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आपकी दास(Edited and complied by Raju) मेरा नाम सुषमा है, म एक मायम वीय पररवारसे सबध रखती ह , मेरे पपताजी के पास मेरी शादी करने के लिए कोई यादा दहे नही था. मेरी अभी उ है 29 वष, डे. साि पहिे मेरी शादी हो ई है, एक हमसे भी यादा य कहहये की ननन मायम वीय पररवा म. मेरी िबाई 5 '5 " वन 61 किो, साइ है 36 -29 -36 कै सी िी म.

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आपकी दासी (Edited and complied by Raju)

मरा नाम सषमा ह, म एक माधयम वरगीय पररवारस समबनध रखती ह , मर पपताजी क पास मरी शादी करन क लिए कोई जयादा दहज नहीी था. मरी अभी उमर ह 29 वषष, डढ. साि पहि मरी शादी हो रगई ह, एक हमस भी जयादा य कहहय की ननमन माधयम वरगीय पररवा म. मरी िमबाई 5 '5 " वजन 61 ककिो, साइज ह 36 -29 -36 कसी िरगी म.

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अब सननए, मरा रीरग मर नाम स बबिकि उिटा अमावसया जसा ह. मतिब य की म कािी ह . आप थोडी इनायत करक मझ साीविी कहना चाह तो भी कह ना सकोरग. अब बोलिए कया खयाि ह. मरा पनत एक छोटी की पनी म ट ररीरग सलसमन ह 8000 सिरी ह और िरगभरग 1500 ट र क खचष म स बचा िता ह. पररवार म मरी सास ह जो जयादातर बीमार रहती ह मरा पनत पवनोद जो कमाता ह उसम स िरगभरग 2500 र. सास की बीमारी म, और 4000 र. मकान ककराय म खचष हो जाता ह बाकी बच िरगभरग 3000 र. इसम हम अपना खचष कस चिात ह आप समझ जाइए. ऊपर स पनत को शराब पीन की आदत वस बचारा ससती वािी दख क पीता ह िककन उस पर भी पसा तो खचष होता ही ह. घर क ऐस हाित, ससती शराब पीन वािा सीधा साधा साधारण पनत मरी तो जस ककसमत ही खराब ह. मायक म तीरगी थी तो सोचा की शादी क बाद पनत क पयार स और उसकी कमाई स थोडी जीवन को राहत लमिरगी तो यहा भी वस ही हाि थ. कमाई तो अपनी जरगह पनत का पयार भी भरप र नहीी लमि पाता था. सच तो य ह की ट र पर जा जा कर, ख ब शराब पी पी कर, और कभी कभी रीडी बाजी, कभी कभी हसत मथन कर कर क उसन अपनी मदाषनरगी को कमजोर कर लिया थामर पपताजी न एक िडका दख क मरी शादी उसक साथ पककी कर दी. छोटी सी नौकरी ट ररीरग की और शराब पीन क बार म शर स जानकारी थी िककन और कोई लमिही नहीी रहा था. शादी क बाद म खश थी हािाीकक तीरगी म घर चिता था िककन किर भी मर बदन की पयास बझन िरगी थी. िककन बहत जलदी ही मझ माि म पद रगया की वो मरी पयास ब झान क बजाय बढा रहा था. शर शर म तो म जलदी ही झड जाती थी और मरी तपपत हो जाती थी. िककन जब सकस का आनीद लमिन िरगा तो जलदी झाडना भी खतम हो रगया तो मझ िरगा की य मर िायक नहीी ह िककन किर भी वो मर बदन स खिता तो था और जस तस चदाई भी करता था. इस अपनी ककसमत मान क सीतषट होन क अिावा कोई चारा नहीी था. मरी पजनदरगी इसी तरह चि रही थी की एक हदन पवनोद क ऑकिस की पाटी म उसक बॉस न मझ दखा उसको औरतो की कदर करना आती थी . वो मर सकसी बदन पर किदा हो रगयी और पहिी बार म ही मझ िाइन मारन िरगा. म .. म तो जस ननहाि हो रगई अभी तक म िडको पर िाइन मारती थी और कोई मरी तरि धयान नहीी दता थी और यहा की पनी का इतना बडा मनजर खद मर पर िाइन मार रहा था. म तो खशी स जस समा नहीी रही थी. अपन आप मर ममम म तनाव आ रगया औत ननपपि अपनी प री िमबाई म तन रगई बरा और िाउज क अीदरस भी बाहर हदखन िरगी. मझ शमष भी आई इस बात को िीि करक िककन खशी बाकी सब एहसास पर भारी थी. म भी बार बार मनजर शमाष को दख क मसकरान िरगी. सच बताऊ दोसतो मरा उसक साथ समबनध बनान का कोई इरादा नहीी था िककन उसकी नजरो को दकह कर मझ अपन आप पर रगवष हआ और सोचा की कोई तो मरी कदकाषरन वािा लमिा तो म उसको अपन स नरजा या ककसी द सरी औरत की तरि दखन की छट दना नहीी चाहती थी इसीलिए म भी मसकरान ,शरमान िरगी

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. मर मसकरान स और शरमान की अदा स वो समझ रगया की म भी उसम रचच ि रही ह बस किर कया था उसन बहान स मर पास आ रगया और मझस बात करन िरगा. सच कहती ह दोसतो पजनदरगी म पहिी बार ककसी न मर बदन की तारीि की थी. "लमसज सषमा आपको ककसी न य बताया की नहीी की आप बहत ही सनदर और सकसी हो. वो जो कहत ह ना 'िक रोज' शायाद आपक लिय ही य शद बना ह." मन शरमात हए ही बोिी, "सर आप तो मझ चढान िरग म कहा सनदर ह , िोरग तो पीठ पीछ मझ साीविी बोित ह." "बस यही तो बात ह लमसज सषमा, आप रखा को जानती हो ना वही किलम हरोइन, वो भी तो साीविी थी िककन दखखय िोरग आज उसको 'आि टाइम य टी' बोित ह, कहत ह की वो बडी गिमरस ह. बस वसी ही आप भी बन सकती हो जरा पवनोद को समझाइय कछ ढीरग क काम कर और शराब पीना कम कर,जआ खिना बीद कर तो आप पर कछ खचष कररगा तो दखना िोरग आपक हसन की तारीि ही ककया कररग." म तो जस उसकी बात सन सन क अपन आप को सच म िक रोज समझन िरगी थी. उसकी बात मझ इतनी अचछी िरग रही थी की आप िोरगो को कया बताऊ . ऐसी बात कोई मर स कररगा य तो मन सपन म भी नहीी सोचा था. मन कछ बोिन क लिए ही जस बोिा, "सर आप तो सच म मझ चन क पड पर चढान िरग हो. दखखय कहीी चरगर रगई तो चोट िरग जायरगी." मरी बात सन क वोजोर सहीसा और म भी हीसन िरगी, हीसन स मर ममम थरथराय तो तनी हई ननपपि बरा स ररगड काह िरगी और मझ मजा आन िरगा. मन ककया की ऐस ही हीसती रह . िककन हमारी हीसी की आवाज सन क िोरग हमारी तरि दखन िरग थ य दख क म रकी और एकदम स शरमा रगई. बॉस न किर भी मरा पीछा नहीी छोडा "अर आप तो मजाक समझन िरगी लमसज सषमा िककन म सच कह रहा ह . आप जरा गिमरस डरस पहन ि और बबिकि हलका मक-उप कर ि तो यहा मौज द सभी महहिाओी म सबस जयादा अटरपकटव िरगोरगी, सार परष बस आपको ही दखरग. आप मरा कहना अमाी क अपन लिए कछ मॉडनष डरसस ि िीपजय." म किर हिक स हीसी और बोिी "सर, मॉडनष डरस महरगी होती ह मर पनत की सिरी म स तो म जस तस सारी या सिवार कमीज खरीद पाती ह . आप पहि उसकी सिरी बढा दीपजय किर म खरीद िीरगी." "अर लमसज सषमा आपन कया बोि हदया य, वो कया ह की, पवनोद को पहि ही उसक काम स जयादा सिरी लमि रही ह, उसकी सिरी तो म नहीी बढा सकता िककन आप बोिन तो अपनी तरि स आपको कछ डरसस चरगफट कर सकता ह .' वो बोि तो रगया य बात किर उसको िरगा की कछ जलदी ही य बात बोि दी तो सिाई दता हआ बोिा, " आपको बरा िरगा होतो आय एम सॉरी िककन आप हो ही इतनी अचछी की मन य बात बोि दी, म आपक पनत की सिरी या उसक काम को बरा बतानानाही चाहता था."

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म उसको रोक क बोिी "कोई बात नहीी सर, जो सच ह उसको कोई कस झठिा सकता ह, आपन जो बोिा ह वो सच ही तो ह. मझ माि म ह पवनोद की काबबलियत आप ही तो उसको इतनी सिरी द रह हो ककसी द सरी की पनी म जाएरगा तो इसस बहत कम सिरी लमिरगी. यकीन माननए सर मझ आपकी बात का बबिकि बरा नहीी िवो खश हो रगया और बोिा की "लमसज सषमा वस आप हदन भर घर म कया करती हो? पवनोद तो महीन म २५ हदन तक बाहर रहता ह आप अकिी बोर नहीी हो जाती कया?"

म मसकरा क बोिी " अपनी अपनी ककसमत ह सर. बस बी.ए. ककया ह कछ परोिशनि कोसष ककया होता तो जॉब कर िती. कछ नहीी ककया इसीलिए अब रहो घर म और बोर होवो." बोि क म किर हीसी. "वस सर मर घर म मरी ब ढी सास भी ह जो हमशा बीमार रहती ह उनकी सवा ही कर िती ह कम स कम अरगिा जनम तो सधररगा." वो बोिा " अर कसी बात करती हो आप लमसज सषमा अरगिा जनम ककसन दखा ह, और किर अरगि जनम क चककर म अपना य जनम बबरगडना कहा की बपिमानी ह. खर म कछ सोचता ह आपक लिए. म जरर कछ करी रगा. सबस पहि तो आप मझस एक वादा कीपजय की इस वीक एीड पर आप मर साथ बाजार चिोरगी म आपक लिए बहढया डरसस खरीदानाचाहता ह . अपना पहनावा सधरोरगी तो आपक पवचार भी बदिरग और किर वो बात ह ना पजनदरगी क हदन ४ ही ह इसक पजतन चाहो मज ि िो चाहो तो रो रो क रगजार दो. बोलिए पकका परोलमस कीपजय आप चिोरगी ना मर साथ ? पवनोद की चच ीता मत करो उसको भी ि क चिरग और वो मना नहीी कररगा." मझ पवनोद का परोगराम माि म था वो कि ही बहार जान वािा था और किर १ वीक बाद ही उसकी वापसी थी िककन म उस बात को छपा रगई और बोिी ठीक ह सर अरगर पवनोद भी साथ ह तो किर मझ कोई एतराज नहीी ह." वो खश हो क बोिा "ठीक ह किर य पकका वादा रहा की तम अरगि शननवार को मर साथ चिोरगी और अपना हाथ आरग बडा क बोिा " करो पकका वादा." म मसकराई और उसका हाथ थाम लिया "पकका वादा सर." बस इतनी ही बात हई उसस उस हदन िककन म तो पाटी स वापसी म भी उनही खयािो म खोई रही रसत म सक टर पर भी पवनोद की पीठ स ममम ररगडती रही और बॉस की बातो को याद करती रही. आखखर मझस रहा नहीी रगया और बोिी "कयो पवनोद य तमहारा बॉस िलित कसा आदमी ह." पवनोद बोिा "बहत खड स ह सािा ऑकिस की सारी िडककयो पर िाइन मारता ह, कोई लिफट नहीी दती तो रीडी बाजी करता ह िककन उसस तो रीडडयाी भी घबराती ह. सािा औरत को खखिोना समझता ह, अपनी खरीदी हई िौडी समझता ह... िककन तम कयो प छ रही हो." म बोिी "वो आज मझस बोि रहा था की लमसज सषमा आपका बदन जस साीच म ढिा ह आप मॉडनष डरसस पहना कीपजय किर दखना सब मदष लसिष आपको ही दखरग." पवनोद बोिा. "य बात तो उसन ठीक बोिी सषमा तम सच म बहत सकसी हो."

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म झ ठा रगससा हदखा क बोिी " चिो तम भी बनान िरग . अरगर ऐसा ह तो तमन आज स पहि य बात कयो नहीी बोिी. ना ही तमहारी हरकतो स ऐसा िरगता ह. महीन म २५ - २५ हदन बाहर रहत हो वापस आत हो तो ५ हदन म लसिष २ बार कर लिया तो बहत अरगर म इतनी ही सकसी ह तो तम पर कोई असर कयो नहीी होता." "अर डालििरग अब कया बोि ी तमस. ट र कर कर क इतना थक जाता ह की आराम क लसवा और कछ स झता ही नहीी." म तनक क बोिी " यही बात तो ह , बीवी को सकसी समझत तो ट र स आन क बाद बीवी क लसवा और कछ नहीी स झता िोरगो को तो. और मरी शादी को ६ महीन हो रगए ह म सब समझन िरगी ह सचची बात तो य ह की तमन सहराब पी पी क अपन आप को बरबाद कर लिया ह जरा सा कोई काम करत हो तो हाीिन िरगत हो, तम बीवी का सकसी बदन कया समझोरग. तमको कया माि म जो २ बार करत हो उसम भी म तो हमशा पयासी ही रह जाती ह . शर शर की बात और थी अब तो म समझ रगई ह की तम एक पर मदष नहीी बन सक . तमहारा हचथयार भी मदष क िायक नहीी ह, और तम य बात समझत हो. बोिो समझत हो ना?"

उसन कोई जवाब नहीी हदया तो म पीछ स हाथ आरग बडा क उसक िीड को पकड क बोिी " बोिो पवनोद समझत हो ना य बात?"

वो बोिा "कोन सी बात डालििरग." म जोर स िीड दबा क बोिी "यही की तम एक भरप र मदष नहीी हो." दोसतो ना जान कहा स मझम य शपकत आ रगई थी की म उसस ऐसी बात करन िरगी, शायद य िलित की बातो का नशा था जो मझस ऐसी बात करवा रहा था नहीी तो म ककसी स ऐसी बात करन का सोच भी नहीी सकती थी. मरी बात सन क पवनोद को जस झटका िरगा और वो बोिा "सषमा य आज तम कसी बात कर रही हो." म बोिी "कसी कया सचची बात कर रही ह और सन िो तमन अरगर मरी बात का सही सही जवाब नहीी हदया तो आज स ही म तमस २ ि ट द र रह ीरगी. वस भी ततमहार पास आ कर म आरग म और जयादा ही सिरगती ह .रगा कछ इसी तरह बात करत हम घर पहच रगए पवनोद न चज ककया और बद रम म चिा रगया म बाथरम म रगई चज करन. मन जान कर बाथरम म जयादा दर िरगाई और जब बाहर आई तो मन लसिष पटी और पारदशी नाइटी पहनी थी. म बडी अदा स चि क बाहर आई,

मझ माि म था की पवनोद की नजर बाथरम क दरवाज पर ही िरगी होरगी तो मन उसको प री तरह स अनदखा ककया और रगाीड मटकात हए ककचन म रगई और पानी भर क िा क पिीरग क साइड म रखा. पवनोद जो शर स मझ दख रहा था और अपना िड सहिा रहा था, उसन मरा हाथ पकड कर अपनी तरि खीीचा और म पिीरग पर आ रगई. बोिी "कया करत हो, छोडो मझ, आज म बॉस िलित की तरीि ब सन सन क बहत खश ह तम मरा म ड खराब मत करो." वो बोिा "डालििरग इसम म ड खराब होन की कया बात ह आओ ना जरा मजा करत ह."

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म उसकी हीसी उडात बोिी "कसा मजा, मजा तो बस तमको आन वािा ह, मझ तो आरग ही िरगरगी. पहि भी तमस बोि चकी ह अपना इिाज करवाओ, आज तक ठीक स कछ नहीी ककया रगया तमस. छोडो मझ सच कहती ह मरा म ड खराब मत करो आज." पवनोद मझस मनहार करन िरगा, मरी तारीि करन िरगा, िककन उसकी तारीि सन क मझ वो सब नहीी हो रहा था जो बॉस की तारीि सन क हआ था. पवनोद की तारीि सन क भी मर बदन म कोई हिचि नहीी हई जबकक बॉस की तारीि सन क तो मरी ननपपि जस िाउज िाड क बाहर ननकिन को उताविी हो रगई थी. मन किर उसको खझडका. " रहन दो पवनोद तमको तो तारीि करना भी नहीी आता जाओ पहि अपन बॉस स कछ टरननीरग ि क आओ." किर हीसी और बोिी " िककन टरननीरग स भी तमहारा कया होरगा, तमहार म दम तो ह नहीी की ककसी औरत को खश कर सको, उसका हदि जीत सको, हदि कया उसका बदन भी जीत िो. अपन म दम िाओ किर दखो म तमहारी हर बात मानन को तयार हो जाउीरगी तमहारी दासी बन जाउीरगी."

पवनोद मर ममम स खिन िरगा मन ऐतराज नहीी ककया वो हिक हिक सहिा रहा था . मरी बात सन क उसको बडा बरा िरगा िककन कया करता बीवी पहि स ही नाराज ह और कई बार इस बात की लशकायत करचकी थी की उसम दम नहीी ह, बीवी को आरग िरगा क जिता हआ ही छोड दता ह . हा दोसतो य लशकायत म उसस बहत बार कर चकी थी और यही कया उसकी सिरी क बार म भी मन उसको कई बार टोका था शादी क बाद उसन आज तक मझ एक साडी भी नहीी हदिाई थी रगहन तो अिरग रह. और इन दोनो बातो क लिए म हमशा उसको बोिती थी. मरी बात सई क उसका अहम जारगा और वो झलिा क बोिा, "िरगता ह उस िलित क बचच न तझ पर जाद कर हदया ह जब स उसस लमिी ह सािी उसी कमीन की तारीि ककय जा रही ह, उस कतत न जरा तारीि कया कर दी त भी कनतया बन रगई ह." म तो जस बस इसी बात का इीतजार कर रही थी एकदम बबिर क बोिी, " हा , हा म कनतया ह , और तम कया हो एक कनतया को बस म नहीी रख सकत, उस कतत को आता ह कस ककसी क मन म घर ककया जाता ह. तमको माि म ह मझ वो 'िक रोज' बोि रहा था. कस नदीदो की तरह मर बदन को दख रहा था जस कोई मिाई स भरा कटोरा ककसी भ खी बबलिी क सामन रख हदया हो. तम उसक सामन कछ भी नहीी हो, वो लसिष नजरो स पयारकरना जानता ह उसको बोिन की जररत ही नहीी ह. एक तम हो सहारग रात को भी अपनी बीवी की तारीि नहीी कर सक. और तमन हदया ही कया मझ. जब स इस घर म आई ह तमहारी बीमार की सवा कर रही ह , घर खचष कलिए पसा पसा बचाती ह घर क सार काम यहा तक की बतषन माीजन का काम भी खद करती ह तब २ टाइम का खाना खा पाती ह , ऐस अभावो म जी रही ह तमहार साथ. और तम बोित हो कनतया ह म समझ िो म कनतया ह

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तो तम एक नामदष कतत हो ऐस कतत पजसको हमशा क रगि म जीजीर बाध क रखना चाहहए और जरा भी च ी-चाी कर तो मार मार क पटक दना चाहहए.' बोि कर म हाीिन िरगी, दोसतो मझ नहीी पता की उसस इस तरह की बात मन कस कर िी, आज भी सोचती ह तो िरगता ह की म ऐसी बात नहीी कर सकती. िककन जो सच ह वो तो ह. मरी बात सन क तो वो जस दीरग रह रगया वो मझस डर भी रगया उसका चहरा बता रहा था की वो मझस बरी तरह डर रगया ह वो सहम क मरा चहरा दखन िरगा. उसका चहरा दख क मझ दया आई मन जो पिान बनाया था वो अब इस तरह आरग नहीी चि सकता था मर बवजह बहत जयादा रगसस न और मरी बातो न मर पिान को भी बबरगाड हदया था. िककन मर मन तो तो बॉस समाया हआ था, दोसतो म एक अचछी पिानर भी नहीी ह िककन उस समय तो मझ जान कया हआ था मन तरीत पिान बनाया और किर उसकी तरि पिट क अपना बदन उसस सटा क बोिी, "कया हआ अब, म भी कया कर , तमहार साथ कछ भी करन स सच म मर बदन म आरग िरग जाती ह किर घर म ऐसा भी कछ नहीी ह पजसस मन िरगा सक तम तो रात म अपन मन की करक सो जात हो और म रात भर और किर हदन भर भी तडपती रहती ह इतन हदनो की भरी हई आज जान कस ि ट पडी. सॉरी पवनोद मझ सच म तमस ऐस बात नहीी करनी चाहहए थी." मरी बातो स पवनोद कछ सीभिा और बोिा " म समझता ह सषमा, िककन म भी कया कर मर बस म कछ नहीी ह, रही पसो की बात तो म जी तोड महनत करता ह शायद मरी ककसमत ही खराब ह मर काम म कछ ना कछ रगिती बॉस ढ ीढ ही िता ह. वस आज उसन तमहारी जो तारीि की ह वो रगित नहीी ह तम सच म बहत सकसी हो वो कया ह की मझ तारीि करना नहीी आता इसीलिए म कभी उसकी तरह तमहारी तारीि नहीी कर सका. म तो तमहारा अहसानमीद ह तमन मरा घर और मरी मा को इतन अचछ तरीक स सीभाि रखा ह. और य जो तम बॉस की बात कर रही थी, मन तमको पहि भी बताया ह की वो कसा ह पसा जरर खचष करता ह वो िककन औरत को अपनी रगिाम, रीडी बना क रखता ह. इसी कारण उसकी बीवी भी उसको छोड क चिी रगई और बार औरत भी उसक साथ जान म कतराती ह. वो बहत जालिम ह औरत स बरी तरह पश आता ह जरा सी रगिती पर डीड और हीटर स पपटाई करता ह." म उसस और थोडा सट कर बोिी "पवनोद तमको नहीी माि म पहि ही तो मर काि रीरग क,

और मर मा - पापा क पास दहज क पस नहीी होन स मरी शादी दर स हई, म वस ही सकस क लिए तरस रही थी पसो की कमी घर म थी ही. शादी क बादसोचा थी की चिो एक कमी तो प री होरगी िककन सच कहती ह पवनोद मरी सकस की आरग तो और भडक रगई इसस तो म शादी क पहि ही ठीक थी. और य जो तम बोि रह हो औरत उसक पास नहीी जाना चाहती ह य अिरग तरह की औरत ह पवनोद, सच तो य ह की इस दननया म जब स औरत आई ह तभी स वो अपन पर हकम चिान वाि, अपन पर शासन करन वाि मदष को ही

