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    LS – 5B कोटा खलुा व व व यालय, कोटा राज थान

    इकाई 1 सावज नक पु तकालय – आव यकता, उ े य, काय तथा उनके तर 5 इकाई 2 सावज नक पु तकालय – संगठन एव ं शासन: पु तकालय स म त एव ंकमचार 17 इकाई 3 पु तकालय व ान के पाचँ सू एव ंउनके न हताथ 30 इकाई 4 सावज नक पु तकालय म व तार सेवा: आव यकता, उ े य एव ं व धया ँ 44 इकाई 5 सावज नक पु तकालय म जन स पक एव ं चार काय 52 इकाई 6 पु तकालय संघ: उ े य तथा काय; भारतीय पु तकालय संघ 62 इकाई 7 बीसवी ंशता द म भारत म पु तकालय आंदोलन तथा भारत म पु तकालय अ ध नयम का सहंावलोकन 71 इकाई 8 भारत म सावज नक पु तकालय क सम याय और उनका समाधान; आदश सावज नक “ द ल सावज नक पु तकालय” 86

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    पा य म अ भक प स म त ो. बी. एस. शमा (अ य )

    कुलप त कोटा खुला व व व यालय कोटा ी वी.बी. न दा , व व व यालय पु तकालया य

    जवाहर लाल नेह व व व यालय, नई द ल

    डॉ. सी.डी. शमा, नदेशक राज थान व व व यालय पु तकालय, जयपुर

    ो. एस.एस. अ वाल, वभागा य पु तकालय एवं सूचना व ान अ ययनशाला व म व व व यालय, उ जैन

    डॉ. एच.बी. न दवाना (संयोजक) पु तकालय एवं सूचना व ान पा य म कोटा खुला व व व यालय, कोटा

    पा य म नमाण दल डॉ. सी.डी. शमा, नदेशक राज थान व व व यालय पु तकालय, जयपुर

    ो. आर.जी. पाराशर, वभागा य

    पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग डॉ. हर सहं गौड़ व व व यालय, सागर डॉ. पा डे एस.के. शमा, वभागा य

    पु तकालय व ान वभाग आगरा व व व यालय, आगरा

    स पादक ो. आर.जी. पाराशर, वभागा य

    पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग डॉ. हर सहं गौड़ व व व यालय, सागर

    ी सी.एल. शमा, संयोजक

    पु तकालय एवं सूचना व ान पा य म कोटा खुला व व व यालय, कोटा

    ो. जे.एल. सरदाना पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग द ल व व व यालय, द ल

    साम ी नमाण ो. योगे वर शमा नदेशक पा य साम ी उ पादन एवं वतरण नदेशालय कोटा खुला व व व यालय, कोटा सवा धकार सरु त: इस सामा ी के कसी भी अंश क कोटा खलुा व व व यालय क ल खत अनुम त के बना कसी भी प म “ म मयो ाफ ” (च मु ण) के वारा या अ यथा पनुः ततु करने क अनुम त नह ं है।

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    कोस: 5B सावज नक पु तकालय इकाई- 1 : सावज नक पु तकालय: आव यकता, उ े य एव ंकाय

    तथा उसके तर (Public Libraries: Needs, Objectives,

    Functions and Their Levels) उ े य पु तकालय एव ंसावज नक पु तकालय क प रभाषा से अवगत कराना । सावज नक पु तकालय क आव यकता के वषय म बताना । सावज नक पु तकालय के उ े य एव ंकाय के बारे म जानकार देना । सावज नक पु तकालय के व भ न तर से प र चत कराना और येक तर के सं त काय

    से अवगत करवाना।

    संरचना/ वषय व तु 1.1 पु तकालय या है? 1.2 पु तकालय के कार

    2.1 सावज नक पु तकालय 1.3 सावज नक पु तकालय क आव यकता 1.4 सावज नक पु तकालय के उ े य 1.5 सावज नक पु तकालय के काय

    5.1 उपयु त एव ंउ चत अ ययन साम ी ा त कराना 5.2 शै णक काय कराना 5.3 ौढ़ श ा-काय म को थायी एव ं भावशाल बनाना

    1.6 सावज नक पु तकालय-त के तर 6.1 रा य पु तकालय 6.2 रा य के य पु तकालय 6.3 िजला पु तकालय 6.4 ख डीय पु तकालय 6.5 पचंायत पु तकालय

    1.7 साराशं 1.8 संदभ सचूी

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    1.1 पु तकालय या है? सावज नक पु तकालय (Public Library) क प रभाषा को समझने के पहले यह ेय कर होगा हम पु तकालय क प रभाषा को समझ ल । पु तकालय श द दो श द पु तक + आलय (घर, थान) से मलकर बना है िजसका अथ है पु तक रखने का थान या घर । अत: पु तकालय वह थान है जहा ँपु तक रखी जाती ह । यह थान पु तक भ डार, सं हालय या काशक व व े ता के त ठान भी हो सकते ह । इन समानाथ थान से इसे भ न करने के लए पु तकालय क उपयो गता को इसके साथ जोड़ना आव यक है । इस कार पु तकालय को प रभाषा होगी- '' वह थान जहाँ पाठक के उपयोग हेतु पु तक रखी जाती है । '' यह प रभाषा पु तकालय क उपयो गता को तो प ट करती ह है साथ ह पु तकालय को अ य समानाथ थान यथा पु तक भ डार आ द से िजनका उ े य पु तक का य कर लाभ अिजत करना अथवा अ य कोई योजन हो सकता है, से भी पथृक करती है ।

    जब यह मान लया गया क पु तकालय वह थान है जहा ँपाठक के उपयोग के लए पु तक रखीं जाती ह, तो यह बात वत: ह प ट हो जाती है क यहाँ रखी अथवा सं ह त पु तक पाठक क आव यकता को यान म रख कर अवा त क जाती ह तथा पाठक वारा इनका भावशाल उपयोग हो सके इसके लए पु तक को यवि थत कर रखा जाता है िजससे पाठक इनका सरलता एव ंसु वधाजनक ढंग से उपयोग कर सके । उपयु त बात को यान म रखत ेहु ए न कषत: कहा जा सकता है क पु तकालय वह थान है जहाँ पाठक क आव यकतानसुार पु तकालय क मय वारा उपयोगी पु तक को सं ह त कया जाता है जहा ँपाठक वारा पु तक का सु वधाजनक ढंग से उपयोग कया जा सके इसी हेत ुउ ह यवि थत कर रखा जाता है ।

    1.2 पु तकालय के कार पु तकालय क उपयु त प रभाषा म तीन मु य त व ह- 1. थान अथवा भवन - जहाँ पु तक रखी जाती ह । 2. पाठक - जो पु तक का उपयोग करत ेह । 3. पु तकालय कम - जो पाठक क आव यकतानसुार उनके लए उपयोगी पु तक सं ह त करत े

    ह जहाँ पाठक सरलता एव ंसु वधापवूक पु तक का उपयोग कर सके। इसी हेतु इन पु तक को यवि थत रखते ह ।

    डी. रंगनाथन ने इन तीन त व को पु तकालय क मू त कहा है । इनम पाठक अथवा उपयोगकता मुख ह । िजस कार के पाठक अथवा उपयोगकता ह गे उनक आव यकता के अनु प उपयोगी पु तक

    एव ंअ य अ ययन साम ी का संकलन एव ं यव थापन कया जायेगा । यव थापन क ि ट से उसके अनु प यो यता वाले कमचा रय क आव यकता होगी । य द पु तकालय शै णक सं था से स बि धत है तो उ त पु तकालय शै णक पु तकालय कहलायेगा । पु तकालय य द शोध अथवा व श ट वभाग से स ब है तो उ त पु तकालय व श ट पु तकालय कहलायेगा । इसी कार य द पु तकालय कसी े के सम त नाग रक के लए सावज नक प से खुला है तो वह सावज नक पु तकालय कहलायेगा।

