Sapta Lok Sapta Chakra
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आननदधारा सपतलोक / सपतचक भ : भव: सव: मह: जन: तप: सतयम - मन इन सपत लोको म िवचरण करता ह । मन जब इन लोको स उपर उठता ह तभी अधयातम की वासतिवक कहानी/पिकया शर होती ह। पाय: सासािरक मन भ : [िलंग, मलाधार], भव: [गदा, सवािदषान] व सव: [नािभ, मिणपरक] इन लोको म ही भमण करता ह। मन को इन लोको स कमश: उपर उठना चािहय। क णडिलनी जागरण की पिकया कमश : मन को इन लोको स उपर उठाता ह । साधक की मन:िसिित इन लोकोकोभदकर उपर उठन की होनी चािहय। साि ही साि इन चको को िवजीत कर आग उपर उठना चािहय। साि ही साि मलाधार पर पणणिनयतं ण होनी चािहय , कारण क णडिलनी का िनवास यही ह।
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sapta lok and sapta chakra relation and how to overcome these lokas
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आननदधारा सपतलोक / सपतचक
भू: भूव: सव: मह: जन: तप: सतयम् - मन इन सपत लोको मे िवचरण करता है। मन जब इन लोको से उ पर उठता है तभी अधयातम की
वासतिवक कहानी/ पिकया शुर होती है। पाय: सासािरक मन भू: [िलं ग, मूलाधार], भूव: [गुदा, सवािदषान] व सव: [ना िभ, मिणपूरक] इन लोको मे
ही भमण करता है। मन को इन लोको से कमश: उपर उठना चािहये। कुणडिलनी जागरण की पिकया कमश : मन को इन लोको से उपर उठाता
है । साधक की मन: िसिित इन लोको को भेदकर उपर उठने की होनी चािहये। साि ही साि इन चको को िवजीत कर आगे उपर
उठना चािहये। साि ही साि मूलाधार पर पूणण िनयतंण होनी चािहये, कारण कुणडिलनी का िनवास यही है।