा� था�। मनु नु� कहT 'दा�S�, ता�मनु� म�झा� इतानु सातार्य ह�, दिदानुर्भर म�हनुता करक� इतानु थाकर्य ह� किक चा6नु र्भ� म�स्तिश्क6 ह� रह ह�। अब क� ल्6 करक� क� व6 एक जी6�ब� ता� Sनु� दा�।'

र्भताP�हरिर नु� मनु सा� कहT 'अच्छ, अर्भ� र्भ� ताD म�र स्वम� ह� बनु रहनु चाहता ह� ता� 6�...' और झाट सा� वह आखिSर� जी6�ब� र्भ� ता6ब म� ड6 दाc और कहT 'अब और जी6�ब� क6 6 दू?ग और ऐसा� ह� खिS6ऊँ? ग।'

अब र्भताP�हरिर क� मनु नु� ता� मनु3, उनुक� आग� हथा जी�ड़ा दिदार्य� किक 'अब जी6�ब� नुह� म?गDग, कर्भ� नुह� म?गDग। अब मL वह� करु? ग, जी� आप कह�ग�।'

अब मनु ह� गर्य नु`कर और S�दा ह� गर्य� स्वम�। मनु क� कहनु� म� आकर S�दा स्वम� ह�ता� हुँए र्भ� नु`कर जी�सा� बनु गर्य� था� ताथा मनु बनु गर्य था स्वम�।

इसा तारह सा र्यम सा�, र्शलिक्त सा� अथाव मनु क� सामझा-ब�झाकर र्भ� आप अपनु� रक्ष करनु� क� तात्पर ह3ग� तार्भ� रक्ष ह� साक� ग� अन्र्यथा ताLता�सा कर�ड़ा दा�वता र्भ� आ जीर्य� पर ता� जीब ताक आप स्वर्य किवकर3 सा� बचाकर ऊँ? चा� उठनु नुह� चाह�ग� ताब ताक आपक कल्र्यणु सा र्भव ह� नुह� ह�।

मनु म� किवकर आर्य� ता� किवकर3 क� साहर्य�ग दा�कर अपनु सात्र्यनुर्श मता कर�। दृढ़ता नुह� रS�ग� और मनु क� जीर-सा� र्भ� छोD ट दा� दा�ग� किक 'जीर चाSनु� म� क्र्य जीता ह�.... जीर दा�Sनु� म� क्र्य जीता ह�.... जीर ऐसा कर लि6र्य ता� क्र्य? ....जीर-सा� सा�व 6� 6� ता� उसाम� क्र्य?...' ता� ऐसा� जीर-जीर करता�-करता� मनु कब पDर र्घासा�टकर 6� जीता ह�, पता र्भ� नुह� चा6ता। अताT सावधानु ! मनु क� जीर र्भ� छोD ट मता दा�।

ॐअनु�क्रम

म�र� क/ अविडगता�म�र क� जी�वनु म� कई किवपत्तिःत्तर्य? आर्य� 6�किकनु म�र क� लिचात्त म� अर्श किता नुह� हुँई। म�र क� कYता�नु-र्भजीनु म�

र्भलिक्त रसा सा� 6�ग इतानु� सारब�र ह� जीता� किक बता दिदाल्6� म� अकबर क� कनु3 ताक जी पहुँ?चा�। अकबर नु� तानुसा�नु क� ब�6र्य और कहT

"तानुसा�नु ! मLनु� सा�नु ह� किक म�र कY महकिफ6 म� जीनु� सा 6�ग सा सार� दुTS र्भD6 जीता� हL।"तानुसा�नुT "ह?।"अकबरT "मLनु� सा�नु ह� किक म�र क� पदा सा�नुता�-सा�नुता� वह रसा प्रेकट ह�नु� 6गता ह� जिजीसाक� आग� सा सार क रसा

फYक ह� जीता ह� ! क्र्य ऐसा ह� साकता ह�?"तानुसा�नुT "ह?, जीह?पनुह ! ह� साकता ह�।"अकबरT "म�नु� र्यह र्भ� सा�नु ह� किक म�र क� कYता�नु-र्भजीनु म� 6�ग अपनु� मनु-बड़ाई, छो�टपनु-बड़ाप्पनु वग�रह

र्भD6कर रसामर्य ह� जीता� हL। क्र्य ऐसा र्भ� ह� साकता ह�?"तानुसा�नुT "ह?, जीह?पनुह ! ह� साकता ह�।"अकबरT "मLनु� र्यह र्भ� सा�नु ह� किक म�र क� कYता�नु-र्भजीनु म� 6�ग अपनु� मनु-बड़ाई, छो�टपनु-बड़ाप्पनु वग�रह

र्भD6कर रसामर्य ह� जीता� हL ! क्र्य ऐसा र्भ� ह� साकता ह�?"तानुसा�नुT "ह?, जीह?पनुह ! ह� साकता नुह�, ह�ता ह�।"अकबरT "ता� म�झा� 6� चा6� म�र क� पसा।"

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तानुसा�नुT "अगर आप रजीमिधारजी महरजी ह�कर चा6�ग� ता� म�र कY करुणु-कP प क 6र्भ आपक� नुह� मिम6 साक� ग। हम� र्भक्त क व�र्श बनुकर जीनु चाकिहए।"

अकबर और तानुसा�नु नु� र्भक्त क व�र्श बनुर्य और म�र क� कYता�नु-र्भजीनु म� आकर ब�ठ� ।एक व�ज्ञाकिनुक तार्थ्यर्य ह�Tआप एक कमर� म� दासा ता बDर� म?गव 6�। नु` ता बDर3 क� नु` व्यलिक्त बजीर्य� एव दासाव� ता बDर� क� र्यD? ह� दाcवर क�

साहर� रS दा�। अगर नु` ता बDर� झा कर करता� हL ता� दासाव? ता बDर किबनु बजीनु� व6� क� र्भ� झा कP ता ह�नु� 6गता ह�। उसाक� तार3 म� स्प दानु ह�नु� 6गता� हL।

जीब जीड़ा ता बDर स्प दानु झा�6 6�ता ह� ता� जीह? र्भगवनु क� साLकड़ा3 ता बDर� आनु दा 6� रह� ह3 वह? र्य� दा� ता बDर� र्भ� चा�प क� सा� ब�ठ साकता� था�? तानुसा�नु र्भ� झाDम और अकबर र्भ�।

जीब सात्सा ग-कYता�नु पDर हुँआ ताब एक-एक करक� 6�ग वह? रS� हुँई ठक� रजी� कY मDर्तिताg ताथा म�र क� प्रेणुम करनु� 6ग�। तानुसा�नु नु� र्भ� मत्था ट�क। अकबर नु� सा�चाT 'क�ई दूधा क प्र्य6 र्भ� किप6 दा�ता ह� ता� बदा6� म� उसा� आम त्रणु दा�ता� हL किक 'र्भई ! ताD हमर� र्यह? आनु।' इसा म�र नु� ता� रब कY र्भलिक्त क प्र्य6 किप6र्य ह�, अब इसा� क्र्य दा�?' अकबर नु� अपनु� ग6� सा� म�कितार्य3 कY म6 किनुक6कर म�र क� चारणु3 म� रS दाc।

म�र क� सात्सा ग-कYता�नु म� क� व6 सात्सा ग� ह� आता� था�, ऐसा� बता नुह� था�। किवक्रम रणु क� S�किफर्य किवर्भग क� ग�प्ताचार र्भ� वह? आता� था�। उनुकY नुजीर उसा म6 पर पड़ा�T 'म�कितार्य3 कY म6! र्यह साधारणु ता� नुह� 6गता�...' उन्ह3नु� म�कितार्य3 कY म6 6नु� व6� क प�छो किकर्य और किवक्रम रणु क� जीकर र्भड़ाकर्यT

"आपकY र्भर्भ� क� ग6� म� जी� हर पड़ा ह� वह किकसा� साधारणु व्यलिक्त क हर नुह� ह�। अकबर आपकY र्भर्भ� क� हर दा� गर्य ह�। हमक� 6गता ह� किक अकबर और म�र क आपसा म� ग6ता रिरश्ता ह�।"

S�किफर्यव63 क� पता था किक किवक्रम रणु म�र क किवर�धा� ह�। अताT उन्ह3नु� र्भ� क� छो मसा6 ड6कर बता सा�नु दाc। किवक्रम रणु म�र क� बदानुम करक� म`ता क� र्घाट उतारनु� कY साजिजीर्श3 म� 6ग रहता था। उसानु� स्कD 6 क� लिर्शक्षक3 क� आदा�र्श दिदार्य था किक बच्च3 सा� कह�- 'म�र ऐसा� ह�.... व�सा� ह�....' म�र क� लि6ए र्घार-र्घार म� नुफरता और अपनु� र्घार म� र्भ� म�सा�बता.... किफर र्भ� म�र कY र्भलिक्त इतानु� अकिडग था� किक इतानु� किवर�धा3 क� बवजीDदा र्भ� र्भगवनु क� आनु दा-मधा�र्य� म� म�र स्वर्य ता� डDब� ह� रहता� था�, और3 क� ड�ब�नु� क सामर्थ्यर्य� र्भ� उसाक� पसा था।

किवक्रम रणु क� जीब र्यह पता चा6 किक अकबर आर्य था, ताब वह प�र पटकता-पटकता म�र क� कक्ष क� पसा आर्य और दारवजी SटSटता� हुँए ब�6T

"र्भर्भ�ऽऽऽ....! दारवजी S�6। ताD म�वड़ा पर क6 क ह�। अब मL ता�र� एक नु सा�नुD?ग। म�वड़ा म� अब ता�र एक र्घा ट� क� लि6ए रहनु र्भ� म�झा� स्व�कर नुह� ह�।"

किवक्रम हथा3 म� नु ग� ता6वर लि6ए हुँए बड़ाबड़ार्य� जी रह था। म�र नु� दारवजी S�6। म�र क� चा�हर� पर र्भर्य कY र�S ताक नु था�। र्यह� ह� र्भलिक्त क प्रेर्भव ! मPत्र्य� सामनु� ह� किफर र्भ� लिचात्त म� उकिद्वाग्नुता नुह�।

किवक्रमT "अपनु लिसार नु�चा� झा�क दा�। मL ता�र� एक बता नुह� सा�नुनु चाहता। आजी ता�र� लिसार रूप� नुरिरर्य6 कY बलि6 म�वड़ा कY र्भDमिम क� दू?ग ताकिक म�वड़ा क� पप मिमट जीर्य�।"

र्भक्त3 क� जी�वनु म� क� सा�-क� सा� किवपत्तिःत्तर्य? आता� हL !म�र नु� लिसार झा�क दिदार्य। किवक्रम रणु प�नुT ब�6T"आजी ताक ता� सा�नु था किक ताD म�ण्ड3 (साधा�ओं क� लि6ए प्रेर्य�क्त ह6क र्शब्दा) क� चाक्कर म� ह� 6�किकनु आजी

पता चा6 ह� किक अकबर जी�सा3 क� साथा र्भ� ता�र� सा?ठ-ग?ठ ह�। अब ताD इसा धारता� पर नुह� जी� साकता�।"किवक्रम नु� दा�नु3 हथा3 सा� ता6वर उठर्य� और ज्र्य3 ह� प्रेहर करनु� क� लि6ए उद्याता हुँआ, त्र्य3 ह� हथा रुक गर्य�

और उठ� हुँए हथा नु�चा� आनु� कY चा�तानु ह� S� ब�ठ� । एक-दा� मिमनुट ता� किवक्रम रणु नु� अपनु� बहदुर कY ड�ग ह?कY 6�किकनु म�र कY र्भलिक्त क� आग� उसाकY र्शलिक्त क्ष�णु ह� गर्य�। रणु र्घाबरर्य और ब�6 पड़ाT "र्भर्भ�ऽऽऽ....! र्यह क्र्य ह� गर्य?"

म�र नु� लिसार ऊँ? चा किकर्य और पDछोT "क्र्य बता ह�?"

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किवक्रमT "र्भर्भ� ! र्यह ता�मनु� क्र्य कर दिदार्य?"म�रT "मLनु� ता� क� छो नुह� किकर्य।"किफर म�र नु� प्रेर्भ� सा� प्रेथा�नु कYT "ह� कP ष्णु ! इन्ह� मफ कर दा�।"किवक्रम रणु क� हथा3 म� चा�तानु आर्य�, ता6वर क�नु� म� किगर� और उसाक लिसार म�र क� चारणु3 म� झा�क गर्य।परमत्म-पथा क� पलिथाक कर्भ� र्भ�, किकसा� र्भ� किवघ्नु-बधा सा� नुह� र्घाबरता�। सामनु� मPत्र्य� ह� क्र्य3 नु Sड़ा� ह�,

उनुक लिचात्त किवचालि6ता नुह� ह�ता। ठ�क ह� कह ह�T

बा�ध�ए< कबा बा�<ध सक/ हो9, आग� बाढ़ंन���लोo क�?वि�पदा�ए< कबा र�क सक/ हो9 पथे पर चलोन���लोo क�?