    अत: शै णक पु तकालय, व श ट पु तकालय और सावज नक पु तकालय, पु तकालय के तीन मुख कार ह।

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    2.1 सावज नक पु तकालय पु तकालय के उपयु त ववरण के अनसुार सावज नक पु तकालय वह पु तकालय है जो कसी थान अथवा े म रहने वाले सभी नाग रक को, बना कसी भेदभाव के, पु तकालय सेवा दान करता है । इसके सचंालन हेतु आव यक व त भी सावज नक अथवा राजक य न ध से ा त होता है । सुबोध कुमार मखुज के अनसुार '' सावज नक पु तकालय एक सामािजक सं था है जो जनता के लए, जनता के वारा चलायी जाती है । इसक थापना एव ंसंर ण देश अथवा थानीय काननू के प ट उ लेख वारा होता है । इनका परूा यय लोक- न ध (Public Fund) से ह होता है। इसके अ त र त ये समाज के सभी सद य हेतु बना कसी भेदभाव के सलुभ होत ेह ।” अत: सावज नक पु तकालय जन साधारण के उपयोग के लए जन साधारण वारा सचंा लत होते ह। एल. आर. मेकाि वन के मतानसुार - सावज नक पु तकालय के पाचँ आधारभतू त व न न ल खत ह- 1. सावज नक पु तकालय के संचालन का उ तरदा य व थानीय/ े ीय/ ादे शक रा य शासन पर

    होना चा हए । 2. सावज नक पु तकालय के सचंालन हेतु व त, शासन अथवा इसके ा धकरण से ा त होना

    चा हये। 3. सावज नक पु तकालय क सेवाएँ समाज के सभी सद य को नःशु क ा त होनी चा हये ।

    सावज नक पु तकालय 4. को समाज के सभी सद य क अ ययन च को ि ट म रखते हु ए यथा संभव इसक पू त का

    यास करना चा हए । 5. सावज नक पु तकालय को समाज के सभी वग के यि तय को न प एव ं नबाध प से उनक

    वां छत एव ं च क अ ययन साम ी का उपयोग करने का अवसर दान करना चा हए । भारत सरकार वारा सं था पत पु तकालय परामशदा ी स म त (Advisory Committee for Libraries) ने भी सावज नक पु तकालय क न न ल खत मुख वशेषताओं का उ लेख कया है- 1. जो अ धकाशंत: लोक - न ध (Public fund) से संचा लत होता है; 2. जो पाठक से कोई शु क ा त नह ं करता फर भी बना जा त, मत अथवा लगं भेद के सम त

    जनता के उपयोग हेतु खलुा रहता है; 3. जो एक सहायक शै णक, सं था के प म अ भ ते रहता है और व श ा का अप र मत साधन

    बनता है; 4. जो अ ययन साम ी को सं ह त रखते हु ए नबाध प से बना प पात अथवा अपकृ त के इतने

    अ धक व भ न वषय पर, जो पाठक क चय को स तु ट कर, व वसनीय सचूना दान करता है ।

    इस प रभाषा म सावज नक पु तकालय को सहायक शै णक सं था कहा गया है । इसके अ त र त सावज नक पु तकालय जन व व व यालय (Peoples University) भी है, जो समाज के सभी वग के यि तय को समान प से आजीवन व श ा का अवसर दान करता है।

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    सी. जी. व वनाथन के अनसुार '' सावज नक पु तकालय अपने े के सभी नाग रक को बना रंग, जा त व अ य कसी भेदभाव के न:शु क पु तकालय सेवा दान करते ह तथा इनका ब ध थानीय शासन वारा पणूत: अथवा अ धकांशत: अपने ह यय से होता है व पु तकालय का सचंालन शासन वारा नयु त ा धकार अथवा स म त वारा होता है । ''

    यनेू को (Unesco) के सावज नक पु तकालय के मेनीफे ट के अनसुार सावज नक पु तकालय वे पु तकालय ह- 1. जो नि चत अ ध नयम वारा था पत हो, 2. िजनका सचंालन पणू प से जनता के धन वारा हो, 3. िजसक सेवाओं के लए कोई सीधा शु क न लया जाता हो, 4. जो पणू प से नःशु क व समान प से समुदाय के लए उपल ध हो । उपयु त सभी प रभाषाओं के मनन के प चात ्हम कह सकत ेह क सावज नक पु तकालय वह जन क याणकार सामािजक सं था है, जो समाज के सभी वग के यि तय को समान प से न:शु क पु तकालय सेवा दान करती है तथा िजसका व तीय भार थानीय अथवा स बि धत शासन वारा वहन कया जाता है । अ यास माला 1 1. पु तकालय क प रभाषा बताइये । 2. पु तक भंडार एव ंपु तकालय म या भ नता है? 3. 3. पु तकालय के मुख कार बताइये । सावज नक पु तकालय के या गणु ह? 4. पु तकालय से या ता पय है? ल खये ।

    1.3 सावज नक पु तकालय क आव यकता वतमान जातं म येक नाग रक का श त होना आव यक है, िजससे वह अपने अ धकार के त सजग एव ंजाग क रहे और देश व समाज के त अपने कत य का नवाह कर सके । व व म पु तक को श ा का एक मह वपणू मा यम माना गया है, िजनका अ ययन कर, समझकर यि त अपने ान म वृ करता है । कसी भी े क अवाचीन व नवीनतम जानकार ा त कर सकता है, समय

    का सदपुयोग कर मनोरंजन ा त करता है एव ंसवागीण वकास क दशा म अ सर होता है । साथ ह पु तक एक अ छ म , दाश नक एव ं नदशक के समान ह िजनका अ ययन मनन कर जीवन पय त व श ा हण क जा सकती है । समाज का येक यि त अपनी वां छत पु तक न तो य कर सकता है और न ह कसी अ य ोत से ा त कर सकता है । अत: समाज के सभी यि तय क ान सचूना एव ंमनोरंजन स ब धी आव यकताओं क पू त पु तक के मा यम से करने के लए सावज नक पु तकालय का होना आव यक है । यह स भव है क समाज के स प न यि त अपनी आव यकता क बहु त सी वां छत पु तक वय ंय कर ल ; पर त ुन न एव ंम यम वग के यि त, िजनक सं या समाज म अ धक है, वय ंपु तक य करने म असमथ ह । अत: समाज के बहु त बड़े भाग के लए सावज नक पु तकालय नता त

    आव यक है ।

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    यह नह ं क केवल सा र एव ं व थ यि त ह सावज नक पु तकालय का उपयोग कर लाभाि वत हो सकते ह अ पत ु नर र एव ंशार रक प से अ व थ यि त भी पु तकालय से लाभ ा त कर सकत ेह । आधु नक पु तकालय म य- य साधन यथा-चल च , फ म ि स, च , रे डयो, टे ल वजन एव ंटेप रकाडर आ द के उपयोग से नर र एव ं वकलांग जसेै अधें व बहरे (Physically handicapped like blind and deaf) भी व श ा ा त कर लाभा व त हो सकते ह और देश के अ छे नाग रक बन सकते ह । अ छ पु तक का सा र वारा नर र के स मुख वाचन कर उ ह लाभ पहु ँचाया जा सकता है एव ं नर र को सा र बनने क ेरणा दान कर पु तकालय ौढ़ श ा काय म को भावी ढंग से कायाि वत करने म यह स पणू भू मका नभा सकते ह । सावज नक पु तकालय समाज के सभी वग के यि तय को आजीवन व श ा ा त करने का समान प से अवसर सलुभ करता है । इस लये इसे ' लोक व व व यालय ' क सं ा द गयी है ।

