मधुशाला - हरिवंशराय बच्चन | Madhushala In Hindi

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हिदी साहिय मागदगन March 18, 2014 Authored by: Nisheeth Ranjan मध ाऱा - िरवराय बचन हिदी साहिय मागदगन

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A masterpiece poem by the great hindi author Mr.Harivansh Rai Bachchan. One of the best motivational poems of all time in hindi literature.

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हििंदी साहित्य मार्गदर्गन

March 18, 2014

Authored by: Nisheeth Ranjan

मधुर्ाऱा - िररविंर्राय बच्चन

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मधुर्ाऱा - िररविंर्राय बच्चन

हहॊदी साहहत्म भागगदशगन

भदृ ुबावों के अॊगूयों की आज फना रामा हारा, प्रिमतभ, अऩन ेही हाथों से आज प्रऩराऊॉ गा प्मारा, ऩहरे बोग रगा रूॉ तयेा फपय िसाद जग ऩाएगा, सफसे ऩहरे तयेा स्वागत कयती भेयी भधुशारा।।१।

प्मास तुझ ेतो, प्रवश्व तऩाकय ऩूणग ननकारूॉगा हारा, एक ऩाॉव से साकी फनकय नाचूॉगा रेकय प्मारा, जीवन की भधुता तो तयेे ऊऩय कफ का वाय चुका,

आज ननछावय कय दूॉगा भैं तुझ ऩय जग की भधुशारा।।२।

प्रिमतभ, तू भेयी हारा है, भैं तयेा प्मासा प्मारा, अऩन ेको भझुभें बयकय तू फनता है ऩीनेवारा,

भैं तुझको छक छरका कयता, भस्त भुझ ेऩी तू होता, एक दसूये की हभ दोनों आज ऩयस्ऩय भधुशारा।।३।

बावुकता अॊगूय रता से खीॊच कल्ऩना की हारा, कप्रव साकी फनकय आमा है बयकय कप्रवता का प्मारा, कबी न कण-बय खारी होगा राख प्रऩएॉ, दो राख प्रऩएॉ!

ऩाठकगण हैं ऩीनवेारे, ऩुस्तक भेयी भधुशारा।।४।

भधुय बावनाओॊ की सभुधुय ननत्म फनाता हूॉ हारा, बयता हूॉ इस भध ुसे अऩन ेअॊतय का प्मासा प्मारा,

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उठा कल्ऩना के हाथों से स्वमॊ उसे ऩी जाता हूॉ, अऩन ेही भें हूॉ भैं साकी, ऩीनवेारा, भधुशारा।।५।

भहदयारम जाने को घय से चरता है ऩीनेवारा, 'फकस ऩथ से जाऊॉ ?' असभॊजस भें है वह बोराबारा,

अरग-अरग ऩथ फतरात ेसफ ऩय भैं मह फतराता हूॉ - 'याह ऩकड़ तू एक चरा चर, ऩा जाएगा भधशुारा।'। ६।

चरन ेही चरन ेभें फकतना जीवन, हाम, बफता डारा! 'दयू अबी है', ऩय, कहता है हय ऩथ फतरानवेारा, हहम्भत है न फढूॉ आगे को साहस है न फपरॉ ऩीछे,

फकॊ कतगव्मप्रवभूढ़ भुझ ेकय दयू खड़ी है भधुशारा।।७।

भुख से तू अप्रवयत कहता जा भध,ु भहदया, भादक हारा, हाथों भें अनुबव कयता जा एक रलरत कल्ल्ऩत प्मारा, ध्मान फकए जा भन भें सुभधुय सुखकय, सुॊदय साकी का, औय फढ़ा चर, ऩथथक, न तुझको दयू रगेगी भधुशारा।।८।

भहदया ऩीने की अलबराषा ही फन जाए जफ हारा, अधयों की आतुयता भें ही जफ आबालसत हो प्मारा, फन ेध्मान ही कयत-ेकयत ेजफ साकी साकाय, सख,े

यहे न हारा, प्मारा, साकी, तुझ ेलभरेगी भधुशारा।।९।

सनु, करकल़ , छरछल़ भधघुट से थगयती प्मारों भें हारा, सनु, रूनझुन रूनझुन चर प्रवतयण कयती भध ुसाकीफारा, फस आ ऩहुॊच,े दयु नहीॊ कुछ, चाय कदभ अफ चरना है,

चहक यहे, सनु, ऩीनेवारे, भहक यही, रे, भधुशारा।।१०।

जरतयॊग फजता, जफ चुॊफन कयता प्मारे को प्मारा, वीणा झॊकृत होती, चरती जफ रूनझुन साकीफारा,

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डाॉट डऩट भधुप्रवके्रता की ध्वननत ऩखावज कयती है,

भधुयव से भध ुकी भादकता औय फढ़ाती भधशुारा।।११।

भेहॊदी यॊल्जत भदृरु हथरेी ऩय भाणणक भध ुका प्मारा, अॊगूयी अवगुॊठन डारे स्वणग वणग साकीफारा, ऩाग फैंजनी, जाभा नीरा डाट डटे ऩीनवेारे,

इन्द्रधनुष से होड़ रगाती आज यॊगीरी भधुशारा।।१२।

हाथों भें आने से ऩहरे नाज़ हदखाएगा प्मारा, अधयों ऩय आने से ऩहरे अदा हदखाएगी हारा, फहुतयेे इनकाय कयेगा साकी आने से ऩहरे,

ऩथथक, न घफया जाना, ऩहरे भान कयेगी भधशुारा।।१३।

रार सुया की धाय रऩट सी कह न इसे देना ज्वारा, पेननर भहदया है, भत इसको कह देना उय का छारा, ददग नशा है इस भहदया का प्रवगत स्भनृतमाॉ साकी हैं, ऩीड़ा भें आनॊद ल्जसे हो, आए भेयी भधुशारा।।१४।

जगती की शीतर हारा सी ऩथथक, नहीॊ भेयी हारा, जगती के ठॊड ेप्मारे सा ऩथथक, नहीॊ भेया प्मारा,

ज्वार सुया जरत ेप्मारे भें दग्ध हृदम की कप्रवता है,

जरने से बमबीत न जो हो, आए भेयी भधशुारा।।१५।

फहती हारा देखी, देखो रऩट उठाती अफ हारा, देखो प्मारा अफ छूत ेही होंठ जरा देनवेारा,

'होंठ नहीॊ, सफ देह दहे, ऩय ऩीन ेको दो फूॊद लभरे'

