SadhanaMeinSafalata

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अनु�क्रम

प्रा�तः�स्मरणीय पू�ज्यपू�द सं�तः श्री आसं�र�मजी बा�पू� के� संत्सं�ग-प्रावचनसं�धन� म� संफलतः�

पू�. बा�पू� के� पू�वन सं�द�शहम धनुवानु हगे� या नुह�, चु�नुवा जी�तें�गे� या नुह� इसम� शं�का ह� सकातें� ह� परं�तें� भै�या ! हम मरं�गे� या नुह�,

इसम� का�ई शं�का ह�? विवामनु उड़नु� का समया विनुश्चि#तें ह�तें ह�, बस चुलनु� का समया विनुश्चि#तें ह�तें ह�, गेड़� छू' टनु� का समया विनुश्चि#तें ह�तें ह� परं�तें� इस जी�वानु का) गेड़� छू' टनु� का का�ई विनुश्चि#तें समया ह�?

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आजी तेंका आपनु� जीगेतें म� जी� का� छू जीनु ह�, जी� का� छू प्राप्तें विकाया ह�.... आजी का� बद जी� जीनु�गे� औरं प्राप्तें कारं�गे�, प्यारं� भै�या ! वाह सब म/त्या� का� एका ह� झटका� म� छू' ट जीया�गे, जीनु अनुजीनु ह� जीया�गे, प्राप्तिप्तें अप्राप्तिप्तें म� बदल जीया�गे�।

अतें5 सवाधनु ह� जीओ। अन्तेंम�8ख ह�कारं अपनु� अविवाचुल आत्म का�, विनुजीस्वारूप का� अगेध आनुन्द का�, शंश्वतें शं�वितें का� प्राप्तें कारं ल�। वि=रं तें� आप ह� अविवानुशं� आत्म ह�।

जीगे�.... उठो�.... अपनु� भै�तेंरं स�या� हुए विनु#याबल का� जीगेओ। सवा8द�शं, सवा8काल म� सवा@त्तम आत्मबल का� अर्जिजीCतें कारं�। आत्म म� अथाह समर्थ्यया8 ह�। अपनु� का� दFनु-ह�नु मनु ब�ठो� तें� विवाश्व म� ऐस� का�ई सत्त नुह� जी� तें�म्ह� ऊपरं उठो सका� । अपनु� आत्मस्वारूप म� प्रावितेंष्ठिKतें ह� गेया� तें� विLल�का) म� ऐस� का�ई हस्तें� नुह� जी� तें�म्ह� दब सका� ।सद स्मरंण रंह� विका इधरं-उधरं भैटकातें� वा/श्चित्तया का� सथा तें�म्हरं� शंक्तिO भै� विबखरंतें� रंहतें� ह�। अतें5 वा/श्चित्तया का� बहकाओ नुह�। तेंमम वा/श्चित्तया का� एकाविLतें कारंका� सधनु-काल म� आत्मक्तिचुन्तेंनु म� लगेओ औरं व्यवाहरं-काल म� जी� काया8 कारंतें� ह� उसम� लगेओ। दत्तक्तिचुत्त ह�कारं हरं का�ई काया8 कारं�। सद शंन्तें वा/श्चित्त धरंण कारंनु� का अभ्यास कारं�। विवाचुरंवान्तें एवा� प्रासन्न रंह�। जी�वामL का� अपनु स्वारूप समझ�। सबस� स्नु�ह रंख�। दिदल का� व्यपका रंख�। आत्मविनुK म� जीगे� हुए महप�रुषों का� सत्स�गे एवा� सत्सविहत्या स� जी�वानु का� भैक्तिO एवा� वा�दन्तें स� प�ष्ट एवा� प�लविकातें कारं�।

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम

निनव�दनइस प�स्तेंका म� सधनु म� आरूढ़ सधका का� क्तिलए आवाश्याका स'चुनुएZ एवा� मगे8दशं8नु दिदया गेया ह�। गे�तें का�

श्लो�का परं प'ज्याश्री� का) अनु�भैवा-स�पन्न सरंल वाण� का� सहजी प्रावाचुनु क्तिलविपबद्ध विकाए गेया� ह_। हतें�त्सह अथावा विबखरं� हुई सधनुवाल सधका भै� मगे8दशं8नु पकारं नुया उत्सह, नुया� प्रा�रंण औरं सहजी स�लभै सधनु औरं क्तिचुन्तेंनु-प्राणक्तिलका पकारं अपनु� परंमत्मद�वा का अनु�भैवा कारं सकातें ह� औरं जीनुसधरंण भै� इस प�स्तेंका स� अपनु� आध्यात्मित्मका प्यास जीगेकारं परंमत्म-प्राप्तिप्तें का� मगे8 परं चुल पड़� ऐस� सरंल भैषों म� स�तें का� प्रावाचुनु औरं मगे8दशं8नु प्रास्तें�तें विकाया� गेया� ह_।

विवाघ्नु औरं स�घषोंd स� भैरं हुआ अल्प जी�वानु शं�घ्र ह� जी�वानुदतें का� प सका� ऐस� मगे8दशं8नुवाल� प�स्तेंका जीनुतें जीनुद8नु का� कारंकामल तेंका पहुZचुनु� का� स�वा का स�अवासरं पकारं सष्ठिमवितें धन्यातें महस'स कारंतें� ह�।

सधका स� औरं जीनुतें-जीनुद8नु स� विवानु�वितें ह� विका अनु�भैवा-स�पन्न इस पवानु प्रासद का� अपनु� अन्या सधका बन्धु�ओं औरं ष्ठिमL तेंका पहुZचुकारं प�ण्या का� भैगे� बनु�।

याह प्राकाशंनु पढ़कारं स'क्ष्म मनुनु कारंनु� वाल� सधका अपनु� स�झवा सष्ठिमवितें का� भै�जीनु� का) का/ प कारं सकातें� ह_। श्री य"ग व�द�न्तः सं�व� संमिमनितः

अमद�व�द आश्रीमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनु�क्रम

अन&क्रमविनुवा�दनु.................................................................................................................................................2सधनु म� स=लतें...................................................................................................................................3सधनु का) नु�वा5 श्रीद्ध...............................................................................................................................7जी�स� भैवानु वा�स� क्तिसद्धिद्ध..........................................................................................................................14काम8 औरं ज्ञानु.......................................................................................................................................19ख�जी� अपनु� आपका�...............................................................................................................................27

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गे�तेंज्ञानु-सरिरंतें....................................................................................................................................29सच्ची� का/ प..........................................................................................................................................37घ�रं क्ल�शं म� भै� सत्पथा परं अविpगेतें............................................................................................................39कारुणक्तिसन्धु� का) कारुण...........................................................................................................................41सच्ची� लगेनु जीगेओ...............................................................................................................................55आत्म-प्राशं�स स� प�ण्यानुशं.........................................................................................................................57मस्तेंका-विवाक्रया......................................................................................................................................58शंरंणगेवितेंया�गे......................................................................................................................................60दFक्षाः5 जी�वानु का आवाश्याका अ�गे.................................................................................................................66सब रं�गे का) औषोंष्ठिध5 गे�रुभैक्तिO...................................................................................................................67गे�रु म� ईश्वरं-ब�द्धिद्ध ह�नु� का� उपया..................................................................................................................69आज्ञापलनु का) मविहम............................................................................................................................70क्तिशंवाजी� महरंजी का) गे�रुभैक्तिO...................................................................................................................71धम8 म� दृढ़तें का� स� ह� ?............................................................................................................................72आत्म-प'जीनु.........................................................................................................................................74क्तिचुन्तें वा ईर्ष्याया8 स� बचु�.............................................................................................................................76शं�लवानु नुरं�.......................................................................................................................................76विपटरं� म� विबलरं.....................................................................................................................................77.......तें� दिदल्ल� दूरं नुह�...........................................................................................................................78ध्यानु का� क्षाःण म�....................................................................................................................................79क्तिचुन्तेंनु-काश्चिणका....................................................................................................................................86

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

सं�धन� म� संफलतः�विवाषोंया स�ख का) ल�ल�पतें आत्मस�ख प्राकाट नुह� ह�नु� द�तें�। स�ख का) ललचु औरं दुः5ख का� भैया नु� अन्तें5कारंण

का� मक्तिलनु कारं दिदया। तें�व्र विवावा�का-वा�रंग्या ह�, अन्तें5कारंण का� सथा का तेंदत्म्या तें�ड़नु� का समर्थ्यया8 ह� तें� अपनु� विनुत्या, म�O, शं�द्ध, ब�द्ध, व्यपका चु�तेंन्या स्वारूप का ब�ध ह� जीया। वास्तेंवा म� हम ब�ध स्वारूप ह_ ल�विकानु शंरं�रं औरं अन्तें5कारंण का� सथा जी�ड़� ह_। उस भै'ल का� ष्ठिमटनु� का� क्तिलए, स�ख का) ललचु का� ष्ठिमटनु� का� क्तिलए, दुः5खिखया का� दुः5ख स� हृदया हरंभैरं ह�नु चुविहए। जी� या�गे म� आरूढ़ ह�नु चुहतें ह� उस� विनुर्ष्याकाम काम8 कारंनु चुविहए। विनुर्ष्याकाम काम8 कारंनु� परं वि=रं विनुतेंन्तें एकान्तें का) आवाश्याकातें ह�।

आरुरुक्षा�म&*न�य+ग� केम* के�रणीम&च्यतः�।य"ग�रूढस्य तःस्य0व शम� के�रणीम&च्यतः�।।

'या�गे म� आरूढ़ ह�नु� का) इच्छावाल� मनुनुशं�ल प�रुषों का� क्तिलए या�गे का) प्राप्तिप्तें म� विनुर्ष्याकाम भैवा स� काम8 कारंनु ह� ह�तें� काह जीतें ह� औरं या�गेरूढ़ ह� जीनु� परं उस या�गेरूढ़ प�रुषों का जी� सवा8 स�काल्प का अभैवा ह�, वाह� काल्याण म� ह�तें� काह जीतें ह�।'

(भगवद2 गतः�� 6.3)

एकान्तें म� शं�भै-अशं�भै सब स�काल्प का त्यागे कारंका� अपनु� सच्चिच्चीदनु�द परंमत्मस्वारूप म� च्चि}रं ह�नु चुविहए। घ�ड़� का� रंकाब म� प�रं pल दिदया तें� दूसरं प�रं भै� जीम�नु स� उठो ल�नु पड़तें ह�। ऐस� ह� स�ख का) ललचु ष्ठिमटनु� का� क्तिलए याथाया�ग्या विनुर्ष्याकाम काम8 कारंनु� का� बद विनुर्ष्याकाम कामd स� भै� समया बचुकारं एकान्तेंवास, लघ� भै�जीनु,

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द�खनु, स�नुनु आदिद इद्धिन्~या का� अल्प आहरं कारंतें� हुए सधका का� काठो�रं सधनु म� उत्सहप'वा8का स�लग्नु ह� जीनु चुविहए। का� छू मह�नु� ब�द कामरं� म� एकाका) रंहनु� स� धरंण तेंथा ध्यानु का) शंक्तिO बढ़ जीतें� ह�। आन्तेंरं आरंम, आन्तेंरं स�ख, आन्तेंरिरंका प्राकाट ह�नु� लगेतें ह�। धरंण ध्यानु म� परिरंणतें ह�तें� ह�।

जीब तेंका परंम पद का) प्राप्तिप्तें नु ह� तेंब तेंका ह� सधका ! ख'ब सवाधनु रंहनु। एका प्राकारं स� आपका� मनु� हुए ष्ठिमL, भैगेतें आपका� गेहरं� शंL� ह_। विकास� नु विकास� प्राकारं आपका� स�सरं म�, नुम-रूप का) सत्यातें म� घस�ट लतें� ह_। तें�म्हरं� स'क्ष्म वा/श्चित्त उनुका� परिरंचुया म� आनु� स� वि=रं }'ल ह�नु� लगेतें� ह� औरं तें�म्ह� ज्ञातें भै� नुह� ह�तें।

सवाधनु ! या� ष्ठिमL औरं भैगेतें भै� गेहरं� शंL� ह_। इनु स�सरिरंका व्यक्तिOया का� ष्ठिमलनु� जी�लनु� का� कारंण आपका� नुया� आध्यात्मित्मका स�स्कारं औरं ध्यानु का) एकाग्रतें ल�प्तें ह� जीया�गे�। काभै�-काभै� अपनु� मनु का) ब�वाका' =) सधनु-भैजीनु का� समया म� लपरंवाह� कारंनु� लगे�गे�। स�सरं� ल�गे स� ष्ठिमलनु-जी�लनु सधनुकाल म� बहुतें ह� अनुथा8कारं� ह�। द�नु विका विवाचुरंधरंएZ उत्तरं दश्चिक्षाःण ह_। स�सरं� व्यक्तिO बतेंचु�तें कारंनु� का शं�का)नु ह�तें ह�। नुश्वरं भै�गे-प्राप्तिप्तें उसका लक्ष्या ह�तें ह�। सधका का लक्ष्या शंश्वतें परंमत्म ह�तें ह�। स�सरं� व्यक्तिO का) बतेंचु�तें का =ल विकास� का� प्रावितें रंगे या द्वे�षों ह�तें ह�। स�सरिरंया का� सथा बतें� कारंनु� स� रंगे, द्वे�षों औरं जीगेतें का) सत्यातें दृढ़ ह�नु� लगेतें� ह�। स�सरं� व्यक्तिO द्धिजीह्वा का� अवितेंसरं स� प�विड़तें ह�तें ह�। गेपशंप, व्यथा8 का) बतें�, ब�-क्तिसरंप�रं का) बतें�, लम्ब� बतें�, बड़� बतें� या� सब उस� स�खद लगेतें� ह_। जीबविका सधका ष्ठिमतेंभैषों�, आध्यात्मित्मका विवाषोंया परं ह� प्रास�गे का� अनु�सरं ब�लनु�वाल ह�तें ह�। उस� स�सरं� बतें म� रूक्तिचु नुह� औरं सधनु-काल म� स�सरिरंका बतें म� उस� प�ड़ भै� ह�तें� ह� ल�विकानु नु�वितेंका भैवा स� प्राभैविवातें ह�कारं अपनु� आन्तेंरं प�कारं का� विवापरं�तें भै� वाह स�सरं का) हZ म� हZ कारंनु� लगे� अथावा उनुका� स�पका8 म� आकारं बलतें� स�सरं म� खिंखCचु जीया� तें� उसका) मह�नु का) काठो�रं सधनु का� द्वेरं प्राप्तें या�गेरूढ़तें क्षाः�ण ह�नु� लगेतें� ह�। द�नु का) क्तिचुन्तेंनु-विवाष्ठिध भै� परंस्परं श्चिभैन्न ह�तें� ह�। स�सरं� व्यक्तिO का) क्तिचुन्तेंनुधरं का विवाषोंया पत्नु�, स�तेंनु, धनु स�क्तिचुतें कारंनु� का उपया, ष्ठिमL औरं शंL�, रंगे-द्वे�षों ह�तें ह�। उसका लक्ष्या ऐद्धिन्~का स�ख का सधनु ह�तें ह�। उसका क्तिचुन्तेंनु बहुतें ह� तें�च्छा ह�तें ह�। सधका का क्तिचुन्तेंनु दिदव्य ह�तें ह�। 'स�काल्प-विवाकाल्प मनु म� उठोतें� ह_ उसस� परं� उसका� सक्षाः� ब्रह्मस्वारूप परंमत्म म� च्चि}वितें का� स� ह�?' आदिद का अथा8तें� परंमत्म-विवाश्रीप्तिन्तें विवाषोंयाका उसका क्तिचुन्तेंनु ह�तें ह�। स�सरं� व्यक्तिO सद स्वाथा8प'ण8 उद्दे�श्या स� काया8 कारंतें ह�, अह�कारं सजीनु� का� क्तिलए काया8 कारंतें ह� जीबविका सधका समग्र स�सरं का� अपनु स्वारूप समझकारं विनु5स्वाथा8 भैवा स�, अह�कारं विवासर्जिजीCतें कारंतें� हुए काया8 कारंतें ह�। स�सरं� व्यक्तिO का� पस जी� भैगे-समग्र� ह� उस� वाह बढ़नु चुहतें ह� औरं भैविवार्ष्याया म� भै� ऐद्धिन्~का स�ख का) स�व्यवा} रंखतें ह�। सधका सरं� ऐद्धिन्~का विवाषोंया व्यथा8 समझकारं इद्धिन्~यातें�तें, द�शंतें�तें, कालतें�तें, गे�णतें�तें, आत्मस�ख, परंमत्म-च्चि}वितें चुहतें ह�। स�सरं� व्यक्तिO जीदिटलतें, बहुलतें, रं�गे का� घरं द�ह औरं क्षाःणभै�गे�रं भै�गे औरं स�ख का) तें�च्छा ललचु म� मZpरंतें ह� जीबविका सधका सरंल व्यक्तिO ह�तें ह�। द�ह स� औरं तें�च्छा भै�गे स� परं आत्मस�ख का अश्चिभैलषों� ह�तें ह�। स�सरं� व्यक्तिO स�गेवितें ख�जीतें ह�, सधका सवा8था एकान्तें पस�द कारंतें ह�।

ह� सधका ! तेंथा काक्तिथातें ष्ठिमL स�, स�सरिरंका व्यक्तिOया स� अपनु� का� बचुकारं सद एकाका) रंहनु। याह तें�रं� सधनु का) परंम मZगे ह�।

स्वाम� रंमतें�था8 प्राथा8नु विकाया कारंतें� था�5"ह� प्राभै� ! म�झ� स�ख स� औरं ष्ठिमL स� बचुओ। दुः5ख स� औरं शंL�ओं स� म_ विनुपट ल'Zगे। स�ख औरं ष्ठिमL म�रं

समया वा शंक्तिO बरंबद कारं द�तें� ह_ औरं आसक्तिO प�द कारंतें� ह_। दुः5ख म� औरं शंL�ओं म� काभै� आसक्तिO नुह� ह�तें�।जीब-जीब सधका विगेरं� ह_ तें� तें�च्छा स�ख औरं ष्ठिमL का� द्वेरं ह� विगेरं� ह_।भै�या ! सवाधनु ! एकान्तेंवास विनुतेंन्तें आवाश्याका ह�। स'क्ष्मवितेंस'क्ष्म परंब्रह्म परंमत्म का� पनु� का� क्तिलए

एकान्तेंवास सधनु का) एका महनु� मZगे ह�, अविनुवाया8 आवाश्याकातें ह�। आप एका बरं एकान्तें का स�ख भैल� प्राकारं प्राप्तें कारं ल� तें� वि=रं आप उस पवानु एकान्तें का� विबनु नुह� रंह सकातें�।

द्धिजीन्हनु� अपनु� जी�वानु का म'ल्या नुह� जीनु, द्धिजीनुम� विवाषोंया वासनु का) प्राबलतें ह�तें� ह� वा� ह� विनुरं�का� शं बन्दरं का) तेंरंह एका pल स� दूसरं� pल, काभै� काशं� काभै� मथा�रं, काभै� pका�रं तें� काभै� रंम�श्वरं, काभै� गे�प्तेंकाशं� तें� काभै�

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गे�गे�L�, इधरं स� उधरं घ'मतें� रंहतें� ह_। उन्ह� पतें ह� नुह� चुलतें विका बविहरं�गे द�ड़-ध'प म� शंक्तिO औरं एकाग्रतें क्षाः�ण ह�तें� ह�।

उत्तरंकाशं�, वारंणस�, रंम�श्वरं औरं गे�गे, याम�नु, नुम8द, तेंप� का� तेंट परं पविवाL }नु का� इद8विगेद8 प्राका/ वितें का� स�रंम्या वातेंवारंण म�, अरंण्या म�, नुदF, सरं�वारं, सगेरंतेंट अथावा पहड़ म�, जीहZ प'वा8काल म� ऋविषों, म�विनु या स�तें विनुवास कारं चु�का� ह_ ऐस� पविवाL }नु का) मविहम का पतें स'क्ष्म सधनु कारंनु� वाल� सधका का� ह� चुल सकातें ह�। महप�रुषों का� आध्यात्मित्मका स्पन्दनुवाल� }नु सधका का� बहुतें सहया कारंतें� ह_। विहमलया औरं गे�गेतेंट जी�स� पवानु }नु म� का� छू मह�नु� रंहकारं अथावा अपनु� अनु'का' ल विकास� एकान्तें कामरं� म� ल�कास�पका8 रंविहतें ह�कारं अपनु� धरंण तेंथा ध्यानुशंक्तिO बढ़या� औरं बड़� सवाधनु�प'वा8का उस एकाग्रतें का स�रंक्षाःण कारं�। यादिद आप अपनु� रंक्षाः कारंनु� नुह� जीनुतें� तें� आपका म'ल्यावाण प्राण, चु�म्बका)या शंक्तिO, आपका) मनुक्तिसका शंक्तिO औरं प्राणशंक्तिO आपस� ष्ठिमलनु�वाल� ल�गे का� प्रावितें चुल� जीया�गे�। आपका� एका शंक्तिO-कावाचु बनु ल�नु चुविहए। जी� उन्नतें सधका ह, ज्ञानु-वा�रंग्या-भैक्तिO स� भैरं� दिदलवाल� ह, उनुका� सथा प्रावितेंदिदनु एका घण्ट ष्ठिमलनु-जी�लनु, विवाचुरं विवामशं8 कारंनु हविनुकारंका नुह� ह�। आपका� हृदया म� पतें चुल�गे विका विकानु व्यक्तिOया स� ष्ठिमलनु� जी�लनु� म� वा�रंग्या बढ़तें ह�, प्रासन्नतें, शंप्तिन्तें बढ़तें� ह� औरं विकानु ल�गे स� ष्ठिमलनु� म� आपका� आध्यात्मित्मका स�स्कारं वा शंप्तिन्तें क्षाः�ण ह�तें� ह�। स�सरं� आका�क्षाःओंवाल� ल�गे का� ब�चु अगेरं आनु ह� पड़� तें� म�नु का अवालम्बनु ल�नु, अपनु� सधनु का प्राभैवा छू� पनु औरं उनुका� ब�चु जीब ह� तें� द्धिजीह्वा तेंल' म� लगेया� रंखनु। इसस� तें�म्हरं� शंक्तिO क्षाः�ण ह�नु� स� बचु जीया�गे�। उनुका) बतें� काम स� काम स�नुनु, या�क्तिOप'वा8का उनुस� अपनु� का� बचु ल�नु।

काभै�-काभै� अपनु मनु भै� मनु�रंजी कारंका� हवाई विकाल� बZधनु� लगेतें ह�। सधनुकाल म� बड़� प्राचुरं-प्रासरं का औरं प्राक्तिसद्ध ह�नु� का, ल�का-काल्याण कारंनु� आदिद का तें'=नु मचुया कारंतें ह�। याह विनुतेंन्तें हविनुकातें8 ह�। उस समया परंमत्म का� सच्ची� हृदया स� प्यारं कारं�, प्राथा8नु कारं� विका5 "ह� प्राभै� ! अह�कारं बढ़नु� का) ष्ठिमर्थ्यया नुम रूप का) प्राक्तिसद्धिद्ध विवाषोंयाका तें�च्छा वासनुएZ म�झ� तें�मस� ष्ठिमलनु� म� बध कारं रंह� ह_। ह� नुथा ! ह� सवा8विनुयान्तें ! ह� जीगेदFश्वरं ! ह� अन्तेंया8म� ! म�रं� इस विनुम्नु प्राका/ वितें का� तें' अपनु� आपम� पवानु कारं द�। म_ तें�रं� सथा अश्चिभैन्न ह� जीऊZ । काह� या� तें�च्छा स�काल्प-विवाकाल्प प'रं� कारंनु� म� नुया प्रारंब्ध नु बनु जीया�, नुया� म�स�बतें� खड़� नु ह� जीया।"

इस प्राकारं शं�द्ध भैवा कारंका� विनु5स�काल्प, विनुश्चि#न्तेंमनु ह�कारं समष्ठिध} ह�इया�। स�काल्प का विवास्तेंरं नुह�, स�काल्प का) प'र्तितेंC नुह� ल�विकानु स�काल्प का) विनुवा/श्चित्त हमरं लक्ष्या ह�नु चुविहए। वाह दशं आनु� स� वास्तेंवा म� स�धरं-काया8 आपका� द्वेरं ह�नु� लगे�गे� औरं आपका� का�ई हविनु नुह� ह�गे�।

विनु5स�काल्प ब्रह्म ह�। स�काल्प का� प�छू� भैगेनु तें�च्छा जी�वा ह�नु ह�। जी�-जी� भैगे�रंथा काया8 हुए ह_ वा� विनु5स�काल्प अवा} म� पहुZचु� हुए महप�रुषों का� द्वेरं ह� हुए ह_। परंमत्म का) इस विवारंट स/ष्ठिष्ट म� हमरं मनु अपनु� काल्पनु स� स�धरंनु आदिद कारंनु� का जील ब�नुकारं हम� =Z सतें ह�। उस समया 'हरिरं5 ॐ तेंत्सतें� औरं सब गेपशंप...। आनुन्द�ऽहम�.... सवा@ऽहम�.... क्तिशंवारूप�ऽहम�.... काल्याण-स्वारूप�ऽहम�.... मयातें�तें�-गे�णतें�तें� शंन्तेंक्तिशंवास्वारूप�ऽहम�....' इस प्राकारं अपनु� क्तिशंवास्वारूप म�, शंन्तें स्वारूप म� मस्तें ह� जीनु चुविहए।

हतेंशं, विनुरंशं का� विवाचुरं का� महत्त्वा नुह� द�नु चुविहए। हजीरं बरं मनु�रंजी ह�नु� का), प�छू� हटनु� का) स�भैवानु ह� ल�विकानु हरं समया नुया उत्सह, सवा8शंक्तिOदया� प्राणवा का जीप, आत्मबल औरं परंमत्म-प्रा�म बढ़तें� रंहनु चुविहए।

बन्द कामरं� म� शं�द्ध भैवा स� अपनु� अन्तेंया8म� प्राभै� स�, इष्ट स�, गे�रु स� प्यारं कारंका� प्रा�रंण पतें� रंहनु चुविहए। ब्रह्मवा�त्त सत्प�रुषों का� जी�वानु-चुरिरंL औरं अनु�भैवा-वाचुनुवाल� ग्रन्थों का बरं-बरं अवाल�कानु कारंनु चुविहए। वास्तेंवा म� द�ख जीया� तें� परंमत्म-प्राप्तिप्तें कादिठोनु नुह� ह� ल�विकानु जीब मनु औरं मनु का) ब�नु� हुई जील म� =Z सतें� ह_ तें� कादिठोनु ह� जीतें ह�। मनु-ब�द्धिद्ध स� परं� अपनु� स'क्ष्म, शं�द्ध, 'म_' का� द�ख� तें� विनुतेंन्तें सरंल औरं सहजी सद�वा-प्राप्तें परंमत्म ष्ठिमल�गे। तें�म्ह� तें� वाह परंब्रह्म परंमत्म ह�, द्धिजीसस� सरं जीनु जीतें ह�।

ह� ज्ञानु स्वारूप द�वा ! तें' अपनु� मविहम म� जीगे। काब तेंका वि=सलहट का) ख�ल-का' द मचु रंख�गे? तें' जीहZ ह�, जी�स ह�, अपनु� आपम� प'ण8 परंम श्री�K ह�। अपनु� शं�द्ध, शंन्तें, श्री�K स्वारूप म� तेंन्मया रंह। छू�ट�-म�ट� व्यक्तिOया स�,

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परिरंच्चि}वितेंया स�, प्रावितेंका' लतेंओं स� प्राभैविवातें मतें ह�। बरं-बरं ॐकारं का गे��जीनु कारं औरं आत्मनु�द का� छूलकानु� द�। ॐ....ॐ.....ॐ.....

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम

सं�धन� के3 न4व� श्रीद्धा�स�सरं स� वा�रंग्या ह�नु दुःल8भै ह�। वा�रंग्या हुआ तें� काम8काण्p स� मनु उठोनु दुःल8भै ह�। काम8काण्p स� मनु उठो

गेया तें� उपसनु म� मनु लगेनु दुःल8भै ह�। मनु उपसनु म� लगे गेया तें� तेंत्त्वाज्ञानु� गे�रु ष्ठिमलनु दुःल8भै ह�। तेंत्त्वाज्ञानु� गे�रु ष्ठिमल भै� गेया� तें� उनुम� श्रीद्ध ह�नु औरं सद का� क्तिलए दिटकानु दुःल8भै ह�। गे�रु म� श्रीद्ध ह� गेई तें� भै� तेंत्त्वाज्ञानु म� प्रा�वितें ह�नु दुःल8भै ह�। तेंत्त्वाज्ञानु म� प्रा�वितें ह� जीया� ल�विकानु उसम� च्चि}वितें कारंनु दुःल8भै ह�। एका बरं च्चि}वितें ह� गेई तें� जी�वानु म� दुः5ख� ह�नु औरं वि=रं स� मतें का� गेभै8 म� उल्ट ह�कारं लटकानु औरं चु�रंस� का� चुक्कारं म� भैटकानु सद का� क्तिलए समप्तें ह� जीतें ह�।

तेंत्त्वाज्ञानु का� द्वेरं ब्रह्मकारं वा/श्चित्त बनुकारं आवारंण भै�गे कारंका� जी�वानुम�O पद म� पहुZचुनु ह� परंम प�रुषोंथा8 ह�। इस प�रुषोंथा8-भैवानु का प्राथाम स�पनु ह� श्रीद्ध।

तेंमस� श्रीद्धवाल सधका कादम-कादम परं =रिरंयाद कारंतें ह�। ऐस� सधका म� समप8ण नुह� ह�तें। हZ, समप8ण का) भ्रां�वितें ह� सकातें� ह�। वाह विवारं�ध कारं�गे। रंजीस� श्रीद्धवाल सधका विहलतें रंहतें ह�, भैगे जीतें ह�, विकानुरं� लगे जीतें ह�। सप्तित्वाका श्रीद्धवाल सधका विनुरंल ह�तें ह�। परंमत्म औरं गे�रु का) ओरं स� चुह� जी�स� कास�टF ह�, वाह धन्यावाद स�, अह�भैवा स� भैरंकारं उनुका� हरं विवाधनु का� म�गेलमया समझकारं हृदया स� स्वा�का/ वितें द�तें ह�।

प्राया5 रंजीस� औरं तेंमस� श्रीद्धवाल� ल�गे अष्ठिधका ह�तें� ह_। तेंमस� श्रीद्धवाल कादम-कादम परं इन्कारं कारं�गे, विवारं�ध कारं�गे, अपनु अह� नुह� छू�ड़�गे। वाह अपनु� श्रीद्ध�या का� सथा, अपनु� इष्ट का� सथा, सदगे�रु का� सथा विवाचुरं स� टकारंयागे। रंजीस� श्रीद्धवाल जीरं-स� परं�क्षाः हुई, था�ड़� स� का� छू pZट पड़� तें� वाह विकानुरं� ह� जीयागे, भैगे जीएगे। सत्त्वित्त्वाका श्रीद्धवाल विकास� भै� परिरंच्चि}वितें म� विpगे�गे नुह�, प्रावितेंविक्रया नुह� कारं�गे।

सधका म� सत्त्वित्त्वाका श्रीद्ध जीगे गेई तें� उसका मनु तेंत्त्वा-क्तिचुन्तेंनु म�, आत्म-विवाचुरं म� लगे जीतें ह�। अन्याथा तें� तेंत्त्वा�त्त सदगे�रु ष्ठिमलनु� का� बद भै� तेंत्त्वाज्ञानु म� मनु लगेनु कादिठोनु ह�। विकास� का� आत्म-सक्षाःत्कारं� गे�रु ष्ठिमल जीया� औरं उनुम� श्रीद्ध भै� ह� जीया� तें� याह जीरूरं� नुह� का) सब ल�गे आत्मज्ञानु का� तेंरं= चुल ह� पड़�गे�। रंजीस�-तेंमस� श्रीद्धवाल� ल�गे आत्मज्ञानु का� तेंरं= नुह� चुल सकातें�। वा� तें� अपनु� इच्छा का� अनु�सरं तेंत्त्वाज्ञानु� सदगे�रु स� लभै ल�नु चुह�गे�। इच्छा-विनुवा/श्चित्त का) ओरं स� प्रावा/त्त नुह� ह� सकातें�। जी� वास्तेंविवाका लभै तेंत्त्वाज्ञानु� सदगे�रु उन्ह� द�नु चुहतें� ह_ उसस� वा� वा�क्तिचुतें रंह जीतें� ह_।

सत्त्वित्त्वाका श्रीद्धवाल� सधका का� ह� तेंत्त्वाज्ञानु का अष्ठिधकारं� मनु गेया ह� औरं का� वाल याह� तेंत्त्वाज्ञानु ह�नु� पया8न्तें सदगे�रु म� अचुल श्रीद्ध रंख सकातें ह�। वाह प्रावितेंका' लतें स� भैगेतें नुह� औरं प्राल�भैनु म� =Z सतें नुह�। स�दFपका नु� ऐस� श्रीद्ध रंख� था�। सदगे�रु नु� काड़� कास�दिटयाZ का), उस� दूरं कारंनु चुह ल�विकानु वाह गे�रुस�वा स� विवाम�ख नुह� हुआ। गे�रु नु� का�ढ़F का रूप धरंण विकाया, स�वा का� द�रंनु काई बरं स�दFपका का� प�टतें� था� वि=रं भै� का�ई क्तिशंकायातें नुह�। का�ढ़F शंरं�रं स� विनुकालनु� वाल गेन्द ख'नु, प�वा, मवाद, बदब' आदिद का� बवाजी'द भै� गे�रुद�वा का� शंरं�रं का) स�वा-स�श्री�षों स� स�दFपका काभै� ऊबतें नुह� था। भैगेवानु विवार्ष्याण� औरं भैगेवानु शं�कारं आया�, उस� वारंदनु द�नु चुह ल�विकानु अनुन्या विनुKवाल� स�दFपका नु� वारंदनु नुह� क्तिलया।

विवावा�कानुन्द ह�कारं विवाश्वविवाख्यातें बनुनु� वाल� नुरं�न्~ का� जीब सप्तित्वाका श्रीद्ध रंहतें� तेंब रंमका/ र्ष्याणद�वा का� प्रावितें अह�भैवा बनु रंहतें ह�। जीब रंजीस� श्रीद्ध ह�तें� तेंब वा� भै� विहल जीतें�। उनुका� जी�वानु म� छू5 बरं ऐस� प्रास�गे आया� था�।

पहल� तें� आत्मज्ञानु� सदगे�रु ष्ठिमलनु अवितें दुःल8भै ह�। वा� ष्ठिमल भै� जीया� तें� उनुका� प्रावितें हमरं� सत्त्वित्त्वाका श्रीद्ध विनुरंन्तेंरं बनु� रंहनु कादिठोनु ह�। हमरं� श्रीद्ध रंजी�-तेंम�गे�ण स� प्राभैविवातें ह�तें� रंहतें� ह�। इसक्तिलए सधका काभै� विहल जीतें ह� औरं काभै� विवारं�ध भै� कारंनु� लगेतें ह�। अतें5 जी�वानु म� सत्त्वागे�ण बढ़नु चुविहए।

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आहरं का) शं�द्धिद्ध स�, क्तिचुन्तेंनु का) शं�द्धिद्ध स� सत्त्वागे�ण का) रंक्षाः का) जीतें� ह�। अशं�द्ध आहरं, अशं�द्ध विवाचुरं� वाल� व्यक्तिOया का� स�गे स� बचुनु चुविहए।

अपनु� जी�वानु का� प्रावितें लपरंवाह� रंखनु� स� श्रीद्ध का घटनु, बढ़नु, ट'टनु-=' टनु ह�तें रंहतें ह�। =लतें5 सधका का� सध्या तेंका पहुZचुनु� म� वाषोंd लगे जीतें� ह_। जी�वानु प'रं ह� जीतें ह� वि=रं भै� आत्मसक्षाःत्कारं नुह� ह�तें। सधका अगेरं प'रं� सवाधनु� का� सथा छू5 मह�नु ठो�का प्राकारं स� सधनु कारं� तें� स�सरं औरं स�सरं का) वास्तें�एZ आकार्तिषोंCतें ह�नु� लगेतें� ह_। स'क्ष्म जीगेतें का) का�� द्धिजीयाZ हथा लगे जीतें� ह_। विनुरंन्तेंरं सप्तित्वाका श्रीद्धया�O सधनु स� सधका बहुतें ऊपरं उठो जीतें ह�। रंजी�-तेंम�गे�ण स� बचुकारं, सत्त्वागे�ण का� प्राधन्या स� सधका तेंत्त्वाज्ञानु� सदगे�रु का� ज्ञानु म� प्रावा�शं प ल�तें ह�। वि=रं तेंत्त्वाज्ञानु का अभ्यास कारंनु� म� परिरंश्रीम नुह� पड़तें। अभ्यास सत्त्वागे�ण बढ़नु� का� क्तिलए, श्रीद्ध का� सप्तित्वाका श्रीद्ध च्चि}रं ह� गेई तें� तेंत्त्वाविवाचुरं अपनु� आप उत्पन्न ह�तें ह�। ऐस� च्चि}वितें प्राप्तें कारंनु� का� क्तिलए सधका का� सधनु म� तेंत्परं रंहनु चुविहए, सत्त्वित्त्वाका श्रीद्ध का) स�रंक्षाः म� सतेंका8 रंहनु चुविहए। इष्ट म�, भैगेवानु म�, सदगे�रु म� सत्त्वित्त्वाका श्रीद्ध बनु� रंह�।

तेंत्त्वाज्ञानु तें� काइया का� ष्ठिमल जीतें ह� ल�विकानु वा� तेंत्त्वाज्ञानु म� च्चि}वितें नुह� कारंतें�। च्चि}वितें कारंनु चुहतें� ह_ तें� ब्रह्मकारंवा/श्चित्त उत्पन्न कारंनु� का) खबरं नुह� रंखतें�। बदिढ़या उपसनु विकाए विबनु भै� विकास� का� सदगे�रु का) का/ प स� जील्दF तेंत्त्वाज्ञानु ह� जीया� तें� भै� विवाक्षाः�प रंह�गे। मनु�रंजी ह� जीनु� का) स�भैवानु ह�। उच्ची का�दिट का� सधका आत्म-सक्षाःत्कारं का� बद भै� ब्रह्मभ्यास म� सवाधनु� स� लगे� रंहतें� ह_। सक्षाःत्कारं का� बद ब्रह्मनुन्द म� लगे� रंहनु याह सक्षाःत्कारं का) शं�भै ह�। द्धिजीनु महप�रुषों का� परंमत्म का सक्षाःत्कारं ह� जीतें ह�, वा� भै� ध्यानु-भैजीनु, शं�द्धिद्ध-सत्त्वित्त्वाकातें का ख्याल रंखतें� ह_। हम ल�गे अगेरं लपरंवाह� कारं द� तें� अपनु� प�ण्या औरं सधनु का� प्राभैवा का नुशं ह� कारंतें� ह_।

जी�वानु म� द्धिजीतेंनु उत्सह ह�गे, सधनु म� द्धिजीतेंनु� सतेंका8 तें ह�गे�, स�याम म� द्धिजीतेंनु� तेंत्परंतें ह�गे�, जी�वानुदतें का म'ल्या द्धिजीतेंनु अष्ठिधका समझ�गे� उतेंनु� हमरं� आ�तेंरंयाL उच्ची का�दिट का) ह�गे�। ब्रह्मकारंवा/श्चित्त उत्पन्न ह�नु भै� ईश्वरं का) परंम का/ प ह�। सत्त्वित्त्वाका श्रीद्ध ह�गे�, ईमनुदरं� स� अपनु अह� परंमत्म म� समर्तिपCतें ह� सका� गे तेंभै� याह काया8 स�पन्न ह� सकातें ह�। तें�लस�दसजी� काहतें� ह_-

य� फल सं�धन तः� न हो"ई......।ब्रह्मज्ञानुरूप� =ल सधनु स� प्राकाट नु ह�गे। सधनु कारंतें�-कारंतें� सत्त्वित्त्वाका श्रीद्ध तें�यारं ह�तें� ह�। सत्त्वित्त्वाका

श्रीद्ध ह� अपनु� इष्ट म�, तेंत्त्वा म� अपनु� आपका� अर्तिपCतें कारंनु� का� तें�यारं ह� जीतें� ह�। जी�स� ल�ह अखिग्नु का) प्राशं�स तें� कारं�, अखिग्नु का� नुमस्कारं तें� कारं� ल�विकानु जीब तेंका वाह अखिग्नु म� प्रावा�शं नुह� कारंतें, अपनु� आपका� अखिग्नु म� समर्तिपCतें नुह� कारं द�तें तेंब तेंका अखिग्नुमया नुह� ह� सकातें। ल�ह अखिग्नु म� प्राविवाष्ट ह� जीतें ह� तें� स्वाया� अखिग्नु बनु जीतें ह�। उसका) रंगे-रंगे म� अखिग्नु व्यप्तें ह� जीतें� ह�। ऐस� ह� सधका जीब तेंका ब्रह्मस्वारूप म� अपनु� आपका� अर्तिपCतें नुह� कारंतें तेंब तेंका भैल� ब्रह्म परंमत्म का� गे�णनु�वाद कारंतें रंह�, ब्रह्मवा�त्त सदगे�रु का गे�तें गेतें रंह�, इसस� लभै तें� ह�गे, ल�विकानु ब्रह्मस्वारूप, गे�रुमया, भैगेवादमया ईश्वरं नुह� बनु पतें। जीब अपनु� आपका� ईश्वरं म�, ब्रह्म म�, सदगे�रु म� अर्तिपCतें कारं द�तें ह� तें� प'ण8 ब्रह्मस्वारूप ह� जीतें ह�।

'ईश्वरं' औरं 'गे�रु' या� शंब्द ह� ह_ ल�विकानु तेंत्त्वा एका ह� ह�।ईश्वर" ग&रुर�त्म�नितः म�र्तितः: भ�द� निवभ�निगन"�।

आका/ वितेंयाZ द� दिदखतें� ह_ ल�विकानु वास्तेंवा म� तेंत्त्वा एका ह� ह�। गे�रु का� हृदया म� जी� चु�तेंन्या प्राकाट हुआ ह� वाह ईश्वरं म� चुमका रंह ह�। ईश्वरं भै� यादिद भैO का काल्याण कारंनु चुह� तें� सदगे�रु का� रूप म� आकारं परंम तेंत्त्वा का उपद�शं द�गे�। ईश्वरं स�सरं का आशं�वा8द ऐस� ह� द�गे� ल�विकानु भैO का� परंम काल्याण रूप आत्म-सक्षाःत्कारं कारंनु ह�गे तें� ईश्वरं का� भै� आचुया8 का) गेद्देF परं आनु पड़�गे। जी�स� श्री�का/ र्ष्याण नु� अजी�8नु का� उपद�शं दिदया श्री�रंमजी� नु� हनु�मनुजी� का� उप�द�शं दिदया।

सधका ध्यानु-भैजीनु-सधनु कारंतें� ह_। भैजीनु का) तें�व्रतें स� भैवा मजीब'तें ह� जीतें ह�। भैवा का� बल स� भैवा का� अनु�सरं स�सरं म� चुमत्कारं भै� कारं ल�तें� ह_ ल�विकानु भैवा सधनु का) परंकाK नुह� ह�, क्याविका भैवा बदलतें� रंहतें� ह_। सधनु का) परंकाK ह� ब्रह्मकारंवा/श्चित्त उत्पन्न कारंका� आत्मसक्षाःत्कारं कारंनु।

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सधनु-भैजीनु-ध्यानु म� उत्सह, जीगेतें म� नुश्वरंब�द्धिद्ध औरं उच्चीतेंम लक्ष्या का) हम�शं स्म/वितें, या� तें�नु बतें� सधका का� महनु� बनु द�तें� ह_। ऊZ चु� लक्ष्या का पतें नुह� तें� विवाकास का� स� ह�गे? ब्रह्मकारंवा/श्चित्त उत्पन्न कारंका� आवारंण भै�गे कारंनु, आत्म-सक्षाःत्कारं कारंका� जी�वानुम�O ह�नु, याह लक्ष्या यादिद जी�वानु म� नुह� ह�गे तें� सधनु का) छू�टF-म�टF पद्धवितेंया म�, छू�ट�-म�ट� सधनु का� चु�टका� ल� म� रुका रंह जीया�गे। का�ल्हू का� ब�ल का) तेंरंह वाह� घ'मतें�-घ'मतें� जी�वानु प'रं कारं द�गे।

अगेरं सवाधनु� स� छू5 मह�नु� तेंका ठो�का ढं�गे स� उपसनु कारं�, तेंत्त्वाज्ञानु� सदगे�रु का� ज्ञानु का� विवाचुरं� तें� उसस� अदभै�तें लभै ह�नु� लगेतें ह�। लबयानु ऊZ चुई का� समर्थ्यया8 का अनु�भैवा कारंनु� लगेतें ह�। स�सरं का आकाषों8ण ट'टनु� लगेतें ह�। उसका� क्तिचुत्त म� विवाश्रीप्तिन्तें आनु� लगेतें� ह�। स�सरं का� पदथा8 उसस� आकार्तिषोंCतें ह�नु� लगेतें� ह_। वि=रं उस� रं�जी�-रं�टF का� क्तिलए, सगे�-सम्बन्धु�, परिरंवारं-समजी का� रिरंझनु� का� क्तिलए नुका रंगेड़नु नुह� पड़तें। वा� ल�गे ऐस� ह� रं�झनु� का� तें�यारं रंह�गे�। का� वाल छू5 मह�नु� का) सवाधनु� प'वा8का सधनु..... सरं� द्धिजीन्दगे� का) मजीदूरं� स� जी� नुह� पया वाह छू5 मह�नु� म� प ल�गे। ल�विकानु सच्ची� सधका का� क्तिलए तें� वाह भै� तें�च्छा ह� जीतें ह�। उसका लक्ष्या ह� ऊZ चु� स� ऊZ चु सध्या प ल�नु, आत्म-सक्षाःत्कारं कारं ल�नु।

प्राह्लाद का� विपतें नु� प्राह्लाद का� भैजीनु कारंनु� स� रं�का था। ल�विकानु प्राह्लाद का) प्रा�वितें-भैO भैगेवानु म� दृढ़ ह� चु�का) था�। प्रारंम्भ स� ह� उसनु� सत्स�गे स�नु था। जीब वाह मZ कायाध' का� गेभै8 म� था तेंब कायाध' नुरंदजी� का� आश्रीम म� रंह� था�। मZ तें� सत्स�गे स�नुतें� झपविकायाZ ल� ल�तें� था� ल�विकानु गेभै8} क्तिशंशं� का� मनुस परं सत्स�गे का� स�स्कारं ठो�का स� अ�विकातें ह�तें� था�।

प्राह्लाद ग्यारंह वाषों8 का हुआ तें� उसका� विपतें विहरंण्याकाक्तिशंप� नु� उसका� क्तिसपविहया का� सथा गेश्तें कारंनु� का� रंख। एका रंतें का� प्राह्लाद नु� द�ख विका दूरं काह� आगे का) ज्वालएZ विनुकाल रंह� ह_, ध�आZ उठो रंह ह�। नुजीदFका जीकारं द�ख तें� का� म्हरं का� मटका� पकानु� का� विनुभैड़� म� आगे लगेई था�। का� म्हरं वाहZ खड़ हथा जी�ड़ कारं प्राथा8नु कारं रंह था5

"ह� प्राभै� ! अब म�रं� हथा का) बतें नुह� रंह� औरं तें' चुह� तें� तें�रं� क्तिलए का� छू कादिठोनु नुह�। ह� भैगेवानु ! तें' दया कारं। म_ तें� नुदनु हूZ ल�विकानु तें' उदरं ह�। ह� का/ पक्तिसन्धु� ! तें' म�रं� भै'ल स�धरं द�। म_ जी�स तें�स हूZ ल�विकानु तें�रं हूZ। तें' रंहम कारं। तें�रं� दया स� सब का� छू ह� सकातें ह�। तें' उनु विनुद@षों बच्ची का� बचु ल� नुथा !"