    शै णक एव ं व श ट पु तकालय का े सी मत होता है । शै णक पु तकालय जहाँ स बि धत श ण सं था म अ ययनरत छा व कायरत अ यापक को पु तकालय सेवाय दान करते ह वह ंव श ट पु तकालय स बि धत सं था के अधीन कायरत शोधक ताओं, वै ा नक एव ंअ य कमचा रय को पु तकालय सेवाय दान करते ह: पर त ुसावज नक पु तकालय का े यापक है । यह समाज के सभी वग के यि तय को बना कसी भेदभाव के न:शु क पु तकालय सेवाय उपल ध करते ह। अत: ऐसी जन क याणकार सं था समाज के सवागीण वकास के लए अ य त आव यक है । अ यास माला 2 1. सावज नक पु तकालय का मह व एव ंआव यकता का उ लेख क िजये । 2. सावज नक पु तकालय को लोक व व व यालय य कहते ह? 3. शै णक एव ं व श ट पु तकालय सावज नक पु तकालय से कैसे भ न है?

    1.4 सावज नक पु तकालय के उ े य सावज नक पु तकालय एक जन क याणकार सं था है जो समाज के सभी वग के यि तय के सवागीण वकास एव ंक याण हेतु आजीवन, अनवरत व श ा सचूना, ानव न एव ंमनोरंजन दान करती है । इ ह ं बात को यान म रख डॉ. रंगनाथन ने अपनी पु तक लाइ ेर मैनअुल' ' (Library Manual) म सावज नक पु तकालय के न न ल खत उ े य बताये ह- 1. समाज के सभी वग के यि तय के लए आजीवन व श ा ा त करने म सहायक होना । 2. समाज के सभी वग के यि तय को सम त वषय एव ं े पर अ यतन (upto date) त य

    एव ंसूचनाएँ दान करना । 3. थानीय, रा य एव ंअ तरा य, राजनै तक काय के स पादन म य त यि तय को सभी

    मत पर मु त पा य साम ी बना कसी भेदभाव के भल भां त दान करना । 4. रा य उ पादकता वृ हेतु उ योग के व र ठतम अ धका रय को उनके स बि धत े म

    नवीनतम वकास क सचूना दान करना तथा उनम कायरत वै ा नक , अ भयां क , अनसुंधानकताओं एव ंतकनी शयन को येक नवीन सचूना के उपयोग हेत ु े रत करना ।

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    5. समाज के सभी वग को उनके अवकाश के समय (Leisure time) के सदपुयोग म सहायता करना तथा पु तकालय के उपयोग हेत ु े रत करना ।

    6. ाचीन एव ंवतमान सा ह य को भावी पीढ़ के उपयोग हेतु सां कृ तक धरोहर के प म सरं त रखना एव ंसमाज के सभी यि तय को शोध एव ंउपयोग के लए उपल ध कराना ।

    7. मु त ान क संर त सं था के प म समाज के ान क अ भवृ म नर तर य नशील रहना ।

    सावज नक पु तकालय का मखु उ े य समाज के सभी वग के यि तय क अ भ च को यान म रखते हु ए उ चत अ ययन साम ी सं ह त कर यि तय को उपल ध कराना है । यनेू को के अनसुार सावज नक पु तकालय के उ े य जो ऊपर दये गये उ े य से मलते-जुलते है न न कार ह- 1. पु तक, प -प काय, समाचार प , मान च , संगीत रकाडस आ द अ ययन साम ी का पाठक

    क आव यकता एव ंमांग के अनसुार सं ह करना तथा उसके उपयोग क सु वधा दान करना । 2. ान के येक े म होने वाले आ व कार, अ वेषण, शोध तथा वकास स ब धी उपयोगी

    नवीनतम एव ंअवाचीन साम ी का सकंलन एव ंसरं ण करना तथा उनको भ व य म ग त व वकास हेतु उपल ध कराना ।

    3. बालक, यवुा, वृ , नर-नार सभी को नर तर व श ा ा त करने के लए ो सा हत करना व इसके लए अवसर दान करना ।

    4. वयैि तक सूचना, मनोरंजन और ेरणा पद सा ह य वारा अवकाश के ण का सदपुयोग करने का अवसर दान करना ।

    5. ान के वकास और शोधक मय म य त यि तय को सतत सेवा व सहयोग दान करना । 6. अपने दै नक काय म अ धकतम मता एव ं नपणुता ा त करना । 7. देशवा सय म सजृना मक शि त को वक सत करने म सहयोग दान करना एव ंउनम अपनी

    स यता, सं कृ त, कला व सा ह य के त अनरुाग उ प न करना । 8. येक यि त को अ छा रा य एव ं व व नाग रक बनाने म सहायता दान करना । 9. येक सावज नक सम या के त वचार- वमश व याशील आलोचना मक वातावरण उ प न

    करने हेतु वातावरण का नमाण करना । सावज नक पु तकालय के मु य उ े य ऊपर दये गये ह । ऐसे पु तकालय का कत य समाज के हर यि त को पा य साम ी के मा यम से बना कसी भेदभाव के न:शु क श त करना है ता क वह एक उ तम नाग रक क भां त समाज-सेवा म अपना योगदान दे सके । अ यास माला 3 1. सावज नक पु तकालय के उ े य या होने चा हए? 2. डॉ. रंगनाथन के मतानसुार सावज नक पु तकालय के उ े य या ह? 3. यनेू को के अनसुार सावज नक पु तकालय के उ े य या ह?

    1.5 सावज नक पु तकालय के काय सावज नक पु तकालय के काय को यनेू को के मे नफे ट म न न कार अ भ य त कया गया है-

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    “पु तकालय जन श ा के लए जागतृ शि त है । आज न ववाद प से यह मान लया गया है क पु तकालय जन श ा व जन चेतना के चार के लए मुख व स य मा यम है । आज पु तकालय मा पु तक के आदान दान का ह काय स प न नह ं करता वरन ्जन साधारण म अ धका धक ान ा त करने क अ भलाषा भी जागतृ करता है । ''

    डॉ. रंगनाथन के अनसुार, सावज नक पु तकालय के काय शै णक सचूना मक, राजनै तक, आ थक, ो यौ गक, सां कृ तक तथा परुा व है । अथात ्सावज नक पु तकालय अपने शै णक काय के वारा

    जन साधारण को शै णक अ भ च क पू त करता है एव ंउसे वक सत करता है । उसक बौ क िज ासा क पिु ट सचूना मक काय के मा यम से करता है । राजनी तक काय के अ तगत वह व थ जनमत का नमाण करता है । आ थक काय के अ तगत वक सत तकनीक व उ पादन क नवीन व धय के संबधं म जनता को जानकार दान कर उनक आ थक ि थ त को सु ढ़ करता है । सां कृ तक काय के वारा रा य व अ तरा य सं कृ त, स यता, कला व ान के अप र मत भ डार से प र चत कराता है । परुा व काय के अ तगत ाचीन सा ह य, ान, कला एव ंस यता व सं कृ त से स बि धत सा ह य, च व चल च उपल ध कराता है । सावज नक पु तकालय के उ े य यापक ह तथा उसका काय े स पणू समाज है । पु तकालय के काय क ववेचना न न कार क जा सकती है-

