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    W.If. 3in 11 TC4171 feet 4 ti-Cgni

    1 Hon'ble Minister of State (E, F & CC)(I/C) 44H el tiztraPT, 4141 3tfT 7-d-dT41 xinci i44t 1- -zi Tit' (4-ciciA WaITT)

    2 PS to Minister 44 t" fAA

    3 Secretary (Environment. (Environment, Forests and Climate Change)

    a (ti4d0401, Td 3tT air4a14:1 tinci410-0

    4 Director General of Forests cid TI-6114-4U

    5 Special Secretary fa311sr Teka.

    6 Additional Director General of Forests 3i-crr # xruffAt-sr-

    Additional Secretary arciT I3M7

    8 Senior Advisor did 44006cid4

    9 Joint Secretary 44teci a

    10 Inspector General of Forests d" .3S

    11 Economic Advisor 3115* 4161&14

    12 Statistical Advisor 44i 4i 41c4K44bi4

    13 Scientist 71144)

    14 Joint Director 444.441-41 f*a.0

    15 Deputy Economic Advisor c 3crii1e- +imiztolk

    16 Assistant Inspector General of Forests 41 I cl eh Ta. S

    1",• Under Secretary 3TUT a

    18 Assistant Director 446i 4i411 Mtuw

    19 Scientific Officer a.Tio-Act, .3airti

    20 Research Officer 317*117 St'

    21 Section Officer arqatc# arfrtr

    22 Technical Officer dch fj41 aiRrwrIt

    23 Pay & Accounts Officer 371a1R- Kr* 4d I St

    24 Controller of Accounts A-ur- 4 4,

    25 Chief Engineer Tttrzt, aarztar 26 Executive Engineer ch1 41(4411 31fAziai

  • iपर्यावरण, वन और जलव्रु पररवरयान मंत््लर, इंदिर् पर्यावरण भवन, जोर ब्ग रोड, अलीगंज, नई दिलली-110003

    (i)

    आह््वान

  • iiपर्यावरण, वन और जलव्रु पररवरयान मंत््लर, इंदिर् पर्यावरण भवन, जोर ब्ग रोड, अलीगंज, नई दिलली-110003

    (ii)

    मेरे लिए यह अतयधिक हर्ष का ववरय है कक पया्षवरण, वन और जिवायु पररवर्षन मंत्ािय अपनी हहन्दी पत्त्का 'पया्षवरण' का 68वां अकं 'जिवायु पररवर्षन ववशरेांक' के रूप में प्रकालशर करने जा रहा है।

    हमारदी राजभारा हहन्दी के पास अपनी एक सांसककृ तरक और साहहततयक परंपरा है जो ववचारों की अलभवयत्र में पूण्षर: सक्षम है। मेरा मानना है कक हहं् दी पत्त्काओं का प्रकाशन हहन्दी के प्रचार-प्रसार में रो सहायक होरा हदी है, साथ हदी इससे रचनाकारों को भी अलभवयत्र का अवसर लमिरा है।

    इस पत्त्का के सफि प्रकाशन के लिए मेरदी हाह ््षक शुभकामनाएं।

  • iiiपर्यावरण, वन और जलव्रु पररवरयान मंत््लर, इंदिर् पर्यावरण भवन, जोर ब्ग रोड, अलीगंज, नई दिलली-110003

    (iii)

    यह अतयंर प्रसननरा का ववरय है कक पया्षवरण, वन और जिवायु पररवर्षन मंत्ािय अपनी हहन्दी पत्त्का 'पया्षवरण' का 68वां अकं प्रकालशर करने जा रहा है। मैं जानरी हंू कक हमारे अधिकारदी और कम्षचारदी वजै्ातनक ववरयों को भी सरि हहं् दी में प्रसरुर करने में सक्षम हैं और इसलिए 'पया्षवरण' पत्त्का के इस अकं में मंत्ािय रथा इसके सम्ब�/अिीनसथ काया्षियों/सवायत्त तनकायों में काय्षरर कालम्षकों की रचनाओ ंको प्रमुखरा ्ेर ेहुए कुछ सवरंत् िेखकों/कववयों की रचनाओं और अलभवयत्रयों को भी सथान ह्या गया है।

    हहन्दी पत्त्काओ ं के प्रकाशन से हहन्दी का प्रचार-प्रसार होरा है और रचनाकार अपने मनोभावों को अलभवयत्र ्ेने में सफि होर े हैं। 'पया्षवरण' पत्त्का के इस 68वें अकं के सं्बंि में भी ऐसी हदी आशा है।

  • ivपर्यावरण, वन और जलव्रु पररवरयान मंत््लर, इंदिर् पर्यावरण भवन, जोर ब्ग रोड, अलीगंज, नई दिलली-110003

    (iv)

    वप्रय पाठकों,

    पया्षवरण, वन और जिवायु पररवर्षन मंत्ािय की हहन्दी पत्त्का 'पया्षवरण' का 68वां

    अकं आपके समक्ष प्रसरुर करर ेहुए मुझ ेअपार प्रसननरा हो रहदी है। मेरा यह मानना है कक

    हहन्दी और भारर की क्षेत्ीय भाराओ ंमें इस ररह की पत्त्काओ ंके प्रकाशन से हमारदी प्रतरभा

    तनखररी है और हमारे मनोभाव भी प्रतरत््बतम्बर होर ेहैं। काया्षियों में काम-काज में रलिदीन

    रहने के कारण हमारदी सकृजनातमक क्षमराएं उजागर नहदीं हो पारी हैं और न हदी हम अपने मन

    की ्बार अलभवय्र कर पार ेहैं। 'पया्षवरण' पत्त्का का प्रकाशन इस कमी को ्रू करने की हदी

    एक साथ्षक कोलशश है।

    'पया्षवरण' पत्त्का के इस अकं में हमने जिवायु पररवर्षन से सं्बंधिर रचनाओं को

    प्रमुखरा ्दी है और इस अकं का नाम 'जिवायु पररवर्षन ववशरेांक' रखा है तजसके पीछे हमारा

    उद्ेशय पाठकों को जिवायु पररवर्षन की गंभीर समसया से अवगर कराना और उनहें इससे जुड े

    हुए ववववि रूपों के ्बारे में जानकारदी उपिबि कराना है राकक यह अकं पाठकों के लिए ज्ानवि्षक

    ्बन सके ।

    पत्त्का के इस अकं के ्बारे में प्र्ुब� पाठकों के सुझाव सा्र आमंत्त्र हैं राकक हम इसके

    आगामी अकं में और सुिार कर सकें । मेरा अनुरोि है कक मंत्ािय के अधिकारदी और कम्षचारदी

    और अधिक संखया में आगे आएं रथा अपने िेख तनयलमर रुप से भेजें राकक हमारे पास आगामी

    अकंों के लिए भी रोचक, ज्ानवि्षक रथा उचचसररदीय सामग्ी उपिबि रहे। शुभेचछु

  • v

    पया्षवरण(पर्यावरण, वन और जलव्रु पररवरयान मंत््लर की छम्ही पत्त्क्)

    जलव्रु पररवरयान ववशषे्ंक(अकं 68, म्रया 2017)

    संरक्षक : श्री अननल म्धव िवे, र्जर मंत्री (सवरंत् प्रभ्र)

    प्रध्न संप्िक : श्री अननल संर, आई.ए.एस., संरुकर सचरव, भ्रर सरक्र

    संप्िक : श्री बजृभ्न, उप ननिेशक

    उप संप्िक : 1. श्रीमररी वरीन् शम्या, सह्रक ननिेशक 2. श्री अरवविं रौह्न, ननजरी सचरव 3. श्री सोहैल अहमि, वररष्ठ अनुव्िक

    संप्िन सहरोग : 1. श्रीमररी संधर् नौदिर्ल, वररष्ठ अनुव्िक 2. श्री बजेृश कुम्र, वररष्ठ अनुव्िक 3. श्रीमररी रोज़री शम्या, वररष्ठ अनुव्िक 4. श्री मनोज कुम्र स्व, कननष्ठ अनुव्िक 5. श्री प्रवरीण कुम्र, कननष्ठ अनुव्िक