का� म्हरं बरं-बरं प्राणम कारं रंह ह�। आZख म� आZस' सरंका रंह� ह_। वाह� प्राथा8नु का� शंब्द दुःहरंया� जी रंह ह� औरं विनुभैड़� का) आगे जी�रं पकाड़ रंह� ह�। प्राह्लाद उसका� पस गेया औरं प'छू5

प्राश्नः5 क्या बतें ह�? क्या ब�ल रंह ह�? का� . "का� मरं ! हमनु� मटका� बनुया� औरं आगे म� पकानु� का� क्तिलए जीमकारं रंख� था�। उनु काच्ची� मटका म� विबल्ल� नु�

बच्ची� द� रंख� था�। हमनु� स�चु था विका आगे लगेनु� का� पहल� उन्ह� विनुकाल ल�गे�। ल�विकानु भै'ल गेया�। विनुभैड़� का� ब�चु म� बच्ची� रंह गेया� औरं आगे लगे चु�का) ह�। अब याद आया विका अरं� ! नुन्ह�-म�न्न� मस'म बच्ची� जील-भै�नुकारं मरं जीया�गे�। अब हमरं� हथा का) बतें नुह� रंह�। चुरं औरं आगे लपट� ल� रंह� ह�। प्राभै� अगेरं चुह� तें� हमरं� गेलतें� स�धरं सकातें ह�। बच्ची का� बचु सकातें ह�।"

प्राश्नः5 "याह क्या पगेलपनु का) बतें ह�? ऐस� आगे का� ब�चु बच्ची� बचु सकातें� ह_?"का� .- "हZ या�वारंजी ! परंमत्म सब का� छू कारं सकातें ह�। वाह कातें�� अकातें�� अन्याथा कातें�� समथा85 ह�। वाह� तें� छू�ट�-

स� ब�जी म� स� विवाशंल वा/क्षाः बनु द�तें ह�। पनु� का) ब'Zद म� स� रंजी-महरंजी खड़ कारं द�तें ह�। वाह� पनु� का) ब'Zद मनु�र्ष्याया बनुकारं रं�तें� ह�, अच्छा-ब�रं, अपनु-परंया बनुतें� ह�। जी�वानुभैरं म�रं-तें�रं कारंतें� ह� औरं आखिखरं म� म�ट्ठीFभैरं रंख का ढं�रं छू�ड़कारं भैगे जीतें� ह�। याह क्या ईश्वरं का) ल�ल का परिरंचुया नुह� ह�? सम�~ म� बड़वानुल जीलतें� ह� वाह पनु� स� ब�झतें� नुह� औरं प�ट म� जीठोरंखिग्नु रंहतें� ह� वाह शंरं�रं का� जीलतें� नुह�। गेया रूख-स'ख घस खतें� ह� औरं स=� द म�ठो दूध प�तें ह� तें� जीहरं बनुतें ह�। मZ रं�टF खतें� ह� तें� दूध बनुतें� ह�। बच्ची बड़ ह� जीतें ह� तें� दूध अपनु� आप बन्द ह� जीतें ह�। परंमत्म का) ल�ल अपरं�परं ह�। वाह विबल्ल� का� बच्ची का� भै� बचु सकातें ह�।"

प्रा.- "विबल्ल� का� बच्ची� का� स� बचुतें� ह_ याह म�झ� द�खनु ह�। मटका� पका जीया� औरं तें�म विनुभैड़ जीब ख�ल� तेंब म�झ� ब�लनु।"

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का� .- "हZ महरंजी ! आप स�बह म� आनु। आप आया�गे� बद म� म_ विनुभैड़ ख�ल'Zगे।"स�बह म� प्राह्लाद पहुZचु गेया। का� म्हरं नु� था�ड़ स अन्तेंम�8ख ह�कारं भैगेवानु का स्मरंण कारंतें� हुए चुरं ओरं स�

गेरंम-गेरंम मटका� हटया� तें� ब�चु का� चुरं मटका� काच्ची� रंह गेया� था�। उनुका� विहलया तें� विबल्ल� का� बच्ची� 'म्याऊZ म्याऊZ ' कारंतें� छूल�गे मरंकारं बहरं विनुकाल आया�।

प्राह्लाद का� क्तिचुत्त म� सत्स�गे का� स�स्कारं स�षों�प्तें पड़� था� वा� जीगे आया�, भैगेवानु का) स्म/वितें ह� आया� औरं लगे विका सरं वाह� ह�। स�सरं स� वा�रंग्या ह� गेया औरं भैजीनु म� मनु लगे गेया।

प्राह्लाद भैगेवानु का� रंस्तें� चुल पड़ तें� घ�रं विवारं�ध हुआ। एका अस�रं बलका विवार्ष्याण�जी� का) भैक्तिO कारं�, द�वा का� शंL� विहरंण्याकाक्तिशंप� याह का� स� सह सकातें ह�? वि=रं भै� प्राह्लाद दृढ़तें स� भैजीनु कारंतें रंह। विपतें नु� उस� pZट, =टकारं, जील्लद स� pरंया, पवा8तें स� विगेरंवाया, सगेरं म� p�बवाया ल�विकानु प्राह्लाद का) श्रीद्ध नुह� ट'टF।

पहल� तें� ईश्वरं म� सच्ची� श्रीद्ध ह�नु कादिठोनु ह�। श्रीद्ध का� जीया ल�विकानु दिटकानु कादिठोनु ह�। श्रीद्ध दिटका भै� जीया� वि=रं भै� तेंत्त्वाज्ञानु ह�नु कादिठोनु ह�।

विहरंण्याकाक्तिशंप� नु� प्राह्लाद का� मरंनु� का� क्तिलए काई प्रायास विकाया�। प्राह्लाद नु� स�चु5 'द्धिजीस हरिरं नु� विबल्ल� का� बच्ची का� बचुया तें� क्या म_ उसका बच्ची नुह� हूZ? वाह म�झ� भै� बचुएगे।' प्राह्लाद भैगेवानु का� शंरंण ह� गेया। विपतें नु� पवा8तें स� विगेरंवाया तें� मरं नुह�, सगेरं म� फिं=Cकावाया तें� p'ब नुह�। आखिखरं ल�ह� का� स्तें�भै का� तेंपवाकारं विपतें ब�ल5

"तें' काहतें ह� विका म�रं भैगेवानु सवा8L ह�, सवा8 समथा8 ह�। अगेरं ऐस ह� तें� वाह इस स्तें�भै म� भै� ह�, तें� तें' उसका आलिंलCगेनु कारं। वाह सवा8 समथा8 ह� तें� याहZ भै� प्राकाट ह� सकातें ह�।"

प्राह्लाद नु� तें�व्र भैवानु कारंका� ल�ह� का� तेंप� हुए स्तें�भै का� आलिंलCगेनु विकाया तें� वाहZ भैगेवानु का नु/लिंसCहवातेंरं प्राकाट हुआ।

जीब भै�गे का बहुल्या ह� जीतें ह�, जीब दुःष्ट का� जी�रं जी�ल्म बढ़ जीतें� ह_ तेंब भैगेवानु का� चुह� काह� स� विकास� भै� रूप म� प्राकाट ह�नु� का� समथा8 ह_।

नु/लिंसCह का� रूप म� भैगेवानु प्राकाट हुए। विहरंण्याकाक्तिशंप� का वाध कारंका� स्वाधम पहुZचुया, प्राह्लाद का� रंज्या दिदया औरं भैगेवानु अन्तेंध्या8नु ह� गेया�।

प्राह्लाद नु� भैगेवानु का� दशं8नु तें� विकाए ल�विकानु भैगेवात्तत्वा का सक्षाःत्कारं अभै� नुह� हुआ। भैगेवानु का तेंत्त्वित्त्वाका स्वारूप जीनुनु कादिठोनु ह�।

का� छू समया ब�तें। अस�रं का� आचुया8 नु� प्राह्लाद का� भैरंमया। ब�ल�5"प्राह्लाद ! विवार्ष्याण� नु� तें�म्हरं� विपतें का� मरं pल। तें�मनु� उनुका) शंरंण मZगे� था�, रंक्षाःण का) प्राथा8नु का) था� ल�विकानु

ऐस काह था विका म�रं� विपतें का� मरं pल�?""नुह�, म_नु� विपतें का� मरंनु� का� तें� नुह� काह था।""तें�मनु� काह नुह� वि=रं क्या मरं? तें�म परं विवार्ष्याण� का) प्रा�वितें था� तें� विपतें का) ब�द्धिद्ध स�धरं द�तें�। उनुका) हत्या

क्या का)?"विवार्ष्याण� भैगेवानु म� प्राह्लाद का) दृढ़ श्रीद्ध तें� था� ल�विकानु श्रीद्ध का� विहलनु�वाल� ल�गे ष्ठिमल जीतें� ह_ तें� श्रीद्ध

'छू' ....' ह� जीतें� ह�। ऐस� श्रीद्ध विहलनु� वाल� काई ल�गे सधका का� जी�वानु म� आतें� रंहतें� ह_। ऐस� श्रीद्ध विहलनु� वाल� काई ल�गे सधका का� जी�वानु म� आतें� रंहतें� ह_। सधनु म�, गे�रुमन्L म�, ईश्वरं म�, सदगे�रु म�, सत्स�गे म� श्रीद्ध विहलनु�वाल का�ई नु का�ई तें� ष्ठिमल ह� जीया�गे। बहरं स� का�ई नुह� ष्ठिमल�गे तें� हमरं मनु ह� तेंका8 -विवातेंका8 कारंका� विवारं�ध कारं�गे, श्रीद्ध का� विहलया�गे। इस�क्तिलए श्रीद्ध सद दिटकानु� कादिठोनु ह�।

अस�रंगे�रु शं�क्रचुया8 नु� प्राह्लाद का) श्रीद्ध का� विहल दिदया। शं�क्रचुया8 तेंत्त्वाज्ञानु� नुह� ह_, स�जी�वानु� विवाद्या जीनुतें� ह_। अस�रं परं उनुका प'रं प्राभैवा ह�। ल�विकानु ब्रह्मज्ञानु का� क्तिसवाया का प्राभैवा विकास काम का? वाह प्राभैवा तें� चु�रंस� लख या�विनुया का) यातेंनुओं का� प्रावितें ह� ख�चु ल� जीयागे।

शं�क्रचुया8 प्राह्लाद का� काहतें� ह_- विवार्ष्याण� नु� तें�म्हरं� बप का� मरं pल वि=रं भै� तें�म उनुका� प'जीतें� ह�? का� स� म'ख8 ह� ! इतेंनु� अन्धुश्रीद्ध?

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विकास� श्रीद्धल� का� का�ई ब�ल� विका 'ऐस� तें�म्हरं� अन्धुश्रीद्ध !' तें� वाह बचुवा तें� कारं�गे विका म�रं� अन्धुश्रीद्ध नुह� ह�, सच्ची� श्रीद्ध ह� ल�विकानु विवारं�ध� का काथानु उसका) श्रीद्ध का� झकाझ�रं द�गे। शंब्द द�रं-सब�रं क्तिचुत्त परं असरं कारंतें� ह� ह_ इस�क्तिलए 'गे�रुगे�तें' म� भैगेवानु शं�कारं नु� रंक्षाः का कावाचु =रंमया विका5

ग&रुनिनन्द�केर� दृष्टव� ध�वय�दथ व�संय�तः2।स्था�न� व� तःत्पूरिरत्य�ज्य� जिजीह्वा�च्छे�द�क्षाम" यदिद।।

'गे�रु का) विनुन्द कारंनु� वाल� द�खकारं यादिद उसका) द्धिजीह्वा काट pलनु� म� समथा8 नु ह� तें� उस� अपनु� }नु स� भैगे द�नु चुविहए। यादिद वाह ठोहरं� तें� स्वाया� उस }नु का त्यागे कारं द�नु चुविहए।'

शं�क्रचुया8 नु� प्राह्लाद म� भैगेवानु विवार्ष्याण� का� प्रावितें वा�रंभैवा का� स�स्कारं भैरं दिदया�। प्राह्लाद आ गेया उनुका� प्राभैवा म�। काहनु� लगे5 "आप काह� तें� विवार्ष्याण� स� बदल ल'Z।"

भैगेवानु विवार्ष्याण� का विवारं�ध कारंतें हुआ प्राह्लाद स�नु का� स�सज्जा कारं का� आदिद नुरंयाण का आवाहनु कारं रंह ह�5 "आ जीओ। तें�म्हरं� खबरं ल�गे�।"

भैगेवानु भैO का अह�कारं औरं पतेंनु नुह� सह सकातें�। दयाल� श्री�हरिरं नु� ब'ढ़� ब्रह्मण का रूप धरंण विकाया। हथा म� लकाड़�, झ�का) कामरं, का/ शं काया, श्व�तें वास्Lदिद स� या�O ब्रह्मण का� रूप म� प्राह्लालद का� रंजीदरंबरं म� जीनु� लगे�। द्वेरं परं पहुZचु� तें� दरंबनु नु� काह5

"ह� ब्रह्मण ! प्राह्लाद या�द्ध का) तें�यारं� म� ह_। या�द्ध का� समया सध�-ब्रह्मण का दशं8नु ठो�का नुह� मनु जीतें।"ब्रह्मण वा�शंधरं� प्राभै� नु� काह5 "म_नु� स�नु ह� विका प्राह्लाद सध� ब्रह्मण का ख'ब आदरं कारंतें� ह_ औरं तें' म�झ� जीनु�

स� रं�का रंह ह�?"दरंबनु का� काह5 "प्राह्लाद पहल� जी�स� नुह� ह_। अब सवाधनु ह� गेया� ह_। शं�क्रचुया8 नु� उनुका� समझ दिदया ह�।

अब तें� भैगेवानु विवार्ष्याण� स� बदल ल�नु� का) तें�यारं� म� ह_। सध�-ब्रह्मण का आदरं कारंनु� वाल� प्राह्लाद वा� नुह� रंह�। ह� ब्रह्मण ! तें�म चुल� जीओ।"

"भैई ! का� छू भै� ह�, म_ अब प्राह्लाद स� ष्ठिमलकारं ह� जीऊZ गे। तें' नुह� जीनु� द�गे तें� म_ याह� प्राण त्यागे दूZगे। तें�मका� ब्रह्महत्या लगे�गे�।"

इस प्राकारं द्वेरंपल का� समझ-ब�झकारं भैगेवानु प्राह्लाद का� समक्षाः पहुZचु�। अश्चिभैवादनु कारंतें� हुए ब्रह्मण वा�शंधरं� प्राभै� नु� काह5

"प्राह्लाद ! तें�रं काल्याण ह�। स�नु ह� अपनु� विपतें/हन्तें विवार्ष्याण� स� तें�म बदल ल�नु चुहतें� ह�। तें�म म�रं बदल भै� ल�नु। म�झ ब'ढ़� ब्रह्मण का भै� सवा8नुशं ह� गेया।" ब्रह्मण वा�शंधरं� भैगेवानु नु� विवार्ष्याण� विवारं�ध� का� छू बतें� काह�। प्राह्लाद नु� उनुका� नुजीदFका विबठोया। बतें का क्तिसलक्तिसल चुल।

ब्रह्मण नु� प'छू5 "तें�म विवार्ष्याण� स� बदल ल�नु चुहतें� ह�? विवार्ष्याण� काहZ रंहतें� ह_?"प्रा.- "वा� तें� सवा8L ह_। सवा8 हृदया म� ब�ठो� ह_।"ब्र.- "ह� म'ख8 प्राह्लाद ! जी� सवा8L ह�, सवा8 हृदया म� ह�, उसका विवानुशं तें' का� स� कारं�गे? मल'म ह�तें ह�, जी�स म_

म'ख8 हूZ, वा�स ह� तें' मन्दमवितें ह�। शं�क्र का� बहकावा� म� आकारं दुःष्ट विनु#या� हुआ ह�। म_ याह छूड़� गेड़तें हूZ जीम�नु म�, उसका� तें' विनुकालकारं दिदख तें� मनु'Zगे विका तें' विवार्ष्याण� स� या�द्ध कारं सकातें ह�।"

ब्रह्मण वा�शंधरं� भैगेवानु नु� जीम�नु म� अपनु� छूड़� गेड़ दF। प्राह्लाद उठो लिंसCहसनु स�। ख�चु छूड़� का� एका हथा स�, वि=रं द�नु हथा स�। प'रं बल लगेया। छूड़� ख�चुनु� म� झ�कानु पड़। बल लगे। प्राणपनु का) गेवितें सम हुई। रंज्यामद का� छू काम हुआ। प्राह्लाद का) ब�द्धिद्ध म� प्राकाशं हुआ विका याह ब्रह्मण वा�शंधरं� का�ई सधरंण व्यक्तिO नुह� ह� सकातें ह�। भैक्तिO का� प�रंनु� स�स्कारं था� ह�। ऊपरं स� का� स�स्कारं जी� पड़� था� वा� हटतें� ह� प्राह्लाद उस ब्रह्मण वा�शंधरं� का� नुम्रतेंप'वा8का आदरं भैरं� वाचुनु स� काहनु� लगे5

"ह� विवाप्रावारं ! आप का�नु ह_?"भैगेवानु ब�ल�5 "जी� अपनु� का� नुह� जीनुतें वाह म�रं� का� भै� ठो�का स� नुह� जीनुतें। जी� अपनु� का� औरं म�रं� का�

नुह� जीनुतें वाह मया का� स�स्कारं म� स'ख� वितेंनुका� का) नुई विहलतें-p�लतें रंहतें ह�। ह� प्राह्लाद ! तें' सन्मवितें का� त्यागे

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का� मवितें का� आध�नु हुआ ह�। तेंबस� तें' अशंन्तें औरं दुः5ख� हुआ ह�। का� विनु#या कारंनु� वाल व्यक्तिO हम�शं दुः5ख का भैगे� ह�तें ह�।"

कारूणविनुधनु का� का/ पप'ण8 वाचुनु स�नुकारं प्राह्लाद समझ गेया विका या� तें� म�रं� श्री�हरिरं ह_। चुरंण परं विगेरं पड़। क्षाःम मZगेनु� लगे। तेंब भैOवात्सल भैगेवानु प्राह्लाद का� काहनु� लगे�5

"क्षाःम तें� तें' कारं। म�रं� का� मरंनु� का� क्तिलए इतेंनु� स�नु तें�यारं का) ह� ! तें' क्षाःम कारं म�रं� का�!" काहZ तें� विपतें का) इतेंनु� शंसनु-पवा8तें स� विगेरंनु, पनु� म� =� कानु आदिद ! या� शंसनु कारंनु� परं भै� प्राह्लाद

विवार्ष्याण� का) भैक्तिO म� लगे� रंह�। शं�क्रचुया8 नु� अपनु ह�कारं ध�रं�-ध�रं� का� स�स्कारं भैरं दिदया� तें� वाह� प्राह्लाद विवार्ष्याण�जी� या�द्ध कारंनु� का� तेंत्परं हुआ।

जीब तेंका सवा8 व्यपका श्री�हरिरंत्वा का सक्षाःत्कारं नुह� ह�तें, अन्तें5कारंण स� सम्बन्धु-विवाच्छा�द नुह� ह�तें, परिरंच्चिच्छान्नतें नुह� ष्ठिमटतें� तेंब तेंका जी�वा का) श्रीद्ध औरं च्चि}वितें चुढ़तें� उतेंरंतें� रंहतें� ह�।

वा�का�� ठो म� भैगेवानु का� पषों8द जीया-विवाजीया प्रावितेंदिदनु श्री�हरिरं का दशं8नु कारंतें� ह_ ल�विकानु हरिरंतेंत्त्वा का सक्षाःत्कारं नु ह�नु� का कारंण उनुका� भै� तें�नु जीन्म ल�नु� पड़�। प्राह्लाद का� श्री�हरिरं का� श्री�विवाग्रह का दशं8नु हुआ, हरिरं सवा8L ह� ऐस वा/श्चित्तज्ञानु तें� था ल�विकानु वा/श्चित्तज्ञानु स�स�गे का� स�गे स� बदल जीतें ह�। प'ण8 ब�ध अबदल ह�।

प्राह्लाद जी�स का) भै� श्रीद्ध का� स�गे का� कारंण विहल सकातें� ह� तें� ह� सधका ! भै�या ! तें' ऐस� वातेंवारंण स�, ऐस� व्यक्तिOया स�, ऐस� स�स्कारं का� बचुनु जी� तें�झ� सधनु का� मगे8 स�, ईश्वरं का� रंस्तें� स� वि=सलतें� ह_।

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐअनु�क्रम

जी0सं भ�वन� व0सं सिसंद्धिद्धाभैगेवानु सवा8व्यपका औरं शंश्वतें ह_। वा� सबका� ष्ठिमल सकातें� ह_। आप द्धिजीस रूप म� भैगेवानु का� पनु चुहतें� ह_

उस रूप म� आपका� ष्ठिमलतें� ह_। श्री�का/ र्ष्याण गे�तें म� भै� वाचुनु द�तें� ह_ विका5य� यथ� म�� प्रापूद्यन्तः� तः��स्तःथ0व भजी�म्यहोम2।

'ह� अजी�8नु ! जी� भैO म�झ� द्धिजीस प्राकारं भैजीतें� ह_, म_ भै� उनुका� उस� प्राकारं भैजीतें हूZ।'(गतः�� 4.11)

आप का� शंलतें स� परिरंश्रीम कारंतें� ह_, प�रुषोंथा8 कारंतें� ह_ तें� भैगेवानु पदथाd का� रूप म� ष्ठिमल�गे�। आलस� औरं प्रामदF रंहतें� ह_ तें� भैगेवानु रं�गे औरं तेंम�गे�ण का� रूप म� ष्ठिमल�गे�। दुःरंचुरं� रंहतें� ह_ तें� भैगेवानु नुरंका म� ष्ठिमल�गे�। सदचुरं� औरं स�याम� रंहतें� ह_ तें� भैगेवानु स्वागे8 का� रूप म� ष्ठिमल�गे�। स'या@दया का� पहल� स्नुनुदिद स� शं�द्ध ह�कारं प्राणवा का जीप कारंतें� ह_ तें� भैगेवानु आनुन्द का� रूप म� ष्ठिमलतें� ह_। स'या@दया का� बद भै� स�तें� रंहतें� ह_ तें� भैगेवानु आलस्या का� रूप म� ष्ठिमल�गे�। भैगेवानु का) बनुई अनु�का ल�लओं का�, इष्टद�वा का�, आत्मवा�त्त सदगे�रु का� प्यारं का) विनुगेह स� द�खतें� ह_, श्रीद्ध-भैवा स�, अह�भैवा स� दिदल का� भैरंतें� ह_ तें� भैगेवानु प्रा�म का� रूप म� ष्ठिमल�गे�। वा�दन्तें का विवाचुरं कारंतें� ह_, आत्म-क्तिचुन्तेंनु कारंतें� ह_ तें� भैगेवानु तेंत्त्वा का� रूप म� ष्ठिमल�गे�। घ/ण औरं क्तिशंकायातें का� रूप म� द�खतें� ह_ तें� भैगेवानु शंL� का� रूप म� ष्ठिमल�गे�। धन्यावाद का) दृष्ठिष्ट रंखतें� ह_ तें� भैगेवानु ष्ठिमL का� रूप म� ष्ठिमलतें� ह�। अपनु� क्तिचुत्त म� सन्द�ह ह�, =रिरंयाद ह�, चु�रं pका' का� विवाचुरं ह_ तें� भैगेवानु उस� रूप म� ष्ठिमलतें� ह_। अपनु� दृष्ठिष्ट म� सवा8 ब्रह्म का) भैवानु ह�, सवा8L ब्रह्म ह� ब्रह्म दृष्ठिष्ट आतें ह� तें� दूसरं का) नुजीरं म� जी� क्र' रं ह_, हत्यारं� ह_, pका' ह_, वा� तें�म्हरं� क्तिलए क्र' रं हत्यारं� नुह� रंह�गे�।

आप विनुण8या कारं� विका भैगेवानु का� विकास रूप म� द�खनु चुहतें� ह_। जीब सब भैगेवानु ह_, सवा8L भैगेवानु ह_ तें� आपका� जी� ष्ठिमल�गे वाह भैगेवानु ह� ह�। समग्र रूप उस� का� ह_। याह स्वा�कारं कारं ल� तें� सब रूप म� भैगेवानु ष्ठिमल जीया�गे�। आनुन्द ह� आनुन्द चुह�, प्रा�म ह� प्रा�म चुह� तें� भैगेवानु उस� रूप म� ष्ठिमल�गे�।

विकास� का� लगे�गे विका जीब सवा8L भैगेवानु ह_ तें� पप-प�ण्या क्या? वि=रं पप कारंनु� म� हजी8 क्या ह�?हZ, का�ई हजी8 नुह�। pटकारं पप कारं�। वि=रं भैगेवानु नुरंका का� रूप म� प्राप्तें हगे�।'सब ब्रह्म ह� तें� जी� आवा� स� खओ, जी� आवा� स� विपया�, जी� ष्ठिमल� स� भै�गे�, चुह� स� कारं� क्या हजी8 ह�?'

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तें� भैगेवानु सवा8L ह_। वा� रं�गे का� रूप म� प्राकाट हगे�। स�याम स� रंह�गे� तें� भैगेवानु स्वास्थ्या का� रूप म� प्राकाट हगे�।

भैगेवानु हमरं� समक्षाः अपनु� समग्र रूप म� प्राकाट ह� जीया� ऐस� इच्छा ह� तें� अपनु� 'म_' का� ख�जी�। 'म_' ख� जीएगे वि=रं लगे�गे विका भैगेवानु समग्र रूप म� ह_ औरं भै� भैगेवात्तत्वा था।

महया�गे� श्री� अरंविवान्द गे�तें का� महनु� उपसका था�। वा� गे�तें का� सत्या का� अपनु� जी�वानुरूप� सZचु� म� ढंलनु� का� प'ण8रूप�ण का/ तेंस�काल्प था�। वा�द औरं उपविनुषोंद का सरं गे�तें ह� द्धिजीस� पढ़कारं उन्हनु� तें�नु प्रावितेंज्ञाएZ का) था�। रंष्ट्र का� क्तिलए अपनु सवा8स्वा न्या�छूवारं कारं भैरंतें मतें का� अZग्र�जी का) गे�लम� का) जी�जी�रं स� म�O कारंनु एवा� आत्मसक्षाःत्कारं कारंनु।

अक्तिलप�रं बम-का�p म� उनुका) धरंपकाड़ हुई औरं कारंवास म� pल दिदया� गेया�। वाहZ परं भै� उनुका) या�गे सधनु सतेंतें चुल' था�। रंतें-रंतें भैरं परंमत्म का� ध्यानु म� मग्नु रंहतें� था�। श्री� अरंविवान्द का� बचुवा पक्षाः का� ब�रं�स्टरं श्री� क्तिचुत्तरं�जीनुदस था� द्धिजीन्हनु� =)स म� एका पई भै� नु ल� था� (बद म� वा� द�शंबन्धु� दस का� नुम स� प्राक्तिसद्ध हुए)। सरंकारं का) ओरं स� स_काड़ प्रामण औरं सक्षाः� खड़� विकाया� गेया� था� द्धिजीनुका ख�pनु कारंनु� का� क्तिलए उन्ह� दिदनु रंतें श्रीम कारंनु पड़तें था। सलभैरं म�काद्देम चुल। एका दिदनु अ�ग्र�जी न्यायाध�शं का� पस काड़� प�क्तिलस ब�द�बस्तें तेंल� श्री� अरंफिंवाCद का� जी�ल म� स� अदलतें लया गेया। द�शंभैक्तिO स� चुकाचु'रं जीनुतें नु� न्यायालया का� खचुखचु भैरं दिदया था। सरंकारं� वाका)ल का� समक्षाः ब�रं�स्टरं क्तिचुत्तरं�जीनुदस उपच्चि}तें हुए। उस समया विवाद्या�तें-प�ख� नुह� था�। विवाशंल चुZवारं स� न्यायाध�शं परं पवानु pल जी रंह था। चुZवारं p�लनु� का� क्तिलए का� दिदया का उपया�गे विकाया जीतें था।

सरंकारं का/ तेंस�काल्प था� विका श्री� अरंविवान्द का� म�जीरिरंम सविबतें कारं =Zस� परं लटका द� औरं श्री� अरंविवान्द शं�तेंभैवा स� श्री�का/ र्ष्याण का क्तिचुन्तेंनु विकाया� जी रंह� था�। उस समया उन्ह� जी� अनु�भै'वितें हुई वाह अत्या�तें रंस�ल� एवा� अदभै�तें था�। भैगेवानु का� समग्र स्वारूप का गे�तें वाचुनु प्रात्याक्षाः हुआ। श्री� अरंविवान्दजी� का� ह� शंब्द म� इस प्राकारं ह�5

"म_नु� न्यायाध�शं का) ओरं द�ख तें� म�झ� उनुम� श्री�का/ र्ष्याण ह� म�स्कारंतें� दFख�। म�झ� आ#या8 हुआ। म_नु� वाका)ल का) ओरं द�ख तें� म�झ� वाका)ल दिदखई ह� नुह� दिदया�, सब श्री�का/ र्ष्याण का रूप दिदखई दिदया�। वाहZ उपच्चि}तें का� दिदया का) ओरं विनुहरं तें� सब का/ र्ष्याणरूप धरंण कारं ब�ठो� हुए दिदख�। जीगेह-जीगेह म�झ� श्री�का/ र्ष्याण का हूबहू दशं8नु हुआ। श्री�का/ र्ष्याण म�रं� समनु� द�खकारं ब�ल�5 'तें' बरंबरं द�ख। म_ सवा8व्यप� हूZ, वि=रं pरं विकास बतें का?' उनुका� दिदव्य दशं8नु स�, अभैयादनु प्रादनु कारंतें� हुई उनुका) वाण� स� म_ स�प'ण8 विनुभै8या ह� गेया। क्तिचुन्तें मL पलयानु ह� गेई।" वाषों8भैरं अदलतें म� म�काद्देम चुल। का� स का� अन्तें म� गे�रं� न्यायाध�शं नु� चु�काद दिदया5 'विनुद@षों'। ल�गे का� आनु�द का परं नु रंह। उन्हनु� श्री� अरंविवान्द का� कान्धु� परं विबठोकारं आनु�द�त्सवा मनुतें� हुए प्राचुण्p जीयाघ�षों विकाया5

"जीया श्री�का/ र्ष्याण, जीया श्री� अरंविवान्द।"समया का) धरं म� वाह प्रास�गे भै� सरंका गेया, स्वाप्न का) नुई।

उम� केहोI मJ अन&भव अपून�।संत्य होरिरभजीन, जीगतः संबा संपून�।।

याह सपनु� जी�स� स�सरं म� सब समया का) धरं म� स्वाप्नवातें� ह� जीतें ह�। अतें5 जीगेतें सब स्वाप्न ह�। 'म_ आत्मरूप स� सबका आधरं सच्चिच्चीदनु�द स्वारूप हूZ... स�ऽहम�.... क्तिशंवा�ऽहम�.....' ऐस क्तिचुन्तेंनु कारं�गे� तें� भैगेवानु ब्रह्म का� रूप म� प्राकाट ह� जीएZगे�।

भै�गे� औरं विवालस� का� रं�गे ह�तें� ह_। विवाकारं� जी�वानु म� प#तेंप, भैया औरं क्तिचुन्तें ह�तें� ह�। भैया, क्तिचुन्तें ह�वा� तेंभै� 'भैगेवानु भैया औरं क्तिचुन्तें का� रूप म� प्राकाट हुए ह_' – ऐस कारंका� भैया औरं क्तिचुन्तें स� बहरं विनुकाल जीओ। भैगेवादब�द्धिद्ध स� भैया का� द�ख�गे� तें� भैया दुः5ख नुह� द�गे। भैगेवादब�द्धिद्ध स� रं�गे औरं शंL� का� द�ख�गे� तें� रं�गे औरं शंL� दुः5ख नुह� द�गे�। भैगेवादब�द्धिद्ध स� स�ख औरं स्वागे8 का� द�ख�गे� तें� वाह स�ख औरं स्वागे8 विवाषोंयासक्तिO नुह� कारंएZगे�। विकातेंनु� स�न्दरं समचुरं ह_!

आप भैगेवानु का� विकास� रूप म� प्राकाट कारंनु नुह� चुहतें� ल�विकानु भैगेवानु जी�स� ह_ वा�स जीमनु चुहतें� ह_, जी�स� ह_ वा�स� ह� द�खनु चुहतें� ह_।

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जी�स� ह_ वा�स� द�खनु चुहतें� ह_ तें� वा� सब का� छू ह_। उनुका� सब का� छू जीनु ल�, द�ख ल�। नुरंका भै� वा� ह� ह_, स्वागे8 भै� वा� ह� ह_। रं�गे भै� वा� ह� ह_ औरं जी� स्वास्थ्या भै� वा� ह� ह_। धन्यावाद भै� वा� ह� ह_, क्तिशंकायातें भै� वा� ह� ह_।

'हमका� भैगेवानु प'रं� दिदखनु� चुविहए।'प'रं द�खनु�वाल का�नु ह�, उसका� प'रं ख�जी�। जी� प'रं द�खनु� वाल� का� प'रं ख�जी ल�तें ह� उसका� अपनु� भै�तेंरं

भैगेवानु प'रं� प्राकाट ह� जीतें� ह_।ख�जीनु� म� परिरंश्रीम पड़� तें� वा� सब का� छू ह_ ह� ऐस स�तें का अनु�भैवा मनु ल� नु ! अपनु� का� प'रं ख�जी�गे� तें�

क्या ह�गे?हो�रतः हो�रतः गय" केबार" हो�र�ई।

ख�जीतें�-ख�जीतें� ख�जीनु�वाल ख� जीया�गे। 'म_..... म_....' कारंनु� वाल ष्ठिमर्थ्यया ह� जीया�गे। शं�षों ब्रह्म ह� ब्रह्म रंह जीया�गे। नुमका का) प�तेंल� गेई सम�~ का) थाह ल�नु�। प�तेंल� तें� ख� गेई, ह� गेई सगेरं। ऐस� ह� द�ह औरं अह�कारं ख� गेया औरं रंह गेया का� वाल ब्रह्म। ष्ठिमटF ब'Zद ह� गेई सगेरं। ब'Zद भै� पनु� ह�, सगेरं भै� पनु� ह�।

श्री�मद� आद्या शं�कारंचुया8 नु� कारं�ड़ ग्रन्थों का सरं बतेंतें� हुए काह5श्लो"के�धLन प्रावक्ष्य�मिम यदुक्तं� ग्रन्थके"दिRद्धिभ�।ब्रह्म संत्य� जीगन्मिन्मथ्य� जीव" ब्रह्म0व न� पूर�।।

अध* श्लो"के केर केहोतः� हूँX के"दिR ग्रन्थ के" सं�र।ब्रह्म संत्य हो0 जीगतः मिमथ्य� जीव ब्रह्म निनरध�र।।

द्धिजीसका� म'ल हम जी�वात्म ब�लतें� ह_ वाह ब्रह्म अलगे स� नुह� ह�। द्धिजीस� हम तेंरं�गे ब�लतें� ह_ वाह सगेरं स� अलगे नुह�। द्धिजीस� घटकाशं ब�लतें� ह_ वाह महकाशं स� अलगे नुह�। द्धिजीसका� हम जी�वारं ब�लतें� ह_ वाह स�नु� स� अलगे नुह�। द्धिजीस� हम द� गेजी जीम�नु ब�लतें� ह_ वाह प'रं� प/र्थ्यवा� स� अलगे नुह�। दFवाल बZध कारं स�म खड़� कारं सकातें� ह� ल�विकानु अलगे नुह� कारं सकातें� ह� ल�विकानु जीम�नु अलगे नुह� कारं सकातें�। 'हमरं� जीम�नु..... तें�म्हरं� जीम�नु' या� मनु का) रं�खएZ खड़� कारं सकातें� ह� ल�विकानु जीम�नु अलगे नुह� कारं सकातें�। ऐस� ह� 'हमरं शंरं�रं.... तें�म्हरं शंरं�रं....' अलगे मनु सकातें� ह� ल�विकानु द�नु का) जी� वास्तेंविवाका 'म_' ह� उस� अलगे नुह� कारं सकातें�। घड़ का अलगेवा ह� सकातें ह� ल�विकानु घड़ का� आकाशं का अलगेवा नुह� ह� सकातें। क्तिचुत्त का� अलगेवा ह� सकातें� ह_ ल�विकानु क्तिचुत्त द्धिजीसका� आधरं स� =� रंतें� ह_ उल क्तिचुदकाशं का अलगेवा नुह� ह� सकातें। 'वाह क्तिचुदकाशं आत्म म_ हूZ'.... ऐस ज्ञानु कारंनु� का भैगे�रंथा काया8 वा�दन्तें का ह�। 'वास्तेंवा म� तें�म आत्म ह�, विवाश्वत्म ह�, परंब्रह्म परंमत्म ह�। मरंनु� औरं जीन्मनु� वाल� प�तेंल� नुह� ह�' – ऐस वा�दन्तें दशं8नु =रंमतें ह�। ॐ.... ॐ.....ॐ....

ऐस ज्ञानु पचुनु� वाल क्तिसद्ध प�रुषों शं'ल� परं चुढ़तें� हुए भै� विनुभै£का ह�तें ह�, रं�तें� हुए भै� नुह� रं�तें, हZसतें� हुए भै� नुह� हZसतें।

संन्तः&ष्ट"ऽनिपू न संन्तः&ष्ट� खि[न्नो"ऽनिपू न च खि[द्यतः�।तःस्य�श्चय*दश�� तः�� तः�� तः�दृश� एव जी�नतः�।।

'ज्ञानु� प�रुषों ल�का दृष्ठिष्ट स� स�तें�षोंवानु ह�तें� हुए भै� स�तें�ष्ट नुह� ह� औरं ख�द का� पया� हुए भै� ख�द का� नुह� प्राप्तें ह�तें ह�। उसका) उस-उस आ#या8 दशं का� वा�स� ह� ज्ञानु� जीनुतें� ह_।'

(अष्ट�वक्र गतः�� 56)तःन सं&के�य पिंपू:जीर निकेय" धर� र0न दिदन ध्य�न।तः&लसं मिमR0 न व�संन� निबान� निवच�र� ज्ञा�न।।

कारं�ड़ वाषों8 का) समष्ठिध कारं� ल�विकानु आत्मज्ञानु तें� का� छू विनुरंल ह� ह�। ध्यानु भैजीनु कारंनु चुविहए, समष्ठिध कारंनु� चुविहए ल�विकानु समष्ठिधवाल का� भै� वि=रं इस आत्मज्ञानु म� आनु चुविहए। स�वा अवाश्या कारंनु चुविहए औरं वि=रं वा�दन्तें म� आनु चुविहए। नुह� तें�, स�वा का स'क्ष्म अह�कारं आया�गे। कातें/8त्वा का) गेZठो बZध जीएगे� तें� स्वागे8 म� घस�ट� जीओगे�। स्वागे8 का स�ख भै�गेनु� का� बद वि=रं पतेंनु ह�गे।

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वा�दन्तें का द्धिजीज्ञास� समझतें ह� विका कामd का =ल शंश्वतें नुह� ह�तें। प�ण्या का =ल भै� शंश्वतें नुह� औरं पप का =ल भै� शंश्वतें नुह�। प�ण्या स�ख द�कारं नुष्ट ह� जीएगे औरं पप दुः5ख द�कारं नुष्ट ह� जीएगे। स�ख औरं दुः5ख मनु का� ष्ठिमल�गे। मनु का� स�ख-दुः5ख का� जी� जीनुतें ह� उसका� पकारं परं ह� जीओ। याह� ह� वा�दन्तें। विकातेंनु सरंल।

द्धिजीसका� अपनु विबछू� ड़ हुआ प्यारं स्वाजीनु ष्ठिमल जीया�, उसका� विकातेंनु आनुन्द ह�तें ह� ! म�ल� म� विबछू� ड़� बच्ची� का� मZ ष्ठिमल जीया� पत्नु� का� विबछू� ड़ हुआ पवितें ष्ठिमल जीया�, ष्ठिमL का� विबछू� ड़ हुआ ष्ठिमL ष्ठिमल जीया� तें� विकातेंनु आनुन्द ह�तें ह� !

जीब अपनु स्वाजीनु काह� ष्ठिमल जीया तें� इतेंनु आनुन्द ह�तें ह� तें� द्धिजीसका� वा�दन्तें का ज्ञानु ह� जीतें ह� उसका� तें� सवा8L अपनु विप्राया प्रा�मस्पद, अपनु आप ष्ठिमलतें ह�..... उसका� विकातेंनु आनुन्द ष्ठिमलतें ह�गे। ॐ....ॐ.....ॐ...

ॐ आनुन्द ! ॐ आनुन्द !! ॐ आनुन्द !!!ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनु�क्रम

केम* और ज्ञा�नएका ल�गेड़ आदम� ब�ठो था ब~Fनुथा का� रंस्तें� परं। काह� जी रंह था5 "ल�गे ब~Fनुथा का) याL का� जी रंह� ह_।

हमरं� पस प�रं ह�तें� तें� हम भै� भैगेवानु का� दशं8नु कारंतें�।" पस म� सथा� ब�ठो था। वाह स'रंदस था। स�नु रंह था उसका) बतें। वाह भै� काहनु� लगे5 "यारं ! म_ भै� चुहतें था विका ईश्वरं का� दशं8नु कारूZ ल�विकानु म�रं� पस आZख का) ज्या�वितें नुह� ह�। काम स� काम ईश्वरं का� धम म� तें� जीनु� का) रूक्तिचु ह�।"

एका महत्म नु� काह5 "एका का) आZख� औरं दूसरं� का� प�रं, द�नु का सहया�गे ह� जीया�गे तें� तें�म ल�गे ब~Fनुथा पहुZचु जीओगे�।"

ऐस� ह� जी�वानु का� तेंत्त्वा का जी� ज्ञानु ह� वाह आZख ह�। वाह ज्ञानु अगेरं काम8 म� नुह� आतें तें� वाह ल�गेड़ रंह जीतें ह�। काम8 कारंनु� का) शंक्तिO जी�वानु म� ह� ल�विकानु ज्ञानु का� विबनु ह� तें� ऐस� अन्धु� शंक्तिOया का दुःरुपया�गे ह� जीतें ह�। जी�वानु बरंबद ह� जीतें ह�। याह� कारंण विका द्धिजीनुका� जी�वानु म� जीप-तेंप-ज्ञानु-ध्यानु औरं सदगे�रुओं का सष्ठिन्नध्या नुह� ह� ऐस� व्यक्तिOया का) विक्रयाशंक्तिO रंगे, द्वे�षों औरं अश्चिभैमनु का� जीन्म द�कारं फिंहCस आदिद का प्रादुःभै8वा कारं द�तें� ह�। काम8 कारंनु� का) शंक्तिO भ्रांष्टचुरं का� तेंरं=, दूसरं का शं�षोंण कारंनु� का� तेंरं=, अह�कारं का� बढ़नु� का� तेंरं= नुष्ट ह� जीतें� ह�।

विक्रयाशंक्तिO औरं ज्ञानुशंक्तिO का समन्वाया ह�नु अत्या�तें आवाश्याका ह�। आजी तेंका ऐस का�ई मनु�र्ष्याया, प्राण� प�द ह� नुह� हुआ जी� विबनु विक्रया का� , विबनु काम8 का� रंह सका� । काम8 कारंनु ह� ह� तें� ज्ञानु स�या�O काम8 कारं�। शंस्L म� तें� याहZ तेंका काह ह� विका ज्ञानु� महप�रुषों, जीगेतें का) नुश्वरंतें जीनुनु� वाल� महप�रुषों भै� सत्काम8 कारंतें� ह_। क्याविका उनुका� द�खकारं दूसरं� कारं�गे�। विबनु काम8 का� नुह� रंह सका� गे� तें� अच्छा� काम8 कारं�। अगेरं काम8 कारंनु� का) शंक्तिO ह� तें� ज्ञानु, भैक्तिO औरं या�गे का� द्वेरं उस� ऐस स�सच्चिज्जातें कारं द� विका ज्ञानु स�या�O काम8 जी�वानुदतें तेंका पहुZचु द�।

कामd स� कामd का� काट जीतें ह�। उनु कामd म� ज्ञानु का) स�वास ह�गे� तें� कामd का� काट�गे� औरं अह�कारं का) गेन्धु ह�गे� तें� काम8 बन्धुनु का) जील ब�नु�गे�। इस�क्तिलए कामd का� जीगेतें म� ज्ञानु का समन्वाया ह�नु चुविहए।

ज्ञानु म� स�ख भै� ह� औरं समझ भै�। जी�स� म�रं� म�Zह म� रंसगे�ल्ल रंख दिदया जीया� औरं म_ प्रागेढ़ विनु~ म� हूZ तें� ष्ठिमठोस नुह� आया�गे�। जीब जीगे'Z तेंब वा/श्चित्त द्धिजीह्वा स� जी�ड़�गे� तें� रंसगे�ल्ल� का) ष्ठिमठोस का ज्ञानु ह�तें� ह� स�ख आया�गे। विबनु ज्ञानु का� स�ख नुह�। ज्ञानु म� समझ भै� ह�, स�ख भै� ह�। तेंमम प्राकारं का� स�ख, शंक्तिO एवा� ज्ञानु जीहZ स� प्राकाट ह�तें� ह_ वाह उदगेम }नु आत्म ह�। उस आत्मद�वा का सक्षाःत्कारं कारंनु ह� आत्मज्ञानु ह�। उस ज्ञानु का� विबनु मनु�र्ष्याया चुह� विकातेंनु� सरं� विक्रयाएZ कारं ल� ल�विकानु विक्रयाओं का =ल उसका) परं�शंविनुया का कारंण बनु जीतें ह�। वाह� विक्रयाएZ अगेरं ज्ञानु स�या�O ह�तें� ह_ तें� उनुका =ल अकातें/8त्वा पद का) प्राप्तिप्तें कारंतें ह�। उपविनुषोंद का ज्ञानु, वा�दन्तें का ज्ञानु एका ऐस� काल ह�, कामd म� ऐस� या�ग्यातें ल� आतें ह� विका आदम� का जी�वानु नुश्वरं जीगेतें म� ह�तें� हुए भै� शंश्वतें का� अनु�भैवा स�या�O ह� जीतें ह�। मरंनु�वाल� द�ह म� रंहतें� हुए अमरं आत्म का दFदरं ह�नु� लगेतें ह�। ष्ठिमटनु� वाल� सम्बन्धु म� अष्ठिमट का सम्बन्धु ह� जीतें ह�। गे�रुभैइया का सम्बन्धु ष्ठिमटनु�वाल ह�, गे�रु का सम्बन्धु भै� ष्ठिमटनु� वाल ह� ल�विकानु वाह सम्बन्धु

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अष्ठिमट का) प्राप्तिप्तें कारं द�तें ह�, अगेरं ज्ञानु ह� तें�। ज्ञानु नुह� ह� तें� ष्ठिमटनु� वाल� सम्बन्धु म� ऐस म�ह प�द ह�तें ह� विका चु�रंस�-चु�रंस� लख जीन्म तेंका आदम� भैटकातें रंहतें ह�।

यस्य ज्ञा�नमय� तःपू�। ज्ञानु का� स�या�O तेंप ह�। ज्ञानुसविहतें विक्रया ह�। श्री�का/ र्ष्याण का� जी�वानु म� द�ख� तें� विकातेंनु� सरं� विक्रयाएZ ह_ ल�विकानु ज्ञानु स�या�O विक्रयाएZ ह_। जीनुका का� जी�वानु म� विक्रयाएZ ह_ ल�विकानु ज्ञानु स�या�O ह_। रंम जी� का� जी�वानु म� काम8 ह_ ल�विकानु ज्ञानु स�या�O ह_।

प्रा�तः�के�ल उठ रघु&न�थ�।म�तः निपूतः� ग&रु न�वई म�थ�।।

याह ज्ञानु का) मविहम ह�।ग&रु तः� पूहोल� जीगपूनितः जी�ग�.....

गे�रु विवाश्वष्ठिमL जीगे� उसका� पहल� रंमजी� जीगे जीतें� था�। ज्ञानुदतें गे�रुओं का आदरं कारंतें� था�।जी�वानु म� ज्ञानु का) आवाश्याकातें ह�।यावितें गे�रंखनुथा पसरं ह� रंह� था� तें� विकास� विकासनु नु� काह5 "बबजी� ! द�पहरं हुई ह�। अभै�-अभै� घरं स�

खनु आया�गे। आप भै�जीनु पनु, था�ड़� द�रं विवाश्रीम कारंनु औरं शंम का� जीहZ आपका) म�जी ह�, विवाचुरंण कारंनु।"विकासनु का) आZख नु� तें� एका सध� द�ख ल�विकानु भै�तेंरं एका समझ था� विका था�ड़� स�वा कारं ल'Z। उसनु�

गे�रंखनुथाजी� का� रिरंझकारं रं�का क्तिलया। भै�जीनु कारंया। वि=रं गे�रंखनुथाजी� नु� आरंम विकाया। शंम का� जीब रंमतें� भैया� तेंब विकासनु नु� प्राणम कारंतें� काह5

"महरंजी ! ख�तें� कारंतें�-कारंतें� ढं�रं जी�स जी�वानु विबतें रंह� ह_। काभै� आप जी�स� स�तें पधरंतें� ह_। का� छू नु का� छू म�झ� था�ड़-स उपद�शं द� जीइया�।"

गे�रंखनुथा नु� द�ख विका ह� तें� पL। प�रं स� क्तिशंख तेंका विनुहरं। ब�ल�5"औरं उपद�शं क्या दूZ? जी� मनु म� आवा� वाह मतें कारंनु।"या� वाचुनु गे�रंखनुथा का� गे�रु मच्छान्दरंनुथा नु� काह� था�। वा� ह� वाचुनु गे�रंखनुथा नु� विकासनु का� काह� औरं जी�गे�

रंमतें� भैया�।स�ध्या हुई। विकासनु नु� हल कान्धु� परं रंखकारं पZवा उठोया�। घरं का) ओरं चुल। याद आया गे�रुजी� का वाचुनु5

'मनु म� आया� वाह मतें कारंनु।' महरंजी ! वाह रुका गेया ! ऐस रुका विका उसका मनु भै� रुका गेया ! जी� भै� मनु म� आतें वाह नुह� कारंतें। मनु स� परं ह� गेया। चु�रंस� क्तिसद्ध म� वाह एका क्तिसद्ध ह� गेया – हल�पZवा। मतेंलब, हल उठोया पZवा रंख औरं गे�रुवाचुनु म� दिटका गेया। नुम पड़ गेया हल�पZवा क्तिसद्ध।

काहZ तें� सधरंण विकासनु औरं काहZ हल�पZवा क्तिसद्ध !शंबरं� नु� गे�रु का� वाचुनु क्तिसरं परं रंख� औरं रंम जी� द्वेरं परं पधरं�। विकासनु नु� गे�रंखनुथा का� वाचुनु अविpगेतें स�

मनु�। मनु ह� गेया अविpगे। विकासनु म� स� हल�पZवा क्तिसद्ध।काम8 तें� उसका� पस था� ल�विकानु कामd का� जीब ज्ञानु-विनुK का दFया ष्ठिमल गेया तें� वाह क्तिसद्ध ह� गेया।स�तें स�न्दरंदस ह� गेया�। अच्छा� , उच्ची का�दिट का� स�तें था�। उनुस� विकास� नु� प'छू5"स्वाम�जी� ! भैगेवानु का) भैक्तिO म� मनु का� स� लगे�?"वा� ब�ल�5 "भैगेवानु का� दशं8नु कारंनु� स� भैगेवानु म� सन्द�ह ह� सकातें ह� ल�विकानु भैगेवानु का) काथा स�नुनु� स�

भैगेवानु म� श्रीद्ध बढ़तें� ह�। भैगेवानु का) काथा का) अप�क्षाः भैगेवानु का� प्यारं� भैO ह� गेया� ह_, स�तें ह� गेया� ह� उनुका जी�वानु-चुरिरंL पढ़नु� स�नुनु� स� भैगेवानु का) भैक्तिO बढ़तें� ह�। भैगेवानु का) काथा का) अप�क्षाः भैगेवानु का� प्यारं का) काथा स� भैक्तिO का प्राकाट्य शं�घ्र ह� जीतें ह�।"

नुरं�श्वरं म� रं�गे अवाध'तें जी� महरंजी ह� गेया�। अच्छा� स�तें था�। उनुस� विकास� नु� प'छू5"आप तें� बबजी� ! ज्ञातेंज्ञा�या ह� गेया� ह_। अभै� आपका� क्या रुचुतें ह�?"वा� ब�ल�5 "स�तें� का� जी�वानु चुरिरंL पढ़नु� म� म�रं� अभै� भै� रुक्तिचु रंहतें� ह�। नुम8द का� विकानुरं� परिरंक्रम कारंतें� का�ई

स�तें आ जीया� तें� भै�जीनु पकाकारं उन्ह� खिखलऊZ ऐस� भैवा आ जीतें� ह_। म�झ� बड़ आनु�द आतें ह�।"

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स�तें का मतेंलब याह विह विका द्धिजीनुका� द्वेरं अपनु� जीन्म का अ�तें कारंनु� का ज्ञानु ष्ठिमल जीया, विक्रयाओं का अ�तें कारंनु� का ज्ञानु ष्ठिमल जीया।

अका� ल ज्ञानु ल�गेड़ ह� जीया�गे, शं�र्ष्याका ह� जीया�गे। अका� ल� विक्रया अन्धु� ह� जीया�गे�। हम ल�गे विक्रयाएZ जी�वानुभैरं विकाए जी रंह� ह_ औरं अन्तें म� द�ख� तें� परिरंणम का� छू नुह�, हतेंशं..... विनुरंशं।

प्रा�म म� स� ज्ञानु विनुकाल द� तें� वाह काम ह� जीयागे। ज्ञानु म� स� प्रा�म म� विनुकाल द� तें� वाह शं�र्ष्याका ह� जीया�गे। ज्ञानु म� स� या�गे विनुकाल द� तें� वाह समर्थ्यया8ह�नु ह� जीया�गे। या�गे म� स� ज्ञानु औरं प्रा�म विनुकाल द� तें� वाह जीड़ ह� जीयागे।

इसक्तिलए भैई म�रं� ! प्रा�म म� या�गे औरं ज्ञानु ष्ठिमल द� तें� प्रा�म प'ण8 ह� जीयागे, प'ण8 प�रुषों�त्तम का सक्षाःत्कारं कारं द�गे। ज्ञानु म� प्रा�म औरं या�गे ष्ठिमल द� तें� ज्ञानु ईश्वरं स� अश्चिभैन्न कारं द�गे। या�गे म� ज्ञानु औरं प्रा�म ष्ठिमल द� तें� सवा8 समथा8 स्वारूप अपनु� आप का अनु�भैवा ह� जीयागे।

मतेंलब, प्रा�म भैक्तिO कारं का� अपनु� परिरंच्चिच्छान्न अह� का� ष्ठिमट द�, या�गे कारं का� अपनु� दुःब8लतें ष्ठिमट द� औरं ज्ञानु प कारं अपनु अज्ञानु ष्ठिमट द�। ज्ञानु ऐस ह� विका द�हध्यास गेल जीया।

विक्रया का� सथा ज्ञानु ह� औरं ज्ञानु का� सथा काम8 ह�। द�नु का समन्वाया ह�। ज्ञानु म� स�ख भै� ह�तें ह� औरं समझ भै� ह�तें� ह�। ब्रह्मचुया8 रंखनु अच्छा ह�। शंरं�रिरंका, मनुक्तिसका, ब�द्धिद्धका विवाकास ह�तें ह� औरं लम्ब� समया तेंका क्तिचुत्त का) प्रासन्नतें बनु� रंहतें� ह�। याह समझ तें� ह� ल�विकानु जीब स�ख का) ल�ल�पतें आ जीतें� ह� तें� ब्रह्मचुया8 स� विगेरंकारं आदम� विवाकारं� स�ख क्षाःणभैरं का� क्तिलए ल�तें ह� औरं वि=रं पछूतेंतें ह�। पप� आदम� का� विवाकारं� स�ख म� रुक्तिचु ह�तें� ह�। आपका� ज्ञानु का� सथा स�ख का) भै� जीरुरंतें ह�।

मनु ह� विका झ'ठो ब�लनु ठो�का नुह� ह�, विकास� का अविहतें कारंनु =याद� म� नुह� ह�। सत्या ब�लनु चुविहए। हम सत्या ब�लतें� ह_ ल�विकानु जीब दुः5ख पड़तें ह� तेंब सत्या का� छू�ड़कारं असत्या ब�ल� द�तें� ह_। क्या�? स�ख का� क्तिलए। झ'ठो विकासक्तिलए ब�लतें� ह_? स�ख का� क्तिलया। ब्रह्मचुया8 ख�विpतें क्या कारंतें� ह_? तें�च्छा स�ख का� क्तिलए।

मZगे तें�म्हरं� स�ख का) ह�।गे�गेजी� गे�गे�L� स� चुल�। लहरंतें� गे�नुगे�नुतें� गे�गे सगेरं का� ष्ठिमलनु� भैगे रंह� ह�। गे�गे जीहZ स� प्राकाट हुई ह�

वाह� जी रंह� ह�। ऐस� ह� तें�म्हरं वास्तेंविवाका स्वारूप प्राप्तें कारंनु� का� क्तिलए ह� तें�म्हरं� जी�वानु का) आका�क्षाः ह�। तें�म आनुन्दकान्द, सच्चिच्चीदनुन्द परंमत्म स� प्राकाट हुए ह�, स्फु� रिरंतें हुए ह�। तें�म द्धिजीस� 'म_... म_.... म_.....' ब�ल रंह� ह� वाह 'म_' आनुन्द-स्वारूप परंमत्म स� स्फु� रिरंतें हुई ह�। वाह म_ आनुन्द-स्वारूप परंमत्म तेंका पहुZचुनु� का� क्तिलए ह� सरं� विक्रयाएZ कारं रंह� ह�। जी�स� गे�गेजी� चुल� तें� सगेरं तेंका पहुZचुनु� का� क्तिलए ह� सरं� चु�ष्ट कारंतें� ह�। ल�विकानु हमनु� स्वाथा8परंयाण ह�कारं उसका� बहवा का� रं�काकारं तेंलब बनु दिदया, उसका� थाम दिदया तें� वाह पनु� गे�गेसगेरं तेंका नुह� पहुZचुतें। ऐस� ह� स�ख का) प्राप्तिप्तें का) इच्छा ह� औरं हमरं� स�बह स� शंम तेंका का) द�ड़ स�ख तेंका पहुZचुनु� का) ह� ल�विकानु जीहZ विबनु ज्ञानु का� , विबनु समझ का� , स्वाथा£, ऐद्धिन्~का स�ख का) चु�ष्ट कारंतें� ह_ तें� गे�गेजील का� रंस्तें� म� खड्डों म� बZध द�तें� ह_। ऐस� ह� हमरं� क्तिचुत्त का) धरं का� अज्ञानुवाशं मन्यातें म� हम उ�p�ल द�तें� ह_ तें� हमरं जी�वानु रंस्तें� म� रुका जीतें ह�। हलZविका हमरं प्रायात्नु तें� स�ख का� क्तिलए ह_ ल�विकानु हमरं आत्म स�ख स्वारूप ह�, इस प्राकारं का ज्ञानु नु ह�नु� का� कारंण हम ब�चु म� भैटका जीतें� ह_ औरं जी�वानु प'रं ह� जीतें ह�। अथा8तें� जी�वा अपनु असल� ब्रह्मस्वारूप नुह� समझ पतें।

हम जी�-जी� विनुयाम शंस्L स� स�नुतें� ह�, स्वा�कारं कारंतें� ह_ वा� विनुयाम तेंब खच्चिण्pतें कारंतें�ह_ जीब हम� भैया ह� जीतें ह� अथावा स�ख का) ल�ल�पतें हम� घ�रं ल�तें� ह�। हम नु�चु� आ जीतें� ह_। तेंब क्या कारंनु चुविहए?

