رٍﻤﺎِ ﻀ َ ل ﻜ ُ ﻰٰ َﻠﻋَو َ ﻻﺎً ﺠَر ِ كوَ ُﺘْﺄَﻴ ﺞ...

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Transcript of رٍﻤﺎِ ﻀ َ ل ﻜ ُ ﻰٰ َﻠﻋَو َ ﻻﺎً ﺠَر ِ كوَ ُﺘْﺄَﻴ ﺞ...

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    َوَأذن ِفي الناِس ِباْلَحج َيْأُتوَك ِرَجاًال َوَعَلٰى ُكل َضاِمٍر )27(سورة الحج َيْأِتيَن ِمن ُكل َفج َعِميقٍ

    हज और उमराह गाइड

    डा�टर मौलाना मोह�मद नजीब क़ासमी

    www.najeebqasmi.com

  • 2

    All rights reserved सभी अ�धकार लेखक के �लये सुर��त ह�

    Hajj & Umrah Guide हज और उमराह गाइड

    By

    डा�टर मौलाना मोह�मद नजीब क़ासमी Dr. Mohammad Najeeb Qasmi

    http://www.najeebqasmi.com/ [email protected]

    MNajeeb Qasmi - Facebook Najeeb Qasmi - YouTube

    Whatsapp: 00966508237446

    पहला �हदं� सं�करण: माच! 2016

    Address for Gratis Distribution मु'त )मलन ेका पताः Dr. Mohammad Mujeeb, Deepa Sarai, Sambhal, UP (2044302) India

    डा॰ मोह�मद मुजीब, द�पा सराय, सभंल, यूपी, इि2डया (244302)

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    4वषय-सचूी 8. 4वषय पेज नं

    1 ��तावना: मोह�मद नजीब क़ासमी संभल" 5

    2 मुखबंध: हज़रत मौलाना अबुल क़�सम नोमानी 8

    3 मुखबंध: मौलाना मोह�मद असरा%ल हक़ क़ासमी 9

    4 मुखबंध: �ोफेसर अखत%ल वासे साहब 10

    5 हज का मु'तसर और आसान तर"का 11

    6 उमरह का तर"का 15

    7 एहराम 15

    8 तवाफ 16

    9 सई 18

    10 बाल मंुडवाना या छोटा करवाना 18

    11 इ�लाम क़े पाँचवे 8कन यानी हज क9 अह�मयत 21

    12 हज से मुतअि

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    21 हBजे बदल या उमरह बदल 94 22 हज / उमरह से रोक Eदया जाना 98 23 पांच सवालात के जवाबात 101 24 सफरे मद"ना मुनQवरा 103 25 मद"ना मनQवरा के तार"खी मक़ामात 115 26 मRका मुकरSमा के तार"खी मक़ामात 122 27 एक सफर मD एक से Tयादा उमरह क9 अदायगी 137 28 हज मD वकूफे मुजद

  • 5

    �ِ هللاِ �ِْ��ِ ْ َّ�ْ�� اِ َّ�ا ُ�ْ�َِ اَْ �ة َربِّ ِ�ّ َّ�

    َِْ��،َوا��َاَْ-َِ�ْ��۔ َواَْ+َ���( آ( َوَ#"!ٰ اَْ'ِ�&� ا%َّ$ِ!ِّ َ#"َ! َوا�َّ�مُ اْ

    :�तावना हुजूरे अकरम स

  • 6

    अतंKर� (जगह) को एसी ताक़तD पुर न कर दD जो इ�लाम और

    मु�लमान= के �लए नुक़सानदेह साXबत ह=। चनूांच े2013 मD वेबसाइट

    (www.najeebqasmi.com) लांच क9 गई, 2015 मD तीन ज़बान= मD

    दIुनया क9 पहल" मोबाइल ऐप (Deen-e-Islam) और Cफर दो�त= के

    तक़ाजा पर हािजय= के �लए तीन ज़बान= मD खसूुसी ऐप (Hajj-e-

    Mabroor) लांच क9 गई। Eहदं�ुतान और पाCक�तान के बहुत से

    उलमा ने दोन= ऐपस के �लए �शंसापt �लख कर अवाम व 'वास से

    दोन= ऐपस से इि�तफादा करने क9 दरखा�त क9। यह �शंसापt दोन=

    ऐपस का Eह�सा ह�। ज़माने क9 रuतार से चलते हुए क़ुरान व हद"स

    क9 रौशनी मD मु'तसर द"नी पैगाम खबुसूरत इमेज क9 शकल मD

    मु'त�लफ सूt= से हज़ार= दो�त= को पहंुच रहे ह� जो अवाम व 'वास

    मD काफ9 मक़बू�लयत हा�सल Cकए हुए ह�।

    इन दोन= ऐपस (द"ने इ�लाम और हBजे मvूर) को तीन ज़बान= मD

    लांच करने के �लये मेरे तक़र"बन 200 मज़ामीन का अwेंज़ी और

    EहZद" मD तजुSमा करवाया गया। तजुSमा के साथ ज़बान के माEहर"न

    से एFडEटगं भी कराई गई। EहZद" के तजुSमा मD इस बात का 'याल

    रखा गया Cक तजुSमा आसान ज़बान मD हो ताCक हर आम व खास के

    �लए इि�तफादा करना आसान हो।

  • 7

    से मुतअि

  • Reflections & Testimonials

    8

  • Reflections & Testimonials

    9

  • Reflections & Testimonials

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    हज का मुIतसर और आसान तर�का

    हज क9 तीन CकसमD है:

    (1) तमKतो (2) Lक़रान (3) इफराद

    हNजे तमKतो

    मीकात से �सफS उमरह का एहराम बांधD

    उमरह का तवाफ और सई

    बल मंुडवा कर या कटवा कर एहराम उतार दD

    7 या 8 िज़लEहBजा को हज का एहराम बांधD

    8 िज़लEहBजा को तलXबया पढ़ते हुए �मना चले जाएं

    हNजे Lकरान

    मीकात से हज और उमरह का एक साथ एहराम बांधD

    उमरह का तवाफ और सई

    एहराम ह" क9 हालत मD रहD

    ममनूआत एहराम से बचते रहD

    8 िज़लEहBजा को तलXबया पढ़ते हुए �मना चले जाएं

    हNजे इफराद

    मीकात से �सफS हज का एहराम बांधD

    तवाफे कुदमू (सुZनत) करD

    एहराम ह" क9 हालत मD रहD

    ममनूआत एहराम से बचते रहD

    8 िज़लEहBजा को तलXबया पढ़ते हुए �मना चले जाएं

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    हज का पहला �दन 8 िज़ल�हNजा आज �मना मD क़याम करके ज़ुहर, असर, मगKरब, इशा और 9

    िज़लEहBजा क9 फजर नमाज़ अदा करD। (�मना मD यह पांच= नमाज़D

    अदा और आज क9 रात �मना मD गुज़ारना सुZनत है)

    हज का दसूरा �दन 9 िज़ल�हNजा आज सूबह तलXबया पढ़ते हुए �मना से अरफात के �लए रवाना हो

    जाएं

    अरफात पहंुचकर ज़ुहर और असर क9 नमाज़D वहाँ अदा करD।

    गु%बे गु%बे आफताब तक Cक़बला %ख खड़ ेहो कर खबु दआुएं करD।

    गु%बे आफताब के बाद तलXबया पढ़ते हुए अरफात से मुज़दलफा

    रवाना हो जाएं।

    मुज़दलफा पहंुच कर मगKरब और इशा क9 नमाज़D इशा के वत मD

    अदा करD।

    रात मुज़दलफा मD गुजारD। अलबता औरतD और बीमार लोग आधी

    रात के बाद मुज़दलफा से �मना जा सकते ह�।

    हज का तीसरा �दन 10 िज़ल�हNजा मुज़दलफा मD नमाज़े फजर अदा करके दआुएं करD।

    आफताब Iनकलने से पहले �मना के �लए रवाना हो जाएं।

    �मना पहंुचकर बड़ ेऔर आखर" जमरा पर 7 कंकFड़यां मारD।

    तलXबया पढ़ना बZद कर दD।

    क़ुबाSनी करD।

    बाल मंुडवाएं या कटवाएं।

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    एहराम उतार दD।

    तवाफे िज़यारत यानी हज का तवाफ और हज क9 सई करD।

    (क़ुबाSनी, बाल कटवाने, तवाफे िज़यारत और हज क9 सई को 12

    िज़लEहBजा क9 मगKरब तक मुअ'खर कर सकते ह�)

    हज का चथैा और पाचंवां �दन 11 और 12 िज़ल�हNजा �मना मD क़याम करके तीन= जमरात पर ज़वाल के बाद सात सात

