एम - Vardhaman Mahaveer Open Universityassets.vmou.ac.in/MAHI03-4.pdf · 16.4 काफा...

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    एम.ए.एच.आई. -03

    वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

    एम.ए. पा य म (इ तहास)

    ख ड-4

    इकाई सं या

    इकाई 16 सामािजक अस तोष एव ंमजदरू व ोह 5—14 इकाई 17 संयु त रा य अमे रका क अथ यव था क सफलता एव ंअसफलता : जवै ट क य ूडील नी त 15—40

    इकाई 18 चतथु व व क अथ यव था-सुदरू पवू म जापान का उ कष 41—52 इकाई 19 अंतरा य को मटंन पै ट तथा सो वयत वदेश नी त 53—65 इकाई 20 फा स ट रा य 66—78

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    पा य म वकास स म त ो. बी.एस. शमा,

    कुलप त (अ य )

    ो. र व कुमार नदेशक, नेह मारक सं हालय एव ंपु तकालय, नई द ल

    ो. बी.आर. ोवर पवू नदेशक, भारतीय इ तहास अनुसधंान प रषद, नई द ल

    ो. एस.पी. गु ता इ तहास वभाग, अल गढ़ मिु लम व व व यालय, अल गढ़

    ो. जे.पी. म ा पवू इ तहास वभागा य , काशी ह द ू व व व यालय, वाराणसी

    ो. के.एस. गु ता पवू वभागा य , मोहन लाल सखुा ड़या व व व यालय, उदयपरु

    डा. बी.के. शमा इ तहास वभाग कोटा खलुा व व व यालय, कोटा

    डा. ीमती कमलेश शमा इ तहास वभाग, कोटा खलुा व व व यालय, कोटा

    डा. याक़ूब अल खान इ तहास वभाग कोटा खलुा व व व यालय, कोटा

    पा य म नमाण दल

    डॉ. आर.के. बार क नई द ल

    डॉ.अमीनु ीन पवू वभागा य , डूँगर महा व यालय, बीकानेर

    डॉ. िजगर मोह मद इ तहास वभाग, ज म ू व व व यालय, ज म ू

    ो. मंसूरा हैदर इ तहास वभाग, अल गढ़ मिु लम व. व., अल गढ़

    डॉ. डी.एन. असोपा नदेशक, े ीय के ,इ.गा.ंरा.म.ु व. व.,जयपरु

    पा य म भार एवं स पादक डॉ. बजृ कशोर शमा

    वभागा य , इ तहास वभाग वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    अकाद मक एवं शास नक यव था ो.(डॉ.) नरेश दाधीच

    कुलप त वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    ो.(डॉ.)बी.के. शमा नदेशक(अकाद मक) सकंाय वभाग

    योगे गोयल भार अ धकार

    पा य साम ी उ पादन एव ं वतरण वभाग

    पा य म उ पादन

    योगे गोयल सहायक उ पादन अ धकार ,

    वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    पुनः उ पादन -Oct 2012 MAHI-03/ISBN No.-13/978-81-8496-262-8 इस साम ी के कसी भी अंश को व. म. ख.ु व., कोटा क ल खत अनुम त के बना कसी भी प मे ‘ म मयो ाफ ’ (च मु ण) वारा या अ य पनुः ततु करने क अनुम त नह ंहै। व. म. ख.ु व., कोटा के लये कुलस चव व. म. ख.ु व., कोटा (राज.) वारा मु त एव ं का शत।

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    इकाई-16 सामािजक अस तोष और मजदरू व ोह

    इकाई क परेखा 16.0 उ े य 16.1 तावना 16.2 मजदरू वग क राजनी त 16.3 पूजंीवाद देश म आ थक संकट 16.4 फा स ट रा य का उदय एव ंमजदरू आ दोलन 16.5 मजदरू के त रा य का ि टकोण 16.6 मजदरू का मु य उ े य 16.7 रा य आ दोलन और मजदरू 16.8 संदभ थ सचूी

    16.0 उ े य इस इकाई से हमारा उ े य आपको यह अवगत कराना है क 1917 क सी ाि त के बाद मजदरू एकजुट होकर कस कार अपने हतो, अ धकार हेत ुलड़।े थम व व यु क समाि त के बाद सा ा यवा दय , पूजंी गतय ने मलकर मजदरू का शोषण करना शु कया। मजदरू ने अपने अ धकार , हत क सुर ा हेत ुअपने वय ंके संगठन बनाय। इन मजदरू आ दोलन को रा य आ दोलन के नेताओं का समथन भी ा त था। इन आ दोलन न व व इ तहास को कई कार से भा वत कया।

    16.1 तावना यु ो तर औ यो गक समाज क व भ न इकाइय क राजनी तक या या करने से पवू येक को यु काल न मजदरू समाज क क तपय ग त व धय का तुलना मक अ ययन करना पड़ता है। सा ा यवा दय के आपसी झगडो के कारण व व यु हुआ। यु ने उ रा वाद का मनो व ान उ प न कया िजसने मजदरू वग को उसके अनसुार चलने के लये मजबरू कर दया। रा और रा यता के नाम पर याग करने हेत ुमजदरू को उ सा हत कया गया। यह एक कटु स य है क मजदरू क एक शाखा ने खुलकर उ वाद रा यता क धारा म बहना शु कर दया। इ ह उ समाजवा दय के नाम से जाना जाने लगा।

    मजदरू-समाज के एक भावी वग ने इस नई लहर से स बि धत न खड़ा कया। उ ह न अ तरा य ि टकोण से राजनी त म झांका। सभी देश के मजदरू शोषण तथा रा य गलुामविृ त के शकार बन जात े है। इस कार के शोषण से मुि त हेत ुउ ह आपस म एक होना ह पड़ेगा।

    व व यु के बीच म एक मह वपणू घटना घ टत हु ई जो स क ां त के नाम से जानी जाती है िजसने स पणू व व का यान आक षत कया । बु नयाद प से तो यह एक

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    मजदरू वग का ह व ोह था िजसने पूजंीप त रा य का खा मा कर दया । मजदरू क ां त एक सवहारा के रा य क थापना करने म सफल रह ।

    यु ो तर इ तहास का नमाण केवल एक मह वपणू घटना से जाना जाता है िजसे स क ाि त क नाम से जाना जाता है । ां त ने पूजंीप त देश के मजदरू को मजबरू कया क वो अपने अ धकार के लए संघष कर । इसने मजदरू के उस वग म स ब ध दान कया जो अ तरा य मजदरू संगठन क राजनी त म व वास करने थे । सबसे बड़ी बात तो यह थी क सी ां त के नेता ले नन म व व मजदरू राजनी त का मागदशन हेत ु एक 'क यू न ट

    अ तरा वाद' क थापना कर द । ततृीय अ तरा यता का अि त व सन 1920 म हुआ । थड इ टरनेशनल ने सेक ड इंटरनेशनल क अवहेलना क । यह रा य समाजवाद और अ तरा य राजनी त के म य डगमगाने लगी थी । यु ो तर मजदरू वग क राजनी त इन दोन लहर के म य का स वाद बन गई । मजदरू दल क राजनी त को नै तक स बल ा त हुआ । मजदरू इ तहास म (1919-1923) क अव ध एक ां तकार काल माना जाता है ।