    5.1. उपयु त एवं उ चत अ ययन साम ी अवा त कराना समाज के सभी यि तय क अनौपचा रक (Informal) श ा एव ं व श ा हेत;ु व वध वषय म औपचा रक (Formal) श ा ा त करने वाले यि तय क स बि धत वषय म अ भ च को वक सत करने हेत;ु सभी क सूचना स बि धत आव यकताओं एव ंमांग क , पू त हेतु; व भ न समदुाय एव ंसंगठन को शै णक, नै तक एव ंसां कृ तक ग त व धय के सचंालन म सहयोग दान करने हेत ुसमाज के सभी यि तय को उनके अवकाश के समय का सदपुयोग रचना मक एव ंसजृना मक काय म करने हेतु ो साहनाथ उपल ध पा य साम ी को पाठक तक पहु ँचाना ।

    उपयोगी पा य साम ी को अवा त कर पाठक तक उपयोग के लए पहु ँचाना सावज नक पु तकालय का मुख एव ंमह वपणू काय है। इसके अभाव म अवा त पा य साम ी का भावी उपयोग अस भव हे । यह सेवा पु तकालय को याशील एव ंउपयोगी बनाती है । इस सेवा को भावशाल बनाने के लए एक पु तकालय म न न ल खत काय स प न कये जाते ह । 1. पा य साम ी का वग करण एव ंसचूीकरण कर उसको फलक पर उ चत म म यवि थत कया

    जाता है िजससे पाठक उसका उपयोग सरलता एव ंसुगमतापवूक कर सके । 2. आदान दान क सु वधा िजसके अ तगत पाठक को अ ययनाथ पा य साम ी घर ले जाने क

    अनमु त द जाती है िजससे पाठक अपनी वां छत पा य साम ी घर ले जाकर सु वधानसुार पढ़ सकता है ।

    3. पाठक को अभी ट सचूना ा त करने म सहायता एव ंमागदशन दान करना ।

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    4. चार एव ं सार सेवाओं के वारा समाज के अ धक से अ धक यि तय को पु तकालय उपयोग हेतु आक षत करना िजससे यह सामदुा यक के के प म वक सत हो सके ।

    5.2 शै णक काय कराना सावज नक पु तकालय नर तर समाज क याण म रत रहते हु ए श त और अ श त दोन को समान प से ान का वतरण करता है । वा तव म यह ान का जीवत ंके है और सभी को समान प

    से श ा हण करने का अवसर दान करता है । पु तक को नबाध प से श ा का सश त एव ंमह वपणू साधन माना गया है और पु तकालय पु तक के भ डार ह । पु तक के मा यम से समाज के सभी वग के यि तय को समान प से अपनी श ा का वकास करने का अवसर दान करना सावज नक पु तकालय का मु य शै णक काय है ।

    5.3 ौढ़- श ा काय म को थायी एंव भावशाल बनाना देश क जनसं या का एक बहु त बड़ा भाग ऐसे ौढ़ यि तय का है िज ह बा य एव ंयवुाव था म उ चत श ा ा त करने का उपयु त अवसर ा त नह ं हुआ । वतं ता ाि त के प चात ्रा य सरकार ने इस दशा म बहु त यान दया है एव ंपचंवष य योजनाओं म इस काय म हेतु एक बड़ी धनरा श का ावधान कर समाज के इस अ श त एव ंअ श त वग को श त करने का बीड़ा उठाया है;) पर त ुबड़े दःुख का वषय है क ौढ़ श ा काय म म सावज नक पु तकालय क भू मका को अनदेखा छोड़ दया गया है। प रणामत: यह काय म थायी एव ं भावशाल नह ं बन पाया है ' समाज के िजन ौढ़ को सा र बनाया जाता है उनक सा रता को बनाये रखने व भ व य म श ा हण करने क मता को वक सत करने हेतु आव यक है क इन काय म का आधार कोई ऐसी

    सं था हो जो इस काय को अनवरत प से करने म समथ हो और वह सं था कोई अ य सं था नह ं सावज नक पु तकालय ह ह जो इस काय को भावशाल ढंग से स प न कर सकते ह । अत: भ व य म य द इन पु तकालय को आधार सं था के प म मा यता दान कर यह उ तरदा य व दान कया जाए तो ये काय म अव य ह थायी एव ं भावशाल बन पड़गे तथा नव सा र क च- अनसुार उपयु त पा य साम ी उपल ध करवाकर उनक सा रता को था य व दान करगे और भ व य म पु तक वारा व श ा दान कर उनको श त नाग रक बनाने म सावज नक पु तकालय मह वपणू भू मका नभा सकगे । अ यास माला 4 1. यनेू को के अनसुार सावज नक पु तकालय के या काय ह? 2. डॉ. रंगनाथन के अनसुार सावज नक पु तकालय के काय या ह? 3. सावज नक पु तकालय के मु य शै णक काय का वणन क िजये । 4. सावज नक पु तकालय का ौढ़ - श ा के े म या योगदान है? ववेचना क िजये ।

    1.6 सावज नक पु तकालय त के तर समाज के सभी वग के यि तय को पु तकालय सेवाय सलुभ हो इसके लए आव यक है क स पणू रा म सभी तर पर आधु नक एव ंससुि जत सावज नक पु तकालय का जाल बछाया जाय । इस हेतु रा य/रा य तर पर एक तं का संग ठत होना अ य त आव यक है वो अ ध नयम वारा पो षत

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    हो तथा वकास हेतु काय करने का पणू अ धकार रखता हो । भारत सरकार वारा सन ्1957 म संग ठत पु तकालय परामशदा ी स म त (Advisory Committee for Libraries) ने अपने तवेदन म भारत के लए न न सावज नक पु तकालय तं क अनशुंसा क थी - 1. रा य पु तकालय (National Library) 2. रा य के य पु तकालय (State Central Library) 3. िजला पु तकालय (District Library) 4. ख डीय पु तकालय (Block Library) 5. पचंायत: पु तकालय (Panchayat Library) त क येक इकाई क सं त चचा कर लेना यहा ंसमीचीन होगा ।

    6.1 रा य पु तकालय (National Libraries) यह रा का त न ध पु तकालय होता है जहाँ सामा यत: देश म का शत सम त पु तक को सं ह त कया जाता है एव ंशोधकताओं क सु वधा के लए व व के कसी भी देश मे का शत पा य साम ी को ा त कर शोधकता को उपल ध कराने का यास कया जाता है । इस पु तकालय वारा रा य वा मय सचूी का नमाण करे उसे का शत करने का भी काय कया जाता है । चै ड लयर के अनसुार '' रा य पु तकालय का ावधान स पणू रा क चय को स तु ट करने के लए कया जाता है।' रा य पु तकालय के काय- सावज नक पु तकालय के े म इसका सव च थान होता है । यह रा क पु तकालय नी त को श त कर रा के सभी पु तकालय का मागदशन करता है । तथा वा मयी एव ंसहकार ग त व धय के लए सम वय के के प म काय करता है । इसके मु य काय ह - 1. रा के सा ह य का के य सं हण; 2. रा य वा मय सूची का काशन; 3. रा य वा मय सूचना के के प म काय करना; 4. व व तर पर अ तर पु तकालय आदान - दान; 5. पु तकालय तकनीक म शोध; 6. अ तरा य व नमय के के प म काय करना; 7. तकनीक सेवाओं का आदान - दान) 8. रा य पु तकालय त (National Library System) के शीष के प म काय करना, और 9. रा म पु तकालय से स बि धत परामश देना ।

    6.2 रा य के य पु तकालय (State Central Library) येक रा य म एक शीष पु तकालय रा य के य पु तकालय के प म था पत कया जाता है जो