ॐअनु�क्रम

र�ज�न्Sबा�बा� क/ दृढ़ंता�रजी�न्द्र बबD बचापनु म� जिजीसा किवद्या6र्य म� पढ़ता� था�, वह? कड़ा अनु�र्शसानु था। एक बर रजी�न्द्रबबD म6�रिरर्य

क� र�ग सा� प�किड़ाता ह�नु� सा� पर�क्ष बड़ा� म�स्तिश्क6 सा� दा� पर्य� था�। एक दिदानु प्रेचार्य� उनुक� वग� म� आकर कहनु� 6ग�T "प्र्यर� बच्च� ! मL जिजीनुक� नुम ब�6 रह हूँ? व� साब किवद्याथा£ पर�क्ष म� उत्त�णु� हुँए हL।"

प्रेचार्य� नु� नुम ब�6नु र्श�रु कर दिदार्य। पDर� साDलिचा Sत्म ह� गर्य� किफर र्भ� रजी�न्द्रबबD क नुम नुह� आर्य। ताब रजी�न्द्रबबD नु� उठकर कहT "साहब ! म�र नुम नुह� आर्य।"

प्रेचार्य� नु� ग�स्सा� ह�कर कहT "ता�मनु� अनु�र्शसानु क र्भ ग किकर्य ह�। जी� किवद्याथा£ उत्त�णु� हुँए हL उनुक ह� नुम साDलिचा म� ह�, सामझा�? ब�ठ जीओ।"

"6�किकनु मL पसा हूँ?।""5 रूपर्य� दा ड।""आप र्भ6� दा ड दाcजिजीए, पर ता� मL पसा हूँ?।""10 रूपर्य� दा ड।""आचार्य�दा�व ! र्भ6� मL ब�मर था, म�झा� म6�रिरर्य हुँआ था 6�किकनु मLनु� पर�क्ष दाc ह� और मL उत्त�णु� हुँआ हूँ?।""15 रूपर्य� दा ड।""मL पसा हूँ?.... साचा ब�6ता हूँ?।""20 रूपर्य� दा ड।""मLनु� प�पर ठ�क सा� लि6S था।"प्रेचार्य� क्र�मिधाता ह� गर्य� किक मL दा ड बढ़ता जी रह हूँ? किफर र्भ� र्यह ह� किक अपनु� जिजीदा नुह� छो�ड़ाता !"25 रूपर्य� दा ड।""म�र अ तारत्म नुह� मनुता ह� किक मL अनु�त्त�णु� ह� गर्य हूँ?।"जी�म�नु बढ़ता जी रह था। इतानु� म� एक क्6क� दा`ड़ाता-दा`ड़ाता आर्य और उसानु� प्रेचार्य� क� कनु3 म� क� छो

कह। किफर क्6क� नु� रजी�न्द्रबबD क� कर�ब आकर कहT "क्षम कर�। ता�म पह6� नु बर सा� पसा हुँए ह� 6�किकनु साहब कY इज्जता रSनु� क� लि6ए अब ता�म चा�पचाप ब�ठ जीओ।"

रजी�न्द्रबबD नुमस्कर कर क� ब�ठ गर्य�।रजी�न्द्रबबD नु� अपनु� हथा सा� प�पर लि6S था। उन्ह� दृढ़ किवश्वासा था किक मL पसा हूँ? ता� उन्ह� क�ई किडग नुह�

साक। आखिSर उनुकY ह� जी�ता हुँई। दृढ़ता सा� उन्ह� क�ई किडग नुह� साक। आखिSर उनुकY ह� जी�ता हुँई। दृढ़ता म� किकतानु� र्शलिक्त ह� ! मनुव र्यदिदा किकसा� र्भ� कर्य� क� तात्परता सा� कर� और दृढ़ किवश्वासा रS� ता� अवश्र्य साफ6 ह� साकता ह�।

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ॐअनु�क्रम

जिजसक� चर`o क� र��` भ� न विहोलो� सक�....र्भगवनु श्रृं�रम जीब सा�ता� ब?धाकर 6 क पहुँ?चा गर्य� ताब उन्ह3नु� बलि6क� मर अ गदा क� दूता बनुकर रवणु क�

दारबर म� र्भ�जी।रवणु नु� कहT "अर� ब दार ! ताD क`नु ह�?"अ गदाT "ह� दार्शग्र�व ! मL श्रृं�रर्घा�व�र क दूता हूँ?। म�र� किपता सा� ता�म्हर� मिमत्रता था�, इसा�लि6ए मL ता�म्हर� र्भ6ई क�

लि6ए आर्य हूँ?। ता�म्हर क� 6 उत्तम ह�, प�6स्त्र्य ऋकिषों क� ता�म प`त्र ह�। ता�मनु� लिर्शवजी� और ब्रह्मजी� कY बहुँता प्रेकर सा� पDजी कY ह�। उनुसा� वर पर्य� हL और साब कम लिसाद्ध किकर्य� हL। हिंकgता� रजीमदा सा� र्य म�हवर्श ता�म जीगज्जनुनु� सा�ता जी� क� हर 6र्य� ह�। अब ता�म म�र� र्श�र्भ वचानु सा�नु�। प्रेर्भ� श्रृं�रमजी� ता�म्हर� साब अपरधा क्षम कर दा�ग�।

दासन गहोहुँ ताOन क& ठा क� ठा�र�। परिरजन सविहोता स&ग विनज न�र�।।स�दार जनकस�ता� करिर आग#। एविहो विबात्तिःध चलोहुँ सकलो भयो त्यो�ग#।।4।।

(श्री�र�मचरिरता. लो&क�क�ण्ड* 19.4)

दा?ता3 म� कितानुक दाबओ, ग6� म� क� ल्हड़ा� ड6� और अपनु� त्मिस्त्रर्य3 साकिहता क� ट�त्मिम्बर्य3 क� साथा 6�कर, आदारपDव�क जीनुकY जी� क� आग� करक� इसा प्रेकर साब र्भर्य छो�ड़ाकर चा6� और ह� र्शरणुगता क प6नु करनु� व6� रर्घा�व र्शलिर्शर�मत्तिःणु श्रृं�रमजी� ! म�र� रक्ष कYजिजीए.... रक्ष कYजिजीए...' इसा प्रेकर आता� प्रेथा�नु कर�। आता� प�कर सा�नुता� ह� प्रेर्भ� ता�मक� किनुर्भ�र्य कर दा�ग�।"

अ गदा क� इसा प्रेकर कहता� हुँए दा�Sकर रवणु ह?सानु� 6ग और ब�6T"क्र्य रम कY सा�नु म� ऐसा� छो�ट�-छो�ट� ब दार ह� र्भर� हL? हऽऽऽ हऽऽऽ हऽऽऽ.... र्यह रम क म त्र� ह�? एक

ब दार आर्य था हनु�मनु और र्यह वनुर क बच्च अ गदा !"अ गदाT "रवणु ! मनु�ष्र्य कY परS अक्6 ह�लिर्शर्यर� सा� ह�ता� ह�, नु किक उम्र सा�।"किफर अ गदा क� हुँआ किक 'र्यह र्शठ ह�, ऐसा� नुह� मनु�ग। इसा� म�र� प्रेर्भ� श्रृं�रम क प्रेर्भव दिदाSऊँ? ।' अ गदा नु�

रवणु कY सार्भ म� प्रेणु करक� दृढ़ता क� साथा अपनु प�र जीम�नु पर जीम दिदार्य और कहT"अर� मDS� ! र्यदिदा ता�मम� सा� क�ई म�र प�र हट साक� ता� श्रृं�रमजी� जीनुकY म? क� लि6ए किबनु ह� 6`ट जीर्य�ग�।"क� सा� दृढ़ता था� र्भरता क� उसा र्य�वक अ गदा म� ! उसाम� किकतानु साहसा और र्श`र्य� था किक रवणु सा� बड़ा�-बड़ा�

दिदाग्प6 ताक डरता� था� उसा� कY सार्भ म� उसा� क� 66कर दिदार्य !म�र्घानुदा आदिदा अनु�क3 ब6वनु र्य�द्धओं नु� अपनु� पDर� ब6 सा� प्रेर्यसा किकर्य� हिंकgता� क�ई र्भ� अ गदा क� प�र क� हट

ता� क्र्य, टसा-सा�-मसा ताक नु कर साक। अ गदा क� ब6 क� आग� साब हर गर्य�। ताब अ गदा क� 66करनु� पर रवणु स्वर्य उठ। जीब वह अ गदा क प�र पकड़ानु� 6ग ता� अ गदा नु� कहT

"म�र� प�र क्र्य पकड़ाता� ह� रवणु ! जीकर श्रृं�रमजी� क� प�र पकड़ा� ता� ता�म्हर कल्र्यणु ह� जीर्य�ग।"र्यह सा�नुकर रवणु बड़ा 6स्थिज्जता ह� उठ। वह लिसार नु�चा करक� सिंसाgहसानु पर ब�ठ गर्य। क� सा ब�जिद्धमनु था

अ गदा ! किफर रवणु नु� कD टनु�किता S�6� और ब�6T"अ गदा ! ता�र� किपता बलि6 म�र� मिमत्र था�। उनुक� रम नु� मर दिदार्य और ताD रम क� पक्ष म� रहकर म�र� किवरुद्ध 6ड़ानु�

क� ता�र्यर ह�? अ गदा ! ताD म�र� सा�नु म� आ जी।"अ गदा व�र, साहसा�, ब�जिद्धमनु ता� था ह�, साथा ह� साथा धाम�परर्यणु र्भ� था। वह ब�6T"रवणु ! ता�म अधाम� पर ता�6� ह�। र्यदिदा म�र� किपता र्भ� ऐसा� अधाम� पर ता�6� ह�ता� ता� उसा वक्त र्भ� मL अपनु� किपता

क� सा�S दा�ता और उनुक� किवरुद्ध श्रृं�रमजी� क� पक्ष म� Sड़ा ह� जीता। जीह? धाम� और साच्चई ह�ता� वह� जीर्य ह�ता� ह�। रवणु ! ता�म्हर� र्यह कD टनु�किता म�झा पर नुह� चा6�ग�। अर्भ� र्भ� सा�धार जीओ।"

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क� सा� ब�जिद्धमनु� कY बता कY अ गदा नु� ! इतानु� छो�टc उम्र म� ह� म त्र�पदा क� इतानु� क� र्श6ता सा� किनुर्भर्य किक र्शत्र�ओं क� छोक्क� छोD ट गर्य�। साहसा, र्श`र्य�, ब6, परक्रम, ता�जी-ओजी सा� सा पन्न वह र्भरता क र्य�व अ गदा क� व6 व�र ह� नुह�, किवद्वानु र्भ� था, धाम�-नु�कितापरर्यणु र्भ� था और साथा ह� प्रेर्भ�र्भलिक्त र्भ� उसाम� कD ट-कD टकर र्भर� हुँई था�।

ह� र्भरता क� नु`जीवनु� ! र्यदा कर� उसा अ गदा कY व�रता क� किक जिजीसानु� रवणु जी�सा� रक्षसा क� र्भ� सा�चानु� पर मजीबDर कर दिदार्य। धाम� ताथा नु�किता पर चा6कर अपनु� प्रेर्भ� कY सा�व म� अपनु तानु-मनु अप�णु करनु� व6 वह अ गदा इसा� र्भDमिम पर प�दा हुँआ था। ता�म र्भ� उसा� र्भरतार्भDमिम कY सा तानु� ह�, जीह? अ गदा जी�सा� व�र रत्नु प�दा हुँए। र्भरता कY आजी कY र्य�व प�ढ़c चाह� ता� बहुँता क� छो सा�S साकता� ह� अ गदा क� चारिरत्र सा�।

ॐअनु�क्रम

क�लो� क/ ��रता�रजीस्थानु क� डD गरप�र जिजी6� क� रस्ताप6 ग?व कY 19 जीDनु, 1947 कY र्घाटनु ह�Tउसा ग?व कY 10 वषों£र्य कन्र्य क6� अपनु� S�ता सा� चार लिसार पर उठकर आ रह� था�। हथा म� ह?लिसार्य था।

उसानु� दा�S किक 'ट्रोक क� प�छो� हमर� स्कD 6 क� मस्टर साहब ब?धा� हL और र्घासा�ट� जी रह� हL।'क6� क र्श`र्य� उर्भर, वह ट्रोक क� आग� जी Sड़ा� हुँई और ब�6�T"म�र� मस्टर क� छो�ड़ा दा�।"लिसापह�T "ऐ छो�कर� ! रस्ता� सा� हट जी।""नुह� हटD?ग�। म�र� मस्टर साहब क� ट्रोक क� प�छो� ब?धाकर क्र्य3 र्घासा�ट रह� ह�?""मDS� 6ड़ाकY ! ग�6� चा6 दू?ग।"लिसापकिहर्य3 नु� ब दूक सामनु� रS�। किफर र्भ� उसा बहदुर 6ड़ाकY नु� उनुकY परवह नु कY और मस्टर क� जिजीसा

रस्सा� सा� ट्रोक सा� ब?धा गर्य था उसाक� ह?लिसार्य� कट ड6 !6�किकनु किनुदा�र्य� लिसापकिहर्य3 नु�, अ ग्र�जी3 क� ग�6म3 नु� धाड़ाधाड़ा ग�लि6र्य? बरसार्य�। क6� नुम कY उसा 6ड़ाकY क

र्शर�र ता� मर गर्य 6�किकनु उसाकY र्शDरता अर्भ� र्भ� र्यदा कY जीता� ह�।क6� क� मस्टर क नुम था सा�गर्भई। उसा� क्र्य3 र्घासा�ट जी रह था? क्र्य3किक वह कहता था किक 'इनु

वनुवलिसार्य3 कY पढ़ई ब दा मता कर� और इन्ह� जीबरदास्ता� अपनु� धाम� सा� च्र्य�ता मता कर�।'अ ग्र�जी3 नु� दा�S किक 'र्यह सा�गर्भई हमर किवर�धा करता ह� साबक� हमसा� 6�ह 6�नु लिसाSता ह� ता� उसाक� ट्रोक

सा� ब?धाकर र्घासा�टकर मरव दा�।'व� दुz 6�ग ग?व क� इसा मस्टर कY इसा ढे?ग सा� मPत्र्य� करवनु चाहता� था� किक पDर� डD गरप�र जिजी6� म� दाहर्शता फ� 6

जीर्य ताकिक क�ई र्भ� अ ग्र�जी3 क� किवरुद्ध आवजी नु उठर्य�। 6�किकनु एक 10 वषों� कY कन्र्य नु� ऐसा� र्शDरता दिदाSई किक साब दा�Sता� रह गर्य� !

क� सा र्श`र्य� ! क� सा� दा�र्शर्भलिक्त और क� सा� धाम�किनुष्ठा था� उसा 10 वषों£र्य कन्र्य कY। ब6क� ! ता�म छो�ट� नुह� ह�।होम बा�लोक हो9 ता� क्यो� हुँआ, उत्स�हो� हो9 होम ��र हो9।

होम नन्हो#-म�न्ने� बाच्च� हो�, इस दा�श क/ ताकदाXर हो9।।ता�म र्भ� ऐसा� बनु� किक र्भरता किफर सा� किवश्वाग�रु पदा पर आसा�नु ह� जीर्य। आप अपनु� जी�वनुक6 म� ह� किफर सा�

र्भरता क� किवश्वाग�रु पदा पर आसा�नु दा�S�... हरिरॐ....ॐ....ॐ.... ॐ

अनु�क्रम

Page 31: HamareAdarsh

आत्मज्ञा�न क/ दिदाव्यता�र्भरता कY किवदूषों� कन्र्य सा�6र्भ एक बर रजी जीनुक क� दारबर म� पहुँ?चा�। र्यह बता उसा सामर्य कY ह� जीब

कन्र्यए? रजीदारबर म� नुह� जीर्य करता� था�। वह साहसा� कन्र्य सा�6र्भ जीब सास्ति वक व�षोंर्भDषों म� रजी जीनुक क� दारबर म� पहुँ?चा� ताब उसाकY पकिवत्र, सा`म्र्य मDर्तिताg दा�Sकर रजी जीनुक क हृदार्य श्रृंद्ध सा� अत्तिःर्भर्भDता ह� उठ।

जीनुक नु� पDछोT "दा�किव ! ता�म र्यह? क� सा� आर्य� ह�? ता�म्हर परिरचार्य क्र्य ह�?"कन्र्यT "रजीनु ! मL आपकY पर�क्ष 6�नु� क� लि6ए आर्य� हूँ?।"क� सा रह ह�ग र्भरता कY उसा कन्र्य म� दिदाव्य आध्र्यत्मित्मक ओजी ! जीह? प किडता 6�ग S�र्शमदा करता� था�, जीह?

