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तवाथसू छठा अयाय () Presentation Created by: ीमतत सारिका जैन

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  • तत्त्वार्थसूत्र छठा अध्याय (३)Presentation Created by: श्रीमतत सारिका जैन

  • कमथ के कायथ

    भेद

    माेहनीय कमथ

    दर्थन

    माेहनीय

    ववपिीत श्रद्धान

    चारित्र

    माेहनीय

    ववपिीत अाचिण

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  • दर्थन माेहनीय कमथ के अास्त्रव का कािण

    ☸केवलिश्रुतसंघ-धमथ-देवावणथवादाे दर्थन-माेहस्य।।१३।।

    ☸केविी, श्रुत, संघ, धमथ, अाैि देवाें का अवणथवाद दर्थन माेहनीय कमथ के अास्त्रव का कािण है

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  • अवणथवाद अर्ाथत् क्या?

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    गुणवान अाैि महत्त्वर्ािीयाे ंमें अपनी बुद्धद्ध अाैि ह्रदय की

    किुषता के कािण अववद्यमान दाेषाे ंका

    उदभावन किना अवणथवाद है

  • • इन्द्रिय अाैि क्रम के व्यवधान से िहहत ज्ञान वािे केविी कहिात ेहैंकेविी• केविी कलर्त अाैि गणधि के द्वािा अवधारित श्रुत कहिाता हैश्रुत • ित्नत्रय से युक्त मुतनयाे ंका समूहसंघ •अहहंसादद िक्षण वािा धमं कहा जाता हैंधमथ • देव गतत के जीवाे ंकाे देव कहते हैंदेवाें

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  • चारित्र माेहनीय के अास्त्रव के कािण

    ☸कषायाेदयात्तीव्र-परिणामश्चारित्रमाेहस्य।।१४।।

    ☸कषाय के उदय से हाेने वािे तीव्र परिणाम चारित्र माेहनीय के अास्त्रव के कािण हैं

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  • चारित्र माेहनीय

    कषाय

    क्राेधादद 16

    नाेकषाय

    हास्यादद 9Presentation Created by- श्रीमतत सारिका ववकास छाबड़ ा

  • ☸स्वय ंकषाय किना☸दसूिाें में कषाय उत्पन्न किाना☸चारित्रवतंाें के चारित्र में दषूण िगना, तनंदा किना☸संके्लर् पैदा किने वािे वेर् अाैि व्रत धािण किना☸र्ीिवरताे ंकाे र्ीि पािन किने से चिायमान किना☸र्ीिव्रताे ंकी तनंदा किना

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    चारित्र माेहनीय के अास्त्रव के कािण

  • हास्य कमथ के अास्त्रव के कािण

    ☸सत्य धमथ का उपहास किना☸दीन मनुष्य की ददल्लगी उड़ ाना☸कुन्द्त्सत िाग काे बढ़ ान ेवािा हंसी मजाक किना☸बहुत बकने अाैि हंसने की अादत िखना

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  • ितत कमथ के अास्त्रव के कािण

    ☸नाना प्रकाि की क्रीड़ाअाे ंमें िगे िहना☸व्रत अाैि र्ीि के पािन में अरुलच िखना☸अरय का कष्ट दिू किना

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    अितत कमथ के अास्त्रव के कािण

    ‡ दसूिाें में अितत उत्पन्न हाे अाैि ितत का ववनार् हाे ऐेसी प्रवृत्तत्त किना

    ‡ दसूिाें की कीततथ नष्ट किना‡ पापी जीवाें की संगतत किना‡खाेटी वक्रयाअाे ंमें उत्साह किना

  • र्ाेक कमथ के अास्त्रव के कािण

    ☸स्वय ंकाे र्ाेक हाेने पि दखुी हाेकि लचंता किना☸दसूिाे काे दुुःख उत्पन्न किना☸दसूिाे काे र्ाेक में देख कि अानंद मनाना

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  • भय कमथ के अास्त्रव के कािण

    ☸स्वय ंभय रूप परिणाम िखना☸दसूिाें काे भय उत्पन्न किाना☸तनदथयता के परिणाम किके दसूिाे ंकाे दुुःख देना