    16.2 मजदरू वग क राजनी त मजदरू वग क राजनी त अब आदशवाद क ओर अ सर होने लगी । अब मजदरू वग क राजनी त को चलाने के लये मा सवाद और ले ननवाद एक आदशवाद स ा त बन गये । एक जबरद त हड़ताल आ दोलन ा स, टेन, इटल और संयु तरा अमे रका म ग तमान था । १०० लाख आद मय को लपेटता एक चावल दंगा जापान म फूट पड़ा । अब चार तरफ मजदरू मांग करने लगे क (1) आठ घ टे काम (2) तन वाह म अ भवृ (3) मजदरू क यापा रक सं थाओं को मा यता (4) और जातां क वतं ता । मजदरू क आ थक मांग के संघष म यु से तबाह हु ए कसान के झमेल को ाय: बीच म लाकर खड़ा कर दया जाता था । प रणामत: अनेक रा य म उ ह मजदरू का सहयोग ा त हुआ और वहा ंवे वोट का अ धकार, कम से कम घ टे और उ च पगार ाि त के अ धकार लेने म सफल भी रहे ।

    सन ् 1919 म टेन म मजदरू आ दोलन हुआ जो स के समाजवाद स ा त के अनकूुल ह था । ां तका रय का ायवाद करने वाल ा सीसी जलसेना ने स के खलाफ काम करने से इ कार कर दया । व तुत: हुआ यह क फ़ा सी सय ने तो उ टा स क धरती पर सी मजदरू को सहारा दया । अ लै 1919 म उ ह ने यु पोत पर लाल झंड ेलहरा दए और सी मजदरू के आ दोलन म सि म लत हो गये । सारे यरूोप का मजदरू समाज यापा रक राजनी तक संगठन के अ तगत आ गया । वे लोग ां तकार मजदरू संगठन के सद य भी बन गय । 1921 म समाजवाद दल क 80 लाख सद य थे । जब क यापा रक सं थाएं मजदरू संगठन के कर ब-कर ब 220 लाख सद य थे ।

    1923 म संयु त संघष वारा मजदरू संगठन ने कसान क मदद से बलुगा रया म अ धकारतं ी रा य तं को तोड़ने म सफल हु ए । पौल ड के ले द ओड क । पूजंीवाद यव था क 1923 क स दय म नीव हला द ।

    हड़ताल आ दोलन म अ या शत वकास हुआ । ाय: आ दोलन राजनी तक प हण कर लेता और इसके साथ ग लय म नारेबाजी होती थी और पु लस के साथ मुठभेड़ भी होती थी

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    अपर साइले सया बहु मुखी हड़ताल आ दोलन का एक के था । साइले सया के दकुानदार का र द ने एक इ क स सद यीय कां ेस स म त का चुनाव कया । इसम क यू न स समाजवाद और यापार संघ के लोग शा मल थे । समी त वारा आयोिजत एक आम हड़ताल का आयोजन 15 अ टूबर को ऊपर साइले सया म कया गया । इसम खान के मजदरू , धात ुकमचा रय , रे वेकमचार , डाक कमचा रय , नगरप रषद कमचा रय और ऐसे ह और लोग ने भी भाग लया । 1923 के बस त और गम के मह न म एक वशाल मजदरू वग आ दोलन जमनी म हुआ जो अ धनायकवाद बरुाई के खलाफ आयोिजत कया गया था । जुलाई 29 को आम हड़ताल रह और अ धनायकवाद के व उस दन का दवस मनाया गया। ब लन के मजदरू ने यारह अग त के दन हड़ताल कर द ।

    12 अग त को स पणू देश म हड़ताल हो गई और प रणामत: 'उनो' सरकार का पतन हुआ । इससे मजदरू सरकार बनाने म सफलता ा त नह ंहु ई । 1924 क आर भ म मजदरू राजनी त क ग त बदल और उसका अ त हो गया । 1928 म मजदरू आ दोलन क पराजय के कारण बलुगे रया, पोले ड और दसूरे पूजंीवाद देश म थोड़ ेसमय के लये था य व आया । यरूोप और अमे रका के पूजंीवा दय न मलकर एक बु चातुय क मयाव और दबाव क नी त का नमाण कया िजसम कुछ लोभ का दखावा भी था । इस काय म सुधारवाद मजदरू नेताओं का सहयोग मला इस नी त न पूजंीवाद दु नया के मजदरू क राजनी त को शांत कर दया ।

    पूजंीवाद अथ यव था यु ो तर संकट का तफल है और इसने एक नये दौर म वेश कया । इस दौर के साथ ा व धक और संगठना मक औ यो गक यगु का पनु नमाण हुआ । मजदरू उ पादन के वकास तथा उ पादन के घन व के वकास ने उ पादन को के भूत कर दया । खाल दखावे वाले बड़-ेबड़ ेएका धकार वाले नगम अब वा त वकता बन गये । आ थक मृ न पूजंीवाद यव था को मजबतू करने म सहयोग कया । आ थक मृ बेरोजगार म

    थोड़ी सी गरावट क तपय जीवन तर म उ थान म कुछ समाज के मजदरू वग म आने के कारण लोग के मन म जमने लगा क पूजंीवाद यव था ह मृ ला सकती है ।

    संयु त रा य अमे रका का जापान तथा जमनी क आ थक शि तया ंतेजी से उ थान कर रह थी परुाने और नये औ यौ गक रा य म अब जोर से त पधा आर भ हो गई ।

    आ त रक सा ा यवाद झगड़ा अब एक वा त वकता बन गई । अ धकतर अ धनायक त ने इटल और जमनी म जोर पकड़ा इन रा य के सा ा यवाद ह सले अब प ट होने लगे । इन रा य के मजदरू वग न सा ा यवाद तर क का ब ह कार कया । जुलाई 1925 म कर ब पांच लाख लोग ने इटल म हड़ताल क । ांस क उप नवेशवाद क नी त के व अ टूबर 1925 म वहा ंके मजदरू ने एक वशाल दशना मक हड़ताल कर द । मई 1926 म एक आम हड़ताल टेन म हु ई िजससे वहा ंक आ थक दशा को लकवा मार गया । वयना के मजदरू ने सन 1927 के जुलाई माह म रा य के होने वाले हमलो से बचने के लये अवरोध का नमाण करा लया । जमनी, चेको लोवा कया तथा अ य औ यो गक देश के मजदरू संघष न वहा ंपूजंीवाद था य व के सपन को कर ब-कर ब धू मल कर दया ।

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    16.3 पू ंजीवाद देश म आ थक संकट पूजंीवाद व व क मृ भी ल बे समय तक नह ंचल । वहा ंभी संकट 1929 म शु और 1933 म बदं हुआ। इस समय पूजंीवाद व व ने सबसे अ धक जो खम के जीवन को देखा। इस संकट ने पूजंीप त जीवन के सभी प को छुआ। जैसे उ योग, खेती, ब कंग और व तीय यव था, यापार, ब कंग और व त यव था और यापार । एक ह वष म 1929 के अ त से लेकर 1930 के अंत तक केवल एक ह वष म औ यो गक उ पादन गर कर पूजंीवाद देश मे 10 से 17 तशत तक हो गया।

    पूजंीप त आ थक यव था 1932 म जाकर सबसे अ धक गर गई उस समय के औ यो गक उ पादन पवू संकट अव था के मुकाबले केवल 46% अमे रका म थे-जमनी म 47% और टेन म सफ 16%, रहे।

    औ यो गक संकट के साथ कृ ष संकट भी मल गया और ि थ त को और भी खराब कर गया। क चे माल और खा य साम य के दामो म गरावट ने कृ ष उ पादन मे भी गरावट ला द । उसके उ पादन का गराव सन ्1929-33 म 1/3 भाग हो गया। व तीय और बै कंग यव था को पणूत: न सा हत कया गया। पूजंीप त व व म जनता का बाहु य आ थक संकट से बरु तरह परेशान हुआ। पूजंीप तय ने संकट का सारा बोझ अपने ऊपर लेने का यास कया। सबसे अ धक नकुसान आ थक संकट से मजदरू वग को हुआ मजदरू दो तरफ से सताया गया एक तो उसक तन वाह म लगातार गरावट हु ई दसूरे उसी को बेरोजगार का मु ंह भी देखना पड़ा। अ धकतर पूजंीप त रा य म तन वाह क रकम गर कर 30 से 50% तक चल गई। बेरोजगार क ऊंचाइया ंअक पनीय तर तक पहु ंच गई। 3.50 लाख से भी अ धक लोग सड़क पर आ गये और काम के बना बेरोजगार हो गये। 260 लाख से भी अ धक लोग अमे रका के 55 लाख जमनी के 30 लाख, टेन के 28 लाख से यादा, जापान के और 23 लाख बेरोजगार ांस के थे।