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पसीद करती ह और उसकी सकस की भ ख लमटन वाि मदष की दासी बन क उसकी दाीत और मार सब खान कलिए तयार रहती ह बपलक औरत को ऐस ही मदष पसीद होत ह जो उसको अपनी दासी बना क रख." मन अपना एक मममा उसकी बरगि स दबा कर ररगडा और किर बोिी, "पवनोद य म नहीी कह रही ह यही बात सच ह यही बात ककताबो म भी लिखी हई ह इतहास म भी यही बात ह की महाराननया भी उनकी सकस की पयास भजान वाि खद क रगिामो की दासी बन जाया करती थी. वो तो बॉस न मरी इस तरह और इतनी तारीि की की मरा हदमारग खराब हो रगया. वो तो मझस प छ रहा था की मरा जनम-हदन कब आता ह उस हदन वो मझ शोपप ीरग पर ि जा क मरी पसीद की डरस और रगहन हदिान का बोि रहा था. वो तो उसी समय ककसी न उसको आवाज िरगा द तो म उसको बता नहीी पाई अपना जनम हदन." "कया बोिातमान वो तमको डरस और रगहन हदिान की बात कर रहा था तमन रगिती कीप नाम तम उसको बता दती अपना जनम-हदन तो वो उस हदन तमको जान कया कया हदिा दता. इस मामि म वो बहत उदार ह हमार ऑकिस म ही एक शमाषजी थ पहि उनकी बीवी को उसन एक िाख क तो रगहन ही हदिा हदय थ और साडडया, कॉसमहटक, चपपि अिरग स. वो तो शमाषजी को कछ शक हो रगया की बॉस उनकी बीवी क साथ और भी कछ करता ह, िोरग कहत ह की शमाषजी न अपनी बीवी की च ची पर दाी पवनोद की य बात सन क मरी च ची ( ममम) न किर सर उठाना शर कर हदया. िककन म पवनोद स ही बता करत हए बोिी, "दखो मन बोिा था ना, औरत को ऐस ही मदष पसीद आत ह, जो जीरगिी की तरह उसको पयार कर, औरत ना ना करती रह और तो उसकोप पटक क चढ जाए उस पर. उसको नोच,

काट, सहिाए, दबाय, मसि, पयार करत करत ददष का अहसास मज को १०० रगना या य कह की १००० रगना बढा दता ह मन फाीस क ककसी सकस सपशलिसट की य खीज पढी थी जो उसन १८२९४ औरतो स बात करक लिखी थी इसक अिावा उसन अपन खद क जीवन म २३ औरतो स सकस समबनध बनाय और उन पर भी उसन इनही बातो का परयोरग ककया था. उसका दवा था की सकस क समय औरत क साथ नजाकत स पश आना औरत क साथ अनयाय ह और पजन औरतो न सकस क समय ददष का अहसास नहीी ककया ह वो ही इसस डरती ह. िककन इसकी शरआत हिक स होनी चाहहए किर बाद म तो औरत खद ही चाहती ह की उसका साथी उसको तोड - मरोड क रख द." पवनोद न हहममत करक मरा एक मामा पकडा और सहिाया. मन भी एतराज नहीी ककया. सहिात सहिात उसन माममाजोरस दबाया तोमर मह स सी ननक, वासतव म तो बहत सकसी सी आवाज ननकािी जस इसम मझ बहत मजा आया. उसकी हहममत बढी और इस बार उसन और जोर स दबाया.मन इस बार धीर स सी ककया िककन बहत सकसी अीदाज म. उसकी तरि दखा और मसकराई.तो क ननशान दख लिए थ और वो नौकरी छोड क चि रगए. सब कछ मर पिान क मताबबक हो रहा था म खश थी, हािाीकक मझम आरग िरगा क वो किर स सो जान वािा था और मझ उस आरग म जिना था िककन म तो आरग की सोच रही थी.

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मरी मसकान न उसकी हहममत बढाई और उसन पहि स जयादा जोर स मममा दबाया. मन बोिा, "कयो परशान कर रह हो ? अभी आरग िरगा दोरग मर बदन म" मन बोिी तो वही बात जो म अकसर बोिती थी िककन हमशा जो चचढ क बोिती थी उसक बदि मरी आवाज ऐसी थी की उसको और आरग बढन क लिए उकसा रही थी. मरी बात सन क उसन मममा जोर स दबाया और किर ननपपि भी जोर स पकडी मन इस बार 'आह' की िककन सकसी तरीक स जस मझ बहत मजा आया. और बोिी, "मत करो ना, मझ कछ कछ होन िरगा ह." और मसकराई. मर इस वयवहार स उसकी तो जस िाटरी खि रगई उसन खि क इस बार ममम स खिा और बोिा "रानी सच म तमहार ममम ककसी भी मदष म आरग िरगा दन वाि ह."दोनो हाथो म दोनो ममम पकड क सहिाए और किर जोर स दबाया तो मन किर लससकी भरी. "तमको इतन पसीद ह तमन पहि तो नहीी तारीि की इनकी ऐस. िरगता ह आज बॉस िलित को दख क सीख रगए हो." मन हीसत हए बोिा तो वो एक बार तो सकपका रगया किर बोिा "ऐसी बात नहीी रानी तमन शर स ही बोि हदया की म तमहारी आरग नहीी बझा पाता तो मरी हहममत ही नहीी होती थी. आज बॉस न की तारीि और तमको अचछा िरगा तो मन भी कर दी. और ममम ही कया तमहारा तो सारा का सारा बदन ही जस साीच म ढिा ह." उसन एक हाथ रगाीड पर रखा और बोिा "ममम जसी ही बहढया रगाीड ह तमहारी" और रगाीड भी सहिान िरगा.

मन अपन आप को सट ककया और अपना प रा बदन उसस सटा हदया. हिक स ऊपर उठी वो समझ रगया और मरा एक मममा ककस करन िरगा. जीभ स चाटन िरगा. मन उसको काम म िरगाया और बोिी िककन तम कछ भी कहो पवनोद तमहारा बॉस ह बहत बहढया आदमी औरतो को खश करना उसको आता ह," वो बोिा "अर किर वही बॉस तमको बताया ना की वो जीरगिी ह औरत को अपनी रगिाम बना क रखता ह सबक सामन उनकी ब-इजजती करता ह मन तो स ना ह की औरतो को नीरगा करक मारता भी ह." म बोिी," और मन भी तो बोिा की औरत को ऐस ही मदष पसीद ह जो उस पर हकम चिाय. औरत मदष की दासी बनना पसीद करती ह. िककन मदष की जो उसकी पयास बजा सक उसक बदन को थका थका द किर तो वो मदष की दासी कया उसकी कनतया भी बनन क लिए तयार हो जायरगी. एक बात और ह तमहारा बॉस पजस तरह स इनको घ र रहा था कया बताऊ तमको सच कहती ह पवनोद तमहार हाथ िरगान स भी वो मजा नहीी आता जो उसक घ रन स आन िरगा था आखो ही आखो म जस खा जाएरगा इनको." मन ममम उभार क कहा और द सरा मममा उसक मह स िरगाया तम ही दखो तमहार चाटन स भी उतन टाईट नहीी हए पजतन उसक घ रन स हो रगए थ." पवनोद बोिा डालििरग वो िलित बहत बदमाश ह साि क पास ख ब पसा ह उसी का िायदा उठाता ह ख ब खचष करता ह औरतो पर खच कया उडाताह उन पर पस. और आदलमयो को हमशा जिीि करता ह." म झट स बोिी तमहार बार म भी बोि रहा अह की पवनोद का

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पिाषमस ठीक नहीी ह तमको नौकरी स ननकािन की बात कर रहा था, बोिािककन पहि मझ सार अकाउीटस चक करना ह मझ खबर िरगी ह की पवनोद ट र पर स दकानदारो स नरगद पस ि िता ह और ऑकिस म जमा नहीी करता उसको जआ खिन की बहत ित िरगी ह और कभी जीतता नहीी. तो शरीमान पवनोद कमार जी अरगर ऐसा कछ ह तो सीभि जाइए वस मझ नहीी िरगता की तमहार जसा डरपोक आदमी ऐसा कछ कर सकता ह." म हीसी िककन उसकी तरि दखा तो उसका चहरा उतर रगया था उसका सारा उतसाह ठीडा पड रगया था. मन प छ " अर कया हआ." किर उसका चहरा दखा तो सब समझ रगई और बोिी, " तमहारा तो चहरा उतर रगया बबिकि सिद पड रगया ह म.मतिब तमन की पनी क पसो म कछ रगबन ककया ह, रगबन हा यही तो बोि रहा था तमहारा बॉस, बाप र वो तो बोि रहा था की उसक साथ चीहटीरग करन वाि को कभी नहीी छोडता पलिस क साथ साथ रगीड भी पीछ िरगाता ह. य. य कया ककया तमन, ककतन पसो का रगबन ककया ह मन उसका चहरा ऊपर ककया और आखो म दख क बोिी बोिो ना ककतन पसो का रगबन ककया ह कि ही सब पस भर दो जा क वो तो जस रोन िरगा बोिा "नहीी भर सकता पस. मन तो कछ हहसाब भी नहीी िरगाया ह िककन िरगभरग २ िाख तो होरग और मर पास बीस हजार भी नहीी ह." म मन ही मन मसकराई िककन सामन चहरा िटका क बोिी, "बाप र, दो िाख रपय तम जए म हार रगए और इधर बीवी बचारी पस पस को तरस रही ह, और तमहारा बॉस िलित वो तो तमहारी पलिस म ररपोटष भी कररगा और रगीडो स भी पपटवाएरगा वो तो बोि रहा था की जब तक रगबन करन वाि क हाथ पर तडवा क उसको ६महीन क लिए बबसतर पर पटक दता चिन किरन स िाचार नहीी कर दता उसक पसो की भरपाई नहीी होती चाह जो खचष करना पड. मझ तो डर िरग रहा ह पवनोद वो तमहार साथ भी ऐसा ही कररगा तम जलदी स जलदी ककसी स उधार ि क की पनी का पसा चका दो नहीी तो सच म जो बोि रहा ह वो कर हदया तो हम कया कररग. म लसहर क बोिी .. ६ महीन कया हमार पास तो २ महीन का खान क पस भी नहीी ह. माीजी की दवा कहा स िायरग" मन उसको पकड क खझ ीझोड हदया और बोिी . "पवनोद कछ करो जलदी स जलदी" .. और रोन िरगी , जोर जोर स रोन िरगी. मर रोन स वो परशान हो रगया बोिा "मत रो सषमा, म वस ही परशान हो रगया ह , मन अपन सभी दोसतो स बात कर िीही कोई पस दनो को तयार नहीी ह, वो कया ह की सभी स मन कछ न कछ ि रखा ह." मन सोचा अर, साि स सभी दोसतो स ि रखा ह तो किर बॉस ही आखरी सहारा ह. िककन सामन चच ीता करती बोिी "ओह तो य बात ह ,अब कया कररग, तमन तो मझ कहीी का नहीी छोडा, और म तो ठीक ह तमहारी मा का कया होरगा ? उधर तमहारा बॉस िलित मर पीछ अिरग पडा ह." मन उसको हह ीट दन क लिए किर बॉस का नाम लिया तो जस उसको समझ आया बोिा "सषमा अब तो बस िलित ही हमारी मदद कर सकता ह तम बोि रही थी तम पर बहत िाइन मार रहा था उसको जरा अपन हसन का जिवा हदखा क कछ हदनो क लिए रोक िो ना पिीज तब तक म कछ करता ह .कहीी ना कहीी स तो पसो का इीतजाम करना ही

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पडरगा." म मन ही मन मसकराई और बोिी पवनोद तमको शमष नहीी आती ऐसी बात करत हए, अपनी बीवी को ककसी दसर मदष क पास जान का बोि रह हो, ना बाबा म ऐसा नहीी कर सकती मझ तो तम माि ही करो, और कोई द सरा उपाय ढीढो." वो मरी खशामद करन िरगा "सषमा लसिष तम ही मझ बचा सकती हो, बॉस िलित बहत जालिम ह वो सच म जो बोि रहा ह कर क भी बता दरगा, जान कयो मझस तो खननस ही रखता ह, अरगर सच म उसन रगीडो स मरी पपटाई करवा दी तो हम और जयादा परशानी म पड जायरग, सषमा पिीज मरी बात मान िो थोडी सी लिफट उसको दन म वो कछ हदनो क लिए तो मान ही जाएरगा, नहीी तो हाथ पर तडवान क साथ साथ मरी नौकरी भी जायरगी पिीज सषमा मान जाओ." म रगससा करक बोिी कस आदमी हो, अपनी बीवी को दसर मदष क पास भज रह हो और मदष भी कसा रीडीबाज तमको कया िरगता ह म उसक साथ सि रह ीरगी ? ना बाबा वो औरत को पटना जानता ह अरगर म भी उसकी बातो म आ रगई तो. नहीी .. मझस य नहीी होरगा." पवनोद का चहरा उतर रगया वो मरी चचरोरी करन िरगा "पिीज सषमा मन जाओ ना, दखो अरगर उसन अपना कहा कर हदया तो हम सब सीकट म पड जायरग, एक आदमी को थोडी सी लिफट द डौरगी थोडा सा अपन हसन का जिवा हदखा डौरगी तो सब ठीक हो जाएरगा सषमा , म वादा करता ह बहत जलदी ही पसो का इीतजाम कर ि ीरगा तब तक बस तम उसको सीभाि िो, तम ही बोि रही थी वो तम पर किदा हो रगया ह, बस थोडी स हीस क और खिक बात ही तो करना ह उसस वो बहत पस खचष करता ह औरतो पर, किर तम तो बहत ही सकसी बदन की मािककन हो, तमहार पर तो वो ख ब पस िटा दरगा, म बोिता ह जयादा कछ नहीी होरगा बस तम उसको थोडी लिफट द do पिीज म तमहारा अहसान पजनदरगी भर नहीी भ ि ीरगा." उसको मर सामन इस तरह चरगडचरगडता दख कर मन पसीजन की एपकटीरग की और बोिी, " वो बात नहीी ह पवनोद लिफट तो म द द ीरगी िककन उसम जो बात ह औरत को अपना बनान की उसस म कस बच ीरगी वस ही तम मझम आरग िरगा क छोड दत हो म मददतो की पयासी ह और उसन मझ गिी सा लिया तो म कहीी किसि ना जाऊी , मझ खद पर पवशवास नहीी आ रहा इसीलिए मना कर रही ह ." वो किर बोिा, "सषमा पिीज मान जाओ, तमको ना सही मझ तो पवशवास ह तम पर, हािाीकक म मानता ह वो इस मामि म बहत एकसपटष ह, िककन मझ और भरगवान पर प रा पवशवास ह जो भी होरगा अचछा ही होरगा. तम पिीज मान जाओ." म बोिी. " तम इतना कहत हो तो ठीक ह िककन कि को कछ उिटा सीधा हो जाए तो मझ दोष मत दना." वो खश हो कर मझ ककस करन िरगा बार बार उझ थकस कहन िरगा, बोिन िरगा की मरा य अहसान जो पजनदरगी भर नहीी भ िरगा आहद आहद. म उसस अिरग हई और बोिी "अब य बताओ उसस कस लमि ीरगी म ?" वो बोिा "तम ही कोई बहाना सोचो ना डालििरग मरा तो हदमारग कछ काम नहीी कर रहा ह." मन कछ दर सोचा और किर बोिी ऐसा करो तम उसको २-३ हदन म अपन घर डडनर पर बिािो, कहना की मरा बथषड ह और डडर ीकस क बाद म ककसी बहान स बाहर चि जाना म कछ चककर चिाऊ रगी बथषड का बोिोरग तो चरगफट भी ि क आयरगा उसकी चरगफट स ही

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अीदाजा िरगा िीरगी की उसक साथ कहा तक जाना ह." तीसर हदन शाम को मन बॉस िलित को िोन िरगाया और उसको मर बथषड की डडनर पाटी म इनवाईट ककया, उसन मझ बहत दर तक बात की, और म भी उसकी बातो का जवाब हीस क और शमाष क दती रही, जब उसन प छा की कोण कोण आयरगा पाटी म तो मन बता हदया की "सर सबस पहिा िोन आपको ही ककया ह पवनोद तो रहरगा ही आप बताइए और ककस ककस को बिाऊी , पजसको आप बोिोरग उसी को इनवाईट कर िीरगी वस जयादा िोरगो को बिान का नहीी सोचा ह कयोकक हमारा घर भी छोटा ह और बजट भी. य सन क उसकी तो जस मन की हो रगई बोिा किर कया जररत ह ककसी को बिान की सषमा तम तो य बताओ की तमहार लिए चरगफट कया ि क आऊी , मन भी बोपलदया सर य तो दन वाि की मजी ह कया चरगफट दता ह वस आप आ जाओरग य ही सबस बडी चरगफट होरगी मर लिए हमार जस छोट आदमी क घर आप जसा बडा आदमी आ जाए तो हमार तो भारग खि जात ह. वो अचछा मझ कछ याद ह तमन उस हदन पाटी म बोिा था की तमको मोडनष डरस और जविरी पसीद ह म दखता ह कया िौरगा. वस एक बात सन िो लमसज पवनोद, मन वहीी टोका उसको और बोिी लमसज पवनोद नहीी सर मरा नाम सषमा ह तो वो हीस क बोिा वही सही सषमा एक बात ह की म डडनर क पहि डडर ीकस िना पसीद करता ह . मन जस उसकी बात िपक क बोिी कोई बता नहीी सर पवनोद भी िता ह तो वो हीस क बोिा नहीी नहीी पवनोद का बराीड मझ नहीी चिरगा म अपना बराीड खद ि आउीरगा पवनोद को भी बहढया कवालिटी की पीन को लमि जायरगी. ठीक ह लमसज. ओह सॉरी सषमा य बताओ ककतन बज आना ह तो मन उसको ७ बज का टाइम हदया की आप िोरगो को डडर ीकस म भी तो २ घीट िरग जायरग. बस इसी तरह मन उसको नकसट द का इनपवटशन द हदया और पवनोद जो पास ही खडा सब सन रहा था की तरि दख क मसकराई और बोिी, िो आधा काम तो हो रगया अब आधा आरग दखत ह कस होता ह, पवनोद तो जस मर अहसान टि दब रगया था किर बोिा सषमा सच म तमन जो अहसान ककया ह म हमशा याद रख ीरगा. म बोिी रहन दो य बात, य बात याद रखना की डडर ीकस क बीच म ही ककसी बहान स कम स कम १ घीट क लिए चि जाना यहा स और य बात उसको भी बता दना की १ घीट म आओरग और हा माजी को नीीद की दवा द क जलदी सिान कीमन घर क अचछ स साि ककया सोि पर नए कवर िरगाए बड पर बहढया साि धिी हई चादर बबछाई, इन सब कम म पवनोद न मरी प री मदद की शाम को ७ स पहि ही माीजी को नीीद की रगोिी द कर खाना खखिा हदया और खद अचछ स तयार हई. मन सिीव-िस, बक-िस, डीप-कट, समी टराीसपरीट िाउज क साथ साडी पहनी, िाउज कया था बस बरा को ढीकन का कपडा था पजसम स बरा की झिक हदख रही थी और बरा क बाहर ननकि ममम भी झिक रह थ. म तयार हो क बाहर आई और पवनोद को प छा "कसी िरग रही ह " तो वो दख क बोिा "बहत बहत सनदर और सकसी िककन य िाउज कछ जयादा ही ओवर नहीी हो रगया कया ?" म बोिी, " अभी भी सोच िो बॉस को िी साना ह या नहीी मन तमहारी बातो पर २ हदन बहत सोच लिया ह और य समझ रगई ह की तमस

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पसो का इनतजाम नहीी होन वािा महीन २ महीन कया तम २ साि म भी पस नहीी चका पाओरग. और बॉस लसिष मझ द र द र स दख क इतना समय नहीी दन वािा ह तो किर उसको अचछ स िी सा क उसी स पस कयो ना कमा लिए जाए, तम ही बोित हो वो िाखो रपय खचष करता ह तम दखना म कस उसको शीश म उतारती ह की बाकी सब औरतो को भ ि क मरा दीवाना हो जाएरगा और दोनो हाथो स मझ पर पसा िटायरगा किर तम भी ननपशचनत हो जाना माीजी का इिाज भी अचछ स करा सकोरग और मर पास भी बहढया बहढया डरस और बहढया रगहन होरग की बाकी औरत मझस जिरगी म इतरा इतरा क उनको बतौरगी की मरी य डरस इतन हजार की ह और य रगहना इतन िाख का ह . बोिो कया कहत हो ?" वो मरी बात सन क सनन रह रगया मह का मह खिा का खिा रह रगया आखखर बोिा, " डालििरग िककन तम तो उसको थोडी सी लिफट दन स भी मना कर रही थी और अब कसी बात कर रही हो. " मन किर बोिा "पवनोद म पयासी ह और तमहारा बॉस िलित एक मदष ह म जस मदो को पसीद कराती ह वसा मदष उसको लिफट दन म म खद उसकी हो जाउीरगी मझ अपन पर पवशवास नहीी ह की म लसिष हिकी लिफट द क उसस बच जाउीरगी, किर मझ य भी माि म ह की तम पसो का इनतजाम नहीी कर सकत, तो मन सोचा की बजाय इसक की म उसस िी स ी म ही उसको िी सा िती ह इस तरह माि भी ख ब लमिरगा और बहढया पाहटषयाी, बहढया डरस, बहढया रगहन सब लमिरगा. बोिो तम कया कहत हो, अभी भी कछ नहीी बबरगडा ह तम बोिो तो आज उसको हिकी स लिफट द क डडनर करा क पवदा कर द ीरगी और तमहार लिए कछ समय भी ि िीरगी िककन किर आरग की तम सोचना, और एक बार हिकी लिफट द क पीछ हट ीरगी तो किर बादम आरग बढन स भी कछ नहीी होरगा किर तो वो मझ रीडी की तरह टरीट कररगा, अभी म उसकी रगिष फ ड बन रगी और तम तो जानत हो रगिष फ ड और रीडी का िकष . और म उसकी कया ककसी भी हाित म रीडी बनान को तयार नहीी ह ककसमत म ऐसा ही लिखा होरगा तो किर तमहारा साथ छोड द ीरगी तब बन रगी. बोिो कया करना ह अभी बता दो . जो तम बोिोरग वही कररगी." म मन ही मन मसकराई,मन पवनोद को िी सा लिया था वो ककसी भी हाित म मर पिान स अिरग सोच ही नहीी सकता था और मर बदन म जो आरग िरगी थी उसक कारण मन आज ही िलित स चदवा िन का पकका मन बना लिया था. बचारा पवनोद आखखर बोिा "ठीक ह डालििरग तमन जो सोचा ह वही सही ह य बता सही ह की म १-२ महीन म पसो का इनतजाम नहीी कर पाउरगा, िककन िककन मझ बहत बरा िरग रहा ह, म खद तो तमह कछ द नहीी सका और अब तमहारा उपयोरग कर रहा ह ." पवनोद रोन रोन को हो रगया मन उसको साीतवना दी "कोई बात नहीी अपनी अपनी ककसमत ह शायद हमारी ककसमत म यही लिखा ह, िककन तम चच ीता मत करो म तमस वादा करती ह की यहद सब कछ ठीक रहा तो १ साि म ही तमको इस ककराय क फिट स ननकाि क खद क खरीद फिट म लशफट करवा द ीरगी और माीजी का इिाज भी अचछ असपताि म होरगा नसष उनकी दखभाि क लिए होरगी बस तम दखत जाओ और जो म बोि ी बबना ककसी खझझक और बबना ककसी शमष क करत जाओ."

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उसको शाीत ककया और बोिी, " तम बस इस बात का धयान रखना की जब तक बॉस यहान रह मरी तरि दखत रहना और मर इशारो को समझ क जसा म बोि ी वसा ही करना भरगवान न चाहा तो आज ही तमहार ऑकिस क पस माि करवा द ीरगी पर नहीी तो कम स कम २५% तो करवा ही द ीरगी." उसन हना म रगदषन हहिा क अपनी सहमती दी. म खश हो रगई और बॉस का इीतजार करन िरगी. ७.१५ पर दरवाज की घीटी बजी और मन पवनोद को बाथरम म भजा और खद दरवाजा खोिन रगई. पजममदारी तमहारी ह. मन घर क अचछ स साि ककया सोि पर नए कवर िरगाए बड पर बहढया साि धिी हई चादर बबछाई, इन सब कम म पवनोद न मरी प री मदद की शाम को ७ स पहि ही माीजी को नीीद की रगोिी द कर खाना खखिा हदया और खद अचछ स तयार हई. मन सिीव-िस, बक-िस, डीप-कट, समी टराीसपरीट िाउज क साथ साडी पहनी, िाउज कया था बस बरा को ढीकन का कपडा था पजसम स बरा की झिक हदख रही थी और बरा क बाहर ननकि ममम भी झिक रह थ. म तयार हो क बाहर आई और पवनोद को प छा "कसी िरग रही ह " तो वो दख क बोिा "बहत बहत सनदर और सकसी िककन य िाउज कछ जयादा ही ओवर नहीी हो रगया कया ?" म बोिी, " अभी भी सोच िो बॉस िलित को िी साना ह या नहीी मन तमहारी बातो पर २ हदन बहत सोच लिया ह और य समझ रगई ह की तमस पसो का इनतजाम नहीी होन वािा महीन २ महीन कया तम २ साि म भी पस नहीी चका पाओरग. और बॉस लसिष मझ द र द र स दख क इतना समय नहीी दन वािा ह तो किर उसको अचछ स िी सा क उसी स पस कयो ना कमा लिए जाए, तम ही बोित हो वो िाखो रपय खचष करता ह तम दखना म कस उसको शीश म उतारती ह की बाकी सब औरतो को भ ि क मरा दीवाना हो जाएरगा और दोनो हाथो स मझ पर पसा िटायरगा किर तम भी ननपशचनत हो जाना माीजी का इिाज भी अचछ स करा सकोरग और मर पास भी बहढया बहढया डरस और बहढया रगहन होरग की बाकी औरत मझस जिरगी म इतरा इतरा क उनको बतौरगी की मरी य डरस इतन हजार की ह और य रगहना इतन िाख का ह . बोिो कया कहत हो ?" वो मरी बात सन क सनन रह रगया मह का मह खिा का खिा रह रगया आखखर बोिा, " डालििरग िककन तम तो उसको थोडी सी लिफट दन स भी मना कर रही थी और अब कसी बात कर रही हो. " मन किर बोिा "पवनोद म पयासी ह और तमहारा बॉस एक मदष ह म जस मदो को पसीद कराती ह वसा मदष उसको लिफट दन म म खद उसकी हो जाउीरगी मझ अपन पर पवशवास नहीी ह की म लसिष हिकी लिफट द क उसस बच जाउीरगी, किर मझ य भी माि म ह की तम पसो का इनतजाम नहीी कर सकत, तो मन सोचा की बजाय इसक की म उसस िी स ी म ही उसको िी सा िती ह इस तरह माि भी ख ब लमिरगा और बहढया पाहटषयाी, बहढया डरस, बहढया रगहन सब लमिरगा. बोिो तम कया कहत हो, अभी भी कछ नहीी बबरगडा ह तम बोिो तो आज उसको हिकी स लिफट द क डडनर करा क पवदा कर द ीरगी और तमहार लिए कछ समय भी ि िीरगी िककन किर आरग की तम सोचना, और एक बार हिकी लिफट द क पीछ हट ीरगी तो किर बादम आरग बढन स भी कछ नहीी होरगा किर तो वो मझ रीडी की तरह टरीट कररगा, अभी म उसकी रगिष फ ड

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बन रगी और तम तो जानत हो रगिष फ ड और रीडी का िकष . और म उसकी कया ककसी भी हाित म रीडी बनान को तयार नहीी ह ककसमत म ऐसा ही लिखा होरगा तो किर तमहारा साथ छोड द ीरगी तब बन रगी. बोिो कया करना ह अभी बता दो . जो तम बोिोरग वही कररगी." म मन ही मन मसकराई,मन पवनोद को िी सा लिया था वो ककसी भी हाित म मर पिान स अिरग सोच ही नहीी सकता था और मर बदन म जो आरग िरगी थी उसक कारण मन आज ही बॉस स चदवा िन का पकका मन बना लिया था. बचारा पवनोद आखखर बोिा "ठीक ह डालििरग तमन जो सोचा ह वही सही ह य बता सही ह की म १-२ महीन म पसो का इनतजाम नहीी कर पाउरगा, िककन िककन मझ बहत बरा िरग रहा ह, म खद तो तमह कछ द नहीी सका और अब तमहारा उपयोरग कर रहा ह ." पवनोद रोन रोन को हो रगया मन उसको साीतवना दी "कोई बात नहीी अपनी अपनी ककसमत ह शायद हमारी ककसमत म यही लिखा ह, िककन तम चच ीता मत करो म तमस वादा करती ह की यहद सब कछ ठीक रहा तो १ साि म ही तमको इस ककराय क फिट स ननकाि क खद क खरीद फिट म लशफट करवा द ीरगी और माीजी का इिाज भी अचछ असपताि म होरगा नसष उनकी दखभाि क लिए होरगी बस तम दखत जाओ और जो म बोि ी बबना ककसी खझझक और बबना ककसी शमष क करत जाओ." उसको शाीत ककया और बोिी, " तम बस इस बात का धयान रखना की जब तक बॉस यहान रह मरी तरि दखत रहना और मर इशारो को समझ क जसा म बोि ी वसा ही करना भरगवान न चाहा तो आज ही तमहार ऑकिस क पस माि करवा द ीरगी पर नहीी तो कम स कम २५% तो करवा ही द ीरगी." उसन हना म रगदषन हहिा क अपनी सहमती दी. म खश हो रगई और बॉस का इीतजार करन िरगी. ७.१५ पर दरवाज की घीटी बजी और मन पवनोद को बाथरम म भजा और खद दरवाजा खोिन रगई. आइय सर, अदा स झक क, मसकरा क बोिी. वो भी मसकराए और अनदर आत आत रक क मझ दखन िरग, "वाह सषमा आज तो तम बहत खबस रत िरग रही हो." म किर मसकराई "अनदर तो आइय सर" वो अनदर आया तो मन उसको सोि पर बठाया और पानी ि क आई, झक क पानी हदया तो उसकी नजर सीध मर िाउज क अनदर मर मममो को दखन िरगी, म मन ही मन मसकराई और बोिी, "सर, पानी िीपजय ना कहा खो रगए." वो एकदम स जस नीीद स जारगा और मसकरा क मर हाथ स पानी लिया बोिा " पवनोद कहना रगया?"

"वाश रम म ह सर आता ही होरगा बस. आप बहठय म डडर ीकस का सामान िरगाती ह " मन उसक हाथ म शराब की बोति दखत हए कहा. वो किर मसकराया और मरी तरि तारीि की ननरगाहो स दखन िरगा. हम दोनो ही जानत थ की आरग दोनो तरि िरगी हई ह और इस बात को छपा भी नहीी रह थ इसीलिए म किर बोिी, " ऐस कया दख रह ह सर, ऐस मत दखखय ना मझ शमष आती ह." मन इस अदा स नखर स बोिा की वो कया कोई भी होता समझ जाता की कडी िी सी ही नहीी बरी तरह जाि म उिझ रगई ह. इतनी दर म पवनोद बाथरम स बाहर आया तो म अनदर रगई और डडर ीकस क लिए २ चरगिास, बिष और पानी ि क आई. मन सब सामान टबि पर सजाया और बोिी आप िोरग शर कीपजय म रगरमा-रगरम

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पकोड बना क िाती ह . बॉस न मझ रोका और बोिा. " सषमा, तमहार होत हम िोरग परग बनाए य तो अचछी बात नहीी ह पहिा परग तो तम ही बना कर दो, मन मसकरा क पवनोद की तरि दखा और २ परग बनाए, दोनो क हतः म १-१ हदया और बोिी शर कीपजय. बॉस किर बोिा "थकस सषमा अब इसम कछ जयादा मजा आयरगा." म भी मसकराई और किर अनदर चिी रगई, जब म पकोड बना क िौटी तो बॉस का पहिा परग आधा भरा हआ था और पवनोद का द सरा परग खािी होन वािा था. " मन नतरछी नजर स दखा और बोिी "सर, आप पवनोद को जयादा मत दीपजय, इसको चढ जायरगी." बॉस जोर स हीस क बोिा "अर चढ जान दो आज इसकी बीवी का बथषड ह सलिबरट करन दो." मन किर बोिा िककन सर बोति अचध स जयादा खािी ह आपको कम पड जायरगी" तो वो किर हीसा "अर तम कयो चच ीता करती हो, कम पडरगी तो और आ जायरगी, कयो पवनोद ि आयरगा ना?" पवनोद ततपरता स बोिा "जी हा सर, आपका हकम होना चाहहए अभी ि आता ह , िककन आपका बराीड यहा नहीी लमिरगा, शहर क दसर कोन म जाना पडरगा थोडा टाइम िरग जाएरगा." मन मन ही मन पवनोद को शाबाशी दी, मर समझाए अनसार ही वो सब कछ कर रहा था. बॉस बोिा "अर य तो रगित बात हो रगई पवनोद त पहि बोिता तो म िता हआ ही आता िककन अब कया कररग वहा तक जान आन म तो १ घीट स जयादा टाइम िरग जाएरगा." म झट स बीच म बोिी, " तो कया हआ सर, पवनोद अभी जा क ि आयरग, आखखर आज आप हमार खास महमान हो आपकी जररतो का खयाि रखना हमारा धमष ह. पवनोद पिीज पहि ही चि जाओ ना." पवनोद उठा तो िलित न उसको रोका और पसष स १०००-१००० क ३ नोट ननकाि क उसको हदए य ि जाओ पवनोद न और मन भी मन आककया िककन वो बोिा नहीी मन पहि ही बोिा था शराब म ि क आउीरगा, म तो पहि ही रगिती कर बठा की कम ि क आया त पकड पवनोद य पस और ि क आ." बॉस न पर अचधकार स बोिा तो हम दोनो चप हो रगए और पवनोद पस ि क जान िरगा जात जात बोिा "सषमा मझ थोडी दर िरग जायरगी तम बॉस का खयाि रखना." म मसकरा क बोिी तम चच ीता अमत करो पवनोद "बॉस को आज मन इनवाईट ककया ह य मरी बथषड पर आय ह इनका म प रा धयान रख ीरगी. जब तक तम िौट नहीी आत म यहीी इनक साथ ही बठ ीरगी." बॉस , सािा बहत हरामी था वो सब समझ रहा था की दोनो लमया बीवी लमि कर उसको िी सा रह ह िककन वो भी ना-समझ बन क मज ि रहा था.

पवनोद चिा रगया और म एक सोफट डडर ीक ि क बॉस क सामन बठी, बॉस न एक लसप लिया और बोिा, " सषमा तम य सोफट डडर ीक पी रही हो मझ मजा नहीी आ रहा ह, एकचअिी म अकि पीना पसीद नहीी करता, अरगर तम भी थोडी सी ि िो तो मझ अचछा िरगरगा." म झट स बोिी "सर नहीी.. नहीी ..म नहीी पीती सर, म.म.मझ चढ जायरगी सर." मर बोिन की सटाइि स वो समझ रगया और बोिा "अचछा एक बात सच सच बताओ पहि कभी नहीी पी." "ऐसी बता नहीी ह सर, वो, पवनोद न पजद करक १-२ बार पपिाई ह िककन सच मझ चढ जाती ह, पीन क बाद म उसको ख ब रगालिया दन िरगी थी मझ कछ समझ नहीी पड रहा था, िरगता था जस हवा म उडी जा रही ह ." वो हीसा, " सषमा यही तो खास बात ह इसम, पीन

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वािा अपन को दननया स द र पाता ह, और जो उसक मन म होता ह वही जबाी पर आता ह. तमको मरी कसम इधर िाओ अपना चरगिास." मन मना ककया नहीी सर, अभी मझ खाना भी िायनि टच दना ह और किर मझ चढ रगई तो, कहीी आपकी शान म कोई रगसताखी नहीी हो जाए." िककन वो नहीी माना और मर चरगिास म थोडी स शराब दाि कर ही माना पवनोद पहि भी मझ ३-४ बार पपिा चका था और अब म १ परग आसानी स पी िती थी बस हलका हलका सरर होता था पजसम मझ बहत मजा आता था और म जयादा नशा होन का बहाना करक पवनोद को ख ब खरी- खोटी सनाती थी, सच म रगालिया भी दन िरगाती थी, उसको मदाषनरगी क लिए और उसकी रगरीबी क लिए बहत कोसती थी. नश म कया मन की बात ननकिरगी म तो नश का बहाना करक मन की करती थी. बॉस न आधा परग मर डडर ीक म डािा था मन पहि और दसर लसप म जाना कर मह बबरगडा और किर ठीक स पीन िरगी. बॉस न अब मरी आखो म दखा और मझ अपन पास बठन क लिए इशारा ककया, " सषमा इधर आ क बठो, तम कछ बोि रही थी िोन पर की कोई खास बात करनी ह मझस." मन सामन बठी ही बोिन क लिए मह खोिा तो बॉस किर बोिा "ऐस नहीी पहि यहा मर पास आ क बठो किर बताओ." म मसकराई और उठ क बॉस क पास आ कर बठी और किर बोिी, "वो. सर. कस बोि ी, मझस तो बोिा ही नहीी जा रहा, उि," वो मझ हहममत बीधता बोिा, " बोिो, बोिो जो बात ह साि साि बोिो, मझस मत शरमाओ, मन की बात बोि ही दनी चाहहए." मन हहममत इकटठी करन का नाटक ककया और बोिी "वो, सर, आपका कहना सही था सर उस पाटी म, पवनोद बहत शराब पीता ह और जआ भी बहत खिता ह, वो जए म बहत पस हार रगया ह और उसन रगीडो स भी उधार ि रखा ह और अब वो रगीड उसको धमका रह ह की पस जलदी वापस कर नहीी तो उसक हाथ पर तोड दरग. मरी आपस रगजाररश ह सर की पिीज उसको ऑकिस स ५०,००० रपय एडवाीस हदिवा दीपजय सर. हम कस भी करक धीर धीर सारा पसा चका दरग सर." बॉस मरी बात सन क हीसा, " सषमा तम बहत भोिी हो, पवनोद न लसिष रगीडो स ही नहीी उधार नहीी लिया ऑकिस का पसा भी इधर उधर ककया ह मझ १ वीक पहि ही पता चिा की उसन पाहटषयो स डायरकट पस ि लिए और की पनी म जमा अकवाषन क बदि खद उडा हदए ऐस पस कम स कम ३०,००० ह और जयादा भी हो सकत ह." "ओह." म जस सदम म आ रगई, और रोन रोन को हो रगई, मरी तो ककसमत ही ि ट रगई सर,

भरगवान न हमशा मर साथ अनयाय ककया ह सर पहि तो कािा रीरग द हदया और किर ऐसा पनत. म सचमच रोन िरगी." बॉस को मौका लमिा मझ समभािा और मर आीस पोछत बोि अर अर सषमा रोना नहीी दखो आज तमहारा बथषड ह. आज तमको रोना बबिकि नहीी ह म ह ना अ.. तमहारी मपशकि आसान बनान क लिए." मन रोना बीद कर उसकी तरि दखा, तो वो मसकराया, "हा सषमा तम मसकराओ, ओहह म तो भ ि ही रगया तमहार लिए चरगफट िाया था वो तो कार म ही रह रगई." बॉस उठ का बाषहर रगया और २ पकट ि क आया १ छोटा और १ बडा. उसन बडा अपकट मझ हदया और बोिा दखो तमहार लिए चरगफट ह, पसीद आया

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या नहीी. मन पकट खोिा तो उसम १ वन पीस रगाउन था , बहत सनदर मर मह स "वोव," ही ननकिा वो मरा चहरा दख रहा था, बोिा, " कस एिारगी सषमा" म बोिी, "बहत, बहत सनदर ह सर... और य तो बहत महीरगी भी होरगी." "महीरगी ससती स तमको कया िना.. य बोिो अचछी िरगी ना." मन हना म सर हहिाया तो बोिा " तो किर पहन क हदखाओ किर इसको, मन तमहारी द सरी समसया भी दखता ह कया कर सकता ह ." म चज करक शरमात हए आई. वो मझ दख क एकदम स उठ खडा हआ, "वाह सषमा य हई ना बात, ककतनी सनदर और सकसी िरग रही हो" म हीसी. " सर जयादा मत चढाइए मझ माि म ह म कसी ह . मर पपताजी को मरी शादी करन म पसीन आ रगए थ सर," वो बोिा," वो बवक ि िोरग थ पजनहोन तमहारी ख बस रती नहीी दखख सषमा, तम सच म आरग का एक रगोिा हो." बचारा पवनोद वो नहीी सीभाि सकता तमको सषमा. आओ इधर आओ, यहा बठो ना. तमहारा य डडर ीक भी अभी भरा ही ह." म पास बठी तो उसन मरा चरगिास उठा क मर हतः म हदया और अपना चरगिास उठा क मर चरगिास स टकराक बोिा तमहारी इस हसीी जवानी क नाम य जाम." म शरमाई और एक लसप लिया तो उसन बोिा "ऐस नहीी सषमा अब इसको १ साीस म खािी करो म भी करता ह ." मन उसका कहना अमना क प रा चरगिास एक साीस म खािी कर हदया , उसन द सरा चरगिास बनाया और बोिा तम "तम बोिो सषमा तमको कसा िरगा चरगफट." म बोिी बहत बहत सनदर सर, म तो कभी ऐसी डरस खरीदन की सोच भी नहीी सकती. मन ऐसा ही दखा था एक बार एक माि म ७४०० का था. थकस सर." वो मसकराए, "अभी स मत बोिो सषमा, अभी तो और १ चरगफट ह िककन य आसानी स नहीी लमिरगा. इसक लिए तमको मरा कहना मानना पडरगा." म झट स बोिी," कस एबत करत ह सर, म आपका हर कहना मान ीरगी , आपकी मजी चरगफट दो या नहीी, मन बबना चरगफट क ही आपका हर कहना मान ीरगी सर." वो हीसा और बोिा "पहि दख तो िो कया चरगफट ह." और पकट खोिा उसम एक रगोलड चन डायमीड पडि क साथ जरगमरगा रही थी.दख क मरा मह खइिा रह रगया, वो बोिा "कसी िरगी य चरगफट. सषमा?" . "य. य तो सर , बी,बहत महीरगी होरगी . रगोलड चन इतनी वजनदार, और किर डायमीड पडि १ िाख की तो होरगी सर." वो हीसा "तमको कया करना, ककतन की ह, वस १ िाख स जयादा की ह, बोिो पसीद ह," म चप ही थी , मरा चहरा िािच स िाि हो रगया था जो वो समझ रगया.बोिा " िककन इसक लिए तमको परोलमस करना पडरगा की मरा हर कहना मानोरगी, "मन तो पहि ही बोि चकी ह सर, म वस ही आपका हर कहना मान ीरगी, बस आप पवनोद को बचा िीपजय, आप जो बोिोरग कररगी, अभी की कया बात ह सर म आपकी दासी बन क रह ीरगी." वो हीसा. "दासी, हा य चिरगा, अरगर तम य वडा अकरो तो पवनोद को भी बचा ि ीरगा तमको मर घर म नौकरी द द ीरगा पवनोद स ४रगना सिरी रहना, खाना, कपडा सब फी. िककन पहि य चरगफट तो पहना द तमको." म बोिी पहना दीपजय ना सर, और अपनी रगदषन आरग की वो हीसा बोिा "ऐस नहीी डालििरग, य चन तर इस खबस रत बदन पर डाि रगा. पहि य कपड

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उतार द. मन चौकन की एपकटीरग की और उसकी तरि दखा तो बोिा "नाटक मत कर रानी,चि उतार अभी तो लसिष ऊपर क ही उतारन का बोि रहा ह , दख ी तर इन नीरग ममम पर कसी िरगाती ह य हीर की चन."और मर ममम पकडक दबा हदए जोर स. मर मह स लससकी ननकिी " उि. कया करत हो ,, ददष होता ह ना अ.. इतनी जोर स नहीी ना सर." वो हीसा बोिा इसी ददष म तो मजा ह रानी, इस ददष का मजा िना सीख जा, तझ हीरो स िाद द ीरगा त दख तो सही "और दोनो ननपपि पकड क प री ताकत स मसि दी. मर मह स चीख ननकि रगई. आई.ई म चीखी तो हीसा, "धीर चचलिा सषमा तर पडोसी सन िरग तरी चीख," और किर स प रा मममा पकड क जोर स मसिा. सच कहती ह दोसतो उसन ननपपि जोर स मसिी तो मरी तो जस जान ही ननकि रगई थी, िककन म मसकराई और अपनी ननपपि सहिाती बोिी, "कया करत ह सर, बहत ददष होता ह, बहत बददष हो आप." वो हीसा और बोिा, "इसी ददष म तो मजा ह डालििरग, औरत तो बनी ही ददष सहन क लिए ह, और अब नखर मत कर चि इस चरगिास को खािी कर जलदी स और उतार द अपन य कपड, और हदखा मझ अपन य नीरग ममम, दख ी बबना कपड क कस िरगत ह, सािी न बरा क सहार स तान तो नहीी रख ह, कपड उतरत ही िटक जायरग. समझ ि अरगर ममम िटक हए लमि तो य चन नहीी लमिरगी और म अभी चिा जाउीरगा यहा स, तरा पजसम ही तो मझ यहा िाया ह वरना तर को माि म ह तरी तरि कोई दखता भी नहीी ह." उसकी बात सन क मझ बहत रगससा आया, सािा खि कर मरी ब-इजजती कर रहा था, उसक ननपपि मसिन स जीतनी तकिीि हई थी उसस जयादा तकिीि मझ उसकी बातो स हई, िककन मझ माि म था मर ममम कस ह इसीलिए ननपशचनत थी. उसकी बातो स य भी समझ रगई थी की इसक सामन अब अदा हदखान स या नखर करन स कम नहीी चिरगा तो मन अपना चरगिास १ ही साीस म खािी ककया और उठ क खडी हई और अपना रगाउन उतार हदया, अब मर पजसम पर लसिष बरा और पटी ही रह रगए. म शरमाई और उसक पास आ कर पिट क बोिी सर "ह क खोि दीपजय ना." वो किर हीसा िककन ह क खोि हदया मन बरा उतारी और धीर धीर अदा स पिटी. उसकी नजर मरी तरि ही थी. य महस स करक मझ खशी ही हई.मर ममम ककसी पहाड की तरह तन हए थ और ननपपि पहाड की चोटी पर उरग ककसी पड की तरह अपन लसर उठाय खडी थी. दख क वो मसकराया अपन पास बिाया और दोनो ममम को पयार स सहिाया. उसक हाथो म जान कया जाद था की ममम और तन रगए. उसन दोनो ममम पर पर अपनी हथिी म भरन की कोलशश करत हए मरी आखो म दखा, मसकराया और बोिा, "ममम तो तर सच म अचछ ह, िरगता ह वो सािा पवनोद इनस सही तरह स नहीी खिता. या त उसको नहीी खिन दती, खर कोई बात नहीी म द ीरगा तझ इन मममो का मजा, त बोिी ना मरी दासी बन क रहरगी." मन हा की तो एक ननपपि स खिता बोिा, "मरी दासी बन क रहरगी तो घर की रानी बना क रख ीरगा, िककन एक बात समझ ि, मरी ककसी बात स मना ककया, या कछ भी रगिती की मार मार क चमडी उधड ि ीरगा कनतया की." रगोलड चन उठा क मर रगि म डािी और थोडा पीछ

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ककया और दखन िरगा, मसकराया और किर आरग बिाया," सच मसत िरगती ह य चन तर पर, काि काि ममम क बीच म चमकती हई सोन की िकीर और बीच म झ िता हीर का पडि." दोनो ननपपि चटकी म भर क बोिा, "सोचता ह हीर की २ बालिया भी बनवा द तर इन काि काि ननपपि क लिए अधर म द र स चमक रग तर य ममम." और खि क जोर स हीसा. "बोि पहना द इनम भी बालिया." म बोिी, "आपकी मजी सर," किर अदा स बोिी "म तो आपकी दासी बन रगई ह , अब तो जो मालिक की मजी वही दासी की मजी" वो किर खि क हीसा, "य बहढया बात बोिी तन सषमा, मझ पसीद आई, ऐस ही रही तो दख तझ कया कया दता ह , िककन उस हरामी पवनोद को छोड द और मरा कहना मानना शर कर द, तरी ककसमत खि रगई ह." " आपका कहना ही तो मान रही ह सर, आरग भी जो आप बोिोरग मान ीरगी, वादा करती ह , चाहो तो लिखवा िो मझस, आपकी ककसी बात स कभी मना नहीी कररगी." उसन मझ पीछ स पकडा और आरग आन का इशारा ककया

म पास आई तो मरा १ मममा एकदम स प रा मह खोि क पजतना अनदर आया भरा और चमिान िरगा. मर मह स लससकाररयाी ननकिन िरगी उसन मममा बाहर ककया और अब लसिष ननपपि को मह म रखा औत जीभ स उसस खिन िरगा. म तो जस सवरगष म पहच रगई. मरी च त जस पानी छोड दरगी. उसन हिक स दाीत िरगाए मर मह स आनीद भरी "आह"ननकिी उसन मरी आखो म दखा और बोिा "कया हआ रानी , आह - उहह कयो कर रही हो?" म शरमाई, मसकराई और बोिी, "सर, आपक साथ मजा आ रगया आपन अभी शरआत ही की ह और मझ िरगता ह की म आखरी तक पहच रगई." मन अपनी बात प री भी नहीी की थी की उसन १ ननपपि पकड क जोर स खीीची मर मह स किर चीख ननकिन िरगी मन जस तस रोका िककन मर चहर पर ददष लसमट आया तो वो मसकरा क बोिा, " कयो डालििरग ददष होता ह," मन हा म लसर हहिाया तो किर बोिा, " इसी ददष म तो मजा ह रानी इसका मजा िना सीख जा बस दख तझ सचमच रानी बना द ीरगा. त न बोिा की मरी दासी बन क रहरगी इसीलिए य ऑिर हदया ह तझ वरना बहत लमिती ह मझ तर स जयादा सकसी. मझ माि म ह पवनोद न तर को कभी सकस का मजा हदया ही नहीी मर साथ रहरगी तो सकस का मजा भी िरगी और माि भी कमाएरगी िककन मरी दासी बन क रहरगी तो, मरा रगससा सहन कर सकरगी तो, जरा सी रगिती पर म सखत सजा दता ह . ऐस", करक उसन मरी दोनो ननपपि प री ताकत स मसि दी रोकत रोकत भी मर मह स चीख ननकि ही रगई तो वो हीसा." बस सषमा य बात सीख ि इस चीख म ददष कम और मजा जयादा होना चाहहए. कोलशश कररगी तो सब सीख जायरगी. बोि सीख जायरगी ना.?" म ददष स मसकराती बोिी, "आप लसखा दीपजय म सीख जाउीरगी." तो किर हीसा बोिा " डालििरग म लसखाउीरगा तो जलदी सीख जायरगी िककन म बहत पसटरकट टीचर ह बबना मार बबना सजा क नहीी लसखाता म. वो सना ह ना तन, छडी पड धम धम सीख चिा छम छम. बस वस ही. सोच ि, सीखरगी." म मसकराई और बोिी आप जस लसखाओरग सीख िीरगी सर." उसन मझ बोिा चि किर यहीी सोि पर आ जा मरी बरगि म, म बरगि म आई तो किर खिन िरगा

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मर बदन स. इस बार और भी सखती स, खिन िरगा. च ची स खिन म तो जस उसको महारत हालसि थी ऐस सहिाता, दबोचता और मसिता की म आह, आह कर उठती. िककन मरी इस आह म भी मजा था जो सच म ही था. म उसक खि को भरप र मजा ि रही थी. और उसका च ची और ननपपि चसना तो ऐसा था की मरी च त १ बार तो पानी छोड चकी थी और द सरी बार भी च त प री पननया चकी थी. वह १ ननपपि को मह म िता और द सरी स हाथ स खिता. कभी कभी हिक स दाीत िरगता, कभी दाीत म दबा क खीीचता मर मह स बस लससकाररयाी, आहह, ओह, उम म म , मम म म हाय र, आई, उम म हा राजा . अमम .. आ.. आहा. ननकि रहा था. उसन एक हाथ मरी च त पर रखा और बोिा, "अर, सषमा त न तो पानी छोड हदया िरगता ह बहत पयासी ह मरी दासी. इसको कोई मदष नहीी लमिा अब इसका मालिक बझायरगा इसकी पयास बोि सषमा पयासी ह ना." म बोिी "हा सर बहत पयासी ह , आज आप मरी पयास बझा दो सर." वो हीसा और बोिा चि किर अनदर बडरम म, अनदर जात ही उसन मझ बड पर चरगराया और मर सामन खड हो क अपनी पट उतारी बबरि म उसका िीड बबिकि तमब की तरह तना हआ था उसन िीड मर हाथ म पकडाया और बोिा "दख कसा ह. तर पवनोद स अचछा ह या नहीी.?" मन िीड पकडा उसकी िमबाई और मोटाई को िीि ककया और बोिी, "उसका नाम मत िो सर, उसका तो इसस आधा भी नहीी ह, मझ तो डर िरग रहा ह इसस." "अर डर मत रानी बाहर ननकाि इसको और किर बोि कसा ह?"

मन बरीि पकड क खीीची और िीड िनिना क बाहर आ रगया. उसको दखत ही मरी चचचया एकदम स तनाव स भर रगई, ननपपि भाि की तरह बाहर ननकि आय, मझ ऐसा िरगन िरगा की मरी च चचयाी िट ना जाए. मन आख िाड उसक िीड को दख रही थी. पवनोद क मकाबि डबि स भी जयादा था और लसर उठाय ऐस खडा था जस कहीी स जीरग जीत क आया हो. मन िीड पकडा बबिकि रगरम था पवनोद का कभी भी इतना रगरम नहीी िरगा मझ य तो जस बखार म तप रहा था. मन हाथ पीछ खीीचा तो उसन मरा हाथ पकड क किर िीड पकडा हदया और बोिा "खि रानी - पसीद नहीी आया कया मरा िीड तझ ? " म चप रही तो मरा रगाि खीीचत बोिा "बोि ना, शमाषएरगी तो मजा नहीी आयरगा रानी, बबना शमाषए बात कर, बोि कसा िरगा मरा िौडा ?"

"बी.बहत अचछा सर, बहत बडा और मोटा ह य, पवनोद का तो इसस* आधा भी नहीी ह, म.मझ तो डर िरग रहा ह इसस तो मरी िट जायरगी सर." वो हीसा खि क हीसा, "अर कहीी िीड डािन स भी च त िटी ह कभी, और किर तरी शादी को तो ६ महीन हो रगए ह, हरामजादी मास म मत बन. चि च स ि मरा िीड. उठ नीच बठ क ि मह म. दख ी कसा च सती ह त . " म नीच बठी और उसका िीड ककस ककया , मह म लिया और सपाडा च सा. मह म जात ही िीड और िनिना रगया बबिकि िोह की राड जसा हो रगया. म च सन िरगी और वो मरी च त स खिन िरगा, सहिाया, मसिा और जब १ उीरगिी अनदर डािी तो म तडप उठी, "सर कया करत हो, अह. मम.मम. म.म.मममम...आह सर कछ करो , मझस रहा नहीी जा रहा. पिीज सर अह.उ.उमममम"उसन उीरगिी अनदर घमाई चारो तरि

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उसकी खरदरी उीरगिी मझ पवनोद क िीड स जयादा मजा द रही थी. मरी च त पानी छोडन िरगी तो वो हीसा, "अर सषमा तन तो पानी छोड हदया, सािी कनतया इतनी जलदी झडरगी तो मरा साथ कस दरगी. अभी तो उीरगिी ही डािी ह िीड डाि रगा तो कया होरगा तरा," और अपनी वो उीरगिी बाहर ननकाि क खचच स २ उीरगिी एक साथ पि दी मर मह स कराह ननकि रगई तो वो हीसा, " िरगता ह उस मादरचोद पवनोद न ठीक स खिा ही नहीी तर साथ, तभी तो कनतया उीरगिी स ही चचलिान िरगी. बोि य िीड डाि रगा तो कया होरगा तरा. सािी त तो चचलिा चचलिा क पडोलसयो को बिा िरगी." और दोनो उरगलियो को बरहमी स च त क अनदर घमाया मन ददष क मार अपन दाीत भीीच लिए की कहीी चीख नहीी ननकि. सच दोसतो मर साथ वही हो रहा था जो म शायद हदि स चाहती थी, उसकी बरहमी, उसकी बददी मझ मजा द रही थी, ऐसा मजा की ददष को भ ि जाना चाहती थी और लसिष और लसिष मजा िना चाहती थी. अब तो मरा मन कर रहा था की वो इसी तरह बरहमी स अपना मोटा भारी िीड भी च त म एक झटक स पि कर मरी च त िाड डाि. िककन वो तो अभी उीरगिी स ही खि रहा था, उसन अब मझ खडा ककया और अपन की ध पर हाथ रखवा कर मझ झकाया इसस मर दोनो ममम उसक चहर क सामन झ िन िरग वो मसकराया और बोिा, "आ आज तझ जननत हदखाता ह , तरा वो हरामजादा पनत आता ही होरगा उसक पहि थोडा मजा और ि ि किर उसको दार पपिा क बहोश करना और मरी सवा करना, ठीक स सवा करी तो आज ही तझ िीड का सवाद भी चखा द ीरगा." उसकी बात सन क मर बदन म आरग िरग रगई, सािा मझ इतना रगरम करन क बाद बोि रहा था की अभी नहीी चोदरगा बाद म चोदरगा और वो भी मन अपनी सवा स उसको खश कर हदया तो जान कसी सवा करवाएरगा सािा कतता. यहा म तो जिी जा रही ह और इसको सवा करवान की पडी ह सच म कतता ह सािा. िककन पररगट म बोिी, "सर आप बोिोरग वस ही सवा कर द ीरगी िककन पिीज पहि एक बार डाि दो ना अनदर अपना य पयारा हचथयार." "चप, मादरचोद सािी रीडी, रानी बोि हदया तो लसर चढन िरगी जो बोिता ह वो ही कर, जयादा तज चिी तो खाि खीीच ि ीरगा, ऐस." कह कर उसन मरी दोनो ननपपि को जोर स पकड क प री ताकत स खीीचा तो मर मह स किर चीख ननकि ही रगई. वो हीसा और बारी बारी दोनो ननपपि को सहिाता और जीभ स चाट, चमिा क बोिा समझ रगई ना मरी बात पर कोई एतराज ककया या ना नकर की तो य तो टरिर था सािी को सखत स सखत सजा लमिरगी, और मरी बात मानी तो सचची म रानी बना क रख ीरगा. बोि रहरगी मर साथ ?" म उसकी ननपपि खीीचन स घबरा रगई थी जो उसक सहिान, च मन और चाटन स कछ नोमषि हई तो बोिी," सर अब तो आपकी दासी बन रगई ह , जस आप रखोरग वस ही रह ीरगी, मरी रगिती की मािी चाहती ह सर, आरग स नहीी कररगी कोई रगिती, कर तो आपको प रा अचधकार ह जो मजी सि क करना मर साथ." वो खश हो क हीसा, "हा, य हई ना बात, ऐस ही रहरगी तो ऐश कररगी, तर जसी को ही तो म ढ ीढ रहा था, दख तझ म कसी रीडी, कनतया बनाता ह , मरी पयारी रीडी को कपड की जरगह हीर और मोती क रगहन पहनाऊ रगा, तझ जानन वािी और दखन वािी औरत तर स जिरगी, सािी बहत रीडडयो को चोदा ह मन िककन

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तर जसी एक भी नहीी लमिी. अब समझ ि तर हदन किर रगए ह, पवनोद अब तरा नाम का पनत होरगा, उस हरामजाद स भी तरी रगिामी करवाउीरगा सािा तर तिव नहीी चटवाय उसस तो मरा नाम नहीी. चि आ जा अब और द अपनी एक च ची मर मह म और बोि की िो मालिक अपनी इस दासी की च ची च स िो." मन झक क एक मममा मह म हदया िककन बोिन म शरमाई तो बोिा, " ऐस नहीी पयार स बोि जो मन बताया ह, रगससा मत हदिा मझ." म अब उसकी बातो स मजा िन िरगी थी, कछ शराब का भी सरर था और कछ उसकी हरकत पजनस मझ बबना चद ही चदाई स जयादा मजा आ रहा था. मन अपनी चचचयो को हिकी सी हरकत की और अदा स बोिी, " िो मालिक अपनी इस दासी क ममम ि िो अपन मह म और च स िो इनको, खा जाओ मालिक." मरी इस अदा स बोिन क कारन तो वो जस खश हो क ट ट पडा मर मममो पर और दोनो हाथ स ख ब जोर स मसि क एक मममा मह म लिया और चमिान िरगा, ममम स हटाया हाथ उसन च त पर िरगाया और अब मरा एक मममा उसक मह म था, उसका एक हाथ दसर ममम स खि रहा था, खि कया रहा था उसको आट क जस रग थ रहा था और उसका द सरा हाथ मरी च त स खि रहा था और मर मह स लसिष , आह, ओहह, हाय. उम. ममम. धीर. खा जाओ. च स िो. मसि दो. आहह.. हाय र. बहत ददष ह, जसी आवाज िरगातार ननकिन िरगी. उसको भी मरी इन लससकाररयो म मजा आन िरगा था उसका िौडा तन क ठनककयाी मार रहा था झक झक उसको दख दख क मरा मन कर रहा था की वो डाि द इसको मरी च त म और चोद चोद क मरी च त क चचथड उडा द. िककन उसक नाराज होन क डर स चप थी. उसन मर मन की बात भाीप िी और मसकरा क बोिा, " कयो रानी कया सोच रही ह." म बोिी कछ नहीी राजा, आपक पास सच म मज का खजाना ह. अरगर नाराज ना होवो तो एक बात बोि ी." वो बोिा "बोि रानी िककन अभी चोदन का मत बोिना, चदाई तो तरी तर पनत क सामन ही होरगी, अब य तरी मजी ह की उसको शराब पपिा क बहोश करन क बाद चदवायरगी या किर ऐस ही उसक सामन. त आज उसक सामन चदवा मझस और किर दख म तझ कया दता ह . चि त बोि कया बोि रही थी." म बोिी " कछ नहीी सर बस यही बोिना चाह रही पजसक लिए आपन मना ककया ह, िककन पवनोद क सामन कस कररगी मझ समझ नहीी आ रहा." उसन मझ सीधा ककया और अपनी बरगि म बठा क बोिा "चि बठ जा यहा बहत हो रगया खि म तझ बताता ह कस उसक सामन चदरगी, जस ही आय उसको बता दना की मन कया कया हदया ह तझ य डरस, य रगोलड चन, य डायमीड पडि, और य ि ५०,००० रपय. य सब हदखा क बोिना की उसका सारा कजष म चका द ीरगा वो धीर धीर अपनी सिरी म स चकाता रह, त मरी दासी बनरगी तो उसको भी आउट हाउस म रहन की जरगह लमि जायरगी, खाना भी मर घर खा िरगा, शराब भी कभी कभी म द हदया करी रगा बस प री सिरी बच जायरगी वो ऑकिस म जमा करा द उसकी सिरी भी बढा द ीरगा पजसस २ साि म सारा कजष चक जाएरगा. जि जान स बचरगा, रग ीडो की मार खान स बचरगा वो मफत म. अब इसस भी वो नहीी मान तो य तरी रगिती होरगी, उसको कस मनाना ह मन रासता बता हदया अब चिना तो तझ ही पडरगा."

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और दोनो ननपपि थोडा जोर स पकड क हहिाई तो मझ बहत मजा आया इस बार जो ददष था वो परानी चोट क ददष जसा ही था कोई नया ददष नहीी हआ, और परानी चोट का मीठा ददष मझ मजा द रगया.

उसन मर ममम पर थपकी दी और छोड हदया. "जा बाथरम हो आ और पहन ि तर कपड पवनोद आन वािा होरगा. दखता ह त कया करती ह अब." मसकराया ऐस जस मझ चिज द रहा हो की उसक सामन चदा क बता. उसस कोई बात करन का िायदा नहीी था, म सकस की आरग म जिी जा रही थी, िककन मझ माि म था की वो अब कछ करन वािा नहीी था. म बाथरम म रगई और अपन आप को ठीडा ककया, नहात नहात सोचन िरगी की कया कररगी, उसकी सब बात मझ याद थी. म उसकी रखि बन क अपन बदन को हीर और मोती स सजाना चाहती थी, सच म उसन बहत बडा िािच हदया था मझ, और इसक अिावा उसका िीड भी तो मझ िना था मन इतन बड और इतन सखत िीड की कलपना भी नहीी की थी म ककसी भी की डीशन म उसस चदाना चाहती थी, उसकी बात सोच क ही मरी च त म किर पानी आन िरगा था, मरी चचचयो पर बन उसक दाीतो क ननशान ऐस हदख रह थ जस ननपपि क बाहर एक और बाउीडरी बना क उनको सरकषित कर हदया हो. मन जस तस अपन आप को कणटटरोि ककया और सोचन िरगी की कस पवनोद क सामन उसस चदाऊी की वो मझ अपनी परमानट रखि बना ि. सबस आसान रासता मझ पवनोद को ख ब शराब पपिा क बहोश कर दन का ही िरगा और म इसी िाइन पर सोचन िरगी किर अचानक मझ खयाि आया की पवनोद तो खद ही मझ इसक पास जान क लिए लमननत कर रहा था, सािा कतता खद स तो कछ होता नहीी और अपनी रगिनतयो क लिए बीवी को रीडी बना रहा था तो उस हरामजाद क सामन ही बॉस स चदवाउीरगी और अपना पिान बनान िरगी. म नहा क बाथरम स बाहर आई और बॉस को दख क मसकराई, बॉस भी मझ दख क मसकराया और तारीि की नजरो स दखन िरगा. "ऐस कया दख रह ह सर ?" "दख रहा ह की नहान क बाद और भी फश और सनदर िरग रही ह मरा भी हदि कर रहा ह की अभी चोद द तर को. िककन सबस पहि तो तर पनत क सामन ही चोदीरगा तभी मजा आयरगा और तझ प री रीडी बनाउीरगा बोि चदरगी ना उस क सामन ?" " अब आपका हकम कस टाि सकती ह सर आपकी दासी बन रगई ह तो आपका हकम तो मानना ही पडरगा." "किर कया सोचा तन , कस चदरगी उसक सामन? उसको शराब पपिा पपिा क? िककन सन तझ एक ऑिर और दता ह की अरगर उसक होश म चदरगी तो तर इन दोनो कानो क लिए और इन दोनो ननपपि क लिए २ जोडी हीर क ररीरग बनवा द ीरगा बहढया वाि." म तो खश हो रगई, मन खद भी तो यही पिान ककया था बोिी, "सर म सोचती ह ऐसा कस होरगा, िककन आप परोलमस कर रह ह न बहढया वाि हीर क २ जोडी ईअर ररीगस बनवा क दोरग." वो हीसा बोिा " २ जोडी ईअर ररीगस नहीी रानी, १ जोडी ईअर ररीरग और १ जोडी ननपपि ररीरग."और जोर स हीसा. मन शमाषन की एपकटीरग की और बोिी "ठीक ह सर म सोचती ह कछ. आप भी कछ मदद कीपजय ना." वो बोिा नहीी य तरी पररिा ह रानी

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इसम पास हो रगई तो सच म मन जो जो बोिा ह सब करक हदखाउीरगा तझ, त सच म मरी दासी बन क भी राननयो की तरह रहरगी." और उठ क बाथरम म चिा रगया. वो बाथरम म रगया और २ लमनट बाद ही दरवाज की घीटी बजी. मन बाथरम का दरवाजा खटखटा क उसको बोिा सर एक ररकवसट ह आपस पिीज १० लमनट बाद बाथरम स बाहर आइयरगा और किर म जो बात कर पवनोद स पिीज उसम आप भी मरी बातो का समथषन कीपजएरगा. म कोलशश कररगी की उसको बबना बहोश ककय ही कछ कर सक ." उसन झट स अपनी सहमती द दी, मन "थकय सर" बोिा और बाहर का दरवाजा खोिा, पवनोद न इशारी म ही मझस प छा की कछ हआ कया, म मसकराई और बोिी "अनदर तो आओ, बॉस अभी बाथरम म ह बोि रह थ नहा क आयरग." अनदर आक पवनोद मझ दखन िरगा.म मसकराई, बॉस क हदए रगाउन न मरा हसन और ननखार हदया था. म और भी जयादा सकसी और आकषषक हदखन िरगी थी. "य बॉस न हदया ह, और साथ म य रगोलड चन भी दी ह पजसम डायमीड पडि ह." मन चन भी ननकाि क हदखाई.