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  • जुगुप्सा कमथ के अास्त्रव के कािण

    ☸सत्य धमथ काे धािण किने वािे 4 वणथ –ब्राह्मणादद के कुि की वक्रया अाचाि के प्रतत ग्िातन का परिणाम िखना

    ☸दसूिाें का अपवाद तनंदा किने का स्वभाव हाेना

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  • स्त्री वेद कमथ के अास्त्रव के कािण☸असत्य बाेिने की अादत☸दसूिे के द्धछि ढ़ूूँढ़ना☸ईष्याथ का परिणाम☸झूठ बाेिन ेमें तत्पि िहना☸अतत मायाचाि, िाग भाव किना☸पि स्त्री सेवन, उसमे िाग भाव

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  • पुरुष वेद कमथ के अास्त्रव के कािण☸अल्प क्राेध, कुहटिता का अभाव☸ववषयाे ंमें उत्सुकता का अभाव☸स्व स्त्री में संताेष िखना☸स्त्री के सम्बरध में अल्प िाग भाव☸ईष्याथ का अभाव हाेना☸शंगाि, गंध अादद में अनादिपना

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  • नपुंसक वेद कमथ के अास्त्रव के कािण☸प्रबि क्राेध, मान, माया, िाेभ के परिणाम☸शर्िवरताे ंपि उपसगथ किना☸व्रती जीवाे ंकाे दखुी किना☸अनंग क्रीड़ा, गुप्त अंगाे का छेदन☸गुणवानाे ंकी तनंदा किना☸दीक्षा ग्रहण किने वािाे ंकाे दुुःख देना☸पि स्त्री के संगम का बहुत िाग हाेना☸अाचाि िहहत तनिाचािी हाेना

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  • अायु कमथ

    निकायु ततयंचायु मनुष्यायु देवायु

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    र्ुभायुअर्ुभायु

  • नािकायु के अास्त्रव के कािण

    ☸बह्वािम्भ-परिग्रहत्वं नािकस्यायुषुः।।१५।।

    ☸बहुत अािम्भ अाैि बहुत परिग्रह नािकाय ुके अास्त्रव के कािण हैं

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  • अािम्भ

    हहंसादद के कायथ

    परिग्रह

    पि पदार्ाे ंमेंमूर्चछाथ का परिणाम

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  • परिग्रह नािकायु के अास्त्रव का कािण क्याें ह?ै

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    परिग्रह िाेिुपी व्यलक्त तीव्रति कषाय परिणाम वािे अाैि हहंसा

    में तत्पि हाेते हैं

  • ☸लमथ्यादर्थन सहहत अाचिण किना☸तीव्र क्राेध, िाेभ, मान के परिणाम िखना☸दसूिे जीवाे ंकाे दुुःख उत्पन्न किने के परिणाम हाेना☸दसूिे का घात किन,े बंधन में िखें का अलभप्राय हाेना☸प्राद्धणयाें का घात किने वािे असत्य वचन कहना☸मैर्ुन में अतत िाग िखना☸अभक्ष्य भक्षण किना☸कृष्ण िेश्या के परिणाम िखना☸तीर्कंि की अाज्ञा का वविाधे किना☸िाैिध्यान पूवथक मिण किना

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    नािकायु के अास्त्रव के कािण

  • िाैिध्यान निकायु का कािण

    हहरसानदंी

    िाैिध्यान

    हहंसा किकेखुर् हाेना

    मृषानदंी

    िाैिध्यान

    झूठ बाेिकिखुर् हाेना

    चाैयाथनदंी

    िाैिध्यान

    चाेिी किकेखुर् हाेना

    परिग्रह संिक्षणानंदी िाैिध्यान परिग्रह ऐकतत्रत किने , सुिक्षक्षत िखने में अानंद

    मानना

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  • ततयंच अायु के अास्त्रव के कािण☸माया तैयथग्याेनस्य।।१६।।

    ☸मायाचाि ततयंच अायु के अास्त्रव के कािण है

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  • माया के भेद• वकसी कायथ के ववषय में जजसके अलभिाषा उत्पन्न हुई ऐेसे मनुष्य का दसूिाें काे फंसाने का जाे चातुयथ हैतनकृतत