    इससे भी अ धक सं या ऐसे मजदरू क भी रह थी जो अपने आपको अध रोजगार उपल ध समझत े थे। सरकार न छंटनी योजना के आधार पर यवि थत कटौती बेरोजगार बकाया रा शय म तथा अ य सामािजक लाभाशं मे कर द । बहु त सारे देश म सरकार बेरोजगार यव था ह नह ंथी। जैसे ांस म कोई यव था नह ं। लाख लोग संयु त रा य क सड़क खू ंद रहे थे जमनी और टेन म भी र द जा रह थी दसूरे अ य रा य रोजगार और पेट-भराई क राह क खोज म थे। संकट न लाख फाम को तबाह कर दया। कर ब एक लाख कजदार या ( दवाला आउट) अमे रका के फाम को सन 1929-33 म बेचने के लये रख दया गया बहु त सारे पूजंीप त रा य के फाम भी हथोड़ के नीचे आ गये। इनक सं या तीन गनुा हो गई थी। नयम के अनसुार वे छोटे फाम क गनती म आत ेथे। सै नक बेरोजगार को गर ब देश के नवा सय वारा पनु: शि तशाल बनाया गया। सकंट से सताये सैकड़ हजार कलाकार और छोटे यापार रोट रोजी के लये मुहताज थे।

    मजदरू क अ य धक गरती माल और काननूी दशाओं, म यम वग के लोग क हालत ने पूजंीप त देश म वग संघष को उ तेिजत कया। हड़ताल आ दोलन उठे। 1929-33

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    क अव ध म दु नया के पूजंीप त रा य म 19,000 औ यो गक हड़ताल हु ई िजसम 85,000 कमचा रय ने भाग लया।

    पगार कटौती, नौकर स बखा ती, सामािजक सुर ा भ ते म कटौती, और सरकार के आपातकाल न अ ध नयम के वरोध म मजदरू तबके न संघष भरे कदम उठाय। संयु त रा य अमे रका, जमनी, ांस, पौले ड, हंगर , मा नया और चेको लोवा कया म इस अ वध म अनेक हड़ताल हु ई िज ह ने पु लस के साथ टककर ल । अ टूबर 1930 म ब लन के 1,30, 000 धात ुस ब धी फैि य म काम करने वाले मजदरू हड़ताल पर चले गये । खान मजदरू क बड़ी हड़ताल स म हु ई और पोले ड के कोयला खदान म भी हु इ जो सन ्1931 के आर भ क बात है । एक सत बर 1930 म हंगर के अ दर मजदरू का मौन दशन हुआ । एक साल बाद ह वह देश मजदरू के राजनी तक दशन वारा हला दया गया । सरकार ने मजदरू के व सेना-तोपखाना और पु लस का योग कया ।

    संयु त रा अमे रका म खान के मजदरू ने 1931 के म य म उन जीवन तर हेत ुहड़ताल कर द । मजदरू से पु लस क भडतं हु ई िजसमे पु लस ने अि न उपकरण और आँस ूगसै का योग कया। बेरोजगार के उ थान के साथ ह बेरोजगार आ दोलन का भी व तार हुआ और उ ह ने सामािजक सुर ा क मांग क । इसके साथ ह उ ह ने जन क याण के काय को हाथ म लेने क भी मांग कर िजससे उनके प रवार के लोग का पेट भरा जा सके । अमे रका जमनी, पोले ड, चेको लोवा कया, टेन, ांस, आि या, कनाडा म भूखरे लय का आयोजन कया गया तथा वहा ंसव बेराजगार क स म तया ंउठ खड़ी हु ई । कसान आंदोलन क लहर उठती ह जा रह थी । िजसने, अनेक रा य को हला दया कसान ने पोले ड म एक बड़ा सश व ोह कर दया जो 1937 क गम म हुआ । बहु मत के आ दोलन ने स पणू जापान को शोक लया । कसान के आ दोलन क लहर ने स पणू अमे रका को भा वत कया ।

    पूजंीवाद व व ने बहु त गहरे आ थक संकट को बदा त कया । इसके साथ ह मजदरू वग के असतंोष ने यरूोप के रा य म अ धकनायक तं ी रा य क थापना क स भावना के दरवाजे खोल दये । अ धनायकवाद देश के 1930 के दशांक के ार भ म मजदरू वग पर हमला करने का अ धकार सा बन गया । बड़ी बात तो यह है क अ धनायकवाद तो अब शि तशाल और ती गामी आ दोलन बन गया िज ह म यम वग क जनता का परूा सहारा था । 1933 म हटलर के नेतृ व म नाजीवाद का अ यदुय हुआ । फा स म क विृ त पेन आि या और ांस म ि टगोचर हु ई । इन राजो के मजदरू ने फा स म के व संयु त कारवाई करने का संक प कया । केवल एक तबके के लये फा स म रा य को चुनौती देना अस भव था 1934 म पेन के मजदरू ने अपने अ धनायक रा य के व हड़ताल कर द । तानाशाह इटल वारा ईथो पया पर हमले का सभी मजदरू हलको ने यरूोप के अ दर वरोध कया ।

    3 सत बर 1934 को इथो पयन लोग क र ा हेत ु एक अंतरा य स मेलन क रचना क गई । इस प रचचा म यरूोप के सभी मजदरू ेड यू नयन नेताओं ने भाग लया

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    1936 म लोक य ं ट ने ांस म वजय ा त क िजसने मजदरू तबके के ह सले बलु द कर दये । बहु मत क भीड़ के दशन ने स पणू देश म एक लहर दौड़ा द िजसक मांग थी क हमार पगार बढ़ाओ छु य के पसेै दो और मजदरू संगठन को मा यता दान करो । इ तहास म पहल बार काननू बना क केवल ह त ेम 40 घ टे काम लया जाय और एक दन छु ी हो । मजदरू एकता के अ धकार और भी बढ़ाये गय । और आगे यह क पेन म भी लोक य ं ट को वजय मल िजसने मजदरू आ दोलन को स बल दान कया ।

    16.4 फा स ट रा य का उदय एवं मजदरू आंदोलन दसूरे महायु के आर भ से ह राजनी त क ि थ त म प रवतन आया । अ धनायकवाद जमनी ने यरूोप के अनेक रा य को क जे म कर लया । अ धनायकवाद इटल का आ मण इथो पया पर अ धनायकवाद शि त का पेन म दखल, जापान का चीन पर हमला, आि या के सेजुर पर जमनी का हमला और फर उसका चेको लोवा कया । इस कार को मक अव थाओं के मा यम से अ धनायक-शि तय ने दसूरे यु को वालाएं व लत कर द ।

    लोक य संघष जो जमनी, इटल और जापान के, व खड़ा हुआ वह संघष रा य वतं ता और जातं के हेत ु था । इन तरोधक आ दोलन मे मजदरू वग के लोग ने