    िंकण सहरोग : 1. श्री श्रीननव्स, वैरककरक सह्रक 2. श्रीमररी नूरन ममजं, वरैककरक सह्रक 3. श्रीमररी संरोष लर्, दहनिी िंकक 4. श्रीमररी लमलर् र्नरी, अवर शे्णरी मलवपक 5. श्री ककरण प्ल, क्र्यालर सह्रक 6. श्रीमररी अजंु र्वर, क्र्यालर सह्रक 7. श्री दिनेश रंि, क्र्यालर सह्रक 8. श्री संजर ननगम, क्र्यालर सह्रक

    पर्यावरण, वन और जलव्रु पररवरयान मंत््लर, इंदिर् पर्यावरण भवन, जोर ब्ग रोड, अलीगंज, नई दिलली-110003

    पत्त्का में छपे िेखों/कववराओं इतयाह् में प्रसरुर ववचार रचनाकारों के अपने हैं । संपा्क मंडि का उनसे सहमर होना आवशयक नहदीं है ।

    (v)

  • पर्यावरण(पर्यावरण, वन और जलव्रु पररवरयान मंत््लर की पत्त्क्)

    जलव्रु पररवरयान ववशषे्ंक(अकं 68, म्रया-2017)

    अनुक्रमणणका

    क्र.सं. ववरय रचनाकार पकृषठ सं

    1 वैतशवक प्राककृ तरक घटनाएं एवं उनका प्रभाव-गिो्बि वालमिंग के सन्भ्ष में आह्ि हकीम खान 1

    2 अरंरराषट्दीय जिवायु पररवर्षन वारा्षओं में ववकासशीि ववशव का नेरकृतव कररा भारर सौमया भटटाचाय्ष 3

    3 जिवायु पररवर्षन का अरुणाचि प्र्ेश की जवै वववविरा पर प्रभाव: एक आकिनडा.ॅ णखिेंद्र लसहं कनवािडा.ॅ प्रसनना सामि,इं. महेंद्र लसहं िोिी

    8

    4 मैं हुआ शम्ष से पानी (कववरा) ्बकृजभान 11

    5 वनों पर प्राककृ तरक आप्ा एवं जिवायु पररवर्षन का प्रकोप हरदी शंकर िाि 12

    6 जिवाय-ुपररवर्षन (कववरा) डा.ॅ पवन कुमार 'भाररी' 15

    7 जिवायु पररवर्षनः ककृ वर समसयाएं और समािानसरीश आहेर और डा.ॅ ्बकृज िाि िकाररया

    16

    8 भारर में नवीकरणीय ऊजा्ष में एक नई शुरूआर संरोर कुमार लसहं 19

    9 कशमीर यात्ा संसमरण िलिरा रानी 22

    10 माँ गंगा की पववत्रा एवं रोग-तनवारक क्षमरा का वजै्ातनक रहसय डॉ. राजेश कुमार 24

    11 अलभयान (कववरा) पवन भाररी 26

    12 मा्ब्षि सिरदी : पया्षवरण समसया एवं उपिबि समािान सुनीि कुमार मीणा 27

    13 गिो्बि वॉलमिंग से ्बढ़रा खररा ह्नेश चन् 28

    14 वन सुरक्षा-जीवन रक्षा (काटू्षन) जीशान ्ातनश 29

    15 आप्ा (कववरा) छत्पाि लसहं सनैी 30

    16 प्रककृ तर-कि और आज ्बकृजेश कुमार 31

    17 चौराहे के ्बरग् का ् ््ष (कववरा) जीरनेद्र कुमार वशैय 34

    18 राषट्दीय हररर अधिकरण की वर्षमान आवशयकरा डॉ. अनूप चरुववे्दी 35

    19 परझड (कववरा) केशव नौहटयाि 37

  • 20 जिवायु पररवर्षन-प्राककृ तरक आप्ाएँ एवं वविुपर होरी प्रजातरयाँ रवव शंकर प्रसा् 38

    21 मानवरा के ्शुमन (कववरा) डाँ. अतनि कुमार 40

    22 जिवायु पररवर्षन और भाररीय ककृ वर रवव प्रसा् एवं ववनो् मैना 41

    23 सामंजसय श्ीमरी धगररजा अरोडा 44

    24 जिवायु का सवर (कववरा) पंकज लसहं 46

    25 आखँों ्ेखी-‘साइंस ए्सपे्रस-्िाइमेट ए्शन सपेशि’ का रवानगी समारोह रोजी शमा्ष एवं नूरन लमजं 47

    26 पक्क्षयों के पया्षवास पर जिवायु पररवर्षन का प्रभाव डॉ इरफाना ्ेबगम 52

    27 राजभारा हहं् दी (कववरा) ववशाि डी. याक्ज्क 54

    28 ्ेशी गाय से लमिने वािे सवास्थय सं्बंिी िाभ ्दीपक चंद्र उपे्ररी 55

    29 घायि पया्षवरण को ्बचाने की गुहार अरववं् चौहान 57

    30 भववषय अंिकारमय है (कववरा) के. एन. सोरेन 59

    31 राजभारा हहं् दी की तसथतर पर माननीय पया्षवरण, वन और जिवायु पररवर्षन मंत्ी का साक्षातकारराजभारा ववभाग से साभार 60

    32 पया्षवरण, वन और जिवायु पररवर्षन मंत्ािय में हहं् दी माह-2016 का आयोजन-एक ररपोट्षसोहैि अहम् 64

  • 1

    वैक्वक प्र्कृनरक घिन्एं एवं उनक् प्रभ्व-गलोबल व्ममिंग के सनिभया में

    आह्ि हकीम खान, तन्ेशक,

    नेशनि कॉिेज ऑफ़ इंजीतनयररगं एंड टे्नोिॉजी 3/312, हेड पोसट ऑकफस के सामने, गुना, म.प्र.

    धयान ्ेने वािदी ्बार यह है कक यह डटेा लसफ्ष भारर ्ेश का है वतैशवक पररदृशय में रो यह काफी ्बडा होगा जो इंटरनेशनि डडसासटर डटेा्ेबस ने रयैार ककया है।

    गिो्बि वालमिंग के कारण भारर हदी नहदीं समपूण्ष ववशव वपछिे ह्नों कई ररह के रूफानों जसेै नीिोफर, हुड हुड, फेत्िंग, फाहहयान से प्रभाववर रहा। भारर में रो यह रूफ़ान ज़या्ारर उडीसा या कफर कभी गुजरार के पोर्बन्र रट से टकराये। यह स्ब भी गिो्बि वालमिंग का हदी एक रूप है तजसमें रूफ़ान, भूकमप, ्बाढ़ इतयाह् जसैी घटनायें शालमि हैं।

    गिो्बि वालमिंग के कारक आज के समय मुखय रूप से जनसंखया वकृर�, वाहन-प्र्रूण, अतनयंत्त्र उ�ोग, हैं। आज हम इंडसट्दी को रो कानून ्बना कर रोक सकर ेहैं पर जो िोग वाहन से प्र्रूण करर ेहैं अथवा डफेोरेसटेशन करर ेहैं, उनमें जागकृतर िाये त््बना इसे रोकना िगभग नामुमककन है। यह सकृतषट स्बकी है, यह जन जागकृतर ज्ब रक नहदीं आएगी इसको रोकना असंभव है। अगर हम इन घटनाओं को सचमुच रोकना चाहर ेहैं रो हमें इन स्ब कारणों पर कंट्ोि करना होगा तजससे यह नेचर की प्रतरकक्रया हो रहदी है। उन स्ब कारकों को जानना होगा तजनके फिसवरूप यह कक्रया हो रहदी है। तिममे्ारदीपूव्षक इसकी काय्ष योजना सं्बंधिर सरकार को भेजनी होगी और साथ हदी पािन भी कराना होगा।

