Gender descrimination
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shiv-kumar -
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Transcript of Gender descrimination
GENDER DESCRIMINATIONDESCRIMINATION BASED ON RELIGION
B.ED THESIS PRESTINATION(SECOND YEAR)2016-17
SUPERVISOR
SMT. RAKHI GUPTA
PRESENTED BY
भारत में लिंग असमानताहम 21वीं शताब्दी के भारतीय होने पर गव� करते हैं जो एक बेटा पैदा होने पर खुशी का जश्न मनाते हैं और यदिद एक बेटी का जन्म हो जाये तो शान्त हो जाते हैं यहाँ तक किक कोई भी जश्न नहीं मनाने का किनयम बनाया गया हैं। लड़के के लिलये इतना ज्यादा प्यार किक लड़कों के जन्म की चाह में हम प्राचीन काल से ही लड़किकयों को जन्म के समय या जन्म से पहले ही मारते आ रहे हैं, यदिद सौभाग्य से वो नहीं मारी जाती तो हम जीवनभर उनके साथ भेदभाव के अनेक तरीके ढँूढ लेते हैं।
लैंकिगक असमानता भारत की किवभिभन्न वैभि=क लिलंग सूचकांकों में खराब रैंकिकंग को प्रदर्शिशंत करती हैं।यूएनडीपी के लिलंग असमानता सूचकांक - 2014: 152 देशों की सूची में भारत की स्थिEकित 127वें Eान पर हैं। साक� देशों से संबंधिGत देशों में केवल अफगाकिनस्तान किह इन देशों की सूची में ऊपर हैं।
लिलंग असमानता किवभिभन्न तरीकों में प्रकट होता है और भारत में जो सूचकांक सबसे अधिGक लिचन्ता का किवषय हैं वो किनम्न हैं:*कन्या भू्रण हत्या*कन्या बाल-हत्या*बच्चों का लिलंग अनुपात (0 से 6 वग�): 919*लिलंग अनुपात: 943*मकिहला साक्षरता: 46%*मातृ मृत्यु दर: 1,00,000 जीकिवत जन्मों प्रकित 178 लोगों की मृत्य।ु
वैश्वि�क सूचकांक:
ैंगिगक असमानता सांख्यि��की
ैंगिगक असमानता के कारणभारतीय समाज में लिलंग असमानता का मूल कारण इसकी किपतृसत्तात्मक व्यवEा में किनकिहत है।जिजसमें आदमी औरत पर अपना प्रभुत्व जमाता हैं, उसका दमन करता हैं और उसका शोषण करता हैं।”
समाज में पुत्र मोह हैं ख़ास कर पुरुषो में पुत्र के लिलये लालसा ज्यादा हैं बेदिटयां आभिZत मानी गई हैं,अज�क नहीं I
भकिवष्य में पुत्र ही परिरवार का नाम आगे बढ़ायेगा I
दहेज़ व्यवEा की पुरानी प्रथा भारत में अभिभवावकों के सामने एक बड़ी चुनौती है जो लड़किकयां पैदा होने से बचने का मुख्य कारण है।
हमें ध्यान देना होगा की एक ही परिरवार में पल रहे बेटो व बेदिटयों को समानतापूण� तरीके से पला पोसा जाये. दोनों को एक ही समय पर एक ही तरह का भोजन दिदया जाये, दोनों के पढाई पर एक ही तरह के प्रयास किकये जाये. दोनों को एक ही तरह से प्यार व ममता दी जाये.
यही प्रयास प्राथधिमक पाठशालाओं में भी किकये जाने चाकिहए. प्राथधिमक लिशक्षा ही बच्चे का व्यलिdत्व बनाते है, इसकी शुरुवात यही से होनी चाकिहए. लिलंगों के आGार पर बच्चो के बैठाने की जगह का किनGा�रण नहीं होना चाकिहए. लिसलाई-बुने, पाक कला जैसा लिशक्षण लिसफ� लड़किकयों तक सीधिमत न रहकर लड़को के लिलए भी अकिनवाय� होना चाकिहए. दूसरी तरफ हर वो खेल जो लडके खेल सकते है, वह लड़किकयों के लिलए भी अकिनवाय� होने चाकिहए
उपा� :-
दहेज प्रथा जैसी समाजिजक बुराईयों से किनपटने के लिलये मकिहलाओं को सशd होना चाकिहये।
आम लोगों को जागरुक करने के लिलये कन्या भू्रण हत्या जागरुकता काय�क्रम होना चाकिहये।
लडकी में भी माँ – बाप का उतना ही अंश होता है जिजतना लडके में। लडकी के भ्रूण में उतनी ही जान होती है जिजतनी लडके के । नारी तो सृधिh की जननी व पुरूष की प्रेरणा शलिd है। इकितहास साक्षी है किक नारी ने न केवल अपने को पुरूषों के समकक्ष अकिपतु उनसे भी Zेष्ठ लिसद्ध किकया है। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, मदर टेरेसा, इंदिदरा गाँGी, लता मंगेश्कर आदिद सभी नारिरयों ने भी यह लिसद्ध कर दिदया है किक वे साहस, काय�क्षमता, प्रकितभा आदिद किकसी भी क्षैत्र में पुरूषों से कम नहीं है। महाककिव कालिलदास व संत तुलसीदास आदिद को महान् साकिहत्यकार बनने के लिलए प्रेरिरत करने वाली नारिरयाँ ही थी। अंग्रेजी कहावत “There is a woman behind every successful man” (हर सफल पुरूष के पीछे एक स्त्री होती है I
भारत एक ऐसा देश है जहां Gार्मिमंक किवकिवGता और Gार्मिमंक सकिहष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूण� इकितहास के दौरान Gम� का यहां की संस्कृकित में एक महत्त्वपूण� Eान रहा है।
धार्मिमंक भेदभाव
Religious discrimination is valuing or treating a person or group differently because of what they do or do not believe . Specifically, it is when adherents of different religions (or denominations ) are treated unequally, either before the lawor in institutional settings such as employment or housing.