    स यता स भाग लया । ांस म मजदरू लोग न अपने संघषरत इकाइय के कायकलाप को दगुनुा कर दया हमले के व कई याने सैकड़ हजार मजदरू ने जो खान से संबि धत थे उ तर भाग म हड़ताल कर द । होले ड क थम एव ंआम हड़ताल जो फरवर म हु ई, स पणू देश म फैल गई । बेलिजयम म एक हड़ताल क लहर चल । इनम सबसे जोरदार हड़ताल सेकड़ हजार मजदरू क थी जो मई, 1941 म ल ग िजले म हु ई । नाव क राजधानी म भी अ धनायक वरोधी मजदरू दशन हु ए जो थम मई, 1941 को घ टत हु ए ।

    दो यु के म य क राजनी त का न शा बनाने म मजदरू संघष का योगदान रहा है । मजदरू वग कह ं भी अपने वरोधी संघष से सवहारा हु कूमन बनाने म सफलता नह ं ा त कर सके । मगर उनका योगदान यु के उपरा त के व व को बनाने म अव य रहा य क उ ह ने सा ा यवाद और अ धनायकवाद का वरोध कया था । इस आ दोलन ने तीसरे व व स उप नवेशवाद को समा त करने म सहयोग कया ।

    16.5 मजदरू के त रा य का ि टकोण उपयु त व लेषण म हमने पूजंीप त रा य म मजदरू चेतना को दशाने म सफलता ा त क है। यह दशानेवाला ढांचा दो व व यु के बीच का है । मगर अब यह दशाना भी बहु त ज र हो गया है क उन रा य का ि टकोण अपनी मजदरू जनता के त या रहा जो उनके अधीन उप नवेश म रहती थी। इसके पवू यह समझ लेना अ य त आव यक है क उप नवेश म मजदरू आ दोलन के कारण और उ े य या है -? यरूोप और अमे रका म मजदरू आंदोलन का उ े य अपने आपको पूँजीप तय के जु म से र ा करना था । इसी म म उ ह ने पूजंीवाद देश के अ धनायकवाद जु म से लोहा लया, उनके व आ दोलन कया । उ ह ने मजदरू संगठन के नमाण म सफलता ा त कर ल जैसे यापार संगठन िजसके मा यम से वे

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    अपने अ धकार क लड़ाई लड़ सकत ेथे इससे अ धक बात यह थी क उ ह बाहर से समाजवाद राजनी तक दल का सहारा भी मलता ह था।

    िज ासावश हम यहा ंसू चत करत ेहै क मजदरू वग के संघष का ल य उप नवेश म यह है जो उ ह ंसे संबि धत उनके पूजंीप त रा य म रहा है । सव े ठ बात यह है क उनका संघष पूजंीवाद मजदरू तबके को अब यह नणायक फैसला करना था क उ ह उप नवेश म कैसे संघष चलाना है? आपने अंतरा य व प को दशाने हेत ु मजदरू तबके को अपने पूँजीप तय रा य का ख देखना पड़ता था । मजदरू समाज का वह तबका िजसम असतंोष या त था । रा य आ दोलन के कारण यु ो तर राजनी त और भी अ धक उ हो गई । उप नवेश म रा य आंदोलन को सहयोग सो वयत स से मला, तो मजदरू वग ने आ थक और राजनी तक ल य हेत ुसा ा यवाद के व संघष छेड़ दया । रा य आ दोलन केवल मजदरू तक ह सी मत न रहा । वसेै ये बहु त लोक य संघष रहा िज ह व भ न सामािजक संगठन का सहारा मलता था और य क मजदरू वग छोटे संगठन क ेणी म आता था िज ह बहु त भावपणू योगदान रा य आ दोलन म करना पड़ता था और वहा ंआ दोलन का नेतृ व उनके हाथ म नह ंहोता था । आ दोलन का नेतृ व ाय पूजंीप तय के ह हाथ म रहता था । पूजंीप त नेतृ व एक ग तशील नेतृ व दान कर सकत े है । यह पहले कसी को व दत न था । यह न क यु न ट अ तरा यता के अ तगत बड़े भावशाल तर के से वाद-ववाद का वषय बन गया ।ले नन ने वहाँ जार दकर कहा क रा य वतं ता सं ाम पूजंीप तय के नेतृ व म ां तकार काय कर रहा है । मजदरू वग को चा हए क वे अपने आपको उनसे स बि धत कर ले ।

    ले टन अमे रका के गलुाम मु क म न केवल मजदरू वग ह बि क कसान लोग ने, शहर म म यम वग ने तथा बु जी वय तथा व या थय ने, भी वदेशी शासन को उतार फकने म सहयोग कया । उनक मांग उनके जीवन तर और याय के लए भी थी। क यु न ट दशन म व वास करत े थे, उ ह ने उप नवेश म मजदरू संगठन वारा संघष को सहारा दान कया। मजदरू समाज के दसूरे तबके ने जो क देश मे के मनोवै ा नक चेत यता म व वास करत ेथे उ ह ने अपनी प भू म क हमायत क जो अपने उप नवेश म शोषण कर रहे थे । अ धक मह वपणू बात तो यह है क उप नवेश म मजदरू का च र व भ न है । वहा ंऔ यो गक ग त देर से हु ई इस लये वहा ंमजदरू क सं या भी कम रह । उप नवेश ने तो औ यो गकरण के बौने व प का ह अनभुव कया था य क सा ा यवा दय ने उनका शोषण कया था। मजदरू का बाहु म कसान प र े य से बनना था जब क देश म कसान तो कह लगता ह नह था । मजदरू के बाहु य ने खेतीहर, मजदरू: तबके क आवाज को बलु द कया। संकु चत औ यो गकरण क कारण मजदरू वग क तपय शहर तक ह सी मत रहा ।

    उनके सा ा यवाद मा लक ने उ ह वतीय महायु म सहयोग हेत ुमजबरू कया । यु का बोझ इस कार उप नवेश के कंध पर डाल दया गया । औ यो गक मजदरू को मु ा फ त के संकट का सामना भी करना पड़ा और उ ह आव यक व तुओं क कमी भी रह य क वे व तुएं यु साम ी के नमाण हेत ुआर त कर द जाती थी । यवुावग म यापक

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    असंतोष या त था य क रोजगार योजनाओं क उपलि ध का अभाव था । भारत और चीन म वशाल मजदरू असंतोष चहुतंरफ या त हो गया ।

    यु ो तर राजनी त ने आगे और उ ता धारण कर ल य क वहा ंरा य आ दोलन का व तार हुआ । रा य आ दोलन का आगे सो वयत स से भी सहारा मला। उप नवेश म अब मजदरू वग ने सा ा यवा दय के खलाफ आ थक और राजनी तक संघष को सि म लत कर लया।

    अब रा य संघष केवल मजदरू वग तक ह सी मत न रहा। कामकाजी लोग जो अजनट ना, ाजील, मेि सको, पे , उ वे और चीन म रहने थे कृ ष सुधार क मांग क , आठ घ टे काम, तन वाओं म बढ़ो तर , वृ आय ुपशन, औरत और ब च क म सुर ा यापार 'एकता के नमाण का अ धकार तथा व व व यालय सुधार क मांग क ।

    जनता का बहु त बड़ा भाग सा ा यवाद और जागीरवाद स ा त के व आक षत हुआ। यह झुकाव चीन, भारत, को रया इ डोने शया म देखा गया । वदेशी स ता के व सी रया, लेबनान, ईराक, म , ल बया ,सूडान और सोमाल म आवाज उठाई गई । संघष के थम कदम जो उप नवेशवाद के व उठ वे कदम अ का के उ ण क टबधं के गलुाम देश

    के थे । कई बार सताए लोग के उ थान को बेरहमी के साथ कुचल दया गया । ये कारनामे स ा यवा दय के थे । इसके उपरा त भी तुक , इरान, अफगा न तान और मंगो लया के लोग अपनी वतं ता ा त करने म सफल रहे ।