    रा य के पु तकालय तं को नेतृ व एव ंमागदशन दान करता है । डॉ. रंगनाथन के अनसुार इसके तीन मुख भाग एव ंउनके काय न न कार ह -

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    1. टेट कॉपीराइट पु तकालय- से ए ड रिज ेशन ऑफ बु स 1857 व संशोधन 1954 क धारा 3 व 4 म व णत ग त व धय का सचंालन और रा य म का शत सम त पु तक का सं हण।

    2. टेट डोरमीटर पु तकालय - रा य के व भ न पु तकालय मे न का सत अनपुयोगी पु तक को सुर त रखना िजससे उनक माँग होने पर उ ह उपल ध करवाया जा सके ।

    3. रा य सेवा पु तकालय - रा य के व थानीय नवा सय को पु तकालय सेवा उपल ध कराना । रा य के य पु तकालय के मुख काय इस कार ह -

    1. रा य म का शत सरकार व गरै सरकार काशन का सं ह करना । 2. सामा य एव ं व श ट वषय पर वा मय सू चय का नमाण करना । 3. रा य के पु तकालय का मागदशन व नेतृ व करना व तकनीक क जानकार दान करना । 4. रा य तर पर वा मय सचूी व संघीय सू चय का नमाण करना । 5. रा य तर पर अ तर पु तकालय आदान दान के के प म काय करना । 6. पचंवष य योजनाओं से स बि धत सचूनाओं के लए सूचना एव ं चार के के प म काय करना। 7. रा य सरकार को पु तकालय स ब धी मामल म परामश देना ।

    6.3 िजला पु तकालय (District Library) यह रा य पु तकालय तं क मह वपणू इकाई है । िजले का सव च एव ं मुख पु तकालय होने के कारण तथा रा य सरकार क पु तकालय स ब धी योजनाओं व नी तय को कायाि वत करने के लए

    य प मे उ तरदायी होने के कारण यह मह वपणू ि थ त ा त करता जा रहा है । यह िजले के नगर य एव ं ामीण दोन े म पु तकालय सेवा क यव था करता है । इसके अधीन चल पु तकालय, शाखा पु तकालय व वतरण के काय करते ह ।

    6.4 ख डीय पु तकालय (Block Library) पु तकालय सेवा का लाभ पचंायत एव ंगांव तक पहु ँचाने के लए ख ड तर पर ख डीय पु तकालय था पत कये जात ेह । इनका मु य काय अपने े क जनता को पा य साम ी उपल ध करवाना

    एव ंअ ययन च का वकास कर उनम पु तकालय के त जागृ त उ प न करना है ।

    6.5 पंचायत पु तकालय (Panchayat Library) येक पचंायत तर पर ामीण जनता क अ भ च को यान म रखत ेहुए पचंायत पु तकालय था पत

    कये जाते ह जो अपने े क जनता को पु तक के मा यम से श त करते ह तथा अ ययन च का वकास भी करते ह । अ यास माला 5 1. पु तकालय परामशदा ी स म त ने भारत के लए कस कार के पु तकालय-तं क अनशुसंा क

    है? 2. रा य पु तकालय के काय का वणन क िजए । 3. रा य के य पु तकालय के काय का वणन क िजए ।

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    1.7 सारांश सावज नक पु तकालय कसी थान अथवा े के नाग रक को बना भेदभाव, मु त पु तकालय सेवा दान करता है । इसके सचंालन के लये व त राजक य न ध से ा त होता है । सावज नक पु तकालय

    का मु य उ े य जनता को पा य साम ी के मा यम से श त और सू चत करना है ता क वह कुशल नाग रक बन सके और समाज के आ थक वकास म योगदान दे सके । यह शै णक काय के अ त र त ौढ़- श ा म भी योगदान देता है । पु तकालय तं के उपरो त उ े य क पू त के लये व भ न तर

    ह । भारत म यह तर रा य पु तकालय रा य के य पु तकालय, िजला पु तकालय, ख ड पु तकालय एव ंपचंायत पु तकालय ह। इन सब के अपने-अपने वशेष काय ह।

    1.8 संदभ सूची 1. Gardner, Frank M.: Delhi Public Library; an Evaluation Report, Paris,

    Unesco, 1957. 2. Kalia, D.R., Ed: Survey of Public Libraries in India, New Delhi, ILA, 1965. 3. Khanna, J.K.: Library and Society, Kurukshetra, Research Publications,

    1987 4. सु दे वरन, के.एस.: थालय और समाज, नयी द ल , एस.एस. पि लकेश स, 1988. 5. Viswanathan, C.G.: Public Library Organisation. 3rd ed. New Delhi, Today

    & Tomorrow’s, 1978.

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    NOTES

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    कोस – 5B: सावज नक पु तकालय इकाई- 2

    सावज नक पु तकालय सगंठन एव ं शासन, पु तकालय स म त एव ंकमचार (PUBLIC LIBRARY-ORGANISATION AND ADMINISTRATION, LIBRARY COMMITTEE AND STAFF) उ े य व या थय को सावज नक पु तकालय संगठन एव ं शासन के संबधं म जानकार देना । पु तकालय स म त क आव यकता, कार एव ंकाय से अवगत करवाना पु तकालय कमचार क यो यता एव ंगणु के संबधं म ानकार देना।

    संरचना / वषय व तु 2.1 पु तकालय संगठन एव ं शासन

    1.1 संगठन का अथ 1.2 संगठन का मह व 1.3 शासन का अथ 1.4 शासन संबधंी काय

    2.2 पु तकालय स म त एव ंउसका अथ 2.1 स म त क आव यकता 2.2 स म त के कार 2.3 स म त का गठन 2.4 स म त के काय

    2.3 पु तकालय कमचार एव ंउनक आव यकता 3.1 कमचा रय का वग करण 3.2 पु तकालया य

    2.4 अ यास के लये न 2.5 संदभ सचूी

    2.1 पु तकालय संगठन एवं शासन: पु तकालय संगठन एव ंपु तकालय शासन य य प पु तकालय व ान क दो भ न- भ न शाखाएँ है पर त ुदोनो एक दसूरे से इतनी गुथंी हुयी है क वषय व त ुके आधार पर दोन के म य वभाजक रेखा खींच पाना क ठन है । ारंभ म दोनो शाखाएँ अलग नह ं थी पर तु कालांतर म दोन म भेद कया

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    जाने लगा । पु तकालय संगठन को कुशल पु तकालय शासन का माग श त करने वाल शाखा माना गया । दसूरे श दो म पु तकालय संगठन शासन क पवू तयैार है। 1.1 पु तकालय संगठन का अथ : -पु तकालय संगठन से ता पय है कसी नि चत उ े य क

    ाि त हेत ुकुछ यि तय वारा मलकर योजनाब प से काय करने क या । इसके अंतगत न न ल खत याएँ सि म लत है :

    1. पु तकालय भवन के थान तथा उसके वा तु श प का नधारण एव ंउसका नमाण; 2. पु तकालय उप कर एव ंउपकरण का चयन और य; 3. कमचा रय का चयन, नयिु त और काय का आवटंन; 4. पु तकालय सेवा णाल के लए नी त का नधारण और उसक कायाि व त क व धय के वषय

    म नधारण आ द । 1.2 संगठन का मह व : संगठन पु तकालय क आधार शला है । यह वह या है िजसके वारा

    पु तकालय सेवाओं का सचंालन, सम वय और नयं ण होता है । दोषयु त संगठन यवहा रक काय को क ठन एव ं भावह न बना देता है । इसके वपर त व थ एव ंकुशल संगठन अपने पाठक क अपे ाओं को पणू करने हेतु प ट तकसंगत एव ंसु नयोिजत पु तकालय सेवा दान करता है ।

