Post on 11-Sep-2019
�वातीन और
हज वा उमराह
"ऐ अ�लाह के रसल हम� मालम है िजहाद सबसे अफ़ज़ल अमल है, ू ू
�या हम िजहाद ना कर� ?आपन े इरशाद फ़रमाया: नह�
ब�के(औरत� के �लए) उमदा तर�न िजहाद, हजे मब�र है-"
हज़रत आयशा رضي هللا عنھ से �रवायत है मन� े अज़ � �कया :
ملسو هيلع هللا ىلص
ملسو هيلع هللا ىلص
�वातीन
और
हज वा उमराह "जब म � ब�दे को सेहत और माल अता क�ं और इस पर पाँच साल गज़र जाऐ ंऔर वोह मेर� तरफ ना आए तो वोह मह�म है-"ु
फेह�र�त
न�बर शमार न�बर शमार सफ़ा न�बरु ु
1. इ�तदेाइया 5
2. �वातीन के �लए हज क� शराइत 6
3. �वातीन का एहराम 6
4. �वातीन के �लए एहकामात ेहज 8
5. �वातीन और हैज़ वा �नफ़ास के एहकाम 10
6. �वातीन और क़यामे म�का वा मद�ना 11
7. �वातीन और मि�जदे नबवी 13
8. �वातीन और नमाज़ ेजनाज़ा 15
9. नमाज़ ेजनाज़ा क� अदाएगी का तर�क़ा 15
10. तीसर� तकबीर के बाद पढ़� जान ेवाल�
म�यत क� बि�शश के �लए मसनन दआ 16ू ु
इ�तदेाइया
हज वा उमराह अहम इबादत मे से है और इनक� द��त ु
अदायगी ह� उनक� क़ब�लयत का ज़�रया है-मना�सक हज वा उमराह ु ू
क� ताल�म पर छोट� बड़ी कई �कताब� मौजद है िजन से मद� वा ू
�वातीन एकसा फ़ायदा कर सकत ेह�-
दसर� इबादात क� तरह अ�लाह सबहान वा तआला न ेहज ू ु
उमराह क� अदायगी म� भी बाज़ जगाह� पर �वातीन के �लए मद� से
कछ म�त�लफ एहकामात बयान फ़रमाए ह� और बाज़ जगाह� पर ु ु
उनक� �फ़तर� सा�त और ज़��रयात क� मना�सबत से ��सत� अता ु
फ़रमाई ह� जो क� अ�लाह तआला का उन पर ख़ससी करम और ू ू
मेहरबानी है-इस �कताब म� को�शश क� गई है के उन मक़ामात क�
�नशानदह� क� जाए और उन एहकामात को अलग बयान कर �दया
जाए ताके �वातीन अपन ेमना�सके हज सह� तौर पर अदा कर सक� -
हज व उमराह के तफ़सील� एहकामात जानन ेके �लए हमार�
�कताब "हज बतै�लाह " का मतालेआ क�िजए-ु ु
अ�लाह तआला से दआ है �क वोह आपको हज ेमब�र क� ु
सआदत अता फ़रमाए -आमीन
अल हदा शोबए तहक़�क़ व अशाअत ु
11 नोवमबर 2010
हज इ�लाम के ब�नयाद� अरकान मे से एक �कन है जो सा�हबे ु ु
है�सयत अफ़राद पर िज़�दगी म� एक बार फ़ज़ � है-
इरशाद बार� तआला है-
" और लोग� पर अ�लाह का यह हक़ है �क जो इसके घर तक पहँचन ेुक� इ�तताअत रखता हो वोह इसका हज करे और िजसन ेइ�कार �कया
तो बेशक अ�लाह तआला जहान वाल� से बे�नयाज़ है-"
इ�तताअत से मराद रा�त ेका सामान और सवार� का इ�तज़ेाम है-ु
�वातीन के �लए हज क� शराइत
�वातीन के �लए दो शराइत मद� से �यादा ह�-
1 मेहरम का साथ होना -�वातीन बग़ैर मेहरम के हज या उमराह
इि�तयार ना कर� -
2 हालत ेइ�त म� ना ह�-अगर शौहर हज अदा करत ेहए फ़ौत हो जाए ु
तो हज मक�मल कर सकती है-ु
नोट:फ़ज़ � हज औरत शौहर क� इजाज़त के बग़ैर कर सकती है जब �क
उसके साथ मेहरम मौजद हो �य� �क अ�लाह का हक़ मक़�म है –ू ु
�वातीन का एहराम
vएहराम क� हालत म� �वातीन के �लए कोइ अलग �लबास