    उ वॆगामी रा य वतं ता आ दोलन व व राजनी त क एक स य व ग तशील वशेषता बन गई।

    16.6 मजदरू का मु य उ े य सा ा यवाद और जागीरदार के व आ दोलन करके मगंो लया ने 1921 म सफलता ा त कर ल । इस कार मंगो लया स ा यवाद के उप नवेशवाद से अलग-थलग हो गया । भारत म असहयोग आ दोलन ने सा ा यवाद के व हवा द । असहयोग आ दोलन को मजदरू वग और कसान मजदरू के असतंोष न सहारा दया 1920 के दशक म मजदरू वग के आ दोलन म उ थान हुआ । ब बई, कलक ता, म ास, अहमदाबाद, कानपरु इससे भा वत हु ए, कपड़ा मल से संबं धत मजदरू ने ब बई म सन ्1928 म हड़ताल कर द िजसका नेतृ व क यु न ट ने कया।

    एक मौन हड़ताल चीन म रेलवे कमचा रय ने सन ्1923 म क जो सरकार ने कुचल द । यहा ँमजदरू वग ने एक दसूरा वतं माग हण कया जो दसूरे रा य सं ाम के व माग था और एक गलत रा ता था । वे यु मटंांग सरकार, जो उस समय चीन क पूजंीप त सरकार थी के व काम करना चाहत ेथे। पराजय के कारण क यु न ट ने सबक हण कया जो उ ह रेलवे हड़ताल म मल थी तो अब उ ह ने यु म टांग सरकार के साथ सहयोग करना आरंभ कर दया। 30 मई 1925 को संघाई के चीन मजदरू और व या थय ने मलकर टश और जापानी स ा य के व संघष छेड़ दया। आ दोलन को स ा यवाद सरकार ने बरु तरह से कुचल दया। यु म टांग ने मजदरू वग के लये खाई खोद द ।

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    16.7 रा य आ दोलन और मजदरू 1930 के दशक म मजदरू वग राजनी त को उप नवेश म और भी उ बना दया गया य क उस समय 1929 - 31 का आ थक संकट आया था । जसेै कृ ष पदाथ के भाव गरे कसान को अपने मा लक को कराया देने हेत ुअपनी जमीन बेच देनी पड़ी । अ धकतर मामल म जमीन मा लक ने ह अपनी जमीन वापस ले ल । कसान अपने जमींदार के व संघष पर उतर आये य क जमीदार उप नवेशवा दय के साथ साठं-गांठ कर रहे थे । जागीरदार के व हदंु तान म भी शि त जुटाई गई और इसम सहयोग कां ेस दल ने कया और क यु न ट का भी सहयोग रहा । चीन के अनेक ा त म इस समय जागीरदार था के व आ दोलन फैल रहा था। वहा ंसो वयत क यु न ट क नेनृ व म अनेक अंग स य थे िज ह ने मजदरू और कसान वग का शासन था पत कर दया।

    वयतनाम के मजदरू और कसान सा ा यवाद और जागीरदार के व हो गये । वरोध का नेतृ व क यु न ट न ह कया । उ ह ने शि त को अपने हाथ म ले लया और सो वयत क थापना कर द और फर उनसे ह जमीन को जात कर लया । यहा ंजनता का शासन तीन वष चला । उप नवेशवा दय ने कसान के पनु उठे व ोह को नदयता से कुचल दया िजसम व ो हय को दबाने के लये उ ह ने बमबार तक का भी सहारा लया । इसी अव ध म म के मजदरू समाज ने टश उप नवेशवा दय के व अपने ल य क ाि त हेत ुदो बार दशन कये । ले टन अमे रका म भी संघष क लपट सा ा यवा दय के व उठ । चीन म तो मजदरू ने 1932 म ह सो वयत शासन क घोषणा कर द । 1930 के दशांक म मजदरू- कसान के आ दोलन और संघष ने बहु त शि त सा ा यवा दय के व बटोरती चीन पर जापानी स ा यवा दय के हमले ने वहा ं के मजदरू आंदोलन के ख को ब कुल बदल दया। यह कारण है क वहा ं के मजदरू कसान ने अपने आपको क यु न ट नेतृ व के अ तगत जापानी स ा यवा दय से लोहा लेने के लये तैयार कया। इसके लये उ ह ने जापानी सेना से मुकाबले हेत ुगु र ला यु कला को अपनाया ।

    ले टन अमे रका के देश म रा य और जातां क संघष ने लोक य नारे के सहारे सा ा यवाद शि त के व मोच का नमाण कया िजसने अ धनायकवाद के चार- सार को करार चोट पहु ंचाई । चीन म 1936 म एक लोक य मोच क थापना हो गई वहा ंमजदरू वग ने बाहर के समाज का सहारा लेने के ारि भक कदम उठाये ता क रा य वतं ता सं ाम का नवाह कया जा सके। यहा ंसरकार के व : अनेक हड़ताल हु ई, अ ततोग वा वे सरकार से कुछ आ थक और सामािजक लाभ ा त करने म सफल रहे । सन ् 1937 म एक लोक य ां तकार मोच का गठन यबूा म भी हुआ । इसम यापार संघ और कसान संगठन

    सि म लत हु ए। इस मोच ने सरकार को क तपय मजदरू लाभ देने हेत ु मजबरू कर दया मेि सको के मजदरू वग के संघष ने सरकार को मजबरू कया क वह रा य ां तकार दल क कृ ष सधुार संबधंी मांग को वीकार करे तथा वदेशी पूजंी के मा यम से रेलवे और तेल उ योग का रा करण कर। एक बार और वतीय महायु ने सा ा यवाद व व ववाद को एक ह सतह पर ला दया । स ा यवा दय ने अपने उप नवेश को आमादा कया क वे उनके हत म व व यु म भाग लेव। पर त ुउप नवेश क जनता ने उनके इस अ जातां क कदम

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    के व व लव कर दया। इस कार के ि टकोण ने मजदरू- कसान आंदोलन को उप नवेश म और भी अ धक वशाल बना दया। लोक य तगामी-स ा यवाद आ दोलन को अमे रका और यरूोप के मजदरू से इतना अ धक सहारा और शि त मल गई क अंततोग वा पूजंीवाद स ा यवाद दु नया से वदा हो गया।

    वतीय व व यु क समाि त ने अनेक उप नवेश को आजाद कर दया । पूजंीवाद व व के देश म जो मजदरू संघष क लहर चल उसने एक ऐसे थ क रचना कर डाल िजससे व व इ तहास भा वत हुआ । उप नवेश के मजदरू संघष को ेरणा यह से ा त हु ई । व व इ तहास म एक नये अ याय का आरंभ हुआ िजसम मजदरू क भू मका को शा वत माना जाने लगा ।

    16.8 संदभ थ सूची 1. बी. ट . रन दबे; वतं ता सं ाम तथा उसके बाद म, नई द ल 1998 2. डेगरास; क यु न ट अंतरा वाद 1919-43, अ धकार माण प (ल दन), तीन भाग । 3. अबेनडरोथ: यरूोप के मजदरू वग का सं त इ तहास । 4. ोट क : ले नन के बाद का तीसरा अंतरा वाद (N.Y.1936)। 5. हालस और हारमन; आशा के दन; 1926 क आम हड़ताल (ल दन) 1981।

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    इकाई-17 संयु त रा य अमे रका क अथ यव था क सफलता व

    असफलता, जवै ट क ' यडूील ' नी त इकाई क परेखा 17.0 उ े य 17.1 तावना 17.2 रा प त जवे ट का प रचय 17.3 बीसवी ंशता द के तीसरे दशक म संयु त रा य अमे रका क ि थ त। 17.4 आ थक म द व उसके भाव। 17.5 यडूील योजना