स�ख का) ल�ल�पतें औरं दुः5ख का� भैया का� ष्ठिमटनु ह� तें� ज्ञानु का) जीरूरंतें पड़�गे�। वाह ज्ञानु तेंत्त्वाज्ञानु ह� अथावा तेंत्त्वाज्ञानु का स�ख पनु� का) तेंरंका)ब रूप या�गेया�क्तिOयाZ ह�। या�गेया�क्तिOयाZ औरं तेंत्त्वाज्ञानु स� जीब भै�तेंरं का स�ख ष्ठिमलनु� लगे�गे तें� विनुभै8यातें आनु� लगे�गे�। वि=रं हमरं� समझ का� खिखल= हम वि=सल�गे� नुह�।

स�तें स��दरंदसजी� महरंजी उच्ची का�दिट का� सक्षाःत्कारं� प�रुषों था�। नुवाब नु� उनुका� चुरंण म� क्तिसरं रंख विका5 "बबजी� ! द्धिजीस आनुन्द म� आप आनुद्धिन्दतें ह�तें� ह�, द्धिजीस परंमत्म का� पकारं आप तें/प्तें हुए ह�, द्धिजीस ईश्वरं का� सक्षाःत्कारं स� आप आत्मरंम� हुए ह� वाह हम� भै� उपलब्ध कारं द�।"

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स�नु ह� विका जीब सतें जीन्म का� प�ण्या जी�रं कारंतें� ह_ तेंब आत्म-सक्षाःत्कारं� स�तें महप�रुषों का� दशं8नु कारंनु� का) इच्छा ह�तें� ह�। दूसरं� सतें जीन्म का� प�ण्या जीब सहया�गे कारंतें� ह_ तेंब उनुका� द्वेरं तेंका ह� पहुZचु पया�गे�। तें�सरं� सतें जीन्म का� प�ण्या उनुम� नुह� ष्ठिमल�गे� तें� हम उनुका� द्वेरं स� विबनु दशं8नु ह� ल�ट जीया�गे�। या तें� बब जी� काह� बहरं चुल� गेया� हगे� वि=रं पहुZचु�गे� अथावा बबजी� आनु�वाल� हगे� उसस� पहल� रंवानु ह� जीया�गे�, बद म� बबजी� ल�ट�गे�। जीब तेंका प'रं� इक्का)स जीन्म का� प�ण्या जी�रं नुह� मरं�गे� तेंब तेंका आत्म-सक्षाःत्कारं� महप�रुषों का� दशं8नु नुह� हगे�, उनुका� वाचुनु म� विवाश्वस नुह� ह�गे।

स्वल्पूपू&ण्यवतः�� संजीन2 निवश्व�सं" न0व जी�यतः�।अल्प प�ण्यावाल का� तें� आत्मवा�त्त स�तें प�रुषों का� दशं8नु औरं वाचुनु म� विवाश्वस ह� नुह� ह� सकातें ह�।

तें�लस�दसजी� काहतें� ह_-निबान पू&ण्यपू&�जी मिमल� नहो4 सं�तः�।

नुवाब काहतें ह�5 "महरंजी ! म�झ� आपका दशं8नु कारंनु� का स�भैग्या ष्ठिमल ह� अब चुहतें हूZ विका आप द्धिजीस आत्मरंस स�, द्धिजीस आत्मज्ञानु स� का/ तेंकाया8 हुए ह_ वाह आत्म का� स ह� उसका अनु�भैवा म�झ� कारंइया�।"

स�न्दरंदसजी� नु� स्वाच्छा जील स� भैरं हुआ काZस� का एका काट�रं मZगेवाया। उसम� था�ड़� भैस्म ष्ठिमलई। वि=रं काह5

"नुवाब ! इस जील म� अपनु म�ख द�ख�।""भैगेवानु� ! इसम� नुह� दिदख पयागे। याह तें� का)चुड़ जी�स ह� गेया।""अच्छा।" वि=रं स्वाच्छा जील का दूसरं काट�रं मZगेवाया औरं उसका� था�ड़ धक्का द�कारं पनु� विहल दिदया औरं

काह5"अब इसम� अपनु म�Zह द�ख�।""स्वाम�जी� ! अब म�Zह तें� दिदख रंह ह� ल�विकानु विवाक्तिचुL-स दिदख रंह ह�, खण्p-खण्p ह�कारं दिदख रंह ह�। स=

नुह� दिदखतें।"पनु� का� च्चि}रं ह�नु� दिदया वि=रं काह5 "अब इसम� द�ख�।""महरंजी ! अब ठो�का दिदख रंह ह�।" महरंजीजी� नु� पनु� pल दिदया औरं चु�प ह�कारं ब�ठो� गेया�। नुवाब नु� वि=रं

प्राथा8नु का) विका5 "महरंजी ! हम ल�गे आत्म का अनु�भैवा का� स� कारं�? का� स� उस परंमत्म का� पएZ? का� स� हम� आनुन्द-स्वारूप का) अनु�भै'वितें ह�? का/ प कारंका� बतेंइया�।"

स�न्दरंदसजी� नु� काह5 "मगे8 म_नु� 'प्रा�क्टFकाल बतें दिदया। का� वाल स�द्धप्तिन्तेंका ह� नुह�, व्यवाहरिरंका स�झवा द� दिदया।"

"महरंजी ! हम समझ� नुह�। जीरं विवास्तेंरं स� काविहए नुथा।"तेंब स�तेंश्री� नु� काह5 "पहल� रंखवाल� पनु� म� म�Zह द�खनु� का� काह, नुह� द�ख पया� क्याविका पनु� म�ल था। ऐस�

ह� क्तिचुत्त जीब म�ल ह�तें ह�, विवाषोंया-वासनुया�O चु�ष्टएZ ह�तें� ह_, ज्ञानु विबनु का) विक्रयाएZ ह�तें� ह_ उसस� क्तिचुत्त मक्तिलनु ह� जीतें ह�। मक्तिलनु क्तिचुत्त म� तें�म्हरं� आत्म-परंमत्म का म�खड़ नुह� दिदख सकातें। क्तिचुत्त शं�द्ध ह�नु� लगेतें ह� तें� समझ बढ़तें� ह�। आदम� म� आध्यात्मित्मका या�ग्यातें पनुपनु� लगेतें� ह�।"

का�ई आदम� अच्छा� पद परं ह�। वाह चुह� तें� लख-कारं�ड़ रुपया� इकाट्ठी� कारं सकातें ह� ल�विकानु उस� भ्रांष्टचुरं अच्छा नुह� लगेतें। तें� समझ�, भैगेवानु का) उस परं का/ प ह�। ल�गे चुह� का� छू भै� स�चु ल�, म'ख8 ल�गे चुह� का� छू भै� काह द� विका सहब भै�ल� भैल� ह_, ल�विकानु वास्तेंवा म� सहब समझदरं ह_।

भ्रांष्टचुरं कारंनु� का म�का ह� वि=रं भै� नुह� विकाया, कापट कारंका� धनुवानु ह�नु� का म�का ह� वि=रं भै� कापट नुह� विकाया तें� हमरं� दिदलरूप� काट�रं� म� जी� रंख ह� वाह चुल� जीयागे�, मल चुल जीयागे। पनु� स्वाच्छा ह� जीयागे। अन्तें5कारंण शं�द्ध ह� जीयागे।

अन्तें5कारंण स्वाच्छा तें� ह� जीयागे ल�विकानु अब भै� उसम� अपनु म�खड़ नुह� दिदख�गे। आत्म-सक्षाःत्कारं नुह� ह�गे। क्या�? क्याविका क्तिचुत्त शं�द्ध तें� हुआ ह� ल�विकानु आत्म-सक्षाःत्कारं का� क्तिलए का� वाल क्तिचुत्त शं�द्ध ह�नु ह� पया8प्तें नुह�

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ह�। हम अच्छा व्यवाहरं कारंतें� ह_, सत्त्वित्त्वाका ह_, विकास� का शं�षोंण नुह� कारंतें� ह_, भ्रांष्टचुरं नुह� कारंतें�, बचुपनु स� स�तें का� पस जीतें� ह_ याह ईश्वरं का) बहुतें का/ प ह�, धन्यावाद ह�, ल�विकानु सक्षाःत्कारं का� क्तिलए एका कादम औरं आगे� रंखनु ह�गे भै�या !

क्तिचुत्त शं�द्ध ह� इसक्तिलए ब�ठोतें� ह� भैगेवानु का) भैक्तिO स्मरंण ह� आतें� ह�, धन्यावाद ह�। ल�विकानु भैगेवात्तत्वा का ब�ध तेंब तेंका नुह� ह�गे, आत्म-सक्षाःत्कारं तेंब तेंका नुह� ह�गे जीब तेंका क्तिचुत्त का) अविवाद्या विनुवा/त्त नु ह�।

क्तिचुत्त का� तें�नु द�षों ह_- क्तिचुत्त का म�लपनु, क्तिचुत्त का) चु�चुलतें औरं क्तिचुत्त का� अपनु� चु�तेंन्या का अभैनु। मल, विवाक्षाः�प औरं आवारंण।

समझ स� या�O विक्रयाएZ कारंनु� स� क्तिचुत्त शं�द्ध ह�तें ह�। शं�द्ध व्यवाहरं स� क्तिचुत्त शं�द्ध ह�तें ह�। प्रावितेंदिदनु ध्यानु का अभ्यास कारंनु� स� भै� क्तिचुत्त शं�द्ध ह�तें ह�।

शं�द्ध क्तिचुत्त का� ध्यानु स� एकाग्र विकाया जीतें ह�। एकाग्र क्तिचुत्त म� अगेरं तेंत्त्वाज्ञानु का� विवाचुरं ठो�का ढं�गे स� ब�ठो गेया� तें� सक्षाःत्कारं ह� जीया�।

महरंजी भैतें/8हरिरं अपनु विवाशंल सम्रज्या छू�ड़कारं जी�गे� बनु गेया�। सहजी स्वाभैवा विवाचुरंण कारंतें�-कारंतें� विकास� गेZवा स� गे�जीरं� तें� दुःकानु परं हलवाई हलवा बनु रंह था। हलवा� का) ख�श्ब' नु� उनुका� क्तिचुत्त का� आकार्तिषोंCतें कारं क्तिलया। सम्रट ह�कारं तें� ख'ब भै�गे भै�गे� था�। प�रंनु� स�स्कारं जीगे आया�। हलवा खनु� का) इच्छा ह� गेई। हलवाई का� काह5

"भैई ! हलवा द� द�।""प�स� ह_ तें�म्हरं� पस?" जी�गे� का� घ'रंतें� हुए हलवाई ब�ल।"प�स� तें� नुह� ह�।""विबनु प�स� हलवा का� स� ष्ठिमल�गे? प�स� लओ।""प�स� काहZ ष्ठिमल�गे�?" भैतें/8हरिरं नु� प'छू।हलवाई ब�ल5 "गेZवा का) दश्चिक्षाःण दिदशं म� दुःर्ष्याकाल रंहतें काया8 चुल रंह ह�, तेंलब ख�द रंह ह�। वाहZ जीओ।

मजीदूरं� कारं�। शंम का� प�स� ष्ठिमल जीएZगे�।"एका समया का सम्रट वाहZ गेया। का� दल�-=वाड़ चुलया। ष्ठिमट्टीF का� ट�कारं� उठोए। दिदनुभैरं मजीदूरं� का)। शंम

का� प�स� ष्ठिमल� औरं आ गेया� हलवाई का) दुःकानु परं। हलवा क्तिलया औरं प'छूतें�-प'छूतें� गेZवा का) उत्तरं दिदशं म� तेंलब का) ओरं चुल�।

भैतें/8हरिरं अपनु� मनु का� काहनु� लगे�5 "अरं� मनु�रंम ! तें'नु� रंज्या छू�ड़, परिरंवारं छू�ड़, घरंबरं छू�ड़, सम्रट पद छू�ड़ औरं हलवा� म� अटका गेया? हलवा नुह� ष्ठिमल इसक्तिलए दिदनु भैरं गे�लम� कारंवाई?

बदमशं ! जीरं स� ल'ल� का� लड़ लड़नु� का� क्तिलए इतेंनु परं�शंनु विकाया?"मनु का� अगेरं था�ड़� स� छू' ट द�गे� तें� वाह औरं ज्याद छू' ट ल� ल�गे। पस म� भै_स का गे�बरं पड़ था। भैतें/8हरिरं नु�

वाह उठोया औरं तेंलब का� विकानुरं� पहुZचु�। एका हथा स� हलवा� का का�रं उठोकारं म�Zह तेंका लतें� औरं वि=रं तेंलब म� pल द�तें� जी� मछूक्तिलयाZ ख जीतें�। दूसरं� हथा स� गे�बरं का का�रं उठोतें� औरं म�Zह म� ठो'Zसतें�, अपनु� आपका� काहतें�5 'ल�, ख याह हलवा।' ऐस� कारंतें�-कारंतें� कारं�ब प'रं हलवा पनु� म� चुल गेया। गे�बरं का का=) विहस्स चुल गेया प�ट म�। हलवा� का आखिखरं� ग्रस हथा म� बचु तेंब मनु म'र्तितेंCम�तें ह�कारं प्राकाट ह� गेया औरं ब�ल5

"ह� नुथा ! अब तें� का/ प का)द्धिजीए। इतेंनु तें� जीरं-स खनु� दFद्धिजीए !"ल�विकानु विनुK इतेंनु� परिरंपक्वा था�, दृढ़तें था� विका वा� अपनु� विनु#या म� अचुल था�। मनु का� काह5"तें'नु� प'रं� दिदनुभैरं म�झ� ध'प म� नुचुया, मजीदूरं� कारंवाई औरं अभै� हलवा खनु ह�? सदिदया स� तें'नु� म�झ� गे�लम

बनुया ह� औरं अब भै� म_ तें�रं� काहनु� म� चुल'Z?"भैतें/8हरिरं नु� वाह आखिखरं� का�रं भै� तेंलब म� =� का दिदया। मनु नु� द�ख विका म_ विकास� वा�रं का� हथा लगे हूZ।एका बरं मनु आपका� आगे� हरं जीतें ह� तें� आपम� स� गे�नु� तेंकातें आ जीतें� ह�। आप मनु का� आगे� हरं जीतें�

ह� तें� मनु का� स� गे�नु� तेंकातें आ जीतें� ह� आपका नुचुनु� का� क्तिलए।

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द्धिजीतेंनु ध्यानु औरं ज्ञानु का अभ्यास बढ़�गे, उनुका हम परं प्राभैवा रंह�गे उतेंनु हम मनु परं विवाजीया पया�गे�। द्धिजीतेंनु ज्ञानु औरं ध्यानु स� वा�क्तिचुतें रंहकारं विक्रयाएZ कारं�गे� उतेंनु ह� मनु परं हम परं विवाजी�तें ह� जीया�गे।

एका स�ठो का� म�नु�म नु� काह5 "स�ठोजी� ! सतें स� म� म�रं� परिरंवारं का प'रं नुह� ह�तें। म�झ� मह�नु� का प�~ह स� चुविहए।"

स�ठो नु� काह5 "जी चुल जी.... गे�ट आउट।"म�नु�म नु� काह5 "का�ई हरंकातें नुह�। म_ तें� गे�ट आउट ह� जीऊZ गे ल�विकानु आप सद का� क्तिलए गे�ट आउट ह�

जीया�गे�।""क्या बतें ह�?""म�झ� पतें ह�। आपनु� म�झस� जी� बविहयाZ क्तिलखवाई ह_ औरं इन्कामट�क्स का� =म8 भैरंवाया� ह_... तें�मनु� म�झस� जी�

गेलतें काम कारंवाया� ह_, अलगे विहसब रंखवाया� ह_ उसका) सब जीनुकारं� म�रं� पस ह�। अगेरं आप पन्~ह स� तेंनुख्वाह नुह� द�तें� तें� का�ई हरंकातें नुह�। म_ चुल जीऊZ गे इन्कामट�क्स ऑवि=सरं का� पशं"

स�ठोजी� नु� काह5 "तें�म भैल� स�लह स� ल� ल� ल�विकानु रंह� याहZ।"म�नु�म जीनुतें था स�ठो का) कामजी�रं�। ऐस� ह� हमरं� जी�वानु म� अगेरं ज्ञानु औरं ध्यानु नुह� ह� तें� मनु हमरं�

कामजी�रिरंयाZ जीनुतें ह�। हZ, स�ठो का� अगेरं इन्कामट�क्स काष्ठिमश्नःरं का� सथा स�ध वा गेहरं सम्बन्धु ह�तें, तें� वाह स�ठो म�नु�म का� लतें मरं द�तें। ऐस� ह� सब ष्ठिमविनुस्टरं का� भै� ष्ठिमविनुस्टरं परंमत्म का� सथा स�ध सम्बन्धु ह� जीया तें� मनुरूप� म�नु�म का ज्याद प्राभैवा नु रंह�। जीब तेंका परंमत्म का� सथा सम्बन्धु नु हुआ ह� तेंब तेंका तें� मनु का� रिरंझतें� रंह�।, उसस� दब�-दब� रंह�।

अपनु� या�ग्यातें का� ऐस� विवाकाक्तिसतें कारं ल� विका मनुरूप� म�नु�म जीब जी�स चुह� वा�स हम� नु नुचुए ल�विकानु हम जी�स चुह� वा�स म�नु�म कारंनु� लगे�।

हम अपनु� मनुरूप� म�नु�म का� आगे� सद स� हरंतें� आए ह_। इसनु� हम परं ऐस प्राभैवा pल दिदया विका हम� जी�स काहतें ह� वा�स हम कारंतें� ह_। क्याविका प्रारंम्भ म� ज्ञानु था नुह�।

ध्यानु औरं ज्ञानु का प्राभैवा नुह� ह� तें� हम दुःब8ल ह� जीतें� ह_, हमरं गे�लम मनु-म�नु�म बलवानु ह� जीतें ह�। दिदखतें� तें� ह_ बड़�-बड़� स�ठो, बड़�-बड़� सहब, बड़�-बड़� अष्ठिधकारं� ल�विकानु गेहरंई म� गे�तें मरं कारं द�ख� तें� हम गे�लम का� क्तिसवाया औरं का� छू नुह� ह_। क्याविका मनुरूप� गे�लम का� काहनु� म� चुल रंह� ह_।

मनु का) गे�लम� द्धिजीतेंनु� अ�शं म� म�जी'द ह� उतेंनु� अ�शं म� दुः5ख म�जी'द ह�, परंध�नुतें म�जी'द ह�, परंतेंन्Lतें म�जी'द ह�। याह गे�लम� का� स� दूरं ह�?

गे�लम� दूरं ह�तें� ह� समझ स� औरं समर्थ्यया8 स�। ज्ञानु समझ द�तें ह� औरं ध्यानु समर्थ्यया8 द�तें ह�। अनु�क्रम

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

["जी" अपून� आपूके"रंमण महर्तिषोंC का� पस का� छू भैO पहुZचु�। द्धिजीनुका) दृष्ठिष्ट मL स� जी�वा आनुन्द का� प्राप्तें ह�तें ह�, द्धिजीसका) मविहम

गेतें� शंस्L थाकातें� नुह�, या�द्ध का� म�दनु म� न निहो ज्ञा�न�न संदृश� पूनिवत्रमिमहो निवद्यतः� ऐस काहकारं भैगेवानु श्री�का/ र्ष्याण द्धिजीस ज्ञानु का) श्री�Kतें वा पविवाLतें बतेंतें� ह_ उस ज्ञानु का� प्राप्तें विकाया� हुए आत्मवा�त्त जी�वान्म�O महप�रुषों का� दशं8नु कारंनु� का) काई दिदनु का) इच्छा प'ण8 हुई। स�नु था विका ब्रह्मविनुK महप�रुषों श्री� रंमण महर्तिषोंC का� सष्ठिन्नध्या म� ब�ठोनु� मL स� हृदया शंप्तिन्तें वा आनुन्द का अनु�भैवा कारंतें ह�। आजी वाह स�अवासरं प्राप्तें ह� गेया।

भैO-मण्pल महर्तिषोंC का� प्राणम कारंका� ब�ठो। विकास� नु� श्री�का/ र्ष्याण का) आरंधनु का) था� तें� विकास� नु� अम्बजी� का), विकास� नु� रंमजी� का� रिरंझनु� का� प्रायास विकाया� था� तें� विकास� नु� स'या8नुरंयाण का� अघ्या8 दिदया� था� विकास� नु� व्रतें विकाया� था� तें� विकास� नु� =लहरं स� वाषों8 विबतेंए था�। विकास� नु� द� द�वा बदल� था� तें� विकास� नु� तें�नु, चुरं या पZचु द�वा बदल� था�।

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जीब तेंका ज्ञानुवानु, आत्मरंम�, प्राब�द्ध महप�रुषों का� चुरंण म� जीकारं सधनु का मगे8 स�विनुश्चि#तें नुह� ह�तें तेंब तेंका मनुमनु� सधनु जीमतें� नुह�। हृदया का) गेहरंई म� आशं�का बनु� रंहतें� ह� विका सधनु प'ण8 ह�गे� विका नुह�, =लदया� बनु�गे� विका नुह�। गेहरंई म� याह स�द�ह विवाद्यामनु ह� तें� ऊपरं-ऊपरं स� विकातेंनु� ह� व्रतें विनुयाम कारं�, विकातेंनु� ह� सधनु कारं�, शंरं�रं का� काष्ट द� ल�विकानु प'ण8रूप�ण लभै नुह� ह�तें। अचु�तेंनु मनु म� सन्द�ह बनु ह� रंहतें ह�। याह� हम ल�गे का� क्तिलए बड़� म� बड़ विवाघ्नु ह�।

या�गेवाक्तिशंK महरंमयाण म� आया ह� विका शंमवानु प�रुषों का� सवा8 सन्द�ह विनुवा/त्त ह� जीतें� ह_, उसका� क्तिचुत्त म� शं�का का� प्रास�गे म� शं�का नुह� ह�तें, हषों8 का� प्रास�गे म� हषों8 नुह� ह�तें, भैया का� प्रास�गे म� भैयाभै�तें दिदखतें हुआ भै� भैयाभै�तें नुह� ह�तें, रूदनु का� प्रास�गे म� रं�तें हुआ दिदखतें ह� वि=रं भै� नुह� रं�तें ह�, स�ख का� प्रास�गे म� स�ख� दिदखतें ह� वि=रं भै� स�ख� नुह� ह�तें।

जी� स�ख� ह�तें ह� वाह दुः5ख� भै� ह�तें ह�। द्धिजीतेंनु अष्ठिधका स�ख� ह�तें ह� उतेंनु अष्ठिधका दुः5ख का� आघतें सहतें ह�। मनु का� द� शंब्द स� द्धिजीतेंनु अष्ठिधका ख�शं ह�तें ह� उतेंनु अष्ठिधका अपमनु का� प्रास�गे म� व्यग्र ह�तें ह�। धनु का) प्राप्तिप्तें स� द्धिजीतेंनु अष्ठिधका हषों8 ह�तें ह�, धनु चुल� जीनु� स� उतेंनु अष्ठिधका शं�का ह�तें ह�। क्तिचुत्त द्धिजीतेंनु तें�च्छा, हल्का औरं अज्ञानु स� आक्रन्तें ह�तें ह� उतेंनु ह� छू�टF-छू�टF बतें स� क्षाः�श्चिभैतें ह�तें ह�। क्तिचुत्त जीब बष्ठिधतें ह� जीतें ह� तेंब क्षाः�श्चिभैतें ह�तें हुआ दिदख� उसका� क्षाः�भै स्पशं8 नुह� कारं सकातें। अष्टवाक्र म�विनु नु� रंजी जीनुका का� काह5

धर" न द्वे�निष्ट संसं�र� आत्म�न� न दिददृक्षानितः।होर्षा�*भर्षा*निवनिनम&*क्तं" न मjतः" न च जीवनितः।।

"हषों8 औरं द्वे�षों स� रंविहतें ज्ञानु� स�सरं का� प्रावितें नु द्वे�षों कारंतें ह� औरं नु आत्म का� द�खनु� का) इच्छा कारंतें ह�। वाह नु मरं हुआ ह� औरं नु जी�तें ह�।"

(अष्ट�वक्र गतः�� 83)जी� ध�रं प�रुषों ह_, शंम का� प्राप्तें हुए ह_, द्धिजीन्हनु� जी�वानु का� परंम लक्ष्या का� क्तिसद्ध कारं क्तिलया, परंमत्म-दशं8नु

कारं क्तिलया, ब्रह्म-विवार्ष्याण�-मह�शं समप्तिन्वातें विवाश्व का� तेंमम द�वा का) म�लकातें कारं ल�, जी� अपनु� स्वारूप म� परिरंविनुष्ठिKतें ह� गेया� वा� ह� का/ तेंका/ त्या ह_। शंस्L म� उन्ह� का� ध�रं काह ह�।

जी� क्षाः�ध-तें/षों, सदª-गेम£ सहनु कारंतें� ह_ उनुम� तें� ध�या8 तें� ह� ल�विकानु वा� तेंपस्वा� ह_। वा� व्यवाहरिरंका ध�या8वानु ह_। शंस्L विकानुका� ध�या8वानु काहतें� ह_? अष्टवाक्र म�विनु काहतें� ह_- धर" न द्वे�निष्ट सं�सं�रम2.... स�सरं का) विकास� भै� परिरंच्चि}वितें म� उविद्वेग्नु नुह� ह�तें, उस� द्वे�षों नुह� ह�तें। आत्म�न� न दिददृक्षानितः। आत्म-परंमत्म का दशं8नु कारंनु� का), उस� प्राप्तें कारंनु� का) इच्छा नुह� ह�। स�सरं का) प्राप्तिप्तें तें� नुह� चुहतें, इतेंनु ह� नुह� प्राभै� का� प्राप्तें कारंनु� का) भै� इच्छा नुह� रंह�। क्याविका अपनु आत्म ह� प्राभै� का� रूप म� प्रात्याक्षाः ह� गेया ह�। वि=रं प्राप्तें कारंनु काहZ बका) रंह? जी�स�, म�रं� का� आसरंमजी� महरंजी का� दशं8नु कारंनु� का) इच्छा नुह�। अगेरं म_ इच्छा कारूZ तें� म�रं� इच्छा =ल�गे� क्या? म_ जीनुतें हूZ विका आसरंमजी� महरंजी का�नु ह_।

द्धिजीसनु� अपनु�-आत्मस्वारूप का� जीनु क्तिलया, परंमत्म-स्वारूप का� जीनु क्तिलया उसका� परंमत्म-प्राप्तिप्तें का) इच्छा नुह� रंहतें�।

होर्षा�*भर्षा*निवनिनम&*क्तं" न मjतः" न च जीवनितः।हषों8 औरं शं�का, स�ख औरं दुः5ख – इनु द्वेन्द्वे स� ठो�का प्राकारं स� म�O ह� जीतें ह�। वाह जी�तें भै� नुह� औरं

मरंतें भै� नुह�। सधरंण मनु�र्ष्याया ह� जीतें ह�। वाह जी�तें भै� नुह� औरं मरंतें भै� नुह�। सधरंण मनु�र्ष्याया दिदनु म� काई बरं जी�तें मरंतें रंहतें ह�। ध�रं प�रुषों विकास� भै� प्रास�गे स� जी�तें-मरंतें नुह� औरं द�ह का� विवासजी8नु स� भै� मरंतें नुह�।

ऐस� ध�रं प�रुषों का� समक्षाः ब�ठोनु� स� क्तिचुत्त म� उल्लस, शंप्तिन्तें, आनुन्द का प्राकाट्य ह�तें ह�। महदुःरंचुरं�, पप� आदम� परं भै� महप�रुषों का) दृष्ठिष्ट पड़� तें� का� छू नु का� छू लभै अवाश्या ह�तें ह�। जी�वानु म� का� छू प�ण्या विकाया� ह, उपसनु आरंधनु का) ह�, विकास� का� आZस' पछू� ह, मतें-विपतें का दिदल शं�तेंल विकाया ह� तें� अष्ठिधका लभै ष्ठिमलतें ह�।

उनु भैO का� जीन्म का� प�ण्या =क्तिलतें हुए तें� वा� सत्प�रुषों का� सष्ठिन्नध्या म� पहुZचु सका� । उन्हनु� रंमण महर्तिषोंC स� प्राश्नः विकाया5

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"स्वाम� जी� ! हम� का� स� सधनु कारंनु� चुविहए? रंमयाण स�नुतें� ह_ तें� भैगेवानु श्री�रंम सवा«सवा8 लगेतें� ह_। भैगेवातें का) काथा स�नुतें� ह_ तें� 'श्री�का/ र्ष्याण गे�विवान्द हरं� म�रंरं� ह� नुथा नुरंयाण वास�द�वा' याह म�L भैतें ह�। क्तिशंवाप�रंण स�नुतें� ह_ तें� 'नुम5 क्तिशंवाया' म�L प्यारं लगेतें ह�। काभै� का� छू कारंतें� ह_ काभै� का� छू। अब हम क्या कारं�?"

सब भैO नु� इस प्राकारं अपनु�-अपनु� प्राश्नः महर्तिषोंC का� समक्षाः प्रास्तें�तें विकाया�। या� प्राश्नः का� वाल उनु ल�गे का ह� नुह� था, हम सबका भै� याह� प्राश्नः ह�। जीब तेंका आत्मब�ध नुह� ह�तें तेंब तेंका छू�टF-छू�टF बतें म� क्तिचुत्त उविद्वेग्नु ह� जीतें ह�। उपसनु कारंनु� स� क्तिचुत्त था�ड़ शं�द्ध ह�तें ह�, च्चि}रं ह�तें ह� औरं आत्मब�ध स� क्तिचुत्त बष्ठिधतें ह�तें ह�। शं�द्ध बनु हुआ क्तिचुत्त वि=रं अशं�द्ध ह� सकातें ह� ल�विकानु बष्ठिधतें क्तिचुत्त शं�द्धिद्ध-अशं�द्धिद्ध का� परं पहुZचु जीतें ह�।

रंमण महर्तिषोंC ऐस� बतें बतेंतें� ह_ जीहZ द�वा बदलनु� औरं क्तिचुत्त का� पतेंनु वा उत्थानु का� }नु ह� नु ष्ठिमल�। महर्तिषोंC नु� सबका� प्राश्नः स�नु�। क्षाःणभैरं विनुजीनुन्द म� गे�तें लगेया। वि=रं ब�ल�5

"भैई ! तें�म द्धिजीस द�वा का) उपसनु आरंधनु कारंतें� ह� वाह सब ठो�का ह�। बरं-बरं अपनु� का� प्राश्नः कारं� विका उपसनु आरंधनु कारंनु� वाल म_ का�नु हूZ? सतेंतें अपनु� आप स� याह प्राश्नः कारं�। तें�म्हरं जी� का�ई द�वा ह�गे वाह प्रासन्न ष्ठिमल�गे। द�व" भ�त्व� द0व� यजी�तः2। द�वा ह�कारं द�वा का) प'जी कारं�।"

तें�म का�नु ह�? तें�म यादिद हड़-म�स का� अनुथाभैई, छूनुभैई ह�कारं प'जी कारं�गे� तें� विवाशं�षों लभै नुह� ह�गे। तें�म अपनु� का� ख�जी� तें� पतें चुल�गे विका तें�म का� स� दिदव्य द�ह ह�। तें�म्हरं� आत्म विकातेंनु� महनु ह�। 'म_ का�नु हूZ' याह प्राश्नः अपनु� का� प'छू� औरं अपनु� आपका� ख�जी� तें� तेंमम प्राश्नः का� जीवाब तें�म्ह� ष्ठिमलतें� जीया�गे�। भै�तेंरं स� अपनु� आपका) सह� पहचुनु ह� गेई तें� तें�म्हरं� सब जीप-तेंप =क्तिलतें ह� गेया�, सब दनु-प�ण्या सथा8का ह� गेया�। वि=रं तें� तें�म्हरं� म�ठो� विनुगेह� द्धिजीनु परं पड़�गे� वा� भै� लभैप्तिन्वातें ह�नु� लगे�गे�।

बतें छू�टF-स� लगेतें� ह� ल�विकानु पच्ची�स-पचुस सल स� अलगे-अलगे उपसनु कारंनु� स� जी� आध्यात्मित्मका विवाकास नुह� ह�तें वाह विवाकास 'म_ का�नु हूZ' का) ख�जी स� ह� सकातें ह�।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

गतः�ज्ञा�न-संरिरतः�य�र्षा�� त्वन्तःगतः� पू�पू� जीन�न�� पू&ण्यकेम*णी�म2।तः� द्वेन्द्वेम"होनिनम&*क्तं� भजीन्तः� म�� दृढ़व्रतः��।।

'विनुर्ष्याकाम भैवा स� श्री�K कामd का आचुरंण कारंनु� वाल� द्धिजीनु प�रुषों का पप नुष्ट ह� गेया ह� वा� रंगे-द्वे�षों जीविनुतें द्वेन्द्वेरूप म�ह स� म�O दृढ़विनु#या� भैO म�झका� सब प्राकारं स� भैजीतें� ह_।'

(गतः�� 7.28)द्वेन्द्वे काई प्राकारं का� ह�तें� ह_- गे/ह} जी�वानु का� द्वेन्द्वे, ब्रह्मचुरं� जी�वानु का� द्वेन्द्वे, वानुप्रा} जी�वानु का� द्वेन्द्वे,

स�न्यास जी�वानु का� द्वेन्द्वे, स्वागे8 म� जीओ तें� भै� द्वेन्द्वे औरं उपसनु मगे8 म� जीओ तें� भै� द्वेन्द्वे। का�ई सधनु कारंनु� लगे�गे तें� प्राश्नः ह�गे विका या� द�वा बड़� विका वा� द�वा बड़�? या� भैगेवानु बड़�? याह सधनु बड़� विका वाह सधनु बड़�? या� स�तें बड़� विका वा� स�तें बड़�?

तेंमम प्राकारं का� द्वेन्द्वे हमरं� क्तिचुत्त का) शंक्तिOया का� विबख�रं द�तें� ह_। ल�विकानु द्धिजीनुका� पप का अन्तें ह� गेया ह� ऐस� भैO क्तिचुत्त का) तेंमम शंक्तिOया का� का� द्धिन्~तें कारंका� भैगेवानु का� भैजीनु म� दृढ़तेंप'वा8का लगे जीतें� ह_। दृढ़तें स� भैगेवानु का भैजीनु कारंनु� वाल भैगेवान्मया ह� जीतें ह�।

भैजीनु म� जीब तेंका दृढ़तें नुह� आतें� तेंब तेंका भैजीनु का रंस नुह� आतें जीब तेंका भैजीनु का रंस नुह� आतें तेंब तेंका भैवा का� रंस का आकाषों8ण नुह� जीतें।

मनु�र्ष्याया का) अप�क्षाः जी�वा शंश्वतें ह�। मनु�र्ष्याया सठो, सत्तरं, अस्स� सल तेंका जी�तें ह� जीबविका जी�वा अनुन्तें शंरं�रं बदलतें हुआ जी�तें ह�। मनु�र्ष्याया का� स�स्कारं द�नु� पड़तें� ह_ विका तें' जी�वा नुह� ह�, क्तिशंवास्वारूप ह�। प्रारं�भै म� दFक्षाः दF जीतें� ह�

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औरं काह जीतें ह� विका अब तें' ब्रह्मचुरं� ह�, ब्रह्मचुया8श्रीम का� धमd का पलनु कारं। वि=रं दूसरं� आश्रीम म� प्रावा�शं ह�तें ह� तेंब अध्यारं�प विकाया जीतें ह� विका तें' गे/ह}� ह�। वि=रं वानुप्रा}� ह� औरं आखिखरं म� परंम पद पनु� का� क्तिलए स�न्यास।

प्रारंम्भ म� व्यवाहरिरंका दृष्ठिष्ट स� अध्यारं�प हुआ विका 'म_ ब्रह्मचुरं� हूZ, म_ गे/ह}� हूZ, म_ वानुप्रा}� हूZ।' इनु अध्यारं�प का� हटनु� का� क्तिलए स�न्यास्तें का अध्यारं�प विकाया गेया।

स�न्यास मनु� क्या? सवा8 स�काल्प का त्यागे। प�रं म� काZट चु�भै जीया तें� उस� विनुकालनु� का� क्तिलए दूसरं काZट (स�ई) जीनु-ब'झकारं चु�भैया जीतें ह�। प�रं म� रंखनु� का� क्तिलए नुह� अविपतें� पहल� काZट� का� विनुकालनु� का� क्तिलए याह दूसरं चु�भैया ह�। पहल विनुकाल गेया तें� दूसरं भै� विनुकाल दिदया जीतें ह�।

ऐस� ह� जीन्म-जीन्म�तेंरं का� स�स्कारं-का� स�स्कारं ध�नु� का� क्तिलए ब्रह्मचुया8श्रीम का� विनुयाम-धम8, गे/ह} औरं वानुप्रा} का� विनुयाम धम8 का� स्वा�कारं कारंया जीतें ह�। 'म_ ब्रह्मचुरं� हूZ। ब्रह्मचुया8 का पलनु, सधनु, विवाद्याभ्यास, वा�दशंस्L का अभ्यास औरं गे�रुस�वा कारंनु म�रं पविवाL कात्त8व्य ह�।' वि=रं, 'म_ गे/ह}� हूZ। धम8 का� म�तेंविबका धनु�पजी8नु कारंनु, पविवाLतें स� जी�वानु जी�नु औरं जी�नु� द�नु, इतेंरं तें�नु आश्रीम का याथाशंक्तिO प�षोंण कारंनु म�रं कात्त8व्य ह�।' वि=रं, 'म_ वानुप्रा}� हूZ। इद्धिन्~या-स�याम कारंका� अब म�झ� तेंपस्वा� जी�वानु विबतेंनु चुविहए।' ल�विकानु 'म_ का�नु हूZ?' इसका ज्ञानु प्राप्तें कारंनु ह� तें� पहल� अध्यारं�विपतें स�स्कारं का� विनुम'8ल कारंनु� का� क्तिलए स�न्यास धम8 का� स्वा�कारं विकाया जीतें ह�।

स�न्यास का अथा8 ह� तेंमम इच्छाओं का त्यागे। हृदया म� जीब म�क्षाः का) तें�व्र इच्छा जीगे� तेंब दूसरं� छू�टF-म�टF तेंमम इच्छाएZ उस म�म�क्षाः का) अखिग्नु म� स्वाह ह� जीतें� ह�। दूसरं� इच्छाओं स� पल्ल छू� ड़नु� का� क्तिलए म�क्षाः का) इच्छा का) जीतें� ह�। जीब दूसरं� इच्छाएZ भैल� प्राकारं हट गेई तें� म�क्षाः का) इच्छा का भै� बध विकाया जीतें ह�। तेंब 'म�रं म�क्षाः ह�, परंमत्म का दFदरं ह�' – ऐस� भैवानु भै� आवाश्याका नुह� रंहतें�। म�क्षाः�च्छा ष्ठिमटतें� ह� प्राभै� का सक्षाःत्कारं ह� जीतें ह�, ब�ड़ परं ह� जीतें ह�।

सधका का� याह मगे8 समझ म� आ जीया�, विकास� सच्ची� सदगे�रु का मगे8दशं8नु ष्ठिमल जीया तें� काया8 सरंल बनु जीतें ह�। अन्याथा तें� बहरं का� म�दिदरं-मच्चिस्जीद म� जीतें�-जीतें�, बहरं का� द�वा�-द�वातेंओं का� प'जीतें�-प'जीतें�, स�सरं-व्यवाहरं चुलतें�-चुलतें�, इद्धिन्~या का� विवाषोंया म� भैटकातें�-भैटकातें�, विवाविवाध प्राकारं का� द्वेन्द्वे म� उलझतें�-उलझतें� एका ह� आया�र्ष्याया नुह� बत्त्विल्का या�गे का� या�गे ब�तें गेया�।

एका शंम का� भै�जी' स�नु� का) स�ई स� कापड़ स�नु� का) चु�ष्ट कारं रंह था। नुया�-नुया� शंदF हुई था� औरं स�नु� का) स�ई दह�जी म� ष्ठिमल� ह�गे�। स�ई का) नु�का हथा म� चु�भै� औरं झटका तें� स�ई विगेरं पड़� ,ख� गेई। घरं म� अन्धु�रं ह� रंह था। भै�जी' भैगे बजीरं म� नुगेरंपक्तिलका का� =नु'स का) रं�शंनु� म� ध'ल का� छू�ट�-छू�ट� ढं�रं बनुकारं स�ई ख�जीनु� लगे। रंतें का� आठो बजी�.... नु�... दस रं ग्यारंह बजी�। भै�जी' अपनु� काया8 म� बड़ व्यस्तें था। खनु-प�नु भै� याद नुह�। स�नु� का) स�ई जी� ख�ई था� ! रंL� का� बरंह बजी� नुटका द�खकारं ल�टतें� हुए ष्ठिमL नु� द�ख तें� प'छू5

"अरं� भैई भै�जी' ! याह सब क्या कारं रंह ह�?""म= कारं�। म_ बहुतें काम म� हूZ।" भै�जी' नु� क्तिसरं ऊZ चु विकाए विबनु अपनु काम चुल' रंख।"अरं� द�स्तें ! बतें तें� सह� ! हम का� छू सहया कारं�।" ष्ठिमL-मण्pल भै�जी' का� इद8-विगेद8 जीम ह� गेया।"सहया कारंनु ह� तें� कारं� ल�विकानु म�रं� पस समया नुह� ह� बतें� कारंनु� का। बहुतें जीरूरं� काम म� लगे हूZ।""का�नु स जीरूरं� काम?" ष्ठिमL का) उत्स�कातें बढ़F।"स�नु� का) स�ई ख� गेई ह�।" आखिखरं भै�जी' नु� बतें ह� दिदया।"काहZ ख�ई?""ख�ई तें� घरं म� ह�...""तें� याहZ क्या ख�जी रंह ह�?" ष्ठिमL का� आ#या8 हुआ।"घरं म� अन्धु�रं ह�। वाहZ दFया का�नु जीलया�? याहZ जीलतें हुआ =नु'स तें�यारं ह�।" भै�जी' नु� अपनु प्रागेढ़ (अ)

ज्ञानु प्राकाक्तिशंतें विकाया।"अरं� पगेल ! इस प्राकारं याहZ ख�जीतें�-ख�जीतें� एका रंL� नुह�, प'रं आया�र्ष्याया विबतें द�गे तें� भै� स�ई याहZ नुह�

ष्ठिमल�गे�। घरं म� जी, दFया जील औरं स�ई जीहZ ख�ई ह� वाह� ख�जी।"

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इस प्राकारं जी�वा स�बह स� शंम तेंका, जी�वानु स� म�तें तेंका, म/त्या� का� बद नुया� जीन्म म�.... इस प्राकारं या�गे-या�गेन्तेंरं तेंका 'स�ख का� पकाड़� रंखनु औरं दुः5ख का� दूरं कारंनु' – इस� द�ड़ म� लगे ह�।

स�बह स� शंम तेंका हम क्या कारंतें� ह_? दुः5ख का� दूरं हटनु औरं स�ख का� सम्भलनु। हरं�का प्राण� जी�वानु स� म/त्या� पया�तें याह� प्रावा/श्चित्त कारंतें ह�। आखिखरं म� उस� क्या हथा लगेतें ह�? सभै� भै�जी' का� सथा�....। स�ख काहZ ह� याह पतें नुह�। स�ख ख�या ह� याह तें� था�ड़-था�ड़ पतें लगेतें ह� ल�विकानु काहZ ख�जीनु चुविहए इसका) स'झ नुह�। ख�या ह� घरं म� औरं ख�जीतें ह� बजीरं म�।

काब�रंजी� काहतें� ह_-भRके म��आ भ�दू निबान� पू�व� केnन उपू�य।

["जीतः ["जीतः य&ग गय� पू�व के"सं घुर आय।।स�ख का� ख�जीतें�-ख�जीतें�, शंप्तिन्तें का� ख�जीतें�-ख�जीतें�, अमरंतें का� ख�जीतें�-ख�जीतें� या�गे ब�तें गेया� वि=रं भै�

जी�वा ब�चुरं अभैगे ह� रंह गेया। हरं�का जीन्म म� बप विकाया�, मZ का), पवितें विकाया�, पत्नु� का), घरंबरं बनुया�, परिरंवारं का� विनुभैया�, क्या-क्या नुह� विकाया ब�चुरं� नु�? ल�विकानु म/त्या� का एका ह� झटका औरं सब विकाया कारंया चु�पट। वि=रं दूसरं� गेभै8 म� उल्ट ह�कारं लटकानु, नुरंका)या यातेंनुओं का� सथा जीन्मनु, दुः5ख भै�गेतें�-भै�गेतें� जी�नु। जी�स-जी�स वातेंवारंण ष्ठिमल वा�स� स�स्कारं क्तिचुत्त म� जीम गेया�। जी�वा स�चुतें ह� विका इतेंनु कारं ल'Z तें� आरंम.... बबजी� ह� जीऊZ , वि=रं आरंम....। याह कारं ल'Z वि=रं आरंम.... वाह कारं ल'Z वि=रं आरंम...। ऐस कारंतें�-कारंतें� जी�वानु प'रं ह� गेया। आखिखरं प'छू� विका "पशं काका ! क्या हल ह�?"

"अरं� काका ! मरंनु� म� भै� आरंम नुह� ह�।"विबलका� ल सचु बतें ह�। मरंनु� म� भै� आरंम नुह� औरं कारंनु� म� भै� आरंम नुह�। तें� आरंम काहZ ह�?

य�र्षा�� त्वन्तःगतः� पू�पू� जीन�न�� पू&ण्यकेम*णी�म2।तः� द्वेन्द्वेम"निहोनिनम&*क्तं� भजीन्तः� म�� दृढ़व्रतः�।।

द्धिजीनुका� पप का अन्तें हुआ ह�, प�ण्या कामd का उदया हुआ ह�, म�ह विवाविनुम�8O हुआ ह� वाह दृढ़तें स� भैगेवानु का भैजीनु कारं सकातें ह�। ज्ञानु का� विबनु भैजीनु नुह� ह� सकातें, ज्ञानु का� विबनु प�ण्या नुह� ह� सकातें, सक्षाःतें� भैगेवानु भै� तें�म्हरं� कान्धु� स� टकारंकारं चुल� जीया� तें� ज्ञानु का� विबनु पतें नुह� चुलतें।

श्री�मद� भैगेवातें म� प्रास�गे आतें ह� विका वास�द�वाजी� नु� याज्ञा विकाया। नुरंदजी� पधरं� तें� वास�द�वा जी� नु� उन्ह� प्राणम विकाया औरं काहनु� लगे�5

"भैगेवानु ! हमरं� अह�भैग्या विका आप जी�स� प्राभै� पधरं�। ह� द�वार्तिषोंC ! अब म�झ परं का/ प कारं� विका म�झ� भैगेवानु का� दशं8नु ह� जीया�। म�रं काल्याण ह� जीया।"

याह स�नुकारं नुरंदजी� सत्त्विस्मतें-वादनु ह�कारं काहनु� लगे�5 "अरं� वास�द�वाजी� ! या� सब सध'-स�तें महत्म ल�गे आपका� याज्ञा का� ध'एZ चुटनु� आया� ह_ क्या? हम ल�गे याहZ क्या आया� ह_?"

"महरंजी ! आपनु� पधरं कारं हम� दशं8नु दिदया� ल�विकानु...""अरं� हम भै� भैगेवानु का� दशं8नु कारंनु� ह� तें� याहZ आया� ह_।""अच्छा ! काहZ ह_ भैगेवानु?" वास�द�वाजी� विवास्फु� रिरंतें नु�L स� द�खनु� लगे�।"वाहZ द�ख�..... वाह नुटखट नुगेरं स�तें� का) जी'ठो� पत्तल उठो रंह� ह_।""अरं� वाह तें� म�रं कान्ह�या ह�। आप म�झ� भैगेवानु का� दशं8नु कारंइया�।"भैगेवानु द्धिजीनुका) गे�द म� ख�लतें� ह_ ऐस� वास�द�वाजी� भै� भैगेवात्तत्वा का भैनु नु ह�नु� स� याज्ञा कारंकारं नुरंदजी� स�

आशं�वा8द मZगेतें� ह_ औरं भैगेवानु का� ख�जीनु� का), पनु� का) तें�यारिरंयाZ कारं रंह� ह_।एका बरं म��बई का का�ई सज्जानु अमदवाद का� आश्रीम म� दशं8नुथा8 आया। प�स्तेंका� पढ़F ह�गे�, ल�गे स� स�नु

ह�गे तें� दशं8नु कारंनु� का) इच्छा जीगे�। हम काह� बहरं गेया� था�। वाह वापस ल�ट गेया। दशं8नु नुह� ह� सका� ।का� छू दिदनु बद उस� व्यवासया का� विनुष्ठिमत्त ल�ष्ठिधयानु जीनु हुआ। ल�टतें� वाO स�चु विका अमदवाद ह�कारं वि=रं

म��बई जीयाZगे�। वाह दिदल्ल� म� 'रिरंजीवा«शंनु का�चु' म� ब�ठो। स�या�गेवाशंतें� हम भै� उस� गेड़� स� अमदवाद ल�ट रंह� था�। उस�

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काम्पाट8म�न्ट म� प्रावा�शं विकाया। उस� पतें नुह� था विका द्धिजीनु महरंजी का� दशं8नुथा8 अमदवाद आश्रीम म� गेया था वा� ह� महरंजी ह_। वाह ब�ल5

"बबजी� ! आगे� जीओ।""हमरं� रिरंजीवा«शंनु दिटकाट का नु�बरं 19 ह�। आपका का�नु-स ह�?" हमनु� प'छू।"अठोरंह।" वाह ब�ल।"आप अपनु� जीगेह ब�ठो�, हम हमरं� जीगेह ब�ठोतें� ह_। आपका� का�ई हरंकातें नुह� ह� नु? " हमनु� था�ड़ विवानु�द

विकाया।"अच्छा, ब�ठो�।" म�Zह विबगेड़तें� हुए वाह ब�ल।गेड़� चुल�। छू�ट�-म�ट� स्ट�शंनु आया� औरं गेया�। जीयाप�रं आया। अब भै� उस सज्जानु का� बबजी� का� दशं8नु नुह�

हुए। द्धिजीनुका� दशं8नु कारंनु� म��बई स� अमदवाद गेया� था� वा� ह� उस� काम्पाट8म�न्ट म� पस वाल� स�ट परं ब�ठो� था� वि=रं भै� दशं8नु नुह� ह� रंह� ह_। क्याविका ज्ञानु नुह� विका याह� वा� स�तें ह_।

गेड़� अजीम�रं पहुZचु�। वाहZ का� भैO का� हमरं� प्रावास का) खबरं ष्ठिमल चु�का) था�। =ल-=' ल ल�कारं भैO का ट�ल अजीम�रं का� प्ल�ट=म8 परं जीम ह� गेया था। गेड़� नु� स्ट�शंनु म� प्रावा�शं विकाया तें� 'आसरंमजी� महरंजी का) जीया..... आसरंमजी� महरंजी का) जीया......' का� नुद स� स्ट�शंनु गे�Zजी दिदया।

या� सज्जानु खिखड़का) स� बहरं झZकानु� लगे�। 'द्धिजीनुका� दशं8नु कारंनु� अमदवाद गेया था विका वा� ह� आसरंमजी� महरंजी अजीम�रं म� पधरं� ह_ क्या? इतेंनु� म� भैO का ट�ल =' लहरं का� सथा ख�जीतें-ख�जीतें हमरं� का�चु का� पस आ पहुZचु। दशं8नु ह�तें� ह� वि=रं स� जीया-जीयाकारं हुआ। भै�तेंरं आकारं ल�गे प्राणम कारंनु� लगे�, =' लहरं चुढ़नु� लगे�, बहरंवाल� दूरं स� ह� प�र्ष्यापवा/ष्ठिष्ट कारंनु� लगे�। सभै� का� चु�हरं� आनुन्द स� महका रंह� था�। प्ल�ट=म8 परं आनुन्द-उत्सवा ह�नु� लगे।

या� सज्जानु याह दृश्या द�खकारं द�गे रंह गेया�। विकास� भैO स� प'छू5"क्या या� ह� अमदवादवाल� आसरंमजी� महरंजी ह_?""हZ हZ.... या� ह� म�ट�रंवाल� सZईं ह�।" भैO बड़� उत्सह स� ब�ल।स�नुकारं तें�रंन्तें वाह सज्जानु चुरंण म� क्तिलपट पड़। गेदगेद� काण्ठो स� ब�ल उठो5"बप'...! बप'....!! म_नु� पहचुनु नुह�। आपका� दशं8नु का� क्तिलए तें� म_ आश्रीम म� गेया था। आपका� दशं8नु नुह�

हुए। दिदल्ल� स� आप सथा म� ह_ ल�विकानु...."उस सज्जानु का� म�लकातें तें� दिदल्ल� म� ह� गेई ल�विकानु दशं8नु अजीम�रं म� हुए।याह तें� काच्चिल्पतें प्रास�गे आपका� समझनु� का� क्तिलए काह। सत्या बतें याह ह� विका बप'ओं का� बप' परंब्रह्म

परंमत्म हमरं� स�ट का� ऊपरं ह� ब�ठो� ह_ ल�विकानु आजी तेंका हमरं अजीम�रं नुह� आया। या�गे स� उनुस� हमरं� म�लकातें ह�, काभै� विवाया�गे सम्भवा ह� नुह� वि=रं भै� आजी तेंका उनुका� दशं8नु नुह� हुए। क्या आ#या8 ह� !