    कंकFड़यां मारD।

    12 िज़लEहBजा को कंकFड़यां मारने के बाद �मना से जा सकते ह�।

    हज का छUा �दन 13 िज़ल�हNजा अगर आप 12 िज़लEहBजा को �मना से रवाना नह"ं हुए तो तीन=

    जमरात पर ज़वाल के बाद कंकFड़यां मारD।

    हज के फराएज़ एहराम, वकूफ अरफा, तवाफे िज़यारत करना बाज़ उलमा ने सई को

    भी हज के फराएज़ मD शुमार Cकया है।

    हज के वािजबात मीक़ात से एहराम के बेगैर न गुज़रना, अरफा के Eदन गु%बे

    आफताब तक मैदाने अरफात मD रहना, मुज़दलफा मD ठहरना, जमरात

    को कंकFड़यां मारना, क़ुबाSनी करना (हBजे इफराद मD वािजब नह"ं),

    सर के बाल मंुडवाना या कटवाना, सई करना, तवाफे Mवदा करना,

    हज के फराएज़ मD से अगर कोई एक फज़S छूट जाए तो हज सह"

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    नह"ं होगा िजसक9 तलाफ9 दम से भी मुमCकन नह"ं अगर वािजबात

    मD से कोई एक वािजब छूट जाए तो हज सह" हो जाएगा मगर बदला

    लािज़म होगी।

    ममनआूते एहराम खशुबु लगाना, नाखनु काटना, िज�म से बाल काटना, मीया बीवी

    वाले खास तअ

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    उमरह का तर�का तलXबया लबैक अ

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    ममनआूते एहराम मद! और औरत\ के )लए खशुबू लगाना, नाखनु या बाल काटना, चहेरा का छुपाना, हमXब�तर"

    करना या हमXब�तर" के असबाब जैसे बोसा वगैरह लेना, जानवर का

    �शकार करना और ऐसा जूता पहनना िजससे पांव के दरमयान क9

    हडडी छुप जाए।

    ममनआूते एहराम )सफ! मद! के )लए �सला हुआ कपड़ा पहनना और सर को टोपी या चादर वगैरह से

    ढांकना।

    मक]हात ेएहराम बदन से मैल दरू करना, साबुन का इ�तेमाल करना, कंघी करना,

    एहराम मD Mपन वगैरह लगाना या एहराम को धागे से बांधना।

    मि�जदे हराम पहंुचने तक बार बार थोड़ी आवाज के साथ तलXबया

    पढ़ते रहD Rय=Cक एहराम क9 हालत मD तलXबया ह" सबसे बेहतर िज़

    है। मRका पहंुचकर सामान वगैरह अपने क़यामगाह पर रख कर वज़ू

    या गु�ल करके उमरह करने के �लए मि�जदे हराम क9 तरफ रवाना

    हो जाएं।

    (2) तवाफ मि�जद मD दाaखल होने वाल" दआु के साथ दायां पैर आगे बढ़ाएं

    और Iनहायत इत�मान के साथ मि�जदे हराम मD दाaखल ह=। खाना

    काबा पर पहल" Iनगाह पड़ने पर अ

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    करके कोई भी दआु मांगे। उसके बाद मताफ मD काबा शर"फ के उस

    कोने के सामने आ जाएं िजसमD हजरे असवद लगा हुआ है और

    उमरह के तवाफ क9 Iनयत कर लD, मदS हज़रात इज़Iतबा भी कर लD

    (यानी एहराम क9 चादर को दाएं बगल के नीच ेसे Iनकाल कर बाएं

    मंूढे के ऊपर डाल लD) Cफर हजरे असवद का बोसा लेकर (अगर

    मुमCकन हो सके) वरना उसक9 जाIनब दोन= हाथ= के ज़Kरये इशारा

    करके Xबि�म

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    (3) सई सफा पहाड़ पर पहंुचकर बेहतर है Cक ज़बान से कहD ‘‘इZन�सफा

    वलमरवता �मन शआएKर

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    तरफ से काट कर एहराम खोल देते ह�, याद रखD Cक ऐसा करना

    जाएज़ नह"ं, ऐसी सूरत मD दम वािजब हो जाएगा बि

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    �सफS तवाफ क9 हालत मD सुZनत है।

    8) तवाफ या सई के दौरान जमात क9 नमाज़ शु% होने लगे या

    थकन हो जाए तो तवाफ या सई को रोक दD Cफर जहाँ से तवाफ या

    सई को बZद Cकया था उसी जगह से शु% कर दD।

    9) तवाफ नफल" हो या फ़ज़S काबा के सात चRकर लगा कर दो

    Kरकात नमाज़ अदा करना न भूलD।

    10) नफल" सई का कोई सबूत नह"ं है।

    11) तवाफ के दौरान बवते ज़%रत बात करना जाएज़ है।

    12) तवाफ मD मदS के �लए रमल और इज़Iतबा करना सुZनत है।

    13) �सफS उमरह के सफर मD तवाफे Mवदा नह"ं है।

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    इ�लाम क़े पाँचवे bकन यानी हज

    कc अह)मयत व फ़ज़ीलत

    अहूर यानी हज क़े Eदन शु% हो चकेु ह�, दIुनया क़े कोने कोने से

    हज़ार= आज़मीने हज, हज का तराना यानी लबैक पढ़ते हुए मRका

    पहँुच रहे ह�, कुछ रा�ते मD ह� और कुछ जाने क़े �लए तैयार ह�, ज

  • 22

    ह� Cक रसूलु

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    फ़ज़ाएल अहाद"स नबवी मD वाKरद हुए ह�, चदं अहाद"स ह�बे ज़ैल ह�:

    1) हज़रत अबु हुरैरा (रिज़य

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    5) हज़रत उमर Xबन आस (रिज़य

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    अफज़ल अमल है, Cकया हम िजहाद न करD? आप स

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    हज कc नेकc लोगो को खाना iखलाना, नरम गुjतग ूकरना

    और सलाम करना 1) हज़रत जाXबर (रिज़य

  • 27

    लबैक कहता है तो उसके साथ उसके दाएं और बाएं जाIनब जो

    पथर, पेड़ और ढेले वगैरह होते ह� वह भी लबैक कहते ह� और इसी

    तरह ज़मीन क9 इंIतहा तक यह �सल�सला चलता रहता है (यानी हर

    चीज़ साथ मD लबैक कहती है)। (Iत�मSज़ी, इने माजा)

    बतैुgलाह का तवाफ़ 1) हज़रत अद

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    था लेCकन लोग= के गुनाह= ने उसे �सयाह कर Eदया। (Iत�मSज़ी)

    3) हज़रत अद

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    तेर" क़ौम ने बैतु

  • 30

    बताओ तो) यह लोग मुझसे Cकया चाहते ह�। (मुि�लम)

    हज या उमरह के सफर मY इंlतक़ाल 1) हज़रत अबु हुरैरा (रिज़य

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    हज से मुतअिgलक औरत\ के खुसूसी मसाइल

    मदS हज़रात क9 तरह हज क9 अदाएगी औरतD भी करती ह� मगर

    उनक9 चंद Cफतर" आदात क9 Xबना पर कुछ मसाइल मD मदS हज़रात

    से फकS मौजूद है, िजसक9 वजह से उनके बाज़ मसाइल मदS हज़रात

    से मु'त�लफ ह�, िजनका जानना हज क9 अदाएगी करने वाल" हर

    औरत के �लए ज़%र" है। हज से मुतअि

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    अपनी बीवी के साथ हज करो। (बुखार" व मुि�लम)

    3) औरत= के �लए भी एहराम से पहले हर तरह क9 पाक9ज़गी

    हा�सल करना और गूसल करना मसनून है, खाह नापाक9 क9 ह"

    हालत मD ह=।

    4) औरत= के एहराम के �लए कोई खास �लबास नह"ं है, बस आम

    �लबास पहन कर दो Kरकात नमाज़ पढ़ लD और Iनयत करके

    अEह�ता से तलXबया पढ़ लD।

    5) एहराम बांधने के वत माहवार" आ रह" हो तो एहराम बांधने का

    तर"का यह है Cक गूसल करD या �सफS वजू करD, अलबता गूसल

    करना अफज़ल है, नमाज़ न पढ़े बि

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    हज़रात सामने आ जाऐं तो चहेरा पर Iनकाब डाल लD। अगर कुछ

    वत के �लए चहेरा पर Iनकाब पड़ी रह जाए या कुछ वत के �लए

    मदS के सामने चहेरा खलु जाए तो कोई दम वगैरह लािज़म नह"ं और

    इंशाअ

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    सफर मD) रसूले अकरम स

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    14) अगर Cकसी औरत को तवाफ के दौरान हैज़ आ जाए तो फौरन