तापस्व� 6�ग र्भ� जीनुक कY जीर्य-जीर्यकर किकर्य� किबनु नुह� रहता� था� और र्भट-चारणु दिदानु रता जिजीनुक� ग�णुगनु गनु� म� अपनु� क� र्भग्र्यर्श6� मनुता� था� वह? र्भरता कY वह 16-17 वषों� कY कन्र्य कहता� ह�T "रजीनु ! मL ता�म्हर� पर�क्ष 6�नु� आर्य� हूँ?।"

सा�6र्भ कY बता सा�नुकर रजी जीनुक प्रेसान्न हुँए किक म�र� दा�र्श म� ऐसा� र्भ� बलि6कए? हL ! व� ब�6�T "म�र� पर�क्ष?"

कन्र्यT "ह?, रजीनुw ! आपकY पर�क्ष। आप म�र परिरचार्य जीनुनु चाहता� हL ता� सा�किनुर्य�। म�र नुम सा�6र्भ ह�। मL 16 वषों� कY हुँई ता� म�र� मता-किपता म�र� किववह क� किवषोंर्य म� क� छो किवचार-किवमर्श� करनु� 6ग�। मLनु� खिSड़ाकY सा� उनुकY सार� बता� सा�नु 6�। मLनु� उनुसा� कहT 'सा सार म� ता� जीब प्रेव�र्श ह�ग ताब ह�ग, पह6� जी�वत्म क� अपनु� आत्मर्शलिक्त जीगनु� चाकिहए। आप एक बर म�झा� सात्सा ग म� 6� गर्य� था�, जिजीसाम� मLनु� सा�नु था किक प्रेत्तिःणुमत्र क� हृदार्य म� जी� परमत्म लिछोप ह�, उसा परमत्म कY जिजीतानु� र्शलिक्तर्य? मनु�ष्र्य जीग साक� उतानु ह� वह महनु बनुता ह�। अताT म�झा� पह6� महनु बनुनु� कY दाcक्ष-लिर्शक्ष दिदा6नु� कY कP प कर�।'

पह6� ता� म�र� किपता किहचाकिकचानु� 6ग� हिंकgता� म�र� म? नु� उन्ह� प्रे�त्साकिहता किकर्य। म�र� मता-किपता नु� जिजीनु ग�रुदा�व सा� दाcक्ष 6� था� उनुसा� म�झा� र्भ� दाcक्ष दिदा6व दाc। म�र� ग�रुदा�व नु� म�झा� प्रेणुर्यम-ध्र्यनुदिदा कY किवमिधा लिसाSर्य�। मLनु� ड�ढ़ साप्ताह ताक उनुकY बतार्य� किवमिधा क� अनु�सार साधानु कY ता� म�र� सा�षों�प्ता र्शलिक्त जीग्रता ह�नु� 6ग�। कर्भ� मL ध्र्यनु म� ह?साता�, कर्भ� रुदानु करता�.... इसा प्रेकर किवत्तिःर्भन्न अनु�र्भव3 सा� ग�जीरता�-ग�जीरता� और आत्मर्शलिक्त क एहसासा करता�-करता� 6 मह�नु3 म� म�र� साधानु म� चार चा?दा 6ग गर्य�। किफर ग�रुदा�व नु� म�झा� ता वज्ञानु क उपदा�र्श दिदार्यT 'ब�जिद्ध कY किनुणु�र्यर्शलिक्त क, मनु कY प्रेसान्नता क और र्शर�र कY र�गप्रेकिताकरक र्शलिक्त क किवकसा जीह? सा� ह�ता ह� उसा अपनु� स्वरूप क� जीनु।'

मन ता� ज्यो�वितास्�रूप अपन� म�लो विपछो�न।पDज्र्य ग�रुदा�व नु� ता वज्ञानु कY वषों� कर दाc। अब मL आपसा� र्यह पDछोनु चाहता� हूँ? किक मL ता� एकन्ता म� र�जी

एक-दा� र्घाण्ट� जीप-ध्र्यनु करता� था� जिजीसासा� म�र� स्मरणुर्शलिक्त, ब�जिद्धर्शलिक्त, अनु�मनु र्शलिक्त, क्षम र्शलिक्त, र्श`र्य� आदिदा क किवकसा हुँआ और बदा म� जीह? सा� सार� र्शलिक्तर्य? बढ़ता� हL उसा परब्रह्म परमत्म क, सा�ऽह स्वरूप क ज्ञानु ग�रु सा� मिम6 ताब म�झा� साक्षत्कर क� बदा आपक� इनु र्भ?वर ड�6नु�व6� 66नुओं और छोत्र कY क्र्य जीरूरता ह�? इसा रजी-व�र्भव और मह63 कY क्र्य जीरूरता ह�? जिजीसाक� हृदार्य म� आत्मसा�S प�दा ह� गर्य उसा� सा सार क सा�S ता� ता�च्छ 6गता ह�। किफर र्भ� ह� रजीनुw ! आप सा सार क� नुश्वार सा�S म� क्र्य3 दिटक� हL?"

सा�6र्भ क� प्रेश्न3 क� सा�नुकर जीनुक ब�6�T "सा�नु�, सा�6र्भ ! किपछो6� जीन्म म� मL व म�र� क� छो साथा� हमर� ग�रुदा�व क� आश्रृंम म� जीता� था�। ग�रुदा�व हम� प्रेणुर्यम आदिदा साधानु कY किवमिधा बताता� था�। एक बर ग�रुदा�व कह� र्घाDमनु� किनुक6 गर्य�। हम साब छोत्र मिम6कर नुदाc म� नुह रह� था� और हमम� सा� जी� साबसा� छो�ट किवद्याथा£ था उसाकY मजीक उड़ा रह� था� किक 'बड़ा जी�ग� आर्य ह�.... ता�र� क� ईश्वार नुह� मिम6�ग�, हम मिम6�ग�.....' और मLनु� ता� उद्देण्डता करक� उसा छो�ट�-सा� किवद्याथा£ क� लिसार पर टक�र मर दिदार्य। हमर� व्यवहर सा� दुTS� ह�कर वह र�नु� 6ग। इतानु� म� ग�रुदा�व पधार� और सार� बता जीनुकर नुरजी ह�कर म�झासा� ब�6�T 'जीब ताक इसा नुन्ह� किवद्याथा£ क� परमत्म क अनु�र्भव नुह� ह�ग ताब ताक ता�मक� र्भ� नुह� ह�ग और जीब ह�ग ताब इसा� कY कP प सा� ह�ग।'

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सामर्य पकर हमर वह जी�वनु पDर हुँआ 6�किकनु ग�रुद्वार पर रह� था�, साधानु आदिदा कY था� अताT इसा जीन्म म� मL रजी बनु और वह नुन्ह सा किवद्याथा£ अzवक्र म�किनु बनु। अzवक्र म�किनु क� मता क� गर्भ� म� ह� परमत्म क साक्षत्कर ह� गर्य।

उन्ह� अzवक्र म�किनु क� श्रृं�चारणु3 म� मLनु� परमत्म-ज्ञानु कY प्रेथा�नु कY, ताब व� ब�6�T'लिर्शष्र्य सात्पत्र ह� और सादाग�रु सामथा� ह3 ता� र्घा�ड़ा� कY रकब म� प�र ड6ता�-ड6ता� र्भ� परमत्म-ता व क

साक्षत्कर ह� साकता ह�। ड6 रकब म� प�र।'मLनु� रकब म� प�र ड6 ता� व� ब�6�T'ता�झा� ईश्वार क� दार्श�नु करनु� हL। 6�किकनु ताD म�झा� क्र्य मनुता ह�?''आपक� मL ग�रु नुह�, सादाग�रु मनुता हूँ?।''अच्छ, सादाग�रु मनुता ह�, ता� 6 दात्तिःक्षणु।''ग�रुजी� ! तानु, मनु, धानु साब आपक ह�।'मL जी�सा� ह� प�र उठनु� गर्य ता� व� ब�6 उठ� T 'जीनुक ! तानु म�र ह� गर्य ता� म�र� आज्ञा क� किबनु क्र्य3 प�र उठ रह

ह�?'मL सा�चानु� 6ग ता� व� ब�6�T 'मनु र्भ� म�र ह� गर्य, इसाक उपर्य�ग मता कर।'म�र मनु क्षणु र्भर क� लि6ए र्श ता ह� गर्य। किफर ब�जिद्ध सा� किवचारनु� 6ग ता� ग�रुदा�व ब�6�T 'छो�ड़ा अब सा�चानु।'ग�रुदा�व नु� था�ड़ा� दा�र र्श ता ह�कर कP प बरसार्य� और म�झा� परमत्म-ता व क साक्षत्कर ह� गर्य। अब म�झा�

र्यह सा सार स्वप्न जी�सा 6गता ह� और चा�तान्र्यस्वरूप आत्म अपनु 6गता ह�। दुTS क� सामर्य म�झा� दुTS कY चा�ट नुह� 6गता और सा�S क� सामर्य म�झा� सा�S क आकषों�णु नुह� ह�ता। मL म�क्तत्म ह�कर रज्र्य करता हूँ?।

सा�6र्भ ! ता�म्हर दूसार प्रेश्न था किक 'जीब परमत्म क आनु दा आ रह ह� ता� किफर आप रजीगद्देc क मजी क्र्य3 6� रह� हL'

म�र� ग�रुदा�व नु� कह थाT 'अच्छ� व्यलिक्त अगर रजीगद्देc सा� हट जीर्य�ग� ता� स्वथा£, 6�6�प और एक-दूसार� कY ट?ग S�चानु�व6� 6�ग3 क प्रेर्भव बढ़ जीर्य�ग। ब्रह्मज्ञानु� अगर रज्र्य कर�ग� ता� प्रेजी म� र्भ� ब्रह्मज्ञानु क प्रेचार-प्रेसार ह�ग।

सा�6र्भ ! र्य� चा?वर और छोत्र रजीपदा क ह�। इसालि6ए इसा रजी-परिरधानु क उपर्य�ग करक� मL अच्छc तारह सा� रज्र्य करता हूँ? और रजी-कजी सा� किनुपटकर र�जी आत्मध्र्यनु करता हूँ?।"

सा�6र्भ क� एक-एक प्रेश्न क सा ता�षोंप्रेदा जीवब रजी जीनुक नु� दिदार्य, जिजीसासा� सा�6र्भ क हृदार्य प्रेसान्न हुँआ और रजी जीनुक र्भ� सा�6र्भ क� प्रेश्न3 सा� प्रेसान्न ह�कर ब�6�T "सा�6र्भ ! म�झा� ता�म्हर पDजीनु करनु� दा�।"

साधा�ओं क नुम 6� ता� र्श�कदा�व जी� क पह6 नु बर आता ह�। उनु र्श�कदा�वजी� क� ग�रु रजी जीनुक, जी�वन्म�क्त मिमलिथा6नुर�र्श, 17 वषों£र्य सा�6र्भ क पDजीनु करता� हL। क� सा दिदाव्य आदार ह� आत्मज्ञानु क !

जी� मनु�ष्र्य आत्मज्ञानु क आदार करता ह� वह आध्र्यत्मित्मक जीगता म� ता� उन्नता ह�ता ह� ह� 6�किकनु र्भ`किताक जीगता कY वस्ता�ए? र्भ� उसाक� प�छो�-प�छो� दा`ड़ा� चा6� आता� हL। ऐसा दिदाव्य ह� आत्मज्ञानु !

ॐअनु�क्रम

प्राविताभ��न� बा�लोक रम`महरष्ट्र म� एक 6ड़ाक था। उसाकY म? बड़ा� क� र्श6 और सात्सा ग� था�। वह उसा� था�ड़ा-बहुँता ध्र्यनु लिसाSता�

था�। अताT जीब 6ड़ाक 14-15 सा6 क हुँआ ताब ताक उसाकY ब�जिद्ध किव6क्षणु बनु चा�कY था�।चार डक� ता था�। उन्ह3नु� कह� डक ड6 ता� उन्ह� ह�र�-जीवहरता सा� र्भर� अट�चा� मिम6 गर्य�। उसा� सा�रत्तिःक्षता

रSनु� क� लि6ए चार3 एक ईमनुदार ब�दिढ़र्य क� पसा गर्य�। अट�चा� दा�ता� हुँए ब�दिढ़र्य सा� ब�6�T

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"मताजी� ! हम चार3 मिमत्र व्यपर धा धा करनु� किनुक6� हL। हमर� पसा क� छो पD?जी� ह�। इसा जी�खिSम क� कह? साथा 6�कर र्घाDम�? र्यह? हमर� क�ई जीनु-पहचानु र्भ� नुह� ह�। आप इसा� रS� और जीब हम चार3 मिम6कर एक साथा 6�नु� क� लि6ए आर्य� ताब 6`ट दा�नु।"

ब�दिढ़र्य नु� कहT "ठ�क ह�।"अट�चा� दा�कर चार3 रवनु हुँए, आग� गर्य� ता� एक चारवह दूधा 6�कर ब�चानु� जी रह था। इनु 6�ग3 क� दूधा प�नु�

कY इच्छ हुँई। पसा म� क�ई बता�नु ता� था नुह�। ता�नु डक� ता3 नु� अपनु� चा`था� साथा� क� कहT "जीओ, वह ब�दिढ़र्य क र्घार दिदाS रह ह�, वह? सा� बता�नु 6� आओ। हम 6�ग र्यह? इ ताजीर करता� हL।"

डक� ता बता�नु 6�नु� चा6 गर्य। रस्ता� म� उसाकY नु�र्यता किबगड़ा गर्य�। वह ब�दिढ़र्य क� पसा आकर ब�6T "मताजी� ! हम 6�ग3 नु� किवचार बदा6 दिदार्य ह�। हम र्यह? नुह� रुक� ग�, आजी ह� दूसार� नुगर म� चा6� जीर्य�ग�। अताT हमर� अट�चा� 6`ट दाcजिजीए। म�र� ता�नु दा�स्ता सामनु� Sड़ा� हL। उन्ह3नु� म�झा� अट�चा� 6�नु� र्भ�जी ह�।"

ब�दिढ़र्य नु� बहर आकर उसाक� सालिथार्य3 कY तारफ दा�S ता� ता�नु3 दूर Sड़ा� हL। ब�दिढ़र्य नु� बहर आकर उसाक� सालिथार्य3 कY तारफ दा�S ता� ता�नु3 दूर Sड़ा� हL। ब�दिढ़र्य नु� बता पक्कY करनु� क� लि6ए उनुक� इर्शर� सा� पDछोT

"इसाक� दा� दू??"डक� ता3 क� 6ग किक 'मई पDछो रह� ह� – इसाक� बता�नु दू??' ता�नु3 नु� दूर सा� ह� कह दिदार्यT "ह?, ह?, दा� दा�।"ब�दिढ़र्य र्घार म� गर्य�। किपटर� सा� अट�चा� किनुक6कर उसा� दा� दाc। वह चा`था डक� ता अट�चा� 6�कर दूसार� रस्ता� सा�

प6र्यनु कर गर्य।ता�नु3 साथा� कफY इ ताजीर करनु� क� बदा ब�दिढ़र्य क� पसा पहुँ?चा�। उन्ह� पता चा6 किक चा`था साथा� अट�चा� 6�

र्भग ह�। अब ता� व� ब�दिढ़र्य पर ह� किबगड़ा�T "ता�मनु� एक आदाम� क� अट�चा� दाc ह� क्र्य3? जीबकिक र्शता� ता� चार3 एक साथा मिम6कर आर्य� तार्भ� दा�नु� कY था�।"

उ6झा� बता रजीदारबर म� पहुँ?चा�। डक� ता3 नु� पDर� हकYकता रजी क� बतार्य�। रजी नु� र्भई सा� पDछोT"क्र्य3, जी� ! इनु 6�ग3 नु� बक्सा दिदार्य था?'' "जी� महरजी !"ऐसा कह था किक जीब चार3 मिम6कर आर्य� ताब 6`टनु?""जी� महरजी।"रजी नु� आदा�र्श दिदार्यT "ता�मनु� एक ह� आदाम� क� अट�चा� दा� दाc, अब इनु ता�नु3 क� र्भ� अपनु-अपनु किहस्सा

मिम6नु चाकिहए। ता�र� म6-मिमस्तिल्कर्यता, जीम�नु-जीर्यदादा जी� क� छो र्भ� ह� उसा� ब�चाकर ता�म्ह� इनु 6�ग3 क किहस्सा चा�कनु पड़ा�ग। र्यह हमर फरमनु ह�।"

ब�दिढ़र्य र�नु� 6ग�। वह वधाव था� और र्घार म� छो�ट� बच्च� था�। कमनु�व6 क�ई था नुह�। साम्पूत्तिःत्त नु�6म ह� जीर्य�ग� ता� ग�जीर क� सा� ह�ग?। वह अपनु� र्भग्र्य क� क�साता� हुँई, र�ता�-प�टता� रस्ता� सा� ग�जीर रह� था�। जीब 15 सा6 सा� रमणु नु� उसा� दा�S ताब वह पDछोनु� 6गT

"मताजी� ! क्र्य हुँआ? क्र्य3 र� रह� ह�?"ब�दिढ़र्य नु� सार किकस्सा कह सा�नुर्य। आखिSर म� ब�6�T"क्र्य करु? , ब�ट�? म�र� ताकदाcर ह� फD टc ह�, वरनु उनुकY अट�चा� 6�ता� ह� क्र्य3?"रमणु नु� कहT "मताजी� ! आपकY ताकदाcर क क�ई कसाDर नुह� ह�, कसाDर ता� रजी कY S�पड़ा� क ह�।"सा र्य�गवर्श रजी ग�प्ताव�र्श म� वह� सा� ग�जीर रह था। उसानु� सा�नु लि6र्य और पसा आकर पDछोनु� 6गT "क्र्य बता

ह�?""बता र्यह ह� किक नुगर क� रजी क� न्र्यर्य करनु नुह� आता। इसा मताजी� क� मम6� म� उन्ह3नु� ग6ता किनुणु�र्य

दिदार्य ह�।" रमणु किनुर्भ�र्यता सा� ब�6 गर्य।रजीT "अगर ताD न्र्यर्यधा�र्श ह�ता ता� क� सा न्र्यर्य दा�ता?" किकर्श�र रमणु कY बता सा�नुकर रजी कY उत्सा�कता

बढ़ रह� था�।

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रमणुT "रजी क� न्र्यर्य करवनु� कY गरजी ह�ग� ता� म�झा� दारबर म� ब�6र्य�ग�। किफर मL न्र्यर्य दू?ग।"दूसार� दिदानु रजी नु� रमणु क� रजीदारबर म� ब�6वर्य। पDर� सार्भ 6�ग3 सा� SचाSचा र्भर� था�। वह ब�दिढ़र्य मई

और ता�नु3 मिमत्र र्भ� ब�6र्य� गर्य� था�। रजी नु� पDर मम6 रमणु क� साsप दिदार्य।रमणु नु� ब�जी�ग� न्र्यर्यधा�र्श कY अदा सा� म�कद्देम चा6ता� हुँए पह6� ब�दिढ़र्य सा� पDछोT "क्र्य3, मताजी� ! चार

साज्जनु3 नु� आपक� अट�चा� सा?र्भ6नु� क� लि6ए दाc था�?"ब�दिढ़र्यT "ह?।"रमणुT "चार3 साज्जनु मिम6कर एक साथा अट�चा� 6�नु� आर्य� तार्भ� अट�चा� 6`टनु� क� लि6ए कह था?""ह?।"रमणु नु� अब ता�नु� मिमत्र3 सा� कहT "अर�, ताब ता� झागड़ा� कY क�ई बता ह� नुह� ह�। सादागPहस्था� ! आपनु� ऐसा ह�

कह था नु किक जीब हम चार3 मिम6कर आर्य� ताब हम� अट�चा� 6`ट दा�नु?"डक� ताT "ह?, ठ�क बता ह�। हमनु� इसा मई सा� ऐसा ह� तार्य किकर्य था।"रमणुT "र्य� मताजी� ता� अर्भ� र्भ� आपक� अट�चा� 6`टनु� क� ता�र्यर हL, मगर आप ह� अपनु� र्शता� क� र्भ ग कर

रह� हL।""क� सा�?""आप चार साथा� मिम6कर आओ ता� अर्भ� आपक� आपकY अमनुता दिदा6व दा�ता हूँ?। आप ता� ता�नु ह� हL,

चा`था कह? ह�?""साहब ! वह ता�.... वह ता�.....""उसा� ब�6कर 6ओ। जीब चार3 एक साथा आओग� तार्भ� आपक� अट�चा� मिम6�ग�, नुहक म� इनु ब�चार�

मताजी� क� पर�र्शनु कर रह� ह�।"ता�नु3 व्यलिक्त म�?ह 6टकर्य� रवनु ह� गर्य�। सार� सार्भ दा ग रह गर्य�। साच्च न्र्यर्य करनु� व6� प्रेकितार्भसा पन्न

ब6क कY र्य�लिक्तर्य�क्त चाता�रई दा�Sकर रजी र्भ� बड़ा प्रेर्भकिवता हुँआ।वह� ब6क रमणु आग� चा6कर महरष्ट्र क म�ख्र्य न्र्यर्यधा�र्श बनु और मरिरर्यड़ा रमणु क� नुम सा� सा�किवख्र्यता

हुँआ।प्रेकितार्भ किवकलिसाता करनु� कY क� जी� सा�S 6�। जीर सा� बता म� खिSन्न नु ह�नु, मनु क� स्वस्था व र्श ता रSनु,

ऐसा� प�स्ताक� पढ़नु जी� सा र्यम और सादाचार बढ़र्य�, परमत्म क ध्र्यनु करनु और सात्प�रुषों3 क सात्सा ग करनु – र्य� ऐसा� क� जिजीर्य? हL जिजीनुक� द्वार ता�म र्भ� प्रेकितार्भवनु बनु साकता� ह�।

ॐअनु�क्रम

वितालोकज� क/ सत्योविनष्ठ�ब6 ग गधार किता6कजी� क� बल्र्यक6 कY र्यह र्घाटनु ह�Tएक बर व� र्घार पर अक� 6� ह� ब�ठ� था� किक अचानुक उन्ह� चा`पड़ा S�6नु� कY इच्छ हुँई। हिंकgता� अक� 6� चा`पड़ा क� सा�

S�6ता�? अताT उन्ह3नु� र्घार क� S र्भ� क� अपनु साथा� बनुर्य। व� दार्य� हथा सा� S र्भ� क� लि6ए और बर्य� हथा सा� अपनु� लि6ए S�6नु� 6ग�। इसा प्रेकर S�6ता�-S�6ता� व� दा� बर हर गर्य�।

दादाc म? दूर सा� र्यह साब नुजीर दा�S रह� था�। ह?साता� हुँए व� ब�6�T"धाताw ता�र� कY... एक S र्भ� सा� हर गर्य?"किता6कजी�T "हर गर्य ता� क्र्य हुँआ? म�र दार्य? हथा S र्भ� क� हव6� था और म�झा� दार्य� हथा सा� S�6नु� कY

आदाता ह�। इसा�लि6ए S र्भ जी�ता गर्य, नुह� ता� मL जी�ताता।"

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क� सा अदार्भ�ता था किता6कजी� क न्र्यर्य ! जिजीसा हथा सा� अच्छ� सा� S�6 साकता� था� उसासा� S र्भ� क� पक्ष म� S�6� और हरनु� पर साहजीता सा� हर र्भ� स्व�कर कर 6�। महप�रुषों3 क बल्र्यक6 र्भ� नु�किताक ग�णु3 सा� र्भरपDर ह� हुँआ करता ह�।

इसा� प्रेकर एक बर छोT मलिसाक पर�क्ष म� किता6कजी� नु� प्रेश्नपत्र क� सार्भ� प्रेश्न3 क� साह� जीवब लि6S ड6�।जीब पर�क्षफ6 र्घा�किषोंता हुँआ ताब किवद्यार्थिथाgर्य3 क� प्रे�त्साकिहता करनु� क� लि6ए र्भ� ब?ट� जी रह� था�। जीब किता6क

जी� कY कक्ष कY बर� आर्य� ताब पह6� नु बर क� लि6ए किता6कजी� क नुम र्घा�किषोंता किकर्य गर्य। ज्र्य3 ह� अध्र्यपक किता6कजी� क� ब�6कर इनुम दा�नु� 6ग�, त्र्य3 ह� ब6क किता6कजी� र�नु� 6ग�।

र्यह दा�Sकर सार्भ� क� बड़ा आश्चर्य� हुँआ ! जीब अध्र्यपक नु� किता6कजी� सा� र�नु� क करणु पDछो ता� व� ब�6�T"अध्र्यपक जी� ! साचा बता ता� र्यह ह� किक सार्भ� प्रेश्न3 क� जीवब मLनु� नुह� लि6S� हL। आप सार� प्रेश्न3 क� साह�

जीवब लि6Sनु� क� लि6ए म�झा� इनुम दा� रह� हL, हिंकgता� एक प्रेश्न क जीवब मLनु� अपनु� मिमत्र सा� पDछोकर लि6S था। अताT इनुम क वस्ताकिवक हकदार मL नुह� हूँ?।"

अध्र्यपक प्रेसान्न ह�कर किता6कजी� क� ग6� 6गकर ब�6�T"ब�ट ! र्भ6� ता�म्हर पह6� नु बर क� लि6ए इनुम पनु� क हक नुह� बनुता, हिंकgता� र्यह इनुम अब ता�म्ह� साच्चई

क� लि6ए दा�ता हूँ?।"ऐसा� सात्र्यकिनुष्ठा, न्र्यर्यकिप्रेर्य और ईमनुदार ब6क ह� आग� चा6कर महनु कर्य� कर पता� हL।प्र्यर� किवद्यार्थिथाgर्य� ! ता�म ह� र्भव� र्भरता क� र्भग्र्य किवधाता ह�। अताT अर्भ� सा� अपनु� जी�वनु म� सात्र्यप6नु,

ईमनुदार�, सा र्यम, सादाचार, न्र्यर्यकिप्रेर्यता आदिदा ग�णु3 क� अपनु कर अपनु जी�वनु महनु बनुओ। ता�म्ह� म� सा� क�ई 6�कमन्र्य किता6क ता� क�ई सारदार वल्6र्भर्भई पट�6, क�ई लिर्शवजी� ता� क�ई महरणु प्रेताप जी�सा बनु साकता ह�। ता�म्ह� म� सा� क�ई ध्रु�व, प्रेह्लादा, म�र, मदा6सा क आदार्श� प�नुT स्थाकिपता कर साकता ह�।

उठ�, जीग� और अपनु� इकिताहसा-प्रेलिसाद्ध महप�रुषों3 क� जी�वनु सा� प्रे�रणु 6�कर अपनु� जी�वनु क� र्भ� दिदाव्य बनुनु� क� मग� पर अग्रसार ह� जीओ.... र्भगवत्कP प और सा ता-महप�रुषों3 क� आर्श�व�दा ता�म्हर� साथा हL।

ॐअनु�क्रम

दायो�लो� बा�लोक शतामन्यो�सात्र्यर्य�ग कY एक र्घाटनु ह�Tएक बर हमर� दा�र्श म� अक6 पड़ा। वषों� क� अर्भव क� करणु अन्न प�दा नुह� हुँआ। पर्श�ओं क� लि6ए चार

नुह� रह। दूसार� वषों� र्भ� वषों� नुह� हुँई। दिदानु3 दिदानु दा�र्श कY ह6ता Sरब ह�ता� चा6� गर्य�। साDर्य� कY प्रेSर किकरणु3 क� प्रेर्भव सा� पPर्थ्यव� क जी6 स्तार बहुँता नु�चा� चा6 गर्य। फ6ताT धारता� क� ऊँपर� साताह कY नुम� गर्यब ह� गर्य�। नुदाc ता6ब साब साDS गर्य�। वPक्ष र्भ� साDSनु� 6ग�। मनु�ष्र्य और पर्श�ओं म� हहकर मचा गर्य।

अक6 कY अवमिधा बढ़ता� गर्य�। एक-दा� वषों� नुह�, पDर� बरह वषोंm ताक बरिरर्श कY एक बD?दा र्भ� धारता� पर नुह� किगर�। 6�ग त्रकिह ममw-त्रकिह ममw प�करनु� 6ग�। कह� अन्न नुह�... कह� जी6 नुह�.... वषों� और र्श�ता ऋता�ए? नुह�.... साव�त्र सादा एक ह� ग्र�ष्म ऋता� प्रेवता�मनु रह�। धारता� सा� उड़ाता� हुँई धाD6 और ता�जी 6D म� पर्श� पक्ष� ह� नुह�, नु जीनु� किकतानु� मनु�ष्र्य क6 कवलि6ता ह� गर्य�, क�ई किगनुता� नुह�। र्भ�Sमर� क� करणु मताओं क� स्तानु3 म� दूधा साDS गर्य। अताT दूधा नु मिम6नु� क� करणु किकतानु� ह� नुवजीता लिर्शर्श� मPत्र्य� कY ग�दा म� सादा क� लि6ए सा� गर्य�। इसा प्रेकर पDर� दा�र्श म� नुर-क क63 और अन्र्य जी�व3 कY हकिºर्य3 क ढे�र 6ग गर्य। एक म�ट्ठीc अन्न र्भ� क�ई किकसा� क� कह? सा� दा�ता? परिरस्थिस्थाकिता दिदानु3दिदानु किबगड़ाता� ह� चा6� गर्य�। अन्न-जी6 क� 66� पड़ा गर्य�।

इसा दा`रनु किकसा� नु� कह किक नुरम�धा र्यज्ञा किकर्य जीर्य ता� वषों� ह� साकता� ह�। र्यह बता अमिधाक र्श 6�ग3 क� जी?चा गर्य�।

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अताT एक किनुश्चकिता कितालिथा और किनुत्तिःश्चता स्थानु पर एक किवर्श6 जीनुसामDह एकत्र हुँआ। पर सार्भ� म`नु था�। सार्भ� क� लिसार झा�क� हुँए था�। प्रेणु साबक� प्र्यर� ह�ता� हL। जीबरदास्ता� करक� किकसा� कY र्भ� बलि6 नुह� दाc जी साकता� था� क्र्य3किक र्यज्ञा3 क किनुर्यम ह� ऐसा था।

