ह िदी ई पतरिका
जन 2019
सतयमव जयत
सयोजक
अिक 4
भारत की मशहर
कवयियिि ॉ यवशषाॉक
अतरग
सतयमव जयत
सभदरा कमारी चौहान
मीराबाई
महादवी वमाा
सरोयिनी नािड
बालमय ि अमिमा
कमला सरिा
अमता परीतम
नॉयदनी साह
कावय, कविता िा पदय, सायहति कीि
यवधािि
‘पररणा’ ई पतरिका सपादन एव आरट शरी रमश गायकवाड सपादक राजभाषा ‘रतनसिस ’ सदसय सतरिवनराकास
सतयमव जयत
सायििो ,
हमारी सतरमतरि दवारा एक अनोखा नवोनमषी परयोग हमशा ककया जािा ह , तरजसम
वबसाइर स लकर ऑनलाइन ररपोरट परसि तरि हो या ई पतरिका पररणा का नाम लना आवशयक ह,
यह सदसयो को राजभाषा कायाटनवयन स ज डी जानकारी परसि ि करन क साथ साथ सिहदी क
सातरहतयकारो क पररिय का परयास करिी ह । तरपछल अक म महान सि कवीयो को परसि ि ककया
था इस बार कतरवतरयतरियो को परसि ि ककया जारहा ह।
भारिकखजानमकईकातरबलऔरमहानकवतरयतरियााभीरहीहतरजनकी कतरविाओ
नपाठकोककदलोमजगहबनाईह।भारिहमशासहीरिनाकारोकाघररहाह।यहाकलखक,
कलाकार,कतरव, मरिटकार,गीिकारआकदलोगोनहीिोयहााकीससकतरिऔरइतरिहासकोआज
िकअपनीरिनाओदवाराजीतरविरखाह।
जातरनएऐसीहीभारिीय कवतरयतरियोकबारम…
सभीकोमगलकामनाए।
धनयवद
हसिता/-
28 िन 2019 (अतल सदतपत ) अधििकष िववॉ उप महापरबॉधक
अधयकष की कलम स…
सभदरा कमारी चौहान
खबलडीम दानीवोतोझदासीवदलीरदनीथी
ससि ासन ह ल उठ राजविषो न भकटी तनी थी, बढ भारत म आई फिर स नयी जवानी थी, गमी ई आजादी की कीमत सबन प चानी थी, दर फिरिगी को करन की सब न मन म ठनी थी। चमक उठी सन सततावन म, य तलवार परानी थी, बिदल रबोलो क म मन सनी क ानी थी, खब लडी मदाानी वो तो झासी वाली रानी थी। कानपर क नाना की म बोली ब न छबबबली थी, लकषमीबाई नाम, पपता की वो सितान अकली थी, नाना क सग पढती थी वो नाना क सग खली थी बरछी, ढाल, कपाण, कटारी, उसकी य ी स ली थी। वीर सिवाजी की गाथाए उसकी याद जबानी थी, बिदल रबोलो क म मन सनी क ानी थी, खब लडी मदाानी वो तो झासी वाली रानी थी।लकषमी थी या दगाा थी वो सवयि वीरता की अवतार, दख मराठ पलफकत ोत उसकी तलवारो क वार,
नकली यध-वय की रचना और खलना खब सिकार, सनय घरना, दगा तोडना य थ उसक पिय खखलवाड। म ाराषट रा-कल-दवी उसकी भी आराधया भवानी थी, बिदल रबोलो क म मन सनी क ानी थी, खब लडी मदाानी वो तो झासी वाली रानी थी। ई वीरता की वभव क साथ सगाई झासी म, बया आ बन आई रानी लकषमी बाई झासी म, राजम ल म बाजी बधाई खसिया छायी झासी म, सघत बिडलो की पवरदावली-सी वो आई झासी म। चचिा न अजान को पाया, सिव स समली भवानी थी, बिदल रबोलो क म मन सनी क ानी थी, खब लडी मदाानी वो तो झासी वाली रानी थी। उहदत आ सौभागया, महदत म लो म उबजयली चछाई, फकि त कालगती चपक-चपक काली घटा घर लाई, तीर चलान वाल कर म उस चडडया कब भाई, रानी पवधवा ई , पवचध को भी न ीि दया आई। ननसितान मार राजाजी, रानी िोक-सामानी थी, बिदल रबोलो क म मन सनी क ानी थी, खब लडी मदाानी वो तो झासी वाली रानी थी।
सभदरािकमारीिचौहानिभारतिकीिसबसिलोकयपरििकवयियििोिमिसिवकि
ह। इनकीिकयवताि“झाासीिकीिरानी”िबचच-बचचिकोिमाहिबानीििादिरहतीि
ह। सभदरािकमारीिअॉगरिीिशासनिकियिलाफिआवाििउठातीििी।िइनकीि
कयवतावॉिभी वीरिरसिकीिह।िअॉगरिोिकियिलाफिआॉदोलनिमिकईिबारिवोि
िलिभीिगई ॉ। सभदरािकमारीिचौहानिकाििनमि१९०४िमियनहालपरिगााविमि
हआििा।ि“वीरो
कािकसािहोिबसॉत”िइनकीिलोकयपरििरचनाओॉिमिसिवकिह।
मीराबाई
मीराबाईिसोलवीिसदीिकीियहनदिकवयििीििी।िमीरािशरीकष िकीि
परमिभकत िी।िवोिभयकतकालिकीिसबसिचयचातिकवयििीिह।िमीराि
किपदोिमिकष भयकतिहीिझलकतीििी।िकष िकोिविअपनािसवामीि
(पयत)िमानतीििी।िमीराबाईिका िनमिरािसिानिकिपालीिमिहआि
िा।िविसामाििकीिरयिवादीिपरॉ पराओॉिकी मिरियवरोधीिरही।
परभकबरममलोग िभ जी तम दिान तरबन मोय घडी चन न ीि आवड॥टक॥ अनन न ीि भाव नीिद न आव पवर सताव मोय। घायल जयि घमि खडी र म ारो ददा न जान कोय॥१॥ हदन तो खाय गमायो री रन गमाई सोय। िाण गिवाया झरताि र नन गिवाया दोन रोय॥२॥ जो म ऐसा जानती र िीत फकयाि दख ोय। नगर ढिढरौ पीटती र िीत न कररयो कोय॥३॥ पनथ नन ारि डगर भवारि ऊभी मारग जोय। मीरा क िभ कब र समलोग तम समलयाि सख ोय॥४॥
हरोजनकीभीर रर तम रो जन की भीर। दरोपदी की लाज राखी चट बढायो चीर॥ भगत कारण रप नर रर धर।ह यो आप समीर॥ ह रणयाकस को मारर लीन ो धर।ह यो नाह न धीर॥ बडतो गजराज राखयो फकयौ बा र नीर॥ दासी मीरा लाल चगरधर चरणकि वल सीर॥
मरो र नजदणकोय री म तो िम-हदवानी मरो दरद न जाण कोय। घायल की गनत घायल जाण जो कोई घायल ोय। जौ रर की गनत जौ री जाण की बजन जौ र ोय। सली ऊपर सज मारी सोवण फकस तरबध ोय। गगन मिडल पर सज पपया की फकस तरबध समलणा ोय। दरद की मारी बन-बन डोलि बद समलया नह ि कोय। मीरा की िभ पीर समटगी जद बद सािवररया ोय।
महादवीि वमााि सवतॉिताि सनानीि औरि वकि कशलि कवयििीि िी।ि वोि
छािावादी िगि कि चारि परमिि कयविोि मि सि वकि िी।ि महादवीि काि
िनमि१९०७,िम फरा िाबादिमिहआििा।िसायहतििमिउतकषटििोगदानि
कियलविउनकोिपदम यवभष ,िसायहतििअकादमीिफलोयशपिसमतिकईि
सममानोि सि नवािाि गिा।ि उनकी
कयवताओॉिमिमनषिोिऔरिपशओॉिकियलविपरमियदितािह।
महादवी वमाा
मधर-मधरमर ीपकजल
यग-यग िनतहदन िनतकषण िनतपल
पियतम का पथ आलोफकत कर!
सौरभ िला पवपल धप बन
मदल मोम-सा घल र, मद-तन!
द िकाि का ससनध अपररसमत,
तर जीवन का अण गल-गल
पलक-पलक मर दीपक जल!
तार िीतल कोमल नतन
माग र तझस जवाला कण;
पवशव-िलभ ससर धन क ता म ाय, न जल पाया तझम समल!
सस र-सस र मर दीपक जल!जलत नभ म दख असिखयक
सन - ीन ननत फकतन दीपक
जलमय सागर का उर जलता; पवदयत ल नघरता बादल! पव स-पव स मर दीपक जल!
दरम क अिग ररत कोमलतम
जवाला को करत हदयिगम वसधा क जड अनतर म भी बनदी तापो की लचल; तरबखर-तरबखर मर दीपक जल! मर ननसवासो स दरततर, सभग न त बझन का भय कर। म अिचल की ओट फकय ! अपनी मद पलको स चिचल स ज-स ज मर दीपक जल! सीमा ी लघता का बनधन अनाहद त मत घडडया चगन म दग क अकषय कोषो स- तझम भरती आस-जल! स ज-स ज मर दीपक जल!
तम असीम तरा िकाि चचर खलग नव खल ननरनतर, तम क अण-अण म पवदयत-सा असमट चचि अिफकत करता चल, सरल-सरल मर दीपक जल!
त जल-जल बजतना ोता कषय; य समीप आता छलनामय; मधर समलन म समट जाना त उसकी उजजवल बसमत म घल खखल! महदर-महदर मर दीपक जल! पियतम का पथ आलोफकत कर!
सरोयिनी नािड
नाइय ॉगलिऑफिइॉयडिा-िसरोयिनीिनािड,िसवतॉितािसनानीिहोनिकिसाि-
साि परयतयितिकयविभीििी।िसरोयिनीिभारतिकीिपहलीिमयहलािराजिपालििी।ि
१८७९ कोिउनकाििनमिहदराबादिमिहआििा।िउनकीिकयवतावा िलििसिसिीिहोतीि
ह।ि“अ गोलडनिथरशोलड”िऔरि“िदिफदरिऑफिड न”िउनकीिचयचातियकताबोिमिसि
ह।
The new hath come and
now the old retires:
And so the past becomes a
mountain-cell,
Where lone, apart, old her-
mit-memories dwell
In consecrated calm, forgot-
ten yet
Of the keen heart that has-
tens to forget
Old longings in fulfilling
new desires”
नए आ चक , परान जा र ।
अतीत एक पवातकोष बन जाता ,
ज ा एकाित म याद बसती ।
िनतबषटठत, िाित, भली ई लफकन
उतसक हदलो की, जो नई
आकाकषाओि को
परा करन क सलए परानी आकाकषाए
भलन को बताब ।
बालमय ि अमिमा
बालमय ि अममाि परयतयिति भारतीिि कवयििीि ह।ि अममाि मलिालमि मि
यलिती िी।ि उनकोि लोगि “पोि सि ऑफि मदरहड”ि कहति ि,ि िायनि यकि
“माततविकी कवयििी”।िअममािकाििनमि१९०९िमिकरलिकिपननिरकलमिमि
हआििा। वसितोिअममािनिऔपचाररकिरपिसियकसीिपरकारिकीियशकष ािनहीिलीि
िी,
लयकनि उनकि मामाि कि यकताबोि कि सॉगरहि नि उनहि कयवि बनाि यदिा।ि
उनहोन सायहतििअकादमीिफलोयशपिसमतिकईिपरसकारििीतिि।िउनकीिदोि
परयसदध रचनावाि“अममािमिाससी”िऔरि“मजहयवनतिकिा”िह।
िली ई िनचगयो म अपनी चोचो स
अपन आप को टटोल र ी , चचडडया। खोज र ा अशवतथ अपनी दीघा जटाओि को िलाकर समटटी म नछप मल बीज को; और ,सहदयो स
अपन ी िरीर का पवशलषण कर र ा प ाड। ओ मरी कलपन, वयथा ी त ियतन कर र ी
ऊ च अलौफकक ततवो को छन क सलय। क ा तक ऊ ची उड सकगी य पतिग मर मबसतषटक की पकड म ? झक जाओ मर ससर, मनन क बज ासा भर िशन क सामन !
चगर जाओ, िथ-पव ान
मर ससर पर क ननरथाक भार-स तम इस समटटी पर। तम ार पास सतनय को एक कखणका भी न ीि बचच की बढी ई सतय-तषटणा को - बझान क सलय। इस नन ीि सी बदचध को थामन-सिभालन क सलय कोई िबततिाली आधार भी तम ार पास न ीि ! ो सकता , मानव की चचनता पीवी स टकराय
और ससदधानत की चचनगाररया तरबखर द। पर, अिधकार म उस पवराट सतय की सार-सतता
आज भी यथावत।
ीानीजमीकन ीाक ीभाातम
"बतलाओ मा ,मझ बतलाओ,
क ा स, आ प ची य छोटी सी बचची "?
अपनी अनजाता को परसत-स लात ए
मरा पि पछ र ा था मझस; य पराना सवाल, बजस जारो लोगो न
प ल भी बार-बार पछा । िशन जब उन पललव-अधरो स िट पडा तो उस स नवीन मकरनद की कखणकाए च पडीि; आ , बज ासा जब प ली बार आतमा स िटती
तब फकतनी आसवादय बन जाती
तरी मधररमा !क ा स ?क ा स ?
मरा अनतःकरण भी रटन लगा य आहदम मनि। समसत वसतओि म म उसी की िनतधवनन सनन लगी
अपन अनतरिग क कानो स ; ितयततर ीण म ािशन !
बदचधवादी मनषटय की उदधत आतमा म बजसन तझ उतकीणा कर हदया
उस हदवय कलपना की जय ो !
अथवा तम ीि ो व सवखणाम कीनत ा-पताका जो जता र ी सबषटट म मानव की म तता। धवननत ो र ो तम
समसत चराचरो क भीतर िायद, आतमिोध की िरणा दन वाल
घडडया भागी जा र ी थीि सौ-सौ चचनताओि को कचलकर; पवसमयकारी वग क साथ उड-उड कर नछप र ी थीि खार समदर की बदलती ई भावनाए अवयतत आकार क साथ, अनतररकष क पथ पर। मर बट न िशन द राया, माता क मौन पर अधीर ोकर। "मर लाल ,मरी बदचध की आििका अभी तक हठठक र ी
इस पवराट िशन म डबकी लगान क सलय और बजस को तल-सपिी आखो न भी न ीि दखा , उस वसत को टटोलन
क सलए। म सब क ा स आय ? म कछ भी न ीि जानती ! तम ार इन नन ाथो स ी नापा जा सकता तम ारी मा का तततव-बोध।" अपन छोट स िशन का जब कोई सीधा ितयततर न ीि समल सका तो मनना मसकराता आ बोल उठा "मा भी कछ न ीि जानती।"
कमला सरिा
कमलाि सरिाि कोि माधवीि दासि औरि कमलाि दासि कि नामि सि भीि िानाि िाताि ह।ि
वो मलिालमि कीि लयिकाि िीि औरि कयवतावाि अॉगरिीि मि यलितीि िी।ि कमलाि सरिाि
१९३४ मिकरलिकिपननिरकलमिमिपदािहई ॉििी।िमयहलाओॉिकीिलयगकतािपर उनकिरविि
कीििबिचचाािऔरिसराहनािहोतीििी।िकमिहीिऔरतिइसिमददिपर िलकरिबोलिसकतीििी।ि
“समरि इनि कलक ा”ि औरि “दि यडसड स”ि उनकीि सबस
लोकयपरििकयवतािसॉगरहिमिसिह।
Don’t write in English, they
said, English is
Not your mother-tongue.Why
not leave
Me alone, critics, friends, vis-
iting cousins,
Every one of you? Why not let
me speak in
Any language I like? The lan-
guage I speak,
Becomes mine, its distortions,
its queernesses
All mine, mine alone.” – from
An Introduction, Kamala Das.
उन ोन क ा अि जी म मत सलखो,
अि जी तम ारी मातभाषा न ीि ।
मझ अकला तयो न ीि छोड दत,
आलोचक, समि,
समलन आन वाल दर क भाई-ब न,
आप सब?
मझ बोलन तयो न ीि दत, उस भाषा
म बजसम म चा ?
बजस भाषा म म बोलती , वो मरी
बन जाती ।
उसकी खतरबया-खासमया, सब मरी ,
ससिा मरी।
अमता परीतम
अमतािपरीतमिपरयतयितिपॉिाबीिलयिकाििी।िवोिबीसवीिसदीिकीिसबस लोकयपरििपॉिाबीि
कवयििीििी।िइनकाििनमिपॉिाबिकिगिरनवालािमिहआििा। अपनि6िदशकिकिकररिरि
मि उनहोनि १००ि सि जिादाि यकताबि औरि कयवतावा यलिी।ि १९५६ि मि उनकोि सायहतिि
अकादमीिपरसकारियदिािगिा। उनकीिलोकयपरििरचनावाि“आििआिाािवाररसिशाहिन”ि
औरि“यपॉिर”िह।
म तन फिर समलािगी फकतथ ? फकस तर
पता नई िायद तर ताखखयल दी चचिगारी बण क तर कनवास त उतरािगी जा खोर तर कनवास द उतत इक रहससमयी लकीर बण क खामोि तन ततदी रवािगी तर कनवास न वलािगी पता न ी फकस तर फकतथ पर तन जरर समलािगी जा खोर इक चशमा बनी ोवािगी त बजव झननाया दा पानी उडदा म पानी हदयाि बिदा तर पपिड त मलािगी त इक ठिडक जह बण क तरी छाती द नाल लगािगी
म ोर कचछ न ी जानदी पर इणा जानदी ाि फक वतत जो वी करगा एक जनम मर नाल तरगा ए बजसम मतदा ता सब कछ मक जािदा पर चतना द धाग
या फिर एक चशमा बनी जस झरन स पानी उडता म पानी की बिद तर बदन पर मलिगी और एक ठिडक सी बन कर तर सीन स लगिगी म और कछ न ी जानती पर इतना जानती फक वतत जी भी करगा य जनम मर साथ चलगा य बजसम खतम ोता तो सब कछ खतम ो जाता पर चतना क धाग कायनात क कण ोत म उन कणो को चनिगी म तझ फिर समलिगी !!
नॉयदनी साह
नबनदनी सा भारत की जानी मानी कवनयिी, लखखका और आलोचक । उन ोन अि जी म कई फकताब और कपवताएि सलखी । नबनदनी इिहदरा गािधी ओपन यननवससाटी म अि जी की एसोससएट िोिसर । उन ोन इिबगलि सलरचर म दो गोलड मडल और सिकषा रतन परसकार भी जीता
Does your laugh tear your
shrunken lips? Open your wardrobe, cov-er the breast of the poor,
apply on your lips the balm of a millennium’s
rebellion.
Who says death is the on-ly truth?
See, your body of fog is still seated on the throne.
You still shine in the fir-mament of stars.” – .
कयदतमहदरीहासीतमहदरसकचितहोठोको
िीररहीह?
अपनीभरीहईअलमदरीखोलो,औरउनगरीबो
कीनगीछदततयोकोढाको
अपनसखहोठोपरइसस ीकववदरोहोतययो
कववदरोहकदलपलगदओ
कौनकहतदहककमतयहीएकमदतरसतयह?
दखो, तम ारा िरीर धआ बनकर भी तखत पर पवराजमान ।
और तम अब भी ससतारो क इस नभमिडल म चमक र ो।
कावय, कविता िा पदय, सायहति कीियवधा
कावय, कविता िा पदय, सायहति कीि वहि यवधाि हि यिसमियकसी कहानी िा मनोभाव कोिकलातमकिरपिसियकसी भाषा किदवारािअयभविकतियकिाििातािह। भारत मिकयवतािकािइयतहासिऔरिकयवतािकािदशानिबहति परानािह।िइसकािपरारॉ भ भरतमयन सिसमझाििािसकतािह।िकयवतािकािशायददकिअिािहिकाविातमकिरचनाििािकयविकीिकयत,ििोिछनदोिकीिशॉिलाओॉिमियवयधवतिबाॉधीििातीिह। कावििवहिवाकििरचनािहियिससियचततियकसीिरसििािमनोवगिसिप ािहो।िअिााति वहयिसमि चनि हवि शददोि कि दवाराि कलपनाि औरि मनोवगोि कािपरभाविडालाििाताि ह। रसगॉगाधर मि 'रम ीि'िअिाि कि परयतपादकिशददिकोि'कावि'िकहािह।ि'अिािकीिरम ीिता'िकिअॉतगातिशददिकीिरम ीिताि(शददलॉकार)िभीिसमझकरिलोगिइसिलकष िकोिसवीकारिकरतिह।ि परि'अिा'िकीि'रम ीिता'िकईिपरकारिकीिहोिसकतीिह।िइससििहिलकष िबहतिसपषटिनहीिह। सायहतििदपा ाकारि यवशवनाि कािलकष िहीिसबसिठीकििाचताि ह।ि उसकि अनसारि 'रसातमकि वाकिि हीि काविि ह'।ि रसि अिाातिमनोवगोिकािसिदिसॉचारिकीिकावििकीिआतमािह। काविपरकाश मिकाविितीनिपरकारिकिकहिगविह,िधवयन,िग ीभतिविॉगििऔरि यचि।ि धवयनिवहि हि यिस,ि मि शददोि सि यनकलि हवि अिाि (वाचि)िकीिअपकष ाि यछपाि हआि अयभपरािि (विॉगि)ि परधानि हो।ि ग ीभति दिॉगिि वहि हियिसमिगौ िहो।ियचिििािअलॉकारिवहिहियिसमियबनािदिॉगििकिचमतकारिहो।ि इनि तीनोि कोि करमशःि उततम,ि मधिमि औरि अधमि भीि कहति ह।िकाविपरकाशकारिकाििोरियछपिहविभाविपरिअयधकििानिपडतािह,िरसिकि उदरकि परि नही।ि काविि कि दोि औरि भदि यकवि गविह, महाकावि और िॉडिकावि।िमहाकावििसगाबदधिऔरिउसकािनािकिकोईि दवता,ि रािाि िाि धीरोदातति गॉ ि सॉपनन कष यिि होनाि चायहव।िउसम शॉगार, वीर िा शाॉत रसो मिसिकोईिरसिपरधानिहोनािचायहव।िबीचिबीचिमिकर ा;िहासििइतिायदिऔरिरसितिािऔरिऔरिलोगोिकिपरसॉगिभीिआनिचायहव।िकमि सिकमिआठ सगा होनिचायहव।िमहाकावििमिसॉधिा,िसिा,िचॉदर,िरायि,िपरभात,िमगिा,िपवात,िवन,िऋत,िसागर,िसॉिोग,ियवपरलमभ,िमयन,ि पर,ििजञ,ि र परिा ,ि यववाहिआयदिकािििासिानिसयननवशिहोनािचायहव।िकावििदोिपरकारिकािमानािगिािह,िदशििऔरिशरवि।िदशििकावििवहिहििो अयभनि दवाराियदिलािाििाि,ििस,िना क,िपरहसन,िआयदििोिपिनिऔरिसननििोगििहो,िवहिशरवििह।िशरवििकावििदोिपरकारिकािहोतािह,िगदयिऔरिपदय।िपदयिकावििकिमहाकावििऔरििॉडकावििदोि भदिकहििाि चकि ह।ि गदयि काविि कि भीि दोि भदि यकवि गवि ह-ि किाि औरिआखिायिका। चॉप,ियवरदिऔरिकारॉ भकितीनिपरकारिकिकावििऔरिमानिगविह।
कावयीकीजदीदोीपरकारीसीवकएीगएीक– सिरपीकीअानसारीकावयीकीजदीऔर
शलमीकीअानसारीकावयीकीजद
सवरपिकिअनसारिकावििकिभद[
सवरपिकिआधारिपरिकावििकिदोिभदिहि-िशरविकावििववॉिदशिकावि।
शरवििकावि यिसिकावििकािरसासवादनिदसरिसिसनकरििािसविॉिपििकरि
यकिाििातािहिउसिशरवििकावििकहतिह।ििस रामाि और महाभारत।
शरवििकावििकिभीिदोिभदिहोतिहि-िपरबनधिकाविितिािमकतकिकावि।
परबॉधिकावि
इसमिकोईिपरमििकिािकावििकिआयदिसिअॉतितकिकरमबदधिरपिमिचलतीिह।िकिािकािकरमिबीचिमिकहीिनहीि तािऔरिगौ िकिावािबीच-बीचिमिसहािकिबनिकरिआतीिह।ििस रामचररतिमानस। परबॉधिकावििकिदोिभदिहोतिहि-िमहाकावििववॉििणडकावि। 1- ीकाकावय इसमियकसीिऐयतहायसकििािपौराय किमहापरषिकीिसॉप ाििीवनिकिािकािआदयोपाॉतिव ानिहोतािह।िमहाकावििमिििबातिहोनािआवशिकिह- महाकावििकािनािकिकोईिपौराय कििािऐयतहायसकिहोिऔरिउसका धीरोदाततिहोनािआवशिकिह। िीवनिकीिसॉप ािकिािकािसयवसतारिव ान होनािचायहव।
शरॉगार ,वीरिऔरिशाॉतिरसिमिसियकसीिवकिकीिपरधानतािहोनीिचायहव। ििासिानिअनििरसोिकािभीिपरिोगिहोनािचायहव। उसमिसबहिशामियदनिरातिनदीिनालिवनिपवातिसमदरिआयद पराकयतकिदशिो कािसवाभायवकियचि िहोनािचायहव।
आठििािआठिसिअयधकिसगािहोनिचायहव ,परतिकिसगािकिअॉतिमिछॉद पररवतानिहोनािचायहवितिािसगािकिअॉतिमिअगलिअॉकिकीिसचनािहोनीि चायहव।
कावय, कविता िा पदय, सायहति कीियवधा
कावय, कविता िा पदय, सायहति कीियवधा
2- खडकावय इसमियकसीिकीिसॉप ाििीवनकिािकािव ानिनिहोकरिकवलििीवनिकियकसीिवकिहीिभागिकािव ानिहोतािह।ििॉडिकावििमिििबातिहोनािआवशिकिह- किावसतिकालपयनकिहो। उसमिसातििािसातिसिकमिसगािहो। उसमििीवनिकियिसिभागिकािव ानियकिािगिािहोिवहिअपनिलकषि मिप ािहो। पराकयतकिदशििआयदिकाियचि िदशिकालिकिअनसारिऔर सॉयकष पत हो।
मकतक
इसमिकवलिवकिहीिपदििािछॉदिसवतॉििरपिसियकसीिभावििािरसिअिवािकिािकोिपरक िकरनिमिसमिािहोतािह।िगीतिकयवततिदोहािआयदिमकतकिहोतिह।
दशििकावि
यिसिकावििकीिआनॉदानभयतिअयभनििकोिदिकरिववॉिपािोिसिकिोपकिनिकोिसनिकरिहोतीिहिउसिदशििकावििकहतिह।ििस ना क मििािचलयचििम।
शलीिकिअनसारिकावििकिभद
1-ीपदयीकावय -िइसमियकसीिकिािकािव ानिकावििमियकिाििातािह,ििसिगीताॉियल 2-ीगदयीकावय -िइसमियकसीिकिािकािव ानिगदयिमियकिाििातािह,ििसिििशॉकरिकीिकमािनीि।।।िगदयिमिकावििरचनािकरनिकियलविकयविकोिछॉदिशासतरिकियनिमोिसिसवचछॉदतािपरापतिहोतीिह। 3-ीचपीकावय -िइसमिगदयिऔरिपदयिदोनोिकािसमावशिहोतािह। मयिलीशर िगपत कीि'िशोधरा' चॉपिकावि ह।
Top Related