    तवाफ बZद कर दे और मि�जद से बाहर चल" जाए।

    15) औरतD तवाफ मD रमल (अकड़ कर चलना) न करD, यह �सफS मदS

    के �लए है।

    16) भीड होने क9 सूरत मD औरतD हजरे असवद का बोसा लेने क9

    को�शश न करD, बस दरू से इशारा करने पर इकIतफा करD। इसी तरह

    भीड़ होने क9 सूरत मD %कने यमानी को भी न छूऐं। सह" बुखार"

    (Cकताबुल हज) क9 हद"स मD है Cक हज़रत आईशा (रिज़य

  • 36

    तवाफ करD Cक जमाअत खड़ी होने से काफ9 पहले ह" तवाफ से

    फाKरग हो जाएं।

    21) औरतD भी अपने माँ बाप और Kरशतेदार क9 तरफ से नफल"

    उमरे कर सकती ह�।

    22) तलXबया हमेशा अEह�ता आवाज से पढ़D।

    23) �मना, अरफात और मुज़दलफा के क़याम के दौरान हर नमाज़

    को अपनी क़यामगाह ह" मD पढ़D।

    24) हुजूर अकरम स

  • 37

    यानी पूरा ऊंट या पूर" गाए (हुददेू हरम के अदंर) ज़बह करना वािजब

    होगा।

    30) माहवार" क9 हालत मD अगर तवाफे िज़यारत Cकया मगर Cफर

    पाक हो कर दोबारा कर �लया तो बुदना यानी पूरे ऊंट या पूर" गाए

    क9 कुबाSनी वािजब नह"ं।

    31) तवाफे िज़यारत (हज का तवाफ) का वत 10 िज़लEहBजा से

    12 िज़लEहBजा के गो%बे आफताब तक है। बाज़ उलमा ने 13

    िज़लEहBजा तक वत तहर"र Cकया है। इन Eदन= मD अगर Cकसी

    औरत को माहवार" आती रह" तो वह तवाफे िज़यारत न करे बि

  • 38

    कर सकती है। यह तवाफे िज़यारत शरअन मोतबर होगा और वह पूरे

    तौर पर हलाल हो जाएगी लेCकन उसपर एक बुदना (यानी पूरा ऊंट

    या पूर" गाए) क9 कुबाSनी बतौर हुददेू हरम मD लािज़म होगी, यह दम

    उसी वत देना ज़%र" नह"ं बि

  • 39

    के वत िजतने चाहD तवाफ करे और िजतनी चाहे नमाजD पढ़D। दसूर"

    नमाज़ का वत दाaखल होने पर दोबारा वजू करे। अगर तवाफ पूरा

    होने से पहले ह" दसूर" नमाज़ का वत दाaखल हो जाए तो वजू

    करके तवाफ को पूरा करे।

    37) बाज़ औरत= को हज या उमरह का एहराम बांधने के वत या

    उनको अदा करने के दौरान माहवार" आ जाती है िजसक9 वजह से

    हज या उमरह अदा करने मे %कावट पैदा हो जाती है और बाज़

    मरतबा क़याम क9 मुLत खम होने या मु'तसर होने क9 वजह से

    स'त दशुवार" लाEहक हो जाती है, इस �लए िजन औरत= को हज या

    उमरह अदा करने के दौरान माहवार" आने का डर हो और वह �सफS

    चदं Eदन= के टूर पर हज क9 अदाएगी के �लए जा रह" है जैसा Cक

    सउद" अरब मD रहने वाले हज़रात चदं Eदन= के �लए जाते ह� तो उन

    के �लए यह मशMवरा है Cक वह Cकसी लेडी डाRटर से अपनी सेहत

    के मुताXबक आरज़ी तौर पर माहवार" रोकने वाल" दवा तजवीज़ करा

    लD और इ�तेमाल करD ताCक हज व उमरह के अरकान अदा करने मD

    कोई उलझन पेश न आए। शरई �लहाज से ऐसी दवाऐं इ�तेमाल

    करने क9 गुंजाइश है।

    38) हरमैन मD तकर"बन हर नमाज़ के बाद जनाज़ह क9 नमाज़ होती

    है, औरतD भी इसमD शर"क हो सकती ह�।

  • 40

    तवाफ और सई के अहकाम व मसाइल

    तवाफ कc फज़ीलत 1) हज़रत अद

  • 41

    अकरम स

  • 42

    होता।

    4) तवाफे Mवदा "यानी म�का से रवानगी के व�त का तवाफ" (यह

    मीक़ात से बाहर रहने वाले आफाक़9 के �लए ज़%र" है)।

    हज मY ज़]र� तवाफ कc तादाद हBजे तमतो मD तीन अदद "तवाफे उमरह, तवाफे िज़यारत और

    आफाक़9 के �लए तवाफे Mवदा।"

    हBजे Cक़रान मD तीन अदद "तवाफे उमरह, तवाफे िज़यारत और

    आफाक़9 के �लए तवाफे Mवदा।"

    हBजे इफराद मD दो अदद "तवाफे िज़यारत और आफाक़9 के �लए

    तवाफे Mवदा"

    आफाक़c- पांच मीकात= से बाहर रहने वाल= को आफाक़9 कहा जाता है यानी अहले हरम और अहले Eहल के अलावा पूर" दIुनया के लोग