    गिो्बि वालमिंग आज के सन्भ्ष में ्बडा हदी सामानय सा नाम है। इसके अथ्ष को आज-कि हर सामानय वयत्र जानरा हैं परनरु इसका प्रभाव जो आम जीवन पर पडरा है वह एक ववशरे अवसथा है तजसे ्बहुर कम िोग जानर ेहैं। जसेै-जसेै समाज और ्ेश प्रगतर करर ेगए, वसेै-वसेै मानव और प्रककृ तर के ्बीच असंरुिन ्बढ़रा गया। गैसों के उतसज्षन को िेकर भारर हदी नहदीं समपूण्ष ववशव धचतंरर है परनरु ववशरे ्बार यह है कक आज रक समपूण्ष ववशव इस ओर क़ुछ करने में असमथ्ष है ् योंकक इसका सीिा प्रभाव ववकलसर ् ेशों की औ�ोधगक ्र एवं ववकास ्र पर पड रहा है तजससे ये ्ेश अपनी इस समसया का उलिेख कर इस वतैशवक समसया गिो्बि वालमिंग के प्रतर उ्ासीन ह्खाई ्ेर ेहैं। वसेै अगर ्ेखा जाये रो ्ेश से ज़या्ा ्ेश के िोगों का इस समसया के प्रतर उ्ासीन रवयैा इस समसया को ्बढ़ा रहा है ्योंकक ्ेखा जाए रो गिो्बि वालमिंग में उपतसथर ग्ीन हाउस गैसों के कारक सामानय वयत्र से जुड ेहैं तजनमें का्ब्षन उतसज्षन रेट मुखय कारक है।

    जहाँ वर्ष लसरम्बर 1993 में आये भूकमप से 9748, अ्टू्बर 1999 में ओडडशा रूफ़ान से 9843, जनवरदी 2001 में भुज भूकमप से 20,005, ह्सं्बर 2004 में आई सुनामी में 16,389 एवं जनवरदी 2013 में 6,054 िोग नाथ्ष इंडडयन फिडस के कारण अपने जीवन को खो ्बठेै। इस ्बार से हम यह अं्ाजा साफ़ िगा सकर ेहैं कक यह गिो्बि वालमिंग ककरनी ्बडी समसया है।

  • 2

    हाि हदी के वरषों में हमने ववकास ्र रो हालसि की है पर ववकास का आिार प्राककृ तरक असंरुिन नहदीं होना चाहहए। प्रककृ तर ईशवर का ह्या खू्बसूरर रोहफा है। इसका सकृजन समपूण्ष मानवरा का सकृजन है। इसका ववनाश समपूण्ष मानवरा का नाश है। िरा हमें सोचने की िरुरर है कक हम अपनी आने वािदी नसिों को ्या ्े कर जा रहे हैं- एक प्र्वूरर िररी, एक प्र्वूरर पया्षवरण। यह वह समय है तजसमें हर एक ववशव के वासी को काफी ऊपर उठ कर सोचने की िरुरर है कक उसका तनजी हहर ्बडा है या समपूण्ष ववशव और उसकी आने वािदी नसिें।

    हम ववकास के ववरोिी नहदीं पर ववकास की कीमर प्रककृ तर का असंरुिन और मानव सभयरा का ववनाश नहदीं होना चाहहए। कंपयूटर, टे्नोिॉजी का उपयोग ववकास को गतर ्ेने में हो सकरा है पर टे्नोिॉजी से भोजन प्रापर नहदीं ककया जा सकरा, हां भोजन प्रापर करने और फसि उतपा्न ्बढ़ाने में िरूर रीव्ररा िाई जा सकरी है। टे्नोिॉजी का उपयोग हो पर जीवन सुिार में न रक जीवन का अरं में। ्ेश के अं् र कानून रो ्बहुर हैं पर उनका पािन कराना महतवपूण्ष है रभी हम एक खुशहाि भारर ्बनाने में कामया्ब होंगे।

    *****

    ''प्रकृनर आिमरी की जरूररें पूरी कर सकररी है,उसके ल्लर को नहीं।''

    - मह्तम् ग्ंधरी

  • 3

    अरंरर्षट्ीर जलव्रु पररवरयान व्र्याओं में ववक्सशरील वव्व क् नेरतृव करर् भ्रर

    सौमया भटटाचाय्ष-कंसलटेंट-

    पया्षवरण, वन और जिवायु पररवर्षन मंत्ािय

    माना गया कक अधिकांश वतैशवक पया्षवरण चुनौतरयों कापया्षपर ढंग से तनराकरण नहदीं हुआ रथा अमि वरा्ष, वायु, मक्ृ ा एवं जि प्र्रूण, मरूसथिदीकरण एवं वन-कटाव, ओजोन परर के क्षीण होने सहहर पया्षवरणीय खररे ्बढ़ गए हैं। इसमें जिवायु पररवर्षन के ववनाशकारदी प्रभावों की संभावना के प्रारतमभक िक्षणों पर भी धयान ह्या गया है।

    ववशव मौसम ववज्ान संगठन (डबलयूएमओ) और संयु्र राषट् पया्षवरण काय्षक्रम (यूएनईपी) ने वर्ष 1988 में जिवायु पररवर्षन सं्बंिी अरंर-सरकारदी पनैि का गठन ककया। वर्ष 1990 की प्रथम आईपीसीसी आकिन ररपोट्ष में प्रकालशर वैज्ातनक साक्य के माधयम से जिवायु पररवर्षन को एक चुनौरी के रौर पर प्राथलमकरा ्दी गई है और इसके पररणामों का सामना करने के लिए अरंरराषट्दीय सहयोग की जरूरर को सवीकारा गया है। यूएन ने मानव-जातर के लिए उतपनन इस खररे को समझा और सभी ्ेशों से अनुरोि ककया कक वे जिवायु आप्ा को टािने के लिए सुिारातमक उपायों के साथ एकजुट हों। भारर इस गंभीर आ्वान को सुनने और जिवायु पररवर्षन का सामना करने के लिए अपने सकारातमक इरा्ों को ्शा्षर ेहुए सवा्षधिक ववशवसनीय भागी्ारों में से एक ्बनकर उभरा है।

    तजस समय से मनुषय ने इस िररी पर वास ककया है रभी से उसने अलभनव संघर्ष के माधयम से इस ग्ह पर अपने जीवन को उत्तरोत्तर ्ेबहरर ्बनाया है। महान सभयराओ ंऔर शत्रशािदी साम्ाजयों का उ्य और परन हुआ िेककन सभी से एक हदी अतंरम पाठ सीखने को लमिा कक प्रककृ तर सववोपरर है और हम मनुषय इस जहटि जवैवक चक्र का हहससा हैं। िीरे-िीरे मानव ने प्राककृ तरक संसािनों से अतयधिक छेडछाड और उनका ्ोहन करना शुरू कर ह्या। औ�ोधगक क्रांतर के शुरूआरी ह्नों में ककसी ने भी यह नहदीं सोचा होगा कक जीवाशम ईंिनों को जिाने से जिवायु पर ऐसा ववनाशकारदी और िगभग रातकालिक प्रभाव पडगेा। झंझावर, चक्रवार, ्बाढ़, सूखे आह् जसैी ववरम मौसमी घटनाओ ंके मामिे इस िररी पर खररनाक ढंग से ्बढ़ रहे हैं।

    इस धचरंा पर 1970 के ्शक की शुरूआर से हदी, वर्ष 1972 में सटॉकहोम में मानव पया्षवरण सं्बंिी यूएन सममेिन सहहर ववलभनन अंररराषट्दीय मंचों पर ववचार ककया गया, तजसके फिसवरूप यूएन पया्षवरण काय्षक्रम (यूएनईपी) की सथापना हुई। वर्ष 1982 में यूएनईपी ने नरैो्बी में ''ववशरे प्रकार का यूएनईपी सत् : सटॉकहोम के ्बा् के ्स वर्ष'' आयोतजर ककया। इसमें इस ्बार को

    भारर ने जीएचजी उतसज्षनों को कम करने और जिवायु पररवर्षन के पररणामों से तनपटने के लिए एक महतवपूण्ष अरंरराषट्दीय संधि संयु्र राषट् जिवायु पररवर्षन काय्षढांचा कनवेशंन (यूएनएफसीसीसी) करव्ने में अग्रणरी एवं सजृन्तमक भूममक् ननभ्ई है तजस पर वर्ष 1992 में ररयो सममेिन में हसराक्षर ककए गए थे।