इतानु� म� अचानुक सार्भ क म`नु टDट। साबनु� दृमिz उठर्य� ता� दा�S किक एक 12 वषों� क अत्र्य ता सा� दार ब6क सार्भ क� ब�चा म� Sड़ा ह�। उसाक� अ ग-प्रेत्र्य ग क�म6 दिदाSई दा� रह� था�। उसानु� कहT

"उपस्थिस्थाता महनु�र्भव� ! असा ख्र्य प्रेत्तिःणुर्य3 कY रक्ष और दा�र्श क� सा कट कY स्थिस्थाकिता सा� उबरनु� क� लि6ए मL अपनु� बलि6 दा�नु� क� साहषों� प्रेस्ता�ता हूँ?। र्य� प्रेणु दा�र्श क� हL और दा�र्श क� कम आ जीर्य�, इसासा� अमिधाक सादुपर्य�ग इनुक और क्र्य ह� साकता ह�? इसा� बहनु� किवश्वात्मरूप प्रेर्भ� कY सा�व इसा नुश्वार कर्य क� बलि6दानु सा� ह� जीर्य�ग�।"

"ब�ट र्शतामन्र्य� ! ताD धान्र्य ह� ! ताDनु अपनु� पDव�जी3 क� अमर कर दिदार्य।" ऐसा उदार्घा�षों करता� हुँए एक व्यलिक्त नु� दा`ड़ाकर उसा� अपनु� हृदार्य सा� 6ग लि6र्य।

वह व्यलिक्त क�ई और नुह� वरनुw स्वर्य उसाक� किपता था�। र्शतामन्र्य� कY मता र्भ� वह� कह� पर उपस्थिस्थाता था�। व� र्भ� र्शतामन्र्य� क� पसा आ गर्य�। उनुकY आ?S3 सा� झार-झार अश्रृं�धार प्रेवकिहता ह� रह� था�। म? नु� र्शतामन्र्य� क� अपनु� छोता� सा� इसा प्रेकर 6ग लि6र्य जी�सा� उसा� कर्भ� नुह� छो�ड़ा�ग�।

किनुर्यता सामर्य पर र्यज्ञा-सामर�ह र्यथाकिवमिधा र्श�रु हुँआ। र्शतामन्र्य� क� अनु�क ता�थाm क� पकिवत्र जी6 सा� स्नुनु करकर नुर्य� वस्त्रर्भDषोंणु पहनुर्य� गर्य�। र्शर�र पर सा�ग मिधाता चा दानु क 6�प 6गर्य गर्य। उसा� प�ष्पम6ओं सा� अ6 कP ता किकर्य गर्य।

इसाक� बदा ब6क र्शतामन्र्य� र्यज्ञा-मण्डप म� आर्य। र्यज्ञा-स्ताम्भ क� साम�प Sड़ा ह�कर वह दा�वरजी इन्द्र क स्मरणु करनु� 6ग। र्यज्ञा-मण्डप एकदाम र्श ता था। ब6क र्शतामन्र्य� लिसार झा�कर्य� हुँए अपनु�-आपक बलि6दानु दा�नु� क� ता�र्यर Sड़ा था। एककित्रता जीनुसामDह म`नु ह�कर उधार एकटक दा�S रह था। उसा क्षणु र्शDन्र्य म� किवलिचात्र बजी� बजी उठ� । र्शतामन्र्य� पर परिरजीता प�ष्प3 कY वPमिz ह�नु� 6ग�। अचानुक म�र्घागजी�नु क� साथा वज्रधार� इन्द्र प्रेकट ह� गर्य�। साब 6�ग आ?S� फड़ा-फड़ाकर आश्चर्य� क� साथा इसा दृश्र्य क� दा�S रह� था�।

र्शतामन्र्य� क� मस्ताक पर अत्र्यन्ता स्नु�ह सा� हथा फ� रता� हुँए सा�रपकिता ब�6�T "वत्सा ! ता�र� दा�र्शर्भलिक्त और जीनुकल्र्यणु कY र्भवनु सा� मL सा ता�z हूँ?। जिजीसा दा�र्श क� ब6क अपनु� दा�र्श कY रक्ष क� लि6ए अपनु� प्रेणु3 क� न्र्य�छोवर करनु� क� लि6ए हम�र्श उद्याता रहता� हL, उसा दा�र्श क कर्भ� पतानु नुह� ह� साकता। ता�र� त्र्यगर्भव सा� सा ता�z ह�नु� क� करणु ता�र� बलि6 क� किबनु ह� मL र्यज्ञा-फ6 प्रेदानु कर दू?ग।" इतानु कहकर इन्द्र अन्ताधा�नु ह� गर्य�।

दूसार� ह� दिदानु इतानु� र्घानुर्घा�र वषों� हुँई किक धारता� पर साव�त्र जी6-ह�-जी6 दिदाSनु� 6ग। परिरणुमस्वरूप पDर� दा�र्श म� अन्न-जी6, फ6-फD 6 क प्रेचाDर्य� ह� गर्य। दा�र्श क� लि6ए प्रेणु अर्तिपgता करनु� व6� र्शतामन्र्य� क� त्र्यग, ताप और जीनु कल्र्यणु कY र्भवनु नु� साव�त्र S�लिर्शर्य? ह� S�लिर्शर्य? किबS�र दा¬। साबक� हृदार्य म� आनु दा क� किह6�र� उठनु� 6ग�।

धान्र्य ह� र्भरतार्भDमिम ! धान्र्य हL र्भरता क� र्शतामन्र्य� जी�सा� 66 ! जी� दा�र्श कY रक्ष क� लि6ए अपनु� प्रेणु3 क त्र्यग करनु� क� र्भ� ता�र्यर रहता� हL।

ॐअनु�क्रम

स�रस्�त्यो म&त्र और बा�रबालो11 वषों� क ब�रब6 आगर म� पनु क गल्6 चा6ता था। गल्6� म� ब�ठकर सार`ता� सा� सा�पर� कटता जीता

और सारस्वत्र्य म त्र क जीप र्भ� करता जीता। प्रेकितादिदानु ब�ठकर किनुर्यमपDव�क 5 म6ए? करता था, इसाक� अ6व जीब र्भ� सामर्य मिम6ता ताब मनुलिसाक जीप किकर्य करता। सारस्वत्र्य म त्र क� प्रेर्भव सा� उसाकY ब�जिद्ध र्भ� SDब किवकलिसाता ह� गर्य� था�।

एक दिदानु एक S�जी आर्य और उसानु� ब�रब6 सा� पDछोT "अर� र्भई ! चाDनु मिम6�ग? पवर्भर 6�नु ह�।"

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ब�रब6 नु� S�जी किक तारफ दा�S और था�ड़ा� दा�र र्श ता ह� गर्य। उसा� S�जी कY पDर� हकYकता क पता चा6 गर्य क्र्य3किक ब�रब6 नु� ता� अपनु� ग�रु सा� सारस्वत्र्य म त्र 6� रS था। उसानु� S�जी सा� पDछोT

"क्र्य आप अकबर बदार्शह क� र्यह? पनु 6गता� हL?"S�जीT "ह?, ह?....""आपनु� क6 बदार्शह क� पनु 6गकर दिदार्य ह�ग और उसाम� चाDनु ज्र्यदा 6ग गर्य ह�ग जिजीसाकY वजीह सा�

उनुक� म�?ह म� छो6� पड़ा गर्य� ह3ग�। इसा�लि6ए आजी बदार्शह नु� आपक� द्वार पवर्भर चाDनु म?गवर्य ह�। अब ता6वर और र्भ6� व6� लिसापकिहर्य3 क� ब�चा र्घा�रकर आपक� र्यह पवर्भर चाDनु Sनु� क� लि6ए बध्र्य किकर्य जीर्य�ग।"

"ता`ब...! ता`ब....! किफर ता� मL मर जीऊँ? ग। क्र्य करु? ? र्भग जीऊँ? र्य अपनु�-आपक� Sत्म कर दू??""र्भग जीनु� सा� कम नुह� बनु�ग, पकड़ा� जीओग�। मर जीनु� सा� र्भ� कम नुह� चा6�ग। आत्महत्र्य करनु� व6

ता� कर्यर ह�ता ह�, कर्यर। डरप�क मनु�ष्र्य ह� आत्महत्र्य करता ह�। आत्महत्र्य करनु महपप ह�।"आत्महत्र्य क� किवषोंर्य म� ता� सा�चानु ताक नुह� चाकिहए। जी� आत्महत्र्य करनु� क किवचार करता ह�, उसा� सामझा

6�नु चाकिहए किक आत्महत्र्य कर्यरता कY परकष्ठा ह�। आत्महत्र्य किनुरर्श कY परकष्ठा ह�। कर्भ� कर्यर नु बनु�, किनुरर्श नु ह3। प्रेर्यत्नु कर�, प�रुषोंथा� कर�। हजीर बर हर जीनु� पर र्भ� किनुरर्श नु ह3। किफर सा� प्रेर्यसा कर�। Try and try, you will succeed.

प्रेत्र्य�क किवघ्नु-बधारूप� अ?धा�र� रता क� प�छो� साफ6तारूप� प्रेर्भता आता ह� ह�। प्रेर्यत्नु करता� रहनु� सा� एक बर नुह� ता� दूसार� बर, दूसार� बर नुह� ता� ता�सार� बर.... मग� मिम6 ह� जीर्य�ग, आपक� लि6ए साफ6ता क द्वार जीरूर S�6 जीर्य�ग। उद्या�ग� बनु�, प�रुषोंथा£ बनु�, किनुर्भ�र्य रह�।

ब�रब6T "र्भगनु� सा� र्भ� कम नुह� चा6�ग और मर जीनु� सा� र्भ� कम नुह� चा6�ग।"S�जीT "S�दा S�र कर�, ब दा म`जी कर�....""S�दा S�र ता� बहुँता करता ह�, हिंकgता� ब दा अपनु� ब�जिद्ध क उपर्य�ग कर� ताब नु?""ता� अब क्र्य करू? ? ताD ह� बता। ताD ह� ता� छो�ट-सा बच्च, हिंकgता� ता�र� अक्6 जी�रदार ह� !""S�जीजी� ! पवर्भर चाDनु 6� जीइर्य� और दा�र्श� र्घा� र्भ� 6� जीइर्य�। पवर्भर र्घा� प�कर दारबर म� जीनु। र्यदिदा

बदार्शह पवर्भर चाDनु Sनु� क� कह�ग� ता� र्भ� लिचान्ता नु रह�ग�। र्घा� चाDनु� क� मर�ग और चाDनु र्घा� क� मर�ग। आप जी�किवता रह जीर्य�ग�।"

"ऐसा?""ह?, ऐसा ह� ह�ग। सा�पर� बहुँता कड़ाक ह�ता� ह� इसालि6ए बDढ़� 6�ग ठ�क सा� नुह� चाब साकता�। हिंकgता� र्यदिदा

बदाम क� साथा सा�पर� क� चाबर्य जीर्य� ता� सा�पर� आसानु� सा� चाबर्य� जी साकता� ह�। उसा� प्रेकर र्घा� प�कर जीओग� ता� चाDनु र्घा� क� मर�ग और र्घा� चाDनु� क� मर�ग। आप बचा जीओग�।"

S�जी नु� पवर्भर चाDनु लि6र्य और दा�र्श� र्घा� प�कर पहुँ?चा गर्य दारबर म� अकबर क� पवर्भर चाDनु दिदार्य। अकबर क्र�मिधाता ह�ता� हुँए कहनु� 6गT

"नु6र्यक ! मDS� ! 6परवह� सा� कम करता ह�? पनु म� ज्र्यदा चाDनु ड6नु� सा� क्र्य ह�ता ह�, अब दा�S। र्यह पवर्भर चाDनु अर्भ� म�र� सामनु� ह� S जी।"

S�जी क� आसा-पसा ता6वर और र्भ6� 6�कर लिसापह� ता�नुता कर दिदार्य� गर्य�, जिजीसासा� S�जी र्भग नु पर्य�। S�जी किबनु र्घाबरर्य� चाDनु Sनु� 6ग। जिजीसा� ब�रब6 जी�सा सा�S दा�नु�व6 मिम6 गर्य ह�, उसा� र्भर्य किकसाक? लिचान्ता किकसाकY? 6�ग जी�सा� मक्Sनु Sता� हL, व�सा� ह� वह चाDनु S गर्य क्र्य3किक वह दा�र्श� र्घा� प�कर आर्य था।

अकबरT "जी, नु6र्यक ! अब र्घार जीकर मर।"पर ता� S�जी जीनुता था किक वह मरनु�व6 नुह� ह�। दूसार� ह� दिदानु S�जी किफर सा� दारबर म� हजिजीर ह� गर्य।

अकबर आश्चर्य�चाकिकता ह�कर उसा� दा�Sता ह� रह गर्य।"अर� ! ताD जिंजीgदा क� सा� रह गर्य? ता�र� म�?ह और प�ट म� छो6� नुह� पड़ा�? जीर म�?ह S�6कर ता� दिदाS।"

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S�जी क म�?ह दा�Sकर अकबर दा ग रह गर्य। अर� ! इसाक� ता� चाDनु� कY क�ई असार ह� नुह� हुँई ! उसानु� S�जी सा� पDछोT

"र्यह क� सा� हुँआ?"S�जीT "जीह?पनुह ! जीब मL चाDनु 6�नु� क� लि6ए पनु क� गल्6� पर पहुँ?चा, ताब वह पनुव6 ब�रब6 आपक�

मनु कY बता जीनु गर्य। म�झा� ता� क� छो पता ह� नुह� था। उसानु� ह� म�झा� कह किक 'बदार्शह ता�झा� र्यह चाDनु खिS6र्य�ग�।' मL ता`ब.... ता`ब.... प�कर उठ। उसानु� दार्य करक� म�झा� उपर्य बतार्य किक 'आप र्घा� प�कर जीनु। र्घा� चाDनु� क� मर�ग, चाDनु र्घा� क� मर�ग और आप जी�किवता रह जीओग�।' इसा�लि6ए जीह?पनुह ! मL र्घा� प�कर ह� दारबर म� आर्य था। पवर्भर चाDनु Sनु� क� बवजीDदा र्भ� र्घा� क� करणु बचा गर्य।"

अकबर किवचारनु� 6ग किक 'म�र� मनु कY बता पनु क� गल्6� पर ब�ठनु� व6� 11 वषों£र्य ब�रब6 नु� क� सा� जीनु 6�? र्घा� चाDनु� क� मरता ह� और चाDनु र्घा� क� मरता ह� ऐसा� अक्6 ता� म�र� पसा र्भ� नुह� ह�, किफर इसा छो�ट�-सा� ब6क म� क� सा� आर्य�? जीरूर वह ब6क ह�नुहर और SDब ह�लिर्शर्यर ह�ग।'