    आफाक़9 ह�। अगर Cकसी औरत को रवानगी के वRत माहवार" आ

    जाए तो उसके �लए तवाफे Mवदा माफ है।

    नफल� तवाफ नफल" तवाफ क9 कोई तादाद नह"ं, रात या Eदन मD जब चाहD और

    िजतने चाहD करD। बाहर से आने वाले हज़रात मि�जदे हराम मD

    नफल" नमाज़ पढ़ने के बजाए नफल" तवाफ Bयादा करD। अहले हरम

    और अहले Eहल को हBजे इफराद ह" करना चाEहए ताCक आफाक़9

    लोग Bयादा से Bयादा नफल" तवाफ कर सकD । याद रखD Cक हर

    नफल" तवाफ के बाद भी दो Kरकात नमाज़ अदा करना ज%र" है।

  • 43

    (वजाहत) दो तवाफ एक साथ करना मक%ह है Cक तवाफ क9 दो Kरकात

    दरमयान मD अदा न करD, �लहाजा उस वRत नमाज़ पढ़ना मक%ह हो

    तो दो तवाफ= का इकटठा करना जाएज़ है। सउद" अरब मD असर क9

    नमाज़ अQवल वRत मD अदा क9 जाती है और असर और मगKरब के

    दरमयान अ¡छा खासा वाRत खास कर ग�मSय= मD तकर"बन तीन घंटे

    होते ह�, अगर तवाफ से असर क9 नमाज़ के बाद फरागत हुई और

    मगKरब तक काफ9 वRत बाक9 है तो तवाफ क9 दो Kरकात उस वRत

    अदा कर सकते ह�, अलबता अगर मगKरब का वRत कर"ब आ गया

    है तो Cफर आफताब डूबने के बाद ह" अदा करD।

    (अहम मसअला) माज़ूर (िजसको बीमार" हो) श'स िजसका वज़ू नह"ं ठहरता (मसलन

    कोई ज'म जार" है या पेशाब के कतरात मुसलसल �गरते रहते ह� या

    औरत को बीमार" का खून आ रहा है) तो उसके �लए हुकुम यह है

    Cक वह नमाज़ के एक वRत मD वज़ू करे Cफर उस वज़ू से उस वRत

    मD िजतने चाहे तवाफ करे, नमाजD पढ़े और क़ुरान क9 Iतलावत करे,

    दसूर" नमाज़ का वRत दाaखल होते ह" वज़ू टूट जाएगा। अगर तवाफ

    पूरा होने से पहले ह" दसूर" नमाज़ का वRत दाaखल हो जाए तो वज़ू

    करके तवाफ पूरा करे।

    तवाफ के दौरान जाएज़ काम 1) सलाम करना और बवRते ज%रत बात करना।

    2) ज%रत के वRत तवाफ को रोकना।

  • 44

    3) मसाइले शरईया बताना और दरयाuत करना।

    4) Cकसी बीमार" क9 वजह से वह"ल कुस¢ पर तवाफ करना।

    तवाफ करने का तर�का मि�जदे हराम मD दाaखल हो कर काबा शर"फ के उस कोना के

    सामने आ जाऐं िजसमD हजरे असवद लगा हुआ है और तवाफ क9

    Iनयत कर लD। अगर तवाफ के बाद उमरह क9 सई भी करनी है तो

    मदS हज़रात इज़Iतबा कर लD (यानी एहराम क9 चादर को दाएं बगल

    के नीच े से Iनकाल कर बाएं मँूढे के ऊपर डाल लD) Cफर ज़बान से

    Xबि�म

  • 45

    असवद के दरयमान चलते हुए यह दआु पढ़D ‘‘रkबना अlतना

    Lफmुlनया आiखर तक) Cफर हजरे असवद के सामने पहंुच कर

    Xबि�म

  • 46

    तवाफ करDगे तो वह मुतबर नह"ं होगा।

    8) अगर Cकसी औरत को तवाफ के दौरान हैज़ आ जाए तो फौरन

    तवाफ बZद कर दे और मि�जद से बाहर चल" जाऐ।

    9) औरतD तवाफ मD रमल (अकड़ कर चलना) न करD, यह �सफS मदS

    के �लए है।

    10) तवाफ िज़यारत (हज का तवाफ) का वRत 10 िजलEहBजा के

    गु%बे आफताब तक है। बाज़ उलमा ने 13 िज़लEहBजा तक वRत

    �लखा है। इन Eदन= मD अगर Cकसी औरत को माहवार" आती रह" तो

    वह तवाफे िज़यारत न करे बि

  • 47

    तकल"फ होती है, बि

  • 48

    हज मY ज़]र� सई कc तादाद हBजे इफराद मD एक अदद (�सफS हज क9)।

    हBजे Cक़रान मD दो अदद (एक उमरह क9 और एक हज क9। बाज़

    उलमा ने कहा है Cक हBजे Cक़रान मD एक सई भी काफ9 है)।

    हBजे तमतो मD दो अदद (एक उमरह क9 और एक हज क9)।

    नफल� सई - नफल" सई का कोई सबूत नह"ं है।

    सई के बाज़ अहकाम 1) सई से पहले तवाफ का होना।

    2) सफा से सई क9 इितदा करके मरवा पर सात चRकर पूरे करना।

    3) सफा पहाड़ी पर थोड़ा चढ़कर Cकबला %ख खड़ े होकर दआुएं

    करना।

    4) मदS हज़रात का सज सुतून= के दरमयान थोड़ा तेज़ तेज़ चलना।

    5) मरवा पहाड़ी पर पहंुच कर Cकबला %ख खड़ े हो कर दआुएं

    मांगना।

    6) सफा और मरवा के दरमयान चलते चलते कोई भी दआु बेगैर

    हाथ उठाए मांगना या अ

  • 49

    4) Cकसी बीमार" क9 वजह से Qह"लचयेर पर सई करना।

    सई करने का तर�का सफा पर पहंुच कर बेहतर है Cक ज़बान से कहे ‘‘अबदअु Xबमा

    बदअgलाहु Xब�ह आiखर तक‘‘ Cफर खाना काबा क9 तरफ %ख करके

    दआु क9 तरह हाथ उठा लD और तीन मरतबा अ

  • 50

    सई से मतुअिgलक चंद मसाइल 1) सई के �लए वज़ू का होना ज%र" नह"ं अलबता अफज़ल व

    बेहतर है। हैज़ (माहवार") और Iनफास क9 हालत मD भी सई क9 जा

    सकती है यानी अगर Cकसी औरत को तवाफ से फरागत के बाद

    माहवार" आ जाए तो वह सई नापाक9 क9 हालत मD कर सकती है

    लेCकन उसको चाEहए Cक वह सई से फरागत के बाद मरवा क9

    जाIनब से बाहर चल" जाए, मि�जदे हराम मD दाaखल न हो।

    अलबता तवाफ हैज़ या Iनफास क9 हालत मD हर�गज़ न करे बि

  • 51

    हNजे Lक़रान मY तवाफ और सई कc तादाद

    हज क9 तीन CकसमD ह�- (1) तमतो (2) Cक़रान (3) इफ़राद

    हBजे तमतो मD मीक़ात से �सफS उमरह का एहराम बांधा जाता है।

    तवाफ, सई और हलक़ या क़§ करके यानी उमरह क9 अदाएगी से

    फरागत के बाद एहराम उतार Eदया जाता है Cफर 7 या 8

    िज़लEहBजा को मRका ह" से हज का एहराम बांध कर �मना जा कर

    दसूरे हािजय= क9 तरह हज के आमाल Cकए जाते ह�।

    हBजे Cक़रान मD मीक़ात से हज व उमरह का एक साथ एहराम बांधा

    जाता है। उमरह के तवाफ और सई से फरागत के बाद न बाल

    कटवाए जाते ह� और एहराम उतारा जाता है, Cफर तवाफे कुदमू कर

    �लया जाता है जो हBजे Cक़रान वाल= के �लए सुZनत है। Cफर �मना

    जा कर दसूरे हािजय= क9 तरह हज के आमाल Cकए जाते ह�।

    हBजे इफ़राद मD मीक़ात से �सफS हज का एहराम बांधा जाता है,

    कुदमू (जो Cक सुZनत है) करके �मना जा कर दसूरे हािजय= क9 तरह

    हज के आमाल Cकए जाते ह�। हBजे तमतो और हBजे Cक़रान मD

    शुुया हज क9 क़ुबाSनी करना वािजब है जबCक इफ़राद मD मु�तहब

    है।

    गरज़ ये Cक हBजे Cक़रान और हBजे तमतो मD हज के साथ उमरह

    क9 अदाएगी क9 वजह से एक तवाफ उमरह का और एक तवाफ हज

    का इसी तरह एक सई उमरह क9 और एक सई हज क9 अदा करनी

    होती है, जबCक मीक़ात के बाहर से आन ेवाल= के �लए तवाफे Mवदा

    भी ज़%र" है। इस तरह हज मD ज़%र" तवाफ क9 तादाद अहाद"से

    नबMवया क9 रौशनी मD उलमा-ए-अहनाफ क9 राय मD ह�बे ज़ैल ह�।

  • 52

    हज मY ज़]र� तवाफ कc तादाद हBजे तमतो मD तीन अदद- (तवाफे उमरह, तवाफे िज़यारत िज़यारत

    और आफाक़9 के �लए तवाफे Mवदा)।

    हBजे Cक़रान मD तीन अदद- (तवाफे उमरह, तवाफे िज़यारत और

    आफाक़9 के �लए तवाफे Mवदा)।

    हBजे इफ़राद मD दो अदद- (तवाफे िज़यारत और आफाक़9 के �लए

    तवाफे Mवदा)।

    हBजे इफ़राद और हBजे Cक़रान मD तवाफे कुदमू भी सुZनत है, इस

    तरह उलमा-ए-अहनाफ के राय मD हBजे Cक़रान करने वाल= को चार

    तवाफ करने चाEहए, सबसे पहले तवाफे उमरह िजसके बाद उमरह

    क9 सई भी करनी होती है, दसूरे तवाफे कुदमू जो सुZनत है, तीसरे

    तवाफे इफाज़ा या तवाफे िज़यारत िजसको हज का तवाफ भी कहा

    जाता है, इसके बाद हज क9 सई भी होती है बशSतेCक तवाफ कुदमू

    के साथ न क9 हो। चथेै तवाफे Mवदा जो आफाक़9 के �लए वािजब है

    अलबता तवाफे Mवदा ऐसी औरत के �लए माफ है िजसको रवानगी

    के वत माहवार" आ जाए। गरज़ ये Cक उलमा-ए-अहनाफ के

    नज़द"क हBजे तमतो क9 तरह हBजे Cक़रान मD भी उमरह का अलग

    अलग तवाफ करना ज़%र" है। इस तरह उलमा-ए-अहनाफ के नज़द"क

    हBजे तमतो और हBजे Cक़रान मD �सफS यह फकS होगा Cक हBजे

    तमतो मD उमरह करके एहराम उतार Eदया जाता है और Cफर मRका

    ह" से हज का एहराम बांधा जाता है जबCक हBजे Cक़रान मD एक ह"