    े ठ एव ं व थ संगठन वारा पु तकालय के सम त कमचा रय क यो यताओं एव ंगणु का भरपरू लाभ उठाया जाता है िजससे शासन काय कुशलता पवूक स प न होता है और कमचा रय क काय मता म वृ होती है । अत: मानवीय और भौ तक साधन के अनकूुलतम उपयोग के लए संगठन

    अ नवाय है । काय के सुचा एव ंसुगम संपादन के लए संगठन पु तकालय के व भ न काय को आनपुा तक एव ंसंतु लत मह व दान करता है । इसके अंतगत पु तकालय क सम त सेवाओं एव ं याओं को व भ न वभाग , उप वभाग तथा काय म वभाजन कया जाता है । कुशल एव ं े ठ संगठन ऐसी संरचना का नमाण करता है िजसके अंतगत पु तकालय एव ंउसके वारा दान क जाने वाल सेवाओं म वत: ह वकास होता है और उसक याओं का वकास तथा व तार

    होता रहता है । संगठन वारा ह पु तकालय का संभव होता है । संगठन सम वय को सु वधाजनक बनाता है । संगठन क रचना व भ न वभाग , उप वभाग , ि थ तय , काय , सेवाओं, याओं के म य सम वय वारा क जाती है । इससे जहा ँपु तकालय क काय कुशलता म वृ होती है वह ं दसूर ओर नधा रत उ े य को ा त करना संभव होता है। पु तकालय के कुशल एव ं भावशाल संगठन के लए न न ल खत चरण अपनाये जाने चा हए : 1. याओं का नमाण 2. याओं का ेणीब कया जाना, 3. कमचा रय के म य काय वभाजन एव ंआबटंन, 4. कमचा रय को आव यक अ धकार का स पा जाना, 5. व भ न वभाग , उप वभाग एव ंसेवाओं तथा याओं मे म य सम वय तथा सतंलुन । पु तकालय संगठन का आरंभ पु तकालय संचालन हेतु योजना के नमाण से होता है । संगठन क सु नयोिजत एव ंसु ढ़ योजना भ व य म पु तकालय के सुचा एव ंसगुम शासन का माग श त

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    करती है । संगठन के अतंगत पवू नधा रत उ े य क ाि त के लए संगठनक ताओं को मलकर योजनाब प म काय करना होता है । साथ ह सचंालन क नी तय और नयम का नधारण, भवन के थान का चयन, भवन नमाण क योजना व वा त ुकला का नधारण, पु तकालय सहयोग, चार व सार, फन चर (उप कर) और अ य उपकरण क यव था करना तथा पु तकालया य और उसके अधीन थ क मय क नयिु त संबधंी नणय और कमचा रय के म य काय का वभाजन एव ंआबटंन आ द पु तकालय संगठन क आव यकता ह नह ं अ नवायताऐं ह । 1.3 पु तकालय शासन का अथ : - कसी सं था के कुशल एव ंस म संचालन को शासन कहत े

    ह । शासन कसी भी सं था के उ े य क पू त म सहायक होता है अथात ् शासन िजतना कुशल होगा, सं था उतनी ह अ धक कुशलता से काय कर सकेगी । पु तकालय शासन से ता पय है पु तकालय के सभी वभाग के काय म का आयोजन एव ंकाया वयन और उसके दै नक काय म का सकुशल और स म सचंालन । शासन के अंतगत वे सभी काय एव ंवषय आते है िजसके वारा पाठक को सुगम एव ंसु वधाजनक प म अ धका धक सेवा दान क जा सके । अत: पु तकालय स म त, पु तकालय नयमावल , वा षक तवेदन, व तीय यव था, पु तकालय सव ण, सं ह पर ण, पु तकालय सांि यक , सेवा -शत, आ द वषय शासन म सि म लत है । य द मोटे प म देखा जाय तो पु तक चयन से लेकर कमचा रय वारा संप न सम त काय पु तकालय शासन के अंतगत आते ह ।

    पु तकालय का उ े य है व भ न कार क अ ययन साम ी का सं ह और उसके मा यम म अ धका धक यि तय को सुगम एव ंसचुा सेवाय दान करना । पु तकालय के इस उ े य क पू त के लए कुशल एव ंसफल शासन अ नवाय है और सफल शासन क कसौट है। पु तकालय के व भ न वभाग का एक दसूरे के साथ तालमेल एव ंसम वय तथा पु तकालय स म त वारा नधा रत व मा य नी तय और नणय का पालन पणू न ठा एव ंईमानदार से होना चा हए अतएव कहा जा सकता है क पु तकालय शासन का उ े य है पाठक को सु वधापवूक, तथा ती ग त से अ धक से अ धक सेवा दान करना । यह तभी सभंव है जब शासन कसी नि चत स ा त पर आधा रत हो । पु तकालय शासन के न न ल खत स ा त ह िजनके आधार पर पु तकालय के काय को सुगमता और सरलता मे स प न कया जाता है:

    1. नयं ण एव ं ब ध क एकता, 2. स ता अथवा अ धकार का ह ता तरण, 3. काय वभाजन, 4. नयं ण का े , 5. पार प रक सहयोग, और 6. नेतृ व । पु तकालय य , पु तकालय का शासना धकार होता है अत: कुशल शासन के लए उसे उपयु त शास नक स ा त से प र चत होना चा हए और उ ह ं के आधार पर उसे शास नक काय स प न

    करने चा हए ।

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    1.4 शासन संबधंी काय: - शासन के अ तगत कन काय को स प न कया जाना चा हए उसक ववेचना लथूर गु लक (Luther Gulick) ने बहु त ह सु दर ढंग से क है उ होन शासन के अ तगत स प न कये जाने वाले सम त काय को अं ेजी भाषा के श द 'POSDCORB' म समावे शत कर दया है । इस श द म न हत सम त काय क या या न नां कत है: P= Planning - योजना नमाण : कसी काय को आर भ करने से पव उसक योजना बनानी चा हए । सु नि चत एव ं प ट योजना वारा ह अपने उ े य क ाि त सरलता एव ंसफलतापवूक क जा सकती है । O= Organisation -. संगठन रचना : पु तकालय सेवा को सगं ठत करने हेतु उसके संगठन क परेखा का कया जाता है । इसके अ तगत शास नक काय के कुशल स पादन के लए शासन नी त का नधारण कया जाता है ।

    S= Staffing - कमचा रय क यव था करना : कसी भी योजना को मतू प दान करने के लए यो य एव ंकुशल कमचार आव यक ह । इस काय के अ तगत कमचा रय क नयिु त, पदो न त, श ण सु वधा स ब धी नयम का नमाण कया जाता है, िजससे सम त काय यवि थत प म एव ंकुशलता पवूक स प न कये जा सके । D= Directing - नदश दान करना : - कमचा रय वारा काय का कुशलतापवूक एव ंशी ता से स प न कया जा सके इसके लए आव यक है क उ ह प ट नदश दान कये जाएँ । शासन से स बि धत नणय करना तथा कमचा रय को इन नणय से अवगत कराना आ द इसके अतंगत आते ह । C= Co-ordination - सम वयीकरण : - पु तकालय के व भ न वभाग के म य सम वय तथा उनम पर पर सहयोगी स ब ध था पत करना इसम न हत है । R= Reporting - तवेदन ततु करना : - पु तकालय वारा स प न व भ न ग त व धय एव ं याकलाप क ग त का त या मक ववरण तैयार कर शास नक अ धकार अथवा पु तकालय स म त के सम तुत करना इस या म सि म लत है । B= Budgeting - आय ययक (बजट) का नमाण : - इसके अ तगत वष म व भ न मद पर कये गये वा त वक यय और भ व य हेतु व तीय योजना का नमाण कर आय ' ययक बनाना तथा उसे उपयु त अ धकार के सम वीकृ त के लए तुत करना होता है । िजससे अ धकार पु तकालय के सफल संगठन एव ं शासन के लए सु ढ़ एव ंआव यक व त क यव था कर सके । उपयु त स ा त एव ंकाय के आधार पर पु तकालय कुशलता पवूक एव ंसचुा प से काय स पा दत कर अपने उ े य क ाि त कर पु तकालय के उपयोग मे अ य धक वृ कर सकता है ।