अभै� पप का अन्तें नुह� हुआ। प'रं� प�ण्या का उदया नुह� हुआ। भैगेवानु का) भैक्तिO म� हमरं� दृढ़तें नुह� आया�।

य�र्षा�� त्वन्तःगतः� पू�पू� जीन�न�� पू&ण्यकेम*णी�म2।तः� द्वेन्द्वेम"निहोनिनम&*क्तं� भजीन्तः� म�� दृढ़व्रतः�।।

वा/Lस�रं औरं इन्~ का या�द्ध हुआ। वा/Lस�रं काहतें ह�5 "ह� इन्~ ! अब द�रं नु कारं�। म�रं शं�घ्र हनुनु कारं�। क्याविका जी� आया ह� स� जीयागे। अभै� म�रं मनु श्री�हरिरं का� स्नु�ह म� लगे ह�। इस समया म�झ� मरं द�गे� तें� म_ श्री�हरिरं का� प्राप्तें ह� जीऊZ गे। जीब स�सरं का� द्वेन्द्वे म� म�रं मनु रंह� औरं उस� अवा} म� म/त्या� ह� जीया� तें� अवागेवितें ह�गे�। अभै� म�रं� क्तिलए याह स�अवासरं ह�। म�झ� श्री�हरिरं का) दृढ़भैक्तिO प्राप्तें ह� जीया�गे�। म�रं� इस नुश्वरं द�ह का� विगेरं द�।"

धनु-वा�भैवा, सधनु-स�पद अज्ञानु स� स�खद लगेतें� ह_ ल�विकानु उनुम� द्वेन्द्वे रंहतें� ह_। रंगे-द्वे�षों, इच्छा-वासनु का� प�छू� जी�वा का जी�वानु समप्तें ह� जीतें ह�। द्वेन्द्वे स� म�O हुए विबनु भैगेवानु का) दृढ़ भैक्तिO प्राप्तें नुह� ह�तें�।

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विनुद्वे8न्द्वे तें� वाह ह� सकातें� ह� जी� जीगेतें का� स्वाप्न तें�ल्या समझतें ह�। विनुद्वे8न्द्वे तें� वाह ह� सकातें ह� जी� ब्रह्मवा�त्त सदगे�रु का� ज्ञानु का� पचु ल�तें ह�। विनुद्वे8न्द्वे तें� वाह ह� सकातें ह� द्धिजीसका� क्तिशंवाजी� का अनु�भैवा अपनु अनु�भैवा बनुनु� का) तें�व्र लगेनु लगे� ह�। क्तिशंवाजी� भैगेवातें� पवा8तें� स� काहतें� ह_-

उम� केहोI मJ अन&भव अपून�।संत्य होरिरभजीन जीगतः संबा संपून�।।

वा/Lस�रं औरं इन्~ का या�द्ध हुआ ह�गे तेंब विकातेंनु घमसनु मचु ह�गे, ठो�स सत्या भैसतें ह�गे। अब द�ख� तें� सब स्वाप्न। रंमयाणकाल औरं महभैरंतेंकाल सब स्वाप्न। म�थारं का कापट, का� का� या� का क्र' रं विनु#या, दशंरंथा का विवारंह, अया�ध्यावाक्तिसया का) कारुण च्चि}वितें, स�मन्L का� आZस', रंमजी� का वानुगेमनु, शं'प8नुख का) कामवा/श्चित्त, लक्ष्मण का) अथाका स�वा औरं आखिखरं म� रंम-रंवाण का भै�षोंण या�द्ध। याह सब द्धिजीस समया हुआ ह�गे तेंब विकातेंनु ठो�स सत्या भैसतें ह�गे। अब द�ख� तें� द�ख स्वाप्न।

ऐस�-ऐस� अवातेंरं का) चु�ष्टएZ औरं ल�लएZ काल का� अन्तेंरंल म� स्वाप्न का) तेंरंह सरंका गेई तें� तें�म्हरं�-हमरं� चु�ष्टओं का म'ल्या ह� क्या ह�? समया का) धरं म� सब का� छू प्रावाविहतें ह� रंह ह�। गे�गे का� जील म� द� बरं का�ई नुह नुह� सकातें।

'म_ दस बरं नुह सकातें हूZ।' का�ई काह�।नुह� भै�या ! द्धिजीस पनु� म� आपनु� गे�तें लगेया वाह पनु� तें� काह� का काह� बह गेया। जीब-जीब नुया गे�तें

लगेओगे� तेंब नुया पनु� आ जीया�गे। इस� प्राकारं समया का) धरं ह�। वा�स� का वा�स समया आ सकातें ह� वाह� का वाह� समया वापस नुह� आतें। दFपका का) ल� जीलतें� ह�। वाह� का) वाह� दिदखतें� ह� ल�विकानु वाह� ह� नुह�। वा�स� का) वा�स� ह� विकान्तें� हरं पल नुया� नुया� ह� रंह� ह�।

ऐस� ह� हम वाह� का� वाह� लगेतें� ह_ वास्तेंवा म� वाह� का� वाह� ह_ नुह�। हमरं� शंरं�रं का� का�षों हरंदम बदल रंह� ह_। हमरं� विवाचुरं बदल रंह� ह_, ब�द्धिद्ध बदल रंह� ह�। हZ, हमरं वास्तेंविवाका तेंप्तित्वाका स्वारूप वाह� का वाह� अपरिरंवातें8नुशं�ल ह�।

तें�म द्धिजीसका� 'म_' मनुतें� ह� उस द�ह का� का�षों बदल रंह� ह_, मनु का) वा/श्चित्तयाZ बदल रंह� ह_, ब�द्धिद्ध का� विनुण8या बदल रंह� ह_, विवाचुरं बदल रंह� ह_ विकान्तें� द्धिजीसका� तें�म 'म_' नुह� मनुतें� वाह आत्म ह� सचुम�चु तें�म ह�। उस सच्ची� 'म_' का� तें�म वास्तेंवा म� जीनु ल� तें� तें�म्हरं ब�ड़ परं ह� जीया। वि=रं तें� द्धिजीस परं तें�म्हरं� कारुणमया दृष्ठिष्ट पड़� वाह द्वेन्द्वेम"होनिवनिनम&*क्तं� का� मगे8 परं चुल पड़�।

रंगे-द्वे�षों स� प्रा�रिरंतें ह�कारं जी� काया8 विकाया� जीतें� ह_ वा� द्वेन्द्वे औरं म�ह का� बढ़तें� ह_। ईश्वरं-प्रा�त्याथा« काया8 विकाया� जीया� तें� द्वेन्द्वेम�ह विनुम'8ल ह�नु� लगेतें� ह_। तें�म क्या ब�लतें� ह�, विकासका� सथा ब�लतें� ह� उसका) गेहरंई म� तें�म्हरं ह� अन्तेंया8म� आत्मद�वा ह� इस भैवा ब�ल� तें� तें�म्हरं� द्वेन्द्वे-म�ह काम ह� जीया�गे�। चुल' व्यवाहरं म� भैक्तिO ह� जीया�गे�, चुल' व्यवाहरं म� या�गे औरं ज्ञानु का अभ्यास ह� जीया�गे। अन्तें5कारंण पविवाL ह�नु� लगे�गे। तें�म्हरं प्राभैवा बढ़नु� लगे�गे वि=रं भै� उसका अह�कारं नुह� आया�गे।

ज्ञानु का मगे8 ऐस ह� विका अह�कारं का� उत्पन्न ह� नुह� ह�नु� द�। अह�कारं दूसरं� का� द�खकारं ह�तें ह�। भैया दूसरं� का� द�खकारं ह�तें ह�। घ/ण दूसरं� का� द�खकारं ह�तें� ह�। आसक्तिO दूसरं� परं ह�तें�। जीब सबम� आत्मस्वारूप श्री�हरिरं का� विनुहरं तें� भैया विकासस�? आसक्तिO विकासस�? अह�कारं विकासस�? नुरंलिंसCह म�हतें नु� विकातेंनु स��दरं गेया ह�5

अखि[ल ब्रह्म�ण्डम�� एके तः&� श्रीहोरिर।जी�जीव� रूपू� अनन्तः भ�सं�।।

द� स�न्यास� या�वाका याL कारंतें�-कारंतें� विकास� गेZवा म� पहुZचु�। ल�गे स� प'छू5 "हम� एका रंविL याहZ रंहनु ह�। विकास� पविवाL परिरंवारं का घरं दिदखओ।" ल�गे नु� बतेंया विका5 "वाह एका चुचु का घरं ह�। सध'-महत्मओं का आदरं-सत्कारं कारंतें� ह_। अखि[ल ब्रह्म�ण्डम�� एके तः&� श्रीहोरिर पठो उनुका पक्का ह� गेया ह�। वाहZ आपका� ठो�का रंह�गे।" उन्हनु� उनु सज्जानु चुचु का पतें बतेंया।

द�नु स�न्यास� वाहZ गेया�। चुचु नु� प्रा�म स� सत्कारं विकाया, भै�जीनु कारंया औरं रंविL-विवाश्रीम का� क्तिलए विबछू�नु विबछू दिदया। रंविL का� काथा-वातें8 का� द�रंनु एका स�न्यास� नु� प्राश्नः विकाया5

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"आपनु� विकातेंनु� तें�थाd म� स्नुनु विकाया ह�? विकातेंनु� तें�था8याL का) ह�? हमनु� तें� चुरं धम का) तें�नु-तें�नु बरं याL का) ह�।"

चुचु नु� काह5 "म_नु� एका भै� तें�था8 का दशं8नु या स्नुनु नुह� विकाया ह�। याह� रंहकारं भैगेवानु का भैजीनु कारंतें हूZ औरं आप जी�स� भैगेवाद� स्वारूप अवितेंक्तिथा पधरंतें� ह_ तें� स�वा कारंनु� का म�का ल�तें हूZ। अभै� तेंका काह� भै� गेया नुह� हूZ।"

द�नु स�न्यास� आपस म� स�चुनु� लगे�5 'ऐस� व्यक्तिO का अन्न खया ! अब याहZ स� चुल� जीया� तें� रंविL काहZ विबतेंएZ? याकायाका चुल� जीया� तें� उसका� दुः5ख ह�गे। चुल�, का� स� भै� कारंका� इस विवाक्तिचुL वा/द्ध का� याहZ रंविL विबतें द�। द्धिजीसनु� एका भै� तें�था8 नुह� विकाया उसका अन्न ख क्तिलया ! हया! ' आदिद आदिद। इस प्राकारं विवाचुरंतें� स�नु� लगे� ल�विकानु नु�द का� स� आवा�? कारंवाट� बदलतें�-बदलतें� मध्यारंविL हुई। इतेंनु� म� द्वेरं स� बहरं द�ख तें� गे� का� गे�बरं स� ल�प� हुए बरंमद� म� एका काल� गेया आया�.... वि=रं दूसरं� आया�..... तें�सरं�.... चु�था�.... पZचुवा�..... ऐस कारंतें�-कारंतें� अस�ख्या गेया� आईं। हरं�का गेया वाहZ आतें�, बरंमद� म� ल�टप�ट ह�तें� औरं स=� द ह� जीतें� तेंब अदृश्या ह� जीतें�। ऐस� विकातेंनु� ह� काल� गेया� आया� औरं स=� द ह�कारं विवाद ह� गेईं। द�नु स�न्यास� =टF आZख स� द�खतें� ह� रंह�। द�गे रंह गेया� विका याह क्या का�तें�का ह� रंह ह� !

आखिखरं� गेया जीनु� का) तें�यारं� म� था� तें� उन्हनु� उस� वान्दनु कारंका� प'छू5"ह� गे� मतें! आप का�नु ह� औरं याहZ का� स� आनु हुआ? याहZ आकारं आप श्व�तेंवाण8 ह� जीतें� ह� इसम� क्या

रंहस्या ह�? का/ प कारंका� अपनु परिरंचुया द�।"गेया ब�लनु� लगे�5 "हम गेया का� रूप म� सब तें�था8 ह_। ल�गे हमम� 'गे�गे� हरं.. याम�नु� हरं... नुम8द� हरं....' आदिद

ब�लकारं गे�तें लगेतें� ह_, हमम� अपनु पप ध�कारं प�ण्यात्म ह�कारं जीतें� ह_ औरं हम उनुका� पप का) काक्तिलम ष्ठिमटनु� का� क्तिलए द्वेन्द्वेम�ह स� विवाविनुम�8O आत्मज्ञानु�, आत्म-परंमत्म म� विवाश्रीप्तिन्तें पया� हुए ऐस� सत्प�रुषों का� आZगेनु म� आकारं पविवाL ह� जीतें� ह_। हमरं काल बदनु प�नु5 श्व�तें ह� जीतें ह�। तें�म ल�गे द्धिजीनुका� अक्तिशंश्चिक्षाःतें गेZवारं ब'ढ़ समझतें� ह� वा� ब�जी�गे8 तें� जीहZ स� तेंमम विवाद्याएZ विनुकालतें� ह_ उस आत्मद�वा म� विवाश्रीप्तिन्तें पया� हुए आत्मवा�त्त स�तें ह_।"

पढ़नु अच्छा ह� ल�विकानु पढ़ई का अह� अच्छा नुह�। स�न्यास� ह�नु अच्छा ल�विकानु स�न्यास का अह� अच्छा नुह�। स�ठो ह�नु ठो�का ह� ल�विकानु स�ठो का अह� ठो�का नुह�। अमलदरं ह�नु ठो�का ह� ल�विकानु अमलदरं� का अह� ठो�का नुह�।

का� छू भै� बनु� ल�विकानु सद याद रंख� विका आखिखरं तेंब तेंका? याह स्मरंण रंह� तें� द्वेन्द्वे औरं म�ह विपघल जीयागे। वि=रं आत्मरंस प्राकाट ह�नु� म� स�गेमतें रंह�गे�। छू�ट� बलका का� द�ख? ल�ट हुआ आकाशं का� सथा का� श्तें� कारंतें ह�। तें�तेंल� शंब्द भै� मध�रं लगेतें� ह_। क्याविका उसका� भै�तेंरं का� द्वेन्द्वे, उसका� अह�कारं अभै� ठो�स नुह� बनु�। उसका� क्तिचुत्त म� अभै� 'म_' औरं 'म�रं' का द्वेन्द्वे पनुप नुह�। वाह बड़ ह�गे, उसका� क्तिचुत्त म� जीब द्वेन्द्वे जीगे�गे� तेंब उसका) विनुद@षोंतें दूरं ह� जीया�गे�, द�षों आ जीया�गे�, अह�कारं प�ष्ट ह�गे। ऋविषों काहतें� ह_-

वतःर�गभयक्र"ध� म&निन म"क्षापूर�यणी�।'द्धिजीसका रंगे, भैया औरं क्र�ध व्यतें�तें ह� गेया ह� वाह म�विनु म�क्षाःपरंयाण ह�।'बल्यावा} म� रंगे, भैया औरं क्र�ध स�षों�प्तें रंहतें� ह_। उम्र बढ़तें� ह� तें� रंगे-भैया-क्र�ध भै� प�ष्ट ह� जीतें� ह_।

ध्यानु, भैजीनु, सधनु का� द्वेरं जीब विवावा�का जीगेया जीतें ह� तेंब विवाकारं व्यतें�तें ह� जीतें� ह_। तेंब मनु�र्ष्याया म�विनु बनु जीतें ह�, मनुनुशं�ल बनु जीतें ह�। मन्Lदृष्ट का� ऋविषों काह जीतें ह� औरं आत्मज्ञानु का मनुनु कारंका� स्वारूप म� विवाश्री�वितें पतें� ह_ उनुका� म�विनु काह जीतें ह�। नुरंदजी� ऋविषों भै� था� औरं म�विनु भै� था�। वाक्तिशंKजी� महरंजी ऋविषोंया म� भै� विगेनु� जीतें� ह_ औरं म�विनुया म� भै� विगेनु� जीतें� ह_। शं�काद�वाजी� महरंजी म�विनु काह� जीतें� ह_।

जीब तेंका जी�वा अपनु� आत्म-परंमत्म म� जीगेतें नुह� तेंब तेंका उसका दुःभै8ग्या चुल' ह� रंहतें ह�। चुल' दुःभै8ग्या म� जी�वा अपनु� का� भैग्यावानु मनु ल�तें ह� विका 'आह ! म�झ� नु�कारं� ष्ठिमल गेई। बड़ भैग्यावानु हूZ।' अरं� भै�या ! तें�झ� अपनु� आत्म का ज्ञानु ष्ठिमल ह�?"

"नुह�।"तें� प'रं भैग्यावानु नुह�।

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"म�झ� अच्छा परिरंवारं ष्ठिमल। म_ भैग्यावानु.....। म�झ� अच्छा धन्धु ष्ठिमल, अच्छा� ष्ठिमL ष्ठिमल�, अच्छा मह�ल ष्ठिमल.... म_ बहुतें भैग्यावानु हूZ....।"

वास्तेंवा म� या� सब अत्या�तें तें�च्छा चु�जी� ह_। सथा रंहनु� वाल� नुह� ह�। अविपतें� गे�मरंह कारंनु� वाल� स�सरं का) विवापदया� ह_। ऐस तें� हरं जीन्म म� का� छू नु का� छू ष्ठिमलतें ह� वि=रं भै� जी�वा अभैगे� का� अभैगे� ह� रंहतें� ह_।

वास्तेंवा म� भैग्यावानु तें� तेंब जीब 'म_ का�नु हूZ' इसका भैनु ह� जीया�। वि=रं उस परं नुजीरं pल द� वाह चुमकानु� लगे जीया।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

संच्ची केj पू�एका बरं एका दरिरं~ ब्रह्मण का� मनु म� धनु पनु� का) तें�व्र कामनु हुई। वाह सकाम याज्ञा का) विवाष्ठिध जीनुतें था

विकान्तें� धनु ह� नुह� तें� याज्ञा का� स� ह�? वाह धनु का) प्राप्तिप्तें का� क्तिलए द�वातेंओं का) प'जी औरं व्रतें कारंनु� लगे। का� छू समया एका द�वातें का) प'जी कारंतें, परंन्तें� उसस� का� छू लभै नुह� पड़तें तें� दूसरं� द�वातें का) प'जी कारंनु� लगेतें औरं पहल� का� छू�ड़ द�तें। इस प्राकारं उस� बहुतें दिदनु ब�तें गेया�। अन्तें म� उसनु� स�चु5 "द्धिजीस द�वातें का) आरंधनु मनु�र्ष्याया नु� काभै� नु का) ह�, म_ अब उस� का) उपसनु कारूZ गे। वाह द�वातें अवाश्या म�झ परं शं�घ्र प्रासन्न ह�गे।"

ब्रह्मण याह स�चु ह� रंह था विका उस� आकाशं म� का� ण्pधरं नुमका म�घ का� द�वातें का प्रात्याक्षाः दशं8नु हुआ। ब्रह्मण नु� समझ क्तिलया विका, 'मनु�र्ष्याया नु� काभै� इनुका) प'जी नु का) ह�गे�। या� ब/हदकारं म�घद�वातें द�वाल�का का� सम�प रंहतें� ह_। वा� म�झ� अवाश्या धनु द�गे�।' बस बड़� श्रीद्ध-भैक्तिO स� ब्रह्मण नु� उस का� ण्pधरं म�घ का) प'जी प्रारंम्भ कारं दF।

ब्रह्मण का) प'जी स� प्रासन्न ह�कारं का� ण्pधरं द�वातेंओं का) स्तें�वितें का), क्याविका वाह स्वाया� तें� जील का� अवितेंरिरंO विकास� का� का� छू द� नुह� सकातें था। द�वातेंओं का) प्रा�रंण स� याक्षाः-श्री�K मश्चिणभै~ उसका� पस आकारं ब�ल�5 "का� ण्pधरं तें�म क्या चुहतें� ह�?"

का� ण्pधरं5 "याक्षाःरंजी ! द�वातें यादिद म�झ परं प्रासन्न ह_ तें� म�रं� उपसका इस ब्रह्मण का� वा� स�ख� कारं�।"मश्चिणभै~5 "तें�म्हरं भैO याह ब्रह्मण यादिद धनु चुहतें ह� तें� इसका) इच्छा प'ण8 कारं द�। याह द्धिजीतेंनु धनु

मZगे�गे वाह म_ इस� द� दूZगे।"का� ण्pधरं5 "याक्षाःरंजी ! म_ इस ब्रह्मण का� क्तिलए धनु का) प्राथा8नु नुह� कारंतें। म_ चुहतें हूZ विका द�वातेंओं का)

का/ प स� याह धम8परंयाण ह� जीया�। इसका) ब�द्धिद्ध धम8 म� लगे�।"मश्चिणभै~5 "अच्छाF बतें ! अब ब्रह्मण का) ब�द्धिद्ध धम8 म� ह� च्चि}तें रंह�गे�।"उस� समया ब्रह्मण नु� स्वाप्न म� द�ख विका उसका� चुरं ओरं का=नु पड़ हुआ ह�। याह द�खकारं उसका� हृदया म�

वा�रंग्या उत्पन्न हुआ। वाह स�चुनु� लगे5 "म_नु� इतेंनु� द�वातेंओं का) औरं अन्तें म� का� ण्pधरं म�घ का) भै� धनु का� क्तिलए आरंधनु का), विकान्तें� इनुम� का�ई उदरं नुह� दिदखतें। इस प्राकारं धनु का) आशं म� ह� लगे� हुए जी�वानु व्यतें�तें कारंनु� स� क्या लभै? अब म�झ� परंल�का का) क्तिचुन्तें कारंनु� चुविहए।"

ब्रह्मण वाहZ स� वानु म� चुल गेया। उसनु� अब तेंपस्या कारंनु प्रारंम्भ विकाया। दFघ8काल तेंका काठो�रं तेंपस्या कारंनु� का� कारंण उस� अदभै�तें क्तिसद्धिद्ध प्राप्तें हुई। वाह स्वाया� आ#या8 कारंनु� लगे5 'काहZ तें� म_ धनु का� क्तिलए द�वातेंओं का) प'जी कारंतें था औरं उसका का�ई परिरंणम नुह� ह�तें था औरं अब म_ स्वाया� ऐस ह� गेया विका विकास� का� धनु� ह�नु� का आशं�वा8द द� दूZ तें� वाह विनु5सन्द�ह धनु� ह� जीया�गे !'

ब्रह्मण का उत्सह बढ़ गेया। तेंपस्या म� उसका) श्रीद्ध बढ़ गेया�। वाह तेंत्परंतेंप'वा8का तेंपस्या म� लगे रंह। एका दिदनु उसका� पस वाह� का� ण्pधरं म�घ आया। उसनु� काह5

"ब्रह्मण ! तेंपस्या का� प्राभैवा स� आपका� दिदव्य दृष्ठिष्ट प्राप्तें ह� गेई ह�। अब आप धनु� प�रुषों तेंथा रंजीओं का) गेवितें का� द�ख सकातें� ह_।"

ब्रह्मण नु� द�ख विका धनु का� कारंण गेवा8 म� आकारं ल�गे नुनु प्राकारं का� पप कारंतें� ह_ औरं घ�रं नुका8 म� विगेरंतें� ह_।

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का� ण्pधरं ब�ल5 "भैक्तिOप'वा8का म�रं� प'जी कारंका� आप यादिद धनु पतें� औरं अन्तें म� नुका8 का) यातेंनु भै�गेतें� तें� म�झस� आपका� क्या लभै ह�तें? जी�वा का लभै तें� कामनुओं का त्यागे कारंका� धम8चुरंण कारंनु� म� ह� ह�। उन्ह� धम8 म� लगेनु� वाल ह� उनुका सच्ची विहतें�षों� ह�।"

ब्रह्मण नु� म�घ का� प्रावितें का/ तेंज्ञातें प्राकाट का)। कामनुओं का त्यागे कारंका� वाह म�O ह� गेया।जी� आपका) कामनु बढ़वा� वाह आपका ष्ठिमL वा विहतें�षों� नुह�। अन्तें म� नुका8 म� सड़तें गेलतें जी�वानु विबतेंनु

पड़�, तें�च्छा या�विनुया म� छूटपटनु पड़� ऐस� कामनुप'र्तितेंC का� मगे8 म� आपका� लगेनु�वाल ष्ठिमL आपका सच्ची विहतें�षों� नुह� ह� सकातें। का� ण्pधरं का) तेंरंह ज्ञानु, वा�रंग्या, तेंपस्या बढ़कारं परंम पद म� च्चि}तें कारंनु चुहतें� ह_ वा� ह� आपका� सच्ची� विहतें�षों� ह_। अतें5 ऐस� विहतें�षों� ऋविषोंया का), शंस्L का) बतें का� आदरं स� अपनु� जी�वानु म� उतेंरंकारं धन्या ह� जीओ।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

घु"र क्ल�श म� भ संत्पूथ पूर अनिडगतः�महभैरंतें का) काथा स�नु� म_नु�5जीब भैगेवानु विवार्ष्याण� नु� वामनुरूप स� बक्तिल स� प/र्थ्यवा� तेंथा स्वागे8 का रंज्या छूFनुकारं इन्~ का� द� दिदया तेंब का� छू ह�

दिदनु म� रंज्यालक्ष्म� का� स्वाभैविवाका दुःगे�8ण गेवा8 स� इन्~ प�नु5 उन्मत्त ह� उठो� । एका दिदनु वा� ब्रह्मजी� का� पस पहुZचु� औरं हथा जी�ड़कारं ब�ल�5

"विपतेंमह ! अब अपरं दनु� रंजी बक्तिल का का� छू पतें नुह� लगे रंह ह�। म_ सवा8L ख�जीतें हूZ, परं उनुका पतें नुह� ष्ठिमलतें। आप का/ पकारं म�झ� उनुका पतें बतेंइया�।"

ब्रह्मजी� नु� काह5 "तें�म्हरं याह काया8 उक्तिचुतें नुह�। तेंथाविप विकास� का� प'छूनु� परं झ'ठो उत्तरं नुह� द�नु चुविहए, अतेंएवा म_ तें�म्ह� बक्तिल का पतें बतेंल द�तें हूZ। रंजी बक्तिल इस समया ऊZ ट, ब�ल, गेध या घ�ड़ बनुकारं विकास� शं'न्या, उजीड़ जीगेह म� रंहतें� ह_।"

इन्~ नु� इस परं प'छू5 "यादिद म_ विकास� }नु परं बक्तिल का� पऊZ तें� उन्ह� अपनु� वाज्र स� मरं pल'Z या नुह�?"ब्रह्मजी� नु� काह5 "रंजी बक्तिल ! अरं�... वा� कादविप मरंनु� या�ग्या नुह� ह_। तें�म्ह� उनुका� पस जीकारं का� छू क्तिशंक्षाः

ग्रहण कारंनु� चुविहए।"तेंदनुन्तेंरं इन्~ बक्तिल का) ख�जी म� विनुकाल पड़�। अन्तें म� एका खल� घरं म� उन्हनु� एका गेध द�ख औरं काई

लक्षाःण स� उन्हनु� अनु�मनु विकाया विका या� रंजी बक्तिल ह_। इन्~ नु� काह5"दनुवारंजी ! इस समया तें�मनु� बड़ विवाक्तिचुL वा�शं बनु रंक्ख ह�। क्या तें�म्ह� अपनु� इस दुःद8शं परं का�ई दुः5ख

नुह� ह�तें? इस समया, तें�म्हरं� छूL, चुमरं औरं वा�जीयान्तें� मल काहZ गेई? काहZ गेया वाह तें�म्हरं अप्रावितेंहतें दनु का महव्रतें औरं काहZ गेया तें�म्हरं स'या8, वारुण, का� ब�रं, अखिग्नु औरं जील का रूप?"

बक्तिल नु� काह5 "द�वा�न्~ ! इस समया तें�म छूL, चुमरं, लिंसCहसनुदिद उपकारंण का� नुह� द�ख सका�गे�। परं वि=रं काभै� म�रं� दिदनु ल�ट�गे� औरं तेंब तें�म उन्ह� द�ख सका�गे�। तें�म जी� इस समया अपनु� ऐश्वया8 का� मद म� आकारं म�रं उपहस कारं रंह� ह�, याह का� वाल तें�म्हरं� तें�च्छा ब�द्धिद्ध का ह� परिरंचुयाका ह�। मल'म ह�तें ह�, तें�म अपनु� प'वा8 का� दिदनु का� सवा8था ह� भै'ल गेया�। परं स�रं�शं ! तें�म्ह� समझ ल�नु चुविहए, तें�म्हरं� वा� दिदनु प�नु5 ल�ट�गे�।

द�वारंजी ! इस विवाश्व म� का�ई वास्तें� स�विनुश्चि#तें औरं स�च्चि}रं नुह� ह�। काल सबका� नुष्ट कारं pलतें ह�। इस काल का� अदभै�तें रंहस्या का� जीनुकारं म_ विकास� का� क्तिलए भै� शं�का नुह� कारंतें। याह काल धनु�-विनुध8नु, बल�-विनुब8ल, पच्चिण्pतें-म'ख8, रूपवानु-का� रूप, भैग्यावानु-भैग्याह�नु, बलका-या�वा-वा/द्ध, या�गे� तेंपस्वा� धम8त्म, शं'रं औरं बड़� स� बड़� अह�कारिरंया म� स� विकास� का� भै� नुह� छू�ड़तें। सभै� का� एका समनु ग्रस्तें कारं ल�तें ह�। सबका काल�वा कारं जीतें ह�।

ऐस� दशं म� मह�न्~ ! म_ क्या स�चु'Z? काल का� ह� कारंण मनु�र्ष्याया का� लभै-हविनु औरं स�ख-दुः5ख का) प्राप्तिप्तें ह�तें� ह�। काल ह� सबका� द�तें ह� औरं प�नु5 छूFनु भै� ल�तें ह�। काल का� ह� प्राभैवा स� सभै� काया8 क्तिसद्ध ह�तें� ह_। इसक्तिलए वासवा ! तें�म्हरं अह�कारं, मद तेंथा प�रुषोंथा8 का गेवा8 का� वाल म�ह मL ह�। ऐश्वयाd का) प्राप्तिप्तें तेंथा विवानुशं विकास� मनु�र्ष्याया

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का� अध�नु नुह� ह�। मनु�र्ष्याया का) काभै� उन्नवितें ह�तें� ह� औरं काभै� अवानुवितें। याह स�सरं का विनुयाम ह�। इसम� हषों8-विवाषोंद नुह� कारंनु चुविहए। नु तें� सद-सद विकास� का) उन्नवितें ह� ह�तें� ह� औरं नु सद अवानुवितें या पतेंनु ह�। समया स� ह� ऊZ चु पद ष्ठिमलतें ह� औरं समया ह� विगेरं द�तें ह�। इस� तें�म अच्छाF तेंरंह जीनुतें� ह� विका एका दिदनु द�वातें, विपतें/, गेन्धुवा8, मनु�र्ष्याया, नुगे, रंक्षाःस सब म�रं� अध�नु था�। अष्ठिधका क्या, "नमस्तःस्य0 दिदश�ऽप्यस्तः& यस्य�� व0र"चनिनबा*सिल�।" – द्धिजीस दिदशं म� रंजी बक्तिल ह� उस दिदशं का� भै� नुमस्कारं ! या काहकारं, म_ द्धिजीस दिदशं म� रंहतें था उस दिदशं का� भै� ल�गे नुमस्कारं कारंतें� था�। परं जीब म�झ परं भै� काल का आक्रमण हुआ, म�रं भै� दिदनु पलट ख गेया औरं म_ इस दशं म� पहुZचु गेया तेंब विकास गेरंजीतें� औरं तेंपतें� हुए परं काल का चुक्र नु वि=रं�गे?

म_ अका� ल बरंह स'याd का तें�जी रंखतें था। म_ ह� पनु� का आकाषों8ण कारंतें औरं बरंसतें था। म_ ह� तें�नु ल�का का� प्राकाक्तिशंतें कारंतें औरं तेंपतें था। सब ल�का का पलनु, स�हरं, दनु, ग्रहण, बन्धुनु औरं म�चुनु म_ ह� कारंतें था। म_ तें�नु ल�का का स्वाम� था, विकान्तें� काल का� =� रं स� इस समया म�रं वाह प्राभै�त्वा समप्तें ह� गेया। विवाद्वेनु नु� काल का� दुःरंवितेंक्रम औरं परंम�श्वरं काह ह�। बड़� वा�गे स� द�ड़नु� परं भै� का�ई मनु�र्ष्याया काल का� लZघ नुह� सकातें। उस� काल का� आध�नु हम, तें�म, सब का�ई ह�।

इन्~ ! तें�म्हरं� ब�द्धिद्ध सचुम�चु बलका जी�स� ह�। शंयाद तें�म्ह� पतें नुह� विका अब तेंका तें�म्हरं� जी�स� हजीरं इन्~ हुए औरं नुष्ट ह� चु�का� । याह रंज्या, लक्ष्म�, स�भैग्याश्री�, जी� आजी तें�म्हरं� पस ह�, तें�म्हरं� बप�तें� या खरं�दF हुई दस� नुह� ह�। वाह तें� तें�म जी�स� हजीरं इन्~ का� पस रंह चु�का) ह�। वाह इसका� प'वा8 म�रं� पस था�। अब म�झ� छू�ड़कारं तें�म्हरं� पस आया� ह� औरं शं�घ्र ह� तें�मका� भै� छू�ड़कारं दूसरं� का� पस चुल� जीया�गे�। म_ इस रंहस्या का� जीनुकारं रंत्त�भैरं भै� दुः5ख� नुह� ह�तें। बहुतें-स�-का� ल�नु धम8त्म गे�णवानु रंजी अपनु� या�ग्या मप्तिन्Lया का� सथा भै� घ�रं क्ल�शं पतें� हुए द�ख� जीतें� ह_। सथा ह� इसका� विवापरं�तें म_ नु�चु का� ल म� उत्पन्न म'ख8 मनु�र्ष्याया का� विबनु विकास� का) सहयातें स� रंजी बनुतें� द�खतें हूZ। अच्छा� लक्षाःणवाल� परंम स�न्दरं� तें� अभैविगेनु� औरं दुः5खसगेरं म� p'बतें� दFख पड़तें� ह� औरं का� लक्षाःण, का� रूप भैग्यावातें� द�ख� जीतें� ह�। म_ प'छूतें हूZ, इन्~ ! इसम� भैविवातेंव्यतें-काल यादिद कारंण नुह� ह� तें� औरं क्या ह�?

काल का� द्वेरं ह�नु� वाल� अनुथा8 ब�द्धिद्ध या बल स� हटया� नुह� जी सकातें�। विवाद्या, तेंपस्या, दनु औरं बन्धु�-बन्धुवा का�ई भै� कालगेतें मनु�र्ष्याया का) रंक्षाः नुह� कारं सकातें।

आजी तें�म म�रं� समनु� वाज्र उठोया� खड़� ह�। अभै� चुहूZ तें� एका घ'Zस मरंकारं वाज्र सम�तें तें�मका� विगेरं दूZ। चुहूZ तें� इस� समया अनु�का भैया�कारं रूप धरंण कारं ल'Z, द्धिजीनुका� द�खतें� ह� तें�म pरंकारं भैगे खड़� ह� जीओ। परंन्तें� कारूZ क्या? याह समया सह ल�नु� का ह�, परंक्रम दिदखलनु� का नुह�। इसक्तिलए याथा�च्छा गेध� का ह� रूप बनु कारं म_ अध्यात्म-विनुरंतें ह� रंह हूZ। शं�का कारंनु� स� दुः5ख ष्ठिमटतें नुह�, वाह तें� औरं बढ़तें ह�। इस� स� ब�खटका� हूZ, बहुतें विनुश्चि#न्तें, इस दुःरंवा} म� भै�।"

बक्तिल का� विवाशंल ध�या8 का� द�खकारं इन्~ नु� उनुका) बड़� प्राशं�स का) औरं काह5"विनु5स�द�ह तें�म बड़� ध�या8वानु ह� जी� इस अवा} म� भै� म�झ वाज्रधरं� का� द�खकारं तेंविनुका भै� विवाचुक्तिलतें नुह�

ह�तें�। विनु#या ह� तें�म रंगे-द्वे�षों स� शं'न्या औरं द्धिजीतें�द्धिन्~या ह�। तें�म्हरं� शं�तेंक्तिचुत्ततें, सवा8भै'तेंस�हृदतें तेंथा विनुवा°रंतें द�खकारं म_ तें�म परं प्रासन्न हूZ। तें�म महप�रुषों ह�। अब म�रं तें�मस� का�ई द्वे�षों नुह� रंह। तें�म्हरं काल्याण ह�। अब तें�म म�रं� ओरं स� ब�खटका� रंह�, विनुश्चि#न्तें औरं विनुरं�गे ह�कारं समया का) प्रातें�क्षाः कारं�।

या काहकारं द�वारंजी इन्~ ऐरंवातें हथा� परं चुढ़कारं चुल� गेया� औरं बक्तिल प�नु5 अपनु� स्वारूप-क्तिचुन्तेंनु म� च्चि}रं ह� गेया�।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

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केरुणी�सिसंन्धु& के3 केरुणी�ईश्वरं का� मगे8 परं एका बरं कादम रंख ह� दिदया� ह_ तें� चुल ह� पड़नु। प�छू� नु म�ड़नु। द्धिजीज्ञास� का� हृदया का)

प�कारं ह�तें� ह�, पक्का� मदd का� दिदल का) आवाजी ह�तें� ह� विका जी� कारंनु ह� स� कारंनु ह�, पनु ह� स� पनु ह�। काण्ठोगेतें प्राण आ जीया तें� भै� वापस नुह� म�ड़नु ह�।

ईश्वरं का� मगे8 परं कादम रंखनु�वाल� वा� ह� ल�गे पहुZचुतें� ह_ जी� दृढ़ विनु#या� ह�तें� ह_। परंमत्म का� मगे8 परं वा� ह� वा�रं चुल पतें� ह_ द्धिजीनुका� अन्दरं अथाह उत्सह, महनु� सहनुशंक्तिO, विवाक्तिचुL विवाचुरंबल ह�तें ह�। वा� ह� इस मगे8 का� पक्तिथाका ह� पतें� ह_।

भtय सं�व�ड& � भ�[� म�रु� उपूरथ म�रु� म�र।एRल�X केरतः�� जी" होरिर भजी� तः" केर न�[&� निनहो�ल।।

ऐस� विनुहल कारं द�नु� वाल� सदगे�रु का सहरं द्धिजीनु द्धिजीज्ञास� सधका का� ष्ठिमल जीतें ह� वा� सचुम�चु धन्या ह_। सदगे�रु का) मविहम अपरं ह�। या�गे�श्वरं द�वाष्ठिधद�वा भैगेवानु शं�कारं म�या पवा8तें� स� काहतें� ह_-

अज्ञा�नम�लहोरणी� जीन्मकेम*निनव�रकेम2।ज्ञा�नव0र�ग्यसिसंद्ध्यथw ग&रुपू�द"दके� निपूबा�तः2।।

'अज्ञानु का) जीड़ का� उखड़नु� वाल�, अनु�का जीन्म का� कामd का� विनुवारंनु�वाल�, ज्ञानु औरं वा�रंग्या का� क्तिसद्ध कारंनु� वाल� श्री� गे�रुद�वा का� चुरंणम/तें का पनु कारंनु चुविहए।'

(श्रीग&रुगतः�)द�ह म� अह�तें-ममतें अज्ञानु का म'ल ह�। जीगेतें म� सत्याब�द्धिद्ध कारंनु अज्ञानु का म'ल ह�। वा/श्चित्तया का) सत्यातें

मनुनु अज्ञानु का म'ल ह�। स�ख औरं दुः5ख म� सत्याब�द्धिद्ध कारंनु अज्ञानु का म'ल ह�। जी�वानु औरं म�तें म� सत्याब�द्धिद्ध कारंनु अज्ञानु का म'ल ह�। पद औरं प्रावितेंK म� रंस आनु अज्ञानु का म'ल ह�। जीगेतें का) विकास� भै� परिरंच्चि}वितें म� स�ख स� बZध जीनु याह अज्ञानु का) ह� मविहम ह�।

जीन्म-जीन्मन्तेंरं तेंका भैटकानु� वाल� जी� काम8 ह_, बहरं स�ख दिदखनु� वाल� जी� काम8 ह_, बहरं सत्यातें दिदखनु�वाल� जी� ब�द्धिद्ध ह� उस ब�द्धिद्ध का� बदलकारं ऋतें�भैरं प्राज्ञा प�द कारं द�, रंगेवाल� ब�द्धिद्ध का� हटकारं आत्मरंवितेंवाल� ब�द्धिद्ध प�द कारं द�, सरंकातें� हुए स�सरं स� क्तिचुत्त हटकारं शंश्वतें परंमत्म का� तेंरं= ल� चुल� ऐस� का�ई सदगे�रु ष्ठिमल जीया तें� वा� अज्ञानु का� हरंण कारं का� , जीन्म-मरंण का� बन्धुनु का� काटकारं तें�म्ह� स्वारूप म� }विपतें कारं द�तें� ह_।

अज्ञानु का म'ल क्या ह�? अज्ञानु का म'ल वासनु ह�। जी�स� नुविवाका नुवा का� ल� जीतें ह� औरं नुवा नुविवाका का� ल� जीतें� ह� ऐस� अज्ञानु स� वासनु प�द ह�तें� ह� औरं वासनु स� अज्ञानु बढ़तें ह�। नुश्वरं म� प्रा�वितें बढ़तें� रंहतें� ह� याह अज्ञानु का लक्षाःण ह�। ज्ञानु का) का� वाल बतें स� काम नु चुल�गे, या�Lवातें मल घ�मनु� स� काम नु चुल�गे, स�ठो का� रंजी� रंखनु� स� काम नु चुल�गे। तें�म चुह� विकातेंनु� ह� म�L कारंतें� रंह� ल�विकानु ब�वाका' =) काम हुई या बढ़F उस परं विनुगेह रंखनु� पड़�गे�। अज्ञानु घटतें ह� या नुह� याह द�खनु पड़�गे। यादिद तें�म अज्ञानु म� ह� म�L कारंतें� जीओगे� तें� म�L का =ल तें�म्हरं� वासनुप'र्तितेंC ह�गे औरं वासनुप'र्तितेंC हुई तें� तें�म भै�गे भै�गे�गे�। भै�गे स� भै�गे का) इच्छा नुया� ह� जीयागे�।

तेंप कारंनु� स� क्या =का8 पड़तें ह�? जीप कारंनु� स� क्या =का8 पड़तें ह�? =का8 तें� तेंब पड़तें ह� जीब का�ई सदगे�रु ष्ठिमल जीया। =का8 तें� तेंब पड़तें ह� जीब सदगे�रु का) स�ख दिदल म� उतेंरं जीया... जीन्म-मरंण का� चुक्र म� pलनु�वाल� जी� काम8 ह_ उनु कामd का विनुवारंण कारंनु�वाल का�ई सदगे�रु ष्ठिमल जीया... सत्या का� झलका� द�नु�वाल, सत्या का� गे�तें स�नुनु�वाल सदगे�रु ष्ठिमल जीया.... द्धिजीनुका� सष्ठिन्नध्या स� तें�म्हरं� जी�वानु म� ज्ञानु औरं वा�रंग्या विनुखरं आया�, द्धिजीनुका� उपद�शं स� तें�म्हरं� ब�द्धिद्ध का) मक्तिलनुतें दूरं ह�कारं विवावा�का-वा�रंग्या जीगे जीया !

काशं ! वा� दिदनु विकातेंनु� स�भैग्याशंल� रंह� हगे� विका जीब भैतें/8हरिरं प'रं रंज्या छू�ड़कारं चुल� गेया�। गे�रंखनुथा का� चुरंण म� जी पड़�। गे�रंखनुथा का� चुरंण म� विगेरंतें� समया रंजी भैतें/8हरिरं का� स�का�चु नुह� हुआ, लज्जा नुह� आया�, का�ई पद औरं प्रावितेंK याद नुह� आया�। वा� समझतें� था�5 अज्ञा�नम�लहोरणी� जीन्मकेम*निनव�रके� .... जीन्म-जीन्म�तेंरं का� जी� काम8 ह_

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उनुका विनुवारंण कारंनु� का समर्थ्यया8 यादिद विकास� म� ह� तें� सदगे�रु का) कारुणका/ प म� ह�। जीन्म-जीन्म�तेंरं का) ब�वाका' =) का� दूरं कारंनु� का) यादिद का�� द्धिजीयाZ ह_ तें� स�तें का� द्वेरं परं ह_।

रंहुगेण रंजी रंज्या स� उपरंम ह�कारं शं�वितें पनु� का� क्तिलए जी रंह ह�। ह�गे� ब�द्धिद्ध का� छू पविवाL। काई रंजी तें� मरंतें� दम तेंका आसक्तिO नुह� छू�ड़तें�। रंहुगेण ऐस हतेंभैगे� नुह� था। वाह भै�तेंरं का) शंप्तिन्तें ख�जीनु� जी रंह ह� पलका) म� ब�ठोकारं। पलका) उठोनु�वाल म� स� रंस्तें� म� एका आदम� ब�मरं पड़ तें� जीड़भैरंतेंजी� उसका) जीगेह परं पलका) ढं�नु� म� लगे दिदया� गेया�। सबम� अपनु� आपका� विनुहरंनु�वाल� जीड़भैरंतेंजी� चु�टF-चु�ट आदिद द�खतें� तेंब उनुका� बचुनु� का� क्तिलए था�ड़ स का' द पड़तें�। रंजी का क्तिसरं पलका) म� टकारंतें। इसस� रंजी उनुका� pZटतें-=टकारंतें।

ब्रह्मविनुK जीड़भैरंतेंजी� का� उस अज्ञानु� रंजी परं कारुण हुई। ब�द्ध प�रुषों कारुण का� भै�pरं ह�तें� ह_। सच्ची� कारुण औरं सच्ची� उदरंतें, सच्ची� समझ औरं सच्ची ज्ञानु तें� जीड़भैरंतेंजी� जी�स का� पस ह� हुआ कारंतें ह�। म'खd का) नुजीरं म� वा� जीड़ जी�स� था� ल�विकानु वास्तेंवा म� वा� ह� चु�तेंन्या प�रुषों ह�तें� ह_। स�सरिरंया नु� उनुका नुम जीड़ रंख दिदया था, ल�विकानु वा� ऐस� ह� जीड़ था� विका हजीरं जीड़ ल�गे का) जीड़तें का नुशं कारंनु� का) का�� द्धिजीयाZ उनुका� पस था�। क्या दुःभै8ग्या रंह ह�गे ल�गे का विका ऐस� भैरंतेंजी� का सष्ठिन्नध्या-लभै नु प सका� । उनु व्यस म�विनु का� हृदयाप'वा8का नुमस्कारं ह� विका उन्हनु� जीड़भैरंतेंजी� का� जी�वानु परं था�ड़-स प्राकाशं pल दिदया। वाह प्राकाशं आजी भै� काम आ रंह ह�।

अज्ञानु का� म'ल का� हरंनु� वाल�, जीन्म का� कामd का� हटनु�वाल� जीड़भैरंतें रंजी रंहुगेण का� काहतें� ह_-"ह� रंजीनु� ! जीब तेंका तें' आत्मज्ञाविनुया का� चुरंण म� अपनु� अह� का� न्या�छूवारं नु कारं�गे, जीब तेंका ज्ञानुवानु का)

चुरंणरंजी म� स्नुनु कारंका� स�भैग्याशंल� नु बनु�गे तेंब तेंका तें�रं� दुः5ख नु ष्ठिमट�गे�, तें�रं शं�का नु ष्ठिमट�गे।दु�[ के" होरतः� सं&[ के" भरतः� केरतः� ज्ञा�न के3 बा�तः जी।

जीग के3 सं�व� ल�ल� न�र�यणी केरतः� दिदन र�तः जी।।सच्ची� स�वा तें� स�तें प�रुषों ह� कारंतें� ह_। सच्ची� मतें-विपतें तें� वा� स�तें महत्म गे�रु ल�गे ह� ह�तें� ह_। हड़-म�स का�

मतें-विपतें तें� तें�मका� काई बरं ष्ठिमल� ह_। तें�मनु� लख-लख बप बदल� हगे�, लख-लख मZए बदल� हगे�। लख-लख काण्ठो� बZधनु�वाल� गे�रु बदल� हगे�, ल�विकानु जीब का�ई सदगे�रु ष्ठिमलतें� ह_ तें� तें�म्ह� ह� बदल द�तें� ह_।

अज्ञानु का� म'ल का� हटनु�वाल�, जीन्म-मरंण का� कारंण का� औरं पतेंका का� भैस्म�भै'तें कारंनु� वाल�, ज्ञानु औरं वा�रंग्या का� अम/तें का� तें�म्हरं� दिदल म� भैरंनु� वाल� सत्प�रुषों का सत्स�गे औरं सष्ठिन्नध्या ष्ठिमल जीया तें� विकातेंनु अह�भैग्या ! ऐस� प�रुषों का) pZट भै� ष्ठिमल जीया तें� विकातेंनु� स�हवानु� ह�गे� ! वा� pण्p ल�कारं विपटई कारंनु� लगे जीएZ तें� विकातेंनु� मध�रं हगे� वा� pण्p� ! वा� तेंमचु मरं द� तें� भै� उसम� विकातेंनु� कारुण ह�गे� !

म�रं� गे�रुद�वा नु� एका बरं म�झ� ऐस� जी�रं का) pZट चुढ़या� विका स�नुनु�वाल� भैयाभै�तें ह� गेया�। म_नु� अपनु� आपका� धन्यावाद दिदया विका द्धिजीनु हथा स� हजीरं-हजीरं म�ठो� =ल ष्ठिमल� ह_ उन्ह� हथा स� याह खट्टी-म�ठो =ल विकातेंनु स��दरं ह� ! विकातेंनु� उदरंतें का� सथा वा� pZटतें� ह_ ! उस दिदनु का) बतें याद आतें� ह� तें� भैवा स� तेंनु-मनु रं�म�क्तिचुतें ह� जीतें� ह_। उस pZट म� विकातेंनु� कारुण छू� प� था� ! विकातेंनु अपनुत्वा छू� प था !