    •अर्चछे परिणामाें काे ढ़ांककि धमथ के तनलमत्त चाेिी अादद दाेषाें में प्रवृत्तत्त किनाउपधध• धन के ववषय में झगड़ ा किना, धिाेहि हिण कि िेना, चापिूसी किनासाततप्रयागे• लमिावट के द्वािा िव्य ववनार् किनाप्रद्धणधध• अािाेचना किते समय अपन ेदाेष द्धछपानाप्रततकंुचन

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  • ☸कपट कूट कुहटि कायाें में तत्पि िहना☸लमथ्या धमथ का उपदेर् देना☸र्ीििहहतपना हाेना☸र्बदाे ंद्वािा प्रवृत्तत्त किके तीव्र मायाचाि किना☸दसूिे के भावाे ंमें भेद, वववाद, र्त्रुता पैदा किना☸लमिावट किना☸दसुिे के उत्तम गुणाें काे द्धछपाना, न िहने वािे अवगुणाें काे प्रगट किना☸जातत, कुि, र्ीि में दाेषण िगाना, ववसवंाद में रूलच िखना☸अात्तथध्यान पूवथक मिण किना

    ततयंच अायु के अास्त्रव के कािण

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  • अात्तथ ध्यान वािी मायाचािी ही ततयथचायु के अास्त्रव का कािण मानी गई है

    पंिरतु कू्रि, अलभमानी जीवाे ंकाे धमथ अाैि रयाय मागथ में िगाने के लिये अाैि धमथ प्रभावना के लिये की जाने वािी मायाचािी ततयथन्चाय ुके अास्त्रव का कािण नहीं हैं

  • मनुष्य अायु के अास्त्रव के कािण

    ☸अल्पािम्भपरिग्रहत्वं मानुषस्य।।१७।।

    ☸अल्प अािम्भ अाैि अल्प परिग्रह मनुष्य अायु के कािण हैं

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  • मनुष्य अायु के अास्त्रव के कािण

    ☸स्वभाव-मादथवं च।।१८।।☸स्वभाव में मृदतुा िखना भी मनुष्याय ुके अास्त्रव के

    कािण हैं

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  • स्वभाव मादथव अर्ाथत्

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    उपदेर् की अपेक्षा वबना हाेने वािी परिणामांे की काेमिता

  • ☸लमथ्यादर्थन सहहत ज्ञानवान अाैि ववनयवान हाेना☸सिि व मृद ुस्वाभावी हाेना☸अल्प अाैि क्षद्धणक क्राेध िखना☸ववर्षे गुणी पुरुषाे ंके सार् वप्रय व्यवहाि िखना☸जीवाे ंके घात, कुकमथ से तनवतृ्तत्त िखना☸ईष्याथ िहहतपना हाेना☸अल्प संके्लर् भाव हाेना☸देव,गुरु अादद के लिये अपना धन अिग िखना☸कपाते व पीत िेश्या के परिणाम हाेना☸र्ुभ अाैि अर्ुभ ध्यान पूवथक मिण किना (/धमथ ध्यान)

    मनुष्य अायु के अास्त्रव के कािण

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  • लमथ्यादर्थन सहहत ज्ञानवान काे मनुष्यायु के अास्त्रव का कािण क्याें कहा?

    ☸सम्यक्त्व सहहत मनुष्य अाैि ततयथन्चाे ंकाे देवाय ुका ही बंध हाेता है

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  • सभी अायअुाे ंके अास्त्रव का सामारय कािण

    ☸तनुःर्ीिव्रतत्वं च सवेथषाम्।।१९।।

    ☸र्ीि अाैि व्रत िहहतपना सभी अायुअाें के अास्त्रव के कािण हैं अाैि मनुष्याय ुके अास्त्रव के कािण हैं

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  • व्रत अाैि र्ीि िहहत जीव काे देवायु का बंध कैसे हाे सकता है?