    अ यास के लए न 1. पु तकालय संगठन से आप या समझते ह? संगठन के अंतगत सि म लत याओं का ववेचन

    क िजए । 2. संगठन के मह व को बताईये और कुशल एव ं भावशाल संगठन के लए अपनाये जाने वाले कदम

    का वणन क िजए ।

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    3. पु तकालय शासन से या ता पय है? शासन के स ा त का वणन क िजए । 4. लूथर गु लक वारा बताये गये शास नक काय का ववेचन व तार पवूक क िजए ।

    2.2 पु तकालय स म त का अथ (Library Committee: Meaning) पु तकालय स म त थानीय समुदाय के व श ट त न ध यि तय का समूह है जो जन आकां ाओं को यान म रखते हु ए पु तकालय के सचंालन, वकास एव ंकाय म क नी त नधा रत करते है । इनक नयिु त अ ध नयम के अ तगत सरकार वारा क जाती है अथवा चुनाव वारा होती है ।

    2.1 पु तकालय स म त क आव यकता (1) समाज के व भ न वग के त न धय का पु तकालय संगठन एव ंसचंालन म सहयोग एव ंमाग

    दशन ा त होता है िजससे सावज नक पु तकालय सह अथ म सामािजक सं था के प म काय करता है।

    (2) ये त न ध पु तकालय और समाज के म य एक कड़ी के प म काय करते है । यह अपने वग क आकां ाओं से ा धका रय को प र चत करवा कर पु तकालय को समाज क आव यकताओं के अनु प काय करने क ेरणा दान करत ेहै ।

    (3) पु तकालय स म त का पु तकालया य पर नयं ण रहता है और इस कार पु तकालय को उसके संभा वत वे छाचार नणय से मुि त ा त होती है ।

    (4) पु तकालया य पु तकालय स म त के मा यम से पु तकालय क आव यकताओं क जानकार ा धकरण एव ंसरकार को दान कर आव यकताओं क पू त सरलता से करवा सकता है ।

    (5) पु तकालय स म त के नणय को कायाि वत करने म पु तकालया य का यि तगत उ तरदा य व कम हो जाता है और उसक ि थ त सरु ा मक रहती है ।

    (6) स म त पु तकालय के संचालन एव ं व वध काय म के सफल सचंालन के लए ा धकरण एव ंसरकार से उ चत आ थक सहयोग ा त करने म सहायक होती है ।

    (7) स म त वारा पु तकालय के व भ न काय म एव ंभावी वकास योजनाओं को समाज के सभी वग तक पहु ँचाया जाता है िजसमे पु तकालय क लोक यता म वृ होती है और जनता पु तकालय को आदर क ि ट से देखती ह ।

    (8) पु तकालय स म त अपनी उप -स म तय के वारा पु तकालय सचंालन को स म और सु ढ़ बनाती है ।

    2.2 पु तकालय स म त के कार : - पु तकालय स म त के अ धकार एव ंकाय उसके कार पर नभर करते है । इसके मु य कार न न है : -

    1. व न मत स म त (Self-Perpetuating Committee) : - इस कार क स म त सव शि त स प न व पणू प से वाधीन होती है और इनका गठन अ ध नयम पर आधा रत होता है । यह पु तकालय क थापना, संचालन, शासन एव ं ा धकरण के त पणू पेण उ तरदायी होती है ।

    2. कायकार स म त (Executive Committee) : - इस कार क स म त को ा धकरण वारा द त -शि तय क सीमा म नणय लेने का पणू अ धकार होता है । इसे आव यक काय के संबधं

    म लए गए नणय के लए न तो ा धकरण क पवूानमु त क आव यकता होती है और न ह

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    इसके वारा लए गए नणय से ा धकरण को अवगत कराना इसके लए आव यक है । यह भी ा धकरण के त उ तरदायी होती है तथा इसक शि तया ँ व न मत स म त क अपे ा सी मत होती है ।

    3. तदथ स म त (Adhoc Committee) : - इस कार क स म त का गठन तदथ प से कसी वशेष योजन अथवा काय के लए कया जाता है । यह सामा यत: राजनी तक व थानीय भाव से मु त रहती है । त मलनाडु के पु तकालय अ ध नयम म इस कार क स म त क नयिु त क यव था है ।

    4. तवेदन स म त (Reporting Committee) : - इस कार क स म त को नणय लेने का अ धकार तो होता है पर त ुइसे नणय को कायाि वत करने के लए पु तकालय ा धकरण के सम तवेदन तुत कर वीकृ त ा त करनी होती ह ।

    5. अनशुंसा मक स म त (Recommending Committee) : - यह सबसे नबल स म त होती है । यह कसी वशेष मु े पर केवल अपनी अनशुंसा पु तकालय ा धकरण को े षत कर सकती है । इसे कसी वषय पर नणय लेने का अ धकार नह ं होता है ।

    6. मनोनीत अथवा नवा चत स म त (Nominated or Elected Committee) : - इस कार क स म त कसी बडी स म त, सं था अथवा सरकार वारा मनोनीत अथवा नवा चत होती है। इस स म त क शि तया ँएव ंकाय वह ं होते है जो इसे बड़ी स म त वारा ह ता त रत कये जात ेहै । इस कार क स म त क नयिु त का ावधान आ देश के सावज नक पु तकालय अ ध नयम 1960 म है।

    स म तय के व भ न कार के गणु -दोष को देखत ेहु ए एक सावज नक पु तकालय के लए कायकार स म त लाभ द स होगी पर त ु व न मत स म त सबम अ धक शि तशाल और पु तकालय अ ध नयम के आधार पर ग ठत होनी है । अ यास के लए न : - 1. सावज नक पु तकालय के लए पु तकालय स म त य आव यक है? 2. सावज नक पु तकालय स म त के कार का वश ( व ततृ) वणन क िजए । 3. सावज नक पु तकालय के लए कौन सी स म त सवा धक लाभ द है?' 2.3 पु तकालय स म त का गठन : - भारत सरकार वारा 1957 म नयु त पु तकालय

    परामशदा स म त ने अपने तवेदन म देश म सावज नक पु तकालय के सचंालन म पु तकालय स म तय के मह वपणू योगदान का वणन करते हुए इस काय के सफल सचंालन हेतु व भ न तर पर न न कार क स म तय के गठन क अनशुंसा क ह : -

    1. रा य अथवा अ खल भारतीय तर पर पु तकालय स म त : - संपणू रा के पु तकालय के लए नी त नधारण एव ंसचंालन हेतु और सम त रा य के पु तकालय वभाग क ग त व धय के नर णाथ एव ंउ ह उ चत मागदशन दान करने के लए अ खल भारतीय पु तकालय प रष के गठन क अनशुंसा तवेदन म क गयी । इस प रष म सद य न नानसुार ह गे : -