    17.5.1 आपतकाल न राहत-काय 17.5.2 उ योग का पनुउ ार 17.5.3 यडूील के अ तगत ाकृ तक साधन क सुर ा और टेनेसी नद घाट

    त ठान। 17.5.4 मु ा व ब कंग 17.5.5 जवे ट का बायी ओर झुकाव 17.5.6 दबाव क राजनी त और सामािजक सुर ा अ ध नयम 17.5.7 मजदरू यू नयन को ो सा हत करना 17.5.8 बड़ ेरोजगार

    17.6 1936 का चुनाव 17.7 पनु थान व गरावट 17.8 यडूील योजना के दोष व गणु 17.9 यडूील योजना क समी ा 17.10 संदभ थं सूची

    17.0 उ े य इस इकाई म हमारा उ े य अमे रका के रा प त एफ. डी. जवे ट वारा अमे रका म आयी आ थक म द से नपटने के लये जो उपाय कये गये ह उसक सं त जानकार देना है । इस इकाई का अ ययन कर लेने पर आपको न न ल खत बात का ान हो जायेगा ।

    आ थक मंद या है और य उ प न होती है ? आ थक मंद से नपटने के लये रा प त जवे ट ने यापार, मु ा व बक, कृ ष े

    म या प रवतन कये ह ।

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    कये गये प रवतन को यडूील का नाम दया गया । इसका मु य उ े य शो षत वग का उ थान था साथ ह उसके श द म, ''य द नजी शि त को इतना बढ़ने दया गया क वह लोकतां क रा य से ह अलग हो जाये, तो लोकतं खतरे म पड़ जायेगा।'' ऐसी नजी शि त का अ त करना था ।

    17.1 तावना संयु त रा य अमे रका थम व वयु से पवू मुनरो स ा त का पालन करत े हु ए व व राजनी त से अलग-थलग रहा । क त ु थम व वयु म उसने म देश का साथ दया और 1920 के पे रस शाि त समझौत ेम अमे रका क रा प त वडुरो व सन ने मह वपणू भू मका नभायी । शाि त समझौत ेक आ थक धाराएं िजसके अ तगत जमनी के यु श को ज त कर लया गया एक बड़ी धन रा श जुमाने के प म उससे वसलू करने क यव था क गई, इससे यरूोप म जमनी क मु ा माक का बहु त यादा अवमू यन हो गया । मु ा फ त उ प न हु ई, िजससे अमे रका अपने आपको नह ंबचा सका । अमे रका म स े बाजार अपनी चरम सीमा पर पहु ँची और इसका शी पतन ह ार भ हो गया । इसके कारण अनेक बक ब द हो गये। इस संकट से नपटने के लए जवे ट से पवू रा प त हु अर ने कुछ उपाय कये परंत ुउसे सहायता नह ं मल । इस आ थक संकट के समय जवे ट ने 1932 का चुनाव लड़ा, िजसमे उसने अपने भाषण के वारा अमे रक जनता म आ म व वास पदैा कया और जो वचन उसने चुनाव के दौरान दये, उसको उसने अ रश नभाया।

    17.2 कल न डलान जवे ट (1882 से 1945) का प रचय- क लन जवे ट का ज म 30 जनवर 1882 को ययूाक ि थत हाईड पाक म हुआ था। थयोडोर जवे ट दरू का उसका चचेरा भाई था । जवे ट क ारि भक श ा द ा गरैलॉन(Gorlon) म हु ई । हारवड से उसने नातक क उपा ध ा त क , और कोलि बया व व व यालय से व ध क श ा ल । श ाथ जीवन म उसम ना तो मह वाकाशंा और ना असाधारण ान के च ह ह दखाई पड़त ेथे क त ुअपने रा प त कायकाल म इसने दोन का ह प रचय दया, 1905 म उनसे एैना एल नार से ववाह कया और ययूाक क एक लॉ क पनी म काय करना ार भ कया ।

    सन ् 1910 म उसने राजनै तक जीवन ार भ कया जब क वह ययूाक क वधानसभा के लये चुना गया। 1912 म उसने रा प त पद के लये वडुरो व सन का स य समथन कया । वह समु व जहाज का हमेशा शौक न रहा था इस लये 1913 म रा प त व सन ने उसको नौसेना वभाग का उपस चव नयु त कया और इस पद पर वह 8 साल (1913 से 21) तक काय करता रहा। इस पद के काय सचंालन म उसने असामा य कौशल का दशन कया। 1920 ईसवी म डेमो े ट क दल ने उसको उपरा प त पद के लये नामां कत कया । वो चुनाव तो हार गया क त ुअपने दल म अ य त लोक य और भावी हो गया ।

    वह पो लयो रोग से पी ड़त हुआ और लगभग 8 वष तक श या त रहा । पी ड़त होने के बावजूद वह नराश नह ं हुआ बि क पहले क अपे ा उसने अ धक कौशल दखाया, मलने

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    वाल से बातचीत करके उसने अपनी च को जी वत रखा और 1918 म वह ययूाक रा य का गवनर चुना गया और दो वष तक इस पद पर काय करता रहा और इसके चार वष बाद ह यो यता और दल क सहायता के बतूे पर उसने सव च थान ा त कया ।

    रा प त जवे ट का यि त व बहु त संश ल ट था, िजसके अनेक पहल ूह । कुल न घराने म पालन पोषण होने के बावजूद उसम अमे रक टसक न थी । य क वह वय ंरोग त रह चुका था। इस लये दसूर क पीड़ा देखकर उसका दल भर आता था । उसका दय इतना कोमल था क वह कसी को भी नाराज नह ंकरना चाहता था । सबको स न करने क आदत के कारण ह कुछ लोग ने उसको 'दो सुखा' तक कह डाला । ई वर मे असीम न ठा के कारण वह अपने नजी यवहार तथा शासन नी त म नै तकता का 'बहु त यान रखता था वभाव से वह हंसमुख और प रहासी था क त ुअवसर आने पर वह गभंीर भी हो जाता था।

    अपना काम ढ़ संक प से करता था। उसके ान क सीमा बहु त संकंु चत थी उसका अ ययन अधरूा था तक या अ यवि थत थी। भौ तक, वचार मता के अभाव म वह अत: ा का ह व वास करता था। अथशा व इ तहास से तो वह नतांत अप र चत था तथा अथ नी त नमाण म वह अपने म का ह सहारा लेता था ।

    इ तहासकार ऐलन ने वनस और हेनर , एस कोमोगार का कहना है क जवे ट म दो गणु थे, एक ग तशील वचारो के त व सम पत था और दसूरा अमे रकन समाज के सभी वग का व वास ा त करने क शि त थी । जब वह बीमार था तो उस समय य य प वह स य राजनी त से अलग-थलग रहा फर भी उसने इस काल मे अमे रका के, राजनै तक इ तहास का अ ययन कया और प यवहार व यि तगत स पक साधकर उसने एक यापक और सम पत समथन जुटा लया था । जब 1932 मे रा प त बना तो वह अपने, समय का सबसे यादा सचूना ा त डेमो े टक नेता था ।

    अनभुव व ान के अ त र त उसको साधारण जनता म परूा व वास था । राजनै तक ि ट क और से कुशल था और नेतृ व क कला को समझता था । वह साधन , के जुटाने म