अकबर नु� अपनु� वजी�र क� हुँक्म किकर्यT "जीओ, उसा ब6क क� आदारसाकिहता प6कY म� किबठकर 6� आओ।"

ब�रब6 क� आदारपDव�क प6कY म� किबठकर रजी-दारबर म� 6र्य गर्य। उसासा� कई प्रेश्न पDछो� गर्य�। अकबर नु� पDछोT

"12 म� सा� एक जीर्य ता� किकतानु� बचाता� हL?"ब�रब6T "मL जीवब दू? उसासा� पह6� दूसार� वजी�र3 सा� पDछोनु ह�?"अकबरT "पह6� दूसार� वजी�र इसाक जीवब दा�।"किकसा� वजी�र नु� कह '11' ता� किकसा� नु� कह '5 और 6' किकसा� नु� कह '8 और 3' ता� किकसा� नु� कह '7 और 4'।ब�जिद्धमनु ब�रब6 नु� किवचार किकर्य किक 12 म� सा� एक जीर्य� ता� 11 बचाता� हL। इसा प्रेश्न क जीवब ता� र्यह� ह�ग,

पर ता� ऐसा सामन्र्य प्रेश्न बदार्शह नुह� पDछो साकता�। किफर र्भ� र्यदिदा पDछो रह� हL ता� जीरूर इसाम� क�ई रहस्र्य ह�ग।आखिSर ब�रब6 नु� किवचार कर कहT"12 म� सा� एक जीर्य� ता� र्शDन्र्य बकY बचाता ह�।"साब वजी�र ब�रब6 कY ओर दा�Sनु� 6ग�। अकबर नु� पDछोT "इसाक अथा� क्र्य?""वषों� म� 12 मह�नु� ह�ता� हL। उसाम� सा� सावनु क मह�नु बरसाता क� किबनु ह� किनुक6 जीर्य ता� अनुजी उग�ग ह�

नुह�, इसासा� किकसानु क� ता� बरह-क� -बरह मह�नु� गर्य�।""र्शबर्श.....! र्शबर्श....!"अकबर नु� जी� र्भ� साव6 पDछो� उनु साबक� ब�रब6 नु� र्य�लिक्तर्य�क्त जीवब दिदार्य�। अकबर नु� कहT "पनु क गल्6

चा6नु� व6� ! ताD ता� म�र वजी�र बनुनु� क� र्य�ग्र्य ह�।"उसा� वक्त अकबर नु� 11 वषों� क� छो�ट�-सा� ब�रब6 क� अपनु वजी�र किनुर्य�क्त कर दिदार्य। किफर ता� जी�वनुर्भर

ब�रब6 अकबर क किप्रेर्य वजी�र बनु रह।सारस्वत्र्य म त्र क� जीप और सात्सा ग क ह� र्यह प्रेर्भव था, जिजीसासा� ब�रब6 इतानु� नुन्ह� सा� उम्र म� ह� चामक

उठ।ब�रब6 अपनु� ब�जिद्धमत्त क� करणु अकबर क किप्रेर्यपत्र बनु गर्य। इसासा� बहुँता-सा� 6�ग ब�रब6 सा� ईष्र्य� सा�

जी6नु� 6ग�। ब�रब6 क� कई बर दारबर म� सा� किनुक6नु� क� प्रेर्यत्नु किकर्य� गर्य�, पर ता� ब�रब6 इतानु चाता�र था किक हर बर षोंड्यं त्र सा� बचा किनुक6ता। ब�रब6 क� हटनु� क� लि6ए किवर�धा� अनु�क प्रेकर कY र्य�लिक्त-प्रेर्य�लिक्तर्य? आजीमता�, हिंकgता� किवजीर्य हम�र्श ब�रब6 कY ह� ह�ता�। किफर र्भ� दूसार� वजी�र जीब ताब बदार्शह क� कनु र्भरता� रहता�।

एक बर वजी�र3 नु� कहT "जीह?पनुह ! आपनु� ब�रब6 क� लिसार चाढ़ रS ह�। आजी हम साब मिम6कर उसाकY ह?सा� उड़ार्य�ग�।"

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अकबर र्भ� उनुक� साथा मिम6 गर्य। इतानु� म� ह� ब�रब6 आर्य। उसा� दा�Sकर अकबर और साब वजी�र ह?सानु� 6ग�, उसाक मS`6 उड़ानु� 6ग�। ब�रब6 सामझा गर्य किक बदार्शह और म�झासा� ईष्र्य� करनु� व6� वजी�र जीनु-बDझाकर म�झा पर ह?सा रह� हL। जीह? सार्भ� ह?सा रह� हL, वह? मL क्र्य3 Sम�र्श रहूँ?? ब�रब6 र्भ� प�ट पकड़ाकर ह?सानु� 6ग। वह इतानु ह?सा, इतानु ह?सा किक उसा� ह?साता� दा�Sकर साब वजी�र3 क म�?ह छो�ट ह� गर्य। व� किवचारनु� 6ग� किक हम जिजीसा ब�रब6 कY ह?सा� उड़ा रह� हL, वह ता� स्वर्य ह� ह?सा रह ह� !

क�ई ह?साकर आपक� फYक दिदाSनु चाह� ता� र्य�लिक्त आजीमकर अपनु� असा6� हस्र्य सा� उसा फYक� पनु क� मधा�रता म� बदा6 दा�नु चाकिहए।

अकबरT "ब�रब6 ! ता�म क्र्य3 ह?सा�?"ब�रब6T "जीह?पनुह ! आप क्र्य3 ह?सा�? पह6� आप बतार्य�।""मLनु� ता� रकित्र म� एक स्वप्न दा�S था।""क्र्य स्वप्न दा�S?""स्वप्न म� हम दा�नु3 र्यत्र कर रह� था�। बहुँता गम£ पड़ा गर्य� था�, इसालि6ए हम दा�नु3 नु� स्नुनु किकर्य। जी ग6 म� दा�

क� ड था�। एक था दूधा-म6ई क क� ड और दूसार था गटर क� पनु� क क� ड। मLनु� दूधा-म6ईव6� क� ड म� ड�बकY मर� और ता�मनु� गटर क� पनु� प�नु� व6� क� ड म�। ताD र्भ� नुहर्य और मL र्भ�। मL ता� दूधा म� नुहर्य और ताD गटर क� ग दा� पनु� म�। अर्भ� उसा� र्यदा करक� ह� ह?सा रह था।"

"मL र्भ� इसा�लि6ए ह?सा रह था किक आपक स्वप्न और म�र स्वप्न एक ह� ह�। हम दा�नु3 क� ड म� ता� किगर गर्य� था�, पर ता� नुहनु� क� उद्दे�श्र्य सा� नु किनुक6नु� क� करणु साथा म� ता`लि6र्य नुह� 6� गर्य� था�। गम£ 6ग� इसालि6ए नुहर्य�। जीब हम बहर किनुक6�, ताब आपनु� म�झा� चाट और मLनु� आपक�। म�झा� दूधा-म6ई चाटनु� क� मिम6� और आपक� गटर क मसा6 ! इसालि6ए म�झा� ह?सा� आ रह� ह�।"

"ता`ब.... ता`ब... र्यह क्र्य कर रह� ह�?""मLनु� जी� स्वप्न दा�S वह� कह रह हूँ?। आपक स्वप्न ता� ब�चा म� ह� टDट गर्य, पर ता� मLनु� र्यह आग� क र्भ�

दा�S।"ब�रबर र्भगवदाw र्भजीनु, महप�रुषों3 क� सात्सा ग, र्शस्त्र-अध्र्यर्यनु और सारस्वत्र्य म त्र क� प्रेर्भव सा� इतानु

ब�जिद्धमनु बनु गर्य किक अकबर जी�सा साम्रट र्भ� उसाकY ब�जिद्ध क� आग� हर मनु 6�ता था।जीब ताक ब�रब6 जी�किवता रह, ताब ताक अकबर क जी�वनु आनु दा, उल्6सा और उत्साह सा� परिरपDणु� रह।

ब�रब6 क दा�हवसानु ह�नु� पर अकबर ब�6 उठT"आजी ताक मL एक मदा� क� साथा जी�ता था। अब म�झा� किहजीड़ा3 क� साथा जी�नु पड़ा�ग। ह� S�दाता6 ! अब म�र�

जी�वनु क रसा चा6 गर्य। ब�रब6 जी�सा रसा�6 व्यलिक्त म�झा� एक ह� मिम6। दूसार क�ई वजी�र उसाक� जी�सा नुह� ह�।"अकबर नु� ब�रब6 क� सा ग म� रहकर कई ऐसा� बता� जीनु�, जिजीसा� सामन्र्य रजी नुह� जीनु पता�। ब�रब6 नु� र्भ�

र्यह साब बता� परम सात्त कY कP प सा� वह? जीनु�, जीह? सा� साब ऋकिषों जीनुता� हL।र्यदिदा बल्र्यवस्था सा� ह� मनुव क� किकसा� ब्रह्मकिनुष्ठा सादाग�रु क सामिन्नध्र्य मिम6 जीर्य�, सात्सा ग मिम6 जीर्य,

सारस्वत्र्य म त्र मिम6 जीर्य� और वह ग�रु क� मग�दार्श�नु क� अनु�सार ध्र्यनु-र्भजीनु कर�, म त्रजीप कर� ता� उसाक� लि6ए महनु बनुनु सार6 ह� जीता ह�। वह जिजीसा क्ष�त्र म� चाह�, उसा क्ष�त्र म� प्रेगकिता कर साकता ह�। आध्र्यत्मित्मक मग� म� र्भ� वह SDब उन्नकिता कर साकता ह� और ऐकिहक उन्नकिता ता� आध्र्यत्मित्मक उन्नकिता क� प�छो�-प�छो� स्वर्य ह� चा6� आता� ह�।

ॐॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम

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म�ताO-विपताO-ग�रु भT प�ण्डत्तिःलोकर्शस्त्र3 म� आता ह� किक जिजीसानु� मता-किपता और ग�रु क आदार कर लि6र्य उसाक� द्वार साम्पूDणु� 6�क3 क आदार

ह� गर्य और जिजीसानु� इनुक अनुदार कर दिदार्य उसाक� साम्पूDणु� र्श�र्भ कम� किनुष्फ6 ह� गर्य�। व� बड़ा� ह� र्भग्र्यर्श6� हL जिजीन्ह3नु� मता-किपता और ग�रु कY सा�व क� मह व क� सामझा ताथा उनुकY सा�व म� अपनु जी�वनु साफ6 किकर्य।

ऐसा ह� एक र्भग्र्यर्श6� सापDता था प�ण्डलि6क।प�ण्डलि6क अपनु� र्य�ववस्था म� ता�था�र्यत्र करनु� क� लि6ए किनुक6। र्यत्र करता�-करता� कर्श� पहुँ?चा। कर्श� म�

र्भगवनु किवश्वानुथा क� दार्श�नु करनु� क� बदा प�ण्डलि6क नु� 6�ग3 सा� पDछोT "क्र्य र्यह? क�ई पहुँ?चा� हुँए महत्म हL जिजीनुक� दार्श�नु करनु� सा� हृदार्य क� र्श किता मिम6� और ज्ञानु प्रेप्ता ह�?"

6�ग3 नु� कहT ह?, हL। ग ग पर क� क्क� र म�किनु क आश्रृंम ह�। व� पहुँ?चा� हुँए आत्मज्ञानु� सा ता हL। व� सादा पर�पकर म� 6ग� रहता� हL। व� इतानु� ऊँ? चा� कमई क� धानु� हL किक साक्षताw म? ग ग, म? र्यम�नु और सारस्वता� उनुक� आश्रृंम म� रसा�ईर्घार कY सा�व क� लि6ए प्रेस्ता�ता ह� जीता� हL।"

प�ण्डलि6क क� मनु म� क� क्क� र म�किनु सा� मिम6नु� कY जिजीज्ञासा ता�व्र ह� उठ�। पता पDछोता�-पDछोता� वह पहुँ?चा गर्य क� क्क� र म�किनु क� आश्रृंम म�। र्भगवनु कY कP प सा� उसा सामर्य क� क्क� र म�किनु अपनु� क� दिटर्य क� बहर ह� किवरजीमनु था�। म�किनु क� दा�Sकर प�ण्डलि6क नु� मनु ह� मनु प्रेणुम किकर्य और सात्सा ग-वचानु सा�नु�। म�किनु क� दार्श�नु और सात्सा ग श्रृंवणु क� पश्चताw प�ण्डलि6क क� हुँआ किक म�किनुवर सा� अक� 6� म� अवश्र्य मिम6नु चाकिहए। म`क पकर प�ण्डलि6क एकन्ता म� म�किनु सा� मिम6 गर्य। म�किनु नु� पDछोT

"वत्सा ! ता�म कह? सा� आ रह� ह�?"प�ण्डलि6कT "मL प ढेरप�र, महरष्ट्र सा� आर्य हूँ?।""ता�म्हर� मता-किपता जी�किवता हL नु?""ह?, हL।""ता�म्हर� ग�रु हL?""ह?, हL। हमर� ग�रु ब्रह्मज्ञानु� हL।"क� क्क� र म�किनु रुz ह� गर्य�T "प�ण्डलि6क ! ताD बड़ा मDS� ह�। मता-किपता किवद्यामनु हL, ब्रह्मज्ञानु� ग�रु हL किफर र्भ�

र्यह? ता�था� करनु� क� लि6ए र्भटक रह ह�? अर� प�ण्डलि6क ! मLनु� जी� कथा सा�नु� था� उसासा� ता� म�र जी�वनु बदा6 गर्य। मL ता�झा� वह� कथा सा�नुता हूँ?। ताD ध्र्यनु सा� सा�नु।

एक बर र्भगवनु र्श कर क� र्यह? उनुक� दा�नु3 प�त्र3 म� ह�ड़ा 6ग� किक 'क`नु बड़ा?' कर्तिताgक नु� कहT 'गणुपकिता मL ता�मसा� बड़ा हूँ?।'गणुपकिताT 'आप र्भ6� उम्र म� बड़ा� हL 6�किकनु ग�णु3 सा� र्भ� बड़ाप्पनु ह�ता ह�।'किनुणु�र्य 6�नु� क� लि6ए दा�नु3 गर्य� लिर्शव-पव�ता� क� पसा। लिर्शव-पव�ता� नु� कहT 'जी� साम्पूDणु� पPर्थ्यव� कY परिरक्रम

करक� पह6� पहुँ?चा�ग, उसा� क बड़ाप्पनु मनु जीर्य�ग।'कर्तिताgक� र्य ता�र ता अपनु� वहनु मर्यDर पर किनुक6 गर्य� पPर्थ्यव� कY परिरक्रम करनु�। गणुपकिता जी� चा�पक� सा� किकनुर�

चा6� गर्य�। था�ड़ा� दा�र र्श ता ह�कर उपर्य S�जी। किफर आर्य� लिर्शव-पव�ता� क� पसा। मता-किपता क हथा पकड़ाकर दा�नु3 क� ऊँ? चा� आसानु पर किबठर्य, पत्र-प�ष्प सा� उनुक� श्रृं�चारणु3 कY पDजी कY और प्रेदात्तिःक्षणु करनु� 6ग�। एक चाक्कर पDर हुँआ ता� प्रेणुम किकर्य.... दूसार चाक्कर 6गकर प्रेणुम किकर्य... इसा प्रेकर मता-किपता कY साता प्रेदात्तिःक्षणुए? कर 6�।

लिर्शव-पव�ता� नु� पDछोT 'वत्सा ! र्य� प्रेदात्तिःक्षणुए? क्र्य3 क­?"गणुपकिताT 'स�Mता�थेMमयो� म�ता�.... स�Mदा��मयो� विपता�.... सार� पPर्थ्यव� कY प्रेदात्तिःक्षणु करनु� सा� जी� प�ण्र्य ह�ता ह�

वह� प�ण्र्य मता कY प्रेदात्तिःक्षणु करनु� सा� ह� जीता ह�, र्यह र्शस्त्रवचानु ह�। किपता क पDजीनु करनु� सा� साब दा�वताओं क पDजीनु ह� जीता ह�। किपता दा�वस्वरूप हL। अताT आपकY परिरक्रम करक� मLनु� साम्पूDणु� पPर्थ्यव� कY साता परिरक्रमए? कर 6� हL।' ताबसा� गणुपकिता प्रेथाम पDज्र्य ह� गर्य�।

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लिर्शवप�रणु म� आता ह�Tविपत्र�श्चा प�जन& कO त्�� प्राक�न्तिंन्ताg च कर�विता यो*।तास्यो �Z पOत्तिःथे��जन्योफालो& भ�विता विनद्धिःश्चातामF।।

अपहो�यो गOहो� यो� �Z विपतार] ता�थेMम�व्रज�ताF।तास्यो प�प& ताथे� प्रा�T& होनन� च तायो�योMथे�।।प�त्रस्यो यो महो)�थे_ विपत्र�श्चार`प&कजमF।

अन्योता�थे_ ता� दूर� �Z गत्�� सम्प्रा�प्योता� प�न*।।इदा& स&विनविहोता& ता�थे_ स�लोभ& धमMस�धनमF।

प�त्रस्यो च स्त्रिस्त्रयो�श्चाZ� ता�थे_ ग�हो� स�श�भनमF।।'जी� प�त्र मता-किपता कY पDजी करक� उनुकY प्रेदात्तिःक्षणु करता ह�, उसा� पPर्थ्यव� परिरक्रमजीकिनुता फ6 सा�6र्भ ह�

जीता ह�। जी� मता किपता क� र्घार पर छो�ड़ाकर ता�था�र्यत्र क� लि6ए जीता ह�, वह मता-किपता कY हत्र्य सा� मिम6नु� व6� पप क र्भग� ह�ता ह�, क्र्य3किक प�त्र क� लि6ए मता-किपता क� चारणु-सार�जी ह� महनु ता�था� हL। अन्र्य ता�था� ता� दूर जीनु� पर प्रेप्ता ह�ता� हL, पर ता� धाम� क साधानुर्भDता र्यह ता�था� ता� पसा म� ह� सा�6र्भ ह�। प�त्र क� लि6ए मता-किपता और स्त्र� क� पकिता सा�न्दार ता�था� र्घार म� ह� किवद्यामनु हL।'

(द्धिःश.प�., रूS.स&., क� . ख&- 19.39-42)

प�ण्डलि6क ! मLनु� र्यह कथा सा�नु� और मLनु� म�र� मता-किपता कY आज्ञा क प6नु किकर्य। र्यदिदा म�र� मता-किपता म� कर्भ� क�ई कम� दिदाSता� था� ता� मL उसा कम� क� अपनु� जी�वनु म� नुह� 6ता था और अपनु� श्रृंद्ध क� र्भ� कम नुह� ह�नु� दा�ता था। म�र� मता-किपता प्रेसान्न हुँए। उनुक आर्श�व�दा म�झा पर बरसा। किफर म�झा पर म�र� ग�रुदा�व कY कP प बरसा� इसा�लि6ए म�र� ब्रह्मज्ञानु म� स्थिस्थाकिता हुँई और म�झा� र्य�ग म� साफ6ता मिम6�। मता-किपता कY सा�व क� करणु म�र हृदार्य र्भलिक्तर्भव सा� र्भर ह�। म�झा� किकसा� अन्र्य इzदा�व कY र्भलिक्त करनु� कY क�ई म�हनुता नु करनु� पड़ा�। म�ताOदा��� भ�। विपताOदा��� भ�। आच�योMदा��� भ�।

म दिदार म� ता� पत्थार कY मDर्तिताg म� र्भगवनु कY र्भवनु कY जीता� ह� जीबकिक मता-किपता और ग�रुदा�व म� ता� साचाम�चा परमत्मदा�व हL, ऐसा मनुकर मLनु� उनुकY प्रेसान्नता प्रेप्ता कY। किफर ता� म�झा� नु वषोंm ताक ताप करनु पड़ा नु ह� अन्र्य किवमिधा-किवधानु3 कY क�ई म�हनुता करनु� पड़ा�। ता�झा� र्भ� पता ह� किक र्यह? क� रसा�ईर्घार म� स्वर्य ग ग-र्यम�नु-सारस्वता� आता� हL। ता�था� र्भ� ब्रह्मज्ञानु� क� द्वार पर पवनु ह�नु� क� लि6ए आता� हL। ऐसा ब्रह्मज्ञानु मता-किपता और ब्रह्मज्ञानु� ग�रु कY कP प सा� म�झा� मिम6 ह�।

प�ण्डलि6क क� अपनु� ग6ता� क एहसासा हुँआ। उसानु� क� क्क� र म�किनु क� प्रेणुम किकर्य और प ढेरप�र जीकर मता-किपता कY सा�व म� 6ग गर्य।

मता-किपता कY सा�व क� ह� उसानु� प्रेर्भ� कY सा�व मनु लि6र्य। मता-किपता क� प्रेकिता उसाकY सा�व कY किनुष्ठा दा�Sकर र्भगवनु नुरर्यणु बड़ा� प्रेसान्न हुँए और स्वर्य उसाक� सामक्ष प्रेकट हुँए। प�ण्डलि6क उसा सामर्य मता-किपता कY सा�व म� व्यस्ता था। उसानु� र्भगवनु क� ब�ठनु� क� लि6ए एक ईंट दाc।

अर्भ� र्भ� प ढेरप�र म� प�ण्डलि6क कY दाc हुँई ईंट पर र्भगवनु किवष्णु� Sड़ा� हL और प�ण्डलि6क कY मताP-किपताPर्भलिक्त कY Sबर दा� रह ह� प ढेरप�र क ता�था�।

मLनु� ता� र्यह र्भ� दा�S ह� किक जिजीन्ह3नु� अपनु� मता-किपता और ब्रह्मज्ञानु� ग�रु क� रिरझा लि6र्य ह� व� र्भगवनु ता�ल्र्य पDजी� जीता� हL। उनुक� रिरझानु� क� लि6ए पDर� दुकिनुर्य 66मिर्यता रहता� ह�। इतानु� महनु ह� जीता� हL व� मताP-किपताPर्भक्त सा� और ग�रुर्भक्त सा� !

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम

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दाXघ�Mयो� क� रहोस्योचा�नु क� प�हिंकgग (ब�जिंजीgग) र्शहर क� एक 250 वषों£र्य वPद्ध सा� पDछो गर्यT "आपकY इतानु� दाcर्घा�र्य� क रहस्र्य क्र्य

ह�?"उसा चा�नु� वPद्ध नु� जी� उत्तर दिदार्य, वह सार्भ� क� लि6ए 6र्भदार्यक व उपर्य�ग� ह�। उसानु� कहT"म�र� जी�वनु म� ता�नु बता� हL जिजीनुकY वजीह सा� मL इतानु� 6म्ब� आर्य� प साक हूँ?।एक ता� र्यह ह� किक मL कर्भ� उत्त�जीनु क� किवचार नुह� करता ताथा दिदामग म� उत्त�जीनुत्मक किवचार नुह� र्भरता हूँ?।

म�र� दिदा6-दिदामग र्श ता रह�, ऐसा� ह� किवचार3 क� प�षोंणु दा�ता हूँ?।दूसार� बता र्यह ह� किक मL उत्त�जिजीता करनु�व6, आ6स्र्य क� बढ़नु�व6 र्भ�ज्र्य पदाथा� नुह� 6�ता और ह�

अनुवश्र्यक र्भ�जीनु 6�ता हूँ?। मL स्वदा क� लि6ए नुह�, स्वस्थ्र्य क� लि6ए र्भ�जीनु करता हूँ?।ता�सार� बता र्यह ह� किक मL गहर श्वासा 6�ता हूँ?। नुत्तिःर्भ ताक श्वासा र्भर जीर्य� इतानु श्वासा 6�ता हूँ? और किफर

छो�ड़ाता हूँ?। अधाDर श्वासा नुह� 6�ता।"6S3-कर�ड़ा3 6�ग इसा रहस्र्य क� नुह� जीनुता�। व� पDर श्वासा नुह� 6�ता�। पDर श्वासा 6�नु� सा� फ� फड़ा3 क और

दूसार� अवर्यव3 क अच्छc तारह सा� उपर्य�ग ह�ता ह� ताथा श्वासा कY गकिता कम ह�ता� ह�। जी� 6�ग जील्दाc-जील्दाc श्वासा 6�ता� हL व� एक मिमनुट म� 14-15 श्वासा ग?व दा�ता� हL। जी� 6�ग 6म्ब� श्वासा 6�ता� हL व� एक मिमनुट म� 10-12 श्वासा ह� Sचा� करता� हL। इसासा� आर्य�ष्र्य कY बचाता ह�ता� ह�।

कर्य� करता� सामर्य एक मिमनुट म� 12-13 श्वासा Sचा� ह�ता� हL। दा`ड़ाता� सामर्य र्य चा6ता�-चा6ता� बता करता� सामर्य एक मिमनुट म� 18-20 श्वासा Sचा� ह�ता� हL। क्र�धा करता� सामर्य एक मिमनुट म� 24 सा� 28 वषों� श्वासा Sचा� ह� जीता� हL और कम-र्भ�ग क� सामर्य एक मिमनुट म� 32 सा� 36 श्वासा Sचा� जीता� हL। जी� अमिधाक किवकर� हL उनुक� श्वासा ज्र्यदा Sत्म ह�ता� हL, उनुकY नुसा-नुकिड़ार्य? जील्दाc कमजी�र ह� जीता� हL। हर मनु�ष्र्य क जी�वनुक6 उसाक� श्वासा3 क� म�ताकिबक कम-अमिधाक ह�ता ह�। कम श्वासा (प्रेरब्ध) 6�कर आर्य ह� ता� र्भ� किनुर्तिवgकर� ह�ग ता� ज्र्यदा जी� 6�ग। र्भ6� क�ई अमिधाक श्वासा 6�कर आर्य ह� 6�किकनु अमिधाक किवकर� जी�वनु जी�नु� सा� वह उतानु नुह� जी� साकता जिजीतानु प्रेरब्ध सा� जी� साकता था।

जीब आदाम� र्श ता ह�ता ह� ता� उसाक� र्शर�र सा� जी� आर्भ किनुक6ता� ह� वह बहुँता र्श किता सा� किनुक6ता� ह� और जीब आदाम� उत्त�जीत्मक र्भव3 म�, किवचार3 म� आता ह� र्य क्र�धा क� सामर्य क?पता ह�, उसा वक्त उसाक� र�मकD प सा� अमिधाक आर्भ किनुक6ता� ह�। र्यह� करणु ह� किक क्र�धा� आदाम� जील्दाc थाक जीता ह� जीबकिक र्श ता आदाम� जील्दाc नुह� थाकता।

र्श ता ह�नु� क मता6ब र्यह नुह� किक आ6सा� ह�कर ब�ठ� रह�। अगर आ6सा� ह�कर ब�ठ� रह�ग� ता� र्शर�र क� प�जी[ ब�कर ह� जीर्य�ग�, लिर्शलिथा6 ह� जीर्य�ग�, ब�मर ह� जीर्य�ग�। उन्ह� ठ�क करनु� क� लि6ए किफर श्वासा ज्र्यदा Sचा� ह3ग�।

अकिता परिरश्रृंम नु कर� और अकिता आरमकिप्रेर्य नु बनु�। अकिता Sर्य� नुह� और अकिता र्भ�Sमर� नु कर�। अकिता सा�र्य� नुह� और अकिता जीग� नुह�। अकिता सा ग्रह नु कर� और अकिता अर्भवग्रस्ता नु बनु�। र्भगवनु श्रृं�कP ष्णु नु� ग�ता म� कह ह�T यो�T�हो�रवि�हो�रस्यो.....

ड¢. फ्रे� डरिरक कई सा स्थाओं क� अग्रणु� था�। उन्ह3नु� 84 वषों£र्य एक वPद्ध साज्जनु क� साताता कम�र्श�6 रहता� हुँए दा�Sकर पDछोT "एक ता� 84 वषों� कY उम्र, नु`कर� सा� सा�वकिनुवPत्त, किफर र्भ� इतानु� सार� कर्य� और इतानु� र्भग-दा`ड़ा आप क� सा� कर 6�ता� हL? ग्रह-नुक्षत्र कY जी?चा-परS म� आप म�र इतानु साथा दा� रह� हL ! क्र्य आपक� थाकनु र्य कमजी�र� महसाDसा नुह� ह�ता�? क्र्य आपक� क�ई ब�मर� नुह� ह�?"

जीवब म� उसा वPद्ध नु� कहT "आप अक� 6� ह� नुह�, और र्भ� परिरलिचाता ड¢क्टर3 क� ब�6कर म�र� तान्दुरुस्ता� कY जी?चा करव 6�, म�झा� क�ई ब�मर� नुह� ह�।"

कई ड¢क्टर3 नु� मिम6कर उसा वPद्ध कY जी?चा कY और दा�S किक उसा वPद्ध क� र्शर�र म� ब�ढ़प� क� 6क्षणु ता� प्रेकट ह� रह� था� 6�किकनु किफर र्भ� वह वPद्ध प्रेसान्नलिचात्त था। इसाक क्र्य करणु ह� साकता ह�?