ऐसे भधु के दीवानों को आज फरुाती भधुशारा।।१६।

धभगग्रन्द्थ सफ जरा चकुी है, ल्जसके अॊतय की ज्वारा, भॊहदय, भसल्जद, थगरयजे, सफ को तोड़ चुका जो भतवारा,

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ऩॊडडत, भोलभन, ऩाहदयमों के पॊ दों को जो काट चुका, कय सकती है आज उसी का स्वागत भेयी भधुशारा।।१७।

रारानमत अधयों से ल्जसन,े हाम, नहीॊ चभूी हारा, हषग-प्रवकॊ प्रऩत कय से ल्जसन,े हा, न छुआ भध ुका प्मारा, हाथ ऩकड़ रल्ज्जत साकी को ऩास नहीॊ ल्जसने खीॊचा,

व्मथग सुखा डारी जीवन की उसन ेभधभुम भधुशारा।।१८।

फन ेऩुजायी िेभी साकी, गॊगाजर ऩावन हारा, यहे पेयता अप्रवयत गनत से भध ुके प्मारों की भारा' 'औय लरमे जा, औय ऩीमे जा', इसी भॊत्र का जाऩ कये'

भैं लशव की िनतभा फन फठूैॊ , भॊहदय हो मह भधुशारा।।१९।

फजी न भॊहदय भें घडड़मारी, चढ़ी न िनतभा ऩय भारा, फैठा अऩन ेबवन भुअल्ज्ज़न देकय भल्स्जद भें तारा, रुटे ख़जाने नयप्रऩतमों के थगयीॊ गढ़ों की दीवायें, यहें भफुायक ऩीनवेारे, खुरी यहे मह भधुशारा।।२०।

फड़ ेफड़ ेऩरयवाय लभटें मों, एक न हो योनवेारा, हो जाएॉ सुनसान भहर व,े जहाॉ थथयकतीॊ सुयफारा, याज्म उरट जाएॉ, बऩूों की बाग्म सरुक्ष्भी सो जाए,

जभे यहेंगे ऩीनवेारे, जगा कयेगी भधुशारा।।२१।

सफ लभट जाएॉ, फना यहेगा सुन्द्दय साकी, मभ कारा, सूखें सफ यस, फन ेयहेंगे, फकन्द्तु, हराहर औ' हारा,

धभूधाभ औ' चहर ऩहर के स्थान सबी सनुसान फनें, जगा कयेगा अप्रवयत भयघट, जगा कयेगी भधशुारा।।२२।

फुया सदा कहरामेगा जग भें फाॉका, चॊचर प्मारा,

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छैर छफीरा, यलसमा साकी, अरफेरा ऩीनेवारा, ऩटे कहाॉ से, भधुशारा औ' जग की जोड़ी ठीक नहीॊ,

जग जजगय िनतदन, िनतऺण, ऩय ननत्म नवरेी भधुशारा।।२३।

बफना प्रऩमे जो भधुशारा को फुया कहे, वह भतवारा, ऩी रेने ऩय तो उसके भुॉह ऩय ऩड़ जाएगा तारा, दास रोहहमों दोनों भें है जीत सुया की, प्मारे की,

प्रवश्वप्रवजनमनी फनकय जग भें आई भेयी भधुशारा।।२४।

हया बया यहता भहदयारम, जग ऩय ऩड़ जाए ऩारा, वहाॉ भुहयगभ का तभ छाए, महाॉ होलरका की ज्वारा, स्वगग रोक से सीधी उतयी वसधुा ऩय, दखु क्मा जान,े

ऩढे़ भलसगमा दनुनमा सायी, ईद भनाती भधुशारा।।२५।

एक फयस भें, एक फाय ही जगती होरी की ज्वारा, एक फाय ही रगती फाज़ी, जरती दीऩों की भारा,

दनुनमावारों, फकन्द्तु, फकसी हदन आ भहदयारम भें देखो, हदन को होरी, यात हदवारी, योज़ भनाती भधशुारा।।२६।

नहीॊ जानता कौन, भनजु आमा फनकय ऩीनवेारा, कौन अप्रऩरयचत उस साकी से, ल्जसन ेदधू प्रऩरा ऩारा, जीवन ऩाकय भानव ऩीकय भस्त यहे, इस कायण ही, जग भें आकय सफसे ऩहरे ऩाई उसन ेभधुशारा।।२७।

फनी यहें अॊगूय रताएॉ ल्जनसे लभरती है हारा, फनी यहे वह लभटटी ल्जससे फनता है भध ुका प्मारा,

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फनी यहे वह भहदय प्रऩऩासा तपृ्त न जो होना जान,े

फनें यहें मे ऩीन ेवारे, फनी यहे मह भधुशारा।।२८।

सकुशर सभझो भुझको, सकुशर यहती महद साकीफारा, भॊगर औय अभॊगर सभझ ेभस्ती भें क्मा भतवारा, लभत्रों, भेयी ऺेभ न ऩूछो आकय, ऩय भधुशारा की,

कहा कयो 'जम याभ' न लभरकय, कहा कयो 'जम भधुशारा'।।२९।

समूग फने भध ुका प्रवके्रता, लसॊध ुफन ेघट, जर, हारा, फादर फन-फन आए साकी, बूलभ फने भध ुका प्मारा,

झड़ी रगाकय फयसे भहदया रयभणझभ, रयभणझभ, रयभणझभ कय, फेलर, प्रवटऩ, तणृ फन भैं ऩीऊॉ , वषाग ऋतु हो भधुशारा।।३०।

तायक भणणमों से सल्ज्जत नब फन जाए भध ुका प्मारा, सीधा कयके बय दी जाए उसभें सागयजर हारा,

भऻल्तऌा सभीयण साकी फनकय अधयों ऩय छरका जाए,

पैरे हों जो सागय तट से प्रवश्व फने मह भधुशारा।।३१।

अधयों ऩय हो कोई बी यस ल्जह्वा ऩय रगती हारा, बाजन हो कोई हाथों भें रगता यक्खा है प्मारा, हय सूयत साकी की सयूत भें ऩरयवनतगत हो जाती,

आॉखों के आगे हो कुछ बी, आॉखों भें है भधुशारा।।३२।

ऩौधे आज फने हैं साकी रे रे पूरों का प्मारा, बयी हुई है ल्जसके अॊदय ऩरयभर-भध-ुसुरयबत हारा, भाॉग भाॉगकय भ्रभयों के दर यस की भहदया ऩीत ेहैं,

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झूभ झऩक भद-झॊप्रऩत होत,े उऩवन क्मा है भधुशारा!।३३।

िनत यसार तरू साकी सा है, िनत भॊजरयका है प्मारा, छरक यही है ल्जसके फाहय भादक सौयब की हारा, छक ल्जसको भतवारी कोमर कूक यही डारी डारी

हय भधुऋतु भें अभयाई भें जग उठती है भधशुारा।।३४।

भॊद झकोयों के प्मारों भें भधुऋतु सौयब की हारा बय बयकय है अननर प्रऩराता फनकय भध-ुभद-भतवारा, हये हये नव ऩल्रव, तरूगण, नूतन डारें, वल्ररयमाॉ,

छक छक, झुक झुक झूभ यही हैं, भधुफन भें है भधुशारा।।३५।

साकी फन आती है िात् जफ अरणा ऊषा फारा, तायक-भणण-भॊडडत चादय दे भोर धया रेती हारा,

अगणणत कय-फकयणों से ल्जसको ऩी, खग ऩागर हो गात,े

िनत िबात भें ऩूणग िकृनत भें भुणखयत होती भधुशारा।।३६।

उतय नशा जफ उसका जाता, आती है सॊध्मा फारा, फड़ी ऩुयानी, फड़ी नशीरी ननत्म ढरा जाती हारा,

जीवन के सॊताऩ शोक सफ इसको ऩीकय लभट जात े

सुया-सुप्त होत ेभद-रोबी जागतृ यहती भधुशारा।।३७।

अॊधकाय है भधुप्रवके्रता, सुन्द्दय साकी शलशफारा फकयण फकयण भें जो छरकाती जाभ जमु्हाई का हारा, ऩीकय ल्जसको चेतनता खो रेन ेरगत ेहैं झऩकी तायकदर से ऩीनेवारे, यात नहीॊ है, भधुशारा।।३८।

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फकसी ओय भैं आॉखें पेरूॉ , हदखराई देती हारा फकसी ओय भैं आॉखें पेरूॉ , हदखराई देता प्मारा, फकसी ओय भैं देखूॊ, भझुको हदखराई देता साकी

फकसी ओय देखूॊ, हदखराई ऩड़ती भुझको भधशुारा।।३९।

साकी फन भुयरी आई साथ लरए कय भें प्मारा, ल्जनभें वह छरकाती राई अधय-सुधा-यस की हारा, मोथगयाज कय सॊगत उसकी नटवय नागय कहराए,

देखो कैसों-कैसों को है नाच नचाती भधुशारा।।४०।

वादक फन भध ुका प्रवके्रता रामा सुय-सुभधुय-हारा, याथगननमाॉ फन साकी आई बयकय तायों का प्मारा, प्रवके्रता के सॊकेतों ऩय दौड़ रमों, आराऩों भें,

ऩान कयाती श्रोतागण को, झॊकृत वीणा भधुशारा।।४१।

थचत्रकाय फन साकी आता रेकय तूरी का प्मारा, ल्जसभें बयकय ऩान कयाता वह फहु यस-यॊगी हारा, भन के थचत्र ल्जसे ऩी-ऩीकय यॊग-बफयॊगे हो जात,े

थचत्रऩटी ऩय नाच यही है एक भनोहय भधुशारा।।४२।

घन श्माभर अॊगूय रता से णखॊच णखॊच मह आती हारा, अरूण-कभर-कोभर कलरमों की प्मारी, पूरों का प्मारा, रोर हहरोयें साकी फन फन भाणणक भध ुसे बय जातीॊ, हॊस भऻल्तऌा होत ेऩी ऩीकय भानसयोवय भधुशारा।।४३।

हहभ शे्रणी अॊगयू रता-सी पैरी, हहभ जर है हारा, चॊचर नहदमाॉ साकी फनकय, बयकय रहयों का प्मारा, कोभर कूय-कयों भें अऩन ेछरकाती ननलशहदन चरतीॊ,

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ऩीकय खते खड़ ेरहयात,े बायत ऩावन भधुशारा।।४४।

धीय सुतों के हृदम यक्त की आज फना यल्क्तभ हारा, वीय सुतों के वय शीशों का हाथों भें रेकय प्मारा, अनत उदाय दानी साकी है आज फनी बायतभाता,

स्वतॊत्रता है तपृ्रषत कालरका फलरवेदी है भधुशारा।।४५।

दतुकाया भल्स्जद न ेभझुको कहकय है ऩीनवेारा, ठुकयामा ठाकुयद्वाये न ेदेख हथरेी ऩय प्मारा,

कहाॉ हठकाना लभरता जग भें बरा अबागे काफपय को?

शयणस्थर फनकय न भुझ ेमहद अऩना रेती भधुशारा।।४६।

ऩथथक फना भैं घभू यहा हूॉ, सबी जगह लभरती हारा, सबी जगह लभर जाता साकी, सबी जगह लभरता प्मारा,

भुझ ेठहयन ेका, हे लभत्रों, कष्ट नहीॊ कुछ बी होता, लभरे न भॊहदय, लभरे न भल्स्जद, लभर जाती है भधुशारा।।४७।

सजें न भल्स्जद औय नभाज़ी कहता है अल्रातारा, सजधजकय, ऩय, साकी आता, फन ठनकय, ऩीनवेारा,

शखे, कहाॉ तुरना हो सकती भल्स्जद की भहदयारम से

थचय प्रवधवा है भल्स्जद तयेी, सदा सुहाथगन भधुशारा।।४८।

फजी नफीयी औय नभाज़ी बरू गमा अल्रातारा, गाज थगयी, ऩय ध्मान सुया भें भग्न यहा ऩीनवेारा,

शखे, फुया भत भानो इसको, साफ कहूॉ तो भल्स्जद को अबी मगुों तक लसखराएगी ध्मान रगाना भधुशारा!।४९।

भसुरभान औ' हहन्द्द ूहै दो, एक, भगय, उनका प्मारा, एक, भगय, उनका भहदयारम, एक, भगय, उनकी हारा, दोनों यहत ेएक न जफ तक भल्स्जद भल्न्द्दय भें जात,े

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फैय फढ़ात ेभल्स्जद भल्न्द्दय भेर कयाती भधशुारा!।५०।

कोई बी हो शखे नभाज़ी मा ऩॊडडत जऩता भारा, फैय बाव चाहे ल्जतना हो भहदया से यखनवेारा, एक फाय फस भधुशारा के आगे से होकय ननकरे,