"मन तमहार बार म भी बात की थी, बॉस सचमच तमस बहत नाराज ह वो तो तमहार बार म बात भी नहीी करना चाहता था मन जस तस मनाया. पता नहीी कसी कसी हरकत सहन करनी पडी उसकी, खर मन उसको मना ही लिया, उसका कहना ह म उसक घर म नौकरी कर ि , मझ सब नौकरो की हड बना दरगा और सिरी भी २०००० हर महीन, रहना, खाना,,*कपड*सब फी. *तमको बीरगि क आउट हाउस म जरगह द दरगा रहन क लिए. कभी कभी जब जररत हो तमको घर म भी काम करना पडरगा, उसक बदि उस हदन तमको खाना और शराब लमिरगी. बॉस रगीडो को चकान क भी पस द दरगा िककन जब तक तमहारा प रा कजष नहीी उतर जाता तमको लसिष खान क पस काट कर प री सिरी ऑकिस म जमा करना होरगी . बोिो ठीक ह ना?" वो तो खश हो रगया बोिा, " हा सषमा बबिकि ठीक ह बॉस बहत महरबान ह, सच तमन उनको मनाया ह म तमहारा भी उपकार जीवनभर नहीी भ ि ीरगा." म मन*ही मन मसकराई िककन रगीमभीर हो क बोिी "िककन अभी एक अडचन बाकी ह, बॉस न मर बदन स ख ब खिा, दबाया, मसिा, कचिा िककन अभी तक उसन मझ चोदा नहीी, उसका हचथयार तमहार स डबि स जयादा ह बोिा अभी नहीी चोदीरगा सषमा पहि अपन पनत स सब बात कर ि, मरी खि क सवा करना पडरगी, शमाषना बबिकि नहीी, शमाषन वािी औरत मझ पसीद नहीी ह, और अरगर ठीक स सवा की तो समझ ि १ महीन म ही तरी सिरी डबि कर द ीरगा. और रगिती की तो सखत सजा लमिरगी,* मार मार क*खाि*खीीच*ि ीरगा म, *उसन आज भी इस तरह कचिा मर बदन को की मरी चीख ननकि पडी, िककन मन तमहार कारण सहन ककया," मन रगाउन नीच करक उसको च ची हदखाई "दखो कस काटा ह उस जालिम न," रगाउन क अनदर बरा नहीी पहनी थी मन, ननपपि क बाहर दातो क काट का घरा साि नजर आ रहा था िरगता था ककसी न बरहमी स काटा ह. दख क वो लसहर उठा. म किर बोिी "अब उसका कहना ह पवनोद स बात कर ि मर सामन और अरगर वो राजी हो तो आज स तरी नौकरी

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शर हो जायरगी. अब तम बोिो कया करना ह, मझ तो समझ नहीी आ रहा, तमहार स उसक सामन पचीरगी और तमन हा की तो कहीी तमहार सामन ही कछ करन नहीी िरग वो." पवनोद एक बाररगी तो सहम रगया मझ िरगा कहीी वो दर क मना नहीी कर द, तो म किर बोिी, " सोच िो पवनोद मन बडी मपशकि स तयार ककया ह उसको, िककन य भी सच ह की उसक इराद कछ ठीक नहीी िरगत मझ, उसन मझ नीरगा करक मर बदन स खिा अपना हचथयार मझ पकडाया िककन आरग नहीी बढा, बोिा पवनोद को आन द उसक सामन सब तय होरगा,, वो जरर तमहार सामन मर स कछ कररगा और हम दोनो की ही ब-इजजती कररगा. उसन मरी जीतनी ब-इजजती की ह उसक बाद भी मझ मजब री म तयार होना पडा. िककन एक बात ह उसम. ह पकका मदष, मन कम स कम आधा घीटा उसक हचथयार को सहिाया िककनसन पानी नहीी छोडा, तम तो इतनी दर म २ बार छोड दत और किर वापस खािी ही रह जात." मन शद हदए तो पवनोद बोिा," य बात तो ह सषमा वो बहत जालिम ह औरसको िोरगो की बईजजती करन म बडा मजा आता ह, तम जो सोच रही हो वो भी हो सकता ह, िककन हमार पास कोई चारा भी तो नहीी ह , बॉस बडा आदमी ह शायाद मान भी जाए िककन वो रगीड, वो तो जरर मर हाथ पर तोड दरग और किर वो तमहार साथ भी बद-सि की कररग. उसस तो अचछा अकि बॉस की ही रगिामी कर ि, म सब समझता ह वो हम दोनो को ही अपना रगिाम बना िरगा इस तरह, िककन उन रगीडो स किर भी अचछा ह, उसकी रगिामी क बदि हम कछ पसा तो लमिरगा.". म रगससा करक बोिी, "कस ना-मदष हो तम पवनोद, अपनी बीवी को दसर की रीडी बना रह हो और वो भी ऐसी की तमहार सामन तमहारी बीवी को नीरगा कररगा वो और तम बोि रह हो की तम राजी हो. िानत ह*तमहारी मदाषनरगी पर.खर चिो तम बठो बॉस क साथ शराब पीओ म कछ करती ह , बॉस आता ही होरगा बाथरम स.". बॉस बाथरम स बाहर आया. पवनोद को दख क बोिा "आ रगया पवनोद, चि अब मर लिए समाि और अपन लिए डबि परग बना ि." पवनोद परग बनान िरगा म सामन बठी थी. जब पवनोद न जलदी जलदी अपना आधा परग खतम कर लिया तो म बोिी, " पवनोद बॉस मझ अपन घर नौकरी द रह ह , म उनक सब नौकरो की हड, और बाहर जान पर उनकी पी ए. रह ीरगी. तमहार बार म बॉस का कहना ह की वो तमहारा सब कजष उतार दरग िककन तमको अपनी सिरी स सब चकाना पडरगा. इसक लिए बॉस क घर क आउट हाउस म तमको रहन क लिए जरगह लमिरगी, तमहारी सिरी स १०% तमको लमिरगा बाकी सब तमहारा कजष चकान क लिए कट जाएरगा. कजष तमह अपनी सिरी स ही चकाना पडरगा. तमको भी कभी कभी जब भी जररत हो घर पर भी काम करना पडरगा उसक लिए तमको अिरग स बोनस लमिरगा, इसम एक खास बात ह जो बॉस तमहार सामन करना चाहत ह की मझ बॉस की हर तरह स सवा करनी होरगी, बॉस मरी सवा स खश हए तो मझ चरगफटस दरग जस अभी हदए ह और परोलमस ककया ह २ जोडी डायमीड ररीगस बना क दन का, िककन अरगर मन कोई रगिती की तो मझ सखत सजा लमिरगी, मन इसक लिए हा कर दी ह िककन बॉस का कहना ह की मझ य

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नौकरी तभी लमि सकरगी जब म प री तरह बशमष बन जाऊी , बॉस को शरमान वािी औरत पसीद नहीी ह. इनका कहना ह की इनक घर म रहत हए मझ २ स जयादा कपड नहीी पहनना ह मझ सबस मॉडनष डरसस हदिाएीरग िककन घर क बाहर पहनन क लिए. और वो २ कपड भी जब भी बॉस बोि उतारन क लिए तयार रहना पडरगा. मन बहत लमननत की की बॉस सबक सामन मत बोिना ऐसा िककन बॉस का कहना ह की जब उनकी मजी होरगी नीरगा कररग और जो मजी कररग. बस यही खास शतष ह जो मझ मानन म हदककत आ रही ह और बॉस का भी कहना ह की हा भी कर तो तमहार सामन ना भी कर तो तमहार सामन. हा की तो मरी नौकरी अभी स ही शर हो जायरगी और एडवाीस म बॉस अभी २ िाख रपय मीरगवा क द दरग जो तम सबह सबह ही उन रगीडो को द सकत हो. बोिो अब तम कया कहत हो." मन जस एक ही साीस म जलदी जलदी पवनोद को बॉस क सामन किर सारी बात बताई. पवनोद बचारा बॉस क सामन मर मह स य बात सन क सनन रह रगया उसन सोचा भी नहीी था की म इस तरह की बशमी भरी बात बॉस क सामन कररगी. अब बॉस बोिा, " सोच कया रहा ह पवनोद,

तरी बीवी तझस प छ रही ह, और सन ि य ऑिर इसक लिए ही ह, जान कयो मझ पसीद आ रगई ह य, वरना तर जस को तो सजा लमिनी ही चाहहए. सोच मत और जलदी बोि द हा या ना." म भी बोिी, "हा पवनोद मझ कछ समझ नहीी आ रहा इसीलिए तो तमस प छ रही ह बोिो न कया कर " पवनोद तो िी स रगया था बोिा सषमा हमार पास और कोई चारा भी तो नहीी ह, मझ तो िरगता ह की तम हा कह दो." म जस बबिर क बोिी, " दखा सर आपन, य मरा पनत ह, कमीना, अपनी बीवी को बच रहा ह. खर म भी कया कर मरी ककसमत ही ऐसी ह. पहि तो शादी ही दर स हई और हई तो ऐसा कमीना पनत लमिा जो मरी कोई इचछा प री नहीी कर सकता. म भी यही चाहती ह की इसका साथ छोड क ककसी मदष की रगिामी कर ि वो बहतर होरगा. मझ मीज र ह सर. म वादा करती ह की सारी पजनदरगी आपकी दासी बन क रह ीरगी आप जो बोिोरग कररगी, आपकी कोई बात टाि तो जो मजी सजा द दना, आज स मरी य खाि आपकी ह सर, चाहो तो इसक ज त बना क पहन िो." बॉस जोर स हीसा, "अर नहीी सषमा, तम बस मरी दासी रहोरगी, बाकी घर क हर नौकर पर तमहारा हकम चिरगा, य पवनोद भी तमहारा नौकर ही होरगा आज स. तमको अचधकार ह की पजस नौकर को मजी रखो, पजस मजी ननकाि दो, पजस जो काम दोरगी कररगा नहीी कर तो जसी मजी सजा दो, सजा स मना कर तो उसी समय नौकरी स ननकाि दो. अभी स ठीक २० लमनट बाद तमहारी नौकरी शर होरगी तब तक इस पवनोद को शराब पी िन दो इसन बोति िान म बहत महनत की ह." बॉस हीस क बोिा. म भी बॉस को दख क मसकराई. पवनोद न अपना परग खतम करक द सरा किर डबि बनाया. बॉस न मझ अपन पास बिाया म रगई तो बॉस न मरा हाथ पकड क मझ अपन पास बठा लिया. " इधर बठ सषमा, अब त मरी दासी ह, कयो पवनोद ह या नहीी " पवनोद बोिा "जी हा सर ह य कया म भी आपका रगिाम ह सर." बॉस हीसा बोिा " त तो पहि ही मरा नौकर ह पवनोद अब तरी बीवी मरी

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दासी बन रगई ह तो त मर घर का भी नौकर हो रगया ह तरी नौकरी भी आज स ही शर ह, य ि २००० आज का बोनस तर लिए, िककन य लसिष आज लमिा ह पहिी बार ह इसीलिए इतना हदया ह आरग स इतना नहीी लमिरगा." पवनोद न बॉस स २००० लिए और बोिा, "थकय बॉस आप बहत महरबान ह सर, आपक जसा बॉस पा कर मरी तो ककसमत सीवर रगई ह बॉस,

म परोलमस करता ह सर की आप जो हकम दोरग म बजा िाउीरगा सर आज स म भी आपका रगिाम बन रगया ह ." बॉस बोिा "जयादा मत चढ पवनोद य बता तझ पर कि ककतना कजष ह, मर खयाि स ३ िाख स कछ जयादा ही होरगा." पवनोद बोिा हा सर ३ िाख ४० हजार ह करीब." बॉस हीसा चि कि ऑकिस स ि िना साढ तीन िाख रपय. और चका दना सारा कजष, या त बोि तो अभी मीरगवा क द द ." पवनोद तो खश हो रगया बोिा " कसी बात करत ह सर, आप कि ऑकिस म ही द दना सर, बस १ घीट की छटटी द दना सर पजसस म सबका कजष चका द कि क कि." बॉस मसकराया, मर रगाि पर हाथ िरा, रगाि पर चटकी काटी और बोिा, "आज तन अपनी बीवी को मरी सवा म हदया ह आज तझ य भी हदया जा कि ऑकिस स पस ि कर चिा जाना पर हदन की तरी छटटी १० हजार जयादा ही लमि रह ह मज करना, अब य सषमा तो तझ लमिरगी नहीी बाजार ही चि जाना, आज स य मरी तो दासी ह िककन मर नौकरो की मािककन याद ह ना तझ आज स बपलक अभी स य तरी भी मािककन ह इसको नाराज ककया तो तरी नौकरी रगई समझ और रगीड और पलिस तर पीछ पडरगी वो अिरग." बॉस न अब टोपपक चज ककया और मरा एक मममा सहिाता बोिा "इधर दख मरी इस दासी क ममम कस ह, बोि जरा ह ना जोरदार," बॉस न मममा सहिात सहिात ननपपि पर हाथ ि रगया और चटकी स पकड क ननपपि जोर स खीीचा. मर मह स आह ननकि रगई, उसन इस आह को नजरीदाज ककया और बोिा "हरामजादी क ननपपि भी ककतन बड ह. बोि पवनोद कस ह मरी रानी क ममम, य बड बड ननपपि कभी चस ह तन, कभी खिा ह इस तरह स इनक साथ " किर जोर स खीीची ननपपि, मर मह स किर आह ननकिी िककन म बॉस की आखो म दख क मसकराई. "अभी तो कपड क अनदर ह बाहर ननकिरग तो भाि क जस तन जायरग, बोिता कयो नहीी मादरचोद," बॉस एकदम स भडका, "हरामजाद स प छ रहा ह तो चप बठा ह जवाब द कतत." म बॉस की रगािी सन क किर उसको दख क मसकराई, म उसकी कमजोरी, उसक शौक समझ रगई थी और उसी क अनसार एकट कर रही थी. मरी मसकराहट स बॉस खश हआ और प रा मममा मटठी म भर क हहिाता बोिा "य दख मरी दासी को, इसम सार रगण ह मरी रानी बनन क चि सषमा जब तक य जवाब द त अपना य रगाउन की ध क नीच कर." और पवनोद की तरि दखा, पवनोद घबरा क बोिा, " हा सर बहत बहढया ह, ननपपि भी बहत बडी ह सर, शर शर म तो म चसी ह िककन अब नहीी च सन दती य. और और सर, म तो इनक साथ परम स ही खिता ह ." बॉस हीसा जोर स, "दखो य मदष बनाता ह, त ही बता इसको सषमा की औरत को परम स नहीी सखती स मजा आता ह, जब तक उसक मह स आह, उहह नहीी ननकि हरामजादी पर जोश म आती ही नहीी. मझ तो तरस आ रहा ह सषमा

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तर पर, कसा पनत लमिा तझ सािा य तो नामदष िरगता ह." दोनो नीरग ममम पकड क जोर स भीीच हदए की मर मह स किर आ.आह ननकि रगई. िककन म किर भी मसकराई बोिी "अब आप लमि रगए हो ना सर, अब आप मझ मजा दीपजय, जस आपकी मजी खलिए मर इस बदन स, आपन सच कहा म बहत पयासी ह सर, आज आप मरी पयास बझा दीपजय सर." और मन बॉस का िड पट क ऊपर स पकड लिया और हहिाया. "आपन अभी भी नहीी डािा सर, आज इसको डाि क मरी सारी पयास बझा दीपजय सर, हाय राम य दखो ना कसा तन रगया ह सर, इसको बाहर ननकालिए नहीी तो पट िाड दरगा. इसको बताइय की पट नहीी िाडन की चीज िाड." म बहत हहममत करक बॉस स य सब बोि सकी, मझ य सब बोिन म बहत हहचक और शमष आ रही थी िककन मन सोच लिया था की चाह बॉस न मझ अपनी दासी बना लिया ह म भी इसको अपना दीवाना बना क मान ीरगी और यही कारण था की म य सब बात बॉस स कह पाई. मरी बात सन क तो बॉस खश हो रगया, मर ममम स खिता बोिा," हा य हई ना कछ बात रानी, ऐस ही रीडडयो जस बोिरगी तो तझ रानी ही बना क रख ीरगा. चि अब एक परग बना मर लिए और अपनी च ची स पपिा उसको." मन िीड स खित हए ही पवनोद स बोिा और उसन एक परग बना कर मझ हदया मन पास आ क अपना एक मममा बॉस क मह क सामन ककया और बडी अदा स बोिी :"िीपजय सर पीपजय अपनी इस दासी की च ची स शराब और बताइय नशा ह की नहीी इसम." मरी इस तरह की हरकतो स बॉस खश हो रगया, उसन मझ थोडा पीछ ककया और मरी चचचयो को दखत हए पवनोद स बोिा." दख पवनोद कसी तनना रही ह तरी बीवी की च चचयाी, कनतया क ननपपि तो दख जस चिज द रह ह, बोि मीज र कर ि इनका चिज." और मरी दोनो ननपपि पकडक मसि दी, मर मह स चीख ननकि ही रगई. मरी चीख सन क बॉस हीसा, "चीखती ह रीडी, दखा पवनोद कसी भाि की नोक जस तन रगई ह जस सीन म उतर जायरगी, इनक साथ ऐसा ही सि क करना पडता ह, नहीी तो और तनन क बदि च ची ढीिी पड जाती, य सारी हरामजाहदयाी ऐसी ही होती ह इनको पजतना दबाव उतना लसर उठाती ह और य इनक उठ हए लसर को दबाना ही तो मदो का काम ह." ननपपि क साथ उीरगिी स ऐस खिा जस लसतार बजा रहा हो किर ननपपलपकड क ही आरग खीीचा मझ और एक ननपपि मह म डाि क बोिा "िा पपिा शराब मरी रानी." मन धीर धीर ममम पर शराब डािना शर की और वो च सन िरगा मझ सच म बहत मजा आ रहा था. पजनदरगी म ऐस भी मजा लिया जा सकता ह मन सोचा ही नहीी था. और दोसतो य तो अभी शरआत थी बॉस क साथ मझ नए नए तरह क मज लमिन वाि थ य बात म बहत अचछ स समझ रगई थी. मन शराब ममम पर डाित डाित पवनोद की तरि दखा, वो अपना परग चसकत चसकत नतरछी नजरो स मर ममम को दख रहा था, म उसक दखन िरगी, उसकी नजर ऊपर उठी और मरी नजरो स टकराई तो मन शरारती मसकान क साथ उसको ममम की तरि दखन का इशारा ककया, मरी इस बशमी पर वो शमाष अरगया और म किर मसकरान िरगी. दोसतो मझ खद नहीी समझ आ रहा था की म इतनी बशमष कस बन रगई. य कछ तो शराब का सरर, कछ वासना का नशा,

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और कछ बॉस को अपना दीवाना बनान की खवाहहश शायाद इन सब का लमिा जिा असर था की म शमष की सारी हद पार कर रगई थी. मझ पवनोद को चचढान और जिान म भी मजा आन िरगा था. बॉस मर ममम को बदि बदि क शराब पी रहा था, बीच म हिक दातो स ननपपि को काटता भी था तो मर मह स लससकारी ननकि जाती. कभी प रा मममा मह म भरन की कोलशश करत हए, कभी प रा बाहर ननकाि क चाटन िरगता, कभी ननपपि को दाीतो म दबा क खीीचता. म तो जस रगदरगदी, और आनीद स ननहाि हई जा रही थी, इतना अमजा आ रहा था की अब मझ चदाई की भी जलदी नहीी हो रही थी. अचानक बॉस न मझ छोडा और पवनोद को दखत हए बोिा " पवनोद तरी बीवी बहत आरग तक जायरगी, तन इसकी कदर नहीी की, दख मर साथ रह कर य कया कया रगि खखिाएरगी, पर अभी जरा स ददष म चीखन िरगती ह य कनतया, इसको थोडी टरननीरग दनी पडरगी, खद ददष सहन की आदत डािरगी तभी तो नौकरो पर ठीक स हकम चिा पाएरगी म चाहता ह की मर सार नौकर इसक रगसस स काीपन िरग िककन इसक लिए इसकी जोरदार पपटाई नहीी होरगी तब तक य नहीी सीखरगी. कोई बात नहीी म लसखाउीरगा इसको. और य कया चरगिास खािी हो रगया तरा." पवनोद न अपना चरगिास दखा जो खािी हो रगया था िककन बोिा कछ नहीी. बॉस रगसस स बोिा, "मरी बात का जवाब एक बार म द हदया कर पवनोद नहीी तो साि को मरी इस रीडी रानी क सपदष कर द ीरगा जो हीटर स तरी खाि उधड िरगी. बोि और शराब पीनी ह िा तझ नीट पपिाता ह . चि उतार द मरी इस दासी का रगाउन और य बोति उठा क भर द इसकी च त म और िरगा द मह पी ि इसकी च त स शराब म च ची स पीता ह त च त स पी दख मरी य रानी कस हम दोनो को पपिाती ह." पवनोद बोिा "जी जी सर." बॉस हीसा "जी जी कया करता ह उतार इसका रगाउन,

रगाउन क नीच कछ नहीी ह घबरा मत, य मना नहीी कररगी, य तो मरी रगिाम ह जो बोि ीरगा कररगी, अरगर य कछ बोिी तो अभी ही मार मार क सािी की रगाीड िाि कािी कर द ीरगा." पवनोद क मरा रगाउन उतारा और बॉस न बोति की तरि इशारा ककया पवनोद क बोति उठाई और बॉस न उसको रोका, "रक जरा," और किर मझ अपनी रगोद म िटा लिया अब मरी टाीरग जमीन पर थी और च त बॉस की रगोद म आ रगई थी लसर पीछ हो रगया था बॉस न पवनोद क हाथ स बोति ि क बददी स मरी च त म डाि कर उिटी कर दी. बोति म स ननकि कर िरगभरग आधा परग मरी च त म चिा रगया, मझ च त म चरपराहट होन िरगी म मचिी, "सर, जिन ही रही ह." "चप रह रीडी होन द जिन, पवनोद न मझ तर जसी रीडी चरगफट की ह इसका कछ तो खयाि रख िरगा शोक इसकी च त स मह और पी ि सारी शराब, किर और पपिाता ह तझ." च त म स बोति ननकाित ही िरगभरग आधी शराब बाहर टपक रगई. बाकी पवनोद न पी िी बॉस पवनोद स बोिा," चि पवनोद जीभ अनदर डाि क चाट ि जरा रगोि रगोि घमा क" पवनोद न यही ककया तो किर प छा "मजा आया ऐस पीन म, और पीएरगा." पवनोद बोिा, " हा सर आया, और पपिाइए." बॉस न मझ सीधा ककया और बोिा त बोि सषमा तझ मजा आया

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मन शमाषन की एपकटीरग करत बोिी "जी सर." "आया ना तो बोि और पपिाएरगी इसको, पपिा द बचार को. िककनब एक बात सन ि अभी आधी शराब तरी च त स बाहर ननकि रगई थी, इस बार ऐसा नहीी होना चाहहए बहत महीरगी शराब ह इस तरह ढोिन क लिए नहीी ह, इस बार धयान रखना, जरा भी शराब बाहर ननकिी तो तो सच म कनतया बना द ीरगा और कतत छोड द ीरगा तर पर." बॉस की आवाज म जो सखती थी उसको सन क म बहत डर रगई उसकी मार स जयादा डर मझ उसक नाराज होन का था कहीी नाराज हो क उसन मझ चद हदया तो मर तो सार सपन ध म म लमि जायरग. इसीलिए जब उसन च त म बोति िरगा क शराब डािी तो म साीस रोक क सारी शराब को अपन अनदर खीीचन म िरग रगई, पवनोद का मह च त प िाषरगान क पहि एक ब द भी बाहर नहीी छिकी तो बॉस बहत खश हो रगया. "अर वाह सषमा त तो सच म मरी उममीद स जयादा ननकिी एक ही बार म सीख रगई. इस बात का तझ इनाम दना पडरगा. बोि कया िरगी." म मसकराई, सर म कया बोि ी, म तो आपको खश करक खश ह , जो आप खसी स दोरग ि िीरगी,"बॉस हीसा, "बहत समझदार ह त सषमा, चि तझ बोिा था ना की २ जोडी डायमीड ररीगस हदिाऊ रगा १ जोडी तर काना क लिए १ जोडी इन ननपपि क लिए, ( ननपपि पकड क बोिा) और अब २ नहीी ३ जोडी हदिाऊ रगा तझ १ जोडी म स १ तरी इस नाक क लिए और १ तरी इस नाभी (belly button) क लिए. बोि कसा िरगरगा," म बोिी कसा िरगरगा य तो आप बताना सर, िककन आज कि िशन म बहत ह य." म सच कहती ह दोसतो मझ अब चदाई की चच ीता नहीी रह रगई थी. च त अभी भी िीड माीरग रही थी िककन बॉस मर साथ जो खि खि रह थ उसम मझ बहत जयादा मजा आ रहा था. सकस का आनीद ऐस भी लिया जा सकता ह य तो मन कभी सोचा भी नहीी था बॉस क पास आनीद का खजाना था उसका य कहना की " अभी कया ह सषमा, त मरा कहना मानती जा तझ रोज नए नए मज द ीरगा, बस शमाषना नहीी." उसक साथ कछ घीट ही रह कर म इतना तो समझ ही रगई थी की शमष नहीी करना और सजा क लिए ददष सहन क लिए तयार रहना पडरगा मझ और अरगर म इसम सिि हो रगई तो किर मझ बॉस मज भी बहत दरगा और माि भी बहत दरगा. जसा की मन ही बताया दोसतो मन अपन आप को इस बात क लिए तयार भी कर लिया था और उसी का पररणाम था की मझ आज तक का सबस जयादा, सबस अन ठा मजा लमिा था. हािाीकक च त म शराब डािन स मझ च त म चरपराहट तो बहत हई िककन जब बॉस न पवनोद को वो शराब पपिाई और जीभ स च त क अनदर तक चटवाया तो मझ मजा भी बहत आया. उस समय तो म नहीी समझती थी िककन अब समझती ह की म भी बॉस की ही तरह एक 'सकस मननयाक' थी और शायद म 'सकस लसक' भी ह .. खर म कहानी आरग बढाती ह . म बॉस क हाथ म खखिोन की तरह खि रही थी और पवनोद मरी च त स ननकिी शराब पी रहा था. बॉस क कहन पर जब पवनोद शराब क बाद जीभ मरी च त म अनदर डाि क अचछ स चाटता और अनदर ही रगोि घ मता तो म मज म उछि उछि पडती थी. मरा िाडर प री तरह भर रगया था और िरगता था जस अभी मरी पशाब ननकि जायरगी िककन मन जस तस

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रोक रखी थी. जब मझ िरगा की अब लमयन नहीी रोक सकी रगी तो बॉस स बोिी 'सर छोडडय मझ बहत जोर की पशाब िरगी ह हटाइय पवनोद को मन बहत दर स रोक रखी ह अब नहीी रोकी जा रही ह सर." बॉस हीसा जोर स और बोिा,'तो कर द ना यहीी! पवनोद त चाट अचछ स आज इसको प रा मजा द दत ह." म मचि क बोिी, "सर पिीज जान दीपजय मझ" बॉस न जान कया सोचा और बोिा चि पवनोद अभी तो इसको म त आन द और मरी एक ननपपि जोर स मसि क बोिा और त सन ि सषमा आरग स य नहीी चिरगा मरी मजी क बबना तझ म त भी आया तो कनतया की खाि खीीच ि ीरगा." और मझ छोड हदया. म जलदी स बाथरम म रगई उसक ननपपि मसिन स मरा म त तो जस च त क महान पर ही आ रगया था बाथरम म मरा पशाब ऐस ननकिा जस कोई नदी बाध तोड क बहन िरगी हो. पशाब करक मन अपनी च त पानी स धोई, चहर पर पानी क छीीट मार, चचचयो पर बॉस क दाीतो क ननशान और रगहर हो रगए थ उन पर उीरगिी किरान म मझ लसहरन सी हई और मजा भी आया हािाीकक उसस मरी चचचयो की सनदरता कम हो रगई थी. म वापस कमर म आई. बॉस बोिा "बहत दर िरगा दी रानी िरगता ह बदन का सारा पानी ननकाि आई अब तझ किर स रगरम करना पडरगा. चि पवनोद इसक लिए एक परग बना द बचारी का सब नशा त न पी लिया इसकी च त स मह िरगा क." बॉस अपनी ही बात पर हीसा और मझ अपनी रगोद म बठन का इशारा ककया. म भी आ कर उसकी रगोद म बठी, पशाब करन स मर अनदर की रगमी कछ कम जरर हई थी िककन च त अभी भी एक बहढया चदाई माीरग रही थी. रगोद म बठा कर बॉस न मझ पयार करना शर लमया, मझ च मा, सहिाया, बबिकि नए नए शादी हए जोड क जस वो मर बदन को सहिान िरगा, मर सार बदन पर यहा वहा च मन िरगा. मझ इसस बहत रगदरगदी हो रही थी. मजा भी आ रहा था और मरी च त क अनदर की सरसराहट बढन िरगी थी, मन भी अपना हाथ नीच करक बॉस का िीड पकडा और उसस खिन िरगी सहिात सहिात मन िीड जोर स मटठी म भीीचा, इधर बॉस क च मन सहिान स मर बदन म जो थोडा ढीिापन आया था वो भी किर स एतन रगया, मरी ननपपि किर खडी हो रगई थी. मन िीड मटठी म भीीचा तो बॉस मसकराया "दख पवनोद तरी बीवी को हरामजादी िीड िन को मरी जा रही ह, दख कस रीडी क जस पकडा ह मरा िीड. दखना बहत आरग जायरगी तरी य बीवी, मर साथ ऐस ही रही तो इसको रगहनो स िाद द ीरगा. कयो रानी बहत मन कर रहा ह चदान का." मन हिक स शरमा क बोिी, "सर आपन मर बदन स खि खि क मझ बहत रगरम कर हदया ह, अभी तक आपन मरी पयास नहीी बझाई पिीज बस एक बार सर." बॉस हीसा "िककन डालििरग अभी त पजतन ताव म थी उतन ताव म तो आ पहि, त ताव म आएरगी तो दखना मरा य िीड भी और ताव म आयरगा तभी तो आज तरी च त िाडरगा य. एक काम कर च स ि इसको जरा उतर नीच बठ कर जरा मह म ि तो."म नीच बठ कर बॉस का िीड ककस ककया और जीभ ननकाि क बडी अदा स उसक सपाड पर घमाई बॉस खश हो रगया. "दख पवनोद मरी रानी को य तो प री टरड ह." किर एकाएक बोिा "चि एक कम कर पवनोद त नीच िट जा इधर मह करक और सषमा त इसक मह पर बठ कर इसस च त चटवा और

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अपन मह म मरा िीड ि क च स इसस तझ दोनो तरि का मजा आयरगा और मर िीड क साथ तरी च त भी रगरम हो जायरगी." बॉस की बात सन क मझ कछ खझझक हई, पवनोद को म पसीद नहीी कराती थी, और बॉस को ककसी भी तरह खश करना चाहती थी िककन बॉस अब जो चाहता था उसम तो पवनोद एक खखिोना बन जान वािा था. िककन मन जयादा पवचार नहीी ककया अपनी जरगह स उठी तो बॉस न किर पवनोद को इशारा ककया, मन पवनोद की तरि दखा उसक चहर स ऐसा नहीी िरगा की उसको य सब करन म कोई जयादा परशानी ह. पवनोद नीच िता और मन उसक दोनो तरि अपनी टारग परक उसक मह पर अपनी च त रख क बठी, बॉस न अपना अिीद आरग ककया और मन उसको हाथ स पकड क रगपप स मह म लिया. जान पवनोद को कया मजा आ रहा था की उसन अपन दोनो हाथ मरी दोनो च तड पर रख क मझ अपन हहसाब स थोडा इधर उधर करक जो मरी च त मह म दबा क च सन िरगा की म आह आह कर उठी. और म भी बॉस का िीड जोर जोर स .. च सन िरगी. पवनोद की हरकत स कभी कभी िीड पर हिक दाीत भी रगडा दती थी. सच म मह म जान क ३-४ लमनट बाद ही बॉस का िीड ठनककयाी मारन िरगा था. इधर मरी च त म किर पानी भर रगया था. बॉस न मर मह स िीड ननकािा और मझ हाथ पकड क उठाया और ि चिा बड-रम म, वहा ि जा क मझ बड पर धकका हदया और बोिा "चि आ जा पोजीशन म, कमर क नीच तककया िरगा और टारग उठा ऊपर च त उभार द प री, सािी बहत दर स िीड क लिए तडप रही ह मादरचोद आज एक ही शाट म डाि रगा प रा अनदर. बॉस क कह अनसार मन पोजीशन ि िी मन अपनी दोनो टारग ऊपर करक हाथ स पकड िी. इस तरह मरी च त प री तरह उभर आई. मन अपन आप को बॉस का मोटा सखत िीड िन क लिए तयार कर लिया था िककन जब बॉस न मरी टारग पकड क एक जोरदार धकका िरगाया तो मरी चीख ननकि रगई, बॉस का ७ इीच िीबा मोटा सखत िीड, च त क पानी की चचकनाई पा कर प रा का प रा मरी च त म समा रगया था. मरी चीख सन क पवनोद भी बडरम म आया इधर बॉस रका और मरी च ची सहिाता बोिा "कया हआ रानी तरी च त तो सच म की वारी जसी ह िरगता ह पवनोद क िीड म बबिकि दम नहीी ह." बॉस की बात सन क म मसकराई, च त का िीड बहत अचछा िरग रहा था, ददष तो था िककन मझ बहत अचछा िरग रहा था म चाहती थी की बॉस बबना रक धकक मारना शर कर द, मरी च त जो इतन हदनो स तरस रही ह इस सािी को आज प री तरह तपत कर द. बॉस शायद मर मन की बात समझ रगया उसन थोडा ऊपर उठ क धकक मारन शर ककय तो मर मह स किर लससकाररयाी ननकािन िरगी, आहह, सर ,.. उममम ,उि सर... आह .. र... हाय .. ददष होता अह न अ.. आहह .. ममम धीर सर. अममम मार डािोरग कया अ.. अमम उनममम अहहममम ... हा रको मत न अ.. उि .. जोर स करो ना सर . म.. आह .. हना ऐस .. उम .. अहह . मजा आ रगया अ.. अह ओह .. अममम हा जो.....र स..ऐ..ऐ.ऐ. हा िाड दो आज मरी सर .. उि .. हाय ... हा आन दो सर .. अहमम . म मर

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हरग .. रको मत ना. अममम सर .. आज मरी सहारग रात ह .. ऍम हा .र .. उई र.. अमम .उम .. आयी र.. ननपपि मत काटो न अ.. आयी र.. अमममम उममम

दोसतो १० लमननट तक य सब चिता रहा किर मरी मरी च त न भिभिा क जो पानी छोडा तो म सच म तपत हो रगई. िककन बॉस तो भी चाि था मर पानी छोडन का अहसास होत ही वो रका और बोिा " कया हआ रानी, त तो िरगता ह खलिास हो रगई अर इतनी जलदी कया थी अभी तो मरा िीड सही ताव म आया ह और तरी च त रोन िरगी." उसकी बता सन क म मसकराई, "सर य रोन का नहीी खशी का पानी ह सर, सच आज आपन मझ तपत कर हदया सर, आज पहिी बार मझ सकस का सही सख लमिा ह सर, और आप कयो किकर करत ह सर, म ह ना आपकी दासी, आपकी जब तक मजी तब तक कररए, चचथड उडा दीपजय मर,

म मना नहीी कररगी." बोित बोित मन किर नीच स कमर उछिी तो बॉस खश हो रगया. ककस करता बोिा, ' हा य हई न मरी रीडी वािी बात, तरी यही बात तो मझ पसीद ह, दखा पवनोद तरी बीवी को, साि तन इतनी रगरम चीज को कभी भी ठीक स नहीी वापरा, जोर स ननपपि खीीची, य दख इसकी ननपपि ककतनी बडी बडी ह , साि ननमीतरण द रही ह की आओ और खिो मर स, दबा िो, मसि िो, खीीच िो, च स िो, खा िो, काट िो.और हीसा जोर स. किर अपना परा वजन मझ पर डाि क िटा और ककस करन िरगा 1 लमननट उसन ऐस ही खिा और किर शर हआ तो उसन जो धआीधार चदाई की ह की कया बताऊ िरगा जस एक ही बार म उसन मझ सार जीवन क लिए तपत कर हदया हो. उसक झडन तक म ३ बार झडी और जब चदाई क बाद उठी और नीच दखा तो मरी च त स ननकि ख न स चादर पर दारग पड रगए थ. हािाीकक ख न कछ ब द चरगरा िरगता था किर भी ननकिा तो था, मझ दखत दख बॉस हीस क बोिा, "कया दख रही ह रानी, ख न स घबरा रही ह कया." म बोिी "नहीी सर सोच रही ह की आपन सच बोिा था की मरी की वारी जसी ह, सच म आज मरी सहारग रात ही ह सर. य ख न इस बात की ननशानी ह सर." मन पिट क पवनोद को दखा और हहकारत स मसकराई. पवनोद न अपना लसर झका लिया और बाहर ननकि रगया. म बॉस क पास पिीरग पर आई. मरी चाि बदिी हई थी. मन ख न की ब ीद चादर पर दखी तो मन ही मन चौकी. बॉस की नजर मझ पर ही थी मसकरा क बोिा "कया सोच रही ह रानी, इधर आ." म बॉस क पास आई और मसकराई. बॉस न मझ बाहो म भरा और भीीच लिया उनक आरगोश म म मचि उठी. मरी च त और चचचयो म ददष था अभी भी िककन किर मन करन िरगा की बॉस किर एक बार वस ही चोद द मझ. मन अपना सर पीछ ककया और बॉस की आखो म दख कर शमाषत हए मसकराई. बॉस भी मसकराया और बोिा "कयो कया सोच रही थी". मन बॉस को इशारा ककया ख न की ब द की तरि तो वो जोर स हीसा, म भी मसकराई हीसत हए बोिा, "अर, वाह त तो सच म की वारी क जसी ननकिी'. और मझ कास क च म लिया म भी िपट रगई उसस और बोिी "आपक मन की हो रगई ना सर, िाड दी आपन मरी" (मझ प रा धयान था बॉस को अपन कज म िन का, यही कारण था की म उसस ऐसी बात कर रही थी, वरना और कोई समय होता तो शायद ऐसी बात मर मह स ननकि ही नहीी

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पाती, किर शायद य शराब का भी सरर था. िककन जयादा तो म ही बॉस को बता दना चाहती थी की जसी औरत वो चाहता ह उसस कम नहीी ह म. और इसी वजह स खि क बॉस की मह िरगी रीडी क जस बात करन म भी मझ परहज नहीी था.) मरी बात सन क बॉस खश हआ हीसा मझ ककस ककया " बहत कतती चीज ह त , बबिकि जसी म चाहता था. बस ऐस ही रहना शरमाई तो मजा नहीी आयरगा बबना शमष क मर साथ रही तो दख तझ पजनदरगी क कस कस मज हदिाता ह . हरामजादी को प री कनतया बना क मजा हदिाऊ रगा. " मरी ननपपि पकड क हिक हकि मसि क बोिा "कि चिना मर साथ तर लिए कपड और तरी इन ननपपि क लिए डायमीड ररीगस ि िरग." बोि कर उसन जोर स दोनो ननपपि खीीची, मझ अब इसकी आदत हो रगई थी इसीलिए मर मह स बस एक हिाकक "आह" ही ननकिी. उसन मर सर पर थपकी दी और पिीरग स उतर कर बाथरम म रगया, बाहर आ कर वो अपन कपड पहनन िरगा तो मन प छ ही लिया, "कया हआ सर, कहीी जा रह हो आप." मसकरा क बोिा "हा डालििरग रात क ११ बज रगए ह अब म जाउीरगा त कि शाम को तयार रहना तर लिए बहढया सकसी डरस खरीदरग, और एक आध हफत म ही तझ मर घर म लशफट करना ह इसकी तययारी भी कर िना." म उसको रोकना चाहती थी िककन उसकी जलदी दख कर नहीी रोका, बाहर क कमर म आय तो पवनोद आधा सोि पर आधा नीच पडा सो रहा था शराब की बोति खािी ही थी. पवनोद को ऐस ही छोड क मबॉस क साथ बाहर तक आई और उनको बाय ककया. किर आ कर अपन पिीरग पर िट रगई. मझ नीीद ही नहीी आ रही थी, कभी बॉस क साथ बबताया समय याद कर रही थी, कभी उनकी हरकत और मन ही मन खश हो रही थी. अभी पवनोद को नहीी माि म था की बॉस न मझ ५०,००० नरगद भी हदए ह. मन उनको कि ही बक म ऍि.डी. करान का पकका ननशचय ककया और किर पिान बनान िरगी की अब आरग बॉस को कस खश रख कर उसस और भी माि ऐीठा जाए. बॉस न कि शाम को मझ डरस खरीदन क लिए बाजार चिन का बोिा था मन तय ककया की बॉस स डायमीड ररीगस की भी बात कररगी और अकि ही वो भी ि ही िीरगी. य सब सोच कर और ननपशचत करन क बाद म सोचन िरगी की ककस तरि और भी रगनदी रगनदी बात खि क कररगी, ककस तरह बॉस को खश रख ीरगी, म मन ही मन और किर बोि बोि क इन बातो की परपकटस करन िरगी. यही सब करत करत मन य भी तय ककया की बॉस को अदा स मर राजजा, मर मालिक, मर सरकार आहद बोिा कररगी. और अपन आप को उनकी दासी, रगिाम, कनतया, बोि ीरगी मन य सब समझ लिया था की ऐस बॉस बहत खश होता ह. बस इसी तरह की बात . सोचत और करत मझ नीीद आ रगई.

सबह उठी तो शराब की खमारी थी और इसी कारण लसर भारी हो रहा था. य अचछा था की पवनोद भी उठ रगया था मन उसको बताया तो वो बोिा बबना द ध की चाय बना क पी िो. वो मझस नजर नहीी लमिा रहा था. म मन ही मन मसकराई िककन उसस बोिी, "पिीज

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पवनोद तम बना दो ना चाय, मझ कछ समझ ही नहीी आ रहा ह शायद रात को सर न जयादा शराब पपिा दी थी मझ. सािा जब तक मन चाहा खिता रहा मर बदन स और किर छोड क चिा रगया. वस बोि रगया ह की आज तमको पस द दरगा ३ िाख रपय, और मझ ि जाएरगा बाजार नई डरस हदिान क लिए. बोि रहा था की बहढया मॉडनष सकसी डरसस हदिाएरगा. मन भी सोच लिया ह की डरस क साथ डायमीड ररीगस भी ि िीरगी. अभी महरबान ह तो पजतना ि सको ि िो, तम भी ऑकिस जात ही रपय ि िना नहीी द तो माीरग िना." पवनोद न मझ चाय बना कर दी मन चाय िन क पहि एक बदन तोड अीरगडाई िी और चाय िी. पवनोद शमष क मार मझस नजर भी नहीी लमिा रहा था और ना ही कछ बोि रहा था. िककन मझ तो बॉस की साीरगत का असर हो रगया था मरा मन उसको छदन का हो रहा था. चाय पीत पीत म बोिी. "सच पवनोद तमहारा बॉस बहत जालिम ह, िककन ह असिी मदष उसको माि म ह औरत क साथ कस खिा जाता ह, और उसका हचथयार ( मरा मन तो साि साि िीड बोिन का था िककन नहीी बोिी) कया दमदार ह साि न मरी िाड ही दी, ख न ननकि आया, िककन किर भी मन करता था और कर और जोर स कर उसन कोई कसर नहीी छोडी ददष क मार मरी बरी हाित थी िककन मरा मन करता था ऐस ही करता रह, हरामजादा मन ककतना बोिा बॉस रक जाइए सबह सबह चि जाना िककन नहीी रका. खर अभी अपनी जररत थी इसीलिए मन जयादा कछ नहीी ककया जो वो बोिता था करती रही. वस बोि रहा था एक हफत म ही ि जाएरगा अपन घर, तब उसको बताउीरगी की म भी कछ कम नहीी ह .." म मसकराई और पवनोद की तरि दखा. "तम इतन चप चप कयो हो, कछ बोित कयो नहीी, तमहार कहन पर ही तो सब ककया ह, और मझ तो पवशवास ही नहीी था की एक ही बार म वो ३ िाख रपय और िाखो की चरगफट द दरगा. दखना उसस कम स कम एक फिट तो खरीदवा ही िीरगी अपन लिए. अर चप कयो हो, तमको नहीी पसीद तो जान दो मत िना आज उसस रपय, जो होना था हो चका िरगभरग ८०,००० की चरगफट तो वो द ही रगया ह." पवनोद मरी आखरी बात सन क सकपकाया और बोिा. " नहीी नहीी सषमा ऐसी बात नहीी ह, ३ िाख तो बहत जररी ह, उसी क लिए तो इतना सब ककया ह. मझ कछ नहीी म तो तमहार बार म सोच रहा था की मर कारण तमको ककतना कछ सहना पड रहा ह. मरा कया ह म तो वस ही तमहारी िायक नहीी ह , सच म तमन बहत एहसान ककया ह मझ पर अरगर तम य नहीी करती तो मझ तो आतम-हतया ही करनी पडती." पवनोद य बोि क रोन िरगा तो अब सकपकान की मरी बारी थी, म तो उसको छड रही थी और वो भावक हो रगया था, बचारा नहीी जानता था की उसक बॉस क साथ लमि कर म कया कया रास रचान वािी थी, बॉस तो खद ही बोि चका था की पवनोद क सामन मझ छोडरगा और उसन य कर भी हदया था. िककन अब तो म भी चाहती थी की म बॉस क साथ उसकी रीडी बन क रह और पजनदरगी क सही मज ि ट ी, ख ब पसा कमाऊी . म तो बॉस क बचच की मा बनन को भी राजी थी. दरअसि म मा बनना चाहती थी पवनोद म दम नहीी था और बॉस इसक लिए राजी होता या नहीी मझ नहीी माि म िककन मन रात म ही पकका सोच लिया था की म मा तो जरर बन रगी चाह बॉस का बचचा

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हो या ककसी और का. िककन बॉस की मजी क खखिाि मा बन रगी तो पस की आवक बीद हो जायरगी इसीलिए १-२ साि म ही बॉस स ३०-४० िाख रपय कमा िना चाहती थी. आज मन सबह का खाना भी नहीी बनाया पवनोद को बोि हदया की वो बाजार म खा ि और नहा कर किर सो रगई. दोपहर म म उठी जो कछ भी घर म था मन खाया और किर एक बार नहाई चाय बना कर पीत पीत किर सोचन िरगी की आरग कया कस कररगी. ३.३० बज करीब बॉस का िोन आया की म तयार रह वो रगाडी भज रह ह किर बाजार ि चिरग. म मसकराई और तयार होन िरगी. मन अपना सबस डीप-कट िाउज पहना, साडीभी नालभ स ३ इीच नीच बाधी और जलदी स तयार हई. म तयार हई ही थी की बॉस क डरायवर न दरवाज की घीटी बजाई, मन दरवाजा खोिा और मझ दख कर उसकी आखो म जो भाव आय उनम मर सकसी बदन की तारीि भी थी तो मर रीडी पन पर वयीगय भी था. िककन मन उसकी तरि कोई धयान नहीी हदया और बोिी चिो. कार ऑकिस क पास पहीची की डरायवर न बॉस को िोन िरगाया और ऑकिस क बाहर पहीचात ही बॉस नीच उतर क आ रगया और सीध कार म मर बरगि म बठा.

मन मसकरा क बॉस का सवारगत ककया. बॉस न मझ दखा और मसकराया, " बडी सकसी िरग रही ह डालििरग." मन शमाषन की एपकटीरग की और डरायवर की तरि इशारा ककया तो बॉस हीसा, "अर य अपना राज इसस मत शरमा य मरा खास आदमी ह. मरी सब रीडडयो को य ही िाता ि जाता ह." मर िाउज क रगि म झाीका उसन और किर बोिा' " एक बात ह सषमा आज तक मझ बहत औरत लमिी िककन त बस त ही ह, मरा टसट बहत जलदी समझ रगई त और उसी क हहसाब स चिन िरगी. तर जसी ही मझ पसीद ह, चि अब एक काम कर य िाउज का ऊपर वािा हक तोड द, इतनी मसत च ची ह तरी कम स कम आधी तो दखन द िोरगो को." मन 'धतत' बोिा और मसकरा क बोिी, "िोरगो क लिए नहीी आपक लिए ह सर. आप दखखय आधी कया प री दखखय." बॉस न मझ अपन पास खीीचा और एक मममा पकड क बोिा "अर डालििरग, तर जसी मसत रीडी को मर साथ दख क िोरग जिरग ना मझस, च ची नहीी हदखायरगी तो उनको कया माि म की इस काि बदन म ककतना सकसी माि छपा हआ ह जरा दखन द उनको भी किर हसन टी होता ही दखन और हदखान क लिए ह." और िाउज पकड क हक तोडन िरगा, मझ िरगा की य कहीी २-३ हक नहीी तोड द तो उसको रोका, "अर अर सर रककए आप मत तकिीि कीपजय म ह ना आपकी दासी, आपका हकम लसर माथ पर सर म तोड दती ह " मन बॉस का हाथ हटा क हक तोड हदया. मन रगरदन झका क दखा तो खद पर ही शमष आई, मझ चचचयो का अनदर तक नजारा साि हदख रहा था. म समझ रगई की मझ अब बाजार म झकना नहीी ह कयोकक म जरा भी झकी तो सामन वािा मरी प री च ची दख िरगा. कर जा आकर एक बड माि म रकी बॉस और म उतार, अनदर बॉस न काउीटर पर जा कर सलस म स बोिा "जरा मरी डालििरग क लिए बहढया मॉडनष और सकसी डरस हदखाओ, डरस ऐसी होनी चाहहए की जहा भी जाए िोरग बस इसको ही दख." सलस म बोिा ककस टप की डरस चाहहए सर, जीीस - टॉप, सकटष - टॉप, वन पीस रगाउन, या कछ और." बॉस

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बोिा सभी हदखाओ सभी ि िरग, िककन डरस पहन क बबिकि हहरोइन िरगनी चाहहए, और किहटीरग भी एकदम टॉप आनी चाहहए." बॉस न मझ आरग ककया इस तरह जस सलस म को बोि रहा हो की दख िो इसका बदन, मझ शमष आई िककन कछ बोिी नहीी. सलस म भी बदमाश ककसम का था सािा रगौर स मझ ऐस दखन िरगा जस आखो ही आखो म मरा सारा बदन नाप रहा हो. किर उसन एक सलस रगिष को बिाया और उसक कान म कछ बोि क वहा स हटा, सलस रगिष थोडा आरग मरी तरि झकी और धीर स प छा "मडम आपकी बरा साइज कया ह" उसकी बात सन क म एक बाररगी तो सकपका रगई मझ दख क बॉस मसकराया बोिा बता द ना इसस किहटीरग अचछी आएरगी आखखर मझ बोिना पडा "३४ क " थकय बोि क सलस रगिष हटी और किर वही सलस म आया और मझ डरस हदखान िरगा. मन बॉस की तरि दखा और बोिी "सर आप ही पसीद कीपजय ना, मझ इनकी समझ नहीी ह, किर वो कहत ह ना की कपड दखन वाि की पसीद क पहनन चाहहए" मसकराई बॉस भी मसकराया और मझ ६ डरस हदिाई. हम माि क बाहर आय और कार म बठ. बॉस न डरायवर स बोिा िामष हाउस चिो. और मझ बोिा पवनोद को िोन कर द की रात म नहीी आएरगी, कि बहत रकन का बोि रही थी ना आज दखता ह कया कया कररगी रात भर." मझ तो डायमीड ररीगस की िरगी थी. "सर वो. वो डायमीड ररीगस आप बोि रह थ आज नहीी हदिाएीरग कया?" बॉस हीसा , मझ अपन पास खीीचा और बोिा, "हदिाऊ रगा डालििरग, िककन आज नहीी कि, आज तो रात भर तरी जवानी क मज ि ीरगा, दखता ह त कस मज दती ह. डायमीड ररीगस तर इन मममो क लिए भी तो िनी ह (दोनो ननपपि पकड क जोर स खीीची, मर मह स आह ननकिी) इनम ररीरग पहना दी तो किर २-४ हदन त काम की नहीी रहरगी. कि शाम को मझ बाहर जाना ह तझ ररीगस पहना क जाउीरगा किर वापस आउीरगा तब दख ीरगा की कसी िरगाती ह मरी रानी क इस काि काि बदन पर चमचमात हीर की ररीगस." किर िोन ननकािा और बोिा "ि पवनोद को बोि द की आज रात को तरी जम क चदाई होरगी." मन मसकरात हए िोन लिया और िरगान िरगी तो बोिा. "कया बोिरगी उसको?" मन कहा बोि द ीरगी की आज सर क साथ ह , रात म घर नहीी आउीरगी." हीसा और मममा पकड क हहिात हए बोिा, " ऐस नहीी, रीडी क जस बोि उसको, की सर क साथ जा रही ह और रात भर उसस चदवाउीरगी." मन शमष स बॉस की तरि दखा तो बोिा, " ऐस मत दख रानी बोि दन स रानी नहीी बनरगी सािी तझ पहि ही बोि हदया ह की रीडी, कनतया बनाउीरगा तझ. चि बोि उसको की रात भर मरी रीडी बन क चदवायरगी मर स." मरता कया नहीी करता मन िोन िरगाया और बोिी, " पवनोद म अभी सर क साथ ह और उनक िामष हाउस जा रही ह , आज रात भर उनकी रीडी बन क उनस चदवाउीरगी."मरी बात सन क बॉस खश हआ और मर हाथ स िोन ि क बोिा, "हा पवनोद य कि रात को मझ रकन का बहत बोि रही थी आज इसको कनतया बना क दखता ह , और सन अरगर य अचछी कनतया बनी तो तझ भी इनाम लमिरगा." मरा मममा मसित बोिा, "बोि रानी बनरगी ना मरी कनतया," "जी सर कनतया कया आप जो बनाओरग बन जाउीरगी." बॉस न किर पवनोद को बोिा

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" सना तन तरी बीवी आज मरी रीडी मरी कनतया बनरगी. जा त भी आज हदि खोि क मज कर आज जो भी खचष कर उसका बबि कि ऑकिस म द दना सारा खचष मरी तरि स."

आधा घीटा म हम िोरग िामष हाउस पहच रगए. करीब 42-45 साि का एक आदमी दौड कर आया और उसन झक क बॉस न राम राम मालिक बोिा किर मझस भी राम राम की और किर दौड क रगया और बीरगि का मन-डोर खोिा बोिा आइय मालिक. बॉस और म अनदर आय, अनदर भवय डराइीरग रम था बॉस और म सोि पर बठ तो राम पानी ि कर आया. बॉस न पानी का चरगिास उठाया और बोिा "राम तरी बीवी को भज दना. य मडम नई ह इसको कछ समझा भी दरगी और हमारा खाना भी बना दरगी." राम ज एमालिक बोि कर पीछ हटता कमर क बाहर हो रगया. बॉस मरी तरि मडा. " कसा िरगा सषमा मरा िामष हाउस." म बोिी, "िामष हाउस कहा सर य तो बीरगिा ह." तो हीसा,"त अरगर ऐस ही मझ खश करती रही तो यहा और मर बीरगि म सब जरगह तरा हकम चिरगा." "सर मन आपका हर हकम मान ीरगी, मन पहि ही बोिा सर म आपकी दासी बन क रह ीरगी. म तो कि स ही आपकी रगिाम बन रगई ह सर और आप मर मालिक. कि स ही मरी य खाि आपकी ह सर, चाहो तो इसकी ज नतया बना क पहन िो आप." बोि का रम मसकराई तो बॉस न खश हो कर मझ अपन स लिपटा लिया. "सषमा तरी य ही बातमी तो मझ पसीद आई और इसीलिए तो तझ मन सब नौकरो की हड बना हदया. दख अभी राम की बीवी आएरगी, उसका नाम कमिा ह वस तो वो भी तर अनदर म ही रहरगी िककन वो कछ खास ह उसका कहना मानरगी तो वो तझ बहत सी बात बताएरगी भी और लसखाएरगी भी. ना ना ऐस मत दख डालििरग, वो मरी हर काम म मदद करती ह िककन मन उसको आज तक हाथ नहीी िरगाया. राम और कमिा य दोनो मर सबस बड विादार ह मर लिए अपनी जान भी द दरग और ककसी की जान िन का बोि ी तो ि भी िरग.' म बोिी, "सर मझ भी अिरग मत समखझय, आपक लिए जान दन का मौका आया तो सबस आरग म रह ीरगी." बॉस हीसा, हा हना कयो नहीी िककन किर भी इन दोनो को नाराज मत करना, तरी हलसयत इनक ऊपर रहरगी िककन किर भी इनकी अहलमयत तर स कम नहीी होरगी."." ठीक ह सर म सब समझ रगई." कमिा एक 38-40 साि की साधारण रप रीरग की महहिा थी, रगाव की महहिायो जसा ही उसका पहनावा था और उभार भी ठीक ठाक ही थ. उसन आ कर बॉस को नमसकार ककया और मझ दखरग क मसकराई, म मसकराई, उसन मझ धयान स दखा और किर बॉस स बोिी, "मालिक य नहीी मडम कहा स िाय ह." उसकी बात और िहज स ही पता चिता था की वो बॉस की खास ह. बॉस भी उसकी बात पर मसकराए और बोि, "मर ऑकिस म काम करन वाि की बीवी ह, बोिती ह मरा हर कहना मानरगी और मरी रीडी कनतया बनन को भी तयार ह दख ि ठीक ह ना, त कया बोिती ह." बॉस न पजस तरह उसस बात की उसस मझ और भी पकका हो रगया की य बॉस की खास ह इसस बना क रखना पडरगी अरगर बॉस क साथ िमब समय तक रहना ह तो. म उसको दख क किर मसकराई वो मझ रगौर स दखन िरगी

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किर बोिी, "मालिक बस चमडी का रीरग कािा ह वस बबिकि आपक िायक ह, रगनदाज बदन ह, बड बड आपकी पसीद क उभार ह और आपकी सवा करन को तयार ह तो अचछी ही ह." उसकी बात सन क म मसकराई और उसको और बॉस दोनो को बारी बारी दखा. "जा किर इसको ि जा और थोडा कछ ठीक ठाक कर द, किर जरा पीन पपिान का इीतजाम कर दना और खाना भी बना दना." "जो हकम मालिक" बोि क वो मझ ि क बड रम म आई, बड रम म पिीरग क सामन ही दीवार पर बडा सा दपषण िरगा था पिीरग पर कया कमर म होन वािी हर हरकत उसम दखी जा सकती थी. कमिा मझ ि क बाथरम म आई, बाथरम हमार बड रम स बडा था उसम डबि टब िरगा था, बड बड दपषण इसम भी िरग थ भरप र िाईट और मय पजक क साथ टी.वी और सी. दी. पियर भी िरग थ. म तो बाथरम क भोचककी हो कर दख रही थी. मरा घर छोडडय ककसी बड घर क डराइीरग रम स जयादा बहढया य बाथरम था.

मझ भोचकका दख क कमिा मसकराई "कया दख रही हो मडम, मालिक क हकम म रहोरगी तो य सब तमहारा ह. चिो अपन सब कपड उतार दो काम करत करत बात कररग." म खझझकी तो बोिी "खझझको मत मालिक को शरमान वािी पसीद नहीी आती. मालिक न पहि बताया नहीी कया की शमष नहीी करना." म बोिी "बताया ह." तो हीसी और बोिी, "किर कयो शरमा रही हो उतारो कपड और नीरगी हो जाओ सबस पहि तमहार बदन क सार बाि साि कररगी बस सर पर बाि होना चाहहए, मालिक को चचकना बदन पसीद ह." मन अपन आप को कि ही बशरमी क लिए तयार कर लिया था किर यहा तो कमिा और म ही थ, म उसक कह अनसार नीरगी हो रगई वो मझ दख क मसकराई, मर ममम पकड क बोिी "वाह, इतन बड हो कर भी कस हए ह, बहढया ह. नहीी तो बड हो कर िटक जात ह." खद अपनी ही बात पर हीसी, मर सार बदन पर हाथ किराया और बोिी "िरगता ह अभी १-२ हदन म ही सब सिाई की ह तमन मडम." मन तो बॉस और उसकी बात सन क उसको पटान की सकीम बना ही रही थी उसकी बात पर बोिी, "कि सबह ही की थी सब सिाई, कि पहिी बार ही तो बबिी ह सर स." मरी बात सन क बोिी, "सर नहीी मालिक बोिा करो मडम उनको मालिक सनना अचछा िरगता ह. और उनका हर हकम मानना नहीी तो पजतना पयार कररग उसस जयादा रगससा कररग और अरगर रगसस म मारन िरग तो समझ िना की चमडी ही उधड िरग. पहि भी ३-४ को मार मार क ख न ननकाि चक ह उसक बाद उनम स कोई भी पिट क नहीी आई. वो जो भी बोि बबना सोच मान िना." "हा वो तो मान िीरगी. िककन कछ और भी बताओ ना सर -ओह मालिक क बार म , उनको और कया कया पसीद ह. शमष नहीी कररगी, सब हकम मान ीरगी और ?" कमिा मरी बात सन क किर मसकराई "शर म सब ऐसा ही बोिती ह िककन जब मालिक बशरमी करत ह तो सब तौबा बोि जाती ह." "म नहीी बोि ीरगी, सब सोच समझ क आई ह , वस कया करात ह मालिक?" हीसी कमिा, "कया कया बताऊ आपको मडम,

आप अभी नई हो

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धीर धीर वो आपको सार िामष पर बस १ या २ कपडो म घमायरग बहत बडा िामष ह पजसम १०-१२ आदमी हमशा कम करत रहत ह, उनक बीच म ऐस ही ि जायरग और उनस ही प छ रग की कसी ह मरी रीडी. वो बोित बोित रकी और किर बोिी आपको बोिा या नहीी." म मसकराई, " हा बोिा ना रीडी कया कनतया भी बोित ह, कभी रानी, कभी डालििरग, कभी रीडी, कभी कनतया." "आपको बरा नहीी िरगता मडम? " नहीी नहीी मझ तो मजा आता ह वो कया ह की यहा तम ही तो मरी दोसत बन सकती हो तमस कया छपाना, मरा पनत मर िायक नहीी ह, जब सर न पहिी बार ककया था तभी ख न ननकि आया था मझ. तो म तो तरसी हई ह मझ तो ऐसी बात सन क अचछा िरगता ह." कमिा हीसी, "िरगता ह मालिक को जसी चाहहए थी वसी राीड लमि रगई ह अब तमन इतना बताया ह और मोझ दोसत बोिा ह तो एक बहत राज की बात बताती ह तमको मालिक को हमशा खश तो तम रखोरगी िककन कभी कभी उनको रगससा भी हदिाना, औरतो को रगालिया दन म और उसकी बरहमी स पपटाई करन म मालिक को सबस जयादा मजा आता ह. पहि पपटाई कररग किर पयार भी बहत जयादा कररग और बहत सी चरगफट भी दरग बहत सी कया िाखो रपय की द दरग एक बाई को तो फिट हदिा हदया था वो ६ महीन साथ रही थी िककन बाद म पवदश चिी रगई . इसक बदि हमशा हकम मानती रहोरगी तो पयार म भी कमी आएरगी और चरगफट भी कम दरग." रगाउन मर बदन पर झ िन िरगा म किर भी नाचती रही किर बॉस क पास आई तो उसन रगाउन पकड लिया म आरग बढी तो बढ नहीी पाई, कमिा जान कबस दरवाज पर खडी य सब दख रही थी मझ रकत दख वो बोिी, "अर ,मडम ऐस आरग बढो की रगाउन मालिक क हाथ म रह जाए अपन हाथ स अपन की ध स उतारो इसको," मन उसकी बात सनी तो मझ भी एहसास हआ की म रगिती कर रही थी कमिा न मझ अचचछी सीख दी मन झट स की ध स रगाउन हटाया और आरग बढी तो रगाउन अब बॉस क हाथ म था और म बरा और पटी म नाच रही थी. दोसतो मझ नाचत नाचत ५ लमनट ही हए थ िककन म थकन िरगी थी किर भी नाच रही थी, म ककसी भी कीमत पर बॉस को अपना दीवाना बनाना चाहती थी, म नाचत नाचत बॉस क पास आई की वो मरी बरा का बीद खोिरगा िककन उसन मरी रगाीड पर हाथ िरा जान कस अचानक कमिा की बात याद आ रगई और मन आरग झक क अपनी रगाीड बॉस क सामन कर दी. बॉस बोिा, "वाह, य हई ना बात, कमिा तन तो इसको बहत जलदी समझदार बना हदया." और मरी रगाीड पर चटाक स एक जोरदार चाीटा मारा बॉस का हाथ बहत भारी था और कोई मौका होता तो मरी मह स चीख नहीी तो आह जरर ननकिती िककन कयोकक म तयार थी चाीटा खान क लिए चप रह रगई. म किर आरग बढी बॉस किर बोिा, " रगाीड बडी मसत ह इसकी, बबिकि इसकी च ची क जसी मन करता ह सािी को मार मार क िाि कर द ." कमिा बोिी, "मालिक आपकी रगिाम ह य, मझ भी बोि रही थी की आपका हर हकम मानरगी जो आपकी मजी वो कीपजय म तो य प छन आई थी की खाना मन तयार कर हदया ह जब आप बोिोरग रगरम रगरम पराीठ बना द ीरगी." कमिा वहा स चिी रगई िककन उन दोनो क बीच की बात सन क मझ अपन पर रगवष हआ और म दरगन जोश स

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नाचन िरगी किर बॉस क पास आई और झकी तो उनहोन बरा क बीद खोिन क बजाय पटी क बीद खोि हदए पटी एक झटक म नीच चरगर पडी मन किर रगाीड बॉस को पश की उनहोन खश हो क सहिाया और किर बरा क बीद भी खोि हदए. म तो किर स चाीटा खान को तयार थी िककन बॉस न लसिष सहिाया. दोसतो बॉस औरत स खिना और उसको तडपाना बहत अचछ स जानता था वो समझ रगया था की म चाीटा खान को तयार ह तो उसन लसिष सहिा क छोड हदया इसस भी मझ अपनी औकात का एहसास हआ की म रगिाम ही रह ीरगी. म आरग बढन िरगी तो बॉस न मझ पकड लिया और मरी बरा का बीद भी खोि हदया और मझ पिता क मरी दोनो ननपपि पकड क मझ नीच खीीचा और बोिा "कि इनम डायमीड ररीरग पहना द ीरगा सषमा किर तो तर य काि काि ममम जस ही इन पर िाईट पडरगी चमकन िरगरग कोयि स हीर बन जायरग." अब मझ कछ बोिन का मौका लमिा तो बोिी, " सर मरा कया ह सब कछ आपका ही ह, मर बदन का रोम रोम आपका ह सर जस चाह वापर इसको, चाहो तो हीरा बना दो चाहो तो कोयिा बना दो." मरी बात सन क बॉस खश हो रगया और जो पहि भी बोि चका था किर एक बार बोिा, "तरी य ही बात तो मझ पसीद ह सषमा, दख तझ कसी बहढया रीडी बनाता ह . बॉस न मर बदन स बददी स खिना शर ककया बीच बीच म मरी रगाीड पर चाीटा भी मारता था मर मह स आह, उहह, उम आहद ननकािन िरग जब आह जयादा ननकिी तो बॉस न बोिा "चि अब २ परग बना ि अपन दोनो क लिए १-२ परग तर अनदर जायरग तो तझ मजा आयरगा मर साथ रहन का, सािी कनतया की इतनी बहढया रगाीड ह इसकी लसकाई करी रगा तो चन लमिरगा मझ िककन त तो हाथ स हलका चाीटा मारन पर ही आहह उहह कर रही ह चि पहिा परग एक साीस म खािी कर किर द सरा पपिाऊ रगा." बॉस का हकम मान कर मन २ परग बनाए और हम दोनो न ही जलदी स उनको खािी ककया किर २ परग बनाए िककन बॉस क इशार पर दोनो को १ ही चरगिास म डाि हदया अब बॉस और म एक ही चरगिास स धीर धीर पीन िरग. बॉस बार बार मर ममम स खिता, ननपपि मसिता, खीीचता, मह म ि कर चमिाता, कभी काटता म तो उसक पहि म मचि मचि रही थी.मरी च त म पानी भर आया था आखखर मझस रहा नहीी रगया तो म बोिी, "सर एक बार कर दो ना अब मझस रहा नहीी जा रहा ह." बॉस हीसा "दखो हरामजादी को पराय मदष क सामन नीरगी पडी ह िककन कनतया बोिती ह कर दो ना सर. अर रीडी क जस बोि की सर चोद दो मरी च त." म तो खद भी यही चाहती थी झट स बोिी, "सर मरी च त चोद दो." बॉस न मरी ननपपि जोर स पकडी और बोिा, " कस चोद द डालििरग." म मसकराई बॉस का िड पकडा और बोिी, "सर अपना य तरगडा िीड इसम डाि क चोद दो बहत तकिीि द रही ह सर , चोद चोद क इसको प री िाड दो आज कि जस." बॉस खश हआ िककन अभी चोदन का उसकाकोई इरादा नहीी था. "बोिा जा एक बार म त आ जरा रगमी कम हो जायरगी डालििरग अभी तो तरी च ची क भी पर मज नहीी लिया अभी तो रगाीड की लसकाई बाकी ह." बोि क जोर स हीसा और कमिा को आवाज िरगाई कमिा आई तो बोिा "कमिा त तो बहत तारीि कर रही थी इस रीडी की दख इस

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कनतया को अभी स पानी छोडन िरगी." म बाथरम जात जात रकी तो मझ बोिा, "त कयो रकी ह जा मा की िौडी मोट ननकाि क आ अपना." म रगाीड मटकात चिी तो किर कमिा की तरि दख क हीसा और बोिा, " दख इसकी रगाीड सच म कनतया ह य बहढया रगाीड ह मटकाती भी अचछी ह सोच रहा ह आज इसकी लसकाई कर द ." कमिा मसकराई "बात तो आपकी ठीक ह मालिक िककन जरा आहहसता ही करना अभी नई ह वो पतिी वािी बत ठीक रहरगी म अभी ि आती ह .." कमिा चिी रगई म भी खद को हिका करक बाथरम स वापस आई तो दीवार क सहार कडी अिमारी स बत छनत क ननकाि िाइ और बॉस क पास वािी टबि पर रख दी. बत दख क म अपन आप को उसकी पपटाई क लिए तयार करन िरगी पास आई तो बॉस न मरी च त प हाथ िरा और उसकी रगमी िीि करक बोिा "बहत रगरम राीड ह त मजा आयरगा तर साथ," सहिात सहिात उसन च त का रगीिापन भी महस स ककयस और बोिा अर तरी च त तो अभी भी टपक रही ह िरगता ह एक बार चोदना ही पडरगा इसको." बॉस की बात सन क लमयन खश हो रगई और बोिी, "सर आप कि भी मझ तरसता छोड क आ रगए पिीज एक बार पहि चोद दीपजय ना किर जो आपकी मजी कर िना सर." मन च त उभार क बॉस क हाथ पर रख दी, बॉस न रगपाक स एक उीरगिी अनदर डाि क घमाई तो मर मह स जोरदार सीतकारी ननकि रगई. "सी.सी.ई.ई.ई. आह.... उि. सर ... आमममम. उीरगिी नहीी सर ... अममम.. िीड डालिए ना.. " बॉस हीसा "हा डालििरग िरगता ह पहि िीड ही डािना पडरगा चि बठ जा नीच और ि इसको मह म." म जलदी स नीच बठ क बॉस का िीड िीरगी स बाहर ननकािा और कचच स मह म लिया. सपाड पर जीभ घमाई और उसको च सा जस बरि का रगोिा च स रही ह . बॉस को मजा आ रगया उसक मह स भी सीतकारी ननकिी मन उसक चहर की तरि दखा और मसकराई किर रगपाक स आध स जयादा मह म लिया होठ बीद करक प री तरह िीड क ऊपर कास लिए और धीर धीर बाहर ननकािन िरगी सपाड क मह तक आ कर मन किर प रा मह खोिा और रगपाक स अनदर लिया.

थोडी दर िीड चसान क बाद बॉस न मझ सीधा लिटाया और पर ऊपर करक हाथ स पकडाए और मर दोनो ममम पकड क जो जोरदार शाट िरगाया की मर मह स .आह ननकिी िरगा जस एक तज नशतर मर अनदर उतर रगया हो बॉस का िीड मरी बचच दानी क अनदर तक चिा रगया िरग रहा था िककन इस ददष स म ननहाि हो रगई मझ इतना अमजा आया की कया बताऊ . मरी च त क मह तक पानी आ रगया िरगा की बस िीड अनदर जान मातर स म झड जाउीरगी मन अपन आप को रोखा और बॉस न धकक िरगान शर ककय १५०२० धकक ही िरगाए थ की म झड रगई. और अब च त स िच िच की आवाज आन िरगी. बॉस मसकराया, "झड रगई कनतया." जोर स ननपपि मसाि, "मा की िौडी िीड डाित ही झड जायरगी तो मजा कस िरगी." म भी मसकराई, "सर आप चोहदय ना, मझ बहत मजा आ रहा ह, चोद चोद क चचथड उडा दीपजय मरी च त क आप उसक मालिक हो िककन य हरामजादी मझ बहत

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तकिीि दती ह." मरी बात सन क बॉस खश हआ और प री ताकत स धकक िरगान िरगा और मझ जननत का मजा आन िरगा. बॉस न मझ २० लमननट चोदा और म ३ बार झडी आखरी बार तो बॉस और म साथ साथ झड. साथ साथ झडन का मजा ही अिरग था. किर बॉस न प रा अनदर जा क पानी छोडा मझ तो िरगा की आज की चदाई स म मा बन जाउीरगी. मरा बरसो का सपना प रा हो जाएरगा. जोरदार चदाई क बाद म बाथरम रगई और अपन आप को साि ककया बॉस क लिए नपककन रगीिा करक िाइ और उनका िीड भी साि ककया. बॉस न चरगिास म बची हई शबाष मझ दी और म भी धीर धीर पीन िरगी बॉस मझ पीत दख रहा था उनकी नजरो स नजर लमिी तो म बोिी, "सर आप भी िीपजय ना." और अपना चरगिास रख क बॉस क लिए एक नया परग बना क हदया मझ शराब का और चदाई का भी सरर था म बार बार बॉस को दख क मसकरा रही थी. थोडी दर बाद कमिा आई और बोिी, "मालिक खाना िरगा द कया?" बॉस न बोिा हा िरगा द िककन उसक पहि इस रीडी को बोि की रगाउन पहन ि जयादा दर नीरगी रहरगी मर सामन तो मर िीड क साथ हाथ भी मचिन िरगत ह." बॉस की बात सन क म मसकराई और कमिा हीसी और बोिी, " आपकी ही रीडी ह मालिक जस चाहो रखो, जो मचि उसको शाीत कर िो मना थोड ही कररगी. आपकी रगिामी करन ही तो आई ह. कयो मडम मन सही बोिा ना." म मसकराई हा कमिा दीदी आपन बबिकि सही बोिा, म तो बॉस की रगिाम ही ह , अब जस इनकी मजी वापर इनका हकम लसर माथ पर ही ह." म उठी और रगाउन पहना. बॉस और मन खाना खाया खाना खात खात मझ शबाष का प रा नशा हो रगया और मरी आवाज भी िडखडान िरगी थी. म बॉस क साथ झ मती हई बड रम म आई बॉस मरी रगाीड पर हाथ रख क सहिाता और उीरगिी स रगाीड का छद खोदता हआ मझ ि क आया. कमर म आ कर उसन कमिा को आवाज िरगाई की वो अपना काम करक चिी जाए िककन जान स पहि जो बत उसन ननकािी ह िा कर द द. बॉस न मझ पिीरग पट पटका और मर पास बठा मर रगाि पर ओपयार स हाथ िरा और बोिा "कयो डालििरग मजा आया" मन िडखादाती आवाज म ही जवाब हदया बहत मजा आया सर, आप गरट हो सर आप सच म मदष हो सर. मरी च त भी भी दःख रही ह सर. लिककन मजा भी बहत आ रहा ह सर. आज आप इसक चचथड उडा दो सर बहत तकिीि दती ह मझ." बॉस हीसा "डालििरग तरी च त तो मसत ह ही तरी रगाीड भी मसत ह अब पहि इसको दख ीरगा की ककतना सहन कर सकती ह." रगाि का हाथ ममम पर िाया और उसस खिन िरगा मझ उठ कर बठन का बोिा म उठी तो खद िट रगया और अपन ऊपर आ कर ममम पपिान का बोिा. म उसक ऊपर आई और झकी तो मर ममम प री तरह िनक चहर क सामन िटक रगए, िटक हए ममम बहत ही सकसी िरग रह थ और दखन वाि को साि साि ननमीतरण द रह थ की आओ और खिो इनस, च स िो, खा जाओ. झक क जो एक मममा उसक मह म रखा तो उसन ककचककचा क काट खाया मर मह स जोर की आह ननकिी तो बोिा, "हरामजादी आह उह मत कर आदत डाि ि इसकी ममम तो जरर काट ीरगा." और किर उसी ममम को जोर स दाीत िरगा क बाहर

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की तरि खीीचा तो म ददष और उनक खीीचन स उनक मह पर चरगर पडी.जलदी स किर ऊपर हई तो उसन मममा मह स बाहर ननकाि क उस पर जीभ घमान िरगा बड पयार स जस दवा िरगा रहा हो इसस मझ कछ राहत हई तो द सरा मममा हाथ स जोर स भीीचा मर चहर पर किर ददष आया िककन मझ अचछा िरगा म इसी तरह का सकस तो चाहती थी. बॉस बोिा, "दख सषमा अभी जो मर मह पर चरगरी थी ऐसा दोबारा नहीी होना चाहहए अरगिी बार मािी नहीी लमिरगी. और किर वही मममा मह म ि क चमिान िरगा, मर मह स सीतकारी ननकिन िरगी, मरी च त किर रगरम होन िरगी उसम पानी आन िरगा. मन अपन आप को मजब त बनाया और हाथो को ठीक स पोजीशन म ि लिया की किर कहीी इनहोन मममा खीीचा और म चरगर ना पड ी. िककन बॉस तो पराना और माहहर खखिाडी था वो ५ लमननट तक ममम स इसी तरह खिता रहा, मसिता, दबाता, चाटता, च सता उसका एक हाथ दसर ममम स खि रहा था और द सरा हाथ मरी रगाीड पर खखिवाड कर रहा था कभी सहिाता, कभी छद म उीरगिी करता, कभी हलका चपत िरगता और किर अचानक वही ककया जोर स दाीतो म दबा क जो खीीचा तो म किर चरगर पडी. इस बार तो म मज स भी भरी थी, शरआत म इतनी रगरम नहीी हई थी किर शराब का भी नशा था अपन आप को सीभािना बहत ही मपशकि था. मर चरगरत ही बॉस न मममा छोडा और रगरजा "मादरचोद, बहन की िौडी सािी कनतया को समझाया था ना चरगरना नहीी िरगता ह बबना सजा क तझ समझ नहीी आएरगी. जा वो बत उठा क िा और रगाीड उठा क खडी हो यहा अभी बताता ह तझ. म उठ क बत ि क आई. मन बत बॉस क हाथ म दी. उसन बत िी और उसको िहरात हए बोि "चि झक क रगाीड ऊपर करक खडी हो जा १० बत पडरग तरी रगाीड पर और एक बात समझ ि अरगर अपनी पोजीशन बदिी तो किर १ स चरगनती शर होरगी. चि झक जा और रगाीड ऊपर कर" म खझक क रगाीड ऊपर करक खडी हई तो रगाीड बत स थपथपाई और बोि "और ऊपर कर रीडी, हाथ घटनो पर रख क रगाीड प री ऊपर उठा." मन उनक कह अनसार पोजीशन िी. बॉस न कमिा को बिाया और बोि, "कमिा इसको १० बत पडरगी त चरगनती करना और अरगर इसकी पोजीशन बदि तो किर १ स चरगनती चाि करना. और खबरदार जो इसक साथ कछ रहम हदखाया." कमिा न लसर हहिा कर हामी भरी और मन अपन आप को तयार कर लिया बत की मार सहन क लिए. बॉस न जो सटाक स पहिा सटरोक मारा तो िरगा जस जिती हई िकडी स मझ दारग हदया हो, मन अपन आप को चरगरत चरगरत रोका, मह स जोर की कराह ननकि ही रगई और हाथ अपन आप रगाीड पर चोट को सहिान िरगा, कमिा न चरगना "एक" बॉस न मरा हाथ अिरग ककया और द सरा भी उतनी ही जोर स मारा, कमिा न चरगना "दो" और म तो नतिलमिा उठी मर पर काीपन िरग घटन मड ही रगए थ की रक रगई, हाथ किर मार सहिान को पीछ आन िरगा तो बॉस न रोका नहीी हाथ वहीी रख कनतया और दनादन ३ सटरोक और मार, म चरगर ही पडी. कमिा न चरगना "तीन - चार - पाीच". म चरगरी तो बॉस रका कमिा न आ क मझ उठाया और किर पोजीशन म खडा ककया मरा सारा बदन जस काप रहा था जहाी जहाी मार पडी थी चमडी जिन िरगी थी किर भी हहममत करक किर पोजीशन

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म आई. बॉस न कमिा स प छा "अर य तो चरगर पडी, अब किर एक स चरगनना पडरगा." कमिा बोिी, "आप मालिक हो जसी आपकी मजी चरगन िीरगी मालिक िककन आज इसका पहिी बार ह शर स चरगनन क बदि आरग ही चरगनती कर िो मालिक. नई-नई छोकरी ह धीर धीर सब सीख जायरगी आपकी मार सहना भी सीख िरगी." बॉस हीसा, "कमिा मझ माि म था त इसकी तरिदारी जरर कररगी "चि ठीक ह तर कहन स आरग ही चरगनती करत ह." किर बॉस न २ बत पहि स जरा धीर मारी िककन मरी रगाीड तो पहि स ही चोहटि थी जिन और बढी ही उसकी, . कमिा न चरगना "छ - सात." बॉस न एक और मारी आठ. किर २ जोर स मारी कमिा बोिी नौ - दस. और आ कर मरी रगाीड सहिाई. मालिक दखखय इसकी रगाीड कसी रीरगीन हो रगई ह, कमिा क सहिान स मझ कछ राहत लमिन िरगी. कमिा न मझ बड पर िटन का इशारा ककया म िट रगई. थोडी दर ऐस ही पडी रही किर कमिा न मझ उठाया और बॉस स बोिी "मालिक आप फश हो िीपजय तब तक म इसको समझाती ह ." कमिा मझ ि क दसर कमर म आई और मझ पिीरग पर िटाया. उसन अिमारी स कोई करीम ननकािी और धीर धीर मरी चोट पर िरगा कर सहिान िरगी. करीम बहत अचछी थी उसको िरगात ही मझ ठीडक का अहसास होन िरगा, सहिात सहिात कमिा बोिी, " मडम आप तो बहत नाजक ननकिी म तो समझी थी की उन रगोरी रगोरी ममो स सखत होरगी आप इतन स घबरा जाओरगी को कस काम चिरगा. वो जो पहि आई थी ना आशा नाम था उसका रगोरी चमडी की थी, वो तो मालिक की हरतरह की सजा सह िती थी उसक आन क १ महीन म ही मालिक उसको चाबक स पीटन िरग थ तभी तो २ महीन म ही उसको फिट हदिा हदया था. वो तो उसका आदमी उसको अपन साथ दबई ि रगया नहीी तो शायद मालिक आपको िात ही नहीी." उसकी बात सन क म जस नीीद स जारगी, "ऐसी बात नहीी ह कमिा दीदी, आज पहिी बार ककसी न मझ इतनी जोर स मारा ह इसीलिए घबरा रगई थी आरग स धयान रख ीरगी." कमिा मसकराई, "मडम," मन उसको टोका मडम नहीी मझ सषमा कह क बिाओ म आपकी छोटी बहन जसी ह .." वो मसकराई, "ठीक ह सषमा, बॉस तो बोि रह थ की कि तमको हीर की ररीरग पहनाएीरग तम समझी कस और कहा पहनाएीरग?" म बोिी "हा सर न बोिा था ४ ररीगस २ मर कानो क लिए और २ इनक लिए ( मन ननपपि की तरि इशारा ककया)" तो कमिा न दोनो ननपपि हिक स पकड और बोिी इनम कस पहनाएीरग माि म ह ?" म सोच म पडी कस पहनाएीरग िककन सोच नहीी पाई, आखखर कमिा ही बोिी जस कान म पहनाएीरग ना वस ही, कान म भी छद करवाया ह ना तमन, अब इनम भी छद करवाएीरग और पहनाएीरग. आशा को तो नीच भी पहनाय थ कम स कम ४ िाख क हीर क ररीरग पहनाय थ उसको." उसकी बात सन क मर चहर पर चमक आई तो उसको दख क बोिी, जयादा खश मत हो बननो य ररीरग मालिक क बहत काम आत ह. अभी तो इनको पकड क खीीचत ह" उसन हिक स ननपपि खीीची "बाद म ररीरग पकड क खीीचरग तो अभी स बहत जयादा ददष होरगा. आशा तो इसम भी मजा िती थी जान ककस लमटटी की बनी थी." म बोिी, "दीदी, जब सर मरी खीीचत ह तो ददष सच म बहत होता ह िककन मजा भी बहत आता ह." हीसी कमिा,

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"बस त तयार ह ना किर य मजा िन क लिए तो कि चिी जाना मालिक क साथ और पहन िना हीर की ररिरग. "वो दीदी, तम कया बोि रही थी की आशा को नीच भी ररीरग पहनाई थी, नीच मतिब यहा मन च त पर हाथ रखा. तो किर मसकराई कमिा, "अर मझस कयो शरमाती ह सषमा, मालिक क सामन जस बोिती ह वस ही बोि इसस तरी खझझक भी ननकि जायरगी और बाद म जब पाटी वरगरह म जायरगी तो भी नहीी शरमाएरगी. बोि कया बोि रही थी." "वो दीदी, आपन बोिा आशा की च त म भी हीर की ररीरग पहनाई थी वो कस पहनाई दीदी." कमिा बोिी, "च त क दोनो तरि की पपततयो म २-२ ररीरग डािी थी १ ररीरग च त क ऊपर बबिकि ऊपर वाि छद को बीद करत हए और १ ररीरग उसकी नालभ म पहनाई थी, नालभ का हीरा बहत बडा था वो अकिा हीरा ही २ िाख का था. " ओह मर मह स ननकिा. दीदी आप मझ लसखाना य सब कछ सर बोि रह थ १ हफत क लिए बाहर जायरग म रोज आपक पास आ क सीख ी आपस य सब?" कमिा मसकराई, "मतिब तमन प रा मन बना लिया ह मालिक की कनतया बनन का, ठीक ह तमहारा यही मना ह तो म मालिक स बात कर िीरगी वो रोज रगाडी डरायवर भज दरग जो तमको ि आयरगा और छोड आयरगा." कमिा की बात सन क म उसस लिपट रगई, "दीदी आप ककतनी अचछी हो, आप मझ प री टरननीरग दना म आशा स जयादा पसीद आउीरगी सर को दखना. मझ फिट नहीी बीरगिा चाहहए वो हदिान म आप ही मरी मदद कर सकती हो दीदी. " कमिा न मर लसर पर हाथ िरत बोिा, "जान कयो मझ भी तम अचछी िरगान िरगी इसीलिए तमस इतनी बात की नहीी मालिक क साथ सकडो यहा आ चकी ह मन ककसी स कभी २ लमननट स जयादा बात नहीी की. चि अब वापस तयय हो जा मालिक इीतजार कर रह होरग." म कया जानती थी की कमिा मालिक की खास य ही नहीी ह उसका काम ही मालिक क लिए मर जस रीडी तयार करना ह, मार खा कर, ददष सह कर,

बईजजत हो कर या य कह की सहदी मायनो म कनतया बन क कोन रहना चाहरगी और किर चाहन स ही कया होरगा मार सहन करन की शपकत भी होनी चाहहए, इसीलिए बॉस न कमिा को रखा था वो सहानभ नत बता कर औरत को उनकी मार कन को, कनतया बनन को तयार करती थी. पजस कमिा को म अपनी सबस बडी हहमायती समझ रही थी वासतव म तो वो बॉस का ही काम कर रही थी मझस उसको कोई सहानभ नत नहीी थी. खर, कमिा न मझ किर पिटाया और मरी रगाीड दखख बोिी, "बहत जोर स मारा ह मालिक न, ४-५ ननशान तो १-२ हदन बाद ही जायरग."

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