    एहराम से दोन= क9 अदाएगी क9 जाती है बाक9 सारे आमाल एक

    जैसे ह�।

    EहZद व पाक के जमहूर उलमा (जो मु'तलफ फ9 मसाइल मD 80

  • 53

    Eहजर" मD पैदा हुए मशहूर व मा%फ फक9ह व मुहLीस हज़रत हज़रत

    इमाम अबु हनीफा क9 राय को तरजीह देते ह�) क9 भी यह" राय है

    Cक हBजे Cक़रान मD एक तवाफ उमरह और हज दोन= के �लए काफ9

    नह"ं होगा बि

  • 54

    मुतSज़ा, हज़रत अद

  • 55

    उलमा-ए-अहनाफ के बाज़ दलाएल हज़रत अद

  • 56

    Cकया था और उZह=ने (हज़रत अल") ने इZहD (हज़रत इvाEहम के

    वा�लद) बताया Cक रसूले अकरम स

  • 57

    मुसZनफ इने अबी शैबा मD ह" हज़रत हसन Xबन अल" रिज़य

  • 58

    ऐसा तवाफ आप स

  • 59

    खुलासा कलाम मौजू बहस मसअला मD ज़माना ए क़द"म से इखIतलाफ चला आ रहा

    है, दोन= मकाIतबे Cफ के पास दलाएल मौजूद ह�। अइ�मा सलासा

    क9 राय िजन अहाद"स पर मबनी है वह सनद के एतबार से तो

    मजबूत ह� लेCकन उनके ज़ाEहर" मफहूम Cकसी के नज़द"क मुराद नह"ं

    है बि

  • 60

    हुNजाजे Lकराम के )लए 10 िज़ल�हNजा के आमाल मY तरतीब

    10 िज़लEहBजा का Eदन हुBजाजे Cकराम के �लए काफ9 मस%फ Eदन

    होता है, हुBजाजे Cकराम के �लए दस िज़लEहBजा से मुतअि

  • 61

    अपने सर के दाEहनी तरफ इशारा Cकया और Cफर बाएं जाIनब इशारा

    Cकया और अपने बाल लोग= के देने शु% कर Eदए।

    नीज़ सह" मुि�लम मD है Cक हज़रत जाXबर (रिज़य

  • 62

    क़ुबाSनी मD भी तरतीब ज़%र" नह"ं है। हज़रत इमाम अबु हनीफा क9

    राय मD हBजे Cक़रान और हBजे तमतो करन े वाले के �लए रमी,

    क़ुबाSनी और हलक़ या क़§ मD तरतीब ज़%र" है चनुांच ेहज़रत इमाम

    अबु हनीफा क9 राय मD रमी, क़ुबाSनी और हलक़ या क़§ मD तरतीब

    क9 aखलाफवरज़ी क9 सूरत मD दम वािजब होगा। लेCकन हज़रत

    इमाम अबु हनीफा के नुक़तए नजर क9 बाबत यह बात ज़%र मलहूज

    रखD Cक अगर कोई श'स मसाइल के न मालूम होने क9 Xबना पर

    तरतीब क9 aखलाफवरज़ी करे तो खदु हज़रत इमाम अबु हनीफा के

    नज़द"क भी दम वािजब नह"ं होगा, हज़रत इमाम अबु हनीफा के

    मशहूर शा�गदS हज़रत इमाम मोह�मद ने खुद इसक9 वज़ाहत फरमाई

    है। हज़रत इमाम अबु हनीफा क9 दल"ल हज़रत अद

  • 63

    अमल के �लए जो वत मुक़रSर है मसलन पहले रमी Cफर क़ुबाSनी

    और Cफर हलक़ या क़§ तो मुक़रSर वत से ताखीर यानी तरतीब के

    बदलने पर दम आना चाEहए।

    हज़रत इमाम मा�लक क9 राय है Cक रमी से पहले हलक़ या क़§

    कराने वाले पर दम वािजब होगा। (अलमदनुल कुबरा िज

  • 64

    तकद"म और ताखीर से मुतअि

  • 65

    का खयाल नह"ं रखा जाता है तो Rया उसके हल के �लए अदमे

    वजूब के काएल"न और अहनाफ मD साEहबैन के क़ौल को इखIतयार

    Cकया जा सकता है? इस मौजू पर बहुत से मुफIतयाने Cकराम न े

    अपने क़9मती मक़ाले तहर"र Cकए ह�। अRसर मुफIतयाने Cकराम क9

    राय पर यह फैसला Cकया गया Cक जमहूर और साEहबैन क9 राय भी

    कवी दल"ल पर मबनी है और यह भी एक हक9कत है Cक िजन

    मसाइल मD हज़रत इमाम अबु हनीफा और सEहबैन के दरमयान

    इखIतलाफ हो उनमD साEहबैन क9 राय को तरजीह देना असहाबे

    इफता के यहाँ कोई नाEदर नह"ं है, चनुांच े फैसला Cकया गया Cक

    हुBजाजे Cकराम को चाEहए Cक जहाँ तक मुमCकन तो तरतीब क9

    Kरआयत को मलहूज़ रखD और यह" मतलूब व मकसूद है ताहम भीड़,

    मौसम क9 �शLत और मज़बह क9 दरू" वगैरह क9 वजह से साEहबैन

    और अइ�मा सलासा के क़ौल पर अमल करने क9 गुनजाइश है,

    �लहाज़ा अगर यह मना�सक तरतीब के aखलाफ ह= तो दम वािजब

    नह"ं होगा।

    इन Eदन= बाज़ हज़रात हुज़ूर अकरम स

  • 66

    इन आमाल मD से जो चाहD कर लD। यह यक़9नन शर"अते इ�ला�मया

    क9 %ह के aखलाफ है, उलमा-ए-Cकराम को चाEहए Cक वह आज़मीने

    हज को यह" ताल"म दD Cक 10 िज़लEहBजा के आमाल उसी तरतीब

    से करD िजस तरतीब से हुज़ूर अकरम स

  • 67

    बाल उसी वत मंुडवाएं या कटवाएं जब हम कंकFड़यां मार चकेु ह=

    और काफ9 हद तक यह यक़9न हो जाए Cक हमार" क़ुबाSनी हो गई

    होगी।

  • 68

    जमरात पर कंकrड़यां मारने के अहम मसाइल

    रमी- जमरात पर कंकFड़यां मारने को कहते ह�।

    जमरात- यह �मना मD तीन मशहुर मक़ाम है जहाँ अब द"वार क9 शकल मD बड़ ेबड़ ेसुतून बने हुए ह�। अ

  • 69

    (यानी 21 कंकFड़यां मारना) इखIतयार" है, अगर 12 िज़लEहBजा के

    बाद आने वाल" रात मD �मना मD क़याम Cकया तो Cफर 13 िजलEहजा

    का रमी (21 कंकFड़या मारना) ज%र" होगी, इस तरह 13 िज़लEहBजा

    तक 70 कंकFड़यां इ�तेमाल मD आएंगी।

    रमी कc फज़ीलत - हजरत अद

  • 70

    आफताब Iनकलने से ज़वाल तक है, अलबता आफताब डूबने तक

    भी बेगैर Cकसी कराEहयत के कंकFड़यां मार" जा सकती ह�। अगर

    आफताब डूबन ेतक भी रमी न कर सके तो सुबह तक भी रमी क9

    जा सकती है। बाज़ उलमा-ए-Cकराम ने 10 िज़लEहBजा को आफताब

    Iनकलने के बजाए सुबह साEदक से ह" कंकFड़यां मारने क9 इजाज़त

    द" है। गरज़ ये Cक 10 िज़लEहBजा को तकर"बन 24 घंटे रमी क9

    जा सकती है।

    रमी का तर�का- �मना पहंुच कर सबसे पहले बड़ े और आखर" जमरा को सात कंकFड़यां मारD, कंकFड़यां मारने का तर"का यह है Cक

    बड़ ेजमरे से थोड़ ेदरू" पर खड़ ेह= और सात दफा मD दाEहने हाथ से

    सात कंकFड़यां मारD, हर मरतबा Xबि�म

  • 71

    कह कर मारD। उसके बाद थोड़ा आगे बढ़ कर दाएं या बाएं जाIनब हो

    जाएं और Cक़बला %ख हो कर हाथ उठा कर खबु दआुएं करD। उसके

    बाद बीच वाले जमरा पर सात कंकFड़यां मारD और बाएं या दाएं

    जाIनब हो कर खबु दआुएं करD Cफर तीसरे और बड़ ेजमरा पर सात

    कंकFड़यां मारD और बेगैर दआु के चले जाएं।

    (नोट) ªयारहवीं और बारहवीं िज़लEहBजा को जवाल से पहले कंकFड़यां मारना जाएज़ नह"ं। ज़वाल से पहले मारने क9 सूरत मD

    दोबारह ज़वाल के बाद कंकFड़यां मारनी ज़%र" होगी वरना दम

    लािज़म होगा। Cकसी भी मकतबा ए Cफ ने 11 और 12

    िज़लEहBजा से पहले रमी करने क9 इजाज़त नह"ं द" है। जब ज़वाले

    आफताब से सुबह तक यानी तक़र"बन 17 घंटे तक रमी क9 जा

    सकती है नीज़ रात मD जमरात पर कोई भीड़ भी नह"ं होती तो

    ज़वाल से पहले रमी क9 गुनजाईश क9 बात करना सह" नह"ं है।

    दसूरे कc तरफ से कंकrड़या ं मारना- ªयारहवीं, बारहवीं और तेरहवीं को दसूरे क9 तरफ से कंकFडयां मारने का तर"का यह है Cक

    हर एक जमरा पर अपनी सात कंकFडयां मारन े के बाद दसूरे क9

    तरफ से कंकFड़यां मारD।

    म�का को वापसी- 12 िज़लEहBजा को तीन= जमरात पर कंकFड़यां मारने के बाद �मना से जा सकते ह� लेCकन सूरज ग़%ुब होने से पहले

    रवाना हो जाएं।

    (वज़ाहत) अगर बारहवीं को �मना से जाने का इरादा हो तो सूरज ग़%ुब होने से पहले �मना से रवाना हो जाएं। ग़%ुबे आफताब के बाद

    तेरहवीं को कंकFड़यां मारे बेगैर जाना मक%ह है, गोCक तेरहवीं क9

  • 72

    कंकFड़यां मारना हजरत इमाम अबु हनीफा क9 राय के मुताXबक

    वािजब न हो गी लेCकन अगर तेरहवीं क9 सुबहे साEदक �मना मD हो

    गई तो तेरहवीं क9 रमी (कंकFड़यां मारना) ज़%र" हो जाएगी। अब

    अगर कंकFड़यां मारे बेगैर जाएंगे तो दम लािज़मम होगा। दसूरे

    उलमा क9 राय के मुताXबक अगर 12 िज़लEहBजा को ग़%ुबे आफताब

    �मना मD हो गया तो 13 िज़लEहBजा क9 कंकFड़यां मारना वािजब हो

    गया। लेCकन अगर कोई श'स 12 िज़लEहBजा को �मना से रवाना

    होने के �लए Xब

  • 73

    चंद वज़ाहतY तलXबया जो एहराम बांधने से बराबर पढ़ रहे थे दसवीं िज़लEहBजा

    को बड़ ेजमरा पर पहल" कंकड़ी मारने के साथ ह" बZद कर दD।

    दसवीं िज़लEहBजा को �सफS बड़ ेजमरा (जो मRका क9 तरफ है) को

    कंकFड़यां मार" जाती ह�।

    एक दफा मD सात= कंकFड़यां मारने पर एक ह" शुमार होगी, �लहाज़ा

    छः कंकFड़यां मारD वरना दम लािज़म होगा।

    कंकड़ी का जमरा पर लगना ज%र" नह"ं बि

  • 74

    क9 तादाद मD शक हो गया तो बेहतर है Cक शक वाल" कंकड़ी को

    दोबारह मार दD।

    अगर तमाम Eदन= क9 रमी (कंकFड़यां मारना) Xब

  • 75

    हुNजाजे Lकराम कc बाज़ गलlतयां

    हज ऐसी इबादत है जो िज़Zदगी मD एक मतSबा साहबे इि�तताअत पर

    फ़ज़S है, अगरच ेएक से Tयादा मतSबा हज क9 अदायगी क9 तरग़ीब

    हुज़ूर अकरम स

  • 76

    1) हज के अख़राजात मD हराम माल का इ�तेमाल करना- हज और

    उमरह के �लए �सफS पाक9ज़ा हलाल कमाई मD से खचS करना चाEहए

    Rय=Cक रसूलु

  • 77

    3) बाज़ लोग= ने मशहूर कर रखा है Cक अगर Cकसी ने उमरह Cकया

    तो उस पर हज फ़ज़S हो गया, यह गलत है। अगर वह साहबे

    इि�तताअत नह"ं है याIन अगर उसके पास इतना माल नह"ं है Cक

    वह हज अदा कर सके तो उस पर उमरह क9 अदायगी क9 वजह से

    हज फ़ज़S नह"ं होता है अगरच े वह उमरह हज के मह"न= मD अदा

    Cकया जाये Cफर भी उमरह क9 अदायगी क9 वजह से हज फ़ज़S नह"ं

    होगा।

    4) अपनी तरफ से हज Cकये बगैर दसूरे क9 जाIनब से हBजे बदल

    करना।

    5) सफर हज के दौरान इन नमाज़= का एहIतमाम न करना, याद

    रखD Cक अगर ग़फ़लत क9 वजह से एक वत क9 नमाज़ भी छूट गई

    तो मि�जदे हराम क9 सौ नफल= से भी इसक9 तलाफ़9 नह"ं हो सकती

    है, नीज़ जो लोग नमाज़ का एहIतमाम नह"ं करते वह हज क9

    बरकात से मह%म रहते ह� और उनका हज मक़बूल नह"ं होता है।

    6) हज के इस अज़ीम सफर के दौरान लड़ना झगड़ना यहाँ तक Cक

    Cकसी पर गु�सा होना भी गलत है। अ

  • 78

    जाना है, �लहाज़ा हवाई जहाज़ पर सवार होने वाले हज़रात एयरपोटS

    पर ह" एहराम बांध लD या एहराम लेकर हवाई जहाज़ मD सवार हो

    जाए और मीक़ात से पहले पहले बांध लD।

    8) बाज़ हज़रात शु% ह" से इज़Iतबा (याIन दाEहनी बग़ल के नीच ेसे

    एहराम क9 चादर Iनकाल कर बाएं कंधे पर डालना) करते ह�, यह

    गलत है बि

  • 79

    भी तवाफ़ के दौरान न छुएं, अलबता तवाफ़ और नमाज़ से फ़राग़त

    के बाद मु

  • 80

    क9 तरह) हाथ का बोसा देना गलत है।

    17) तवाफ़ और सई के हर चRकर के �लए म_सूस दआु को ज़%र"

    समझना गलत है, बि

  • 81

    तरफ पीठ करके दआु मांगना गलत है, बि

  • 82

    कंकKरयाँ मार" जा सकती ह�, बाज़ फुक़हा ने सुबह साEदक़ के बाद से

    कंकKरयाँ मारने क9 इजाज़त द" है मगर 11 और 12 िज़लEहBजा को

    आफ़ताब याIन ज़ूहर क9 अज़ान के बाद ह" कंकKरयाँ मार" जा सकती

    ह�, हां अगर कोई श'स गु%ब आफताब से पहले कंकKरयाँ न मार

    सका तो हर Eदन क9 कंकKरयाँ उस Eदन के बाद आने वाल" रात मD

    भी मार सकता है।

    31) बाज़ लोग कंकKरयाँ मारते वत यह समझते ह� Cक इस जगह

    शैतान है इस�लए कभी कभी देखा जाता है Cक वह उसको गाल"

    बकते ह� और जूता वगैरह भी मार देते ह�, इसक9 कोई हक9कत नह"ं

    बि

  • 83

    33) बाज़ हज़रात 11, 12 और 13 िज़लEहBजा को पहले जमरह

    और बीच वाले जमरह पर कंकKरयाँ मारने क़े बाद दआुएं नह"ं करते,

    यह सुZनत क़े aखलाफ है, �लहाज़ा पहले और बीच वाले जमरह पर

    कंकKरयां मार कर थोड़ा दायD या बाएं जाIनब हट कर खबू दआुएं

    करD, यह दआुओं क़े क़बूल होने क़े खास औकात ह�।

    34) बाज़ लोग 12 िज़लEहBजा क9 सुबह को �मना से मRका तवाफ़

    Mवदा करने के �लए जाते ह� और Cफर �मना वापस आकर आज क9

    कंकKरयाँ ज़वाल क़े बाद मारते ह� और यह"ं से अपने शहर को सफर

    कर जाते ह�। यह गलत है, Rय=Cक आज क9 कंकKरयाँ मारने क़े बाद

    ह" तवाफ़ Mवदा करना चाEहए।

  • 84

    nरयाज़ से जmह जात ेहुए

    उमरह करने वाल\ के )लए ज़]र� व अहम �हदायात

    अगर कोई श'स Kरयाज़ से जLह Cकसी काम से या Cकसी श'स से

    मुलाक़ात के �लए जा रहा है और साथ मD यह भी Iनयत है Cक काम

    या मुलाक़ात से फरागत के बाद मRका मुकरSमा उमरह क9 अदाएगी

    के �लए जाना है तो इस श'स के �लए जLा से एहराम बांधना काफ9

    नह"ं होगा। बि

  • 85

    अलामत के तौर पर Eहल बनी हुई है।

    (वज़ाहत) इस मौज़ू पर म�ने िजतनी भी CकताबD पढ़" ह� या िजन

    उलमा से सवाल Cकया है चाहे अरब ह= या गैर अरब। सबक9 एक ह"

    राय मालूम हुई Cक उमरह क9 Iनयत के साथ Kरयाज़ से रवाना होने

    वाला श'स जLा से एहराम नह"ं बांध सकता है।

    (नोट)