विकास� स�न्यास� जी� नु� म�झ� काह था विका5 "ऐ या�वाका ! तें' म�रं� पस स� रिरंद्धिद्ध-क्तिसद्धिद्ध स�ख ल�। म_ तें�झ� अनु�Kनु बतेंतें हूZ। इसस� तें�झ� जी� चुविहए वा� चु�जी� ष्ठिमलनु� लगे�गे�।" इस प्राकारं का� प्राल�भैनु द�कारं वाह अपनु का� छू काचुरं म�झ� द� रंह था। गे�रुद�वा का� पतें चुल। म�झ� ब�लवाया। चुरंण म� विबठोया औरं प'छू5

"क्या बतें स�नु रंह था?"म_नु� जी� का� छू स�नु था वाह श्री�चुरंण म� स�नु दिदया। सदगे�रु का� आगे� यादिद ईमनुदरं� स� दिदल ख�लकारं बतें नु

कारं�गे� तें� हृदया मक्तिलनु ह�गे। भै�तेंरं ह� भै�तेंरं ब�झ बढ़नु पड़�गे, जीओगे� काहZ? म_नु� प'रं दिदल ख�लकारं सदगे�रु का� कादम म� रंख दिदया। स�न्यास� का� सथा जी� बतेंचु�तें हुई था� वाह ज्या का) त्या दुःहरं दF। वि=रं म_ क्षाःणभैरं म�नु ह� गेया, जीZचु विका का�ई शंब्द रंह तें� नुह� गेया। गे�रु का� सथा विवाश्वसघतें कारंनु� का पप तें� नुह� लगे रंह? गे�रु स� बतें छू� पनु� का दुःभै8ग्या तें� नुह� ष्ठिमल रंह? म_नु� ठो�का स� जीZचु। जी� का� छू स्मरंण आया वाह सब काह दिदया। ईमनुदरं� स� सरं� का) सरं� बतें काह द�नु� का� बद भै� ऐस� जी�रं का) pZट पड़� विका म�रं हट8=� ल नु हुआ, बका) उत्सह, श्रीद्ध, विवाश्वस, प्रा�म औरं सच्चीई सब =� ल ह� रंह था। सदगे�रु नु� ऐस� pZट चुढ़नु� का� बद स्नु�हप'ण8 स्वारं स� काह5

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"ब�ट ! द�ख।"आह ! pZट भै� इतेंनु� तें�जी औरं 'ब�ट' काहनु� म� प्यारं भै� इतेंनु प'ण8। क्यtनिके पू�णी* पू&रुर्षा जी" भ केरतः� होJ

वहो पू�णी* हो हो"तः� हो0।श्रीद्ध, विवाश्वस, प्रा�म आदिद सब =� ल ह�नु� का प'रं म�का था ल�विकानु द्धिजीन्हनु� मया का) जी�जी�रं का� =� ल कारं

दिदया ह�, द्धिजीन्हनु� अज्ञानु का� =� ल कारं दिदया ह� उनुका� चुरंण म� यादिद अपनु अह�कारं =� ल ह� जीया तें� घट भै� क्या ह�? अपनु� अक्ल औरं चुतें�रंई उनुका� चुरंण म� =� ल ह� जीया तें� घट क्या पड़? म�रं� सरं� ब�द्धिद्धमत्त, सरं� व्यपरं� विवाद्या, सरं� सधनु का) अकाड़ =� ल ह� गेई। क्तिसरं नु�चु� ह� गेया, आZख� झ�का गेईं। उन्हनु� काह5

"ब�ट ! स�नु। सधका-द्धिजीज्ञास� बजी पक्षाः� ह�। जी�स� बजी पक्षाः� आकाशं का� उड़नु ल�तें ह� औरं क्तिशंकारं� तें�रं चुढ़कारं तेंकातें रंहतें ह� उस� विगेरंनु� का� क्तिलए। ऐस� ह� सधका ईश्वरं का� तेंरं= चुलतें ह� तें� भै�दवादF ल�गे, अज्ञानु� ल�गे तेंकातें� रंहतें� ह_ तें�म्ह� विगेरंनु� का� क्तिलए। परिरंच्चि}वितेंयाZ तेंकातें� रंहतें� ह_ वि=रं तें�म्ह� स�सरं म� ख�चुनु� का� क्तिलए। कानु म� ऐस� बतें� भैरं द�तें� ह_ विका सधका का पतेंनु ह� जीया�। अज्ञाविनुया का) बतें का� महत्वा नु द�।

ब�ट ! म_ तें�झ� pZटतें हूZ ल�विकानु भै�तेंरं तें�रं� क्तिलए प्रा�म का� क्तिसवा औरं का� छू नुह�। म_नु� तें�रं� का� का� विपतें कारं दिदया ल�विकानु तें�रं� क्तिलए कारुण का� क्तिसवा औरं का� छू नुह�।"

जीन्म का) धरंण औरं मन्यातेंओं का� तें�ड़नु�वाल�, अज्ञानु का� म'ल स्वारूप इच्छाओं का� हटनु� वाल�, ब�वाका' =) का� छूFनुनु� वाल�, ज्ञानु औरं वा�रंग्या का� हृदया म� भैरंनु� वाल�, विवावा�का औरं शं�वितें का) छूया म� रंखनु� वाल� उनु गे�रुजीनु का� चुरंण म� का�दिट-का�दिट प्राणम !

इस जी�वा का) हलतें तें� ऐस� ह� जी�स� बढ़ म� बहतें हुआ का�ई का)ड़ एका भैZवारं स� दूसरं� भैZवारं म� भैटकातें जी रंह ह�। दयाल� प�रुषों का) नुजीरं पड़� औरं उसका� उठोकारं वा/क्षाः का) छूया म� रंख द�। इस� प्राकारं ब्रह्मवा�त्तओं का काम ह�तें ह�। सदिदया स� भैटकातें� हुए जी�वा स�सरं का) सरिरंतें म� बह� जी रंह� ह_, उनुका� वा� प्रा�म का प्रासद द�कारं, प�चुकारं का सहरं द�कारं, सधनु का इशंरं द�कारं उन्ह� स�सरं-सरिरंतें का� विकानुरं� लगे द�तें� ह_। जीन्म-मरंण का� भैZवारं स� बहरं विनुकालनु� का� क्तिलए सहरं द� द�तें� ह_। या� का/ पक्तिसन्धु� गे�रु ल�गे इस प/र्थ्यवा� परं नु ह�तें� तें� ल�गे स�सरं म� विबनु आगे जीलतें�। यादिद वा� महप�रुषों इस वास�न्धुरं परं नु ह�तें� तें� ल�गे विबनु पनु� का� p'ब� रंहतें� क्तिचुन्तें म�। यादिद वा� दयाल� ज्ञानु�जीनु नु ह�तें� तें� मनुवा मनुवा का भैक्षाःण विकाया� विबनु नु रंहतें। यादिद ज्ञानुवानु का) अनु�काम्पा बरं-बरं इस प/र्थ्यवा� परं नु बरंसतें� तें� मनु�र्ष्याया पशं� स� ज्याद भैया�कारं का/ त्या कारंतें।

या� सब उन्ह� सत्प�रुषों का) द�नु ह� विका आजी हजीरं-हजीरं दिदल प्राभै� का� प्रा�म म� विपघल सकातें� ह_। हजीरं दिदल पप-तेंप का विनुवारंण कारंका� परंमत्म का� प्यारं म� बह सकातें� ह_। प्यारं� का� दFदरं म� वा� विबका सकातें� ह_। उनुका म�लकातें म� वा� विबखरं सकातें� ह_। चुह� वा� ज्ञानुवानु समजी म� प्राक्तिसद्ध हुए ह चुह� अप्राक्तिसद्ध रंह� ह, ल�गे का� ब�चु रंह� ह चुह� नु रंह� ह, ल�विकानु उनु सदगे�रुओं का) बड़� भैरं� का/ प ह� जी� सतें� म� विवाचुरंण कारंतें�-कारंतें� ह_, औरं सद-सद कारंतें� ह� रंह�गे�। उनु सत्प�रुषों का) तें� का/ प ह� हम ल�गे परं। वा� ह� ल�गे हम परं अनु�काम्पा कारंतें� ह_। बका) का� ल�गे तें� भैगेवानु का� नुम परं दुःकानुदरं� चुलतें� ह_, मतें-प�था-वाड़� बनुतें� ह_। सत्प�रुषों ह� ऐस� ह�तें� ह_, सच्ची� स�तें महत्म ह� ऐस� ह�तें� ह_ जी� वास्तेंवा म� भैगेवानु का� नुम का रंस विपल सकातें� ह_। वा� वास्तेंविवाका म� अज्ञानु का� हटकारं आत्मज्ञानु का प्राकाशं द� सकातें� ह_। बका) तें� प�था-वाड़� काविब्रस्तेंनु ह� जीतें� ह_। जी�वानु जी�वानु नुह� रंहतें। जी�वानु म�तें का� तेंरं= सरंकातें जीतें ह�। ज्ञानुवानु प�रुषों का) का/ प ह�तें� ह� तेंब जी�वानु जी�वानुदतें का� रंस्तें� परं चुलनु शं�रु कारंतें ह�।

द्धिजीन्हनु� ज्ञानुवानु प�रुषों का) बतें का स�वानु विकाया ह�, द्धिजीन्हनु� ज्ञानु� का� कादम म� अपनु� अह�कारं का� विबख�रं दिदया ह�, द्धिजीन्हनु� ज्ञानु� का) बतें म� अपनु� अह� का�, मन्यातेंओं का� का� ब8नु कारं दिदया ह� उनुका� इहल�का औरं परंल�का म� दुः5ख नुह� रंहतें। वा� सचुम�चु धनुभैगे� ह_। धनुवानु धनु� नुह� ह�, सत्तवानु धनु� नुह� ह_, इच्छावानु धनु� नुह� ह�, जी� स�तें औरं परंमत्म का प्यारं ह�तें ह� वाह� सच्ची धनु� ह�।

निनध*नय� संबा जीग धनवन्तः� नहो4 के"ई।धनवन्तः� तः� के" जी�निनय� जी�के" र�मन�म धन हो"ई।।

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म�तें का� समया तें�म्हरं� रुपया�-प�स� क्या रंक्षाः कारं�गे�? म�तें का� समया तें�म्हरं� ब�ट� औरं बहुएZ क्या रंक्षाः कारं�गे� भै�या? म�तें का� समया तें�म्हरं� बड़� महल क्या सथा चुल�गे�? म�तें का� समया भै� सदगे�रु का) दF हुई प्रासदF तें�म्हरं सथा कारं�गे�, म�तें का� समया भै� गे�रु का ज्ञानु तें�म्हरं� दिदल म� भैरं�गे तें� तें�म म�तें का) भै� म�तें कारंका� म�क्षाः का� तेंरं= चुल पड़�गे�। या� स�स्कारं व्यथा8 नुह� जीतें�। सत्स�गे का� या� वाचुनु म�का� परं काम कारं जीतें� ह_। दFया जीलतें ह�, औरं का� क्तिलए प्राकाशं कारं जीतें ह�। नुदिदयाZ बहतें� ह_, औरं का� क्तिलए पनु� द� जीतें� ह_। म�घ बरंसतें ह�, औरं का� क्तिलए। इस� प्राकारं महप�रुषों दुःविनुयाZ म� बरंस जीतें� ह_ चुरं दिदनु का� क्तिलए, उनुका) याद रंह जीतें� ह�, उनुका� गे�तें रंह जीतें� ह_, उनुका ज्ञानु रंह जीतें ह�। उनुका शंरं�रं तें� चुल जीतें ह� ल�विकानु उनुका) स्म/वितें नुह� जीतें�, उनुका� क्तिलए आदरं-प्रा�म नुह� जीतें। उनुका� क्तिलए श्रीद्ध का� =' ल बरंसतें� ह� रंहतें� ह_।

वा� आZख� धन्या ह_ विका उनुका) याद म� बरंस पड़�। वा� हठो धन्या ह_ विका उनुका) याद म� का� छू गे�नुगे�नुया�। वाह द्धिजीह्वा धन्या ह� विका उनुका) याद म� का� छू काह पया�। वाह शंरं�रं धन्या ह� विका उनुका) याद म� रं�म�क्तिचुतें ह� पया�। वा� विनुगेह� धन्या ह_ विका उनुका) तेंस्वा�रं का� तेंरं= विनुहरं पया�।

ऐस� प�रुषों का� हम क्या द� सकातें� ह_ द्धिजीनुका� सरं� प/र्थ्यवा� का ऐश्वया8 तें�च्छा लगे ह�, द्धिजीनुका) सरं� इच्छाएZ औरं कामनुएZ नुष्ट ह� गेई ह_? उनु महप�रुषों का� हम क्या द� सकातें� ह_? हमरं� पस उनुका� द�नु� का� क्तिलए ह� ह� क्या? शंरं�रं रं�गे� औरं मरंनु� वाल, मनु कापटF, चु�जी� विबखरंनु� वाल�। हम द� भै� क्या सकातें� ह_? हमरं� तें� उनुका� कादम म� हजीरं-हजीरं प्राणम ह ! लख-लख प्राणम ह ! कारं�ड़-कारं�ड़ प्राणम ह ! द्धिजीन्हनु� हमरं� प�छू� अपनु सवा8स्वा ल�ट दिदया, द्धिजीन्हनु� हमरं� प�छू� अपनु� समष्ठिध का त्यागे कारं दिदया, द्धिजीन्हनु� हमरं� प�छू� अपनु� एकान्तें का� न्या�छूवारं कारं दिदया, उनु प�रुषों का� हम द� भै� क्या सकातें� ह_?

हम व्यवाहरिरंका ब�द्धिद्ध का� आदम� ! हम स्वाथा£ प�तेंल� ! हम इद्धिन्~या का� गे�लम ! हम विवाषोंया-लम्पाटतें का) जील म� घ'मनु� वाल� मकाड़� ! हम उनुका� क्या द� सकातें� ह_?

हम उनुका� प्राथा8नु कारं सकातें� ह_.... हम उनुका� आZख का� प�र्ष्याप द� सकातें� ह_.... द� आZस' द� सकातें� ह_- ल� गे�रुद�वा ! ल� ल�.... या� आZस' ल� ल�... हमरं� प�कारं ल� ल�.... हम� चु�प कारंनु� का) द्धिजीम्म�दरं� भै� तें�म ह� सम्भल� ! ह� सदगे�रु....

के& पू&त्र" जी�य�तः क्वसिचदनिपू के& म�तः� न भवनितः।प'तें काप'तें ह� सकातें ह� ल�विकानु मतें काब का� मतें हुई? विपतें काब का� विपतें हुए? जीब ब�वा=ई का) तें� ब�ट� नु�

का) ह�, मZ नु� काब ह� ह�?वा� प्यारं� शं'ल� का� स�जी बनुकारं गेया�, वा� प्यारं� जीहरं का� अम/तें बनुकारं गेया�, वा� प्यारं� विवारं�ध का� गेहनु� बनुकारं

गेया�, वा� प्यारं� जीहरं का� अम/तें बनुकारं गेया�, वा� प्यारं� विवारं�ध का� गेहनु� बनुकारं गेया�, वा� प्यारं� अपमनु का� लिंसCगेरं बनुकारं गेया�, का� वाल, द्धिजीज्ञास�ओं का) इन्तेंजीरं म� विका का�ई सधका ष्ठिमल जीया, हम� ल'टनु�वाल का�ई क्तिशंर्ष्याया ष्ठिमल जीया। वा� ब�वाका' = का� आगे� भै� अपनु� आपका� ल�टतें� रंह�, काह� एका प्यारं ष्ठिमल जीया, काह� एका द्धिजीज्ञास� ष्ठिमल जीया, हम� झ�लनु�वाल काह� एका म�म�क्षाः� ष्ठिमल जीया। इस� आशं आशं म� हजीरं परं बरंसतें� रंह�, लख-लख परं बरंसतें� रंह�। विकातेंनु� ध�रं प�रुषों रंह� हगे� वा� सत्प�रुषों !

हमरं� सदगे�रु ह या औरं विकास� का� सदगे�रु ह, वा� तें� सरं� विवाश्व का� सदगे�रु ह_। ल�गे उन्ह� नुह� जीनुतें� तें� ल�गे अन्धु� ह_। ल�गे उन्ह� नुह� मनुतें� तें� ल�गे पगेल ह_। वा� महप�रुषों तें� सरं� ब्रह्मण्p का� ह�तें� ह_। ऐस� सदगे�रुओं का� कादम म� अवातेंरं का� भै� क्तिसरं झ�का जीतें� ह_, तें�म्हरं� हमरं� झ�का जीया� तें� क्या बड़� बतें ह�? ॐ.....ॐ....ॐ....

ग&रु दxव" ग&रु द�वतः�....गे�रु एका दFया ह�। दFया जील जीतें ह� औरं का� क्तिलए, गे�रु भै� जी�वानु का� खप ल�तें� ह_ औरं का� क्तिलए।

ग&रु दxव" ग&रु द�वतः� ग&रु निवणी घु"र अन्धु�र।जी� ग&रु व�णी व�गळा� रड़वनिड़य� सं�सं�र।।

जी� गे�रु वाण� स� दूरं ह_ वा� खका धनुवानु ह_? जी� गे�रु का� वाचुनु स� दूरं ह_ वा� खका सत्तवानु ह_? जी� गे�रु का) स�वा स� विवाम�ख ह_ वा� खका द�वातें ह_? वा� तें� भै�गे का� गे�लम ह_। जी� गे�रु का� वाचुनु स� दूरं ह_ वा� क्या खका अम/तें प�तें� ह_? उनुका� तें� पद-पद परं रंगे-द्वे�षों का जीहरं प�नु पड़तें ह�।

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जी� ग&रुव�णी व�गळा� रड़वनिड़य� सं�सं�र.....अज्ञानु का� म'ल का� हरंण कारंनु� वाल�, जीन्म काम8 का� विनुवारंनु� वाल�, सदिदया का� पप का� भैस्म कारंनु� वाल�,

अनुन्तें पकाड़ औरं मन्यातेंओं का� तें�ड़कारं परंमत्म स� जी�ड़नु� वाल� सदगे�रुओं का� क्तिलए वा�दव्यस काहतें� ह_-अज्ञा�नम�लहोरणी� जीन्मकेम*निनव�रकेम2।

ज्ञा�नव0र�ग्य सिसंद्ध्यथw ग&रुपू�द"के� निपूबा�तः2।।गे�रु का� चुरंण का जील, चुरंणम/तें विपया�। उनुका� आद�शं का� अनु�सरं अपनु� जी�वानु का� ढंल�। उनुका) चुह म�

अपनु� चुह ष्ठिमल द�। उनुका) विनुK म� अपनु� विनुK ष्ठिमल द�। उनुका) मस्तें� म� अपनु� हस्तें� ष्ठिमट द�, काल्याण ह� जीयागे।

तें' क्या हस्तें� रंखतें ह� भै�या? द्धिजीनुका बड़ रंजीवा�भैवा लहलह रंह था वा� महरंजी भैतें/8हरिरं गे�रंखनुथा का� चुरंण म� जी पड़�5 "ह� नुथा !"

गे�रु का� कादम म� सम्रट आजी अश्री�पतें कारंका� , क्तिसरं म� खका pलतें� हुए, रूख�-स'ख� ट�काड़� चुबकारं भै� रंहनु पस�द कारंतें ह�, जीबविका आजी का काहलनु� वाल ब�द्धिद्धमनु, अह�कारं� 'रं±का एण्p रं�ल' म� नुचुनु पस�द कारंतें ह�, क्लब म� जीनु पस�द कारंतें ह�, क्तिसनु�म म� धक्का� खनु पस�द कारंतें ह� ल�विकानु गे�रुओं का द्वेरं उस� भैतें नुह�।

ह� समझदरं का� वा�शं म� नुसमझ नुदनु ! दुःविनुयाZ का) चु�जी� तें�म्ह� क्या स�ख द�गे�? क्तिसनु�म का) पदिट्टीयाZ तें�म्हरं बल औरं ब�द्धिद्ध, तें�म्हरं तें�जी औरं ओजी नुष्ट कारं द�गे�। यादिद जी�वानु म� बल औरं ब�द्धिद्ध, तें�जी औरं ओजी बढ़नु ह� तें� ऋविषों काहतें� ह_-

गे�रुद�वा का) का/ प का जील तें�म प�तें� रंह�। उस� स� नुहतें� रंह�। उस� का) समझ म� तें�म p'ब� रंह�। उनुका� सत्स�गे म� ह� तें�म ख�या� रंह�। उन्ह� का� गे�तें म� तें�म गे�लतेंनु रंह�।

जीगेतें म� तें�स सद स� ख�तें� आया� ह�, सदिदया स� तें�म नुश्वरं चु�जी का� क्तिलए ष्ठिमटतें� आया� ह�। अब उस परंमत्म का� क्तिलए अपनु� अह� का� ष्ठिमटकारं द�ख�। यादिद ष्ठिमट भै� गेया� औरं का� छू नुह� ष्ठिमल, ठोगे� भै� गेया� तें� घट ह� क्या ह�? वा�स� भै� तें�म ठोगेतें� आया� ह�। का�ई पत्नु� स� ठोगे गेया, का�ई पवितें स� ठोगे गेया, का�ई बहू स� ठोगे गेया, का�ई ब�ट� स� ठोगे गेया, का�ई सत्त स� ठोगे गेया, का�ई चु�रं स� ठोगे गेया। आखिखरं म� तें� सब म�तें स� ठोगे� जीनु�वाल� ह_।

म�तें ठोगे� ल� उसका� पहल� तें' गे�रु स� ठोगे जी घट भै� क्या पड़�गे? अब ठोगेवानु� का� तें�म्हरं� पस बचु भै� क्या ह�? या�गे स� तें�म ठोगेतें� आया� ह�, या�गे स� तें�म हरंतें� आया� ह�। एका बरं औरं हरं सह�। एका बरं औरं दZवा सह�।

च�हो� तः0र� द" च�हो� ड&बा� द",मर भ गय� तः" द�ग� दुव�एX।

'अज्ञा�नम�ल होरणी�.....ऋविषों का सन्द�शं विकातेंनु स�न्दरं रंह ह�गे ! विकातेंनु� उदरं औरं कारुणप'ण8 वाण� प्राकाट हुई ह�गे� ! श्लो�का

विकास� पमरं व्यक्तिO का बनुया हुआ नुह� ह�। या� विकास� अह�कारं� का� वाचुनु नुह� ह_। या� तें� ह_ विकास� प'रं� अनु�भैवा� का� वाचुनु। प'रं सत्त्वि²र्ष्याया ह� सदगे�रु का अम/तें प� सकातें ह�। याह शं�रंनु� का दूध स�वाण8 का� पL म� ह� रंह सकातें ह�। छू�ट�-म�ट� पL का� तें� वाह चु�रंकारं चुल जीतें ह�। या� गे�रु का� वाचुनु अभैगे� का� शं�भै नुह� द�तें�।

या�गेवाक्तिशंK महरंमयाण म� महर्तिषोंC वाक्तिशंK काहतें� ह_-"ह� रंमजी� ! जी�स� ख�रं स�वाण8 का� पL म� शं�भै पतें� ह� औरं श्वनु का) खल म� पविवाL ख�रं भै� अपविवाL ह�

जीतें� ह� ऐस� ह� मतेंलब� औरं स्वाथा£ क्तिशंर्ष्याया का� आगे� ब्रह्मज्ञानु शं�भै नुह� पतें ल�विकानु अह�कारं रंविहतें सत्पL क्तिशंर्ष्याया का� हृदया म� गे�रु का� वाचुनु शं�भै द�तें� ह_, पविवाL क्तिशंर्ष्याया का� दिदल म� या� वाचुनु उगेतें� ह_। उगे� हुए वाचुनु का� जीब स�चु जीतें ह� तेंब उनुम� म�क्षाःरूप� =ल लगेतें ह�। उसस� वाह स्वाया� भै� तें/प्तें ह�तें ह� औरं दूसरं का� भै� तें/प्तिप्तें द�तें ह�।"

गे�रु का� उपद�शं का जी� स�वानु कारंतें� ह_, गे�रु का� का/ पकाटक्षाः का� जी� दिदल का) प्याक्तिलया स� प�तें� ह_ उनुका� याहZ भै� दुः5ख स्पशं8 नुह� कारंतें औरं वाहZ भै� स्पशं8 नुह� कारंतें। वा� याहZ भै� स�ख का) घविड़याZ जी� ल�तें� ह_। उनु स�भैग्याशंल� क्तिशंर्ष्याया का� दुः5ख स� स�ख बनुनु आतें ह�, स�ख म� स�विवाध बनुनु आतें ह� औरं स�विवाध स� सत्या का� दFदरं पनु आतें

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ह�। ऐस� सत्त्वि²र्ष्याया ब�लतें� ह� विका एका बरं कादम रंख ह� क्तिलया तें� वि=रं क्या रुकानु? ईश्वरं का� रंस्तें� चुल दिदया तें� म�ड़कारं क्या आनु?

तः�फ�न और आXध होमके" न र"के पू�य�।व� और थ� म&सं�निफर जी" पूथ सं� लnR आय�।।

जी� सत्त्वि²र्ष्याया ह_, जी� सदगे�रु का� कादम विबखरं गेया ह�, द्धिजीसनु� अपनु� दिदल का) प्याल� स�ध� रंख� ह� औरं सदगे�रु का� अम/तें का� प� क्तिलया ह� वाह सधनु का� मगे8 स�, भैगेवानु का� मगे8 स� ल�टकारं नुह� आतें। स�सरं� तें'=नु स� वाह pरंतें नुह�। ऐस का�नु स सधका क्तिसद्ध बनु ह� द्धिजीसनु� तें'=नु औरं आZध� का म�काबल नु विकाया ह�? ऐस� का�नु स� महप�रुषों ह_ द्धिजीन्ह� का� चुलनु� का� क्तिलए ल�गे नु� प्रायास नु विकाया� ह? ऐस� का�नु-स� स�तें प�रुषों ह_ द्धिजीन्हनु� ल�गे का) बतें का� का� चुलकारं, प�रं तेंल� दबकारं परंमत्म-प्राप्तिप्तें का) याL नु कारं दिदखया� ह�?

वा� ह� पहुZचु� ह_ जी� रुका� नुह�। अनु'का' लतें म� =Z स� नुह� औरं प्रावितेंका' लतें स� pरं� नुह� वा� ह� तें� पहुZचु� ह_। बगेभैगेतें तें� रंह गेया�, था�ड़�-स� उलझनु म� उलझ गेया� ल�विकानु सत्पL सधका तें� म�द्धिजील तेंया कारंका� ह� रंहतें ह�।

औरं का�ई म�सवि=रं ह�तें� ह_ तें� पथा स� ल�टतें� रंहतें� ह_ ल�विकानु सदगे�रु का� रंस्तें� चुल औरं पथा स� ल�ट तें� सत्त्वि²र्ष्याया विकास बतें का? अगेरं ल�ट भै� गेया तें� जी� हजीरं याज्ञा कारंनु� स� भै� ष्ठिमलनु कादिठोनु ह� वाह स्वागे8 औरं ब्रह्मल�का का स�ख उस� अनुयास ष्ठिमलतें ह�।

शं�क्र अपनु� ब्रह्मवा�त्त विपतें भै/गे� ऋविषों का) स�वा म� रंहकारं सधनु कारं रंह� था�। स�वा स� विनुवा/त्त ह�तें� तें� या�गेभ्यास म� लगे जीतें�, ध्यानु कारंतें�। सधनु कारंतें�-कारंतें� उनुका) वा/श्चित्त स'क्ष्म हुई तें� स'क्ष्म जीगेतें म� गेवितें ह�नु� लगे�। अभै� परंमपद पया नु था। नु अज्ञानु� था� नु ज्ञानु� था�। ब�चु म� झ'ल� ख रंह� था�। एका दिदनु आकाशं मगे8 स� जीतें� हुई विवाश्वचु� नुमका अप्सरं द�ख� तें� म�विहतें ह� गेया�। अन्तेंवाहका शंरं�रं स� उसका� प�छू� स्वागे8 म� गेया�।

इन्~ नु� उन्ह� द�ख तें� लिंसCहसनु छू�ड़कारं समनु� आया�। स्वागेतें विकाया औरं अपनु� आसनु परं विबठोकारं प'जी कारंनु� लगे�।

"आजी हमरं स्वागे8 पविवाL हुआ विका महर्तिषोंC भै/गे� का� प�L औरं स�वाका तें�म स्वागे8 म� आया� ह�।"हलZविका वा� गेया� तें� था� विवाश्वचु� अप्सरं का� म�ह म� वि=रं भै� उनुका) का) हुई सधनु व्यथा8 नुह� गेई। इन्~ भै�

अघ्या8पद्या स� उनुका) प'जी कारंतें� ह_। ब्रह्मज्ञानु का) इतेंनु� मविहम ह� विका ब्रह्मज्ञानु� या�गेभ्रांष्ट स�वाका भै� स�रंपवितें स� प'जी जी रंह ह�।

आप ल�गे तें�नु-चुरं दिदनु का) ध्यानु या�गे क्तिशंविवारं म� जी� आध्यात्मित्मका धनु काम ल�तें� ह� इतेंनु म'ल्यावानु खजीनु आपनु� प'रं� जी�वानु म� नुह� कामया ह�गे। इसस� हमरं� प'वा8जी का भै� काल्याण ह�तें ह�। तें�म्हरं� ब�द्धिद्ध स्वा�कारं कारं� या नु कारं�, तें�म्ह� अभै� वाह प�ण्या-स�चुया दिदख� या नु दिदख� ल�विकानु बतें स� प्रावितेंशंतें सत्या ह�। सधका यादिद सब क्तिचुन्तेंओं स� म�O ह�कारं परंमत्म का� ज्ञानु म� लगे जीया� तें� वाह स्वाया� अनुपढ़ ह�तें� हुए भै� पढ़� हुए ल�गे का� ज्ञानु द� सकातें ह�, विनुध8नु ह�तें� हुए भै� धनुवानु का� दनु द� सकातें ह�, अनुजीनु ह�तें� हुए भै� जीनुकारं का� नुया� जीनुकारं� द� सकातें ह�। उसका� पस सरं� ज्ञानु का खजीनु प्राकाट ह�नु� लगेतें� ह_। विबनु पढ़� हुए शंस्L का� रंहस्या उसका� हृदया म� प्राकाट ह�नु� लगेतें� ह_। विबनु द�ख� हुई चु�जी� उनुका� द्वेरं प्राकाक्तिशंतें ह�नु� लगेतें� ह_। विवाश्चिभैन्न विवाद्या, शंखएZ औरं विवाज्ञानु का) जीनुकारिरंयाZ उसका� आगे� छू�टF रंह जीतें� ह_। जीब गे�रुभैO का� हृदया का द्वेरं ख�ल जीतें ह� तें� उसका� आगे� सरं जीहZ छू�ट ह� जीतें ह�। स्वागे8 औरं =रिरंश्तें� भै� छू�ट� ह� जीतें� ह_।

शंदF का� बद छू5 मह�नु� म� ह� एका मविहल का पवितें चुल बस। मविहल पगेल-स� ह� गेई। भैग्यावाशंतें� उस� सच्ची� स�तें का सत्स�गे ष्ठिमल गेया। सत्स�गे म� जीनु� लगे� औरं स�तें गे�रु-परंमत्म का� आद�शंनु�सरं घरं म� सधनु-भैजीनु कारंनु� लगे�।

उसनु� गे�रुका/ प पकारं ध्यानुया�गे म� प्रागेवितें का)। स'क्ष्म जीगेतें का� परंद� हटनु� लगे�। रंहस्यामया ल�का म� उसका) वा/श्चित्त गेवितें कारंनु� लगे�। ध्यानु म� काई द�वा�-द�वातेंओं का� दशं8नु ह�नु� लगे�। एका बरं इन्~द�वा विवामनु ल�कारं प्राकाट हुए औरं स्वागे8 म� चुलनु� का� क्तिलए आम�Lण दिदया। गे�रुद�वा नु� मविहल स� काह रंख था विका विकास� प्राल�भैनु म� मतें =Z सनु। उसनु� गे�रुजी� का स्मरंण कारंतें� हुए इन्~ का� इन्कारं कारं दिदया।

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इन्~ नु� काह5 "गे�रु का) बतें गे�रु का� पस रंह�। तें�झ� म�का ष्ठिमल ह� तें� स्वागे8 का) स�रं कारंका� तें� द�ख !"दस-पन्~ह ष्ठिमनुट वातें8लप चुल ह�गे। वाह मविहल गे�रु का) आज्ञा म� दृढ़ रंह�।या� सरं� द�वा-द�विवायाZ ह_। उनुका� द�खनु� का� क्तिलए तें�म्हरं� पस आZख� चुविहए। जी�स�, वातेंवारंण म� रं�विpया� औरं

टF.वा�. का� 'वा�व्ज़' ह_ वि=रं भै� तें�म्ह� वा� दिदखतें� नुह�, स�नुई नुह� पड़तें� क्याविका तें�म्हरं� पस उसका� प्राकाट कारंनु� का सधनु नुह� ह�। इस� प्राकारं द�वा� औरं द�वातें, विकान्नरं औरं गेन्धुवा8 या� सब ह_। उनुका� सथा तें�म्हरं स�वाद ह� सकातें ह� ऐस� तें�म भै� ह�। ल�विकानु इसका� क्तिलए एका स'क्ष्म, भैवाप्राधनु, एकाग्रवा/श्चित्त चुविहए, का� छू ऊZ चु� याL चुविहए। वाह याL अगेरं ह� जीया तें� तें�म याक्षाः-गेन्धुवा8-विकान्नरं औरं द�वा� द�वातें का� दशं8नु कारं सकातें� ह�, उनुस� वातें8लप कारं सकातें� ह�, उनुस� सहया ल� सकातें� ह�, भैविवार्ष्याया का) जीनुकारं� प सकातें� ह�।

ल�विकानु सदगे�रु का सत्त्वि²र्ष्याया इनु चु�जी म� उलझतें नुह�, इनुका) इच्छा भै� नुह� कारंतें। उनुका रंस्तें तें� औरं विनुरंल ह�तें ह�।

अमदवाद स� दिदल्ल� जीनु� का� क्तिलए ल�काल ट्रे�नु म� ब�ठो� तें� छू�ट�-म�ट� काई स्ट�शंनु का� दशं8नु हगे�। विबनु स्ट�शंनु का� भै� गेड़� काह�-काह� रुका जीया�गे� क्याविका ल�काल जी� ह� ! काई जी�गेल, नुदF, नुल� का� दृश्या द�खनु� का� ष्ठिमल�गे�। म�ल स� जीया� तें� छू�ट�-छू�ट� स्ट�शंनु द�ख नु पओगे�। गेड़� धड़धड़ आगे� बढ़तें� जीयागे�। अगेरं तें�म हवाई जीहजी म� ब�ठो� तें� ब�चु का� रंस्तें� का� स्ट�शंनु का अत्त्विस्तेंत्वा ह� तें�म्हरं� क्तिलए नुह� ह�।

चु�था रंस्तें ह� नुदनु का, द्धिजीन्हनु� याL का) ह� नुह�। वा� ल�गे क्तिचुल्लया�गे� विका5 "पलनुप�रं नुह� ह�, आब'रं�p नुह� ह�, अजीम�रं जीयाप�रं नुह� ह�, दिदल्ल� भै� नुह� ह�। अगेरं ह�तें� तें� म�झ� दिदखतें�।"

अरं� नुदनु ! नु तें' ल�काल म� लटका, नु म�ल म� ब�ठो, नु हवाई जीहजी का) याL का)। तें' तें� द�ह म� औरं नुश्वरं भै�गे म� उलझ ह�। म�ह मया म� =Z स ह�। तें�रं� का� ब�लनु� का हका नुह�। व्यथा8 प्रालप कारंका� पप बढ़ ल�तें ह�।

इस प/र्थ्यवा� परं काई नुत्त्विस्तेंका हुए, काई =का)रं हुए, काई स�तें महप�रुषों हुए। =का)रं नु� तें� स�शंया का) =का) कारं दF ल�विकानु नुत्त्विस्तेंका नु� सधनु का) ह� =का) कारं दF। नु ध्यानु का� गेZवा म� गेया� नु का)तें8नु का� गेZवा म� गेया�, नु सत्प�रुषों का� चुरंण म� ष्ठिमट पया� औरं अपनु जीजीम�न्ट द�तें� गेया� विका का� छू नुह� ह�, का� छू नुह� ह�.... का� छू नुह� ह�।

ऐस� ल�गे का� महप�रुषों आवाहनु द�तें� ह_, अनु�भैवाविनुK स�तेंप�रुषों नुत्त्विस्तेंका का� ललकारंतें� ह_ विका5 "तें�म ब�लतें� ह� 'का� छू नुह� ह�।' का� छू नुह� ह�। याह काहनु� वाल का�नु ह� याह तें� बतेंओ ! 'नुह�' ब�लतें ह� तें� विकासका) सत्त स�, विकासका) शंक्तिO स� ब�लतें ह� रं�? "का� छू नुह� ह� का प्रामण तें�रं� पस क्या ह�?"

'म�झ� दिदखतें नुह� इसक्तिलए काहतें हूZ विका का� छू नुह� ह�। म_ अपनु� आZख स� द�ख'Z तेंब मनु'Z।"तेंत्त्वित्त्वाका अनु�भैवा आZख स� द�ख� नुह� जीतें�, कानु स� स�नु� नुह� जीतें�, नुका स� स'Zघ� नुह� जीतें�, द्धिजीह्वा स� चुख�

नुह� जीतें�, हथा स� छू� ए नुह� जीतें�। वि=रं भै� ह_।नुत्त्विस्तेंका काहतें ह�5

जीबा लग न द�[�X म"र� न0न तःबा लग न म�न�X तः"र� बा0न।=का)रं काहतें� ह_- "ऐस� ह� तें�रं� का� वाह तेंत्त्वा बतें दूZ? म�रं� प्राभै� का� द�खनु� का� क्तिलए तें�रं� पस नुम्रतें नुह� ह�,

सरंलतें नुह� ह�, समया नुह� ह� तें� म�रं� पस भै� ईश्वरं�या मस्तें� छू�ड़कारं तें�रं� जी�स� भै'तें का� प�छू� लगेनु� का समया नुह� ह�। बरं-बरं जीन्म� औरं मरं�, स�सरं का� भैZवारं म� भैटका�।"

ऐस मनुवा-जीन्म, ऐस� द�ह, ऐस� ब�द्धिद्ध.... औरं इस� पत्थारं परंखनु� का� क्तिलए गेZवा रंह� ह�?वाक्तिशंKजी� काहतें� ह_- 'ह� रंमचुन्~जी� ! स�सरं� ल�गे का� द�खकारं म�झ� बड़ दुः5ख ह�तें ह� विका नुहका वा� अपनु�

दिदनु व्यतें�तें कारं रंह� ह_, अपनु समया गेZवा रंह� ह_, नुश्वरं चु�जी का� प�छू�, नुश्वरं भै�गे का� प�छू�। द्धिजीसका नुशं ह� जीया�गे उसका� प�छू� जी�वानु द� रंह� ह_ औरं द्धिजीसका काभै� नुशं नुह� ह�गे ऐस� शंश्वतें आत्मद�वा स� ष्ठिमलनु� का� क्तिलए उनुका� पस समया नुह� ह�। विकातेंनु� अभैगे� ह_ ! ह� रंमजी� ! ऐस� ल�गे का� ष्ठिधक्कारं ह�। ल�विकाका विवाद्याएZ तें� वा� जीनुतें� ह_ ल�विकानु आत्मविवाद्या स� वा� वा�क्तिचुतें ह_। गेन्धुवा8 ल�गे गे�तेंनु/त्या तें� जीनुतें� ह_ ल�विकानु आत्म-मस्तें� म� नुचुनु� स� वा�क्तिचुतें ह_। उनु द�वातेंओं का� भै� ष्ठिधक्कारं ह� विका वा� स्वागे8 का अम/तें प�कारं अपनु प�ण्या नुष्ट कारं रंह� ह_। स�तें का अम/तें प�कारं अपनु� पप का नुशं कारंतें� तें� क्या घट था?'

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पZचु ह� तें� इद्धिन्~याZ ह� तें�म्हरं� पस। इसस� पZचु विवाषोंया ह� जीनु पतें� ह�5 शंब्द, स्पशं8, रूप, रंस, गेन्धु। इसका� अलवा जीनुनु� का तें�म्हरं� पस का�ई सधनु नुह�। ह� सकातें ह� विका तें�म्हरं� पस छूठो� इद्धिन्~या ह�तें� तें� जीगेतें का� छूठो� विवाषोंया का भै� ज्ञानु ह� जीतें। नुका खरंब ह� तें� तें�म्हरं� क्तिलए स�गेन्धु नुह� ह�। जीन्म स� आZख नुह� ह� तें� रूप गेयाब ह� गेया। कानु खरंब ह� तें� शंब्द गेयाब ह�। जीगेतें म� का� छू जी�वा ऐस� ह_ द्धिजीनुका) चुरं इद्धिन्~याZ ह�तें� ह�, तें�नु इद्धिन्~याZ ह�तें� ह_। उनुका� क्तिलए जीगेतें भै� चुरं विहस्स� का, तें�नु विहस्स� का रंह जीतें ह�। तें�म्हरं� क्तिलए जीगेतें पZचु विहस्स� का ह�। या�गे� जीब छूठो� इद्धिन्~या जीग्रतें कारं ल�तें� ह_ तें� उनुका� क्तिलए जीगेतें छू5 विहस्स� म�। इसस� भै� आगे� चुलकारं का�ई अपनु� वा/श्चित्त ब्रह्मकारं कारं ल�तें ह� तें� उसका� क्तिलए जीगेतें अनुन्तें-अनुन्तें विहस्स म� ह�तें� हुए भै� सब एका स� विनुकालतें� ह_ औरं एका ह� एका का� द�खतें, एका ह� एका का� स�नुतें ह�, एका ह� एका का� चुखतें ह�, आदिद आदिद। ऐस� का�ई अनु�भैवाविनुK महप�रुषों, स�तें, =का)रं ष्ठिमल जीया�। नुत्त्विस्तेंका भै� यादिद उनुका� पस पहुZचु जीया तें� उसका� आत्त्विस्तेंका बनुनु� का) का�� द्धिजीयाZ वा� रंखतें� ह_। हZ... यादिद उनुका� रंहमतें आ जीया...!

उस नुत्त्विस्तेंका का� स�तें नु� काह5 "ऐ मरंनु� वाल� ! भैगेवानु का� अत्त्विस्तेंत्वा परं तें�म्ह� विवाश्वस नुह�? तें� हम� भै� तें�रं� बतें परं विवाश्वस नुह�।"

"महरंजी ! म�रं� बतें तें� स�नु�।''"तें�रं� बतें स�नुनु� का समया नुह� ह�। म_ तें� उनु क्तिशंर्ष्याया का) बतें स�नुतें हूZ जी� क्तिसरं झ�काकारं नुम्र बनुकारं का� छू

समझनु चुहतें� ह_। तें'नु� क्तिसरं तें� झ�काया नुह�, प्राणम तें� विकाया� नुह�। ठो'Z ठो ह�कारं आ गेया औरं बड़� बतें� बनुनु� लगे गेया।"

"महरंजी ! यादिद प्राणम कारंनु� स� का� छू ह� सकातें ह� तें� ल�, म_ दण्pवातें� प्राणम कारंतें हूZ।"उसनु� विकाया दण्pवातें�। बबजी� नु� कासकारं जी�रं स� एका घ'Zस मरं दिदया। "बप रं�... मरं गेया... मरं गेया....""क्या हुआ... क्या हुआ?""बहुतें दद8 ह�तें ह�।""काहZ ह� दद8? द�ख'Z जीरं।""बबजी� ! आZख स� दिदखतें नुह�।""जीरं चुख ल'Z।""बबजी� ! तें�म अजी�ब आदम� ह� ! जी�भै स� दद8 चुख नु जीया�गे।""अच्छा ! म_ कानु लगेकारं स�नु ल'Z।""महरंजी ! याह दद8 आZख स� दिदखतें नुह�, कानु स� स�नु नुह� जीतें, जी�भै स� चुख नुह� जीतें, नुका स� स'Zघ

नुह� जीतें।""तें� स्पशं8 कारंका� जीनु ल'Z, विकातेंनु दद8 ह�।""बबजी� ! घयाल का) गेवितें घयाल जीनु�। याह विकास� इद्धिन्~या का विवाषोंया नुह� ह�। याह तें� महस'स ह�तें ह�।""अरं� भै�या ! ऐस� ह� बब का) गेवितें बब जीनु�, अह�कारं� क्या पहचुनु�?"स�तें का) गेवितें तें� परंमत्म जीनुतें� ह_, था�ड़�-था�ड़� स�तें का� सधका जीनुतें� हगे�। द्धिजीसका� चुश्म� अपनु� ढं�गे का�

ह�तें� ह_ वा� स�तें का) परं�क्षाः तें� भैल� कारं� ल�विकानु स�तें का� अनु�भैवा का� नुह� समझ पतें�। वा� काह�गे�5 'उनु स�तें का� द�ख, स�नु। उनुका ल�क्चुरं अच्छा था' – आदिद आदिद।

स�तें काभै� ल�क्चुरं नुह� कारंतें�। ल�क्चुरं तें� ल�क्चुरंरं कारंतें� ह_। स�तें तें� ईश्वरं का� सथा एका ह�कारं ब�तें ह_षों स�तें का) वाण� सत्स�गे ह�तें� ह�।स�तें का) वाण� स�नुनु� स� द्धिजीतेंनु� पप काटतें� ह_ उतेंनु� तें� चुन्~याण व्रतें स� भै� नुह� काटतें�। गे�गेस्नुनु स� द्धिजीतेंनु =ल ह�तें ह� उसस� काई गे�नु =ल तें� स�तें का� दशं8नु स� ह�तें ह�। ऐस� का�ई स�तें ष्ठिमल जीया !

जीड़भैरंतें रंजी रंहुगेण का� काह रंह� ह_- "ह� रंजीनु� ! तें�मका� शं�वितें तेंब ष्ठिमल�गे� जीब ज्ञानुवानु का) चुरंणरंजी म� स्नुनु कारं�गे�।" गे�रंखनुथा काह रंह� ह_ रंजी भैतें/8हरिरं का�, अष्टवाक्र काह रंह� ह_ रंजी जीनुका का�, वाक्तिशंKजी� काह रंह� ह_ श्री�रंम का�। ऋविषों काह रंह� ह_ हम ल�गे का�।

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नहो4 मJ नहो4 तः� नहो4 अन्य रहो�,ग&रु श�श्वतः आपू अनन्य रहो�।ग&रु सं�वतः तः� नर धन्य यहो�X,

नितःनके" नहो4 दु�[ यहो�X न वहो�X।।द्धिजीन्हनु� गे�रुओं स� ज्ञानु का) का�� जी� प ल� वा� समझतें� ह_ विका स�सरं सरं स्वाप्न ह�। वा� स�सरं का� दुः5ख का� भै�

द�खतें� रंहतें� ह_ औरं स�ख का� भै� द�खतें� रंहतें� ह_, स्वागे8 औरं नुका8 का� भै� द�खतें� रंहतें� ह_। वा� दृष्ट, सक्षाः� ह�कारं आत्म म� मस्तें रंहतें� ह_ वि=रं 'म_' औरं 'तें'' का) काल्पनु वाहZ जी�रं नुह� मरंतें�। अह�तें औरं ममतें वाहZ परं�शंनु� प�द नुह� कारंतें�। वा� विनुम8ल पद म� जी�तें� ह_। बजीरं स� गे�जीरंतें� ह_ ल�विकानु खरं�ददरं नुह� ह�तें�। स�ख-दुः5ख का� बजीरं स� विनुकाल तें� जीतें� ह_ ल�विकानु वा� का�ई विनुरंल� मस्तें� म� ह�तें� ह_। ज्ञानु� भै� तें�म्ह� बजीरं म� ष्ठिमल सकातें ह�, या�द्ध म� ष्ठिमल सकातें ह�, रंज्या म� ष्ठिमल सकातें ह�, ल�विकानु वाह बजीरं म� ह� नुह�, या�द्ध म� ह� नुह�, रंज्या म� ह� नुह�। ज्ञानु� तें�म्ह� घरं म� ष्ठिमल सकातें ह�। ल�विकानु वाह घरं म� ह� नुह�। तें�म्हरं� सभै का� ब�चु ष्ठिमल सकातें ह� ल�विकानु वाह का� वाल सभै म� ह� नुह�, अनुन्तें-अनुन्तें ब्रह्मण्p म� =� ल हुआ चु�तेंन्या ह�।

ज्ञानु� का) चु�तेंनु का बयानु, ज्ञानु� का) गेरिरंम का बयानु तें� वा�द भै� नुह� कारं सकातें�। 'नु�वितें.... नु�वितें.... नु�वितें....।' प/र्थ्यवा�, जील, तें�जी इनु तें�नु भै'तें द्धिजीतेंनु� व्यपकातें? नुह�। वाया� औरं आकाशं द्धिजीतेंनु� व्यपकातें? नुह�, उसस� भै� परं�। उसस� भै� परं� जी� चु�तेंन्या ह�तें ह� वाह� तें� ज्ञानु� का अपनु आप ह�तें ह�।

'ह� रंमजी� ! जीब ज्ञानुवानु ह�तें ह� तेंब स�ख स� जी�तें ह�, स�ख स� ल�तें ह�, स�ख स� द�तें ह�, स�ख स� खतें ह�, स�ख स� प�तें ह�। सब चु�ष्ट कारंतें हुआ दिदख पड़तें ह� ल�विकानु हृदया स� का� छू नुह� कारंतें। जीब वाह शंरं�रं का त्यागे कारं द�तें तें� ब्रह्म ह�कारं स/ष्ठिष्ट कारंतें ह�, विवार्ष्याण� ह�कारं पलनु कारंतें ह�, रू~ ह�कारं स�हरं कारंतें ह�, स'या8 ह�कारं तेंपतें ह� औरं चुZद ह�कारं औषोंष्ठिध प�ष्ट कारंतें ह�। ऐस ज्ञानु� का वाप� ह�तें ह�। सचु प'छू� तें� अज्ञानु� का भै� वाह� वाप� ह� ल�विकानु अज्ञानु� अपनु� का� द�ह मनुकारं स�ख-दुः5ख का� प�छू� भैटकातें ह�। ज्ञानु� अपनु� का� स्वारूप म� p'ब हुआ रंखकारं काम8 कारंतें� हुए भै� स�ख-दुः5ख स� विनुरंल रंहतें ह�। अख भैगेतें काहतें� ह_-

सं�थ शतःलतः� अ[� संदग&रु के� र� सं�ग।सच्ची� जी� शं�तेंलतें ह�, सच्ची� जी� शंप्तिन्तें ह�, सदगे�रुओं का� स�गे म� ह�। अख भैगेतें मस्तें आत्मज्ञानु� स�तें ह�

गेया�। वा� भै� विनुकाल� था� सत्या का� पनु� का� क्तिलए, मगे8 म� आZध� औरं तें'=नु बहुतें आया� वि=रं भै� वा� काह� रुका� नुह�। स�नु ह� विका वा� काई मठो-म�दिदरं म� गेया�, मह�तें-म�pल�श्वरं का� पस गेया�। घ'मतें�-घमतें� जीगेन्नथाप�रं� म� पहुZचु�। जीगेन्नथाजी� का� दशं8नु विकाया�। वाहZ विकास� मठो म� गेया� तें� मह�तें नु� आZख उठोकारं द�ख तेंका नुह�। बड़�-बड़� स�ठो स� ह� बतें कारंतें� रंह�।

दूसरं� दिदनु अख भैगेतें विकारंया� परं का�ट, पगेड़�, म�जीड़�, छूड़�, आदिद धरंण कारंका� शंरं�रं का� सजीकारं मह�तें का� पस गेया� औरं प्राणम कारंका� जी�ब स� स�वाण8-म�~ विनुकालकारं रंख दF। मह�तें नु� चु�ल� का� आवाजी लगेया�। चु�ल� नु� आज्ञानु�सरं म�वा-ष्ठिमठोई, =लदिद लकारं रंख दिदया�।

अख नुया� कापड़� लया� था� विकारंया� परं, उनु का�ट, पगेड़�, आदिद का� काहनु� लगे�5 'ख...ख... ख...।' छूड़� का� लड्डू म� ठो'Zसकारं ब�ल रंह� ह_- 'ल�... ख... ख...।' मठोध�शं काहनु� लगे5 "स�ठोजी� ! याह क्या कारं रंह� ह�?"

