रही? इि सब्या ए् िबदनचत्र पुरयािी जत्व...

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7 योधय से मेर निजी, सं सनि, धनम और भवितम ररशि रह है। बप- दद वह े रहिे वले थे, इसनलए अयोधय मेरे सं सर म है। वह मि से उिरिी िह। अयोधय मेरे नलए वह सिर है न मेरी ददी भी अयोधय िह हिी थ। उिे मुँह से हरदम ‘अयोधय जी’ ही निलि थ। इस निटि म म िे अयोधय ो ए झँी य चलनच ी िरह घटिे य गुजरिे देख है। मिे जो भी देख, महसूस नय, उसे ईमिदरी से, बेध होर नलख है। मिे उस दौर ो भोग है। अयोधय मेर भोग आ यथथ है। इस निब म मेरी ोनिि उि सभी घटि ो दज रिे ी रही है, नजि म सी रह ह। आह- दुरह से परे, जो देख, सब नलख नदय। अपि यह दव बबोलपि होग न यह निब अयोधय े सच सौ ट िु दसिवेज होगी। बवजूद इसे मिे अपिी सोच और संलप म यह ठि, न हर उस पहलू पर नलख जए, जो अयोधय े सच मनि रॅ र बिे। समसमनय घटि बयोर महज ए पहलू है, मिे उसे पीछे ी रजिीनि और िे ि ी िीयि ो भी उधेिे म नय है। ऐस रि घटि ‘पोसटमटम’ रि होग। इस पहलू ो भी पूरी निषपि से अंजम दे िे ी ोनिि ी है। इि सबसे इिर निब म अयोधय वह आईि भी है, जो िरीख े सथ ही पुरिव े इनिहस ो भी नलए ए है। यह इनिहस अयोधय े भीिर ही ह खोय आ थ। आप इस बि ो मि, ि मि, पर पुरिव ी पिल िे ही अयोधय नववद ी जमीिी वसिनवि ो उधे है। यह पिल इनिहस े अलग- अलग लखंर े सच ी दसिँ नलए ए है। अयोधय स िह, नहंदू आसथ भी है। िो इस म व े सथ कय-कय घट? आसथवि ै से जीिे?

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अयोधयया से मेरया निजी, सयांस्कृनि्, धयानममि् और भयावियातम् ररशिया रहया है। बयाप-दयादया वहीं ्े रहिे वयाले थे, इसनलए अयोधयया मेरे संस्यारों में है। वह मि से

उिरिी िहीं। अयोधयया मेरे नलए श्रद्या ्या वह सिर है न् मेरी दयादी ्भी अयोधयया िहीं ्हिी थीं। उि्े मुँह से हरदम ‘अयोधयया जी’ ही नि्लिया थया।

इस नि्टिया में मैंिे अयोधयया ्ो ए् झयाँ्ी यया चलनचत्र ्ी िरह घटिे यया गुजरिे देखया है। मैंिे जो भी देखया, महसूस न्यया, उसे ईमयािदयारी से, बेधड़् हो्र नलखया है। मैंिे उस दौर ्ो भोगया है। अयोधयया मेरया भोगया हुआ यथयाथमि है। इस न्ियाब में मेरी ्ोनिि उि सभी घटियाओं ्ो दजमि ्रिे ्ी रही है, नजि्या मैं सयाक्ी रहया हूँ। आग्रह-दुरयाग्रह से परे, जो देखया, सब नलख नदयया।

अपिया यह दयावया बड़बोलयापि होगया न् यह न्ियाब अयोधयया ्े सच ्या सौ ट्या िुद् दसियावेज होगी। बयावजूद इस्े मैंिे अपिी सोच और सं्लप में यह ठयािया, न् हर उस पहलू पर नलखया जयाए, जो अयोधयया ्े सच ्या प्यामयानि् रर्यॅार्ड बिे। समसयामनय् घटियाओं ्या बयोरया महज ए् पहलू है, मैंिे उस्े पीछे ्ी रयाजिीनि और िेियाओं ्ी िीयि ्ो भी उधेड़िे ्या ्याम न्यया है। ऐसया ्रिया घटियाओं ्या ‘पोसटमयाट्डम’ ्रिया होगया। इस पहलू ्ो भी पूरी निषपक्िया से अंजयाम देिे ्ी ्ोनिि ्ी है। इि सबसे इिर न्ियाब में अयोधयया ्या वह आईिया भी है, जो ियारीखों ्े सयाथ ही पुरयाित्व ्े इनिहयास ्ो भी नलए हुए है। यह इनिहयास अयोधयया ्े भीिर ही ्हीं खोयया हुआ थया। आप इस बयाि ्ो मयािें, ि मयािें, पर पुरयाित्व ्ी पड़ियाल िे ही अयोधयया नववयाद ्ी जमीिी वयासिनव्ियाओं ्ो उधेड़या है। यह पड़ियाल इनिहयास ्े अलग-अलग ्यालखंरों ्े सच ्ी दयासियाँ नलए हुए है। अयोधयया सत्या ्या िहीं, नहंदू आसथया ्या ्ेंद्र भी है। िो इस ्ेंद्र में वक्त ्े सयाथ कयया-कयया घटया? आसथयावयाि ्ैसे जीिे?