    भ्रर ने जलव्रु पररवरयान कनवेंशन में सम्न और स्झ् ककंरु मभनन-मभनन उत्तरि्नरतव, जो इसक् आध्रभूर मस�्रं है, को अरं: स््वपर करने में महतवपूणया नेरतृव क्षमर् क् प्रिशयान ककर्। भ्रर को इस मुदिे पर ववक्सशरील िेशों क् भरपूर सम्यान प्र्पर हुआ। यहां यह उलिेख करना प्रासंधगक होगा कक सी्बीडीआर का लस�ारं 'मानवरा की साझा ववरासर' की

  • 4

    भारर र्बसे यूएनएफसीसीसी में ककए गए अिग-अिग प्रयासों में एक आिार के रूप में समरा, ऐतरहालसक उत्तर्ातयतवों और प्रतर-वयत्र उतजस्षनों से सं्बंधिर मुद्ों को तनरंरर उठारा रहा है तजनसे ववकासशीि ्ेशों को उनके का्ब्षन सपेस को सुरक्क्षर करने में सहायरा लमिदी है। इन दृढ़ रूखों के अनुपािन ने भारर को ववकासशीि ्ेशों के ्बीच एक अग्णी भूलमका प्र्ान की है। भारर का यह दृढ़ मर रहा है कक गरदी्बी उनमूिन और वहनीय ववकास को ्बढ़ावा ्ेने की प्रमुख चुनौतरयों के आिोक में, ववकासशीि ्ेशों को ववकास के अवसर, संसािन और समय का नयायसंगर योग्ान ह्या जाए।

    जलव्रु पररवरयान संबंधरी पे्रस क्ंफे्नस में म्ननरीर पर्यावरण, वन और जलव्रु पररवरयान र्जर मंत्री (सवरंत् प्रभ्र) श्री अननल म्धव िवे (मधर में), ववशषे सचरव श्री रजनरी रंजन रक्म (ब्ररीं ओर)

    र्् संरुकर सचरव श्री रवव शंकर प्रस्ि (ि्ररीं ओर)

    भारर जिवायु पररवर्षन ववरय पर हुई ववलभनन अरंरराषट्दीय ्बठैकों में सहयोगातमक-नेरकृतव और सकारातमक जिवायु ववरयक कार्षवाई का केनद्र रहा है।

    ्ेबलसक (ब्ाजीि, साउथ अफ्ीका, भारर और चीन) और एिएमडीसी (समान ववचारािारा वािे ववकासशीि ्ेश) के संगहठर समतनवर समूहों में भारर को ववकलसर ्ेशों का सामना करने में एक ववशवसनीय और भरोसेमं् सहयोगी के रूप में ्ेखा जारा है।

    यहां रक कक प्रमुख ववकलसर ्ेशों के गुट में भी भारर को सकारातमक दृतषटकोण, सकृजनशीि भावना और ववशवासपात् ्ेश के रूप में ्ेखा जारा है।

    भावना से ्बना है, तजसमें वतैशवक पया्षवरणीय समसयाओ ंमें ववकलसर और ववकासशीि ्ेशों के योग्ान में ऐतरहालसक अरंर को और इन समसयाओ ंके तनराकरण में उनकी सं्बंधिर आधथ्षक और रकनीकी क्षमराओं में अरंर को सवीकार रकया गया है।

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    मर्केश-2016 में बेमसक मंत्त्रों की ब्ैठक में बेमसक मंत्री और ववभ्ग्धरक्ष

    वपछिे ्ो वरषों में, भारर के माननीय प्रिान मंत्ी श्ी नरेनद्र मो्दी के माग््ष श्षक नेरकृतव में भारर ने नवीकरणीय ऊजा्ष के संवि्षन सं्बंिी सहयोग में एक नया वैतशवक रूझान तनिा्षररर ककया है। सीओपी-21 के ्ौरान, ऐतरहालसक अरंरराषट्दीय सौर गठ्बंिन (जो कक्ष और मकर रेखा के ्बीच तसथर सौर-समकृ� ्ेशों के ्बीच सहयोग का मंच है रथा सौर ऊजा्ष के वयापक प्रयोग की मांग कररा है, और इस प्रकार वह सवचछ और कम मूलय की ऊजा्ष प्र्ान करने के साथ-साथ वैतशवक ग्ीनहाउस उतसज्षनों को कम करने में सहायरा प्र्ान कररा है) रथा लमशन इनोवेशन (तजसका उद्ेशय ऊजा्ष सुरक्षा के साथ आधथ्षक ववकास को ्बढ़ावा ्ेने रथा जिवायु पररवर्षन से तनपटने के लिए प्रभावी, ्दीघ्षकालिक वैतशवक कार्षवाई के एक अलभनन भाग के रूप में वयापक रौर पर फैिदी सवचछ ऊजा्ष के अलभनव प्रयोगों में वकृर� करना है) को शुरू करने के साथ, भ्रर ने ववक्सशरील और ववकमसर वव्व िोनों के स्् सहरोग के संबंध में जलव्रु पररवरयान में अपने अमभमर की बेहरर सवरीकृनर और रह्ं रक रक बेहरर नेरतृव भरी ह्मसल ककर् है।

    माननीय पया्षवरण, वन और जिवायु पररवर्षन मंत्ी श्ी अतनि मािव ्वे इस ्बार पर जोर ्ेर ेहैं कक पया्षवरण और ववकास हमेशा साथ-साथ चि सकर ेहैं। वे इस िारणा का प्रचार-प्रसार करर ेरहे हैं कक जिवायु पररवर्षन का समािान ऐसे जीवन-यापन में है तजसमें कम से कम का्ब्षन उतसज्षन हो। सीओपी-21 और सीओपी-22 के ्ौरान, भारर ने जो मंडप िगाए थे उनमें इन ववरयाें से सं्बंरिर प्र्श्षरनयां िगाई गयी रजनहें ववशव �ारा पूण्षरया सराहा गया।

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    पक्षक्रों के 22वें सममेलन में वहनरीर जरीवनशैली संबंधरी सत् को समबोचधर करर ेम्ननरीर पर्यावरण, वन और जलव्रु पररवरयान मंत्री श्री अननल म्धव िवे

    भ्रर ने िेश-सरर पर जलव्रु पररवरयान क् स्मन् करने के मलए ववववध किम उ्ठ्ए हैं। भारर ने ववशव को अपने महतवाकांक्षी आईएनडीसी की स�चना ्े ्दी है। भारर ने नवीकरणीय ऊजा्ष क्षमरा में संवि्षन, वाहनीय प्र्रूण और ठोस अपलशषट को कम करने, ग्ामीणाें को सवचछ एवं ससरी ऊजा्ष प्र्ान करने रथा सुवयवतसथर शहर ्बनाने के िक्य वािदी ववलभनन सकीमें सफिरापूव्षक शुरू की हैं।

    राजनीतरक नेराओ ंऔर जन-प्रतरतनधियों के ्दीघा्षवधिक धचरंन के कर्षवय के रुप में अपने ्ेश के नागररकों और ववशव के प्रतर मुखय भूलमका और उत्तर्ातयतव हैं। उनहें उतककृ षट अनुसंिानकरा्षओ ंऔर वैज्ातनक अधययनों �ारा की गई सपषट वजै्ातनक सिाह को नजर अं् ाज नहदीं करना चाहहए ्बतलक उसे गंभीररा पूव्षक सुनना चाहहए और र्नुसार काय्ष करना चाहहए रथा जिवायु परररव्षन से उतपनन जोणखमों के ववरू� अपने िोगों की सुरक्षा के उपाय करने चाहहएं। भ्रर, संस्धनों की गंभरीर कमरी के ब्वजूि, ऊज्या िक्षर् में वरृ� करके और नवरीकरणरीर ऊज्या क् अचधक प्ररोग करके महतव्क्ंक्षरी अनुकूलन और नरूनरीकरण क्रयाव्इर्ं कर रह् है। इस प्ररोजन के मलए र्षट्ीर ननचधरों क् ववश्ल कोष आवंदिर ककर् गर् है।