    भाेगभूलम के जीवाे ंकाे व्रत अाैि र्ीि नहीं हाेता हैं िेवकन उरहें देवाय ुका ही अास्त्रव हाेता है यह बताने के लिये यह सूत्र कहा है

  • देव अायु के अास्त्रव के कािण☸सिागसंयमसंयमासंयमाकामतनजथिाबाि-तपाकं्षस

    देवस्य।।२०।।☸सिागसयंम, संयमासयंम, अकामतनजथिा अाैि बाितप ये देवायु के कािण

    हैं

    ☸सम्यकं्त्व च।।२१।। ☸सम्यक्त्व भी देवायु के अास्त्रव का कािण हैं

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  • सम्यग्ृधष्ट

    •केवि सम्यक्त्व अाैि अणुव्रताे,ं महाव्रताे ंअादद से देवाय ुकाेबांधता है

    लमथ्याृधष्ट

    •अज्ञान रूप अणुव्रत, महाव्रत अाैि बाितप, अकाम तनजथिा सेदेवाय ुकाे बांधता है

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  • सम्यक्त्व ताे र्ुद्ध भाव है उसके सार् में

    िहने वािा र्ुभ भाव देवायु के अास्त्रव का

    कािण हैंPresentation Created by- श्रीमतत सारिका ववकास छाबड़ ा

  • ☸अपने अात्मा के कल्याणकािक लमत्राे ंसे सम्बरध िखना☸धमथ के स्र्ानाे ंका सेवन किना☸सत्यार्थ धमथ का श्रवण किना, धमथ काे प्रर्ंसा किना☸तप में भावना िखना☸जि िेखा समान अतत मंद क्राेध िखना

    देव अायु के अास्त्रव के कािण

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  • अायुनािकायु

    ततयथन्चायु

    मनुष्यायु

    देवायु

    गुणस्र्ान१

    १ - २

    १, २, ४

    १, २, ४, ५, ६, ७Presentation Created by- श्रीमतत सारिका ववकास छाबड़ ा

  • अायु कमथ के अास्त्रव की ववधध☸उदाहिण- मान की वकसी जीव की अायु ८१ वषथ की है

    र्ेष अायु २/३ अपकषथ काि (अंतमुथहूतथ)८१ ८१ / २/३ = ५४ १ िा २७ (८१-५४) २७ / २/३ = १८ २ िा९ (२७ -९) ९ / २/३ = ६ ३ िा३ ३ / २/३ = २ ४ र्ा१ १२ (माह) / २/३ = ८ ५ वा४ माह (१२० ददन) १२० ददन / २/३ = ८० ६ वा४० ददन ४० ददन / २/३ = २६ ददन ४० घड़ ी ७ वा१३ ददन २० घड़ ी १३ ददन २० घड़ ी / २/३ = ८ ददन २०

    पि८ वा

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  • नाम कमथ के अास्त्रव के कािण

    ☸याेगवक्रता ववसंवादन ंचार्ुभस्य नाम्नुः।।२२।।☸याेगाे ंकी वक्रता अाैि ववसंवाद अर्ुभ नाम कमथ के

    अास्त्रव के कािण हैं

    ☸तहद्वपिीतं र्ुभस्य ।।२३।। ☸उससे ववपरित अर्ाथत याेगाे ंकी सििता अाैि अववसंवाद र्ुभनाम कमथ के अास्त्रव के कािण हैं

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  • अंतियाेग वक्रता

    स्व अपेक्षा

    मन वचन काय की कुहटिता

    कािण

    ववसंवादनपि की अपेक्षाकुहटि याेग सहहत दसूिे काे लमथ्यामागथ के लिये प्रेरित किना

    कायथPresentation Created by- श्रीमतत सारिका ववकास छाबड़ ा

  • अर्ुभ नामयाेगाें की कुहटिता• (स्वय ंके माेक्षमागथ प्रततकूि मन, वचन, काय की चेष्टा)

    ववसंवादन• (दसूिे काे माेक्षमागथ प्रततकूि प्रवतथन किाना)