    अवसरवाद था, क त ु अपने ल य क ाि त म अ डग था । वह गरै ज र मुदद पर समझौता कर लेता था क त ुज र मु पर मुि कल से कोई समझौता कया करता था। वह जानता था क राजनी त कला व व ान दोन है । वह अमे रका के भूतकाल को समझता था और िजस संसार म रहता था उसको जानता था और उसने भ व य के ससंार संगठन के बनाने, पर च तन भी कया था । वह राजनी त पर व वास करता था क त ु वशेष पर भी भरोसा करता था । वह जनमत के त बड़ा संवेदनशील था और जनमत को बदलने और उसको चुनौती देने म हच कचाता था । मह वपणू नणय लेत ेसमय कभी-कभी वह बहु त ह असाधारण दखाई देता था । उसम अपार काय मता थी । वह ग भीर से ग भीर सम याओं को बहु त साधारण तर के से लेता था । कसी योजना के त कतना खच आता है, उसक वह चतंा नह ंकरता था और जो लोग उसका वरोध करत ेथे उनके त वह छछला तशोध का यवहार भी करता था ।

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    इन गणु दोष के सि म ण के कारण उसका यि त व व च सा बन गया था, अत: उसक यह व च ता ह अमे रक जनता क उसक ओर आक षत करती थी। वह देशवा सय क अपार ा एव ंभि त का पा बन गया था । अमे रक इ तहास म उसक ट कर का कोई भी इतना भावी चुनाव लड़ने वाला नह ं हुआ। अब उसक सरल भाषा उसके सीधे सादे वचार जनता को म मु ध कर देते थे। भा वत करने के लये उसने एक और भी अनोखा उपाय नकाला था । समय-समय पर वह आकाशवाणी वारा ' 'अलाव के कनारे क वाता '' (Fire side chats) सा रत करता रहता था जनता यह: समझती थी क रा प त उसको अपना व वासपा बनाता है । बड़ी-बड़ी सम याओं को सुलझाने म ज़वे ट क यह उि त अ य त कारगर हु ई । वह जनता क न ज को जानता था उसक सफलता क यह एक मा कंुजी थी ।

    इ तहासकार पार कंस ने उसके यि त व पर ट पणी करत ेहु ए लखा है क सम याओं के समाधान पर यवहा रक ि टकोण अपनाया। वह स ांत क अपे ा अनभुव पर अ धक आधा रत रहता था । उसने सम याओं के समाधान के लए हर उपाय अपनाये और जब कभी कोई उपाय वफल होता दखाई देता तो वह उसे त काल याग भी देता था । वह इस बात को जानता था क अमे रका एक स यता के संघष म फंसा हुआ है। वह अमे रक गणत ीय आदश के त सम पत था, फर भी आदत से वह गर ब का प लेता और वशेष अ धकार ा त व शोषण करने वाल का वह श ुथा । उसके शंसक उसको अमे रका के महानतम

    रा प तय म शा मल करत े ह । बि क कुछ का कहना यह है क वा शगंटन, लकंन और टूमैन के अ त र त कोई भी ऐसा रा प त नह ं हुआ िजसको रा प त पदासीन होते ह एक साथ इतनी व मयकार सम याओं का सामना करना पड़ा हो िजतनी का सामना को करना पड़ा। इसके वपर त उसके श ओंु का कहना है क वह ज रत से यादा स ता अपने हाथ म ह ' केि त करना चाहता थी और लापरवाह से इसने शासन म बहु त अ यव था व अप यय भी कया । उसके राजनै तक हथकंड ेकभी-कभी बड़ ेखराब होते थे और अपने ल य क ाि त के लए यह अनु चत काय भी करता था और मूलभूत स ा त को याग देता था ।

    ज़वे ट के यि त व को लेकर डॉ. बनारसी साद स सैना का मत यादा उ चत दखाई देता है। उनका कहना है क अमे रक अथ यव था ने ऐसा पलटा खाया िजसको स भालने के लए एक चतरु व साहसी यि त क आव यकता हु ई, य द यह कहावत सच है क प रि थ तयाँ ह यि त को ऊपर उछालती है तो ज़वे ट पर यह पणू पेण च रताथ होती है, अथात ् ज़वे ट अपने यगु का ब चा था (Child of his age) उपरो त वचार और ज़वे ट क कृ तय क ववेचना से पवू यह आव यक तीत होती है क उन अस तोषजनक

    और भयावह प रि थ तय का व लेषण कर लया जाये िजससे उसे दो, चार होना पड़ा, नदान से पहले रोग का कारण समझना ह उ चत होता है।

    17.3 बीसवीं शता द के तीसरे दशक म संयु त रा य अमे रका क ि थ त

    थम व वयु के बाद संयु त रा य अमे रका के सामा य एवम ् यापक जीवन म जो उतार चढ़ाव हु ए उनका सजीव च ण सरल काय नह ं है; य क उसम कई पर पर वरोधी त व

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    ि टगोचर होत ेह। एक ओर देश धन धा य से प रपणू दखाई पड़ता है तो दसूर ओर गर बी और अस तोष के य च ह आंख , के सामने आत े ह । एक ओर धन वके करण म न ठा तो दसूर ओर सेठ , साहू कार और बक यू नयन म गठब धन तथा उनका भाव एक ओर जन हत उपाय के परावतन क इ छा तो दसूर ओर वाथ दल , गटु व यि तय का दबाव जो इन उपाय को कायाि वत करने म बाधा डालत ेह य द एक ओर ग तवाद क धारा बह रह है तो दसूर और अनदुारवाद भी काले बादल के समान देश पर छाया है।

    सं त म, यु उ तरकाल म संयु त रा य अमे रका म न वाथ नेताओं का अभाव, आदश का पतन, दल व गटु को हड़पने क पपासा, ईमानदार व बेईमानी म ववेक का अभाव पाया जाता था । अब पहले वाले रा प त जैसे वा शगंटन, जैफरसन, जैकसन के याग व तप क कहा नया ँपरुानी हो गई थी उनके थान पर एक नया देवता खोजने लगा था वह था- जीवन के चार ल य अथात ्धम, कम, काम और मो म से अब केवल दो अथवा अथ व काम का ह बोलबाला था । यापार व उ योग का यह काल वणयगु कहा जाता था । सेठ, साहू कार यापा रक क प नया,ँ यापा रक संघ, यापा रक यास, सबका केवल एक ह ल य था-अ धका धक मा ा म धन सचंय रा प तय क यह धारणा थी क शासन का मुख कत य है क उ योगप तय और यापा रय को भरसक लाभाि वत होने मे सहयोग दे। अत: िजतने भी अ ध नयम पास कये वे सबके सब य प से पूँजीप तय के ह हत म थे। एका धकार को रोकने तथा तयो गता संचार हेत ुजो अ ध नयम पा रत नह ं हु ए थे उनके वारा यापार व उ योग का अभूतपवू सं पडन हुआ, संगठन वशेष प से चम का रक सं पडीनकरण तो लोक हत के साधन म हुआ । 1919 म केवल 22 ह यापार सं प डत हु ए थे, उनक सं या 1926 म 100 हो गई । हजार जन हतकार क प नया ँतो लु त ह हो गई और सारे देश का बजल का कारोबार तीन ह यापा रक गटु ने ह थया लया। यह दशा टे लफोन, तार और बकै क हु ई इसी कार खुदरा वतरक ने सं पडन कर लया, इस कार 1930 ईसवी तक ऐसे, नगम का, जो बक का काम नह ंकरती थी आधा मूलधन दो सौ वशाल यापा रक नगम के हाथ म आ गया और इससे उनको 432 तशत आय होने लगी । प रि थ तय क ग भीरता क ओर अब जनता का यान गया तब यह एक राजनै तक वषय बन गया और आगे चलकर ज़वे ट को यह सम या सलुझानी पड़ी ।

    यास वरोधी असफलता के कारण केवल आ थक विृ तयाँ ह नह ंबि क बड़ ेहद तक यायालय भी उसके लए उ तरदायी थे । पूँजीप त अदालत से भय नह ंखाने थे िजससे

    अ य प से एका धकार को ो साहन मला। सं पडन तथा एका धकरण का अि तम प रणाम चाहे इतना ह घातक स नह ं हुआ