    पेररस करार रयैार करने में हम प्रतयेक ्ेश के योग्ान और प्रतयेक नागररक की महतवपूण्ष भूलमका के साक्षी रहे। भ्रर ने सवरं और ववक्सशरील िेशों के मलए ववक्स क् स््न सुननक्रर ककर् है और पेररस कर्र के रहर नरूनरीकरण और अनुकूलन क्रयाव्ईरों रुनने के अपने ववशषे्चधक्र को बन्ए रख् है। ववत्तीय, प्रौ�ोधगकीय और क्षमरा तनमा्षण सहयोग के प्राविान और अरंरराषट्दीय स्ोरों से पार्लश्षरा/ररपोहटिंग आवशयकराओं को पूरा करने में सहयोग से भी इन प्रयासों को ्बढ़ावा लमिेगा। भ्रर ने िब्व के स्मने त्बन् झुके और त्बन् कोई समझौर् ककए ववक्सशरील वव्व क् नेरतृव ककर् है।

    पेररस करार में जिवायु कनवेंशन के मुखय भाग के रूप में जिवायु नयाय, सामयरा, सी्बीडीआर-आरसी के समावेश का भारर �ारा घोवरर लस�ंार पेररस करार के मूि और आतमा का संचािन करने, उसे आकार ्ेने और प्रभाव डािने की अपनी अग्णी भूलमका में प्रिानमंत्ी नरेनद्र मो्दी के तन व्ेशन में भारर के सश्र नेर�तव की ववजय का प्ररीक है। भारर ने ववकासशीि ववशव के पूण्ष सहयोग से पेररस करार को ्बहुरों के पक्ष में मोड ह्या है।

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    सरीओपरी 21 के िौर्न भ्रर के मंडप में भ्रर के म्ननरीर प्रध्नमंत्री श्री नरेनद्र मोिी जरी

    ववशव को पेररस करार के काया्षनवयन और इसकी तनयम पुतसरका पर काय्ष करर ेहुए पेररस सहमरर काे अागे ्बढ़ाने से ्बहुर सी आशाएं हैं। ववलभनन ्ेश इन मुद्ों पर सकृजनातमक और पररणामजनक वारा्षओं में िगे हैं। भारर भी राषट्दीय सरर पर तनिा्षररर योग्ान, अनुकूिन, उपशमन, ववत्त, प्रौ�ोधगकी अरंरण, कार्षवाई और सहायरा के लिए पार्शशी ढ़ांचे, वैतशवक रूप से जायजा िेने सहहर पेररस तनयम पुतसरका के लिए प्रकक्रयाओं, ह्शा-तन व्ेशों और रौर-ररदीकों के क्रलमक ववकास पर ववचार-ववमश्ष में सकारातमक रूप से िगा है।

    परंरु जलव्रु पररवरयान से संबंचधर वव्व की र्जनरीनर कुछ प्रमुख ववकमसर िेशों, कजनके ऊपर जलव्रु पररवरयान से संबंचधर भ्री ऐनरह्मसक ि्नरतव है, में सत्त् बिल्व के स्् महतवपूणया रूप से पररवनरयार हो रही हैं। इससे नए वतैशवक जिवायु पररवर्षन करार की भावना को ्बनाए रखने के प्रतर िगारार धचरंा ्बनी हुई है। इससे जिवायु पररवर्षन के प्र्बंिन में जोणखम की संभावनाएं ्बन सकरी हैं।

    भारर के लिए यह युत्रपूण्ष होगा कक वह उन सभी प्रयासों को तनषफि ्बना ्े जो वतैशवक सहयोग और वैतशवक जिवायु पररवर्षन से तनपटने के लिए चि रहदी महतवपूण्ष कार्षवाइयों को कमजोर ्बनार ेहों।

    जिवायु पररवर्षन पर वतैशवक सहमरर ्बनाना और उसे कायम रखना हाि में अपनाए गए पेररस करार के प्रतर ्बडा काय्ष होगा तजससे हमारे इस ग्ह को संरक्क्षर करने में सफिरा लमि सकेगी। भ्रर म्नवर् के कलर्ण हेरु इस भ्वन् को बन्ए रखेग्।

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    डॉ. णखिेंद्र लसहं कनवाि, वैज्ातनक-सी, डॉ. प्रसनना सामि, वजै्ातनक-एफ, इं. महेंद्र लसहं िोिी वजै्ातनक-डी,

    गोववं् ्बलिभ पंर हहमािय पया्षवरण एवं ववकास संसथान, उत्तर पूव्ष इकाई, वववेक ववहार,

    ईटानगर- अरुणाचि प्र्ेश

    और अरं में आपस में लमिकर ववशाि ब्�पुत् न्दी का तनमा्षण कररी हैं। राजय का कुि वन क्षेत् 51,540 वग्ष ककिोमीटर है जो राजय के भौगोलिक क्षेत् कािगभग 61.55% है। अरुणाचि प्र्ेश में मुखय रूप से 26 प्रमुख जनजातर रथा 110 सूक्म जनजातर समु्ाय हैं जो वनों के साथ तनकट सहयोग ्बनाकर तनवास करर ेहैं। ये जनजातर समु्ाय अपनी आजीववका के लिए मुखय रूप से ववलभनन वन उतपा्ों पर तनभ्षर हैं। इसी कारण वनों का अरुणाचि प्र्ेश में रहने वािे समु्ायों के जीवन में एक महतवपूण्ष सथान है। यह राजय ववलशषट रूप से हहमािय और भारर-्बमा्ष के मधय के संक्रमण क्षेत् में तसथर है। यह ववशव के 18वें जवै वववविरा हॉट सपॉट क्षेत् के रूप में भी जाना जारा है। अरुणाचि प्र्ेश “पुतषपर पौिों के पािने” के नाम से जाना जारा है। भारर वर्ष की िगभग 50% पुतषपर पौिों की प्रजातरयां (िगभग 5000 आवकृत्त्बीजी पौिों की प्रजातरयां) यहाँ पाई जारी हैं। राजय की वानसपतरक वववविरा में िगभग 29 प्रजातरयां अनावकृत्त्बीजी (तजमनोसपम्ष), 452 टेररडोफाइट की प्रजातरयां और ्बडी संखया में अनय छोटे पौिों की प्रजातरयां पायी जारी हैं। राजय में आकक्ष ड प्रजातरयों की सवा्षधिक संखया है और इनकी िगभग 558 प्रजातरयां पायी जारी हैं। इसलिए इसे ‘आकक्ष ड सवग्ष’ के नाम से भी पुकारा जारा है। राजय में ्बुरांस (रोडोडेंड्रन) की करदी्ब 61 प्रजातरयां लमिरी हैं तजनमें से 9 प्रजातरयां और 1 उप प्रजातर सथातनक (एडलेमक) है। इसके अिावा, ्बांस की िगभग 57

    जलव्रु पररवरयान क् अरुण्रल प्रिेश की जैव-ववववधर् पर प्रभ्व : एक आकलन

    वर्षमान समय में जिवायु पररवर्षन ववशव की स्बसे जविंर पया्षवरणीय समसयाओ ंमें से एक है। अरंर सरकारदी पनैि (आईपीसीसी) की पांचवी आकिन ररपोट्ष (एआर 5) के अनुसार इस शराब्दी के अरं रक वतैशवक रापमान में 0.3 से 4.8 डडग्ी सेतलसयस की ्बढ़ोररदी होगी। रापमान में उपरो्र वकृर� सवास्थय, ककृ वर, वन, जि-संसािन, रटदीय क्षेत्ों, जवै वववविरा और पाररतसथतरकी रंत्ों पर ववपरदीर प्रभाव डािेगी। आईपीसीसी के अनुसार, यह् वैतशवक औसर रापमान में 1.5-2.5 डडग्ी सेतलसयस की वकृर� होरी है रो 20-30% पा्पों और जंरुओ ंकी प्रजातरयों के वविुपर होने का खररा ्बढ़ने की संभावना है। शोि अधययनों ने यह सुतनतशचर ककया है कक मानव-जरनर ग्ीन हाउस गैस (जीएचजी) उतसज्षन हदी पकृ्थवी के गम्ष होने का प्रमुख कारक है। हहमािय क्षेत् ववशव के स्बसे नाजुक पाररतसथतरकी रंत्ों में से एक है और इस क्षेत् को जिवायु पररवर्षन के कारण गंभीर खररा उतपनन हो रहा है।

    “उगर ेसूरज की िररी” कहा जाने वािा अरुणाचि प्र्ेश राजय क्षेत्फि की दृतषट से पूववोत्तर राजयों में स्बसे ्बडा पहाडी प्र्ेश है। राजय का भौगोलिक क्षेत्फि 83,743 वग्ष ककिोमीटर है जो कक ्ेश के कुि क्षेत्फि का 2.54%, भाररीय हहमािय क्षेत् का 15.76% और हहमािय जवै-वववविरा हॉट सपॉट क्षेत् का 43.62% है। यह राजय ववशाि प्राककृ तरक संसािनों अथा्षर जि, जंगि और जवैवक संसािनों से संपनन है। लसयांग, ह््बांग, िोहहर, कामेंग इतयाह् नह्यां इस राजय से होकर ्बहरी हैं

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    प्रजातरयां, ्बनहल्दी की 18 प्रजातरयां, ्बांज की 16 प्रजातरयां और ्बडी संखया में फन्ष रथा िाइकेन की प्रजातरयां इस राजय में पायी जारी हैं। राजय के जनजारीय समु्ाय ्बहुर से पौिों का ववलभनन रूपों में उपयोग करर ेहैं। राजय में अ्ब रक िगभग 500 औरिीय पौिों को अलभिेणखर ककया गया है।

    यह राजय सरनिारदी जीवों की 210 से अधिक प्रजातरयों का तनवास सथान है, तजनमें से 37 प्रजातरयों को भाररीय वनयजीव (संरक्षण) अधितनयम, 1972 के अरंग्षर अनुसूची-1 में वगशीककृ र ककया गया है। राजय में 760 से अधिक पक्क्षयों की प्रजातरयां भी पायी जारी हैं। अरुणाचि की ्बारहमासी नह्यों और िाराओं में जिदीय जवै-वववविरा भी ्बहुर अधिक है। अ्ब रक इस राजय में 213 प्रकार की मछलियों की प्रजातरयां होने की सूचना है। इसके अिावा, यहाँ उभयचरों की 49 प्रजातरयां, सरदीसकृप की 133 प्रजातरयां, मीन की 158 प्रजातरयां, रथा तररलियों, पतरगें, भकृंग और अनय कीडों की असंखय प्रजातरयां पायी जारी हैं। राजय के भौगोलिक क्षेत् का िगभग 11.68% क्षेत् संरक्क्षर क्षेत् के अन्र आरा है। राजय में ्ो राषट्दीय उ��न, गयारह वनयजीव अभयारणय, एक जवैमंडिदीय ररजव्ष और ्ो ्बाघ अभयारणय हैं।

    अरुणाचि प्र्ेश राजय की जिवायु पररवर्षन काय्ष योजना (एपीएसपीसीसी) के अनुसार, वर्ष 2030 रक अधिकरम रापमान में वकृर� िगभग 2.2 से 2.8 डडग्ी सेतलसयस होने का अनुमान है रथा वर्ष 2080 में रापमान के 3.4-5 डडग्ी सेतलसयस रक ्बढ़ जाने की आशंका है। जिवायु पररवर्षन के कारण अरुणाचि प्र्ेश राजय के जि संसािन, वन और जवै वववविरा पर प्रतरकूि प्रभाव पडने का अनुमान है। राजय की जिवायु पररवर्षन काय्ष योजना के आकिन के अनुसार, जिवायु पररवर्षन के कारण अरुणाचि प्र्ेश के जवै वववविरा समकृ� तजिों के प्रतरकूि रूप से प्रभाववर होने का पूव्ष अनुमान है। जिवायु पररवर्षन से न लसफ्ष जवै वववविरा प्रभाववर होगी, ्बतलक िोगों की सामातजक-आधथ्षक तसथतर पर भी प्रभाव पडगेा ्योंकक राजय की कुि जनसंखया के

    62 प्रतरशर िोग ककृ वर क्षेत् से जुड ेहुए हैं। वर्षमान में, राजय के िोग भी वायुमंडिदीय रापमान में वकृर�, हहमपार और वरा्ष की अवधि और मात्ा में पररवर्षन, वनसपतरयों के ऋरुजवैवकी (फ़ीनोिॉजी) जसेै पुषपण एवं फिन वयवहार में पररवर्षन, हातनकर गैरसथातनक पा्प प्रजातरयों की संखया में वकृर�, वनसपतरयों के उचच हहमाियी क्षेत्ों में ववसथापन आह् घटनाओ ं के ��रा जिवायु पररवर्षन के प्रभावों का अनुभव कर रहे हैं। जिवायु पररवर्षन के संभाववर प्रभावों के अिावा, राजय की जवै वववविरा कई अनय खररों और जवैवक ््बाव का सामना भी कर रहदी है। इसके प्रमुख कारण सथानांररण ककृ वर (झूम खेरी), अतनयंत्त्र चराई, ् ावानि, अतरक्रमण, ववकास- पररयोजनाओं के काय्ष, वयावसातयक वकृक्षारोपण और वन उतपा्ों का अविै ्ोहन इतयाह् हैं।

    जवै वववविरा पर जिवायु पररवर्षन से पडने वािे प्रभावों की वयापक वजै्ातनक जानकारदी वर्षमान समय में राजय में उपिबि नहदीं है। अर: जिवायु पररवर्षन के जवै वववविरा पर पडने वािे प्रभावों के आकिन और तनगरानी के लिए ्बहुआयामी गहन शोि काय्ष करने की गंभीर आवशयकरा है। इन शोि अधययनों से इस हहमाियी राजय की जवै वववविरा के संरक्षण के लिए एक वयापक जिवायु पररवर्षन उपशमन और अनुकूिन रणनीतर ्बनाने में म्् लमिेगी। अरुणाचि प्र्ेश में लशक्षा और जागरूकरा काय्षक्रम, समु्ाय और युवाओ ंकी भागी्ारदी, पारंपररक पाररतसथतरक ज्ान की ्बढ़ोररदी, क्षमरा तनमा्षण काय्षक्रम आह् भी जिवायु पररवर्षन के जवै वववविरा पर पडने वािे ्षुप्रभावों को कम करने में महतवपूण्ष भूलमका तनभा सकर ेहैं।

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    अरुण्रल प्रिेश में झूम कृवष क् जलव्रु पररवरयान एवं जवै ववववधर् पर प्रभ्व।

    जलव्रु पररवरयान क् र्जर के वनों एवं जैव ववववधर् पर प्रभ्व।

    र्जर के उचर दहम्लररी क्षेत् की जवै ववववधर् पर प्रनरकूल प्रभ्व पड़ने क् अनुम्न।

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  • 11

    ्बकृजभान उप-तन्ेशक

    पया्षवरण, वन और जिवायु पररवर्षन मंत्ािय

    हहन्दी है जन-जन की भारा, यह कहर ेसभी आये हैं । पर फाइिों में रो केवि अगें्जी, लिखर ेसभी आये हैं। चीन, जापान और रूस को, अपनी भाराओं पर गव्ष है। पर भारर में अपनी भारा के लिए,केवि ‘हहन्दी ह्वस’ का पव्ष है।।

    सपने में लमिे संवविान-तनमा्षरा, डॉ. राजेनद्र प्रसा् और अम्ेबडकर। मुझ े्ेख ्ोनों पूछ ्बठेै, भरे लिए आखंों में पानी। ्ासी कैसे ्बन गयी हहन्दी, हमने रो ्बनायी थी रानी? उत्तर कुछ भी ्े न सका, मैं हुआ शम्ष से पानी।।

    *****

    मैं हुआ शमया से प्नरी (कववर्)

    14 लसरम्बर को हर वर्ष, हम हहन्दी ह्वस मनार ेहैं।हहन्दी के प्रचार-प्रसार को, स्ब जोर-जोर गुरा्षर ेहैं। पर अगिे ह्न से जान्ूबझकर,स्ब कुछ त््बसरा जार ेहैं।न जाने ्यों हर वर्ष हम, एक ्सूरे को मूख्ष ्बनार ेहैं।।

    अधितनयम ्बना और तनयम ्बने, कफर तनकिे काया्षिय आ्ेश भी। ‘काम नहदीं हो रहा हहन्दी में’,हम जरार ेइस पर रोर भी। हहन्दी सपराह, पखवाडा मनाकर,खािदी करर े्ेश का कोर भी।पर खु् भी काम करें हहन्दी में, इसका रहरा नहदीं हमें होश भी।।

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    हरदी शंकर िािवन काय्षकी एवं आणरवक जीव-ववज्ान प्रभाग

    वन उतपा्करा संसथान, िाि गुटवा, रांची

    अनुमान है कक 21वीं शराब्दी के अरं रक का्ब्षन डाईऑ्साइड का सानद्रण ्बढ़कर 370 ppm हो जायेगा।तजसके कारण वायुमंडि के हररर ग्ह प्रभाव में वकृर� हो रहदी है एवं रापमान ्बढ़ कर वायुमंडि एवं पकृ्थवी की ऊषमा ्बजट को पररवतर्षर कर रहे हैं। किोरोफिोरोका्ब्षन के ववमोचन से ओजोन परर की अलपरा होने के कारण सूय्ष की परैा्बैंगनी ककरणें िरारि रक पहंुच कर उसका रापमान ्बढ़ा ्ेरी हैं तजसके फिसवरूप पा्प एवं जंरु जीवन को भारदी क्षतर होरी रहदी है रथा मनुषय में चम्ष कैं सर जैसी जानिेवा ्बीमारदी हो रहदी है। मनुषय के ��रा पया्षवरण का ह्ास इस क्र हो जाना कक वह होमयोसराहटक कक्रया से भी पया्षवरण को सहदी नहदीं ककया जा सकरा है।

    वन ककसी भी राषट् की मूलयवान संपरत्त हैं ् योंकक वनों से कचचे प्ाथ्ष िकरडयाँ, सूक्म जीवों के लिए आवास, लमटटदी के अपर्न से ्बचाव, भूलमगर जि में वकृर� होरी है। वन, का्ब्षन-डाईऑ्साइड का अधिक से अधिक मात्ा में अवशोरण करर े हैं एवं कारखानों से तनकिने वािदी मानव जतनर का्ब्षन-डाईऑ्साइड को सोख कर वायुमंडि के हररर ग्ह प्रभाव को कम करर ेहैं। कारखानों से तनकिने वािदी गैसों के पया्षवरण पर कई प्रकार के प्रतरकूि प्रभाव पडर ेहैं। ज्ारवय है कक औ�ोधगक क्रांतर के प्रारंभ में 1860 वायुमंडि का्ब्षन-डाईऑ्साइड का सानद्रण 290 ppm था जो अ्ब ्बढ़कर 319 ppm हो गया।

    वनों पर प्र्कृनरक आपि् एवं जलव्रु पररवरयान क् प्रकोप

    र्मलक् 1: वव्व की हररर गैसों क् उतसजयान (मममलरन िन में)

    ववकमसर िेश ववक्सशरील िेश

    सयु्र राजय अमेररका 1433 चीन 846

    रूस 414 भारर 250

    जापान 308 ्क्क्षण कोररया 104

    जम्षनी 241 ्क्क्षण अफ्ीका 95

    यूनाइटेड ककंगडम 151 मतै्सको 94

    कनाडा 115 ईरान 76

    इटिदी 107 ब्ाजीि 65

    पोिैंड 95 सउ्दी अर्ब 63

    यूके्रन 92 इंडोनलशया 62

    फ़ांस 91 कजाककसरान 48

    ऑसटे्लिया 87 राईवान 48

    सपेन 60 रुककी 38

    स््ेर : Dawn to Earth, 30 अप्रैल, 1998

  • 13

    एक अनुमान के अनुसार 100 वर्ष में िरारिदीय वायु के रापमान में 0.5 Co से 0.7 Co रक की वकृर� हुई है। ओजोन परर के अलपरा रथा हररर ग्ह प्रभाव से ्बचने के लिए ववशव सरर पर प्रयास हो रहे हैं तजसके लिए म�ंतट्यि प्रोटोकाॅि पर 33 ्ेशों ने लसरम्बर 1987 में हसराक्षर ककए।

    वन कटाव की प्रवकृरत्त मनुषय में तनरंरर ्बढ़ रहदी है। वन क्षेत्ों को सीलमर कर ककृ वर क्षेत्ों का ववकास ककया जा रहा है। नह्यों का जि ग्हण क्षेत् वनसपतरयों से रहहर हो रहा है। जि त््बना रोक टोक के नह्यों में पहँुचरा रहरा है फिसवरूप इसके आयरन में वकृर� हो जारी है और ्बाढ़ आरी है। भारर के अधिकांश ्बाढ़ प्रभाववर एवं ्बाढ़ पीडडर क्षेत् उत्तरदी भारर में खासकर उत्तर प्र्ेश, त््बहार, ्बंगाि के मै् ानी भागों में होर ेहैं।

    कभी कभी प्राककृ तरक आप्ा के कारण घटनायें घहटर हो जारी हैं और इसका असर प्राककृ तरक रतवों रथा वनसपतरयों पर भी पडरा है फिसवरूप ववकासशीि ्ेशों में इरनी अधिक आधथ्षक क्षतर होरी है कक ववकास पररयोजनाओं के अनुकूि पररणाम पररिक्क्षर नहदीं हो पार ेहैं ्योंकक ववकास पररयोजनाओं के लिए तनिा्षररर िनरालश को प्रकोपों से उतपनन क्षतर की पूतर ्ष के लिए िगाना पडरा है। भूकंप आने का प्रभाव प्राककृ तरक पेड-पौिे पर पडरा है। प्राककृ तरक आप्ा आने का कारण है- अिंािुंि वनों की कटाई। पकृ्थवी सममिेन में अिंािुंि कटाई पर धचरंा एवं र्ेर प्रकट ककया जा रहा है।

    एक अनुमान के अनुसार 8000 वर्ष पहिे पकृ्थवी पर 8000 लमलियन हे्टेयर भूलम थी जो 1998 रक घटकर 3000 लमलियन हे्टेयर रह गई है, शरे ्बचे वन क्षेत्ों का 0.5 % प्रतरवर्ष की ्र से ववनाश हो रहा है।

    रालिका 2 : जिवायु पररवर्षन पर अरंरसरकारदी पनैि (IPCC) की ररपोट्ष, 1996

    1 प्रमुख ग्ीन हाउस गैसों (Green House Gas) यथा का्ब्षन डाईऑ्साइड, मीथेन, एवं नाइट्स ऑ्साइड के वायुमंडिदीय सानद्रण में क्रमश: 30,145 एवं 15 प्रतरशर की वकृर� हुई। यह वकृर�मुखय रूप से जीवाशम ईंिनो काे जिाने, वन-ववनाश रथा भूलम उपयोग में पररवर्षन के कारण हुई ।

    2 कईं हररर ग्ह गैसें रथा Co2 रथा N2o वायुमंडि में सह्यों रक ्बनी रहरी है, अर: जिवायु पर इनके प्रभाव पडने में िं्बी काि अवधि िगरी है।

    3 यह् 1994 के सरर पर Co2 के उतसज्षन को तसथर कर ह्या जाए रो 2000 ई. रक Co2 के पूव्ष औ�ोधगक उतसज्षन सरर में ्ोगुनी वकृर� हो जायेगी।

    4 19वीं स्दी के अतंरम भाग से अ्ब रक भूमंडिदीय औसर िरारिदीय रापमान में 0.3 Co से 0.6 Co की वकृर� हुई है। ववगर 100 वरषों में (1994 रक) भूमंडिदीय सागर रि 10-25 सेंटदीमीटर रक ऊपर उठा है।

    स्ाेर : Dawn to Earth, 15 अगसर, 1996

    प्राककृ तरक आप्ा को रोकने के लिए उपाय-

    सथानीय रथा सामानय िोगों के कलयाण के लिए ककृ वर एवं वन भूलम में संरुिन ्बनाये रखना।