देखूॉ कैसे थाभ न रेती दाभन उसका भधुशारा!।५१।

औय यसों भें स्वाद तबी तक, दयू जबी तक है हारा, इतया रें सफ ऩात्र न जफ तक, आगे आता है प्मारा, कय रें ऩूजा शखे, ऩुजायी तफ तक भल्स्जद भल्न्द्दय भें

घूॉघट का ऩट खोर न जफ तक झाॉक यही है भधुशारा।।५२।

आज कये ऩयहेज़ जगत, ऩय, कर ऩीनी होगी हारा, आज कये इन्द्काय जगत ऩय कर ऩीना होगा प्मारा, होन ेदो ऩैदा भद का भहभूद जगत भें कोई, फपय

जहाॉ अबी हैं भनल्् दय भल्स्जद वहाॉ फनेगी भधुशारा।।५३।

मऻ अल्ग्न सी धधक यही है भधु की बटठी की ज्वारा, ऋप्रष सा ध्मान रगा फैठा है हय भहदया ऩीन ेवारा, भुनन कन्द्माओॊ सी भधघुट रे फपयतीॊ साकीफाराएॉ,

फकसी तऩोवन से क्मा कभ है भेयी ऩावन भधुशारा।।५४।

सोभ सुया ऩुयखे ऩीत ेथ,े हभ कहत ेउसको हारा, रोणकरश ल्जसको कहत ेथ,े आज वही भधघुट आरा,

वेहदवहहत मह यस्भ न छोड़ो वेदों के ठेकेदायों, मुग मुग से है ऩुजती आई नई नहीॊ है भधुशारा।।५५।

वही वारूणी जो थी सागय भथकय ननकरी अफ हारा, यॊबा की सॊतान जगत भें कहराती 'साकीफारा', देव अदेव ल्जसे रे आए, सॊत भहॊत लभटा देंगे!

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फकसभें फकतना दभ खभ, इसको खूफ सभझती भधुशारा।।५६।

कबी न सुन ऩड़ता, 'इसन,े हा, छू दी भेयी हारा', कबी न कोई कहता, 'उसने जठूा कय डारा प्मारा', सबी जानत के रोग महाॉ ऩय साथ फैठकय ऩीत ेहैं,

सौ सधुायकों का कयती है काभ अकेरे भधुशारा।।५७।

श्रभ, सॊकट, सॊताऩ, सबी तुभ बरूा कयत ेऩी हारा, सफक फड़ा तुभ सीख चुके महद सीखा यहना भतवारा, व्मथग फने जात ेहो हहयजन, तुभ तो भधुजन ही अच्छे,

ठुकयात ेहहय भॊल् दयवारे, ऩरक बफछाती भधशुारा।।५८।

एक तयह से सफका स्वागत कयती है साकीफारा, अऻ प्रवऻ भें है क्मा अॊतय हो जान ेऩय भतवारा, यॊक याव भें बेद हुआ है कबी नहीॊ भहदयारम भें,

साम्मवाद की िथभ िचायक है मह भेयी भधशुारा।।५९।

फाय फाय भैंन ेआगे फढ़ आज नहीॊ भाॉगी हारा, सभझ न रेना इससे भुझको साधायण ऩीन ेवारा, हो तो रेन ेदो ऐ साकी दयू िथभ सॊकोचों को,

भेये ही स्वय से फपय सायी गूॉज उठेगी भधुशारा।।६०।

कर? कर ऩय प्रवश्वास फकमा कफ कयता है ऩीनेवारा, हो सकत ेकर कय जड़ ल्जनसे फपय फपय आज उठा प्मारा,

आज हाथ भें था, वह खोमा, कर का कौन बयोसा है,

कर की हो न भुझ ेभधुशारा कार कुहटर की भधुशारा।।६१।

आज लभरा अवसय, तफ फपय क्मों भैं न छकूॉ जी-बय हारा आज लभरा भौका, तफ फपय क्मों ढार न रूॉ जी-बय प्मारा, छेड़छाड़ अऩन ेसाकी से आज न क्मों जी-बय कय रूॉ,

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एक फाय ही तो लभरनी है जीवन की मह भधुशारा।।६२।

आज सजीव फना रो, िेमसी, अऩन ेअधयों का प्मारा, बय रो, बय रो, बय रो इसभें, मौवन भधुयस की हारा,

औय रगा भेये होठों से बूर हटाना तुभ जाओ,

अथक फन ूभैं ऩीनवेारा, खुरे िणम की भधशुारा।।६३।

सभुुखी तुम्हाया, सनु्द्दय भुख ही, भुझको कन्द्चन का प्मारा छरक यही है ल्जसभॊ ेभाणणक रूऩ भधुय भादक हारा,

भैं ही साकी फनता, भैं ही ऩीने वारा फनता हूॉ जहाॉ कहीॊ लभर फठेै हभ तुम़ वहीॊ गमी हो भधुशारा।।६४।

दो हदन ही भध ुभझु ेप्रऩराकय ऊफ उठी साकीफारा, बयकय अफ णखसका देती है वह भेये आगे प्मारा, नाज़, अदा, अॊदाजों से अफ, हाम प्रऩराना दयू हुआ,

अफ तो कय देती है केवर फज़ग -अदाई भधुशारा।।६५।

छोटे-से जीवन भें फकतना प्माय करॉ , ऩी रूॉ हारा, आने के ही साथ जगत भें कहरामा 'जानेवारा', स्वागत के ही साथ प्रवदा की होती देखी तमैायी,

फॊद रगी होन ेखुरत ेही भेयी जीवन-भधुशारा।।६६।

क्मा ऩीना, ननद्गवन्द्द न जफ तक ढारा प्मारों ऩय प्मारा, क्मा जीना, ननयॊल् चत न जफ तक साथ यहे साकीफारा, खोने का बम, हाम, रगा है ऩान ेके सुख के ऩीछे,

लभरन ेका आनॊद न देती लभरकय के बी भधुशारा।।६७।

भुझ ेप्रऩराने को राए हो इतनी थोड़ी-सी हारा! भुझ ेहदखान ेको राए हो एक मही नछछरा प्मारा! इतनी ऩी जीन ेसे अच्छा सागय की रे प्मास भरॉ ,

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लसॊधॉ -ुतषृा दी फकसन ेयचकय बफॊद-ुफयाफय भधशुारा।।६८।

क्मा कहता है, यह न गई अफ तयेे बाजन भें हारा, क्मा कहता है, अफ न चरेगी भादक प्मारों की भारा, थोड़ी ऩीकय प्मास फढ़ी तो शषे नहीॊ कुछ ऩीने को,

प्मास फुझान ेको फरुवाकय प्मास फढ़ाती भधशुारा।।६९।

लरखी बाग्म भें ल्जतनी फस उतनी ही ऩाएगा हारा, लरखा बाग्म भें जसैा फस वैसा ही ऩाएगा प्मारा,

राख ऩटक तू हाथ ऩाॉव, ऩय इससे कफ कुछ होने का, लरखी बाग्म भें जो तयेे फस वही लभरेगी भधुशारा।।७०।

कय रे, कय रे कॊ जसूी तू भुझको देने भें हारा, दे रे, दे रे तू भझुको फस मह टूटा पूटा प्मारा, भैं तो सब्र इसी ऩय कयता, तू ऩीछे ऩछताएगी,

जफ न यहूॉगा भैं, तफ भेयी माद कयेगी भधुशारा।।७१।

ध्मान भान का, अऩभानों का छोड़ हदमा जफ ऩी हारा, गौयव बूरा, आमा कय भें जफ से लभट्टी का प्मारा, साकी की अॊदाज़ बयी णझड़की भें क्मा अऩभान धया, दनुनमा बय की ठोकय खाकय ऩाई भैंने भधुशारा।।७२।

ऺीण, ऺुर, ऺणबॊगुय, दफुगर भानव लभटटी का प्मारा, बयी हुई है ल्जसके अॊदय कटु-भध ुजीवन की हारा, भतृ्म ुफनी है ननदगम साकी अऩन ेशत-शत कय पैरा, कार िफर है ऩीनेवारा, सॊसनृत है मह भधुशारा।।७३।

प्मारे सा गढ़ हभें फकसी न ेबय दी जीवन की हारा, नशा न बामा, ढारा हभने रे रेकय भध ुका प्मारा, जफ जीवन का ददग उबयता उसे दफात ेप्मारे से,

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जगती के ऩहरे साकी से जझू यही है भधुशारा।।७४।

अऩन ेअॊगूयों से तन भें हभने बय री है हारा, क्मा कहत ेहो, शखे, नयक भें हभें तऩाएगी ज्वारा, तफ तो भहदया खूफ णखॊचगेी औय प्रऩएगा बी कोई,

हभें नभक की ज्वारा भें बी दीख ऩड़गेी भधशुारा।।७५।

मभ आएगा रेन ेजफ, तफ खूफ चरूॉगा ऩी हारा, ऩीड़ा, सॊकट, कष्ट नयक के क्मा सभझगेा भतवारा, कू्रय, कठोय, कुहटर, कुप्रवचायी, अन्द्मामी मभयाजों के

डॊडों की जफ भाय ऩड़गेी, आड़ कयेगी भधुशारा।।७६।

महद इन अधयों से दो फातें िेभ बयी कयती हारा, महद इन खारी हाथों का जी ऩर बय फहराता प्मारा, हानन फता, जग, तयेी क्मा है, व्मथग भझु ेफदनाभ न कय, भेये टूटे हदर का है फस एक णखरौना भधुशारा।।७७।

माद न आए दखूभम जीवन इससे ऩी रेता हारा, जग थचॊताओॊ से यहन ेको भकु्त, उठा रेता प्मारा,

शौक, साध के औय स्वाद के हेतु प्रऩमा जग कयता है,

ऩय भ ैवह योगी हूॉ ल्जसकी एक दवा है भधशुारा।।७८।

थगयती जाती है हदन िनतदन िणमनी िाणों की हारा बग्न हुआ जाता हदन िनतदन सबुगे भेया तन प्मारा, रूठ यहा है भुझसे रूऩसी, हदन हदन मौवन का साकी

सूख यही है हदन हदन सुन्द्दयी, भेयी जीवन भधुशारा।।७९।

मभ आमेगा साकी फनकय साथ लरए कारी हारा, ऩी न होश भें फपय आएगा सयुा-प्रवसुध मह भतवारा, मह अॊल् तभ फेहोशी, अॊनतभ साकी, अॊनतभ प्मारा है,

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ऩथथक, प्माय से ऩीना इसको फपय न लभरेगी भधुशारा।८०।

ढरक यही है तन के घट से, सॊथगनी जफ जीवन हारा, ऩत्र गयर का रे जफ अॊनतभ साकी है आनवेारा, हाथ स्ऩशग बरेू प्मारे का, स्वाद सुया जीव्हा बरेू

कानो भें तुभ कहती यहना, भध ुका प्मारा भधुशारा।।८१।

भेये अधयों ऩय हो अॊनतभ वस्तु न तुरसीदर प्मारा भेयी जीव्हा ऩय हो अॊनतभ वस्तु न गॊगाजर हारा, भेये शव के ऩीछे चरन ेवारों माद इसे यखना

याभ नाभ है सत्म न कहना, कहना सच्ची भधुशारा।।८२।

भेये शव ऩय वह योमे, हो ल्जसके आॊस ूभें हारा आह बये वो, जो हो सुरयबत भहदया ऩी कय भतवारा, दे भुझको वो काॊधा ल्जनके ऩग भद डगभग होत ेहों

औय जरूॊ उस ठौय जहाॊ ऩय कबी यही हो भधुशारा।।८३।

औय थचता ऩय जामे उॊ ढेरा ऩत्र न नित का, ऩय प्मारा कॊ ठ फॊधे अॊगूय रता भें भध्म न जर हो, ऩय हारा, िाण प्रिमे महद श्राध कयो तुभ भेया तो ऐसे कयना ऩीन ेवारों को फरुवा कय खुरवा देना भधुशारा।।८४।

नाभ अगय कोई ऩूछे तो, कहना फस ऩीनवेारा काभ ढारना, औय ढारना सफको भहदया का प्मारा, जानत प्रिमे, ऩूछे महद कोई कह देना दीवानों की

धभग फताना प्मारों की रे भारा जऩना भधशुारा।।८५।

ऻात हुआ मभ आने को है रे अऩनी कारी हारा, ऩॊडडत अऩनी ऩोथी बरूा, साध ूबरू गमा भारा, औय ऩुजायी बरूा ऩूजा, ऻान सबी ऻानी बूरा,

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फकन्द्तु न बरूा भयकय के बी ऩीनेवारा भधशुारा।।८६।

मभ रे चरता है भुझको तो, चरन ेदे रेकय हारा, चरन ेदे साकी को भेये साथ लरए कय भें प्मारा,

स्वगग, नयक मा जहाॉ कहीॊ बी तयेा जी हो रेकय चर,

ठौय सबी हैं एक तयह के साथ यहे महद भधशुारा।।८७।

ऩाऩ अगय ऩीना, सभदोषी तो तीनों - साकी फारा, ननत्म प्रऩरानवेारा प्मारा, ऩी जानेवारी हारा,

साथ इन्द्हें बी रे चर भेये न्द्माम मही फतराता है,

कैद जहाॉ भैं हूॉ, की जाए कैद वहीॊ ऩय भधुशारा।।८८।

शाॊत सकी हो अफ तक, साकी, ऩीकय फकस उय की ज्वारा, 'औय, औय' की यटन रगाता जाता हय ऩीनवेारा, फकतनी इच्छाएॉ हय जानेवारा छोड़ महाॉ जाता!

फकतन ेअयभानों की फनकय कब्र खड़ी है भधशुारा।।८९।

जो हारा भैं चाह यहा था, वह न लभरी भुझको हारा, जो प्मारा भैं भाॉग यहा था, वह न लभरा भझुको प्मारा, ल्जस साकी के ऩीछे भैं था दीवाना, न लभरा साकी,

ल्जसके ऩीछे था भैं ऩागर, हा न लभरी वह भधुशारा!।९०।

देख यहा हूॉ अऩने आगे कफ से भाणणक-सी हारा, देख यहा हूॉ अऩने आगे कफ से कॊ चन का प्मारा,

'फस अफ ऩामा!'- कह-कह कफ से दौड़ यहा इसके ऩीछे,

फकॊ तु यही है दयू क्षऺनतज-सी भझुसे भेयी भधशुारा।।९१।

कबी ननयाशा का तभ नघयता, नछऩ जाता भध ुका प्मारा, नछऩ जाती भहदया की आबा, नछऩ जाती साकीफारा, कबी उजारा आशा कयके प्मारा फपय चभका जाती,

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आॉणखभचौरी खेर यही है भुझसे भेयी भधुशारा।।९२।

'आ आगे' कहकय कय ऩीछे कय रेती साकीफारा, होंठ रगान ेको कहकय हय फाय हटा रेती प्मारा, नहीॊ भझु ेभारभू कहाॉ तक मह भुझको रे जाएगी, फढ़ा फढ़ाकय भुझको आगे, ऩीछे हटती भधशुारा।।९३।

हाथों भें आन-ेआन ेभें, हाम, फपसर जाता प्मारा, अधयों ऩय आन-ेआने भें हाम, ढुरक जाती हारा, दनुनमावारो, आकय भेयी फकस्भत की खू़फी देखो,

यह-यह जाती है फस भझुको लभरत-ेलभरत ेभधुशारा।।९४।

िाप्म नही है तो, हो जाती रुप्त नहीॊ फपय क्मों हारा, िाप्म नही है तो, हो जाता रुप्त नहीॊ फपय क्मों प्मारा, दयू न इतनी हहम्भत हारॉ , ऩास न इतनी ऩा जाऊॉ ,

व्मथग भझु ेदौड़ाती भर भें भगृजर फनकय भधुशारा।।९५।

लभरे न, ऩय, ररचा ररचा क्मों आकुर कयती है हारा, लभरे न, ऩय, तयसा तयसाकय क्मों तड़ऩाता है प्मारा,

हाम, ननमनत की प्रवषभ रेखनी भस्तक ऩय मह खोद गई

'दयू यहेगी भध ुकी धाया, ऩास यहेगी भधुशारा!'।९६।

भहदयारम भें कफ से फैठा, ऩी न सका अफ तक हारा, मत्न सहहत बयता हूॉ, कोई फकॊ तु उरट देता प्मारा, भानव-फर के आगे ननफगर बाग्म, सनुा प्रवद्मारम भें,

'बाग्म िफर, भानव ननफगर' का ऩाठ ऩढ़ाती भधुशारा।।९७।

फकस्भत भें था खारी खप्ऩय, खोज यहा था भैं प्मारा, ढूॉढ़ यहा था भैं भगृनमनी, फकस्भत भें थी भगृछारा, फकसन ेअऩना बाग्म सभझन ेभें भुझसा धोखा खामा,

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फकस्भत भें था अवघट भयघट, ढूॉढ़ यहा था भधुशारा।।९८।

उस प्मारे से प्माय भझु ेजो दयू हथरेी से प्मारा, उस हारा से चाव भझु ेजो दयू अधय से है हारा, प्माय नहीॊ ऩा जान ेभें है, ऩान ेके अयभानों भें!

ऩा जाता तफ, हाम, न इतनी प्मायी रगती भधुशारा।।९९।

साकी के ऩास है नतनक सी श्री, सुख, सॊप्रऩत की हारा, सफ जग है ऩीन ेको आतुय रे रे फकस्भत का प्मारा,

येर ठेर कुछ आगे फढ़त,े फहुतयेे दफकय भयत,े

जीवन का सॊघषग नहीॊ है, बीड़ बयी है भधुशारा।।१००। साकी, जफ है ऩास तुम्हाये इतनी थोड़ी सी हारा, क्मों ऩीने की अलबराषा से, कयत ेसफको भतवारा,

हभ प्रऩस प्रऩसकय भयत ेहैं, तुभ नछऩ नछऩकय भसुकात ेहो, हाम, हभायी ऩीड़ा से है क्रीड़ा कयती भधुशारा।।१०१।

साकी, भय खऩकय महद कोई आगे कय ऩामा प्मारा, ऩी ऩामा केवर दो फूॊदों से न अथधक तयेी हारा, जीवन बय का, हाम, ऩरयश्रभ रटू लरमा दो फूॊदों न,े

बोरे भानव को ठगन ेके हेतु फनी है भधुशारा।।१०२।

ल्जसन ेभुझको प्मासा यक्खा फनी यहे वह बी हारा, ल्जसन ेजीवन बय दौड़ामा फना यहे वह बी प्मारा, भतवारों की ल्जहवा से हैं कबी ननकरत ेशाऩ नहीॊ,

दखुी फनामा ल्जसन ेभझुको सुखी यहे वह भधुशारा!।१०३।

नहीॊ चाहता, आगे फढ़कय छीनूॉ औयों की हारा, नहीॊ चाहता, धक्के देकय, छीनूॉ औयों का प्मारा,

साकी, भेयी ओय न देखो भझुको तननक भरार नहीॊ, इतना ही क्मा कभ आॉखों से देख यहा हूॉ भधशुारा।।१०४।

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भद, भहदया, भध,ु हारा सनु-सुन कय ही जफ हूॉ भतवारा, क्मा गनत होगी अधयों के जफ नीच ेआएगा प्मारा, साकी, भेये ऩास न आना भैं ऩागर हो जाऊॉ गा,

प्मासा ही भैं भस्त, भफुायक हो तुभको ही भधुशारा।।१०५।

क्मा भुझको आवश्मकता है साकी से भाॉगूॉ हारा, क्मा भुझको आवश्मकता है साकी से चाहूॉ प्मारा,

ऩीकय भहदया भस्त हुआ तो प्माय फकमा क्मा भहदया से! भैं तो ऩागर हो उठता हूॉ सुन रेता महद भधुशारा।।१०६।

देन ेको जो भुझ ेकहा था दे न सकी भुझको हारा, देन ेको जो भुझ ेकहा था दे न सका भुझको प्मारा, सभझ भनुज की दफुगरता भैं कहा नहीॊ कुछ बी कयता,

फकन्द्तु स्वमॊ ही देख भझु ेअफ शयभा जाती भधुशारा।।१०७।

एक सभम सॊतुष्ट फहुत था ऩा भैं थोड़ी-सी हारा, बोरा-सा था भेया साकी, छोटा-सा भेया प्मारा, छोटे-से इस जग की भेये स्वगग फराएॉ रेता था,

प्रवस्ततृ जग भें, हाम, गई खो भेयी नन्द्ही भधुशारा!।१०८।

फहुतयेे भहदयारम देखे, फहुतयेी देखी हारा, बाॉत बाॉत का आमा भेये हाथों भें भध ुका प्मारा, एक एक से फढ़कय, सनु्द्दय साकी न ेसत्काय फकमा,

जॉची न आॉखों भें, ऩय, कोई ऩहरी जसैी भधशुारा।।१०९।

एक सभम छरका कयती थी भेये अधयों ऩय हारा, एक सभम झूभा कयता था भेये हाथों ऩय प्मारा, एक सभम ऩीनवेारे, साकी आलरॊगन कयत ेथ,े

आज फनी हूॉ ननजगन भयघट, एक सभम थी भधुशारा।।११०।

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जरा हृदम की बट्टी खीॊची भैंन ेआॉस ूकी हारा, छरछर छरका कयता इससे ऩर ऩर ऩरकों का प्मारा,

आॉखें आज फनी हैं साकी, गार गरुाफी ऩी होत,े

कहो न प्रवयही भझुको, भैं हूॉ चरती फपयती भधुशारा!।१११।

फकतनी जल्दी यॊग फदरती है अऩना चॊचर हारा, फकतनी जल्दी नघसने रगता हाथों भें आकय प्मारा, फकतनी जल्दी साकी का आकषगण घटन ेरगता है,

िात नहीॊ थी वसैी, जसैी यात रगी थी भधुशारा।।११२।

फूॉद फूॉद के हेतु कबी तुझको तयसाएगी हारा, कबी हाथ से नछन जाएगा तयेा मह भादक प्मारा, ऩीनेवारे, साकी की भीठी फातों भें भत आना,

भेये बी गुण मों ही गाती एक हदवस थी भधशुारा।।११३।

छोड़ा भैंन ेऩॊथ भतों को तफ कहरामा भतवारा, चरी सुया भेया ऩग धोने तोड़ा जफ भैंन ेप्मारा, अफ भानी भधुशारा भेये ऩीछे ऩीछे फपयती है,

क्मा कायण? अफ छोड़ हदमा है भैंन ेजाना भधुशारा।।११४।

मह न सभझना, प्रऩमा हराहर भैंन,े जफ न लभरी हारा, तफ भैंन ेखप्ऩय अऩनामा रे सकता था जफ प्मारा, जरे हृदम को औय जराना सझूा, भैंन ेभयघट को

अऩनामा जफ इन चयणों भें रोट यही थी भधुशारा।।११५।

फकतनी आई औय गई ऩी इस भहदयारम भें हारा, टूट चुकी अफ तक फकतन ेही भादक प्मारों की भारा, फकतन ेसाकी अऩना अऩना काभ खतभ कय दयू गए,

फकतन ेऩीनवेारे आए, फकन्द्तु वही है भधुशारा।।११६।

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फकतन ेहोठों को यक्खगेी माद बरा भादक हारा, फकतन ेहाथों को यक्खगेा माद बरा ऩागर प्मारा, फकतनी शक्रों को यक्खेगा माद बरा बोरा साकी, फकतन ेऩीनवेारों भें है एक अकेरी भधुशारा।।११७।

दय दय घूभ यहा था जफ भैं थचल्राता - हारा! हारा! भुझ ेन लभरता था भहदयारम, भुझ ेन लभरता था प्मारा, लभरन हुआ, ऩय नहीॊ लभरनसुख लरखा हुआ था फकस्भत भें, भैं अफ जभकय फठै गमा हूॉ, घभू यही है भधशुारा।।११८।

भैं भहदयारम के अॊदय हूॉ, भेये हाथों भें प्मारा, प्मारे भें भहदयारम बफॊबफत कयनवेारी है हारा,

इस उधेड़-फुन भें ही भेया साया जीवन फीत गमा - भैं भधुशारा के अॊदय मा भेये अॊदय भधुशारा!।११९।

फकसे नहीॊ ऩीन ेसे नाता, फकसे नहीॊ बाता प्मारा, इस जगती के भहदयारम भें तयह-तयह की है हारा, अऩनी-अऩनी इच्छा के अनसुाय सबी ऩी भदभात,े

एक सबी का भादक साकी, एक सबी की भधुशारा।।१२०। वह हारा, कय शाॊत सके जो भेये अॊतय की ज्वारा, ल्जसभें भैं बफ ॊबफत-िनतबफॊफत िनतऩर, वह भेया प्मारा, भधुशारा वह नहीॊ जहाॉ ऩय भहदया फेची जाती है,

बेंट जहाॉ भस्ती की लभरती भेयी तो वह भधुशारा।।१२१।

भतवाराऩन हारा से रेकय भैंन ेतज दी है हारा, ऩागरऩन रेकय प्मारे से, भैंन ेत्माग हदमा प्मारा,

साकी से लभर, साकी भें लभर, अऩनाऩन भैं बरू गमा, लभर भधुशारा की भधुता भें बरू गमा भैं भधुशारा।।१२२।

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भहदयारम के द्वाय ठोकता फकस्भत का छूॊछा प्मारा, गहयी, ठॊडी साॊसें बय बय कहता था हय भतवारा, फकतनी थोड़ी सी मौवन की हारा, हा, भैं ऩी ऩामा!

फॊद हो गई फकतनी जल्दी भेयी जीवन भधुशारा।।१२३।

कहाॉ गमा वह स्वथगगक साकी, कहाॉ गमी सुरयबत हारा, कहाॉ गमा स्वप्रऩनर भहदयारम, कहाॉ गमा स्वणणगभ प्मारा!

ऩीनेवारों न ेभहदया का भूल्म, हाम, कफ ऩहचाना?

पूट चुका जफ भध ुका प्मारा, टूट चुकी जफ भधुशारा।।१२४।

अऩन ेमुग भें सफको अनुऩभ ऻात हुई अऩनी हारा, अऩन ेमुग भें सफको अदबुत ऻात हुआ अऩना प्मारा, फपय बी वदृ्धों से जफ ऩूछा एक मही उत्तय ऩामा -

अफ न यहे वे ऩीनवेारे, अफ न यही वह भधुशारा!।१२५।

'भम' को कयके शदु्ध हदमा अफ नाभ गमा उसको, 'हारा' 'भीना' को 'भधुऩात्र' हदमा 'सागय' को नाभ गमा 'प्मारा', क्मों न भौरवी चौंकें , बफचकें नतरक-बत्रऩुॊडी ऩॊडडत जी

'भम-भहहपर' अफ अऩना री है भैंन ेकयके 'भधुशारा'।।१२६।

फकतन ेभभग जता जाती है फाय-फाय आकय हारा, फकतन ेबेद फता जाता है फाय-फाय आकय प्मारा, फकतन ेअथों को सॊकेतों से फतरा जाता साकी,

फपय बी ऩीनवेारों को है एक ऩहेरी भधुशारा।।१२७।

ल्जतनी हदर की गहयाई हो उतना गहया है प्मारा, ल्जतनी भन की भादकता हो उतनी भादक है हारा, ल्जतनी उय की बावुकता हो उतना सुन्द्दय साकी है,

ल्जतना हो जो रयसक, उसे है उतनी यसभम भधुशारा।।१२८।

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ल्जन अधयों को छुए, फना दे भस्त उन्द्हें भेयी हारा, ल्जस कय को छू दे, कय दे प्रवक्षऺप्त उसे भेया प्मारा, आॉख चाय हों ल्जसकी भेये साकी से दीवाना हो,

ऩागर फनकय नाच ेवह जो आए भेयी भधुशारा।।१२९।

हय ल्जहवा ऩय देखी जाएगी भेयी भादक हारा हय कय भें देखा जाएगा भेये साकी का प्मारा हय घय भें चचाग अफ होगी भेये भधुप्रवके्रता की

हय आॊगन भें गभक उठेगी भेयी सुरयबत भधशुारा।।१३०।

भेयी हारा भें सफन ेऩाई अऩनी-अऩनी हारा, भेये प्मारे भें सफने ऩामा अऩना-अऩना प्मारा, भेये साकी भें सफन ेअऩना प्माया साकी देखा,

ल्जसकी जसैी रथच थी उसन ेवसैी देखी भधशुारा।।१३१।

मह भहदयारम के आॉस ूहैं, नहीॊ-नहीॊ भादक हारा, मह भहदयारम की आॉखें हैं, नहीॊ-नहीॊ भध ुका प्मारा, फकसी सभम की सखुदस्भनृत है साकी फनकय नाच यही,

नहीॊ-नहीॊ फकव का हृदमाॊगण, मह प्रवयहाकुर भधुशारा।।१३२।

कुचर हसयतें फकतनी अऩनी, हाम, फना ऩामा हारा, फकतन ेअयभानों को कयके ख़ाक फना ऩामा प्मारा!

ऩी ऩीनेवारे चर देंगे, हाम, न कोई जानगेा, फकतन ेभन के भहर ढहे तफ खड़ी हुई मह भधुशारा!।१३३।

प्रवश्व तुम्हाये प्रवषभम जीवन भें रा ऩाएगी हारा महद थोड़ी-सी बी मह भेयी भदभाती साकीफारा,

शनू्द्म तुम्हायी घडड़माॉ कुछ बी महद मह गुॊल्जत कय ऩाई,

जन्द्भ सपर सभझगेी जग भें अऩना भेयी भधुशारा।।१३४।

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फड़-ेफड़ ेनाज़ों से भैंने ऩारी है साकीफारा, कलरत कल्ऩना का ही इसने सदा उठामा है प्मारा, भान-दरुायों से ही यखना इस भेयी सुकुभायी को,

प्रवश्व, तुम्हाये हाथों भें अफ सौंऩ यहा हूॉ भधुशारा।।१३५। प्रऩरयशष्ट से

स्वमॊ नहीॊ ऩीता, औयों को, फकन्द्तु प्रऩरा देता हारा, स्वमॊ नहीॊ छूता, औयों को, ऩय ऩकड़ा देता प्मारा, ऩय उऩदेश कुशर फहुतयेों से भैंन ेमह सीखा है,

स्वमॊ नहीॊ जाता, औयों को ऩहुॊचा देता भधुशारा।

भैं कामस्थ कुरोदबव भेये ऩयुखों न ेइतना ढ़ारा, भेये तन के रोहू भें है ऩचहऻल्तऌाय िनतशत हारा, ऩुश्तैनी अथधकाय भझु ेहै भहदयारम के आॉगन ऩय, भेये दादों ऩयदादों के हाथ बफकी थी भधुशारा।

फहुतों के लसय चाय हदनों तक चढ़कय उतय गई हारा, फहुतों के हाथों भें दो हदन छरक झरक यीता प्मारा,

ऩय फढ़ती तासीय सुया की साथ सभम के,

इससे ही औय ऩुयानी होकय भेयी औय नशीरी भधुशारा।

प्रऩत्र ऩऺ भें ऩतु्र उठाना अध्मग न कय भें, ऩय प्मारा फैठ कहीॊ ऩय जाना,गॊगा सागय भें बयकय हारा

फकसी जगह की लभटटी बीगे, तलृ्प्त भुझ ेलभर जाएगी तऩगण अऩगण कयना भझुको,ऩढ़ ऩढ़ कय के भधुशारा।

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िररविंर्राय बच्चन

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