    र्ुभ नामसिि मन वचन की

    चेष्टा

    अरय काे अरयर्ाप्रवतथन नहीं किना

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  • अर्ुभ नाम कमथ के अास्त्रव के ववर्ेष कािण☸लमथ्यादर्थन बनाऐ िखना☸महा अािम्भ अाैि महा परिग्रह िखना☸सुरदि रूप, उज्जवि भेष, अाभषूण अादद का मद किना,उनम ेअनुिाग िखना☸क्राेध अाैि ढ़ीठता के वचन कहना☸जजनमन्द्रदि के सामग्री की चाेिी किना☸पाप कमथ से अाजीववका किना☸इंट पकाने, दावाग्नि िगान ेका कायथ किना☸प्रततमा अाैि जजनमन्द्रदि का नार् किना☸मनुष्याे ंके साेन ेबैठने के स्र्ान पि मि अादद ववसजथन कि वबगाड़ देना☸क्राेधादद कषायाे ंकी तीव्रता िखना

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  • दर्थनववर्दु्धद्धववथनयसपंन्नता र्ीिव्रतेष्वनततचािाऽेभीक्ष्णज्ञानापेयागेसंवगेा ै

    र्लक्ततस्त्यागतपसीसाधु-समाधधवैथयावतृ्यकिणमहथदाचायथ बहुश्रतुप्रवचनभलक्तिावश्यकापरिहाद्धण-

    मागथप्रभावनाप्रवचनवत्सित्वलमतत तीर्थकित्वस्य।।२४।।

    ☸दर्थन ववर्ुद्धद्ध, ववनय सम्पन्नता, र्ीिव्रत में अनततचाि, अभीक्षण ज्ञानापेयागे, संवेग, र्लक्त अनुसाि त्याग, र्लक्त अनुसाि तप, साधु समाधध, वैयावतृ्त्यकिण, अहथद भलक्त, अाचायथ भलक्त, बहुश्रुत भलक्त, प्रवचन भलक्त, अावश्यकापरिहाणी, मागथ प्रभावना अाैि प्रवचन वत्सित्व ये तीर्कंि नाम कमथ के अास्त्रव के कािण हैं

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  • •अिहंत देव द्वािा कहे गऐ माेक्षमागथ पि रूलच िखनादर्थन ववर्दु्धद्ध

    •ित्नत्रय अाैि उनके धािकाें की ववनय किनाववनय सम्पन्नता

    •र्ीि अाैि व्रताें का अततचाि िहहत पािनर्ीिव्रत में अनततचाि

    •सम्यज्ञान में तनिंति िगे िहना अभीक्षण ज्ञानाेपयागे

    •संसाि के दखुाें से भयभीत िहनासंवेगPresentation Created by- श्रीमतत सारिका ववकास छाबड़ ा

  • •र्लक्त अनुसाि दानादद रूप त्याग किनार्लक्त अनुसाि त्याग

    •र्लक्त अनुसाि 12 तप किनार्लक्त अनुसाि तप

    • व्रतादद सहहत मुतन के तप में ववघ्नादी के हाेने पि उनका संधािण किनासाधु समाधध

    • गुणी पुरुषाे ंके दुुःख अा पड़ न ेपि तनदाेथष ववधध से उनका दुुःख दिू किनावैयावृत्त्यकिण

  • अहथद भलक्त

    अाचायथ भलक्त

    बहुश्रुत भलक्त

    प्रवचन भलक्त

    इनमें भावाेंकी ववर्ुद्धद्धके सार् अनुिाग िखना

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  • •6 अावश्यक वक्रयाअाे ंका यर्ासमय किनाअावश्यकापरिहाणी

    •ज्ञान, तप अाैि दानादद के द्वािा जजनामागथ की प्रभावना किनामागथ प्रभावना

    •साधालमथयाें पि गाै समान वात्सल्य िखनाप्रवचन वत्सित्वPresentation Created by- श्रीमतत सारिका ववकास छाबड़ ा

  • नीच व उच्च गाेत्र के अास्त्रव के कािण☸पिात्मतनरदा-प्रर्ंसे सदसद्गणुारे्चछादनादे्भावन ेच

    नीचैगाेथत्रस्य।।२५।।☸पि तनंदा, अात्मप्रर्ंसा, सदगुणाे ंका उर्चछादन, असदगुणाें का उदभावन

    ये नीच गाेत्र के अास्त्रव के कािण हैं

    ☸ तहद्वपयथया ेनीचैवृथत्यनतु्सेका ैचाेत्तिस्य।।२६।। ☸उसके ववपिीत अर्ाथत पि प्रर्ंसा, अात्मा तनंदा, सदगुणाें का उदभावन, असदगुणाे ंका उर्चछादन, नम्र वृत्तत्त अाैि अनुत्सके ये उच्च गाेत्र के अास्त्रव

    का कािण हैंPresentation Created by- श्रीमतत सारिका ववकास छाबड़ ा

  • वकस जीव के काैन से गाेत्र का उदय हाेता है?