    वनों के अिंािुनि कटाव काे रोकना रथा वातनकी का ववसरार करना।ववलभनन आवशयक एवं उधचर उपयोग में िाने हेरु िकडडयों की तनयलमर पूतर ्ष हेरु प्रयास करना।

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    ननषकषया

    उपयु््ष र वववरणों से सपषट होरा है कक पया्षवरण अवनयन के लिए तजममे्ार कारणों से भावी जीवन के प्रतर तनराशा जागकृर होरी है रथा यह भी आभास होरा है कक सभी ववकास काय्ष प्रककृ तर रथा पया्षवरण के ववपरदीर हैं।

    यह् धयान से ्ेखा जाए रो पया्षवरण -अवनयन का मूि कारण जनसंखया में रीव्र गतर से वकृर� हदी है, अर: पया्षवरण-अवनयन को रोकने के लिए सव्षप्रथम जनसँखया की वकृर� को तनयंत्त्र करना होगा।

    साथ हदी, प्राककृ तरक संसािनों के अिंािुंि ्ोहन पर तनयंत्ण रखना होगा, एवं वन ववनाश से प्रभाववर क्षेत्ों रथा ्बंजर भूलमयों पर ्बड ेपमैाने पर वनरोपण करना होगा, रासायतनक खा्ों एवं कीटनाशी रसायनों के प्रयोग पर तनयंत्ण रखना होगा, जीवाशम ईंिनों के उपयोग में कमी करनी ह्ेगी और आम जनरा को पया्षवरण के प्रतर लशक्क्षर एवं जागरूक करना ह्ेग्।

    ******

    ''पररश्म और कड़री मेहनर असफलर् न्मक बरीम्री की सबसे बदि़र् िव्ई है।''

    - डॉ. ए. परी. जे. अबिलु कल्म

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    डा० पवन कुमार ‘भाररी’,पया्षवरण वैज्ातनक, ग्ाम-जमािपुर मान,

    राजा का राजपुर, त््बजनौर, (उ.प्र.)

    ‘का्ब्षन के्रडडट’ खरदी् कर, चुका ्ेर ेहैं ्ाम !तनकट भववषय में इसके, भीरण होंगे पररणाम !!‘गिो्बि वालमिंग’ से कोई, अजंान नहदी हैं आज !स्ब जग में ‘वॉतनिंग’ ्बनी, धचतंरर सकि समाज !!

    िररी को गरमा रहदीं, इरनी ग्ीन हाउस गैसें !कोपेनहेगेन सममेिन से, समािान हो कैसे !!परा-्बैंगनी ककरणों से हमारदी, ओिोन करे सुरक्षा !मगर कू्रर ्िोरदीन से, कैसे होगी इसकी रक्षा !!

    सी.एफ.सी. ववचरण कर रहदीं, रडप रहदी ओिोन !आण़िर इस हािार का, तिममे्ार है कौन !!

    *****

    जलव्रु-पररवरयान (कववर्)

    पहिे ककरना संु्र था, प्रककृ तर का हर धचत् !िीरे-िीरे होरी गयी, सारदी तसथतर ववधचत् !!कि कारखाने िगा ह्ए, शुरू ककया ववकास !इरनी ज़या्ा नहदीं की थी, प्र्रूण की आस !! रेकफ्जेरेटर और ए.सी. का, ्बढ़ने िगा उपयोग !सी.एफ.सी. का जहाँ रहाँ, हर कोई करे प्रयोग !!प्र्रूण का ्ैतय, तनश-ह्न ्बढ़रा जाए !पया्षवरण पर संकट के, धग� रहे मंडराय !!

    इसी ररह ्बढ़रा गया, पया्षवरण का ह्ास !तनतशचर हदी ्बनेगी िरा, जल् काि का ग्ास !!जिवायु पररवर्षन का, मुद्ा ्बडा गंभीर!ववकलसर ्ेश चिा रहे, ्बस ्बारों के रीर !!

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    सरीश आहेर और डा. ्बकृज िाि िकाररया

    भाररीय मक्ृ ा ववज्ान संसथान, भोपाि- 462038 (मधय प्र्ेश)

    कारण हैं - प्राककृ तरक व मानव तनलम्षर।

    प्राककृ तरक कारणों के ्बारे में अधिक चचा्ष करना रक्ष संगर नहदीं होगा ्योंकक प्राककृ तरक कारणों के ऊपर मानव का कोई तनयंत्ण नहदीं है। औ�ोधगक क्रांतर के पूव्ष जिवायु की तसथतर और वर्षमान की जिवायु के रुिनातमक अधययन से यह सपषट हुआ है कक जिवायु-पररवर्षन की समसया के लिये एक प्रकार से मानवीय कक्रया-किाप हदी तजममे्ार हैं। मानव तनलम्षर कारणों में स्बसे महतवपूण्ष कारण है ग्ीन हाउस गैसों (GHGs) की वारावरण में वकृर�। पकृ्थवी से उतसतज्षर होने वािदी ऊजा्ष को अवशोवरर करने वािदी गैसें ग्ीन हाउस गैस कहिारी हैं। इनमें प्रमुखरा से का्ब्षन डाइऑ्साइड, लमथेन, नाइट्स ऑ्साइड, ्िोरोफिोरोका्ब्षन व जि वाषप शालमि हैं। तजस प्रकार ग्ीन हाउस पर िगे कांच ऊषमा को अन्र रो आने ्ेर ेहैं परंरु ्बाहर जाने से रोकर ेहैं, कुछ इसी प्रकार से ये गैसें, पकृ्थवी के ऊपर एक परर ्बनाकर पकृ्थवी से उतसतज्षर ऊषमा को संग्हहर कर वारावरण का रापमान ्बढ़ारी हैं। इसी कारण इसे ग्ीन हाउस प्रभाव कहा जारा है।

    जलव्रु पररवरयान मे ं कृवष क्षेत् क् रोगि्न

    संयु्र राषट् की जिवायु पररवर्षन पर अरंरसरकारदी सलमतर (आईपीसीसी) की ररपोट्ष के अनुसार ववशव के कुि ग्ीन हाउस गैस उतसज्षन में ककृ वर क्षेत् का प्रतयक्ष योग्ान 12-13 प्रतरशर रहा है तजसमें ककृ वर आ्ानों की उतपा्न प्रकक्रया उतसज्षन जसेै- रासायतनक खा्, ककृ त्त्म कीटनाशक और ककृ वर व लसचंाई हेरु उपकरण तनमा्षण में उपयोग ककए जाने वािे जीवाशम ईंिन इसमें सतममलिर नहदीं हैं।

    जलव्रु पररवरयानः कृवष समसर्एं और सम्ध्न

    मौसम, जलव्रु एवं पररवरयान

    एक तनतशचर समय और सथान पर वारावरण की औसर तसथतर को मौसम के नाम से सं्बोधिर ककया जारा है, ज्बकक एक ववलशषट क्षेत् में प्रचलिर ् दीघ्षकािदीन औसर मौसम को उसी क्षेत् की जिवायु कहा जारा है। मौसम को रय करने वािे मानकों में वरा्ष, रापमान, हवा की गतर और ह्शा, नमी और सूय्षप्रकाश का प्रमुखरा से समावेश होरा है। मौसम को रय करने वािे मानकों में सथातनक और सामतयक लभननरा होने की वजह से मौसम एक गतरशीि संकलपना है। मौसम का ्ब्िाव ्बडी हदी आसानी से अनुभव ककया जारा है ्योंकक यह ्ब्िाव काफी जल्दी होरा है और सामानय जीवन को प्रभाववर कररा है। उ्ाहरण के रौर पर रापमान में अचानक हुई वकृर�। तजस प्रकार मौसम में तनतय पररवर्षन होरा है उसी प्रकार जिवायु में भी सरर ्ब्िाव की प्रकक्रया जारदी होरी है परंरु इसका अनुभव जीवन में नहदीं होरा ्योंकक यह ्ब्िाव ्बहुर हदी िीमा और कम पररमाणों में होरा है और सभी जीववर प