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‘पढ़ने का कोना ’एक ऐसा स्थान होना चाहिहए जो बच्चों को आमंहि�त करे और उन्हें रोचक तस्वीरों,कहाहिनयों,हिकताबों और अन्य पठन सामग्री को पढ़ने की प्रहि)या शामिमल करें।

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यह ज़रूरी है कि प्रारंभ से ही पढ़ने े लि�ए कि�कि�ध प्रार ी किताबों से बच्चों ा परिरचय र�ाया जाए और शा�ा े लि�ए इससे बेहतर शुरुआत हो ही नहीं सती। बच्चों ो �ैकि�ध्यपूर्ण- किताबें उप�ब्ध र�ाई जानी चाकिहए जिजने साथ �े स्�यं ो शामि6� र सें और आनंद े लि�ए पढ़ सें । हाकिनयाँ, पढ़ने े लि�ए साथ- संदभ- ा किन6ंत्रर्ण देती हैं। क्षा 6ें पढ़ने ा ोना बच्चों ो कि�स्तृत पठन-सा6ग्री उप�ब्ध राता है और साथ ही ए स्�तंत्र पाठ बनने ी प्रकि?या 6ें सहयोग देता है।

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‘पढ़ने का कोना’ का हिनमर्ण/

पढ़ने ा ोना क्षा 6ें बच्चों े लि�ए ए ऐसी आनंददायी जगह है जहाँ �े इत्6ीनान से बैठ सें और पढ़ सें । इसे लि�ए किताबों ो 6ेज़ े ऊपर या 6ेज़ े चारों तरफ़ बाँधी गई रस्सी पर प्रदलिशत किया जा सता है या किEर दी�ारों पर टाँगा जा सता है। पढ़ने ी ोने 6ें बा� साकिहत्य ा उत्ृष्ट सं�न होना चाकिहए। बच्चों ी आ�श्यताओं ए�ं रूलिच और उप�ब्ध बा� साकिहत्य ी गुर्ण�त्ता ो

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ध्यान 6ें रखते हुए बा� साकिहत्य ा चयन बेहद सा�धानी े साथ किया जाना चाकिहए। पढ़ने े ोने 6ें बच्चों े लि�ए ?मि6 पुस्त6ा�ा ो भी रखा जा सता है। ?मि6 पुस्त6ा�ा 6ें अने प्रार ी हाकिनयाँ शमि6� होती हैं जो क्षा 1 और 2 े पाठों े लि�ए ठिठनता े कि�कि�ध स्तर उप�ब्ध राती है। बच्चों े लि�खने, तस्�ीर बनाने और रंग भरने े लि�ए पढ़ने े ोने 6े किताबों े अकितरिरक्त पेंलिस�, मि6टानी(eraser), छी�नी(sharpener) आठिद रखी जानी चाकिहए।

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• पढ़ने के कोने का हिनमा/र्ण और रख-रखाव शिशक्षक और बच्चों द्वारा मिमलकर हिकया जाना चाहिहए ताहिक बच्चों में शुरुआत से ही उसके ‘अपने होने ’ की भावना का हिवकास हो सके।• लिलखन,ेतस्वीर बनाने और रंग भरने के उदे्दश्य को ध्यान में

रखते हुए वहाँ पेंलिसल, रबड़, चार्ट/ पेपर और रंग आदिA रखे जाने चाहिहए। • पढ़ी गई कहाहिनयों के आधार पर बच्चों द्वारा हिकए गए

लेखन या बनाई गई तस्वीरों को भी रखा जा सकता है।

‘पढ़ने के कोने’ का रख-रखाव

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• पढ़ने के कोने पर समय-समय पर नई हिकताबों, पहि�काओं और अन्य सामग्री को भी रखा जा सकता है।

• समय-समय पर हिकताबों की संभाल भी की जा सकती है, जब हिकसी हिकताबों के पन्ने हिनकल जाए ँया फर्ट जाए।ँ

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शिशक्षकों की भूमिमका बच्चों ो पढ़ने 6ें अभिभपे्ररिरत रने 6ें लिशक्षों ी बहुत बड़ी भूमि6ा है। पढ़ने े ोने ा रख-रखा� रने े लि�ए बच्चों ो प्रोत्साकिहत र6े े अकितरिरक्त भी ुछ ऐसी बातें है जिजन्हें रे देखा जा सता ह-ै

स्�तंत्र पठन े लि�ए अ�ग से स6य सुकिनभिUत रें।किताबों े �ैकि�ध्यपरू्ण- सं�न ो ए साथ रखना : शब्द रकिहत

किताबें, लिचत्रात्6 किताबें, कि�ताओं े सं�न, �र्ण- और संख्या �ा�ी रोच किताबें, आठिद।

पढ़ने े ोने ो बच्चों े �ेखन े साथ जोकिड़ए। बच्चों ने जो पढ़ा, उसी प्रकितकि?या 6ें �े जो लि�खते हैं, उन्हें प्रदर्शिशYत ीजिजए।

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पढ़ने के कोने में ऐसी हिकताबें भी रखी जा सकती हैं जो शिशक्षक और बच्चों ने मिमलकर बनाई हैं। बच्चे उन हिकताबों को पढ़ना पसंA करते हैं जो उन्होंनें बनाई हैं। चूँहिक वे इन हिकताबों की हिवषय-वस्तु से परिरलिचत होते हैं इसलिलए ये हिकताबें उन्हें पाठक होने का अहसास कराती हैं।

शिशक्षक स्वयं पाठक बनें और पढ़ने में अपनी रुलिच को प्रAर्शिशOत करें। स्वतं� पठन के लिलए सुहिनशिPत हिकए गए समय में अपने बच्चों के साथ पढे़। यह प्रAर्शिशOत करें हिक पढ़ना एक रोचक गहितहिवलिध है।

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