"महरंजीजी� ! म_ ठो�का कारं रंह हूZ। द्धिजीसका� तें�मनु� दिदया उसका� खिखल रंह हूZ।""तें�म पगेल तें� नुह� हुए ह�?""पगेल तें� म_ हुआ हूZ ल�विकानु परंमत्म का� क्तिलए, रुपया का� क्तिलए नुह�, मठो-म�दिदरं का� क्तिलए नुह�। म_ पगेल

हुआ हूZ तें� अपनु� प्यारं� का� क्तिलए हुआ हूZ।"सधनु-काल म� हम भै� घ'मतें�-घमतें�, भैटकातें�-टकारंतें� हुए काई बरं घरं ल�ट� आया�। वि=रं गेया�। जीब

ल�लशंह बप' ष्ठिमल गेया� तेंब विबका गेया� उनुका� चुरंण म�। ऐस� प�रुषों ह�तें� ह_ अज्ञानु का� हरंण कारंनु� वाल�। अन्या ल�गे तें� अज्ञानु का� बढ़नु�वाल� ह�तें� ह_। अख भैगेतें काह रंह� ह_-

संच्ची शतःलतः� अ[� संदग&रु के� र� सं�ग।और ग&रु सं�सं�र के� पू"र्षातः होJ भवर�ग।।

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औरं ल�गे ह_ वा� स�सरं का रं�गे द�तें� ह_, स�सरिरंका रं�गे म� हम� गेहरं pलतें� ह_। वा�स� ह� हम अन्धु� ह_ औरं वा� हम� का' प म� pलतें� ह_। 'इतेंनु कारं� तें� तें�म्ह� याह ष्ठिमल�गे... वाह ष्ठिमल�गे। तें�म्हरं याशं ह�गे, का� ल का) प्रावितेंK ह�गे�.... स्वागे8 ष्ठिमल�गे।' पहल� स� ह� हमरं मनु चु�चुल बन्दरं, वि=रं शंरंब विपल दF, ऊपरं स� काट� विबच्छा' , वि=रं काहनु ह� क्या? अजी�8नु गे�तें म� काहतें� ह_-

चञ्चल� निहो मन� केj ष्णी प्राम�सिथ बालवददृढम2।तःत्य�हो� निनग्रहो� मन्य� व�य"रिरव सं&दुष्केरम2।।

'ह� श्री�का/ र्ष्याण ! याह मनु बड़ चु�चुल, प्रामथानु स्वाभैवा वाल, बड़ दृढ़ औरं बलवानु ह�। उसका� वाशं म� कारंनु म_ वाया� का� रं�कानु� का) भैZवितें अत्यान्तें दुःर्ष्याकारं मनुतें हूZ।'

(गतः�� 6.34)विकास� का) धनु-द�लतें, स�ख-वा�भैवा आदिद स�सरिरंका प्राल�भैनु, नुष्ट ह� जीनु� वाल� पदथा8 द�खकारं उनुका) ओरं

ललष्ठियातें नुह� ह�नु चुविहए। अविवानुशं� आत्म का� पनु� का� क्तिलए इच्छाएZ ष्ठिमटनु� चुविहए, नु विका भै�गे का� पनु� का) इच्छाएZ कारंनु� चुविहए। 'ऐस� दिदनु काब आया�गे� विका अका/ विLम आनुन्द का� पऊZ गे?... नुश्वरं भै�गे का) ललस ष्ठिमटकारं शंश्वतें आत्म म� च्चि}रं ह�ऊZ गे?.. द�ह ह�तें� हुए भै� विवाद�ह� तेंत्त्वा म� प्रावितेंष्ठिKतें ह� जीऊZ गे?' इस प्राकारं का) परंमत्म-प्राप्तिप्तें का) इच्छा जी�रं पकाड़�गे� तें� तें�च्छा इच्छाएZ, नुश्वरं चु�जी का) इच्छाएZ, ष्ठिमटनु�वाल� स�या�गे का) इच्छाएZ हटकारं अमरं आत्म म� च्चि}वितें ह�नु� लगे�गे�। ॐ....ॐ....ॐ.....

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

संच्ची लगन जीग�ओवा�रंलिंसCह नुमका एका बड़ तें�जीस्वा� रंजी ह� गेया। वाह प्राजीपलका, न्यायाविनुK, दFनु-दुः5खिखया का) सहया कारंनु�

वाल औरं विनुरंश्चिभैमनु� था। उसका� स�सरं का� औरं सब स�ख था� ल�विकानु का�ई स�तेंनु नुह� था�। स�तेंनु-प्राप्तिप्तें का� क्तिलए इष्ट-उपसनुदिद काई उपया विकाया� मगेरं आशं प'रं� नुह� हुई।

एका बरं स्वाप्न म� उसनु� स�नु विका महत्म मध�स'दनु सरंस्वातें� नुमका स�तें का) स�वा कारं�गे तें� प�L-प्राप्तिप्तें ह�गे�। ठो�का ह� काह ह�5

जी� के" जीनम मरणी तः� डर�।सं�ध जीन�� के3 शरणी पूड़�।।जी� के" अपून� दु�[ मिमR�व�।सं�ध जीन�� के3 सं�व� पू�व�।।

द्धिजीसका� जीन्म-म/त्या� का� भैया स� पल्ल छू� ड़नु ह� उस� स�तें का� शंरंण म� जीनु चुविहए। जी� सचुम�चु अपनु� दुः5ख का� ष्ठिमटनु चुह� उस� स�तें का) स�वा प्राप्तें कारं ल�नु� चुविहए।

रंजी वा�रंलिंसCह अपनु� रंज्या-कारंबरं का) व्यवा} कारंका� रंजीमहल औरं रंजीधनु� छू�ड़कारं का� छू स�वाका-अनु�चुरं का� सथा सरिरंतें का� तें�रं परं तेंम्ब' लगेकारं रंहनु� लगे। स्वाप्न का� आद�शंनु�सरं महत्म मध�स'दनुदसजी� का) ख�जी कारंनु� का� क्तिलए चुरं ओरं ल�गे द�ड़या�। काई दिदनु का� परिरंश्रीम का� बद एका म�L� ख�शंखबरं� लया विका5

"महरंजी ! बधई ह�। हमरं काया8 स=ल ह� गेया। द्धिजीनु महप�रुषों का� ख�जीनु� का� क्तिलए आपनु� अरंण्यावास विकाया औरं ख�जी कारंवाई उनु महत्म श्री� मध�स'दनु सरंस्वातें� जी� महरंजी का पतें लगे गेया ह�।"

रंजी का� आनुन्द का दिठोकानु नु रंह। म�L�, स�विनुका आदिद का� सथा स�तें श्री� का� दशं8नुथा8 विनुकाल पड़�। उनु दिदनु म� मध�स'दनुजी� महरंजी एका झ�पड़� बनुकारं म�नु धरंण कारंका� , बन्द आZख स�, आसनु} ह�कारं तेंपस्या कारं रंह� था�। अपनु� श्वस का� विनुहरंतें� हुए आत्म-चु�तेंन्या का अनु�स�धनु कारं रंह� था�। अपनु� ब्रह्मस्वारूप म� विवाश्रीप्तिन्तें पनु� का� क्तिलए का/ तेंविनु#या था�। चु�दह सल तेंका अध@त्मिन्मक्तिलतें नुयानु औरं म�नु।

रंजी झपड़� परं पहुZचु। सष्टZगे द�pवातें� प्राणम कारंका� ब�ल5

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"स्वाम�जी� ! म�रं� अह�भैग्या विका आपका� पवानु दशं8नु हुए। अब म�झ� स�वा कारंनु� का म�का दFद्धिजीए।" रंजी नु� अपनु� स्वाप्न का) प'रं� बतें बतें दF।

मध�स'दनु जी� नु� का� छू जीवाब नुह� दिदया। आZख उठोकारं द�ख तेंका नुह�। क्याविका सधनु चुल' था�। का� स� विनुर्ष्यापप हगे� वा� !

तः� द्वेन्द्वेम"होनिनम&*क्तं� भजीन्तः� म�� दृढ़व्रतः��।भैजीनु म� विकातेंनु� दृढ़तें ह� !रंजी नु� अपनु� म�विLया का� आद�शं दिदया विका, "बबजी� का) का� दिटया का� इद8विगेद8 एका बहुतें बड़ भैव्य, दिदव्य

आल�शंनु म�दिदरं खड़ कारं द�। बबजी� का� अपनु� आसनु परं तेंप#या8 म� का�ई दिदक्कातें नु ह�नु� पवा�।"आद�शं द�कारं रंजी चुल गेया। का� छू ह� समया म� वाहZ स�गेमरंमरं का भैव्य म�दिदरं खड़ ह� गेया। भैगेवानु का�

विवाग्रह का) प्राणप्रावितेंK का) गेईषों स�वा-प'जी, आरंतें�-उपसनु का� क्तिलए प�जीरं� रंख गेया। अन्या तेंमम प्राकारं का) आवाश्याका समविग्रयाZ लया� गेया�। तें�नु वाषों8 औरं ब�तें गेया�। सLह वाषों8 का� बद मध�स'दनु जी� नु� आZख ख�ल� तें� समनु� भैगेवानु का) म'र्तितेंC का� दशं8नु हुए। आसपस द�ख तें� भैव्य म�दिदरं ! पस म� प�जीरं� हथा जी�ड़कारं खड़ ह� ! प�रंनु� झपड़� का का�ई पतें नुह�। प�जीरं� स� प'छू5

"भैई ! याह सब क्या ह�? म�रं� झपड़� काहZ गेई?""महरंजी ! आजी स� तें�नु वाषों8 प'वा8 रंजी सहब आया� था�। आपका� दशं8नु विकाया� औरं उनुका� आद�शं का� अनु�सरं

याह म�दिदरं बनुवाया ह�।""तें�नु सल पहल�....?" स्वाम� जी� का� आ#या8 हुआ। "हZ महरंजी!"था�ड़� द�रं मध�स'दनुजी� शं�तें ह� गेया�। आZख बन्द कारंका� म�नु म� p'ब गेया�। वि=रं खड़� ह�कारं चु�पचुप वाहZ स� चुल

दिदया� काभै� वापस नु ल�ट�।आय मnजी फके3र के3 दिदय� झो"पूड़� फ�X के।

ऐस� महप�रुषों अपनु� जी�वानु का म'ल्या समझतें� ह_, अपनु� एका-एका श्वस का) का)मतें जीनुतें� ह_। भैव्य म�दिदरं ष्ठिमल जीया� तें� क्या औरं भैव्य महल ष्ठिमल जीया� तें� क्या? भैव्य गेड़� ष्ठिमल जीया तें� क्या औरं स��दरं लड़� ष्ठिमल जीया तें� क्या? आखिखरं क्या? क्षाःण-भै�गे�रं भै�गे औरं रं�गे का घरं तेंनु। उनुका� स�या�गे स� ष्ठिमलकारं क्या ष्ठिमल�गे? घट ह� घट ह�, अपनु� सथा ध�ख ह�।

विवाश्वष्ठिमL का� म�नुका ष्ठिमल� तें� क्या हुआ?ल�विकानु द्धिजीनुका� प�ण्याकाम8 जी�रं नुह� मरंतें� ऐस� हम ल�गे का� मनु छू�टF-छू�टF चु�जी स� प्राभैविवातें ह� जीतें� ह_।

हम स�चुतें� ह_ विका पहल� इतेंनु कारं ल� वि=रं सत्स�गे कारं�गे�, ध्यानु कारं�गे�। ऐस कारंतें�-कारंतें� जी�वानु समप्तें ह� जीतें ह� ल�विकानु काम प'रं� नुह� ह�तें�।

अतें5 अपनु म'ल्यावानु समया तें�च्छा वास्तें� अथावा ष्ठिमLचुरं� का� नु�वितेंका भैवा स� प्राभैविवातें ह�कारं नुष्ट नु ह�नु� पया। परंमत्म का� पया� विबनु जी�वानु काह� नुष्ट नु ह� जीया इसम� सवाधनु रंहनु।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

आत्म-प्राश�सं� सं� पू&ण्यन�शमहरंजी यायावितें नु� दFघ8काल तेंका रंज्या विकाया था। अन्तें म� स�सरिरंका भै�गे स� विवारंO ह�कारं अपनु� छू�ट� प�L

का� उन्हनु� रंज्या द� दिदया औरं वा� स्वाया� वानु म� चुल� गेया�। वानु म� कान्दम'ल खकारं, क्र�ध का� जी�तें कारं, वानुप्रा}श्रीम का) विवाष्ठिध का पलनु कारंतें� हुए विपतेंरं एवा� द�वातेंओं का� सन्तें�ष्ट कारंनु� का� क्तिलए तेंपस्या कारंनु� लगे�। वा� विनुत्या विवाष्ठिधप'वा8का अखिग्नुह�L कारंतें� था�। जी� अवितेंक्तिथा अभ्यागेतें आतें� उनुका आदरंप'वा8का कान्दम'ल =ल स� सत्कारं कारंतें� औरं स्वाया� काट� हुए ख�तें म� विगेरं� हुए अन्न का� दनु� चु�नुकारं तेंथा स्वातें5 वा/क्षाः स� विगेरं� =ल लकारं जी�वानु-विनुवा8ह कारंतें� था�। इस प्राकारं प'रं� एका

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सहस्र वाषों8 तेंप कारंनु� का� बद महरंजी यायावितें नु� का� वाल जील प�कारं तें�स वाषों8 व्यतें�तें कारं दिदया�। वि=रं एका वाषों8 तेंका का� वाल वाया� प�कारं रंह�। उसका� प#तें एका वाषों8 तेंका वा� पञ्चुखिग्नु तेंपतें� रंह�। अन्तें का� छू5 मह�नु� तें� वाया� का� आहरं परं रंहकारं एका प�रं स� खड़� ह�कारं वा� तेंपस्या कारंतें� रंह�।

इस काठो�रं तेंपस्या का� =ल स� रंजी यायावितें स्वागे8 पहुZचु�। वाहZ द�वातेंओं नु� उनुका बड़ आदरं विकाया। वा� काभै� द�वातेंओं का� सथा स्वागे8 म� रंहतें� औरं काभै� ब्रह्मल�का चुल� जीतें� था�। उनुका याह महत्त्वा द�वातेंओं का) ईर्ष्याया8 का कारंण ह� गेया। यायावितें जीब काभै� द�वारंजी का� भैवानु म� पहुZचुतें�, तेंब इन्~ का सथा उनुका� लिंसCहसनु परं ब�ठोतें� था�। द�वारंजी इन्~ उनु परंम प�ण्यात्म का� अपनु� स� नु�चु आसनु नुह� द� सकातें� था�। परंन्तें� इन्~ का� ब�रं लगेतें था। इसम� वा� अपनु अपमनु अनु�भैवा कारंतें� था�। द�वातें भै� चुहतें� था� विका विकास� प्राकारं यायावितें का� स्वागे8-भ्रांष्ट कारं दिदया जीया। इन्~ का� भै� द�वातेंओं का भैवा भै� ज्ञातें ह� गेया।

एका दिदनु यायावितें इन्~-भैवानु म� द�वारंजी इन्~ का� सथा एका लिंसCहसनु परं ब�ठो� था�। नुनु प्राकारं का) बड़ई कारंतें� हुए इन्~ नु� काह5

आप तें� महनु प�ण्यात्म ह_। आपका) समनुतें भैल, का�नु कारं सकातें ह�? म�रं� याह जीनुनु� का) बहुतें इच्छा ह� विका आपनु� का�नु-स ऐस तेंप विकाया ह�, द्धिजीसका� प्राभैवा स� ब्रह्मल�का म� जीकारं वाहZ इच्छानु�सरं रंह ल�तें� ह_?"

यायावितें बड़ई स�नुकारं =' ल गेया� औरं वा� इन्~ का) म�ठो� वाण� का� जील म� आ गेया�। वा� अपनु� तेंपस्या का) प्राशं�स कारंनु� लगे�। अन्तें म� उन्हनु� काह5 "इन्~ ! द�वातें, मनु�र्ष्याया, गेन्धुवा8 औरं ऋविषों आदिद म� का�ई भै� तेंपस्या म� म�झ� अपनु� समनु दिदखई नुह� पड़तें।"

बतें समप्तें ह�तें� ह� द�वारंजी का भैवा बदल गेया। काठो�रं स्वारं म� वा� ब�ल�5 "यायावितें ! म�रं� आसनु स� उठो जीओ। तें�मनु� अपनु� म�ख स� अपनु� प्राशं�स का) ह�, इसस� तें�म्हरं� सब प�ण्या नुष्ट ह� गेया�, द्धिजीनुका) तें�मनु� चुचु8 का) ह�। द�वातें, मनु�र्ष्याया, गेन्धुवा8, ऋविषों आदिद म� विकासनु� विकातेंनु तेंप विकाया ह�, याह विबनु जीनु� ह� तें�मनु� उनुका वितेंरंस्कारं विकाया ह�, इसस� अब तें�म स्वागे8 स� विगेरं�गे�।"

आत्म-प्राशं�स नु� यायावितें का� तें�व्र तेंप का� =ल का� नुष्ट कारं दिदया। वा� स्वागे8 स� विगेरं गेया�। उनुका) प्राथा8नु परं द�वारंजी नु� का/ प कारंका� याह स�विवाध उन्ह� द� दF था� विका वा� सत्प�रुषों का) मण्pल� म� ह� विगेरं�। अतें5 वा� अष्टका, प्रातेंद8नु, वास�मनु औरं क्तिशंविब नुमका चुरं ऋविषोंया का� ब�चु विगेरं�।

रंजी यायावितें नु� उनु महप�रुषों स� प्राथा8नु का)5 "म�झ� प�नु5 ऐस� नुश्वरं स्वागे8दिद का स�ख नुह� भै�गेनु ह� विका जीहZ स� अपनु� प�ण्या का वाण8नु कारंनु� स� ह� विगेरं दिदया जीया। अब म�झ� शंश्वतें आत्मपद का) प्राप्तिप्तें कारंनु� ह� जीहZ पहुZचुनु� का� बद विगेरंनु� का) सम्भवानु नुह�। अनुन्तें ब्रह्मण्p म� अपनु स्वारूप व्यप रंह ह� उस अन्तेंया8म� परंमत्म का म�झ� सक्षाःत्कारं ह� जीया। ह� का/ पल� ! म�झ� ऐस� ब्रह्मज्ञानु का उपद�शं कारं�, द्धिजीसका� पकारं वि=रं काभै� पतेंनु नुह� ह�तें, ऐस� अपरिरंवातें8नुशं�ल आत्मद�वा का, सत्या श्री�हरिरं का ब�ध ह� जीया।"

वा� आत्मवा�त्त स�तें प्रासन्न हुए औरं यायावितें का� भै� अच्या� का� ज्ञानु का लभै कारंया जी� विका हरं प्राण� का अपनु आप ह� औरं सद सथा म� ह�।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

मस्तःके-निवक्रयका�सल का� रंजी का नुम दिदगे-दिदगेन्तें म� =� ल रंह था। वा� दFनु का� रंक्षाःका औरं विनुरंधरं का� आधरं था�। जीब

काशं�पवितें नु� उनुका) का)र्तितेंC स�नु�, तेंब वा� जील-भै�नु गेया�। उन्हनु� बड़� स�नु ल� औरं का�सल परं चुढ़ आया�। या�द्ध म� का�सलनुरं�शं हरं गेया� औरं वानु म� भैगे गेया�। नुगेरं म� विकास� नु� काशं�रंजी का स्वागेतें नुह� विकाया।

का�सलनुरं�शं का) परंजीया स� वाहZ का) प्राजी रंतें-दिदनु रं�नु� लगे�। काशं�रंजी नु� द�ख विका प्राजी उनुका सहया�गे कारं काह� प�नु5 विवा~�ह नु कारं ब�ठो� , इसक्तिलए शंL� का� विनु5शं�षों कारंनु� का� क्तिलए उन्हनु� घ�षोंण कारं दF5

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"जी� का�सलपवितें का� ढं'Zढं लयागे उस� 100 म�हरं� दF जीया�गे�।"द्धिजीसनु� भै� याह घ�षोंण स�नु�, आZख-कानु बन्द कारं जी�भै दब ल�।इधरं का�सलनुरं�शं =ट� चु�थाड़ म� जी�गेल म� भैटका रंह� था�। एका दिदनु एका पक्तिथाका उनुका� समनु� आया औरं

प'छूनु� लगे5"वानुवास� ! इस वानु का काहZ जीकारं अन्तें ह�तें ह� औरं का�सलप�रं का मगे8 का�नु स ह�?"रंजी नु� प'छू5 "तें�म्हरं� वाहZ जीनु� का कारंण क्या ह�?""म_ व्यपरं� हूZ। म�रं� नु�का p'ब गेई ह�। अब द्वेरं-द्वेरं काहZ भै�ख मZगेतें वि=रूZ ? स�नु था विका का�सल का� रंजी

बड़� उदरं ह_ अतेंएवा उन्ह� का� दरंवाजी� जी रंह हूZ।" पक्तिथाका ब�ल।था�ड़� द�रं तेंका का� छू स�चुकारं रंजी नु� काह5 "चुल�, तें�म्ह� वाहZ तेंका पहुZचु ह� आऊZ । तें�म बहुतें दूरं स� ह�रंनु

ह�कारं आया� ह�।"काशं�रंजी का) सभै म� एका जीटधरं� व्यक्तिO आया। काशं�नुरं�शं नु� प'छू5 "काविहया�, विकासक्तिलए पधरं�?"जीटधरं� नु� काह5 "म_ का�सलरंजी हूZ। तें�मनु� म�झ� पकाड़कारं लनु� वाल� का� स� स�वाण8म�~एZ द�नु� का) घ�षोंण

कारंया� ह�। बस, म�रं� इस सथा� का� वाह धनु द� द�। इसनु� म�झ� पकाड़कारं तें�म्हरं� पस उपच्चि}तें विकाया ह�।"सरं� सभै सन्न रंह गेया�। प्राहरं� का) आZख म� भै� आZस' आ गेया�। काशं�पवितें सरं� बतें� जीनु-स�नुकारं स्तेंब्ध रंह

गेया�।त्यागे, ध�या8 औरं परंविहतें म� परंयाण का�सलनुरं�शं जीगेतें का�, भै�गेपदथाd का� तें�च्छा समझतें� था�। बह्य का� रंज्या

का) अप�क्षाः भै�तेंरं का� रंज्या का) उनुका� ज्याद का~ था�। बह्य शंरं�रं सजीनु� का) अप�क्षाः उन्हनु� हृदया का� त्यागे स�, प्रा�म स�, विनुभै8यातें स� सजी रंख था। उस स�हवानु� हृदया म� परंमत्म अपनु� प'रं� प्राभैवा स� आस�नु था�।

ऐस� पविवाL हृदयावाल� का�सलनुरं�शं का काशं�नुरं�शं परं अदभै�तें प्राभैवा पड़। का� दिटलतें औरं बह्य बल का) अप�क्षाः आन्तेंरिरंका बल बहुतें पविवाL, दिदव्य ह�तें ह�। उस दिदव्य आध्यात्मित्मका प्राभैवा स� काशं�नुरं�शं का हृदया विपघल गेया। भैरं� काण्ठो काह5

"अब म_ बह्य रंज्या नुह� जी�तें'Zगे। महरंजी ! जी� अह�कारं का विवास्तेंरं कारंनु� म� फिंहCस, या�द्ध, छूFनु-झपटF कारंका� , दूसरं का� नु�चु दिदखकारं अपनु� का� चुक्रवातें£ रंजी बनुनु� का) दुःवा8सनु था� उस दुःवा8सनु नु� म�रं� स� अन्याया कारंवाया। अब म_ दुःवा8सनु का� जी�तेंनु� का� क्तिलए एकान्तें अरंण्या का) शंरंण ल'Zगे। आप म�झ� क्षाःम कारं�। अह�कारं औरं ईर्ष्याया8वाशं जी� का� छू म�रं� स� अनु�क्तिचुतें ह� गेया उसम� वाह वासनु ह� तें� कारंण ह� महरंजी ! याह वासनु विनुवा/त्त कारंनु ह� तें� मनु�र्ष्याया जीन्म का लक्ष्या ह�, याह तें�म्हरं� प्राभैवा स� अब समझ रंह हूZ। विनुवा8सविनुका प�रुषों का� प्रारंब्ध वा�गे स� सब भै�गे आकारं प्राप्तें ह�तें� ह_ वि=रं भै� वाह विनुल«प रंहतें ह�। ऐस जी�वानु पनु� का) म_ चु�ष्ट कारूZ गे।"

का�सलनुरं�शं का हृदया प्यारं स�, उदरंतें स�, अह�भैवा स� छूलका आया। द�नु का) आZख स� प्रा�मश्री� का) सरिरंतेंएZ बह चुल�। मनु�, द�नु दिदल म� एका ह� अलख प�रुषों का), एका ह� परंम�श्वरं का) परंम रंसमया� धरं उमड़�। धन्या घविड़याZ... धन्या क्षाःण� ह� गेईं।

काशं�नुरं�शं नु� का�सलनुरं�शं का हथा पकाड़कारं लिंसCहसनु परं विबठो दिदया औरं उनुका� मस्तेंका परं म�का� ट पहनु दिदया। सरं� सभै धन्या-धन्या ब�ल उठो�।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

शरणी�गनितःय"गद0व ह्ये�र्षा� ग&णीमय मम म�य� दुरत्यय�।म�म�व य� प्रापूद्यन्तः� म�य�म�तः�� तःरन्तिन्तः तः�।।

'याह अल�विकाका, अवितें अदभै�तें विLगे�णमया� म�रं� मया बड़� दुःस्तेंरं ह�, परंन्तें� जी� प�रुषों का� वाल म�झका� ह� विनुरंन्तेंरं भैजीतें� ह_, वा� इस मया का उल्ल�घनु कारं जीतें� ह_, अथा8तें� स�सरं स� तेंरं जीतें� ह_।'

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न म�� दुष्केj नितःन" म�ढ�� प्रापूद्यन्तः� नर�धम��।म�यय�पूहृ तःज्ञा�न� आसं&र� भ�वम�द्धिश्रीतः��।।

'मया का� द्वेरं द्धिजीनुका ज्ञानु हरं जी चु�का ह� ऐस� अस�रं-स्वाभैवा का� धरंण विकाया� हुए मनु�र्ष्याया म� नु�चु, दूविषोंतें काम8 कारंनु� वाल� म'ढ़ ल�गे म�झका� नुह� भैजीतें�।'

(भगवद2 गतः�� 7.14.15)या� द�नु श्लो�का सधका का� जी�वानु म� स्पष्टतें, सहजी स्वाभैविवाका, स�गेम औरं शंश्वतें मगे8 का विनुद«शं कारंतें� ह_।तें�नु गे�णवाल� मया द�वा� ह�। इस मया का तेंरंनु पड़ दुःस्तेंरं ह�। इस मया विका सरिरंतें म� का�ई अपनु� प�रुषोंथा8

का तें�म्ब बZधकारं परं ह�नु चुह� औरं सथा म� पत्थारं भै� बZध ल� तें� परं नुह� ह� सकातें। =� नु सगेरं का नुप ल�नु चुह� तें� वाह स�भैवा नुह�। वाह तेंरं�गे� का) झपट म� क्तिछून्न-श्चिभैन्न ह� जीतें ह�। उसका� अपनु ह� पतें नुह� रंहतें। ऐस� ह� अनुन्तें-अनुन्तें ब्रह्मण्p म� =� ल� हुए परंब्रह्म परंमत्म का� आगे� मनु�र्ष्याया का बहुबल, मनु�र्ष्याया का) अक्ल, मनु�र्ष्याया का प�रुषोंथा8, मनु�र्ष्याया का उपजी8नु, मनु�र्ष्याया का� जी� का� छू सजी8नु आया�जीनु ह� वाह शं'न्यावातें ह�। जी�स� =� नु औरं ब�दब�द� का अपनु स्वातेंन्L अत्त्विस्तेंत्वा नु ह�तें� हुए भै� स्वातें�L अत्त्विस्तेंत्वा मनुकारं वा� का� छू बनुनु चुह�, का� छू पनु चुह�, सगेरं का� नुपनु चुह� तें� असम्भवा ह�। ल�विकानु वा� =� नु औरं ब�दब�द� अगेरं ष्ठिमट जीया�, अपनु� आधरं, अपनु� अष्ठिधKनु उस सगेरं का� जीनु� ल�, समर्तिपCतें ह� जीया तें� उनुका� क्तिलए सगेरं का� पनु सरंल भै� ह�। सगेरं का� सहरं� वा� ह� नुचु रंह� ह_। सगेरं स� ह� वा� उत्पन्न हुए, सगेरं म� ह� जी� रंह� ह_ औरं सगेरं म� ह� ष्ठिमल जीया�गे�। ल�विकानु उस सगेरं स� अपनु� अलगे सत्त मनुकारं का� छू बनुनु चुहतें ह�, का� छू पनु चुहतें, का� छू जीनुनु चुहतें औरं अपनु� अक्ल-ह�क्तिशंयारं� परं अपनु� ब�द्धिद्ध परं, अपनु� बहूबल परं वाह ब�लब�ल अगेरं सगेरं का� पनु चुह�, मपनु चुह� तें� असम्भवा ह�। हZ, ब�लब�ल मप नुह� सकातें, सगेरं का� प नुह� सकातें ल�विकानु सगेरं म� ष्ठिमट सकातें ह�, ष्ठिमटकारं सगेरं ह� सकातें ह�। सचु प'छू� तें� उस� ष्ठिमटनु� का) भै� आवाश्याकातें नुह�, वाह अभै� भै� ष्ठिमट हुआ ह�। क्याविका उसका) अपनु� स्वातें�L सत्त नुह�, सगेरं का) सत्त ह� उसका) सत्त ह�, सगेरं का ह�नु ह� उसका ह�नु ह�। पनु� का ह�नु ह� ब�दब�द� का ह�नु ह�। ऐस जी� समझ ल�तें ह� विका म�रं� अन्तें5कारंण रूप� ब�दब�द� का ह�नु ह�। ऐस जी� समझ ल�तें ह� विका म�रं� अन्तें5कारंणरूप� ब�दब�द� म� तेंमम विवाचुरं उठोतें� ह_, द्धिजीस समया जी�स�-जी�स� गे�ण आतें� ह_ वा�स�-वा�स� स�काल्प-विवाकाल्प ह�तें� ह_ ल�विकानु अन्तें5कारंण का� सत्त-स्फु' र्तितेंC द�नु� वाल म�रं परंमत्म ह�। म_ उस� का) शंरंण हूZ। म�रं वाह� आधरं ह�। इस प्राकारं जी� अन्तेंया8म� परंमत्म का) शंरंण स्वा�कारं कारं ल�तें ह�, अनुन्तें का) स्म/वितें कारं ल�तें ह� उसका� क्तिलए स�सरं-सगेरं तेंरंनु इतेंनु आसनु ह� द्धिजीतेंनु गे�पद लZघ जीनु आसनु ह�तें ह�। मगेरं जी� अपनु� मन्यातें, अपनु� मनु-ब�द्धिद्ध-अन्तें5कारंण का� बल स� स�सरं-सगेरं तेंरंनु चुह� तें� उसका� क्तिलए स�सरं-सगेरं अवितें विवाकाट ह� जीतें ह�। चु�रं का� अगेरं तें�नु काल का ज्ञानु ह� सकातें ह�, विहरंनु यादिद क्तिशंकारं� का) गेरंदनु मरं�ड़ सकातें ह�, अपरंध� वा पप� आदम� यादिद सत्या-स�काल्प बनु सकातें ह�, मछूल� अगेरं बZस� का� विनुगेल सकातें� ह� तें� ऐस आदम� स�सरं-सगेरं तेंरं सकातें ह�। अथा8तें� ऐस� आदम� का� क्तिलए स�सरं-सगेरं तेंरंनु दुःस्तेंरं ह�।

काई ल�गे आस�रं� भैवा का� आश्चिश्रीतें ह�कारं भैगेवानु का स्मरंण नुह� कारंतें�। काई ल�गे स्मरंण कारंतें� ह_ ल�विकानु उनुम� वासनुएZ भैरं� ह_। काई ल�गे स्मरंण-ध्यानु-भैजीनु कारंतें� ह_ तें� अपनु� का� कात्त8 मनुकारं का� छू विवाशं�षों बनुनु� का) आका�क्षाः म� लगे� ह_। या� सब कारंनु� वाल� भै� परंमत्म का� नुह� प सकातें� औरं नु कारंनु�वाल� भै� नुह� प सकातें�। क्याविका मया का ऐस जील ह� विका कारंनु� वाल� विकासका) सत्त स� विकाया जी रंह ह� उसका� नुह� समझ रंह ह�। जी� सरंभै'तें ह�, जी� सबका� सत्त-स्फु' र्तितेंC द�कारं नुचु नुचु रंह ह� उसका� नुह� जीनुतें औरं अपनु� वाजी'दF, अपनु� हस्तें� ब�चु म� अड़ द�तें ह�।

वास्तेंवा म� द�ख जीया� तें� प�ण्या कारंनु� वाल� हम का�नु ह�तें� ह_? परंमत्म प�ण्या कारंवा रंह ह�। दनु कारंनु� वाल� हम का�नु ह�तें� ह_? वाह कारंवा रंह ह�। हम स�वा, जीप कारंनु� वाल� का�नु ह�तें� ह_? हमरं तें� अपनु का� छू ह� ह� नुह�।

एका लड़का� नु� मZ का� काह5 "मZ ! तें�रं ऋण चु�कानु� का� क्तिलए तेंनु-मनु-धनु स� स�वा कारूZ । म�रं� हृदया म� तें� आतें ह� विका मZ, म�रं� चुमड़� स� तें�रं� चुरंण का) म�जीड़� बनुवा दूZ।"

स�नुकारं मZ हZस पड़�5 "ब�ट ! ठो�का ह�। तें�रं� भैवानु ह�, म�रं� स�वा ह� गेई। बस म_ स�तें�ष्ट हूZ।"

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"मZ तें' हZस� क्या?""ब�ट ! तें' काहतें ह� विका म�रं� चुमड़� स� तें�रं� म�जीड़� बनुवा दूZ। ल�विकानु याह चुमड़ तें' काहZ स� लया? याह चुमड़

भै� तें� मZ का दिदया हुआ ह�।"ऐस� ह� यादिद हम काह� विका5 'ह� प्राभै� ! तें�रं� क्तिलए म_ प्राण का त्यागे कारं सकातें हूZ, तें�रं� क्तिलए घरं-बरं छू�ड़ सकातें

हूZ, तें�रं� क्तिलए पत्नु�-परिरंवारं छू�ड़ सकातें हूZ, तें�रं� क्तिलए स�सरं छू�ड़ सकातें हूZ....।' ल�विकानु घरं-बरं, स�सरं-परिरंवारं लया� काहZ स�? उस� प्राभै� का ह� तें� था। तें�मनु� छू�ड़ क्या? तें�मनु� का� वाल उसका� आदरं द�तें� हुए अपनु अन्तें5कारंण पविवाL विकाया, वारंनु तें�म्हरं तें� का� छू था ह� नुह�। जी�स� ब�ट� का अपनु चुमड़ ह� ह� नुह�, मZ का दिदया हुआ ह� वा�स� ह� जी�वा का अपनु का� छू ह� ह� नुह�। सब का� छू ईश्वरं का ह� ह�। ल�विकानु जी�वा मनु ल�तें ह� विका, 'याह म�रं ह�... भैगेवानु ! तें�झ� द�तें हूZ। म_नु� इतेंनु विकाया, उतेंनु विकाया... अब तें' का/ प कारं।'

का� छू नु कारंनु� वाल का) अप�क्षाः ऐस� भैO भै� ठो�का ह_ ल�विकानु श्री�का/ र्ष्याण काहतें� ह_ विका वा� भै� मया म� ह� ह_। द0व ह्ये�र्षा� ग&णीमय मम म�य� दुरत्यय�। याह गे�ण वाल� मया बड़� दुःस्तेंरं ह�। इसका� तेंरंनु कादिठोनु ह�।

'मया दुःस्तेंरं ह�, कादिठोनु ह�...' ऐस काहनु� स� का�ई सधका उत्सहह�नु नु ह� जीया� इसक्तिलए भैगेवानु नु� आगे� तें�रंन्तें रंस्तें भै� बतें दिदया विका5 म�म�व य� प्रापूद्यन्तः� म�य�म�तः�� तःरन्तिन्तः तः�। जी� म�रं� शंरंण आतें ह� वाह मया का� तेंरं जीतें ह�।' भैगेवानु का� शंरंणगेतें भैO का� क्तिलए मया तेंरं जीनु आसनु भै� ह�।

भैगेवानु का� शंरंण ह�नु� का मतेंलब क्या ह�? क्या हम 'का/ र्ष्याण.... का/ र्ष्याण कारं�? क्ल� का/ र्ष्याणया नुम5... क्ल� का/ र्ष्याणया नुम5....' कारं�? नुह�। भैगेवानु ऐस नुह� काह रंह� ह_। वा� काहतें� ह_ विका 'म�रं� शंरंण।' काई ल�गे 'का/ र्ष्याण... का/ र्ष्याण....' जीप कारंतें� ह_। ल�विकानु जीरूरं� नुह� विका वा� श्री�का/ र्ष्याण का� शंरंण ह_ ह�। काई ल�गे क्तिशंवाजी� का जीप कारंतें� ह_ विकान्तें� जीरूरं� नुह� विका वा� क्तिशंवाजी� का� शंरंण ह_ ह�।

भैगेवानु का जीप कारंतें� ह_ ल�विकानु =ल क्या पनु चुहतें� ह_? स�सरं। तें� वा� स�सरं का� शंरंण ह_। मल घ�म रंह� ह_ नु�कारं� का� क्तिलए, जीप कारं रंह� ह_ शंदF का� क्तिलए, ध्यानु-भैजीनु-स्मरंण कारं रंह� ह_ नुश्वरं चु�जी का� क्तिलए, नुश्वरं का)र्तितेंC का� क्तिलए। तें� हम भैगेवानु का� शंरंण नुह� ह_, नुश्वरं का� शंरंण ह_। अगेरं हमरं जीप-ध्यानु-अनु�Kनु पद-प्रावितेंK पनु� का� क्तिलए ह�, व्यक्तिOत्वा का� शं/�गेरं का� क्तिलए ह� तें� हम भैगेवानु का� शंरंण नुह� ह_, शंरं�रं का� शंरंण ह_। 'हम� का�ई मह�तें काह द�, हम ऐस द्धिजीया� विका हमरं� मह�तेंपद का प्राभैवा पड़�, हम स�तें ह�कारं द्धिजीया�, सZई ह�कारं द्धिजीया�, ल�गे परं प्राभैवा छू�ड़ जीया�, हम स�ठो ह�कारं द्धिजीया�, सहूकारं ह�कारं द्धिजीया�' – इस प्राकारं का) वासनु भै�तेंरं ह� औरं हम भैगेवानु का) स�वा-प'जी-उपसनु-आरंधनु कारंतें� ह_ तें� हम भैगेवानु का� शंरंण नुह� ह_। भैगेवानु का� अपनु� इच्छाप'र्तितेंC का सधनु बनु दिदया। हम शंरंण ह_ मया का� ।

हम अनु�Kनु कारं रंह� ह_ तें� जीZचु� विका विकासक्तिलए कारं रंह� ह_? तेंन्दरुस्तें� का� क्तिलए कारं रंह� ह_? याशं का� क्तिलए कारं रंह� ह_? स्वागे8-प्राप्तिप्तें का� क्तिलए कारं रंह� ह_? अथावा ईश्वरं-प्राप्तिप्तें का� क्तिलए कारं रंह� ह_? अगेरं हमरं� कामd म� ईश्वरं-प्राप्तिप्तें म�ख्या ह� तें� हम परंमत्म का� शंरंण ह_। लक्ष्या अगेरं ईश्वरं-प्राप्तिप्तें नुह� ह� तें� हम म�दिदरं म� ह�तें� हुए भै� रुपया का� शंरंण ह_, पत्नु� का� शंरंण ह_, बच्ची का� शंरंण ह�, सत्त का� शंरंण ह�, स�ख का� शंरंण ह_।

भैगेवानु काहतें� ह_ विका जी� म�रं� शंरंण आ जीतें ह� वाह मया का� तेंरं जीतें ह�। भैगेवानु का� शंरंण जीनु� वाल व्यक्तिO इतेंनु महनु� ह� जीतें ह�, ऐस शंश्वतें आनुन्द प्राप्तें कारं ल�तें ह� विका वि=रं उसका� नुश्वरं पदथाd का) आसक्तिOया का� शंरंण ह�नु� का दुःभै8ग्या नुह� ष्ठिमलतें ह�।

ईश्वरं का� शंरंण ह�नु� स� ईश्वरं हम� परंध�नु नुह� बनु रंह� ह_। ईश्वरं हम� ईश्वरं बनु रंह� ह_। ईश्वरं हम� अपनु� मविहम म� जीगे रंह� ह_।

ईश्वरं का स्मरंण बड़ विहतेंवाह ह�। स्म/वितें एका ऐस� चु�जी ह�, स्मरंण एका ऐस अदभै�तें खजीनु ह� विका वाह परंम काल्याण का� द्वेरं ख�ल द�तें ह�। नुदF बह रंह� ह� सगेरं का) ओरं। उसम� स� नुहरं विनुकाल� तें� उसका� द्वेरं नुदF का पनु� जीहZ चुह� वाहZ ल� जी सकातें� ह�। ऐस� ह� अन्तें5कारंण स� अनुन्तें-अनुन्तें वा/श्चित्तयाZ उठो रंह� ह_। इनु वा/श्चित्तयारूप� सरिरंतेंओं म� बहकारं हम स�सरंरूप� सगेरं म� विगेरं रंह� ह_। ईश्वरं का स्मरंण कारंनु� का मतेंलब याह ह� विका हमनु� ईश्वरं का) ओरं वा/श्चित्तरूप� जील का� ल� जीनु� का� क्तिलए एका नुहरं ख�ल ल�। एका आया�जीनु कारं क्तिलया विका नुदF का पनु� खरं� सगेरं म� नु

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जीया बत्त्विल्का ख�तें म� जीया। ऐस� ह� वा/श्चित्तयाZ जीन्म-मरंण का� स�सरं-सगेरं म� नुष्ट नु ह�, जी�वानु बरंबद नु ह� औरं आत्मज्ञानु का� उद्यानु म� उसका ठो�का उपया�गे ह�। ईश्वरं-स्मरंण का मतेंलब ह� विका हमरं मनु इधरं-उधरं का) काल्पनुओं म� नु जीया, स�सरं का) वासनुओं म� नु जीया, अनु�का प्राकारं का� ख्याल म� हमरं मनु नु विबखरं�, श्चिभैन्न-श्चिभैन्न प्राकारं का) आवाश्याकातेंओं म� नु उलझ�। ल�विकानु हमरं मनु जीहZ स� प्राकाट हुआ ह� उस� परंमत्म म� पहुZचु�।

जी� ईश्वरं का स्मरंण नुह� कारंतें� ह_ वा� क्या विबनु स्मरंण ब�ठो� ह_? काK म�नु म� या समष्ठिध म� दिटका ह_? नुह�। उनुका� स�सरं का स्मरंण आतें ह�। जी� हरिरं का स्मरंण नुह� कारंतें�, परंमत्म का स्मरंण नुह� कारंतें� वा� स�सरं सगेरं म� ब�रं� तेंरंह p'बतें�-उतेंरंतें� रंहतें� ह_, बड़�-बड़� तेंरं�गे का) थाप्पड़� खतें� रंहतें� ह_।

परंमत्म का बदिढ़या स्मरंण वाह ह� विका द्धिजीस चु�जी परं मनु जीया, द्धिजीस काम8 म� हम ह�, द्धिजीस बतें म� लगे� ह, द्धिजीस द�शं म� ह, द्धिजीस रं�गे म� ह, द्धिजीस रूप म� ह, द्धिजीस जीतें म� ह, द्धिजीस नुतें म� ह, द्धिजीस व्यवाहरं म� ह�, उस समया उनु सबका जी� आधरं ह� उस परंमत्म का) स्म/वितें बनु� रंह�। नुजीरं =' ल परं गेई तें�5 'आह ! विकातेंनु स�हवानु स�गेत्मिन्धुतें गे�लब का =' ल ह� ! उसका प्रागेट्य }नु परंमत्म ह�। =' ल म� सत्त परंमत्म का) ह�।' नुजीरं पड़� विकास� ष्ठिमL परं, ष्ठिमL का) नुजीरं म�झ परं पड़� तें�5 'द�नु ष्ठिमL का) आZख म� ब�ठोकारं एका ह� म�रं प्राभै� झZका रंह ह�। वाह� सब ष्ठिमL का ष्ठिमL ह�। वाह वाह प्राभै� !'

नुज़रं पड़� विकास� म�टरंगेड़� परं5 'हया ! म�झ� ऐस� गेड़� ष्ठिमल जीया !' नु, नु। स्म/वितें आ जीया विका5 'वाह प्राभै� ! क्या तें�रं� ल�ल ह� ! गेड़� बनुनु� वाल म� तें�रं� सत्त, गेड़� घ�मनु� वाल म� तें�रं� सत्त, गेड़� द�खनु� म� इस अन्तें5कारंण का� भै� तें�रं� ह� सत्त चुल रंह� ह�। वाह प्राभै� !'

याह परंमत्म का स्मरंण अदभै�तें ह�गे। काभै� मल नुह� घ�मया� औरं ऐस� ह� स्मरंण ह� जीया विका5 'तें' सवा8 ह_..... सबम� ह�.... म�झम� भै� तें' ह� ह�। क्तिशंवा�ऽहम�.... सच्चिच्चीदनुन्द�ऽहम�... अजीरं�ऽहम�.... सधका�ऽहम�.... क्तिशंर्ष्याया�ऽहम�... धनु� अह�... विनुधनु@ऽहम�.. म'ख@ऽहम�... विवाद्वेनु�ऽहम�....।'

'जी� का�ई दिदख� वाह म_ ह� अथावा उसम� म�रं ह� परंमत्म ब�ठो ह�। म'ख8तें औरं विवाद्वेतें उसका� अन्तें5कारंण का� भैवा ह_, अन्तें5कारंण का) या�ग्यातें अया�ग्यातें ह� ल�विकानु सत्त तें� म�रं� परंमत्म का) ह�।' ऐस जी� स्मरंण ह� वाह अनुन्या स्मरंण ह�। द्धिजीसका� ऐस अनुन्या स्मरंण आ जीया उसका� क्तिलए स�सरं तेंरंनु बया� हथा का ख�ल ह�। अगेरं अनुन्या स्मरंण नुह� आतें तें� विकास� म�L का स्मरंण ठो�का ह�। म�L का स्मरंण कारंतें�-कारंतें� द�ख� विका हमरं� वा/श्चित्तया का) गेहरंई म� लक्ष्या परंमत्म ह� विका स�सरं ह�। द्धिजीतेंनु-द्धिजीतेंनु स्म/वितें म� स�सरं पड़ ह� उतेंनु उसका� विनुकालतें� जीया�। अगेरं नुह� विनुकाल पतें ह� तें� प्राथा8नु कारं� विका5 'ह� प्राभै� ! सब तें�रं� मया ह�। म_ सत्त्वागे�ण म� नु उलझ जीऊZ , रंजी�गे�ण-तेंम�गे�ण म� नु उलझ जीऊZ म�रं� नुथा ! म_ कामनु� औरं खनु� म� अपनु जी�वानु नुष्ट नु कारं दूZ। रुपया का) रंक्तिशं बढ़नु� म� अपनु जी�वानु नुष्ट नु कारं दूZ। म�रं� स्म/वितें सरिरंतें आपका) ओरं विनुरंन्तेंरं बहतें� रंह�।'

काई ल�गे भैगेवानु का स्मरंण कारंतें� ह_ ल�विकानु रुपया� कामनु� का� क्तिलए। रूपया� कामतें� ह_ वाह तें� ठो�का ह� ल�विकानु स�ग्रह कारंनु� म� लगे� ह_, स�ग्रह का) रंक्तिशं बढ़नु� म� लगे� ह_। याह परंमत्म का स्मरंण नुह� ह�, रूपया का स्मरंण ह�। ऐस� ल�गे मया म� म�विहतें ह� गेया� ह_, स�सरं म� भैटकातें� ह_, जीन्मतें� औरं मरंतें� ह_।

काई ल�गे भैगेवानु का भैजीनु कारंतें� ह_ शंरं�रिरंका स�विवाध-अनु�का' लतें पनु� का� क्तिलए।एका घ�ड़सवारं जी रंह था। रंह ह�गे वा�दन्तें�, रंह ह�गे सदगे�रु का क्तिशंर्ष्याया। रंस्तें� हथा स� चुब�कारं विगेरं पड़।

काई याL� प�दल चुल रंह� था�। विकास� का� नु ब�लकारं स्वाया� रुका, घ�ड़� स� नु�चु� उतेंरं। विगेरं हुआ चुब�का उठोया। विकास� सज्जानु नु� प'छू5 "भैई ! तें�मनु� परिरंश्रीम विकाया। हमका� विकास� का� ब�लतें� तें� का�ई नु का�ई चुब�का उठो द�तें। था�ड़� स�वा कारं ल�तें।"

सवारं काहतें ह� विका5 "जीगेतें म� आकारं मनु�र्ष्याया का� विकास� का) स�वा कारंनु� चुविहए। स�वा ल�नु� नुह� चुविहए। दूसरं का) स�वा ल� तेंब जीब बदल� म� अष्ठिधका स�वा कारंनु� का) क्षाःमतें ह�।"

स�वा ल�नु� का) रूक्तिचु भैक्तिOमगे8 स� विगेरं द�तें� ह�, सधनु स� विगेरं द�तें� ह�। छू�टF-छू�टF स�वा ल�तें�-ल�तें� बड़� स�वा ल�नु� का) आदतें बनु जीतें� ह�। म�रं� बदल� का�ई नु�कारं भैगेवानु का) स�वा-प'जी कारं ल�, म�रं� बदल� का�ई पच्चिण्pतें-ब्रह्मण जीपनु�Kनु कारं ल� ऐस� वा/श्चित्त बनु जीतें� ह�। जी�वानु म� आलस्या आ जीतें ह�।

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घ�ड़सवारं काहतें ह�5 "भै�या ! म_ तें�म्हरं� स�वा अभै� तें� ल� ल'Z ल�विकानु वि=रं का�नु जीनु� ष्ठिमल� नु ष्ठिमल�। आपका प्रात्या�पकारं कारंनु� का म�का ष्ठिमल� नु ष्ठिमल�। वि=रं काब ऋण चु�का सका'Z ? जीन्म हुआ ह� स�वा कारंनु� का� क्तिलए, शंरं�रं का सदुःपया�गे कारंनु� का� क्तिलए। जी�स� दFया तें�ल औरं बतें� जीलकारं दूसरं का� क्तिलए रं�शंनु� कारंतें ह� ऐस� ह� आदम� का� चुविहए विका वाह अपनु� शंक्तिO औरं समया का सदुःपया�गे कारंका� विवाश्व म� उजील कारं�। ऐस नुह� विका दूसरं� का� दFया� परं तेंकातें रंह�। आप म�रं� स�वा तें� कारं ल�तें� ल�विकानु म�रं� का� आपका) स�वा का म�का काब ष्ठिमलतें? म�रं� परं आपका ऋण क्या?"

"इतेंनु� जीरं-स� स�वा म� ऋण क्या?""जीरं-जीरं स� आदम� बड़� स�वा परं आ जीतें ह�। छू�टF-छू�टF गेलवितेंया स� आदम� बड़� गेलतें� परं चुल

जीतें ह�।"गेवि=ल सधका मनु ह� मनु समधनु कारं ल�तें ह� विका विकास� व्यक्तिO स� था�ड़� बतेंचु�तें कारं ल� तें� क्या हुआ?