    1) Kरयाज़ से जLा जाने वाला अगर कोई श'स जLा मD काम क9

    मशगू�लयत या Cकसी और वजह से मीक़ात (अ�सैलुल कबीर) से

    एहराम बांधने क9 दशुवार" बदाSशत नह"ं कर सकता है तो बराय

    मेहरबानी इस सफर मD उमरह न करD।

    2) अगर Cकसी श'स ने ऐसा कर �लया यानी Kरयाज़ से जLा के

    �लए चलते वत उमरह क9 अदाएगी का भी इरादा था और Cफर

    जLा मD काम पूरा होने के बाद ह" से उमरह का एहराम बांध �लया

    तो इस श'स के �लए ज़%र" है Cक वह उमरह क9 अदाएगी से पहले

    मीक़ात यानी अ�सैलुल कबीर जा कर दोबारा Iनयत करके तलXबया

    पढ़े और Cफर मRका पहंुच कर उमरह क9 अदाएगी करे वरना

    (Kरयाज़ से रवांगी के वत उमरह क9 Iनयत थी, Cफर जLा से

    एहराम बांध कर उमरह अदा कर �लया तो) उस पर एक दम लािज़म

    हो जाएगा, अलबता यह दम िजZदगी मD Cकसी भी वत Eदया जा

    सकता है।

    3) अगर कोई श'स Kरयाज़ से जLा Cकसी काम से जा रहा है और

    उमरह क9 अदाएगी का कोई इरादा नह"ं है। जLा मD जा कर अचानक

    उमरह क9 अदाएगी का इरादा बन गया तो ऐसी सूरत मD इस श'स

    के �लए जLा से एहराम बांधना जाएज़ है।

  • 86

    4) अगर Kरयाज़ से Cकसी काम के �लए जLा रवांगी के वत उमरह

    क9 अदाएगी क9 Iनयत तो है लेCकन सफर का �ोwाम वाज़ेह न होने

    क9 वजह से उमरह क9 अदाएगी गैर यक9नी है यानी उमरह करे या

    न करे तो गा�लब इमकान को सामने रख कर फैसला Cकया जाएगा।

    यानी Kरयाज़ से रवांगी के वत अगर Bयादा इमकान उमरह करने

    का है तो Cफर जLा से एहराम बांधने क9 इजाजत नह"ं होगी। और

    अगर बहुत कम इमकान उमरह क9 अदाएगी का था मगर जLा जा

    कर उमरह का मुक�मल इरादा हो गया तो Cफर एहराम बांधने क9

    गुनजाइश है।

    5) �सफS इरादा करने या एहराम के कपड़ े पहनने से उमरह क9

    अदाएगी लािज़म नह"ं होती, बि

  • 87

    उमरह मY तवाफे 4वदा ज]र� नह�ं है

    जमहूर उलमा क9 राय है Cक उमरह क9 अदाएगी करने वाल= पर

    अपने शहर या वतन वापसी के वRत तवाफे Mवदा वािजब नह"ं है।

    EहZद�ुतान व पाCक�तान के बहुत से उलमा (जो मु'तलफफ9

    मसाइल मD क़ुरान व सुZनत क9 रोशनी मD हजरत इमाम अबु हनीफा

    रहमतु

  • 88

    उमरह क9 अदाएगी मD तवाफे Mवदा के वािजब होने के �लए दल"ल

    नह"ं बन सकता है Rय=Cक नबी अकरम स

  • 89

    आiखर तक‘‘ को उमरह मD तवाफे Mवदा के वुजूब क9 दल"ल बनाई है

    हालाँCक यह हद"स कमज़ोर है खदु इमाम Iतम¢ज़ी ने इस हद"स को

    Kरवायत करने के बाद हद"स गर"ब कहा है। शैख ना�स%Lीन अलबानी

    (रहमतु

  • 90

    हज / उमरह मY बाल मंुडवाना या छोटा करवाना

    हज/उमरह मD अ

  • 91

    कटवाने वाल= के �लए (भी दआु फरमा द"िजये) लेCकन हुज़ूर

  • 92

    ने वुज़ू के मसह पर क़यास करके कम से कम चौथाई सर के बाल

    काटने क9 शकल मD वुजूब के अदा होने का फैसला Eदया है- �लहाज़ा

    मालूम हुआ Cक चदं बाल सर के एक तरफ से और चदं बाल दसूर"

    तरफ से क� ची से काट कर एहराम खोल देना जायज नह"ं है, ऐसी

    सूरत मD दम वािजब हो जायेगा, �लहाज़ा या तो सर के बाल मंुड़वाएं

    या मशीन Cफरवाये या इस तरह बाल= को कटवाएं Cक पूरे सर के

    बाल कुछ न कुछ कट जाएं। क़ुरान क9 आयत:

    “अपने सर के बाल मंुड़वाओ और छोटा करो” से भी मालूम होता है

    Cक सर पर कEटगं का असर ज़%र ज़ाEहर होना चाEहए, चदं बाल= क9

    कEटगं से यह मकसद हा�सल नह"ं होता है।

    औरतD अपनी चोट" का सर पकड़ कर एक पूरे के बराबर बाल खदु

    काट लD या Cकसी महरम या शौहर से कटवा लD।

    सर के बाल हददेू हरम के अदंर Cकसी भी जगह कटवा सकत ेह� चाहे

    हज अदा कर रहे ह= या उमरह।

    बाल मंुडवाने या कटवाने से पहले नह एहराम खोले और न ह"

    नाख़नू वगैरह काटD वरना दम लािज़म हो जायेगा।

    अगर Cकसी श'स के सर पर बाल ह" नह"ं ह� तो वह ऐसे ह" सर पर

    उ�तरा Cफरवादे और एहराम उतार दे।

    जब हाजी या मोत�मर हज या उमरह के तमाम आमाल से फाKरग़

    हो जाये और �सफS हलक़ या क़सर का अमल बाक9 रह गया है तो

    हाजी या मोत�मर एक दसूरे के बाल कट सकता है।

    बाज़ ने अक़ल" दलाएल क9 रौशनी मD जो �लखा है Cक चदं बाल

    क़सर के �लए काफ9 ह�, उनका मतलूब �सफS ऐसे श'स को दम से

    बचना है जो ऐसी गलती कर चकुा हो, लेCकन उनका पूरा अमल पूरे

  • 93

    सर के बाल मंुडवाने या कटवाने का ह" है, �लहाज़ा जो मदS हज़रात

    अपने बाल= क9 इतनी भी क़ुरबानी नह"ं दे सकत ेCक छोटे करालD तो

    उनसे मेर" दरखा�त है Cक वह िज़Zदगी मD बार बार हज/उमरह न

    करD।

  • 94

    हNजे बदल या उमरह बदल (दसूरे कc जाlनब से हज या उमरह कc अदायगी के अहम मसाइल)

    सऊद" अरब मD मुक़9म हज़रात को दसूरे क9 जाIनब से हज या

    उमरह करने के मसाइल से वाक़Cफयत क9 बहुत स'त ज8रत पड़ती

    है, इस�लए इस मौज़ू से मुताि

  • 95

    तरफ से हज अदा करना। (अबु दाऊद-Cकताबुल मना�सक, इबने

    माजा, सह" इबने Eहबान)

    3) हज़रत अबु रज़ीन अल उक़ैल" (रिज़य

  • 96

    करो। (Iत�मSज़ी)

    6) हज़रत जाXबर (रिज़य

  • 97

    इितफ़ाक़ जाएज़ है चाहे वह माज़ूर श'स पहले हज या उमरह अदा

    कर चकुा हो या नह"ं अलबता हज या उमरह बदल करने वाला

    अपना हज या उमरह अदा कर चकुा हो।

    4) अगर कोई श'स, Cकसी िज़ंदा, सेहतमंद व तंद8�त श'स क9

    जाIनब से हज या उमरह करना चाहे तो इस �सल�सला मD उलमा का

    इि'तलाफ है मगर इहIतयात इसी मD है Cक िज़ंदा, सेहतमंद व

    तंद8�त श'स क9 जाIनब से हज या उमरह न Cकया जाये।

    5) औरत, मदS क9 तरफ से और मदS, औरत क9 तरफ से हज या

    उमरह बदल कर सकता है।

    6) हBजे बदल क9 अदायगी का तर"का वह" है जो अपनी तरफ से

    हज क9 अदायगी का है �सवाए Iनयत करते वत कम से कम यह

    ज़ेहन मD रहे Cक Cकसक9 जाIनब से हBजे बदल Cकया जा रहा है।

    िजसक9 जाIनब से हज क9 अदायगी क9 जा रह" है एहराम के वत

    उसक9 जाIनब से ज़बान से Iनयत करना बेहतर है।

    7) हBजे बदल मD क़ुबाSनी उस श'स क9 जाIनब से होगी िजसक9

    जाIनब से हज क9 अदायगी क9 जा रह" है।

    8) हज के तीनो असाम (तमतो, Cक़रान और इफराद) से हBजे

    बदल Cकया जा सकता है अलबता बाज़ इि'तलाफ़9 मसाइल से

    बचने के �लए हBजे बदल मD हBजे इफराद करने मD इहIतयात Tयादा

    है, अगरच ेहBजे तमतो या हBजे Cक़रान भी हBजे बदल मD जाएज़

    है।

    9) हBजे बदल या उमरह बदल क9 अदायगी क9 उजरत (यानी खचS

    के अलावा) का मुतालबा करना जाएज़ नह"ं, अलबता हBजे बदल

    कराने वाला हBजे बदल करने वाले श'स को खचS के अलावा अपनी

  • 98

    मज़¢ से हEदयतन कुछ पेश करे तो उसका लेना जाएज़ है।

    10) एक हज या उमरह मD एक है श'स क9 जाIनब से Iनयत क9

    जा सकती है याIन कई लोग= क9 तरफ से एक हज या उमरह नह"ं

    Cकया जा सकता है।

    11) हBजे बदल (फ़ज़S) क9 अदायगी के �लए चदं शत ह� जो आम

    तौर पर Cकताब= मD �लखी हुई ह�, लेCकन हBजे बदल (नफल) के �लए

    वह शराइत ज़%र" नह"ं है- मसलन अगर कोई श'स अपने वफ़ात

    पागये वा�लद क9 जाIनब से हBजे बदल करना चाहता है और वा�लद

    पर उनक9 िज़Zदगी मD हज फ़ज़S नह"ं था तो यह श'स जब चाहे

    अपने वा�लद क9 जाIनब से हBजे बदल (नफल) कर सकता है खाह

    वा�लद ने वसीयत क9 थी या नह"ं।

    12) हज या उमरह बदल मD एहराम Cकस मीक़ात से बांधा जाये?