    1. के य श ा मं ी - अ य , 2. श ा मं ालय म पु तकालय का भार अ धकार - स चव, 3. सम त रा य पु तकालय प रष के अ य ,

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    4. श ा के क य परामश मंडल के तीन सद य, 5. सामुदा यक वकास मं ालय तथा योजना आयोग के त न ध, 6. व व व यालय के दो कुलप त 7. संसद के दो सद य 8. पु तकालय के व श ट ान के लए स दो यि त सहवतृ (Co-opted) सद य के प म। प रषद का अ य , प रषद के सद य म से सात सद य को मनोनीत कर प रष क कायका रणी स म त नयु त करेगा । इसके सहयोग के लए श ा मं ालय म पु तकालय का एक भाग (Division) स म त के सात सद य म प रष का अ य , स चव तथा श ा मं ालय का स चव इसके पदेन सद य ह गे व शेष चार सद य का मनोनयन अ य वारा प रष के सद य म से कया जाएगा । इसक बठैक एक वष म एक बार होगी । 2. रा य तर पर पु तकालय स म त: येक रा य म सावज नक पु तकालय सेवाओं के सचंालन वकास एव ं नर ण हेतु रा य पु तकालय प रष के गठन क अनशुसंा क गयी है । इसके सद य न न कार ह गे : - 1. रा य का श ा मं ी - अ य , 2. रा य म पु तकालय का भार अ धकार - स चव, 3. स चव, श ा वभाग, 4. रा य के सम त मंडल पु तकालय के त न ध (मंडल स म त के अ य को नयिु त म

    ाथ मकता द जाएगी), 5. रा य पु तकालय संघ का एक त न ध ( नयिु त म अ य को ाथ मकता द जाएगी), 6. रा य के सम त व व व यालय के कुलप त, 7. वकास वभाग का एक त न ध, 8. वधान मंडल के दो सद य 9. पु तकालय के व श ट ान के लए स दो यि त सहवतृ (Co-opted) सद य के प म यह प रष रा य के सम त सावज नक पु तकालय से संबं धत सभी करण पर वचार करेगी और उ चत मागदशन एव ंपरामश देगी । रा य के पु तकालय का संचालन प रष क कायकारणी स म त का उ तरदा य व होगा । िजसम सात सद य ह गे । प रष का अ य , स चव, श ा वभाग का स चव पदेन सद य ह गे और शषे चार सद य प रष के सद य म से अ य वारा मनोनीत कये जावगे । िजसम से एक पु तकालय व ान के े म स व वान होगा । कायकारणी क बठैक समय-समय पर होगी परंतु वष म कम से कम छ: बार अव य होगी । 3. िजला तर पर पु तकालय स म त: िजला तर पर िजला पु तकालय स म त के गठन क अनशुसंा क गयी है । परामशदा स म त के अनसुार इसम सद य क सं या कम से कम 15 तथा अ धक से अ धक 19 होगी: - 1. अ य का चयन िजला पु तकालय स म त वारा वय ं कया जाएगा. 2. िजला पु तकालया य – स चव, 3. दो तहाई सद य नगरपा लका तथा ख ड (Block) पु तकालय स म तय का त न ध व करगे

    । इसम से दो तहाई सद य ख ड पु तकालय का तथा एक तहाई सद य नगरपा लका स म तय

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    का त न ध व करगे । नगरपा लका पु तकालय स म तय एव ं ख ड पु तकालय स म तय दोन का ह त न ध व िजला पु तकालय स म तय म उनके अपने- अपने अ य वारा कया जाएगा।

    4. शेष एक तहाई सद य का मनोनयन रा य पु तकालय प रष क कायका रणी स म त वारा कया जाएगा ।

    4. नगर तर पर पु तकालय स म त: परामशदा क अनशुंसानसुार एक नगर पु तकालय स म त म 7 से 10 तक सद य ह गे िजनम से : 1. नगर पु तकालया य - स चव 2. दो तहाई सद य नगर क नगरपा लका स म त वारा नवा चत ह गे, 3. एक तहाई सद य का मनोनयन िजला पु तकालय स म त के अ य वारा कया जाएगा । 5. अख ड तर पर पु तकालय स म त : ख ड पु तकालय स म त म कम से कम 9 तथा अ धक से अ धक 12 सद य ह गे । अ य का मनोनयन िजला पु तकालय स म त के अ य वारा ख ड पु तकालय स म त के सद य म से कया जाएगा । एक तहाई सद य पचंायत के सद य तथा अ य म से ख ड वकास स म तय वारा मनोनीत ह गे । एक तहाई सद य का नवाचन ख ड वकास स म त वारा वय ंके सद य म से कया जाएगा, एक तहाई सद य िजला पु तकालय स म त के अ य वारा मनोनीत ह गे । 6. पचंायत तर पर पु तकालय स म त: पु तकालय परामशदा ी स म त ने अपने तवेदन म अनशुंसा क है क येक पचंायत म एक पचंायत पु तकालय होगा तथा इनके ब ध का उ तरदा य व पचंायत अथवा ाम स म तय का होगा । अ यास के लये न : - 1. सावज नक पु तकालय स म त के गठन का स व तार वणन क िजए । 2. भारत सरकार वारा नयु त पु तकालय परामशदा ी स म त वारा व भ न तर पर पु तकालय

    स म त के गठन का वणन क िजए । 3. अ खल भारतीय तर पर सावज नक पु तकालय स म त के गठन का वणन क िजए । 4. रा य तर पर सावज नक पु तकालय स म त के गठन क प रेखा ततु क िजए ।

    2.4 पु तकालय स म त के काय: पु तकालय स म त अपने े के पु तकालय के सचंालन हेतु नी त नधा रत करती है, भावी वकास के लए योजना का नमाण करती है, यो य एव ं श त कमचा रय क नयिु त करती है तथा पु तकालया य को संर ण, उ चत मागदशन एव ंसहयोग दान करती ह । स म त वारा स प न कये जाने वाले मु य काय न न ल खत है : -

    1. पु तकालया य एव ंअ य कमचा रय क नयिु त : - कसी भी पु तकालय के सफल सचंालन हेतु आव यक है क सव थम यो य एव ं श त पु तकालया य कया जाए। ाय: यह देखा जाता है पु तकालाय य क नयिु त ार भ म ह पु तकालय था पत कर दये जाते ह और

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    पु तकालया य क नयिु त कई वष प चात ्क जाती है । पु तकालय वकास के हत म यह आव यक है पु तकालया य क नयिु त ार भ म ह क जाये तथा सेवाओं के भावशाल संचालन के लए यो य एव ं श त यि तय क नयिु त पु तकालया य के सहयोग से क जाये िजससे पु तकालय के सभी कमचार एक ट म भावना से काय कर । व भ न तर के पु तकालय के सफल संचालन हेतु व भ न यो यताओं एव अनभुव यु त पु तकालया य एव ंकमचा रय क आव यकता होती है । येक तर पर पु तकालया य व कमचा रय के लए अ नवाय एव ंवकैि पक शै णक व यावसा यक यो यता तथा अनभुव के संबधं म नणय करना तथा उसके अनु प यो य एव ं श त यि तय क नयिु त करने का उ तरदा य व स म त का है ।

    2. व भ न उप-स म तय का गठन : - पु तकालय के व भ न काय को भावशाल प से स प न करने हेतु यह ेय कर होगा क भ न- भ न काय के नर णाथ उप- स म तय का गठन कया जाये । एक पु तकालय म होने वाले व भ न काय के लए उप- स म तय का गठन कया जा सकता है, उदाहरणाथ व त उप-स म त, जन स पक उप- स म त, कमचार चयन उप -स म त, पु तक चयन उप -स म त आ द ।