था�ड़� स� गेपशंप लगे ल� तें� क्या हुआ? ऐस� कारंतें�-कारंतें� वाह प'रं जी�वानु बरंबद कारं द�तें ह�। मया म� ह� उलझ रंह जीतें ह�। मया बड़� दुःस्तेंरं ह�।

मया का� तेंरं जीनु अगेरं आदम� का� हथा का) बतें ह�तें� तें� शंस्L आज्ञा नुह� द�तें� विका स�तें का स�गे कारं�। सच्ची� स�तें औरं गे�रुजीनु का स्वाभैवा ह�तें ह� विका का� स� भै� कारंका� सधका का� मया स� परं ह�नु� म� सहया कारंनु। इसक्तिलए तें� आवाश्याकातें आनु� परं क्र�ध भै� दिदख द�तें� ह_, pZटतें�-=टकारंतें� भै� ह_। वा� विकास� का� दुःश्मनु था�ड़� ह� ह_? वा� जीब pZटतें� ह_ तें� तें�म तेंका8 कारंका� अपनु बचुवा मतें कारं�। अपनु� गेलतें� ख�जी�, अपनु� ब�वाका' =) का� ढं'Zढं�। सधका-सष्ठिधका बनु जीनु कादिठोनु नुह� ह� ल�विकानु अपनु� विनुम्नु आदतें� बदल द�नु, बन्धुनु का� काटकारं म�O ह� जीनु, विLगे�णमया� मया का� तेंरं जीनु बड़� प�रुषोंथा8 का काम ह�। सबस� बड़ प�रुषोंथा8 याह ह� विका हम सम्पा'ण8तेंया परंमत्म का� शंरंण ह� जीया�। उनुका) स्म/वितें इतेंनु� बनु� रंह� विका स�सरं का) आसक्तिO छू' ट जीया। स�सरं का म�ह नु रंह�, आकाषों8ण नु रंह�।

जीबा [&ल बा�जी�र संnद� न निकेय�।अबा रहो होड़तः�ल ग�निफल सं� दिदय�।।

काह� ऐस नु ह� जीया इसक्तिलए सवाधनु रंहनु। जी�वानु का अप्तिन्तेंम श्वस आ जीया, जी�वानु का) हड़तेंल ह�नु� लगे� तेंब काह� प#तेंप हथा नु लगे�। इसक्तिलए अभै� स� ह� म�क्षाः का स�द कारं ल�।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

दxक्षा�� जीवन के� आवश्यके अ�गजी�स� p±क्टरं� पस कारंनु� का� बद भै� बड़� p±क्टरं का� सथा रंहनु, द�खनु, स�खनु जीरूरं� ह�तें ह�, वाकालतें

पस कारंनु� परं भै� वाका)ल का� पस रंहनु-स�खनु जीरूरं� ह�तें ह�, वा�स� ह� ईश्वरं स� ष्ठिमलनु� का� क्तिलए, अनुजीनु� रंस्तें� परं चुलनु� का� क्तिलए विकास� जीनुकारं का) सहयातें ल�नु आवाश्याका ह�।

ईश्वरं एका ऐस� वास्तें� ह�, सत्या एका ऐस� वास्तें� ह� द्धिजीसका� आप आZख स� द�ख भै� सकातें� ह_, नुका स� स'Zघ भै� सकातें� ह_ औरं द्धिजीस� जी�भै स� चुखकारं भै� जीनु सकातें� ह_। परं�तें� जी� इद्धिन्~या का विवाषोंया भै� नुह� ह�, जी� आपका) सभै� इद्धिन्~या का� स�चुक्तिलतें कारंनु� वाल ह�, वाह अन्तेंया8म� आपका आत्म ह� ह�। विकास� भै� इद्धिन्~या का) ऐस� गेवितें नुह� ह� विका वाह उल्ट ह�कारं आपका� द�ख�। उसका� क्तिलए प्रामण ह�तें ह� वाक्या। गे�रु जी� ह_ वा�-

चरणीद�सं ग&रु केj पू� के3न्हो4।उलR गय म"र न0न पू&तःरिरय�।।

गे�रु हमरं� छूठो� इन्~F का दरंवाजी ख�ल द�तें� ह_, हम� बहरं का) चु�जी का� द�खनु� वाल� आZख का) जीगेह भै�तेंरं द�खनु� वाल� आZख, आत्म-परंमत्म का� द�खनु� वाल� शंक्तिO का दनु कारंतें� ह_। मनु�, गे�रु ईश्वरं का दनु कारंतें� ह_ औरं

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क्तिशंर्ष्याया उसका� ग्रहण कारंतें ह�, पचु ल�तें ह�। ईश्वरं का दनु कारंनु� का� 'दF' ब�लतें� ह_ औरं पचुनु� का) शंक्तिO का� 'क्षाः' ब�लतें� ह_। इस तेंरंह बनुतें ह� 'दFक्षाः'। दFक्षाः मनु�, द�नु औरं पचुनु। गे�रु का द�नु औरं क्तिशंर्ष्याया का पचुनु।

द्धिजीसका का�ई गे�रु नुह� ह� उसका का�ई सच्ची विहतें�षों� भै� नुह� ह�। क्या आप ऐस� ह_ विका आपका ल�का-परंल�का म�, स्वाथा8-परंमथा8 म� का�ई मगे8 दिदखनु� वाल नुह� ह�? वि=रं तें� आप बहुतें असहया ह_। क्या आप इतेंनु� ब�द्धिद्धमनु ह_ औरं अपनु� ब�द्धिद्ध का आपका� इतेंनु अश्चिभैमनु ह_ विका आप आपनु� स� बड़ ज्ञानु� विकास� का� समझतें� ह� नुह�? याह तें� अश्चिभैमनु का) परंकाK ह� भैई !

दFक्षाः काई तेंरंह स� ह�तें� ह�5 आZख स� द�खकारं, स�काल्प स�, हथा स� छू' कारं औरं म�L-दनु कारंका� । अब, जी�स� क्तिशंर्ष्याया का) या�ग्यातें ह�गे�, उसका� अनु�सरं ह� दFक्षाः ह�गे�। या�ग्यातें क्या ह�? क्तिशंर्ष्याया का) या�ग्यातें ह� श्रीद्ध औरं गे�रु का) या�ग्यातें ह� अनु�ग्रह। जी�स� वारं-वाध� का समगेम ह�नु� स� प�L उत्पन्न ह�तें ह�, वा�स� ह� श्रीद्ध औरं अनु�ग्रह का समगेम ह�नु� स� जी�वानु म� एका विवाशं�षों प्राकारं का� आत्मबल का उदया ह�तें ह� औरं क्तिशंर्ष्याया का� क्तिलए इष्ट का, म�L का औरं सधनु का विनु#या ह�तें ह� तेंविका आप उसका� बदल नु द�। नुह� तें� काभै� विकास� स� का� छू स�नु�गे�, काभै� विकास� स� का� छू, औरं जी� द्धिजीसका) तेंरं�= कारंनु� म� का� शंल ह�गे, अपनु� इष्ट वा म�L का) ख'बख'ब मविहम स�नुया�गे वाह� कारंनु� का मनु ह� जीयागे। वि=रं काभै� 'या�गे' कारं�गे� तें� काभै� विवापश्यानु' कारं�गे�, काभै� वा�दन्तें पढ़नु� लगे�गे� तें� काभै� रंम-का/ र्ष्याण का) उपसनु कारंनु� लगे�गे�, काभै� विनुरंकारं तें� काभै� सकारं।

आपका� समनु� जी� स�न्दरं लड़का या लड़का) आवा�गे� उस� स� ब्याह कारंनु� का अथा8 ह�तें ह� विका एका ह� प�रुषों या एका ह� स्L� हमरं� जी�वानु म� रंह�, वा�स� ह�, म�L ल�नु� का अथा8 ह�तें ह� विका एका ह� विनुK हमरं� जी�वानु म� ह� जीया, एका ह� हमरं म�L रंह� औरं एका ह� हमरं इष्ट रंह�।

एका बतें आप औरं ध्यानु म� रंख�। विनुK ह� आत्मबल द�तें� ह�। याह� भैO बनुतें� ह�। याह� च्चि}तेंप्राज्ञा बनुतें� ह�। परंमत्म एका अचुल वास्तें� ह�। उसका� क्तिलए जीब हमरं मनु अचुल ह� जीतें ह� तेंब अचुल औरं अचुल द�नु ष्ठिमलकारं एका ह� जीतें� ह_।

इसक्तिलए, गे�रु हमका� अपनु� इष्ट म�, अपनु� ध्यानु म�, अपनु� प'जी म�, अपनु� म�L म� अचुलतें, विनुK द�तें� ह_ औरं आप जी� चुहतें� ह_ स� आपका� द�तें� ह_। द�नु� म� औरं दिदलनु� म� वा� समथा8 ह�तें� ह_। हम तें� काहतें� ह_ विका वा� ल�गे दुःविनुया म� बड़� अभैगे� ह_, द्धिजीनुका� गे�रु नुह� ह�।

द�ख�, याह बतें भै� तें� ह� विका यादिद का�ई वा�श्या का� घरं म� भै� जीनु चुह� तें� उस मगे8दशं8का चुविहए, जी�आ ख�लनु चुह� तें� भै� का�ई बतेंनु� वाल चुविहए, विकास� का) हत्या कारंनु चुह� तें� भै� का�ई बतेंनु�वाल चुविहए, वि=रं याह जी� ईश्वरं प्राप्तिप्तें का मगे8 ह�, भैक्तिO ह_, सधनु ह� उसका� आप विकास� बतेंनु�वाल� का� विबनु, गे�रु का� विबनु का� स� तेंया कारं ल�तें� ह_, याह एका आ#या8 का) बतें ह�।

गे�रु आपका� म�L भै� द�तें� ह_, सधनु भै� बतेंतें� ह_, इष्ट का विनु#या भै� कारंतें� ह_ औरं गेलतें� ह�नु� परं उसका� स�धरं भै� द�तें� ह_। आप ब�रं नु मनु�, एका बतें म_ आपका� काहतें हूZ। ईश्वरं सब ह�, इसक्तिलए उसका) प्राप्तिप्तें का सधनु भै� सब ह�।

सब द�शं म�, सब काल म�, सब वास्तें� म�, सब व्यक्तिO म�, सब विक्रया म� ईश्वरं का) प्राप्तिप्तें ह� सकातें� ह�। का� वाल आपका� अभै� तेंका पहचुनु कारंनु�वाल ष्ठिमल नुह� ह� इस� स� आप ईश्वरं का� प्राप्तें नुह� कारं पतें ह_। अतें5 दFक्षाः तें� सधनु का, सधनु का ह� नुह� जी�वानु का आवाश्याका अ�गे ह�। दFक्षाः का� विबनु तें� जी�वानु पशं�-जी�वानु ह�।

(स्व�म अ[ण्ड�नन्द संरस्वतः)अनु�क्रम

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

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संबा र"गt के3 और्षासिध� ग&रुभसिक्तंहम ल�गे का� जी�वानु म� द� तेंरंह का� रं�गे ह�तें� ह_- बविहरं�गे औरं अन्तेंरं�गे। बविहरं�गे रं�गे का) क्तिचुविकात्स तें� p±क्टरं

ल�गे कारंतें� ह_ औरं वा� इतेंनु� दुः5खदया� भै� नुह� ह�तें� ह_ द्धिजीतेंनु� विका अन्तेंरं�गे ह�तें� ह_। हमरं� अन्तेंरं�गे रं�गे ह_ काम, क्र�ध, ल�भै औरं म�ह.भैगेवातें म� इस एका-एका रं�गे का) विनुवा/श्चित्त का� क्तिलए एका-एका औषोंष्ठिध बतेंया� ह�। जी�स� काम का� क्तिलए अस�काल्प,

क्र�ध का� क्तिलए विनुर्ष्याकामतें, ल�भै का� क्तिलए अथा8नुथा8 का दशं8नु, भैया का� क्तिलए तेंत्त्वादशं8नु आदिद।और्षानितः द"र्षा�न2 धत्ते� ग&णी�न2 इनितः और्षासिध�।

जी� द�षों का� जील द� औरं गे�ण का आधनु कारं द� उसका नुम ह� औषोंष्ठिध। वि=रं, अलगे-अलगे रं�गे का) अलगे-अलगे औषोंष्ठिध नु बतेंकारं एका औषोंष्ठिध बतेंया� औरं वाह ह� अपनु� गे�रु का� प्रावितें भैक्तिO। एतःद2 संव* ग&र"भ*क्तंय�।

यादिद अपनु� गे�रु का� प्रावितें भैक्तिO ह� तें� वा� बतेंया�गे� विका, ब�ट ! तें�म गेलतें रंस्तें� स� जी रंह� ह�। इस रंस्तें� स� मतें जीओ। उसका� ज्याद मतें द�ख�, उसस� ज्याद बतें मतें कारं�, उसका� पस ज्याद मतें ब�ठो�, उसस� मतें क्तिचुपका�, अपनु� 'काम्पानु�' अच्छाF रंख�, आदिद।

जीब गे�रु का� चुरंण म� तें�म्हरं प्रा�म ह� जीयागे तेंब दूसरं स� प्रा�म नुह� ह�गे। भैक्तिO म� ईमनुदरं� चुविहए, ब�ईमनु� नुह�। ब�ईमनु� सम्पा'ण8 द�षों का) वा दुः5ख का) जीड़ ह�। स�गेमतें स� द�षों औरं दुः5ख परं विवाजीया प्राप्तें कारंनु� का उपया ह� ईमनुदरं� का� सथा, सच्चीई का� सथा, श्रीद्ध का� सथा औरं विहतें का� सथा गे�रु का) स�वा कारंनु।

श्रीद्ध औरं प'ण8 नुह� ह�गे� औरं यादिद तें�म काह� भै�गे कारंनु� लगे�गे� या काह� याशं म�, प'जी म�, प्रावितेंK म� =Z सनु� लगे�गे� औरं गे�रुजी� तें�म्ह� मनु कारं�गे� तें� ब�ल�गे� विका, गे�रुजी� हमस� ईर्ष्याया8 कारंतें� ह_, हमरं� उन्नवितें उनुस� द�ख� नुह� जीतें�, इनुस� द�ख नुह� जीतें ह� विका ल�गे हमस� प्रा�म कारं�। गे�रुजी� का� मनु अब ईर्ष्याया8 आ गेया� औरं या� अब हमका� आगे� नुह� बढ़नु� द�नु चुहतें� ह_।

सक्षाःतें� भैगेवानु तें�म्हरं� काल्याण का� क्तिलए गे�रु का� रूप म� पधरं� हुए ह_ औरं ज्ञानु का) मशंल जीलकारं तें�मका� दिदख रंह� ह_, दिदख ह� नुह� रंह� ह_, तें�म्हरं� हथा म� द� रंह� ह_। तें�म द�खतें� हुए चुल� जीओ आगे�.... आगे�... आगे�...। परं�तें� उनुका� का�ई सधरंण मनु�र्ष्याया समझ ल�तें ह�, विकास� का� मनु म� ऐस� असद� ब�द्धिद्ध, ऐस� दुःब�8द्धिद्ध आ जीतें� ह� तें� उसका) सरं� पविवाLतें गेजीस्नुनु का� समनु ह� जीतें� ह�। जी�स� हथा� सरं�वारं म� स्नुनु कारंका� बहरं विनुकाल� औरं वि=रं स'Zp स� ध'ल उठो-उठो कारं अपनु� ऊपरं pलनु� लगे� तें� उसका) च्चि}वितें वापस पहल� जी�स� ह� ह� जीतें� ह�। वा�स� ह� गे�रु का� सधरंण मनु�र्ष्याया समझनु� वाल� का) च्चि}वितें भै� पहल� जी�स� ह� ह� जीतें� ह�।

ईश्वरं स/ष्ठिष्ट बनुतें ह� अच्छाF-ब�रं� द�नु, स�ख-दुः5ख द�नु, चुरं अचुरं द�नु, म/त्या�-अमरंतें द�नु। परं�तें� स�तें महत्म, सदगे�रु म/त्या� नुह� बनुतें� ह_, का� वाल अमरंतें बनुतें� ह_। वा� जीड़तें नुह� बनुतें� ह_, का� वाल चु�तेंनुतें बनुतें� ह_। वा� दुः5ख नुह� बनुतें�, का� वाल स�ख बनुतें� ह_। तें� स�तें महत्म मनु� का� वाल अच्छाF-अच्छाF स/ष्ठिष्ट बनुनु� वाल�, ल�गे का� जी�वानु म� सधनु pलनु� वाल�, उनुका� क्तिसद्ध बनुनु� वाल�, उनुका� परंमत्म स� एका कारंनु� वाल�।

ल�गे काहतें� ह_ विका परंमत्म भैO परं का/ प कारंतें� ह_, तें� कारंतें� हगे�, परं महो�त्म� न हो" तः" के"ई भक्तं हो नहो4 हो"ग� औरं भैO ह� जीब नुह� ह�गे तें� परंमत्म विकास� परं का/ प भै� का� स� कारं�गे�? इसक्तिलए परंमत्म क्तिसद्ध पदथा8 ह� औरं महत्म प्रात्याक्षाः ह�। परंमत्म या तें� परं�क्षाः ह_, - स/ष्ठिष्टकातें8 कारंण का� रूप म� औरं या तें� अपरं�क्षाः ह_ – आत्म का� रूप म�। परं�क्षाः ह_ तें� उनु परं विवाश्वस कारं� औरं अपरं�क्षाः ह_ तें� 'विनुगे�8ण�, विनुर्ष्याक्रया�, शंन्तें�' ह_। महत्म का यादिद का�ई प्रात्याक्षाः स्वारूप ह� तें� वाह सक्षाःतें� महत्म ह� ह�। महत्म ह� आपका� ज्ञानु द�तें� ह_। आच�य�*तः2, निवदधनितः, आच�य*व�न पू&रुर्षा" व�द�।

जी� ल�गे आसमनु म� ढं�ल =� काकारं विनुशंनु लगेनु चुहतें� ह_ उनुका) बतें दूसरं� ह�। परं, असल बतें याह ह� विका विबनु महत्म का� नु परंमत्म का� स्वारूप का पतें चुल सकातें ह� नु उसका� मगे8 का पतें चुल सकातें ह�। हम परंमत्म का) ओरं चुल सकातें� ह_ विका नुह� इसका पतें भै� महत्म का� विबनु नुह� चुल सकातें ह�। इसक्तिलए, भैगेवातें का�

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प्राथाम स्का� ध म� ह� भैगेवानु का� गे�ण स� भै� अष्ठिधका गे�ण महत्म म� बतेंया� गेया� ह_, तें� वाह का�ई बड़� बतें नुह� ह�। ग्यारंहवा� स्का� ध म� तें� भैगेवानु नु� याहZ तेंका काह दिदया ह� विका5

मद्भक्तं�पू�जी�भ्यसिधके�।'म�रं� प'जी स� बड़� ह� महत्म का) प'जी'।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

ग&रु म� ईश्वर-बा&द्धिद्धा हो"न� के� उपू�यजीनुनु� औरं चुहनु� परं भै� गे�रु म� प'ण8 ईश्वरं ब�द्धिद्ध क्या नुह� ह�तें� ह�? वाह का� स� ह� सकातें� ह�? गे�रु जीहZ ब�ठोतें� ह_

वाहZ अपनु� मनु का� ल� जीकारं का� स� ब�ठोया�?जीब तें�म गे�रु का� बरं� म� विवाचुरं कारं�गे� विका इनुका शंरं�रं दिदव्य ह�, क्तिचुन्मया ह� तें� उनुका) दिदव्यतें वा क्तिचुन्मयातें का

क्तिचुन्तेंनु कारंतें�-कारंतें� तें�म्हरं मनु भै� दिदव्य औरं क्तिचुन्मया ह� जीयागे औरं तें�म भै� अपनु� शंरं�रं का� भै'ल जीओगे� औरं तें�म्हरं� 'ध्या�याकारं समपश्चित्त' ह� जीयागे�।

तेंब तें�म द�ख�गे� विका गे�रु तें� सक्षाःतें� परंमत्म का� स्वारूप म� ब�ठो� ह_ औरं उस� समया तें�म्ह� अपनु� परंमत्म, अपनु� गे�रु का� स'क्ष्म स्वारूप का उतेंनु-उतेंनु ज्ञानु ह� जीयागे, द्धिजीतेंनु-द्धिजीतेंनु ज्ञानु तें�म्ह� अपनु� स'क्ष्म स्वारूप का ह�गे। जीब तेंका तें�म अपनु� का� हp�ड़�-म�स-चुम समझ रंह� ह� तेंब तेंका गे�रु म� भै� हड्डों�-म�स-चुम का) ब�द्धिद्ध ह�नु सम्भवा ह�। परं�तें� भैवा स� जी�स� आप जीयाप�रं का) बनु� रंम, का/ र्ष्याण, क्तिशंवा का) म'र्तितेंC का� सक्षाःतें� भैगेवानु मनुतें� ह� औरं गेण्pका) क्तिशंल का� शंलग्रम मनुतें� ह�, वा�स� ह� अपनु� भैवा स�, अपनु� श्रीद्ध स� मनु�र्ष्याया का� रूप म� दिदखतें� हुए गे�रु का� भै� आप पहल� दिदव्य रूप म� द�ख� औरं उनुका) जी� विक्रया ह�, उनुका� काम8 का� रूप म� नुह�, ल�ल का� रूप म� द�ख�। इस तेंरंह द्धिजीतेंनु�-द्धिजीतेंनु� स'क्ष्मतें आपका� आत्म म� बढ़�गे�, उतेंनु-ह�-उतेंनु गे�रु का स'क्ष्म रूप आपका� दिदखया� पड़�गे।

झोण्ड� ग�ड़" जी�यके� होद-बा�होद के� पू�र,होद-बा�होद के� पू�र दूर जीहो�X अनहोद बा�जी�,

होद-बा�होद के� पू�र हो0 होम�र चnके3।'जी� हद ब�हद का� परं ह�, हमरं� ब�ठोनु� का) जीगेह वाह ह�।'

उपसनु का� ग्रन्थों म� इस तेंरंह का वाण8नु आतें ह� विका प्रासद का� भै�जीनु समझनु अपरंध ह�, म'र्तितेंC का� जीड़ समझनु अपरंध ह�, गे�रु का� मनु�र्ष्याया समझनु अपरंध ह�।

जी�स�-जी�स� आपका) श्रीद्ध बढ़�गे�, समझ बढ़�गे�, आपका) च्चि}वितें ऊZ चु� ह�तें� जीया�गे�, वा�स�-ह�-वा�स� आप अपनु� सदगे�रु का� आसनु का� पस पहुZचुतें� जीया�गे� औरं वाह आपका) उपसनु ह� जीयागे�।

(स्व�म अ[ण्ड�नन्द संरस्वतः)अनु�क्रम

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

आज्ञा�पू�लन के3 मनिहोम�गे�रु का� प्रावितें श्रीद्ध रंखनु� का) अप�क्षाः उनुका) आज्ञाओं का पलनु कारंनु श्री�Kतेंरं ह�। आज्ञाकारिरंतें एका

म'ल्यावानु सदगे�ण ह�, क्याविका यादिद आप आज्ञाकारिरंतें का� गे�ण का विवाकास कारंनु� का प्रायास कारं�गे� तें� आत्म-सक्षाःत्कारं का� पथा का� काट्टीरं शंL� अह� का ध�रं�-ध�रं� उन्म'लनु ह� जीयागे।

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जी� क्तिशंर्ष्याया अपनु� गे�रु का) आज्ञाओं का पलनु कारंतें ह� का� वाल वाह� अपनु� विनुम्नु आत्म परं आष्ठिधपत्या रंख सकातें ह�। आज्ञाकारिरंतें अत्यान्तें व्यवाहरिरंका, अनुन्या तेंथा सविक्रया अध्वायावासया� ह�नु� चुविहए। गे�रु का) आज्ञाकारिरंतें नु तें� टल मट�ल कारंतें� ह� औरं नु सन्द�ह ह� प्राकाट कारंतें� ह�। दम्भ� क्तिशंर्ष्याया अपनु� गे�रु का) आज्ञाओं का पलनु भैयावाशं कारंतें ह�। सच्ची क्तिशंर्ष्याया अपनु� गे�रु का) आज्ञाओं का पलनु प्रा�म का� क्तिलए, प्रा�म का� कारंण कारंतें ह�।

आज्ञा-पलनु का) विवाष्ठिध स�खिखए। उस च्चि}वितें म� ह� आप आद�शं द� सकातें� ह_। क्तिशंर्ष्याया बनुनु स�खिखया�, तेंभै� आप गे�रु बनु सका� गे�।

इस भ्रांमका धरंण का� त्यागे दFद्धिजीए विका गे�रु का) अध�नुतें स्वा�कारं कारंनु, उनुका आज्ञानु�वातें£ ह�नु तेंथा उनुका) क्तिशंक्षाःओं का� काया8प्तिन्वातें कारंनु दसतें का) मनु�वा/श्चित्त ह�। अज्ञानु� व्यक्तिO समझतें ह� विका 'विकास� अन्या व्यक्तिO का) अध�नुतें स्वा�कारं कारंनु अपनु� गेरिरंम एवा� स्वाध�नुतें का� विवापरं�तें ह�। याह एका गेम्भ�रं औरं भैरं� भै'ल ह�। यादिद आप ध्यानुप'वा8का क्तिचुन्तेंनु कारं� तें� आप द�ख�गे� विका आपका) वा�याक्तिOका स्वातेंन्Lतें वास्तेंवा म� आपका� अपनु� ह� अह� तेंथा ष्ठिमर्थ्ययाश्चिभैमनु का) विनुतेंन्तें घ/श्चिणतें दसतें ह�, याह विवाषोंया� मनु का) तेंरं�गे ह�। जी� अपनु� अह� तेंथा मनु परं विवाजीया प्राप्तें कारं ल�तें ह�, वास्तेंवा म� वाह� स्वातेंन्L व्यक्तिO ह�। वाह शं'रंवा�रं ह�। इस विवाजीया का� प्राप्तें कारंनु� का� क्तिलए ह� व्यक्तिO गे�रु का� उच्चीतेंरं अध्यात्म�का/ तें व्यक्तिOत्वा का) अध�नुतें स्वा�कारं कारंतें ह�। वाह इस अध�नुतें-स्वा�कारंण द्वेरं अपनु� विनुम्नु अह� का� परंद्धिजीतें कारंतें था अस�म चु�तेंनु का� आनुन्द का� प्राप्तें कारंतें ह�।

आध्यात्मित्मका पथा काल का) स्नुतेंका�त्तरं उपष्ठिध का� क्तिलए शं�ध-प्राबन्धु क्तिलखनु� जी�स नुह� ह�। याह सवा8था श्चिभैन्न प्राणल� ह�। इसम� गे�रु का) सहयातें का) आवाश्याकातें प्रावितेंक्षाःण रंहतें� ह�। इनु दिदनु सधका आत्मविनुभै8रं, उद्धतें तेंथा स्वाग्रह� बनु गेया� ह_। वा� गे�रु का) आज्ञाओं का� काया8प्तिन्वातें कारंनु� का) क्तिचुन्तें नुह� कारंतें� । वा� गे�रु बनुनु नुह� चुहतें�। वा� प्रारंम्भ स� ह� स्वातें�Lतें चुहतें� ह_। वा� समझतें� ह_ विका वा� तें�रं�या अवा} म� ह_ जीबविका उन्ह� आध्यात्मित्मका अथावा सतें� का प्रारंत्त्विम्भका ज्ञानु भै� नुह� ह�तें ह�। वा� स्वा�च्छाचुरिरंतें अथावा अपनु� बतें मनुवानु� औरं स्वा�च्छानु�सरं चुलनु� का� स्वातेंन्Lतें समझनु� का) भै'ल कारंतें� ह_। याह गेम्भ�रं शं�चुनु�या भै'ल ह�। याह� कारंण ह� विका उनुका) उन्नवितें नुह� ह�तें�। वा� सधनु का) क्षाःमतें तेंथा ईश्वरं का� अत्त्विस्तेंत्वा म� विवाश्वस ख� ब�ठोतें� ह_। ऐस� विनुगे�रं� ल�गे आत्मशंप्तिन्तें स�, आत्म-समर्थ्यया8 स�, आत्म-प्रा�म स� वा�क्तिचुतें रंह जीतें� ह_। अतः" भ्रष्ट� तःतः" भ्रष्ट� ह� जीतें� ह_। तें�लस�दस जी� नु� ठो�का ह� काह ह�5

ग&रुनिबान भवनिनसिध तःरहो4 न के"ई।च�हो� निबार�सिच श�केर संम हो"ई।।

(द्धिशव�नन्दजी)अनु�क्रम

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

द्धिशव�जी महो�र�जी के3 ग&रुभसिक्तंछूLपवितें क्तिशंवाजी� महरंजी समथा8 गे�रु रंमदस स्वाम� का� एकाविनुK भैO था�। समथा8 भै� सभै� क्तिशंर्ष्याया स� अष्ठिधका

उन्ह� प्यारं कारंतें�। क्तिशंर्ष्याया का� भैवानु हुई का) क्तिशंवाजी� का� रंजी ह�नु� का� कारंण समथा8 जी� उनुस� अष्ठिधका प्रा�म रंखतें� ह_। समथा8 जी� नु� तेंत्काल उनुका सन्द�ह दूरं कारंनु� का स�चु। वा� क्तिशंर्ष्यायामण्pल� का� सथा जी�गेल म� गेया�। सभै� रंस्तें भै'ल गेया� औरं समथा8जी� एका गे�= म� जीकारं उदरं-शं'ल का बहनु कारंका� ल�ट गेया�। क्तिशंर्ष्याया आया�। द�ख, प�विड़तें ह� रंह� ह_ गे�रुजी�। शं'ल-विनुवारंण का उपया समथा8जी� स� प'छू औरं एका-दूसरं� का� म�Zह तेंकानु� लगे�। दुःब8ल मनु का� ल�गे औरं तेंका भैगेतें का) जी�स� विहलचुल ह�तें� ह� वा�स वातेंवारंण बनु गेया।

इधरं क्तिशंवाजी� महरंजी समथा8 का� दशं8नुथा8 विनुकाल�। उन्ह� पतें चुल विका वा� इस जी�गेल म� काह� ह_। ख�जीतें�-ख�जीतें� एका गे�= का� पस आया�। गे�= म� प�ड़ स� विवाह्वाल शंब्द स�नुई पड़। भै�तेंरं जीकारं द�ख तें� सक्षाःतें� गे�रुद�वा ह� विवाकालतें स� कारंवाट� बदल रंह� ह_। क्तिशंवाजी� नु� हथा जी�ड़कारं उनुका) वा�दनु का कारंण प'छू।

समथा8 जी� नु� काह5 "क्तिशंवा ! भै�षोंण उदरं-प�ड़ स� विवाकाल हूZ।"

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"महरंजी ! इसका) दवा?""क्तिशंवा ! इसका) का�ई दवा नुह�। रं�गे असध्या ह�। हZ, एका ह� दवा काम कारं सकातें� ह�, परं जीनु� द�...""नुह� गे�रुद�वा ! विनु5स�का�चु बतेंएZ। क्तिशंवा गे�रुद�वा का� स्वा} विकाया� विबनु चु�नु नुह� ल� सकातें।""लिंसCविहनु� का दूध औरं वाह भै� तेंजी विनुकाल हुआ, परं क्तिशंवा ! वाह सवा8था दुःर्ष्याप्राप्या ह�।"पस म� पड़ गे�रुद�वा का तें�म्ब उठोया औरं समथा8 जी� का� प्राणम कारंका� क्तिशंवाजी� तेंत्काल लिंसCविहनु� का) ख�जी म�

विनुकाल पड़�।का� छू दूरं जीनु� परं एका जीगेह द� लिंसCह-शंवाका दिदखई पड़�। क्तिशंवाजी� नु� स�चु5 'विनु#या ह� याहZ इनुका) मतें

आयागे�।' स�या�गे स� वाह आ भै� गेई। अपनु� बच्ची का� पस अनुजीनु� मनु�र्ष्याया का� द�ख वाह क्तिशंवा परं ट'ट पड़� औरं अपनु� जीबड़� म� उनुका) गेरंदनु पकाड़ ल�।

क्तिशंवा विकातेंनु� ह� शं'रंवा�रं ह, परं याहZ तें� उन्ह� लिंसCहविनु का दूध जी� विनुकालनु था ! उन्हनु� ध�रंजी धरंण विकाया औरं हथा जी�ड़कारं लिंसCविहनु� स� विवानुया कारंनु� लगे�।

"मZ ! म_ याहZ तें�म्ह� मरंनु� या तें�म्हरं� बच्ची का� उठो ल� जीनु� का� नुह� आया। गे�रुद�वा का� स्वा} कारंनु� का� क्तिलए तें�म्हरं दूध चुविहए, उस� विनुकाल ल�नु� द�। गे�रुद�वा का� द� आऊZ , वि=रं भैल� ह� तें�म म�झ� ख जीनु।" क्तिशंवाजी� नु� ममतें भैरं� हथा स� उसका) प�ठो सहलई। म'का प्राण� भै� ममतें स� अध�नु ह� जीतें� ह_। लिंसCविहनु� का क्र�ध शंन्तें ह� गेया। उसनु� क्तिशंवाजी� का गेल छू�ड़ औरं विबल्ल� का) तेंरंह उन्ह� चुटनु� लगे�।

म�का द�ख क्तिशंवाजी� नु� उस� का�ख म� हथा pल दूध विनुचु�ड़कारं तें�म्ब भैरं क्तिलया औरं उस� नुमस्कारं कारं बड़� आनुन्द का� सथा विनुकाल पड़�।

गे�= म� पहुZचु कारं गे�रुद�वा का� समक्षाः दूध स� भैरं हुआ तें�म्ब रंखतें� हुए क्तिशंवाजी� नु� गे�रुद�वा का� प्राणम विकाया।"आखिखरं तें�म लिंसCविहनु� का दूध भै� ल� आया� ! धन्या ह� क्तिशंवा ! तें�म्हरं� जी�स� एकाविनुK क्तिशंर्ष्याया का� रंहतें� गे�रु का�

प�ड़ ह� क्या रंह सकातें� ह� !" समथा8जी� नु� क्तिशंवा का� क्तिसरं परं हथा रंखतें� हुए अन्या क्तिशंर्ष्याया का) ओरं दृष्ठिष्ट का)।अब क्तिशंर्ष्याया का� पतें चुल विका ब्रह्मवा�त्त गे�रु अगेरं विकास� का� प्यारं कारंतें� ह_ तें� उसका) अपनु� विवाशं�षों या�ग्यातेंएZ

ह�तें� ह_, विवाशं�षों का/ प का वाह अष्ठिधकारं� ह�तें। ऐस� विवाशं�षों का/ प का� अष्ठिधकारं� गे�रुभैइया का� द�खकारं ईर्ष्याया8 कारंनु� का� बजीया अपनु� दुःब8लतेंएZ, अया�ग्यातेंएZ दूरं कारंनु� म� लगेनु चुविहए। ईर्ष्याया8 कारंनु� स� अपनु� दुःब8लतेंएZ औरं अया�ग्यातेंएZ बढ़तें� ह_।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

धम* म� दृढ़तः� के0 सं� हो" ?श्री�रंमष्ठिमश्रीजी� महत्म प�ण्pरं�काक्षाःजी� का) स�वा म� गेया�। ब�ल�5 "भैगेवानु� ! म�रं� मनु म� च्चि}रंतें नुह� ह�। इसका

कारंण म_नु� याह विनु#या विकाया ह� विका म�रं� विनुजी धम8 म� दृढ़तें नुह� ह�। इसक्तिलए आप का/ पप'वा8का याह बतेंएZ विका धम8 म� दृढ़तें विकास प्राकारं ह�तें� ह�।"

स�तें श्री� नु� काह5 "द्धिजीस उपया स� दृढ़तें ह�तें� ह�, उस� आप नुह� कारं सकातें�, इसक्तिलए उसका बतेंनु व्यथा8 ह�।"ष्ठिमश्रीजी� नु� वि=रं काह5 "आप उस� बतेंएZ, म_ अवाश्या कारूZ गे। द्धिजीस विकास� नु� जी� उपया म�झ� बतेंया ह� उस� म_नु�

अवाश्या विकाया ह�। आप स�का�चु नु कारं�। इसका� क्तिलए म_ सवा8स्वा त्यागे कारंनु� का� भै� तें�यारं हूZ।"श्री�प�ण्pरं�काक्षाः5 "आपनु� अभै� तेंका अन्धु स� ह� याह बतें प'छूF ह�, आZख वाल स� नुह�। अन्धु का) लकाड़�

पकाड़कारं भैल, आजी तेंका का�ई गेन्तेंव्य }नु परं पहुZचु ह�?"ष्ठिमश्रीजी�5 "हZ, ऐस ह� हुआ ह�। म_नु� ठो�कारं खकारं इसका अनु�भैवा विकाया ह�। तेंभै� तें� आZखवाल का� पस

आया हूZ।"

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श्री�प�ण्pरं�काक्षाः5 "आपका� उस अनु�भैवा म� एका बतें का) कासरं रंह गेई ह�। आपम� आZखवाल का) पहचुनु नुह� ह�, नुह� तें� म�रं� पस क्या आतें�?

ष्ठिमश्रीजी� नु� बहुतें अनु�नुया-विवानुया कारंनु� परं आचुया8 प�ण्pरं�काक्षाः नु� उन्ह� मह�नु� प�छू� बतेंनु� का� काह। जीब अवाष्ठिध ब�तेंनु� परं ष्ठिमश्रीजी� वि=रं आया� तेंब स�तें श्री� नु� काह5

"दूसरं का पप क्तिछूपनु� औरं अपनु पप काहनु� स� धम8 म� दृढ़तें प्राप्तें ह�तें� ह�।"इस स�न्दरं उपद�शं का� स�नुकारं ष्ठिमश्रीजी� नु� गेदगेद स्वारं स� काह5 "भैगेवानु� ! का/ प का� क्तिलए धन्यावाद ! म�झ�

अपनु� सदचुरं�पनु का� बड़ गेवा8 था औरं दूसरं का) ब�रंइयाZ स�नुकारं उन्ह� म�Zह परं =टकारंनु औरं भैरं� सभै म� उन्ह� बदनुम कारंनु अपनु कात्त8व्य समझतें। उस� अन्धु� का) लकाड़� का� पकाड़कारं म_ भैवासगेरं का� परं कारंनु चुहतें था। का� स� उलटF समझ था� !"

अपनु� भै'ल समझकारं प#तेंप कारंनु� स� जी�वानु का) घटनुओं परं विवाचुरं कारंनु� का दृष्ठिष्टका�ण ह� बदल जीतें ह�। तेंब मनु�र्ष्याया अपनु� अल्पज्ञातें स� सध� हुए दृष्ठिष्ट का�ण का� छू�ड़कारं भैगेवादFया दृष्ठिष्टका�ण स� द�खनु� औरं विवाचुरं कारंनु� लगेतें ह�।

अपनु गे�ण प्राकाट कारंनु औरं दूसरं का द�षों प्राकाट कारंनु, इसस� आदम� धम8 स� च्या�तें ह� जीतें ह�। जी� दूसरं का द�षों छू� पतें ह� औरं अपनु द�षों प्राकाट कारंतें ह� उसका� धम8 म� दृढ़तें ह�तें� ह�। द्धिजीसका� धम8 म� दृढ़तें ह�तें� ह� वाह इहल�का औरं परंल�का म� स�ख-शंप्तिन्तें का भैगे� ह�तें ह�।

दूसरं का� ट�ट� चुबनु� का) अप�क्षाः उन्ह� ख�रं ख�p खिखलनु� का स�चु� तें� धम8 म� दृढ़तें ह�तें� ह�, शं�वितें औरं प्रा�म बढ़नु� लगेतें ह�। हृदया का) उदरंतें ह�, कायारंतें नुह�। वा�रं का� उदरंतें औरं क्षाःम शं�भै द�तें� ह�, कायारं का� नुह�।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

आत्म-पू�जीनद�वाष्ठिधद�वा महद�वा जी� नु� श्री� वाक्तिशंKजी� स� काह5 'ह� म�नु�श्वरं ! इस जीगेतें म� ब्रह्म, विवार्ष्याण� औरं रू~ जी� बड़�

द�वातें ह_ वा� सब सवा8सत्त रूप एका ह� आत्मद�वा स� प्राकाट हुए ह_। सबका म'ल ब�जी वाह� द�वा ह�। जी�स� अखिग्नु स� क्तिचुनुगेरं� औरं सम�~ स� तेंरं�गे� उपजीतें� ह_ वा�स� ह� ब्रह्म स� ल�कारं का)ट पया8न्तें सभै� उस� आत्मद�वा स� उपजीतें� ह_ औरं प�नु5 उस� म� ल�नु ह�तें� ह_। सब प्राकाशं का प्राकाशं औरं तेंत्त्वावा�त्तओं का प'ज्या वाह� ह�।

ह� म�विनुशंदू8ल ! जीरं, म/त्या�, शं�का औरं भैया का� ष्ठिमटनु� वाल आत्मद�वा ह� सबका सरं औरं सबका आश्रीया रूप ह�। उसका जी� विवारंट रूप ह� वाह काहतें हूZ, स�नु�। वाह अनुन्तें ह�। परंमकाशं उसका) ग्र�वा ह�। अनु�का पतेंल उसका� चुरंण ह_। अनु�का दिदशंएZ उसका) भै�जी ह_। सब प्राकाशं उसका� शंस्L ह_। ब्रह्म, विवार्ष्याण�, रू~दिद द�वातें औरं जी�वा उसका) रं�मवाल� ह�। जीगेज्जाल उसका विवावा/तें ह�। काल उसका द्वेरंपल ह�। अनुन्तें ब्रह्मण्p उसका) द�ह का� विकास� का�ण म� च्चि}वितें ह�। वाह� आत्मद�वा क्तिशंवारूप सवा8द औरं सबका कात्त8 ह�, सब स�काल्प का� अथा8 का =लदतें ह�। आत्म सबका� हृदया म� च्चि}तें ह�।

ह� ऋविषोंवाया8 ! अब म_ वाह आत्म-प'जीनु काहतें हूZ जी� सवा8L पविवाL कारंनु� वाल� का� भै� पविवाL कारंतें ह� औरं सब तेंम औरं अज्ञानु का नुशं कारंतें ह�। आत्मप'जीनु सब प्राकारं स� सवा8द ह�तें ह� औरं व्यवाधनु काभै� नुह� पड़तें। उस सवा8त्म शंन्तेंरूप आत्मद�वा का प'जीनु ध्यानु ह� औरं ध्यानु ह� प'जीनु ह�। जीहZ-जीहZ मनु जीया वाहZ-वाहZ लक्ष्या रूप आत्म का ध्यानु कारं�। सबका प्राकाशंका आत्म ह� ह�। उसका प'जीनु दFपका स� नुह� ह�तें, नु ध'प, प�र्ष्याप, चुन्दनुल�प औरं का� सरं स� ह�तें ह�। अघ्या8 पद्यादिदका प'जी का) समविग्रया स� भै� उस द�वा का प'जीनु नुह� ह�तें।

ह� ब्रह्मवा�त्तओं म� श्री�K ! एका अम/तेंरूप� जी� ब�ध ह�, उसस� उस द�वा का सजीतें�या प्रात्याया ध्यानु कारंनु ह� उसका परंम प'जीनु ह�। शं�द्ध क्तिचुन्मL आत्मद�वा अनु�भैवा रूप ह�। सवा8द औरं सब प्राकारं उसका प'जीनु कारं� अथा8तें� द�खनु, स्पशं8 कारंनु स'Zघनु, स�नुनु, ब�लनु, द�नु, ल�नु, चुलनु, ब�ठोनु इत्यादिद जी� का� छू विक्रयाएZ ह_, सब चु�तेंन्या सक्षाः�

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म� अप8ण कारं� औरं उस� का� परंयाण बनु�। आत्मद�वा का ध्यानु कारंनु ह� ध'प-दFप औरं प'जीनु का) समग्र� ह�। ध्य�न हो उसं पूरमद�व के" प्रासंन्नो केरतः� हो0 औरं उसस� परंमनुन्द प्राप्तें ह�तें ह�। अन्या विकास� प्राकारं स वाह द�वा प्राप्तें नुह� ह�तें।

ह� म�नु�श्वरं ! म'ढ़ भै� इस प्राकारं ध्यानु स� उस ईश्वरं का) प'जी कारं� तें� Lया�दशं विनुम�षों म� जीगेतें-दनु का� =ल का� पतें ह�। सLह विनुम�षों का� ध्यानु स� प्राभै� का� प'जी� तें� अश्वम�ध याज्ञा का� =ल का� पतें ह�। का� वाल ध्यानु स� आत्म का एका घड़� पया8न्तें प'जीनु कारं� तें� रंजीस'या याज्ञा का� =ल का� पतें ह� औरं जी� दिदनुभैरं ध्यानु कारं� तें� अस�ख्या अष्ठिमतें =ल पतें ह�। ह� महषों« ! याह परंम या�गे ह�, याह� परंम विक्रया ह� औरं याह� परंम प्राया�जीनु ह�।

याथा प्राप्तिप्तें का� समभैवा म� स्नुनु कारंका� शं�द्ध ह�कारं ज्ञानु स्वारूप आत्मद�वा का प'जीनु कारं�। जी� का� छू प्राप्तें ह� उसम� रंगे-द्वे�षों स� रंविहतें ह�नु औरं सवा8द सक्षाः� का रूप अनु�भैवा म� च्चि}तें रंहनु ह� उसका प'जीनु ह�। जी� विनुत्या, शं�द्ध, ब�धरूप औरं अद्वे�तें ह� उसका� द�खनु औरं विकास� म� वा/श्चित्त नु लगेनु ह� उस द�वा का प'जीनु ह�। प्राण अपनुरूप� रंथा परं आरूढ़ जी� हृदया म� च्चि}तें ह� उसका ज्ञानु ह� प'जीनु ह�।

आत्मद�वा सब द�ह म� च्चि}तें ह� तें� भै� आकाशं-स विनुर्लिलCप्तें विनुम8ल ह�। सवा8द सब पदथाd का प्राकाशंका, प्रात्याका� चु�तेंन्या जी� आत्मतेंत्त्वा अपनु� हृदया च्चि}तें ह� वाह� अपनु� =� रंनु� स� शं�घ्र ह� द्वे�तें का) तेंरंह ह� जीतें ह�। जी� का� छू सकारंरूप जीगेतें द�ख पड़तें ह�, स� सब विवारंट आत्म ह�। इसस� अपनु� म� इस प्राकारं विवारंट का) भैवानु कारं� विका याह सम्पा'ण8 ब्रह्मण्p म�रं� द�ह ह�, हथा, पZवा, नुख, का� शं ह�। म_ ह� प्राकाशं रूप एका द�वा हूZ। नु�वितें इच्छादिदका म�रं� शंक्तिO ह�। सब म�रं� ह� उपसनु कारंतें� ह_। जी�स� स्L� श्री�K भैतें8 का) स�वा कारंतें� ह�, वा�स� ह� शंक्तिO म�रं� उपसनु कारंतें� ह�। मनु म�रं द्वेरंपल ह� जी� विLल�का) का विनुवा�दनु कारंनु� वाल ह�। क्तिचुन्तेंनु म�रं आनु�-जीनु� वाल प्रावितेंहरं� ह�। नुनु प्राकारं का� ज्ञानु म�रं� अ�गे का� भै'षोंण ह_। काम«द्धिन्~याZ म�रं� दस, ज्ञानु�द्धिन्~याZ म�रं� गेण ह_ ऐस म_ एका अनुन्तें आत्म, अखण्pरूप, भै�द स� रंविहतें अपनु� आप म� च्चि}तें परिरंप'ण8 हूZ।

इस� भैवानु स� जी� प'जी कारंतें ह� वाह परंमत्मद�वा का� प्राप्तें ह�तें ह�। दFनुतें आदिद उसका� सब क्ल�शं नुष्ट ह� जीतें� ह_। उस� इष्ट का) प्राप्तिप्तें म� हषों8 औरं अविनुष्ट का) प्राप्तिप्तें म� शं�का नुह� उपजीतें। नु तें�षों ह�तें ह� नु का�प ह�तें ह�। वाह विवाषोंया का) प्राप्तिप्तें स� तें/प्तिप्तें नुह� मनुतें औरं नु इसका� विवाया�गे स� ख�द मनुतें ह�। नु अप्राप्तें का) वाञ्छू कारंतें ह� नु प्राप्तें का� त्यागे का) इच्छा कारंतें ह�। सब पदथाd म� उसका समभैवा रंहतें ह�।

ह� म�नु�श्वरं ! भै�तेंरं स� आकाशं-स अस�गे रंहनु औरं बहरं स� प्राका/ वितें-आचुरं म� रंहनु, विकास� का� स�गे का हृदया म� स्पशं8 नु ह�नु� द�नु औरं सद समभैवा विवाज्ञानु स� प'ण8 रंहनु ह� उस द�वा का) उपसनु ह�। द्धिजीसका� हृदयारूप� आकाशं स� अज्ञानुरूप� म�घ नुष्ट ह� गेया ह� उसका� स्वाप्न म� भै� विवाकारं नुह� ह�तें।

ह� महषों« ! याह परंम या�गे ह�। याह� परंम विक्रया ह� औरं याह� परंम प्राया�जीनु ह�। जी� परंम प'जी कारंतें ह� वाह परंम पद का� पतें ह�। उसका� सब द�वा नुमस्कारं कारंतें� ह_ औरं वाह प�रुषों सबका प'जीनु�या ह�तें ह�।"

अनु�क्रम(श्री य"गव�द्धिशष्ठ महो�र�म�यणी)

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

सिचन्तः� व ईष्य�* सं� बाच"क्तिचुन्तें, ईर्ष्याया8 औरं जीलनु आदम� का� आत्मनुन्द स� दूरं कारं द�तें� ह�, सहजीतें-सरंलतें-स्वाभैविकातें स� दूरं कारं

द�तें� ह�। आत्मनुन्द स� तें� दूरं कारं ह� द�तें� ह�, तेंनु मनु का स्वास्थ्या भै� खरंब कारं द�तें� ह�। क्तिचुन्तें औरं ईर्ष्याया8 क्या ह�तें� ह�? क्याविका आZख स� जी� दिदखतें ह� उसका� दूसरं मनुतें� ह_ औरं द�ह का� 'म_' मनुतें� ह_।

'वाह आदम� म�जी कारं रंह ह�....''अरं� उसम� भै� म_ हूZ' – याह ज्ञानु नुह� ह� इसक्तिलए ईर्ष्याया8 ह�तें� ह�। अपनु� जी�वानु का) क्तिचुन्तें ह�तें� ह�। अपनु�

अक्तिचुन्तेंया पद का ख्याल नुह� ह�। इसक्तिलए स�सरं का) छू�टF-छू�टF बतें म� क्तिचुन्तें ह�तें� ह�, दूसरं का� स�ख का) ईर्ष्याया8 ह�तें� ह�। क्तिचुन्तें औरं ईर्ष्याया8 आत्मनुन्द ल�नु� म� रूकावाट ह�। परंमत्म का) दिदव्य स�ध विनुशंदिदनु बरंस रंह� ह�, आत्म-

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अम/तें बरंस रंह ह� ल�विकानु क्तिचुत्त का) मक्तिलनुतें का� कारंण उसका अनु�भैवा नुह� ह�तें। स�सरं का) क्तिचुन्तें मत्त्विस्तेंर्ष्याका म� रंखतें� ह_ इसस� परंमत्म का स�ख जी� विबलका� ल नुजीदFका ह�, स्वाभैविवाका ह� वि=रं भै� दिदखतें नुह�। क्तिचुत्त म� क्तिचुL-विवाक्तिचुL इच्छाएZ-आका�क्षाःएZ मZpरं रंह� ह_। म�विनुशंदू8ल वाक्तिशंKजी� काहतें� ह_ - "ह� रंमजी� ! इच्छावानु स� वा/क्षाः भै� भैया पतें� ह_।"

बदिढ़या सत्स�गे ह�तें ह�, तेंत्त्वाज्ञानु का� ऊZ चु� बतें ह�तें� ह�, क्तिचुत्त आत्म-विवाश्रीप्तिन्तें का) गेहरंइया का� छू' कारं तें/प्तें ह�तें ह�, बड़ आनुन्द आतें ह� ल�विकानु स�सरिरंका बतें� खड़� कारंका� सब विबख�रं द�तें� ह_। बदिढ़या तेंत्त्वाज्ञानु का) बतें ह�तें� ह�, श्रीवाण मनुनु चुलतें ह� ल�विकानु ईर्ष्याया8 तेंत्त्वाज्ञानु का� अन्तें5कारंण म� ब�ठोनु� नुह� द�तें�। म�हमनु घरं म� आया� उसका� आदरं नुह� द�, उसका� ब�ठोओ नुह� तें� वाह क्या बतें कारं�गे? तेंत्त्वाज्ञानु का अवाकारं नुह�, आदरं नुह� इसक्तिलए वाह अन्तें5कारंण म� ठोहरंतें नुह�। तेंत्त्वाज्ञानु ठोहरं जीया तें� ब�ड़ परं ह� जीया। दुःविनुयाZ का� रंजी�-महरंजी� वाह स�ख नुह� भै�गेतें� जी� आत्मज्ञानु� आत्मस�ख भै�गेतें� ह_। ब�ढ़प औरं म�तें सबका� पकाड़तें� ह_ ल�विकानु आत्मज्ञानु� परं उसका प्राभैवा नुह� पड़तें ह�। ब�ढ़प तें� आया�गे, म�तें तें� ह�गे� ल�विकानु ज्ञानु� शंरं�रं का� ब�ढ़प� का� अपनु ब�ढ़प नुह� समझतें�, शंरं�रं का) म�तें का� अपनु� म�तें नुह� समझतें�।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

शलव�न न�रसब धमd का म'ल कारंण शं�ल ह�। शं�ल आनु� स� अन्या सब गे�ण आ ष्ठिमलतें� ह_। पवितेंव्रतें स्L� का� जी� धम8 ह_ वा�

सब धम8 शं�ल म� आ जीतें� ह_ औरं द्धिजीतेंनु� द�षों काका8 शं नुरं� का� ह_ वा� सब अशं�ल काहलतें� ह_। शं�लरंविहतें नुरिरंया का आचुरं इस प्राकारं ह�तें ह�5

एका घरं स� दूसरं� घरं विबनु कारंण भैटकानु, विनुश्चि#न्तेंतें स� घरं म� नु ब�ठोनु, परं प�रुषों का� सथा बतेंचु�तें कारंनु� म� आनुन्द समझनु, काम काह� कारंनु औरं मनु काह� रंखनु, स्वाया� दुःगे�8ण का भैण्pरं ह�नु� परं भै� दूसरं का� दुःगे�8ण काथानु कारंनु� म� ब/हस्पवितें का� समनु वाO बनु ब�ठोनु, प�रं का� ऊपरं प�रं चुढ़कारं ब�ठोनु� म� बड़ का� आदरं-मनु का ख्याल नु रंखनु, दूसरं का) प�चुयातें कारंनु, बतें� कारंतें� दुःष्ट शंब्द का उच्चीरंण कारंनु, असत्या ब�लनु, झ'ठो� स�गे�ध खनु, पवितें का� नु�कारं का� समनु समझ कारं हुका� म चुलनु, वाहम का) बतें� कारंनु, बहम म� लगे� रंहनु, म�L-तें�L जीदू-ट'ण-=' ण का� अत्यान्तें वाहम का� सथा मनुनु, म�हनु वाशं�कारंण, प�L-रंक्षाः आदिद का� विनुष्ठिमत्त ध'तेंd का� पस जीनु, यादिद पवितें इनु बतें का� झ'ठो� काह� तें� क्र� ष्ट (शंविपतें) काहनु, मक्तिलनु रंहनु, घरं का� मक्तिलनु रंखनु, रंस�ई विकास प्राकारं ह�तें� ह� याह ठो�का नु जीनुनु, रंस�ई म� बरं-बरं का� काड़, बल या का�याल� आतें� रंहनु, बलका का� का� स� स�धरंनु-का� स� उनुका) रंक्षाः कारंनु याह नु जीनुनु, जीनुतें� ह� तें� भै� लपरंवाह� स� वा�स नु कारंनु, का� ल का) प्रावितेंK विबगेड़नु� का) परंवाह नु ह�नु, आसपस का� पड़�क्तिसया स� ट�ट कारंनु, पवितें स� लड़नु, झ'ठो ब�लनु, उसका� pZटनु, तेंनु द�नु, लड़का का� विबनु कारंण मरंनु, क्तिचुल्लनु आदिद। या� सब शं�ल रंविहतें नुरं� का� लक्षाःण ह_। उसम� छूल, प्राप�चु, परंम�L�, दुःस्सहस, अपविवाLतें, काट�तें, विनुल8ज्जातें, विनुठो�रंपनु आदिद अवागे�ण ह�तें� ह_। ऐस� नुरं� दूसरं का� दुः5ख द�तें� ह� औरं आप भै� अनु�का या�विनुया म� पड़कारं दुः5ख भै�गेतें� ह�।

अपनु इहल�का-परंल�का का काल्याण चुहनु� वाल� मविहलओं का� ऐस� नुरिरंया का) स�गेतें स� बचुकारं जी� शं�लवानु ह�, पविवाL ह�, सहनुशं�ल ह�, त्यागेशं�ल ह�, शं�द्ध प्रा�म स� या�O ह� अथा8तें� द्धिजीसम� पवितेंव्रतें स्L� का� सदगे�ण ह_ ऐस� गे�णवानु नुरं� का आदरं का कारंनु चुविहए औरं का� लट नुरं� स� नु� गेजी दूरं रंहनु चुविहए।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

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निपूR�र� म� निबाल�रएका विकासनु विपटरं� म� घ�, गे�ड़, ष्ठिमठोई, रं�दिटयाZ आदिद रंखकारं ख�तें म� जी रंह था। बच्ची का� काहतें गेया विका5

"तें�म्हरं� मZ बहरंगेZवा गेई ह�। स्का' ल स� आ जीओ तें� विपटरं� स� भै�जीनु ल�कारं ख ल�नु। म_ शंम का� घरं ल�ट'Zगे।"विकासनु ख�तें म� चुल गेया। बच्ची� भै� स्का' ल म� पढ़नु� गेया�। इधरं एका विबलरं विपटरं� म� घ�स गेया। मजी� स� घ�,

गे�ड़, ष्ठिमठोई, रं�दिटया का भैण्pरं कारंका� आरंम स� वाह� ब�ठो गेया। द�पहरं का� स्का' ल स� भै'ख�-प्यास� बच्ची� आया�। भै�जीनु ल�नु� का� क्तिलए ज्याविह विपटरं� म� हथा pल तें� विबलरं गे�रं8या5 'हूZऽऽऽ....!'

बच्ची� ब�चुरं� pरं गेया�। अब क्या कारं�? विबनु खया� ह� मनु मस�स कारं रंह गेया�। ख�ल म� जी� लगेया� परं�तें� भै'ख� प�ट.....। काब तेंका ख�ल� ? वि=रं विपटरं� का) तेंरं= विनुहरं�, सहस बट�रंकारं पस जीया� औरं हथा लम्ब कारं� तें� वाह विबलरं गे�रं8या�5 'हूZऽऽऽ....! हूZऽऽऽ...!' बच्ची� pरं कारं वि=रं वापस।

दिदनु ब�तें गेया। सन्ध्या हुई। विकासनु ख�तें स� ल�ट। द�ख तें� बच्ची का� म�ख म्लनु ह_। भै'ख औरं प्यास का� मरं� ल�थाप�था ह� रंह� ह_। प'छूनु� परं बच्ची नु� बतेंया5

"विपतेंजी� ! विपटरं� म� विबलरं घ�स गेया ह�। प'रं काब्जी जीम क्तिलया ह�। हम का� स� खया�?"विकासनु भै� विपटरं� का� पस गेया, द�ख तें� विबलरं गे�रं8नु� लगे5 'हूZऽऽऽ....! हूZऽऽऽ...!' विकासनु नु� उठोया

खरंविपया। विकासनु का� खरंविपया उठोतें� ह� विबलरं छू' ह� गेया।ऐस� ह� याह जी�वा म�ह-ममतें रूप� घ�, गे�ड़ खकारं, अह�तें रूप� ष्ठिमठोइयाZ खकारं, 'तें�रं-म�रं' रूप� रं�दिटयाZ

चुबकारं इस द�ह रूप� विपटरं� म� ब�ठो जीतें ह�। 'हूZऽऽऽ....! हूZऽऽऽ....!' गे�रं8तें ह�। 'म_ स�ठो.... म_ सहब.... म_ अमथाभैई..... म_ छूनुभैई.... म_ विपतें..... म_ पवितें.....' ऐस� म� म_-म_ कारंतें ह�।

गे�रुद�वारूप� विकासनु आतें ह�। सधकारूप� बच्ची स� प'छूतें ह�5 "दुः5ख� क्या ह� भै�या ?" सधकारूप� बच्ची� बतेंतें� ह_- "आत्मनुन्द का) भै'ख लगे� ह�। स�सरं का) थाकानु नु� मथा pल ह�, थाका दिदया ह�। क्या कारं� ?"

गे�रुद�वा उठोतें� ह_ ब्रह्मज्ञानु का pण्p औरं आत्मदृष्ठिष्ट का) चु�ट मरंतें� ह_ तेंब द�हरूप� विपटरं� स� 'हूZऽऽऽ...! हूZऽऽऽ....!' कारंनु� वाल अह�रूप� विबलरं का' दकारं भैगे जीतें ह�। तेंब सधका आत्मनुन्द का रंसपनु कारंका� तें/प्तिप्तें का अनु�भैवा कारंतें� ह_। इस� अवा} का� क्तिलए शं�कारंचुया8जी� काहतें� ह_-

गसिलतः� द�हो-अध्य�सं� निवज्ञा�तः� पूरम�त्मनिन।यत्र यत्र मन" य�नितः तःत्र तःत्र संम�धय�।।

जीब द�हध्यास गेल जीतें ह�, परंमत्म का ज्ञानु ह� जीतें ह�, तेंब जीहZ-जीहZ मनु जीतें ह� वाहZ-वाहZ क्तिचुत्त म� समष्ठिध का ह� एहसस ह�तें ह�।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

.......तः" दिदल्ल दूर नहो4एका आदम� भैगे-भैगे जी रंह था। उस� जीनु था दिदल्ल� ल�विकानु दिदल्ल� का पतें नुह� था। एका ब'ढ़ ब�ठो

था उसस� प'छू5 "अरं� जीनुब ! दिदल्ल� विकातेंनु� दूरं ह� ?""क्या मतेंलब ?" ब'ढ़� आ#या8 व्यO विकाया।"म_ दिदल्ल� जीनु चुहतें हूZ। याहZ स� दिदल्ल� विकातेंनु� दूरं ह�?"ब�जी�गे8 जीमनु� का खया हुआ था, ब�द्धिद्धमनु था। वाह ब�ल5 "दिदल्ल� विकातेंनु� दूरं ह� याह म_ बतें सकातें हूZ

ल�विकानु म�रं� द� शंतें« ह_।""दिदल्ल� विकातेंनु� दूरं ह� याह बतेंनु� म� द� शंतेंd का) क्या आवाश्याकातें ह� ?""हZ, द� शंतेंd परं ह� बतेंऊZ गे।" ब'ढ़ दृढ़ रंह। आसपस म� का�ई था नुह� इसक्तिलए इस आदम� का� मनुनु

पड़। उसनु� क्तिसरं विहलकारं स्वा�का/ वितें दF।

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ब'ढ़� नु� काह5 "म�रं� द� प्राश्नः का उत्तरं द� तेंब बतेंऊZ गे विका दिदल्ल� विकातेंनु� दूरं ह�।""प'क्तिछूया�।""म�रं पहल प्राश्नः याह ह� विका आप दिदल्ल� म� जीनु काहZ चुहतें� ह� ? क्याविका आठो म�ल प�छू� दिदल्ल� का�

छू�ड़कारं आरं रंह� ह�। दूसरं प्राश्नः याह ह� विका विकातेंनु� गेवितें स� जीनु चुहतें� ह� ? तें�म एका घण्ट� म� भै� पहुZचु सकातें� ह� औरं चुरं कादम चुलकारं पचुस कादम चुल सका� उतेंनु� द�रं ब�ठो जीओ तें� पZचु-दस घण्ट� लगे जीया�गे�। चुलकारं वापस ह� आतें� रंह� तें� काभै� नुह� पहुZचु�गे�। पहल� चुलकारं, द�ड़कारं अपनु� गेवितें दिदख द� औरं जीहZ जीनु चुहतें� ह� उस }नु का नुम बतें द� तें� काह सकातें हूZ विका तें�म्हरं� क्तिलए दिदल्ल� का रंस्तें विकातेंनु� घण्ट� का ह�।"

शं�विक्रया अद कारंतें� हुए वाह आदम� ब�ल5 "हZ, आपका) शंतें8 विबलका� ल ठो�का ह�। अब तेंका म_ समझ रंह था विका आप बतें का� व्यथा8 म� मचुल रंह� ह�।"

"तें�म दिदल्ल� का� प�ठो दिदया� खड़� ह�। आगे� ह� आगे� चुलकारं दिदल्ल� जीनु चुहतें� ह� तें� नुका का) स�ध म� चुलतें� ह� जीओ... चुलतें� ह� जीओ। जीरं भै� ट�ढ़� म�ढ़� नु ह�नु। प'रं� प/र्थ्यवा� का चुक्कारं काटकारं दिदल्ल� पहुZचु जीओगे�। ऐस� भै� दिदल्ल� जी सकातें� ह� औरं वापस ल�टनु स्वा�कारं ह� तें� म_ वाह रंस्तें भै� बतें दूZ। वापस ल�ट जीओगे� तें� दिदल्ल� जील्दF पहुZचु जीओगे�।"

ऐस� ह� हमरं� चु�तेंनु स�ख का� क्तिलए का�नु स� दिदल्ल� जीनु चुहतें� ह� ? विकास प्राकारं जीनु चुहतें� ह� ? का�नु-स स�ख ल�नु चुहतें� ह� ? शंश्वतें या नुश्वरं ? नुश्वरं स�ख म� याह जी�वानु हजीरं जीन्म नुष्ट कारंतें आया ह�। पदथाd का) आका�क्षाः का का�ई अन्तें नुह�। प/र्थ्यवा� का) तें� स�म ह� ल�विकानु पदथाd का) तें/र्ष्याण का) का�ई स�म नुह�। पदथा8 याहZ भै� ह_, परंल�का म� भै� ह_। प/र्थ्यवा� ल�का का� अलवा अतेंल, विवातेंल, तेंलतेंल, रंसतेंल, पतेंल, भै�रं, भै�वा5, स्वा5, जीनु, तेंप, महरं�, स्वागे8 आदिद अनु�का ल�का ह_। विकातेंनु� ल�का का� पदथाd का) आका�क्षाः कारं�गे� स�ख का� क्तिलए ?

अगेरं तें�म प�छू� ल�टनु स्वा�कारं कारंतें� ह� तें� दिदल्ल� नुजीदFका ह� जीतें� ह�। आगे� ह� बढ़तें� जीओगे� तें� प/र्थ्यवा� का चुक्कारं काटकारं वाहZ आओगे�। विवाषोंया-वासनु-विवाकारं म� आगे� बढ़तें� ह� तें� चु�रंस� लख या�विनुया का चुक्कारं काटकारं वि=रं मनु�र्ष्याया द�ह म� आओगे�। अगेरं वापस म�ड़कारं अभै� 'दिदल� तेंस्वा�रं� ह� यारं....' कारंका� भै�तेंरं गे�तें लगेनु चुहतें� ह� तें� दिदल्ल� दूरं नुह� ह�, आत्मस�ख पनु कादिठोनु नुह� ह�। ॐ...ॐ....ॐ.....

अनु�क्रमॐ शंप्तिन्तें ! ॐ शंप्तिन्तें !! ॐ शंप्तिन्तें !!!

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

ध्य�न के� क्षाणीt म�......हमरं स'क्ष्म विवाकास ह� रंह ह�। हमरं क्तिचुत्त ॐकारं का) ध्वाविनु स� परंम शंप्तिन्तें म�, परंमत्म का� आह्लादका

स्वारूप म� शंन्तें ह� रंह ह�। हम महस'स कारं रंह� ह_ विका हम शंन्तें आत्म ह_। स�काल्प-विवाकाल्प ष्ठिमट रंह� ह_। क्तिचुत्त का) चु�चुलतें क्तिशंक्तिथाल ह� रंह� ह�। भ्रांम दूरं ह� रंह� ह_। सन्द�ह विनुवा/त्त ह� रंह� ह_।

हम� पतें भै� नुह� चुलतें इस प्राकारं गे�रुद�वा हमरं� स'क्ष्मवितेंस'क्ष्म याL कारं रंह� ह_... हम� पतें भै� नुह� चुलतें। अन्तेंवाहका शंरं�रं परं चुढ़� हुए काई जीन्म का� स�स्कारं विनुवा/त्त ह�तें� जी रंह� ह_। वाण� का� उपद�शं स� भै� म�नु उपद�शं, म�नु रंहकारं स�काल्प स� गे�रुद�वा का) का/ प हमरं� भै�तेंरं काम कारंतें� ह�। हम� पतें भै� नुह� ह�तें विका म�नु स� विकातेंनु लभै ह� रंह ह� ! सदगे�रु का) का/ प का� स� काया8 कारंतें� ह� इसका पतें हम� प्रारंम्भ म� नुह� चुलतें। गे�रुका/ प हमरं� नुजीदFका ह�कारं भै� काम कारंतें� ह� औरं हजीरं म�ल दूरं ह�कारं भै� काम कारंतें� ह�। गे�रुद�वा का� ब�लनु� परं तें� उनुका) का/ प काम कारंतें� ह� ह� ल�विकानु म�नु ह�नु� परं विवाशं�षों रूप स� काम कारंतें� ह�। म�नु का� स�काल्प का) अप�क्षाः ब�लनु� का स�काल्प काम समर्थ्यया8वाल ह�तें ह�। म�नु म� आत्म-विवाश्रीप्तिन्तें का) अप�क्षाः बहरं का� विक्रया-कालप छू�ट� ह� जीतें� ह_। स'क्ष्म पतें½ उतेंरंनु� का� क्तिलए स'क्ष्म सधनु का) जीरूरंतें पड़तें� ह�। याह घटनु म�नु म�, शंप्तिन्तें म� घटतें� ह�। क्तिशंर्ष्याया जीब आगे� बढ़तें ह� तेंब ख्याल आतें ह� विका जी�वानु म� विकातेंनु सरं परिरंवातें8नु हुआ।

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शंस्L म� क्तिशंक्षाः गे�रु, दFक्षाः गे�रु, स'चुका गे�रु, वाचुका गे�रु, ब�धका गे�रु, विनुविषोंद्ध गे�रु, विवाविहतें गे�रु, कारंणख्या गे�रु, परंम गे�रु (सदगे�रु) आदिद अनु�का प्राकारं का� गे�रु बतेंया� गेया� ह_। इनु सबम� परंम गे�रु अथावा सदगे�रु सवा8श्री�K ह_। भैगेवानु शं�कारं 'श्री� गे�रुगे�तें' म� काहतें� ह_-

जील�न�� सं�गर" र�जी� यथ� भवनितः पू�व*नितः।ग&रुणी�� तःत्र संवLर्षा�� र�जी�य� पूरम" ग&रु�।।

'ह� पवा8तें� ! द्धिजीस प्राकारं सब जीलशंया म� सगेरं रंजी ह� उस� प्राकारं सब गे�रुओं म� या� परंम गे�रु रंजी ह�।'द्धिजीन्ह� सत्या स्वारूप परंमत्म का ब�ध ह�, जी� श्री�विLया ब्रह्मविनुK ह_, स्वा-स्वारूप म� जीगे� ह_, परंविहतेंपरंयाण ह_

ऐस� सदगे�रुओं का) प्राप्तिप्तें अवितें कादिठोनु ह�। ऐस� सदगे�रु ष्ठिमलतें� ह_ तें� हमरं आम'ल परिरंवातें8नु ह� जीतें ह�। द�हध्यास गेलनु� लगेतें ह�। क्तिचुत्त सत्पद म� विवाश्रीप्तिन्तें पनु� लगेतें ह�।

जी�स� मZ बलका का� काभै� प�चुकारंतें� ह�, काभै� pZटतें� ह�, काभै� दुःलरं कारंतें� ह�। काभै� विकास� ढं�गे स� काभै� विकास� ढं�गे स� बच्ची� का ललनु-पलनु कारंतें� ह�। वाह मZ का) अपनु� प्राका/ वितें ह�। गे�रु, जी� सद जीगे/तें स्वारूप म� सजीगे ह_ ऐस� परंम गे�रु काभै� विकास� ढं�गे स� काभै� विकास� ढं�गे स� हमरं भै�तेंरं� आध्यात्मित्मका ललनु-पलनु कारंतें� ह_। उनुका प'वा8 आया�द्धिजीतें का�ई काया8क्रम नुह� ह�तें सधका का� ललनु-पलनु का विका याह कारंनु ह�, वाह कारंनु ह�। द्धिजीस समया द्धिजीस प्राकारं स�, द्धिजीस कारंण, विक्रया-कालप स� हमरं उत्थानु ह�तें ह�गे उस समया उस प्राकारं का व्यवाहरं कारं�गे� औरं उस ढं�गे स� हम परं बरंसतें� ह_।

जी�स� चुतें�रं वा�द्या अपनु� मरं�जी का� अपनु� विनुगेह म� रंखतें ह� औरं विकास समया का�नु-स� औषोंष्ठिध का) आवाश्याकातें ह� याह ठो�का स� समझकारं उसका इलजी कारंतें ह�, ऐस� ह� हमरं� आन्तेंरिरंका स्वास्थ्या का� क्तिलए सदिदया प�रंनु� लड़खड़तें� तें�दरुस्तें� का� क्तिलए, या�गे प�रंनु� रूग्णतें का विनुवारंण कारंनु� का� क्तिलए परंम गे�रु श्चिभैन्न-श्चिभैन्न प्राकारं का) औषोंष्ठिध, उपचुरं, स�याम-विनुयाम का उपया�गे कारंतें� ह_।

सधका का) द्धिजीस समया जी�स� प्राका/ वितें ह�तें� ह� उस समया उस� गे�रु उस� प्राकारं का� भैसतें� ह_। हरं�का सधका का� अपनु� स�स्कारं ह�तें� ह_, या�ग्यातें-अया�ग्यातें ह�तें� ह�, अपनु� मन्यातेंएZ औरं पकाड़� ह�तें� ह_। सबका) अपनु�-अपनु� द�खनु�-स�चुनु� का) दृष्ठिष्ट ह�। प्रारंम्भ म� हरं सधका का� अपनु� सदगे�रु का� प्रावितें अपनु� ढं�गे का आदरं, म'ल्या अथावा लड़खड़तें� श्रीद्ध आदिद ह�तें� ह_।

सधका जीब प्रारंम्भ म� सदगे�रु का� श्री�चुरंण म� आतें ह� उस समया उनुका� अपनु� ढं�गे स� द�खतें ह�. उनुका) या�ग्यातें मपतें ह� वाह दृष्ठिष्ट छू�टF-स� ह�तें� ह�। सधका ज्या-ज्या स�तेंत्वा का� नुजीदFका जीतें ह�, ज्या-ज्या उस परं ब्रह्मवा�त्त सदगे�रु का) का/ प बरंसतें� ह�, स'क्ष्म परिरंवातें8नु ह�तें� ह_ सधका का) ब�द्धिद्ध शं�द्ध ह�तें� ह�, सधका का अन्तें5कारंण शंन्तें ह�तें ह�, तेंनु औरं मनु का� विवाकारं क्षाः�ण ह�तें� ह_ त्या-त्या वाह सधका सदगे�रु का महत्वा समझतें जीतें ह�। जीब सधका म� रंजी�तेंम�गे�ण आ जीतें ह� तें� उसका� जी�वानु म� सदगे�रु का� सष्ठिन्नध्या का औरं उपद�शं का प्राभैवा था�ड़ स क्तिशंक्तिथाल ह� जीतें ह�। जीब सत्त्वागे�ण प�नु5 बढ़तें ह� तेंब उसका� क्तिचुत्त म� सदगे�रु तेंत्त्वा का शं�द्ध-विवाशं�द्ध स�चुरं विनुखरंनु� लगेतें ह�।

चुतें�रं सधका रंजी�-तेंम�गे�ण बढ़� नुह� उसका) सवाधनु� रंखतें ह�। अगेरं रंजी�-तेंम�गे�ण आ जीतें ह� तें� गे�रु-विनुर्दिदCष्ट मगे8 स� उस रंजी�-तेंम�गे�ण का� दबतें ह�, क्षाः�ण कारंतें ह�।

गे�रुका/ प अविनुवाया8 ह� सथा-सथा म� सधका का प�रुषोंथा8 भै� अविनुवाया8 ह�। स'या8नुरंयाण का) का/ प अविनुवाया8 ह� ख�तें� का� क्तिलए उतेंनु� ह� विकासनु का) सजीगेतें भै� अविनुवाया8 ह�। विकासनु का परिरंश्रीम औरं सवाधनु� अविनुवाया8 ह�, तेंभै� ख�तें� =लतें� ह�। ऐस� ह� गे�रु का) का/ प आवाश्याका ह� औरं सधका का सधनु-भैजीनु म� उत्सह भै� आवाश्याका ह�, परिरंश्रीम भै� आवाश्याका ह� तेंथा विकाया हुआ सधनु-भैजीनु, विकाया हुआ प�रुषोंथा8, लया� हुई सत्त्वित्त्वाकातें, का) हुई आध्यात्मित्मका याL काह� विबखरं नु जीया इसका) सजीगेतें भै� सधका का� क्तिलए अविनुवाया8 ह�। सवाधनु� नुह� ह�गे� तें� गेया, बकारं� आदिद पशं� उस� का� चुल द�गे�, नुष्ट कारं द�गे�। अथावा, सधका लिंसCचुई नुह� कारं�गे, खद नुह� pल�गे तें� ख�तें का लहलहनु म�त्त्विश्काल ह� जीया�गे।

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ऐ सधका ! तें' अपनु� दिदल का� ख�तें म� ब्रह्मविवाद्या का) लिंसCचुई कारंतें� रंहनु द्धिजीसस� आत्मज्ञानु का =ल लगे�। याह लिंसCचुई तेंब तेंका कारंतें� रंहनु, सवाधनु� स� बड़ बनुतें� रंहनु, विनुगेरंनु� कारंतें� रंहनु जीब तेंका तें�झ� अम/तेंपद का) प्राप्तिप्तें नु ह� जीया।

याह स�सरं काटFल मगे8 ह�। जी�स� ख�तें हरं-भैरं ह�तें� ह� पशं� आ जीतें� ह_, छू�ट�-म�ट� जी�वाण� भै� लगे जीतें� ह_ तें� विकासनु उसका इलजी कारंतें ह�, बड़ मजीब'तें कारंतें ह� वा�स� सधनु का� ख�तें का� विबगेड़नु� वाल� प्रास�गे भै� आतें� ह_।

चुरं प�स� का अनुजी प्राप्तें कारंनु� का� क्तिलए विकासनु सब प्राकारं का) सवाधनु� रंखतें ह� तें� ह� सधका ! विवाश्वविनुयान्तें का� पनु� का� क्तिलए तें' भै� सवाधनु रंहनु भै�या ! तें' भै� अपनु� स�याम का) बड़ कारंनु। सधनु का� श्चिभैन्न-श्चिभैन्न प्राकारं का) लिंसCचुई कारंतें� रंहनु। सथा म� द�खनु विका काह� मनु बड़ई, स�ख-दुः5ख का� थाप�ड़� आकारं तें�रं� सधनुरूप� ख�तें का� तें� उजीड़ नुह� रंह� ह_ ! जीब म�का ष्ठिमल� तेंब तें' एकान्तें म� जीनु। एकान्तेंवास कारंनु, अल्प द�खनु, अल्प ब�लनु, अल्प स�नुनु। बका) का समया अपनु� सधनुरूप� ख�तें� का) लिंसCचुई कारंनु।

विकासनु घरं छू�ड़कारं ख�तें म� ह� खट pल द�तें ह�। ज्या-ज्या ख�तें उभैरंतें ह�, दनु� लगेतें� ह_ त्या-त्या विकासनु अपनु� द्धिजीम्म�दरं� अष्ठिधका महस'स कारंतें ह�। ऐस� ह� प्रारं�श्चिभैका सधका भैल� ह� द्धिजीम्म�दरं� अष्ठिधका महस'स कारंतें ह�। ऐस� ह� प्रारं�श्चिभैका सधका भैल� ह� द्धिजीम्म�दरं� महस'स नु कारं�, सध्या का� पनु� का� क्तिलए स�रंक्षाः का) बड़ नु कारं� मगेरं जी� सधका का� छू चुरं कादम चुल पड़� ह_, द्धिजीन्ह� आत्मज्ञानु का लगे हुआ =ल महस'स ह� रंह, द्धिजीन्ह� शं�वितें, प्रा�म औरं आनुन्द का एहसस ह� रंह ह�, द्धिजीनुका स'क्ष्म जीगेतें म�, स'क्ष्म सधनु म� प्रावा�शं ह� रंह ह�, जी� का� वाल बहरं का� उपद�शं स� ह� नुह� ल�विकानु आन्तेंरं मनु स�, आन्तेंरं याL स� पविवाL हुए ह_ ऐस� सधका घरं स� खदिटया हटकारं ख�तें म� खदिटया pल द�तें� ह_। बहरं का� ल�काचुरंरूप� घरं स� खदिटया हटकारं ब्रह्मक्तिचुन्तेंनुरूप� ख�तें म� अपनु� खदिटया रंख द�नु। आत्म-क्तिचुन्तेंनु का� ख�तें म�, आत्म-प्रा�वितें का� ख�तें म� खदिटया धरं द�नु। उठोनु भै� ख�तें म�, ब�ठोनु भै� ख�तें म�, चुलनु भै� ख�तें म� ह� जीतें ह�। ख�तें ज्या लहलहतें ह�, =सल द�नु� का� तेंत्परं ह�तें ह� त्या विकासनु घरं परं जीनु� का समया काम कारं द�तें ह�। भै�जीनु भै� ख�तें म� ह� मZगे ल�तें ह�।

ऐस� ह� ह� सधका ! तें' भै� अपनु खनु-पनु, रंहनु-सहनु सधनुमया बनु द�। विकासनु चुरं प�स� का� धन्या का� क्तिलए इतेंनु� का� रंबनु� कारंतें ह� तें� ऐ म�रं� प्यारं� वात्स ! तें' भै� अनुन्तें-अनुन्तें ब्रह्मण्pनुयाका रूप� आत्मज्ञानु का� =ल का� पनु� का� क्तिलए सजीगे रंहनु। क्याविका तें� रं� स�पश्चित्त विकासनु का) स�पश्चित्त स� बहुतें ऊZ चु� ह�। तें�रं लक्ष्या विकासनु का� लक्ष्या स� अनुन्तें गे�नु ऊZ चु ह�। इसक्तिलए तें' सवाधनु रंहनु। तें' हजीरं म�ल गे�रु स� दूरं ह�गे तेंभै� भै� याद रंखनु, तें�रं� गे�रु का) का/ प तें�रं� सहया रंह�गे�।

सधका का दिदल प�कारं उठो5"ह� गे�रुद�वा ! जीब जीब म_ विनुरंशं हुआ हूZ, थाका हूZ, हतेंशं हुआ हूZ तेंब-तेंब क्षाःणभैरं का� क्तिलए ह� आपका) स्म/वितें

लकारं था�ड़ स ह� भै�तेंरं स� आपका) ओरं आया हूZ तें� तें�रंन्तें म�झ� आश्वनुसनु ष्ठिमल ह�, मगे8 ष्ठिमल ह�, प्रा�म ष्ठिमल ह�, प�चुकारं ष्ठिमल� ह�। गे�रुद�वा ! जीब म_ वि=सल हूZ, मनुमनु� का) ह�, तेंब-तेंब तें�म्हरं� pZट ष्ठिमल� ह�, तें�म्हरं� काड़� नुज़रं दिदख� ह�। जीब-जीब म_ तें�म्हरं� कारुण का/ प का� अनु�का' ल चुल हूZ तेंब वाह� काड़� नुज़रं म�ठो� नुज़रं हुई ह�।

आपका) काड़� नुज़रं भै� हमरं� गेढ़ई का� क्तिलए ह� औरं आपका) म�ठो� विनुगेह� भै� हमरं� गेढ़ई का� क्तिलए ह�। आपका ब�लनु भै� हमरं� काल्याण का� क्तिलए ह� औरं म�नु ह�कारं स'क्ष्म सहया कारंनु भै� हमरं� काल्याण का� क्तिलए ह�। अब इस प्राकारं का) अनु�भै'वितेंयाZ ह� रंह� ह_।

ह� ब्रह्मवा�त्त गे�रुद�वा ! ह� आत्मरंम� म�रं� गे�रुद�वा ! आप नु जीनु� विकास-विकास प्राकारं स� हमरं ललनु-पलनु कारंतें� ह_। आपका का�ई प'वा8 आया�जीनु नुह� ल�विकानु आपका) हरं अद, हरं चु�ष्ट, हरं अZगेड़ई, हरं विहलचुल, चुह� वि=रं हथा का) चु�ष्ट ह� चुह� नुयानु का) छूटएZ ह�, चुह� ब�लनु ह�, चुह� चु�प ह�नु ह�, हम ल�गे का� नु जीनु� विकास-विकास रूप म� वाह रंहस्यामया� अZगेड़ईयाZ ष्ठिमलतें� ह_ ! नु/त्या कारंतें ब्रह्म हमरं� जी�वानु म� ब्रह्मभैवा, अपनु� ब्रह्म� अनु�भै'वितें का लिंसCचुनु कारंतें ह�। उनु ब्रह्मवा�त्तओं का� एका क्षाःण बद का भै� का�ई विनुश्चि#तें काया8क्रम नुह� ह�तें ह�। सहजी रूप स� हमरं� गेढ़ई कारंतें� ह_ क्याविका वा� सहजी स्वारूप म� च्चि}तें ह�तें� ह_। द्धिजीसनु� उनुका) कारं�ब� का एहसस विकाया ह�, द्धिजीसनु� अपनु� आपका� उस परंमत्म म� प्रावितेंष्ठिKतें कारं दिदया ह�, अपनु� आपका� उनुम� ष्ठिमल दिदया ह� ऐस� ब्रह्मवा�त्तओं का) हरं चु�ष्ट बड़�

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रंहस्यामया� ह�तें� ह�, प्रारंम्भ म� हम समझ� चुह� नु समझ�, हम प सका� , हजीम कारं सका� चुह� नु कारं सका� ल�विकानु उनुका) हरं चु�ष्ट बड़� रंहस्यामया� ह�तें� ह�। उनुका� चुलनु�, वि=रंनु�, खनु�, प�नु�, ब�लनु�, ब�ठोनु� का� ढं�गे का) छू�टF स� छू�टF चु�ष्ट भै� हमरं� क्तिलए विनुतेंन्तें काल्याणकारं� ह�तें� ह�। ऐस� जी� परंम गे�रुल�गे ह_, ब्रह्मवा�त्त सत्प�रुषों ह_ उनुका बयानु कारंनु� का) तेंकातें हमरं� द्धिजीह्वा म� नुह� ह�।"

क्तिशंल्प� तें� पत्थारं स� भैगेवानु का) म'र्तितेंC बनुतें ह� ल�विकानु ब्रह्मगे�रु सदगे�रु तें� विवारं�ध कारंनु� वाल�, प्रावितेंविक्रया कारंनु�वाल� मन्द ब�द्धिद्ध का� मनु�र्ष्याया का� ब्रह्म बनुतें� ह_। पत्थारं म� स� म'र्तितेंC बनुनु आसनु ह� क्याविका पत्थारं शं�का नुह� कारं�गे, क्तिशंकायातें नुह� कारं�गे, विवारं�ध नुह� कारं�गे, घरं नुह� भैगे�गे। परं�तें� सधका तें� घरं भै� भैगे�गे, दुःकानु का) तेंरं= भै� भैगे�गे। था�ड़ स�काम8 म� चुल�गे तें� का� काम8 म� भै� भैगे�गे, क्तिचुन्तें म� भै� विगेरं�गे, अह�कारं का) ओरं भै� द�ड़�गे। काभै�-काभै� अपनु� गे�रु का� विवाषोंया म� उसका� क्तिचुत्त म� का� स�-का� स� विवाचुरं उठो�गे�। नु जीनु� का� स�-का� स� खिखसकानु� का� तेंरं�का� ख�जी�गे, का� स�-का� स� बचुवा का� तेंरं�का� ख�जी�गे। पत्थारं का) म'र्तितेंC बनुनु आसनु ह� ल�विकानु इस काक्तिलया�गे का� चुलतें� प�जी«, चु�चुल क्तिचुत्त रंखनु� वाल� मनुवा का� मह�श्वरं का� अनु�भैवा म� प्रावितेंष्ठिKतें कारंनु विकातेंनु कादिठोनु ह� ! वाह अवितें कादिठोनु काया8 सहजी म�, स्वाभैविवाका, स्वाविनुर्मिमCतें मनु�रं�जीनु का� भैवा स� परंम गे�रुओं का� द्वेरं स�पन्न ह�तें ह�।

ऐस� गे�रुओं का� समझनु� का� क्तिलए ह� म�रं� सधका! ह� म�रं� मनु ! तें' अथाह विवाश्वस, अथाह सधनु-समग्र�, अथाह प�रुषोंथा8, अथाह प्रा�म स� अथाह ईश्वरं का� पनु� का दृढ़ विनु#या रंख�गे तेंभै� तें' अथाह अनु�भैवा का� दतेंओं का� पहचुनु पया�गे, उनुका� समझ पयागे। द्धिजीतेंनु तें' परंमत्म का� क्तिलए ललष्ठियातें रंह�गे उतेंनु ह� परंमत्म का� प्यारं का� पहचुनु पयागे, उनुका� विनुकाट ह� पयागे।

ह� वात्स ! जी� विवाकारं का� प्यारं� ह_, परिरंवार्तितेंCतें पदथाd का� प्यारं� ह_ उनुका� प्राभैवा स� तें' बचुनु। जी� परंमत्म का� प्यारं� ह_ औरं तें�झ� परंमत्म म� प्रावितेंष्ठिKतें बनुकारं ह� चु�नु का) नु�द ल�नु चुहतें� ह_, तें�झ� परंमत्म-पद म� विवाश्रीम कारंनु� का� क्तिलए तेंत्परं ह� उनुका� तें' सहया�गे कारंनु। आनुकानु� मतें कारंनु, इन्कारं मतें कारंनु, क्तिशंकायातें मतें कारंनु, छूटकानु� का� उपया मतें कारंनु। तें' वि=सलनु� का) अपनु� प�रंनु� आदतें का� मतें पकाड़नु।

ह� म�रं� सधका ! ह� भै�या ! तें�रं जी�वानु विकातेंनु का)मतें� ह� याह वा� ब्रह्मवा�त्त जीनुतें� ह_ औरं तें' विकातेंनु तें�च्छा चु�जी म� विगेरं रंह ह� याह भै� वा� जीनुतें� ह_। नुन्ह-म�न्न बलका अपनु� विवाष्ट म� ख�लतें ह� औरं स�ख मनुतें ह�, अ�गेरं का� पकाड़नु� का� क्तिलए ललष्ठियातें ह�तें ह�, विबच्छा� औरं सZप स� ख�लनु� का� ललष्ठियातें ह�तें ह�। उस अब�ध बच्ची� का� पतें ह� नुह� विका अभै� उनुका� विवाषों�ल� p�का तें�झ� Lविहमम कारं द�गे�। ह� सधका ! विवाषोंया-विवाकारंरूप� द्धिजीस मल-म'L-विवाष्ट म� ख�लनु� का� तेंत्परं ह� वा� तें�झ� ब�मरं कारं द�गे� ! तें�रं� तेंन्दुःरुस्तें� का� विबगेड़ द�गे�। तें' अ�गेरं स� ख�लनु� का� जी रंह ह� ! तें' तें� मक्खनु-ष्ठिमश्री� खनु� का� आया ह� लल ! ष्ठिमट्टीF म�, गे�बरं म� ख�लनु� का� नुह� आया। चु�रंस�-चु�रंस� लख जीन्म म� तें' इनु गे�बरं म�, का� काड़-पत्थारं म� ख�ल ह�, पवितें पत्नु� का� तें�च्छा विवाकारं� सम्बन्धु म� तें' ख�ल ह�, तें' बकारं बनु ह�, काई बरं तें�च्छा बकारिरंया का� प�छू� घ'म ह�। तें'नु� नु जीनु� विकातेंनु�-विकातेंनु� जीन्म म� तें�च्छा ख�ल ख�ल� ह_। अब तें' लल का� सथा ख�ल, रंम का� सथा ख�ल, अब तें� तें' क्तिशंवाजी� का) नुईं समष्ठिध लगेकारं स्वा का� सथा ख�ल।

ह� प्यारं� सधका ! अगेरं तें' अपनु� सदगे�रु का� ख�शं कारंनु चुहतें ह� तें� उनुका) आज्ञा मनु औरं उनुका) आज्ञा याह� ह� विका वा� जीहZ ख�लतें� ह_ उस परंमत्म म� तें' भै� ख�ल। गे�रु जीहZ गे�तें मरंतें� ह_ उस� म� तें' गे�तें मरं भै�या ! गे�रुओं का) जी� समझ ह� वाहZ अपनु� वा/श्चित्त का� पहुZचुनु� का प्रायास कारं। इनु नुश्वरं खिखल�नु का� पकाड़कारं काब तेंका स�ख मनुयागे ? काब तेंका अ�गेरं का) ओरं तें' भैगे�गे ? कारुणमया� मZ बच्ची� का� समझतें� ह�, बच्ची रुका जीतें ह�। मZ इधरं-उधरं जीतें� ह� बच्ची वि=रं अ�गेरं का) ओरं जीतें ह�, चुमकातें� अ�गेरं का� खिखल�नु समझकारं तें' छू' ल�तें ह� औरं क्तिचुल्ल उठोतें ह�। तेंब उसका) मZ का� विकातेंनु दुः5ख ह�तें ह� ! उस समया बलका का� मZ का) कारुण च्चि}वितें का पतें नुह�। मZ उस� थाप्पड़ मरं द�तें� ह� उस थाप्पड़ म� भै� वात्सल्या भैरं ह�तें ह�, कारुण ह�तें� ह�। बच्ची� का कानु पकाड़नु भै� कारुण स� भैरं ह�। बच्ची� का हथा-प�रं बZधकारं सजी द�नु भै� प्यारं औरं कारुण स� प्रा�रिरंतें ह�तें ह�।

ऐ सधका ! तें' जीब गेलतें रंस्तें� जीतें ह�, का� टका औरं अ�गेरं म� कादम रंखतें ह� तें� सदगे�रुरूप� मतें-विपतें काड़� आZख दिदखतें� ह_, तें' उस� महस'स भै� कारंतें ह�गे। 'गे�रु रूठो गेया� ह_.... नुरंजी ह� गेया� ह_.... पहल� जी�स� नुह� ह_....' ऐस तें�झ� लगे�गे ल�विकानु गे�रं स� जीZचु कारं�गे तें� पतें चुल�गे विका तें' पहल� जी�स नुह� रंह। तें' अ�गेरं का) ओरं गेया, तें'

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विबच्छा' का) ओरं गेया, तें' सपd का) ओरं गेया इसक्तिलए वा� पहल� जी�स� नुह� भैसतें�। तें' शं�का-का� शं�का म� गेया, अपनु� अल्प मवितें स� ब्रह्मवा�त्त गे�रुओं का� तें�लनु� का दुःस्सहस कारंनु� का� गेया इसक्तिलया� उन्हनु� काड़� आZख दिदखया� ह�। वाह भै� तें�रं� काल्याण का� क्तिलए ह�। काड़� आZख भै� कारुण स� भैरं� ह�, का/ प स� भैरं� ह�, प्रा�म स� भैरं� ह�। काड़� आZख भै� प�कारं स� भैरं� ह� विका तें' चुल... चुल....। तें' रुका मतें। आगे� चुल। विगेरं मतें। सवाधनु ह�। वि=सल मतें। सहस कारं। गेद्देरं मतें बनु, सतेंका8 ह�। का/ तेंघ्नु मतें बनु, का/ तेंज्ञा ह�।

इस प्राकारं का) उनु आZख स� झलकातें� हुई ज्या�वितें का� तें' समझ कारं। 'गे�रु नुरंजी ह_' ऐस कारंका� तें' क्तिशंकायातें मतें कारं, दुः5ख� ह�कारं तें' स�सरं का� काचुरं� म� अष्ठिधका मतें का' दनु। गे�रु नुरंजी ह_ तें� उन्ह� रिरंझनु� का एका ह� तेंरं�का ह� विका तें' वि=रं जीहZ भै� ह�, घरं म� ह�, मद्धिन्दरं म� ह�, अरंण्या म� ह�, तें' वि=रं ध्यानु कारंनु शं�रु कारं द�, वि=रं स� परंमत्म का� प्यारं कारंनु शं�रु कारं द�। तें' वि=रं गे�रुओं का� अनु�भैवा म� p'बनु शं�रु कारं द�। गे�रु का) काड़� आZख, गेरंम आZख उस� समया तें�झ� शं�तेंल ष्ठिमल�गे�। गे�रु उस� क्षाःण तें�झ परं प्रासन्न दिदख�गे�। दूसरं� क्षाःण म� तें�झ परं बरंसतें� हुए दिदख�गे�। तें' उनुका� अनु�भैवा म� ष्ठिमटतें जी। तें' भै� अपनु� खदिटया ख�तें म� रंखतें जी। तें' भै� अपनु समया सधनुरूप� ख�तें म� विबतेंतें जी। तें�रं� ख�तें म� गे�रु का) ब�आई हुई ह�, लिंसCचुई हुई ह�। उन्ह� तें�रं ख�तें लहलहतें दिदखतें ह�।

विकासनु का ब�ट ख�तें का) रंखवाल� नु कारं�, ख�तें म� गेध� घ�स जीएZ तें� बप नुरंजी ह�तें ह�। ऐस� ह� ह� सधका ! तें�रं� सधनुरूप� ख�तें म� तें' अह�कारं औरं वासनुरूप� गेध�-गेष्ठिधया का� मतें घ�सनु� द�नु। जीड़ भै�गेवादF भै_स का� मतें घ�सनु� द�नु। म�ठो�-म�ठो� बतें ब�लकारं तें�रं� अपनु� ह�कारं तें�रं समया खरंब कारंनु� वाल� ष्ठिमL-सम्बन्धु� रूप� गेया का� भै� मतें घ�सनु� द�नु। उनु ट�ल का� दूरं स� आतें� द�खतें ह� तें� चुतें�रं विकासनु पहल� स� ह� p�p उठोतें ह�, टचु8 उठोतें ह�, आवाजी लगेतें ह�। ऐस� ह� जीब तें�रं� ख�तें म� का�ई प्रावा�शं कारंनु� लगे� तें� ॐ का) गेजी8नु कारंनु। 'नुरंयाण.... नुरंयाण...' रूप� टचु8 का प्राकाशं कारं द�नु। गे�रुम�L का) छूड़� खटका द�नु। वा� ढं�रं दूरं स� ह� भैगे जीया�, पक्षाः� उड़नु ल� ल�। तें�रं ख�तें चु�गेनु� आया� उसस� पहल� ह� तें' तें�यारं� रंखनु।... तें� तें�रं ख�तें बचु जीयागे।

विकासनु चुरं प�स� का� धन्या का) इतेंनु� रंखवाल� कारंतें� ह_। उनु विकासनु का� भै� तें' गे�रु मनु क्तिलया कारं इस समया।

ऐ वात्स ! तें�झ� पतें नुह� ल�विकानु तें�रं� गे�रु का� पतें ह� विका तें' क्या ह� सकातें ह�। तें�झम� विकातेंनु सरं भैरं वाह तें�रं� परंम विहतें�षों� जीनुतें� ह_। तें�रं� द�स्तें तें� तें�रं� वितेंजी�रिरंयाZ जीZचु�गे�, तें�रं� रिरंश्तें�-नुतें� तें�रं� तेंन्दुःरुस्तें� औरं रूप लवाण्या विनुहरं�गे�। ल�विकानु गे�रुद�वा जी� तें' ह� उसका� विनुहरं�गे�। जी� तें' ह� वाह उन्ह� दिदखतें ह�। उन्ह� तें�झम� जी�स दिदखतें ह� वा�स तें' एका दिदनु अपनु� म� ख�जी ल�, वा� ख�शं ह� जीया�गे�। वा� तें�म्ह� पहुZचुनु चुहतें� ह_ वाहZ तें' पहुZचुनु� का सहस कारं। तें' काह� थाका� गे तें� वा� तें�झ� सहया कारं�गे�।याह सहया वा� दिदखया�गे� भै� नुह�, अन्याथा तें' लचुरं ह� जीया�गे। वि=रं हरं कादम म� उनुका) सहया चुह�गे। चुलतें रंह। तें' जीहZ थाका� गे वाहZ स'क्ष्म रूप स� सहया�गे कारंतें� रंह�गे�। तें�झ� पतें तेंका नुह� चुलनु� द�गे�, वा� इतेंनु� उदरं ह_।

बस, ट्रे�नु या हवाई-जीहजीवाल� तें� दिटकाट ल�कारं वि=रं तें�रं� म�सवि=रं� कारंतें� ह_। चुल' गेड़� म� भै� दिटकाट वास'ल कारंतें� ह_ ल�विकानु गे�रुद�वा तें� पहुZचुनु� का� बद भै� दिटकाट नुह� मZगे�गे�।

भैगेवानु सदक्तिशंवा काहतें� ह_ विका ऐस� ब्रह्मवा�त्त सदगे�रु सब गे�रुओं म� रंजी ह_। अनु�क्रम

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सिचन्तःन-केद्धिणीके�जीब तेंका क्तिचुत्त चु�चुल ह� औरं विवाषोंया म� स�खब�द्धिद्धया रंमण�यातें ब�द्धिद्ध बनु� हुई ह� तेंब तेंका ज्ञानु नुह� ह�

सकातें। मल औरं विवाक्षाः�प का) विनुवा/श्चित्त हुए विबनु तेंथा क्तिचुत्त शं�द्ध हुए विबनु ज्ञानु का अष्ठिधकारं नुह� ह�तें।सबस� पहल� वा�रंग्या ह�तें ह�, वि=रं द्धिजीज्ञास ह�तें� ह�। उसका� प#तें ज्ञानु औरं प्रा�म ह�तें ह�। जीब आत्म का

सक्षाःत्कारं ह�तें ह� तें� उस� ज्ञानु काहतें� ह_ औरं आत्मकारं वा/श्चित्त का च्चि}रं रंहनु ह� प्रा�म ह�।

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क्तिचुन्तेंनु-स्मरंण स� सब का� छू ह� जीया�गे। क्तिचुन्तेंनु का अभ्यास द्धिजीतेंनु बढ़�गे, उतेंनु� ह� स�सरं स� विवारंक्तिO औरं भैगेवात्प्रा�म का) प्राप्तिप्तें ह�गे�।

'म_ सम्पा'ण8 प्राप�चु स� श्चिभैन्न हूZ'-ऐस� भैवानु कारंनु� स� क्तिचुत्त का) सम्यावा} ह� जीतें� ह�। याह� क्तिचुत्त का) विनुर्तिवाCशं�षों च्चि}वितें ह�। इसका काल अष्ठिधका बढ़नु� परं क्तिचुत्त विवाल�नु ह� जीतें ह�।

आसनु औरं वा/श्चित्त इनु द�नु का� ह� च्चि}रं रंखकारं अभ्यास कारंनु चुविहए। स्थिस्थारसं&[म�संनम2 – इस स'L का� अनु�सरं च्चि}रं आसनु रंखकारं ध्यानु कारंनु चुविहए। चु�तेंनुत्वा का) भैवानुप'वा8का इष्ट का ध्यानु दस ष्ठिमनुट प्रावितेंदिदनु कारंनु� स� =ल प्रातें�तें ह�गे। तें�स ष्ठिमनुट का� अभ्यास स� विवाशं�षों अवा} प्रातें�तें ह�गे� औरं एका घण्ट प_तें�स ष्ठिमनुट का� अट'ट ध्यानु स� द�हनु�सन्धुनु का) विनुवा/श्चित्त याविनु समष्ठिध ह� जीया�गे�।

स�काल्प-त्यागे कारंनु� का अभ्यास कारंनु� स� विनु#या ह� भैगेवानु ष्ठिमल जीतें� ह_ – इसका म_ ठो�का ल�तें हूZ।स�षों�प्तिप्तें म� जी�वात्म प्राका/ वितें का� अध�नु रंहतें ह� औरं समष्ठिध म� जी�वात्म का� अध�नु प्राका/ वितें रंहतें� ह�। जीब

अ=सरं =�जी का� अध�नु रंहतें ह� तें� =�जी उस� मरं pलतें� ह� औरं जीब अ=सरं का� अध�नु =�जी रंहतें� ह� तें� अ=सरं चुह� जी� कारं सकातें ह�।

इच्छा, विक्रया औरं ज्ञानु इनु तें�नु का परंस्परं सम्बन्धु ह�। विक्रया रं�का द�नु� स� आसनु औरं प्राणयाम ह� जीतें� ह_। इच्छा का) विनुवा/श्चित्त ह�नु� परं धरंण औरं ध्यानु ह� जीतें� ह_ तेंथा इच्छाप'वा8का विक्रया नु कारंनु� परं विक्रया का) शंप्तिन्तें अथा8तें� समष्ठिध ह� जीतें� ह�।

ज्ञानु तें� मनु� एका अ=सरं ह�, जी� सबका सक्षाः�मL ह�। कारंनु� धरंनु� वाल� इच्छा ह� औरं उसका व्यपरं ह�।ध्यानु स� ज्ञानु ह�तें ह�। ध्यानु का� विबनु ज्ञानु रंह ह� नुह� सकातें।ध्यानु का अभ्यास परिरंपक्वा ह� जीनु� परं विनु~ काम ह� जीतें� ह�, ध्यानुभ्यास� प�रुषों एका p�ढ़ घण्ट स�कारं भै�

रंह सकातें ह�। इस� स� ध्यानु स्वाभैविवाका ह� जीतें ह� तें� वि=रं आरंम का) इच्छा नुह� रंहतें�। जीब क्तिचुत्त स� विवाक्षाः�प विनुकाल जीया� तेंभै� ध्यानु प'रं हुआ समझ�।

का� छू भै� ह�, विबनु स�याम का� का� छू भै� नुह� ह� सकातें। स�याम का� द्वेरं ह� दिदव्य दृष्ठिष्ट का) प्राप्तिप्तें ह�तें� ह�। स�यामरंविहतें जी�वानु व्यथा8 ह�। दृढ़ अभ्यास का) विनुरंन्तेंरं आवाश्याकातें ह�। क्तिशंक्तिथाल अभ्यास स� का� छू नुह� ह�तें। सवाधनु क्तिचुत्त स� विनुरंन्तेंरं अभ्यास म� लगे� रंह�। याह प�स्तेंका) विवाद्या नुह�, अनु�भैवा का पथा ह�।

दृष्ठिष्ट स� स/ष्ठिष्ट बनुनु वा�दन्तें ह� औरं स/ष्ठिष्ट स� दृष्ठिष्ट हटनु या�गे या उपसनु ह�।तेंत्त्वाज्ञानु का� क्तिलए का� छू बनुनु-विबगेड़नु नुह� ह�तें। द्वे�तें ज्या का त्या बनु रंहतें ह� औरं अद्वे�तें का ब�ध ह�

जीतें ह�। जी�स� स�नु� का� आभै'षोंण बनु� रंहतें� ह_ औरं उनुम� स�नु� का) अखण्p�कारंसतें का ब�ध ह� जीतें ह�। इसका� क्तिलए स�नु� का� तें�ड़नु-=�ड़नु नुह� पड़तें।

तें�म्हरं क्तिचुत्त द्धिजीतेंनु भैगेवानु म� लगे�गे उतेंनु� ह� तें�म्हरं� शंक्तिO बढ़�गे�। स�सरं-क्तिचुन्तेंनु स� तें�म द्धिजीतेंनु� ह� उपरंम हगे�, स�सरं तें�मस� उतेंनु ह� अष्ठिधका प्रा�म कारं�गे। जीब भैगेवानु स� प'ण8 प्रा�म ह�गे तें� स�सरं तें�म्हरं� अध�नु ह�गे।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