    हज या उमरह बदल करने वाला अपनी मीक़ात से एहराम बांधे या

    Cफर िजस श'स क9 जाIनब से हज या उमरह Cकया जा रहा है,

    उसक9 मीक़ात से एहराम बांधे? मसलन कोई श'स सऊद" अरबी मD

    रहता है अपने बूढ़े वा�लद जो EहZद�ुतान या पाCक�तान मD ह�

    उनक9 तरफ से हज या उमरह करना चाहता है तो Rया हज या

    उमरह बदल करने वाले के �लए EहZद�ुतान या पाCक�तान मD रहन े

    वाल= क9 मीक़ात यानी यलमलम से एहराम बांधना ज़%र" है या वह

    अपनी मीक़ात से भी एहराम बांध सकता है- यह मसअला मु'तलफ

    फ़9 है- (यानी इसमD इि'तलाफ है) मगर इि'तलाफ़ात और एक

    मीक़ात से दसूर" मीक़ात पर जाने क9 मशRकत को सामने रख कर

    उलमा-ए-Cकराम ने इजाज़त द" है Cक हज या उमरह बदल करने

    वाला अपनी मीक़ात से भी एहराम बांध सकता है।

  • 99

    हज / उमरह से रोक �दया जाना

    Kरयाज़, बुरैदा और जLा से चदं हज़रात ने मसला पूछा। िजससे

    मालूम हुआ Cक इस बुध और जुमेरात को उमरह क9 अदाएगी के

    �लए जाने वाले तकर"बन तमाम हज़रात को Check Post पर

    Swine Flue क9 बीमार" के इंIतशार होने के डर क9 वजह से मRका

    जाने से रोक Eदया गया। चनुांच े बेशुमार हज़रात एहराम खोल कर

    उमरह क9 अदाएगी के बेगैर घर वापस चले गए। �लहाज़ा आप

    हजरात से दरखा�त है Cक मना�सके हज क9 अदाएगी तक, उमरह

    करने के �लए मRका न जाएं।

    (मसअला) हज या उमरह का एहराम बांधने के बाद अगर Cकसी

    श'स को हज या उमरह क9 अदाएगी से रोक Eदया जाए तो एहराम

    बांधने वाले श'स पर एक दम लािज़म हो जाएगा, नीज़ कज़ा (बाद

    मD अदा) करनी ज%र" होगी जो िजZदगी मD कभी भी क9 जा सकती

    है। जैसा 6 Eहजर" मD नबी अकरम स

  • 100

  • 101

    पांच सवालात के जवाबात आप के पांच सवालात के जवाबात अपनी मालूमात के मुताXबक़

    �लख रहा हँू, अ

  • 102

    उदूS ज़बान मD भी Iनयत कर सकते ह�। Cकसी दसूरे श'स क9 जाIनब से उमरह क9 अदायगी क9 सूरत मD िजस क9 जाIनब से उमरह अदा

    कर रहे ह� तो उसक9 जाIनब से उमरह क9 Iनयत करD, मसलन यू कहD Cक म� अपने वा�लद क9 जाIनब से उमरह अदा करने क9 Iनयत

    करता हँू। 4- हर तवाफ़ के बाद दो Kरकात नमाज़ अदा क9 जाती है (चाहे हज

    का तवाफ़ हो, उमरह का या नuल" तवाफ़) तवाफ़ क9 यह दो Kरकात

    नमाज़ तवाफ़ के बाद मि�जदे हराम मD Cकसी भी जगह अदा कर सकते ह�, अगर भीड़ Tयादा न हो तो मक़ामे इvाEहम के पीछे अदा

    करना अफज़ल व बेहतर है। 5- तवाफ़ और सई के दौरान कोई भी दआु लािज़म और ज़%र" नह"ं

    है, जो चाहD, िजस ज़बान मD चाहD दआु मांगे। Cफर भी आप क9 खाEहश के मुताXबक़ उमरह के दौरान िजन दआुओं का िज़ अहाद"स

    मD आया है उनको मु_तसर �लख देता हँू:

    “रबना आIतना आaखर तक” अगर याद हो तो ज़मज़म का पानी पी कर अ

  • 103

    सफरे मद�ना मुनyवरा (िज़यारत मि�जदे नबवी व रौज़ए अक़दस सgलgलाहु अल�ैह वसgलम)

    मद�ना तैयबा के फज़ाएल मद"ना मुनQवरा के फज़ाएल व मनाCक़ब बेशुमार ह�, अ

  • 104

    मसाएब पर सv Cकया, क़यामत के रोज उसक9 �शफKरश क%ंगा या

    फरमाया म� उसक9 गवाह" दूंगा। (सह" मुि�लम)

    4) हज़रत अबू हुरैरा रिज़य

  • 105

    नमक मD घुल जाता है (यानी उसका वजूद बाक9 न रहेगा) (सह"

    बुखार" व मुि�लम)

    9) हज़रत जैद Xबन साXबत रिज़य

  • 106

    Iनजात और Iनफाक़ से छुटकारा �लखी गई। (Iतम¢जी Iतबरानी,

    मसनद अहमद) बाज़ उलमा ने इस हद"स को ज़ईफ कहा है लेCकन

    मुहLेसीन व उलमा ने सह" कहा है �लहाजा मद"ना के क़याम के

    दौरान तमाम नमाजD मि�जदे नबवी ह" मD पढ़ने क9 को�शश करD

    Rय=Cक एक नमाज का सवाब हजार गुना या इबने माजा क9 Kरवायत

    के मुताXबक पचास हजार गुना Bयादा है, नीज़ हद"स मD यह मज़कूर

    फजीलत भी हा�सल हो जाएगी। (इंशाअ

  • 107

    मेर" कv के पास आ कर मुझ पर सलाम पढ़े तो अ

  • 108

    नबी पर रहमत भेजते ह�। ऐ ईमान वाल=! तुम भी द%द भेजा करो

    और खबू सलाम भेजा करो। (सूरह अलअहजाब 56) अ

  • 109

    वाले सूराख के सामने आने का मतलब है Cक हुजूर अकरम

  • 110

    nरयाज़ुल जzनत क़द"म मि�जदे नबवी मD �म�बर और रोज़ाये अक़दस के दरमयान

    जो जगह है वह Kरयाजुल जZनत कहलाती है. हुज़ूर अकरम

  • 111

    जzनतुल बक़c (बक़cउल गरक़द) यह मद"ना मुनQवरा का कXबS�तान है जो मि�जदे नबवी से बहुत

    थोड़ ेफासले पर है, इसमD बेशुमार सहाबा (तकर"बन 10 हज़ार) और

    अव�लया अ

  • 112

    मि�जदे क़ुबा मि�जदे कुबा मि�जदे नबवी से तकर"बन चार Cकलो मीटर क9 दरू"

    पर है। मुसलमान= क9 यह सबसे पहल" मि�जद है, हुजूर अकरम

  • 113

    वस

  • 114

    वRत और �मलने क9 जगह पहले मुतअयैन कर लD।

    मद�ना से वापसी नबी अकरम स

  • 115

    मद�ना मनyवरा के तार�खी मक़ामात

    मि�जदे नबवी जब हुज़ूर अकरम स

  • 116

    तो मौजूदा सऊद" हुकूमत ने क़ुबS व जवार क9 इमारत= को खर"द कर

    और उZहD मुZहEदम करके अज़ीमुशान तौसी क9 जो अब तक सब से

    बड़ी तौसी मानी जाती है- हुज़ूर अकरम स

  • 117

    सुराख़ ह�, पहले और बड़ े गोलाई वाले सुराख़ के सामने आ