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जीब ड¢क्टर3 नु� इसा बता कY S�जी कY ताब पता चा6 किक वह वPद्ध दृढ़ मनु�ब6 व6 ह�। र्शर�र म� ब�मर� क� किकतानु� ह� कYटणु� पनुप रह� हL 6�किकनु दृढ़ मनु�ब6, प्रेसान्नलिचात्त स्वर्भव और किनुर तार किक्रर्यर्श�6 रहनु� क� करणु र�ग क� कYटणु� उत्पन्न ह�कर नुz र्भ� ह� जीता� हL। व� र�ग इनुक� मनु पर क�ई प्रेर्भव नुह� ड6 पता�।"

आ6स्र्य र्श�तानु क र्घार ह�। आ6स्र्य सा� बढ़कर मनुव क दूसार क�ई र्शत्र� नुह� ह�। जी� साताता प्रेर्यत्नुर्श�6 और उद्यामर्श�6 रहता ह�, साफ6ता उसाक वरणु करता� ह�। कह र्भ� गर्य ह�T

उद्याम�न विहो त्तिःसLयोन्तिन्ता क�यो�Mद्धिः` न मन�रथेZ*।न विहो स�प्तास्यो सिंसgहोस्यो प्रावि�शन्तिन्ता म�ख� मOग�*।।

'उद्यामर्श�6 क� ह� कर्य� लिसाद्ध ह�ता� हL, आ6सा� क� नुह�। कर्भ� र्भ� सा�र्य� हुँए सिंसाgह क� म�S म� मPग स्वर्य प्रेव�र्श नुह� करता�।'

अताT ह� किवद्यार्थिथाgर्य� ! उद्याम� बनु�। साहसा� बनु�। अपनु सामर्य बरबदा मता कर�। जी� सामर्य क� बरबदा करता� हL, सामर्य उन्ह� बरबदा कर दा�ता ह�। सामर्य क� ऊँ? चा� और श्रृं�ष्ठा कर्यm म� 6गनु सा� सामर्य क सादुपर्य�ग ह�ता ह� ताथा ता�म्ह� र्भ� 6र्भ ह�ता ह�। जी�सा�, क�ई व्यलिक्त चापरसा� क� पदा पर ह� ता� 8 र्घा ट� क� सामर्य क सादुपर्य�ग कर�, जिजी6धा�र्श क� पदा पर ह� ता� र्भ� उतानु ह� कर� ताथा रष्ट्रपकिता क� पदा पर ह� ता� र्भ� उतानु ह� कर�, किफर र्भ� 6र्भ अ6ग-अ6ग ह�ता ह�। अताT सामर्य क सादुपर्य�ग जिजीतानु� ऊँ? चा� कर्यm म� कर�ग�, उतानु ह� 6र्भ ज्र्यदा ह�ग और ऊँ? चा�-म�-ऊँ? चा� कर्य� परमत्म कY प्रेप्तिप्ता म� सामर्य 6गओग� ता� ता�म स्वर्य परमत्मरूप ह�नु� क साव®च्च 6र्भ र्भ� प्रेप्ता कर साक�ग�।

उठ�... जीग�... कमर कसा�। श्रृं�ष्ठा किवचार, श्रृं�ष्ठा आहर-किवहर और श्वासा कY गकिता क� किनुर्य त्रणु कY र्य�लिक्त क� जीनु� और दृढ़ मनु�ब6 रSकर, साताता कम�र्श�6 रहकर दाcर्घा�र्य� बनु�। अपनु� सामर्य क� श्रृं�ष्ठा कर्यm म� 6गओ। किफर ता�म्हर� लि6ए महनु बनुनु उतानु ह� साहजी ह� जीर्य�ग, जिजीतानु साDर्य®दार्य ह�नु� पर साDरजीम�S� क खिS6नु साहजी ह�ता ह�।

ॐ र्श किता.... ॐ किहम्मता.... ॐ साहसा ..... ॐ ब6.... ॐ दृढ़ता.... ॐ....ॐ....ॐ....ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनु�क्रम

सफालोता� कZ स� प�यो#?किकसा� नु� कह ह�T

अगर ता�म ठा�न लो�, ता�र� गगन क� ता�ड़ सकता� हो�।अगर ता�म ठा�न लो�, ता�फा�न क� म�ख म�ड़ सकता� हो�।।

र्यह कहनु� क तात्पर्य� र्यह� ह� किक जी�वनु म� ऐसा क�ई कर्य� नुह� जिजीसा� मनुव नु कर साक� । जी�वनु म� ऐसा� क�ई सामस्र्य नुह� जिजीसाक सामधानु नु ह�।

जी�वनु म� सा र्यम, सादाचार, प्रे�म, साकिहष्णु�ता, किनुर्भ�र्यता, पकिवत्रता, दृढ़ आत्मकिवश्वासा और उत्तम सा ग ह� ता� किवद्याथा£ क� लि6ए अपनु 6क्ष्र्य प्रेप्ता करनु आसानु ह� जीता ह�।

र्यदिदा किवद्याथा£ ब`जिद्धक-किवकसा क� क� छो प्रेर्य�ग3 क� सामझा 6�, जी�सा� किक साDर्य� क� अघ्र्य� दा�नु, भ्रामर� प्रेणुर्यम करनु, ता�6सा� क� पत्त3 क सा�वनु करनु, त्रटक करनु, सारस्वत्र्य म त्र क जीप करनु आदिदा ता� उनुक� लि6ए पर�क्ष म� अच्छ� अ क3 सा� उत्त�णु� ह�नु आसानु ह� जीर्य�ग।

किवद्याथा£ क� चाकिहए किक र�जी सा�बह साDर्य®दार्य सा� पह6� उठकर साबसा� पह6� अपनु� इz क, ग�रु क स्मरणु कर�। किफर स्नुनुदिदा करक� अपनु� पDजीकक्ष म� ब�ठकर ग�रुम त्र, इzम त्र अथाव सारस्वत्र्य म त्र क जीप कर�। अपनु� ग�रु र्य इz कY मDर्तिताg कY ओर एकटक किनुहरता� हुँए त्रटक कर�। अपनु� श्वासा�च्छ्वसा कY गकिता पर ध्र्यनु दा�ता� हुँए मनु क� एकग्र कर�। भ्रामर� प्रेणुर्यम कर� जी� 'किवद्याथा£ साव�ग�णु उत्थानु लिर्शकिवर' म� लिसाSर्य जीता ह�।

प्रेकितादिदानु साDर्य� क� अघ्र्य� दा� और ता�6सा� क� 5-7 पत्त3 क� चाबकर 2-4 र्घाD?ट पनु� किपर्य�।रता क� दा�र ताक नु पढ़� वरनुw सा�बह जील्दाc उठकर उपर्य��क्त किनुर्यम3 क� करक� अध्र्यर्यनु कर� ता� इसासा� पढ़ हुँआ

र्श�घ्र र्यदा ह� जीता ह�।

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जीब पर�क्ष दा�नु� जीर्य� ता� तानुव-लिचान्ता सा� र्य�क्त ह�कर नुह� वरनुw इz-ग�रु क स्मरणु करक� , प्रेसान्न ह�कर जीर्य।

पर�क्ष र्भवनु म� र्भ� जीब ताक प्रेश्नपत्र हथा म� नुह� आता ताब ताक र्श ता ताथा स्वस्था लिचात्त ह�कर प्रेसान्नता क� बनुर्य� रS�।

प्रेश्नपत्र हथा म� आनु� पर उसा� एक बर पDर पढ़ 6�नु चाकिहए और जिजीसा प्रेश्न क उत्तर आता ह� उसा� पह6� लि6S�। ऐसा नुह� किक जी� नुह� आता उसा� दा�Sकर र्घाबर जीर्य�। र्घाबरनु� सा� जी� प्रेश्न आता ह� वह र्भ� र्भD6 जीर्य�ग।

जी� प्रेश्न आता� हL उन्ह� ह6 करनु� क� बदा जी� नुह� आता� उनुकY ओर ध्र्यनु दा�। अ दार दृढ़ किवश्वासा रS� किक म�झा� र्य� र्भ� आ जीर्य�ग�। अ दार सा� किनुर्भ�र्य रह� और र्भगवत्स्मरणु करक� एकधा मिमनुट र्श ता ह� जीर्य, किफर लि6Sनु र्श�रु कर�। धा�र�-धा�र� उनु प्रेश्न3 क� उत्तर र्भ� मिम6 जीर्य�ग�।

म�ख्र्य बता र्यह ह� किक किकसा� र्भ� कYमता पर धा�र्य� नु S�र्य�। किनुर्भ�र्यता ताथा दृढ़ आत्मकिवश्वासा बनुर्य� रS�।किवद्यार्थिथाgर्य3 क� अपनु� जी�वनु क� सादा�व ब�र� सा ग सा� बचानु चाकिहए। नु ता� वह स्वर्य धाDम्रपनु आदिदा कर� नु ह�

ऐसा� मिमत्र3 क सा ग कर�। व्यसानु3 सा� मनु�ष्र्य कY स्मरणुर्शलिक्त पर बड़ा Sरब प्रेर्भव पड़ाता ह�।व्यसानु कY तारह चा6लिचात्र र्भ� किवद्याथा£ कY जी�वनुर्शलिक्त क� क्ष�णु कर दा�ता� हL। आ?S3 कY र�र्शनु� क� कम करनु�

क� साथा ह� मनु और दिदामग क� र्भ� क� प्रेर्भकिवता करनु� व6� चा6लिचात्र3 सा� किवद्यार्थिथाgर्य3 क� सादा�व सावधानु रहनु चाकिहए। आ?S3 क� द्वार ब�र� दृश्र्य अ दार र्घा�सा जीता� हL और व� मनु क� र्भ� क� पथा पर 6� जीता� हL। इसाकY अप�क्ष ता� सात्सा ग म� जीनु, सात्शास्त्र3 क अध्र्यर्यनु करनु अनु ताग�नु किहताकर� ह�।

र्यदिदा किवद्याथा£ नु� अपनु किवद्याथा£-जी�वनु सा?र्भ6 लि6र्य ता� उसाक र्भव� जी�वनु र्भ� सा?र्भ6 जीता ह�, क्र्य3किक किवद्याथा£-जी�वनु ह� र्भव� जी�वनु कY आधारलिर्श6 ह�। किवद्याथा£क6 म� वह जिजीतानु सा र्यम�, सादाचार�, किनुर्भ�र्य और साकिहष्णु� ह�ग, ब�र� सा ग ताथा व्यसानु3 क� त्र्यगकर सात्सा ग क आश्रृंर्य 6�ग, प्रेणुर्यम-आसानुदिदा क� सा�चारू रूप सा� कर�ग उतानु ह� उसाक जी�वनु साम�न्नता ह�ग। र्यदिदा नु�व सा�दृढ़ ह�ता� ह� ता� उसा पर बनु किवर्श6 र्भवनु र्भ� दृढ़ और स्थार्य� ह�ता ह�। किवद्याथा£क6 मनुवजी�वनु कY नु�व क� सामनु ह�, अताT उसाक� सा�दृढ़ बनुनु चाकिहए।

इनु बता3 क� सामझाकर उनु पर अम6 किकर्य जीर्य� ता� क� व6 6`किकक लिर्शक्ष म� ह� साफ6ता प्रेप्ता ह�ग� ऐसा� बता नुह� ह� वरनुw जी�वनु कY हर पर�क्ष म� किवद्याथा£ साफ6 ह� साकता ह�।

ह� किवद्यार्थिथाgर्य� ! उठ�... जीग�... कमर कसा�। दृढ़ता और किनुर्भ�र्यता सा� जी�ट पड़ा�। ब�र� सा ग ताथा व्यसानु3 क� त्र्यगकर, सा ता3-सादाग�रुओं क� मग�दार्श�नु क� अनु�सार चा6 पड़ा�... साफ6ता ता�म्हर� चारणु चाDम�ग�।

धान्र्य ह� व� 6�ग जिजीनुम� र्य� छोT ग�णु हL ! अ तार्य�म� दा�व सादा�व उनुकY साहर्यता करता� हL-उद्याम* स�होस& धZयो_ बा�द्धिःL शत्तिःT* पर�क्रम*।

षड�ता� योत्र �ताMन्ता� तात्र दा��* सहो�योकO ता।।'उद्या�ग, साहसा, धा�र्य�, ब�जिद्ध, र्शलिक्त और परक्रम – र्य� छोT ग�णु जिजीसा व्यलिक्त क� जी�वनु म� हL, दा�व उसाकY

साहर्यता करता� हL।'ॐॐॐॐॐ

अनु�क्रम

वि�द्या�र्थिथेgयोo स� दा� बा�ता#जीबसा� र्भरता क� किवद्याथा£ 'ग�ता', 'ग�रुवणु�', 'रमर्यणु' कY मकिहम र्भD6 गर्य�, ताबसा� व� पश्चत्र्य सा स्कP किता क�

अ धानु�करणु क� लिर्शकर बनु गर्य�। नुह� ता� किवदा�र्श क� किवश्वाकिवख्र्यता किवद्वानु3 क� र्भ� चाकिकता कर दा� – ऐसा सामर्थ्यर्य� र्भरता क� नुन्ह�-म�न्ह� बच्च3 म� था।

आजी क किवद्याथा£ क6 क नुगरिरक ह�। किवद्याथा£ जी�सा किवचार करता ह�, दा�र साव�र व�सा ह� बनु जीता ह�। जी� किवद्याथा£ पर�क्ष दा�ता� सामर्य सा�चाता ह� किक 'मL प्रेश्न3 क� ह6 नुह� कर पऊँ? ग... मL पसा नुह� ह� पऊँ? ग.... ' वह

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अनु�त्त�णु ह� जीता और जी� सा�चाता ह� किक मL सार� प्रेश्न3 क� ह6 कर 6D?ग..... मL पसा ह� जीऊँ? ग....' वह पसा र्भ� ह� जीता ह�।

किवद्याथा£ क� अ दार किकतानु� अदार्भ�ता र्शलिक्तर्य? लिछोप� हुँई हL, इसाक उसा� पता नुह� ह�। जीरूरता ता� ह� उनु र्शलिक्तर्य3 क� जीगनु� कY। किवद्याथा£ क� कर्भ� किनुब�6 किवचार नुह� करनु चाकिहए।

�हो क]न-स� उकदा� होZ ज� हो� नहो1 सकता�? ता�र� ज� न च�हो� ता� हो� नहो1 सकता�।छो�टे�-स� क/ड़� पत्थर म# घर कर�, इन्स�न क्यो� दिदालो�-दिदालोबार म# घर न कर�?

ह� र्भरता क� किवद्यार्थिथाgर्य� !अपनु� जी�वनु म� हजीर-हजीर किवघ्नु आर्य�, हजीर बधाए? आ जीर्य� 6�किकनु एक उत्तम 6क्ष्र्य बनुकर चा6ता�

जीओ। दा�र साव�र ता�म्हर� 6क्ष्र्य कY लिसाजिद्ध ह�कर ह� रह�ग�। किवघ्नु और बधाए? ता�म्हर� सा�षों�प्ता चा�तानु क�, सा�षों�प्ता र्शलिक्तर्य3 क� जीगPता करनु� क� र्श�र्भ अवसार हL।

कर्भ� र्भ� अपनु� आप क� क�सा� मता। हम�र्श साफ6ता क� किवचार कर�, प्रेसान्नता क� किवचार कर�, आर�ग्र्यता क� किवचार कर�। दृढ़ं ए�& प�रुष�थे| बान� और भ�रता क� श्री�ष्ठ न�गरिरक बानकर भ�रता क/ श�न बाढ़ं�ओ। ईश्वर ए�& ईश्वरप्रा�प्ता महो�प�रुषo क� आश���Mदा ता�म्हो�र� स�थे हो9...

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम