कछ Õआ औय द्वीऩ · 2020. 9. 22. · के ऊऩय आकय वह...
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कछझ आ औय द्वीऩ
ऩाऩझआ न्मू-गगनी की रोककथा
कछझ आ औय द्वीऩ
ऩाऩझआ न्मू-गगनी की रोककथा
फहझत-फहझत वषष ऩहरे जफ कछझ ओॊ के बी दाॉत हझआ कयते थे, सभझद्र भें एक ववशार कछझ आ यहता था. वह सॊसाय का सफसे फडा कछझ आ था औय अऩना अगधक सभम वह उस ववशार सागय भें तैय कय बफताता था जजसे आजकर रोग प्रशाॊत भहासागय कहते हैं.
वह धीये-धीये तैयता यहता था औय सागय भें यहने वारी भछलरमाॉ औय ऩानी भें उगने वारे ऩौधे औय सागय के ककनाये ऩाई जाने चट्टानों भें छछऩे हझए घोंघे खाता था. वह ववशार सागय के एक ककनाये से दसूये ककनाये तक तैयता यहता था.
वह सागय भें यहता था औय कबी ऩानी की सतह के ऊऩय औय कबी सतह के नीच ेतैयता था. ऩानी की सतह के ऊऩय आकय वह स्वच्छ, छनभषर हवा भें साॉस रेता था औय धऩू की गभी का आनॊद बी रेता था. वह ऊऩय आकाश की ओय देखता था, ददन भें उसे समूष औय यात भें चाॉद ददखाई देता था. सागय के एक तट से दसूये तट की ओय उडते हझए ऩऺी बी ददखाई देते थे. वह नीच ेऩानी भें देखता था औय गहये सागय भें उसे घना अॉधेया ददखाई देता था.
कबी-कबी कछझ आ तैय कय थक जाता था औय ऩानी की सतह के नीच ेआयाभ कयने रगता था. ऩय उसका भन चाहता कक वह कहीॊ धऩू की गभी भें फठै कय आयाभ कये. वह सोचता कक ककतना अच्छा होता अगय ववशार सागय के फीच भें बलूभ का एक टझकडा होता जहाॉ ऩय फठै कय वह आयाभ कय ऩाता.
सागय के अॊदय फहझत नीच ेजहाॉ कछझ आ तैय कय जामा कयता था, एक छछऩी हझई गझपा भें एक भनझष्म यहता था उस ववशार सागय भें वह एक अकेरा आदभी था. उसकी न कोई ऩत्नी थी, न फच्च,े न कझ टझम्फी. सागय के नीच ेउस गझपा भें वह बफरकझ र अकेरा था. सभम फीतने के साथ, अकेराऩन उसे फहझत बायी रगने रगा था. अकेरेऩन से वह घफयाने रगा था.
एक ददन जफ कछझ आ ऩानी भें तैय यहा था, वह सागय के फीच भें ऩहझॉच गमा. वहाॉ उसने सागय के अॊदय येत का एक ऩहाड देखा जो इतना ऊॉ चा था कक रगबग ऩानी की सतह तक उठा हझआ था.
“अगय भैं थोडी येत औय थोड ेऩत्थय रा कय इस ऩहाडी ऩय डार दूॉ तो शीघ्र ही मह ऩानी की सतह से ऊऩय आ जामेगी.” कछझ ए ने सोचा. “ददन भें इस ऩय सयूज चभकेगा. मह ऐसी जगह फन जामेगी जहाॉ, तैयत-ेतैयते थकने ऩय, भैं आयाभ कय सकूॉ गा औय गभष धऩू का आनॊद रे सकूॉ गा.”
कछझ आ सागय के दसूये बाग भें सागय-तर ऩय गमा, वहाॉ उसने येत औय ऩत्थय खोद डारे औय उन्हें उठा कय ऩहाडी ऩय रे आमा औय उस ऩय डार ददमे. ऩहाडी ऊॉ ची, औय ऊॉ ची होती गई. उसने मह काभ इतनी फाय ककमा कक गगनती नहीॊ की जा सकती. सूमष उदम होता औय अस्त होता, ददन-प्रछतददन चाॉद फढ़ता औय घटता, औय वह ऩहाडी ऊॉ ची होती गई, ऊॉ ची होती गई. औय आखखयकाय एक ददन सागय के फीच भें ऩहाडी एक फडा द्वीऩ फन गई औय कछझ आ सभझ गमा कक उसका काभ सभाप्त हो गमा था.
कपय जो ऩऺी सागय के एक तट से दसूये तट तक उड कय जाते थे, उन्होंने ऩेडों औय ऩौधों के फीज रामे औय उन्हें उस द्वीऩ ऩय गगया ददमा. द्वीऩ ऩय घास औय पूरों वारे ऩौधे औय ऊॉ च ेऩेड उग आमे औय साये ऩत्थयों औय सायी येत हरयमारी से ढक गई. मह एक सझॊदय द्वीऩ था जहाॉ की बलूभ उऩजाऊ थी औय आसऩास के सभझद्र भें ढेयों छोटी-फडी भछलरमाॉ थीॊ.
जो द्वीऩ कछझ ए ने फनामा था उसकी धऩू भें गभष हझई बलूभ ऩय वह आयाभ कयता था. अफ सागय भें तैयने के फाद, आयाभ कयने के लरए ऩानी की सतह के नीच ेरुकने की कोई आवश्मकता नहीॊ थी. मद्मवऩ वह अबी बी सागय भें खूफ तैयता था, ऩयॊतझ वह कबी बी द्वीऩ से अगधक दयू न जाता था.
एक ददन कछझ आ सागय भें नीच,े फहझत नीच ेचरा गमा. वह उतनी गहयाई तक तैय कय चरा गमा जजतनी गहयाई तक वह कबी न गमा था. समूष के प्रकाश औय गभी से दयू, वहाॉ ककतनी ठॊड थी औय ककतना अॉधेया था!
अचानक कछझ आ उस छछऩी हझई गझपा के अॊदय चरा गमा जहाॉ आदभी रॊफे सभम से अकेरा यह यहा था. कछझ ए को देख कय आदभी फहझत प्रसन्न हझआ; उसने कछझ ए से कहा कक वह उसके लरए एक ऩत्नी ढूॉ ढे़, जजसके साथ वह अऩना जीवन बफतामे औय उनके अऩने फच्च ेहों. आदभी के अकेरेऩन ऩय कछझ ए को तयस आमा. अऩनी ऩीठ ऩय फठैा कय वह आदभी को उस द्वीऩ ऩय रे आमा जो उसने फनामा था.
कपय सागय भें तैय कय वह सफसे ऩास वारे ककनाये ऩय आ गमा, वहाॉ एक औयत खडी थी, वह फहझत सझॊदय थी. वह यो यही थी, उस भनझष्म की बाॊछत वह बी बफरकझ र अकेरी थी. उसके भन भें ऩछत औय फच्च ेऩाने की तीव्र इच्छा थी. तो कछझ आ उसे अऩनी ऩीठ ऩय बफठा कय सागय के फीच अऩने द्वीऩ ऩय, उस आदभी की ऩत्नी फनाने के लरए रे आमा.
वह आदभी औय औयत प्रसन्नता से एक साथ द्वीऩ ऩय यहने रगे. वह हॉसते, वह सागय के ऩानी भें खेरते, कबी-कबी आऩस भें झगडते बी, रेककन अऩने जीवन के आनॊद को उन्होंने कबी कभ न होने ददमा.
उनके फच्च ेहझए, सझॊदय फच्च,े औय उन फच्चों के बी फच्च ेहझए औय इस तयह वह द्वीऩ रोगों से बय गमा. वह खेती कयने रगे, उन्होंने घय फनामे औय सागय के ककनाये वह भछलरमाॉ ऩकडते.
औय सभम फीतने के साथ जो द्वीऩ उस ववशार कछझ ए ने फनामा था, वह न्मू गगनी के नाभ से जाना जाने रगा.
सभाप्त