    नीच गाेत्र

    नािकी

    ततयंच

    अपयाथप्त मनुष्य

    उच्च गाेत्र

    देव

    भाेगभूलमयामनुष्य

    दाेनाे ंमें से काेई भी ऐक

    पयाथप्त कमथभलुमया मनुष्य

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  • ☸8 मद किना☸दसूिाे ंकी हंसी, अवज्ञा, अपवाद किना☸धमाथत्मा पुरुषाे ंकी तनंदा किना☸अपनी प्रर्ंसा किना☸गुरुअाें का ततिस्काि किना, दाेष प्रगट किना, ववनय न किना☸तीर्कंि अादद की अाज्ञा का िाेप किना

    नीच गाेत्र के अास्त्रव के ववर्ेष कािण

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  • ☸8 मद रूप तनलमत्त प्राप्त हाेने पि भी स्वयं काे उच्च न समझना☸अरय जीवाे ंकी अवज्ञा न किना☸दसूिाे ंकी तनंदा, ग्िातन, अपवाद, हंसी किना छाेड़ ना☸धमाथत्मा जनाे ंका अादि सत्काि किना☸गुरुअाें काे देखते सार् ही उठ खड़ े हाेना, हार् जाेड़ ना, नम्रीभतू हाेना, वरदना किना

    ☸इस काि में जाे गुण दसूिाें में नही ंपाऐ जात ेवे अपन ेमें हाेने पि भी उद्धतपना न हाेना

    ☸धमथ के कायाें में पिम हषथ हाेना

    उच्च गाेत्र के अास्त्रव के ववर्ेष कािण

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  • अंतिाय कमथ के अास्त्रव के कािण

    ☸ववघ्नकिणमरतिायस्य।।२७।।

    ☸दानादद में ववघ्न ड़ािना अंतिाय कमथ के अास्त्रव का कािण हैं

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  • अंतिाय के कायथ

    इनमें बाधा ड़ािना

    दान

    तनज पि के उपकाि के लिये देना

    िाभ

    फायदा

    भाेग

    जाे ऐक बाि भाेग सकंे

    उपभाेग

    जाे बाि बाि भाेगी जा सकंे

    वीयथ

    र्लक्त, बि

    Presentation Created by- श्रीमतत सारिका ववकास छाबड़ ा

  • ☸काेई ज्ञानाभ्यास कि िहा हाे ताे उसम ेबाधा ड़ािना☸वस्त्र-अाभिण, र्ैय्या, अासन, भक्षण किन ेयाेग्य भाेजन, पीने याेग्य पेय अादद में दषु्ट भावाे ंसे ववघ्न किना

    ☸अपन ेपास धन हाेने पि भी खचथ नहीं किना☸तनमाथल्य िव्य काे ग्रहण किना☸दसूिे की र्लक्त, वीयथ का ववनार् किना☸धमथ का छेद किना☸चारित्र के धािक गुरु, जजनायातन, जजनप्रततमा का घात किना☸त्यागी- दीक्षक्षत, दरििी, अनार् काे काेई वस्र, पात्रादद देता हाे ताे उसका तनषेध किना☸दसूिाें काे बंदीगहृ में िखना, बांधना☸दसूिाे काे मािना

    अंतिाय कमथ के अास्त्रव के कािण

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  • अायु काे छाेड़ कि र्ेष 7 कमाें का अास्त्रव ताे तनिंति हाे िहा है तब तत प्रदाषे अादद से ज्ञानाविण

    के अास्त्रव बंध का ही तनयम कैसे ?

    तत प्रदाषे अादद जाे भावकहे हैं वे अनुभाग संबंधी

    तनयम बतान ेके लिये कहे हैं

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  • Reference : तत्त्वार्थसतू्रजी , सवाथर्थक्षसद्धद्धजी, तत्त्वार्थमञ्जूषाजी

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