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जीििे-जीििे उिमें कयया पररविमिि हुआ? वक्त ्ी चुिौनियों ्े आगे आसथया ्ैसे अटूट रही? इि सब्या ए् िबदनचत्र पुरयाित्व ्ी जयाँच और इनिहयास ्े मयानय सयाक्यों से नि्ल्र सयामिे आिया है। ्याम मुशश्ल थया, पर मैंिे ्ोनिि ्ी। अयोधयया ्े सच ्ो इनिहयास, विमिमयाि और भनवषय ्े ्यालखंर में इस िरह नलखया जयाए न् वह ए् प्यामयानि् दसियावेज बिे।

अयोधयया ्ो लंबे समय ि् नववयानदि ढयाँचे ्े िीिों गुंबदों से ही जयािया जयािया रहया है। मगर नसर्फ ये िीि गुंबद अयोधयया ्या सच िहीं हैं। बयाबरी ढयाँचे ्ो ढहयाए जयािे ्े सयाथ ही िीिों गुंबद अब सममृनििेष रह गए हैं। अयोधयया ्या सच इससे अलग है। यह सच भयारि ्ी नवरयासि, परंपरया, सयंास्कृनि् इनिहयास और धयानममि् मूलयों में गहरे ि् धँसया हुआ है। अयोधयया वीिरयागी है। अयोधयया निसपमृह है। अयोधयया में बह रही सरयू ्े पयािी में भी ए् िरह ्ी निसंगिया है। भशक्त में रूबी अयोधयया ्या चररत्र अपिे ियाय् ्ी िरह ही धीर, ियांि और निरपेक् है। अयोधयया ए् लक्ि है, मजहबी असनहषिुिया ्े

नवरुद् प्नि्यार ्या। अयोधयया ए् प्िी् है, भयारि रयाष्ट्र ्े आहि सवयानभमयाि ्या। अयोधयया ए् सं्लप है, अपिी प्याचीि सयांस्कृनि् धरोहर से हर ्ीमि पर जुड़े रहिे ्या। अयोधयया िमिीर से नि्ली उस नवचयारधयारया ्या प्नि्यार है, जो सवमिपंथ समयादर, सवमिग्रयाही और उदयार सनहषिुिया ्े भयारिीय आदिशों ्ो सवी्यार िहीं ्रिी। उसे ्ुचलिी जयािी है।

अयोधयया ्या मिलब है, नजसे ित्रु जीि ि स्े। युद् ्या अथमि हम सभी जयाििे हैं। योधय ्या मिलब नजससे युद् न्यया जया स्े। मिुषय उसी से युद् ्रिया है, नजससे जीििे ्ी संभयाविया रहिी है। ययािी अयोधयया ्े मयायिे हैं, नजसे जीिया ि जया स्े। पर अयोधयया ्े इस मयायिे ्ो बदल ये िीि गुंबद रयाष्ट्र ्ी सममृनि में नवजेिया ्ी िरह दजमि हैं। ये गुंबद हमयारे अवचेिि में ियास् बियाम ियानसि ्या मिोभयाव

बियािे हैं। नपछले सौ वषशों से देि ्ी रयाजिीनि इनहीं गुंबदों ्े इदमिनगदमि घूम रही है। आजयाद भयारि में अयोधयया ्ो ले्र बेइंिहया बहसें हुईं। सयालोसयाल ‘िैरेनटव’ चलया, पर न्सी िे उसे बूझिे ्ी ्ोनिि िहीं ्ी। सब ्ुछ इनहीं गुंबदों ्े इदमिनगदमि घटिया रहया। अब भी घट रहया है। हयालयाँन् गुंबद अब िहीं हैं, पर उस्ी धुरी जस ्ी िस है। इस धुरी ्ी िीव्रिया, गहरयाई और उस्े सच ्ो प्ड़िे ्या ्ोई बौनद्् अिुष्याि ्भी िहीं हुआ, नजसमें इनिहयास ्े सयाथ-सयाथ विमिमयाि और भनवषय ्ो जोड़िे ्या मयाद्या हो। ियान् इनिहयास ्े िरयाजू पर आप सच-झूठ ्या निष्षमि नि्याल स्ें और उि िथयों से दो-दो हयाथ ्रिे ्े प्यामयानि्, ऐनिहयानस् और वैधयानि् आधयार ्े भयागी बिें।

अयोधयया कया मतलब है,

जिसे शत्रु िीत न सके। यरुद्ध

कया अर्थ हम सभी ियानते हैं।

योधय कया मतलब, जिससे

यरुद्ध जकयया िया सके। मनरुषय

उसी से यरुद्ध करतया है,

जिससे िीतने की संभयावनया

रहती है। ययानी अयोधयया के

मयायने हैं, जिसे िीतया न िया

सके। पर अयोधयया के इस

मयायने को बदल जविेतया की

तरह ये तीन गरुंबद रयाष्ट्र की

सममृजत में दि्थ हैं।

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अयोधयया में 6 नदसंबर, 1992 ्ो जो ्ुछ हुआ, वह न्सी भी नहंदू परंपरया में मयानय और प्निशष्ि िहीं है। पर वह हुआ कयों? इस पर नवचयार ्रिे ्ो भी हमयारे हुकमरयाि िैययार िहीं हैं। ्ोई इसे बूझिया भी िहीं चयाहिया न् इस आक्ोि ्ी जड़ें ्हयाँ हैं। नसवयाए इस्े न् रयाजिैनि् दल धवंस ्े नलए ए्-दूसरे ्ो नजममेदयार ठहरयािे हैं। इनिहयास ्ी गहरयाई में थोड़या सया उिरिे ही यह िसवीर भी सयार होिे लगिी है। 1934 में नहंदुओं ्ी ए् नवियाल भीड़ िे बयाबरी मशसजद ्े िीिों गुंबद िोड़ नदए थे। रैजयाबयाद ्े अंग्रेज ्लेकटर िे बयाद में इि्या पुिनिमिमयामिि ्रवयायया। उस वक्त नहंदू भयावियाओं ्ो भड़्यािे ्े नलए नवश्व नहंदू पररषद अशसितव में भी िहीं थी। इससे पहले भी 1855 में अयोधयया में भयारी संघषमि हुआ। िवयाब वयानजद अली ियाह ्ी ए् ररपोट्ड ्े मुियानब् 12 हजयार लोगों िे ढयाँचे ्ो घेर नलयया। यह संघषमि खूिी थया। 70 मुसलमयाि मयारे गए। ढयाँचे ्या ए् नहससया नरर नगरया। उस वक्त िो आरएसएस ्या जनम भी िहीं हुआ थया। ्ोई चुियाव भी सयामिे िहीं थया। ययािी इि गंुबदों ्ो ले्र आक्ोि हर ्याल में थया। पर न्सी िे उसे समझिे और सुलझयािे ्ी ्ोनिि िहीं ्ी। दरअसल यह चुियाव ्ी रयाजिीनि िहीं, दो नवचयारधयारयाओं ्या ट्रयाव थया, नजसमें ए्—नवचयारधयारया, उपयासिया सवयािंत्य, सवमिपंथ समभयाव, पंथनिरपेक्िया पर नट्ी थी। िो दूसरी—मजहबी ए्रूपिया, धयानममि् नवसियारवयाद और असनहषिुिया पर नट्ी थी।

रयाम, ्कृषि और न िव भयारि में पूिमििया ्े िीि महयाि सवपि हैं। िीिों ्या रयासिया अलग-अलग है। रॉ. रयाममिोहर लोनहयया ्ो मैं अपिे जमयािे ्या सबसे बड़या ‘से्ुलर’ मयाििया हूँ। उि्या जनम भी रैजयाबयाद में हुआ थया। वे ्हिे थे, “रयाम ्ी पूिमििया मययामिनदि वयशक्ततव में है, ्कृषि ्ी उनमुक्त और न िव असीनमि वयशक्ततव ्े सवयामी है। मैं जयाििया हूँ, इस देि ्या मयािस गढ़िे में रयाम, ्कृषि और न िव ्ी भूनम्या रही है।... देि ्े सयांस्कृनि् इनिहयास में यह निरथमि् बयाि है, भयारिीय पुरयाि ्े ये महयाि लोग धरिी पर पैदया हुए भी यया िहीं।... रयाम नहंदुसियाि ्ी उत्र-दनक्ि ए्िया ्े देविया थे।” लेन्ि दुभयामिगय दे न खए, लोनहयया ्े चेले यह िहीं समझ पयाए और वे आरवयािी से लड़िे-लड़िे रयाम से लड़िे लगे। अगर वयामपंथी नमत्रों िे भी लोनहयया और गयांधी ्ी िजर से रयाम ्ो देखया होिया िो वे अयोधयया आंदोलि ्े मममि ्ो आसयािी से समझ लेिे।

अयोधयया ्े इि गुंबदों ्या धवंस देि ्ो भीिर ि् नहलया गयया। मैं इस धवंस ्या सयाक्ी रहया। धवंस ्ी रििीनियों से ले्र ढयँाचया बचयािे ्ी खोखली ्ोनििों ्या गवयाह

1934 में हिंदुओं की एक

हिशाल भीड़ ने मस्जिद

के तीनों गंुबद तोड़ हदए

थे। फैजिाबाद के अंगे्जि

कलेक्टर ने बाद में इनका

पुनहननिमानिण करिाया। उस

िक्त हिंदू भािनाओं को

भड़काने के हलए हिश्व हिंदू

पररषद अस्तति में भी निीं

थी। इससे पिले भी 1855

में अयोधया में भारी संघषनि

हुआ। 70 मुसलमान मारे

गए। ढाँचे का एक हि्सा

हफर हगरा। उस िक्त तो

आरएसएस का जिनम भी

निीं हुआ था।