    हो, उसका त काल न फल अ य त ह स तोषजनक रहा । उ पादन शैल म उ न त हु ई । इसका प ट प रणाम यह हुआ क अ न व व के उ योग म मक क सं या कम होने लगी और वे दसूरे उ योग या कारखान म काय करने लगे । भवन नमाण काय म वृ हु ई, मोटरकार, रेफ़ जेरेटर, बजल के सामान बनाने के कारखान बने और इनम मजदरू व लेखक को नौकर मलने लगी। म यमवग के लोग का रहन-सहन का तर ऊँचा होने लगा। जो

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    सामान पहले कुल न के सखु का साधन समझा जाता था अब वह म यम वग क आव यता क पू त करने लगी । कार, संयु त रा य अमे रका म घर-घर चलने लगी । 19 -7 8 ई तक दो करोड़ पतैा लस लाख मोटर बनी । इन कारखान म40,00,000 मजदरू काम करत े थे । सरकार को सड़क नमाण क योजना बनानी पड़ी और उस पर 1 अरब डालर यय कये गये ।

    इसी कार बजल क खपत बढ़ने लगी तब उसके उ पादन के साधन भी जुटाए गए। इसम दस करोड़ मजदरू काम करत ेथे । 1926 तक बीस हजार सनेमाघर बन गये । रे डयो व हवाई जहाज का चलन हुआ िजससे सूचना और यातायात दोन म ह सु वधा हु ई ।

    भौ तक साधन व सु वधाओं के व तार के साथ-साथ सामािजक जीवन म भी प रवतन आया । वेतन भो गय के रहन-सहन के तर म वृ हु ई । जीवन बीमाओं म वृ हु ई । म यम वग, लघ ुबचत, म अ धक मा ा म खात ेखुलवात ेगये ये लोग मलूधन खर दने लगे ।

    इस गलुाबी च का एक अ धकारमय पहल ूभी था। इसम मुख वषय है नै तक पतन 1920 ईसवी से नशा नषेध काननू कायाि वत तो होने लगा था क त ु इसका बहु त वांछनीय प रणाम न हुआ य क अ धकांश अमे रक इसको एक राजनै तक उपाय ह समझत ेथे । बलपवूक सुधार म उनक न ठा नह ंथी । जो पहले से म दरापान के आद थे, वे तो पीते ह रहे और ने भी नयम उ लंघन क िजद से पीना शु कर दया । म दरा बनाना व बेचना दोन ह अपराध थे अत: व भ न े म म दरा यापार सार हेत ुगु ड का उपयोग करत ेथे । इन गु ड का थानीय नेताओं से तालमेल रहता था । इस कार धनवान और म यमवग के लोग चैन क बसंी बजा रहे थे तो दसूर ओर सवहारा वग क दशा बगड़ती जा रह थी । 1919 के बाद उनक मांग को ठुकराया जाने लगा और उनक हड़ताल नदयता से तोड़ी जाने लगी । यायालय म भी उनके हत के व फैसले दए जात ेथे और इस कार मक के वधैा नक अ धकार का हनन हो गया ।

    गाव क भी दशा संतोषजनक नह ंथी । 1919 तक तो कसान स प न रहे कंत ुउनक ग त म एक अड़चन थी वह थी ऋण पर भार याज दर । अनाज क खपत देश म तो होती ह थी वदेश म भी मांग नरंतर बढ़ती रह । कसान ने ऋण लेकर नई भू म खर दना ारंभ कर दया था ले कन थम व व यु के समा त होत ेह दशा बदल गई । भाव गरने लगे और उ पादन बढ़ता ह रहा । अ य देश भी बड़ी मा ा म अनाज का ऊ पादन करने लगे । इनसे तयो गता म बाजी मारना आसान न था । इसके अ त र त संयु त रा य अमे रका क बड़ी हु ई शु क दर के कारण यरूोपीय रा अपने तैयार माल के बदले वहा ँका अनाज खर दने म असमथ थे ।

    देश म भोजन यव था म प रवतन तथा अ वासी आवागमन पर तबधं लगने के कारण जब म दर बढ़ , तब उ पादन क लागत भी अ धक हो गई ।

    ढुलाई भाड़ा दर व अनाज गोदाम का कराया भी बढ़ा । एक तरफ तो कृ ष यवसाय म घाटा हो रहा था तो दसूर तरफ कर के बढ़ने से कसान क र ढ़ क ह डी टूट जा रह थी । उ ह अपने खेत ब धक करने पड़ े। इस कारण उनक स पि त का मू य भी गरने लगा । कृ ष य का आ व कार व योग के फल व प ाम क आबाद भी घट । जो काननू पा रत

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    कए गए, उनका येय केवल उ पादन वृ था । उनम उ पा दत व तुओं के वतरण क कोई यव था नह ंथी ।

    संयु त रा य अमे रका म सबका एक ह ल य एक ह उ े य था और वह था देश के व त पर अ धकार एव ंएका धकार । इस ल य क पू त हेत ुधनवान को जो सबसे बड़ी सु वधा ा त हु ई वह थी उनका कां ेस और सीनेट पर भाव । कुछ समय को छोड़कर कां ेस का

    संचालन दल के हाथ म ह रहा, इसक नर तर एक ह नी त रह और वह थी धनवान को लाभाि वत करवाना तथा इसी आशय के काननू बनाना ।

    इस नी त का यह प रणाम हुआ क एका धकार यु त गटु का भु व बढ़ गया । आ थक यव था पर वशाल यापा रक संघ घने बादल के समान छा गये । नगम संबधंी 80 तशत लाभ केवल एक हजार तीन सौ उ चास नगम ह हड़प लेती थी । शेष म 4,55,000

    छोट नगम का ह सा लगता था । बाजार भाव का उतार चढ़ाव इ ह ं नगम के हाथ म आ गया था। अत: उपभो गय का शोषण होने लगा । जब म द का समय आया तब वशाल बाजार भाव म कमी करना क ठन हो गया िजसके फल व प बेरोजगार बढ़ और ि थ त अ य त वषम हो गई । संयु त रा य अमे रका क आ थक यव था म इसका दोष था नगम के संगठन का नये उ योग का संचालन कारनै ग और रोगफैलर जैसे लोग के हाथ म था ये लोग अपने-अपने उ योग के वामी भी थे और मुख भी । इन लोग का येय था धन बटोरना । प रणाम यह हुआ क उ योग का अ धकाशं भाग थोड़ े यि तय के हाथ म पहु ँच गया था । धनवान के अ धक धनी बन जाने से साधारण जनता का अ हत हुआ ।

    इसका माण यह हुआ क वेतन और लाभ क वृ के अनपुात म मजदरू क मजदरू नह ंबढ़ । एक के पास तो वपलु धन था । दसूर को अपनी आव यकताओं क पू त के लाले थे । धन य ने तो अपना धन बचाकर उ योग सार म लगा दया । इसके फल व प धन बढ़ा । क त ुमजदरू के पास इतना अ त र त धन शेष न बचता था क उ पा दत व तुओं को खर द सके । सामान तो बनकर तैयार होता रहा, क त ुउनक नकासी नह ंहो पाती । देश म महंगे भाव पर माल कौन खर दता? और अ या धक शु क के कारण वदेश म माल क खपत क आशा करना यथ था ।

    स प नता के फल व प म यम वग का जीवन तर ऊपर उठा । कार, रे जरेटर, व यतु च लत साधन को आव यक समझकर उ ह क त के आधार पर खर दने लगे । आय कम और खच अ धक । इस कार उपभो ता पर ऋण का भार बढ़ने लगा । ऋण लेने क ऐसी था चल । कोई भी वग इससे नह ंबचा । चाहे वह कसान हो या छोटे कारखाने का मा लक,