स�नत से सा�बत नह� ं�लहाज़ा �वातीन परदे �क शरइ एहकाम क� ु
पाबंद� करत ेहए अपन ेरोज़ाना के �लबास ह� म� �नयत कर� -ु
vहालत ेएहराम म� �वातीन �सले हए कपड़ ेइ�तमेाल कर सकती ह�-ु
vसर के बाल� को बांधन ेके �लए अलग से कपड़ा �सलवाना �कसी
हद�स से सा�बत नह� है-
vसफ़ेद रंग के �लबास क� भी कोइ क़ैद नह�-ं�कसी भी रंग के कपड़ े
पहन ेजा सकत ेह� अलब�ता बहत शोख़ और चमकदार रंग नाह�-ु
v�लबास बार�क ना ह�- एहराम क� हालत म� ऐसा �लबास पहन� जो
परदे क� शराइत पर� करता हो और िजसम� सतर मक�मल ढांपा ू ु
गया हो –
vकढ़ाई वाला या मो�तय� और नग� से सजा अबाया या चादर
इ�तमेाल ना कर� �य� �क ये ज़ीनत के इज़हार म� आ जाएगा –
vएहराम क� �नयत के बाद ग़सल कर सकती ह�-ु
vइस एह�तयात के साथ कंघी कर सकती ह� �क बाल ना टट�-ू
vहालत ेएहराम म� ख़शब ना लगाऐ ंऔर ना ह� ख़शब लगा कपड़ा ु ू ु ू
इ�तमेाल कर�-फल� के हार पह�ने से भी बच� �य� �क उनक� ू
ख़शब कपड़� म� आ जाती है-िज�म से पसीन ेक� ब दर करन ेके ु ू ू ू
�लए �फटकर� इ�तमेाल कर सकती ह�-
vइख़लाक़न काँच क� च�डया ँना पहन� �य��क अ�सर मताफ़ (तवाफ़ ू
क� जगह )पर टट� हइ च�डया ँपाँव ज़�मी करन ेका सबब ू ूु
बनती ह�-
v�वातीन बजन ेवाले ज़ेवर ना पहन� -
v�वातीन के �लए हालत ेएहराम म� द�तान ेऔर नक़ाब पहनना मना
है -अलब�ता ज़�रत के व�त अपन ेचेहरे को छपा सकती ह�-ु
vहालत ेएहराम म� जत ेऔर जराब� का इ�तमेाल कर सकती ह� –ू ु
�वातीन के �लए अहकामात ेहज v�वातीन के �लए हज का सवाब जेहाद के बराबर है-
vहज ेतम�तो करन ेवाल� �वातीन मीक़ात से कह कर �सफ�
उमराह क� �नयत कर�
vउमराह क� �नयत के बाद तल�बया �सफ़� इतनी आवाज़ से पकार� ु
िजसे ख़द सन सक� -ु ु
vतवाफ के सात� च�करो म� �वातीन आम चाल से तवाफ कर�-
vऐसे औक़ात म� तवाफ के �लए जाऐ ंजब रश कम हो मसलन
चा�त,ज़ोहर या तहा�जद के व�त -ु
vहजम के व�त हजरे असवद का बोसा लेन ेके �लए ध�कम पेल ना ूुकर�,रश ना हो तो हजरे असवद का बोसा ल�-
vसई म� �वातीन आम र�तार से चल�,स�ज़ �तन� के दरि�यान दौड़ना ू
नह� ंहै-
v�कसी उ� क� वजह से चलन ेम� दशवार� हो तो सवार� पर भी सई कर ु
सकती ह�-
vमज़दलफ़ाह से आधी रात के बाद �मना वापस आ सकती ह�-ु
vबज़ग� ,कमज़ोर,भार� भरक़म,मर�ज़ और हामला �वातीन जमरात क� ु
रमी के �लए अपना नाइब मकर�र कर सकती ह�-ु
vएहराम से हलाल होन ेके �लए एक या दो पोर के बराबर बाल
�वातीन परदे का �याल रख़त ेहए अपन ेबालख़द ,कतरवाय�ुु
काट सकती ह�-
vवज़ करत ेहए सर पर बँधा हआ �माल या चादर हटाकर वज़ ु ु ु ुु ुकर� ग़ैर मेहरम अफ़राद क� मौजदगी मे �माल या चादर के अदंर ू
हाथ डाल कर अ�छ� तरह मसाह कर�-
vइ�तहेाज़ा ,�लको�रया और पेशाब क� मर�ज़ �वातीन एक वज़ से एक ु ु
नमाज़ और एक तवाफ़ मक�मल कर सकती ह�-ु
vक़याम म�का व मद�ना के दौरान �वातीन तमाम नमाज़� बा जमात
मि�जद म� अदा करन ेक� को�शश कर� ता�क हरमनै
َ لبیك عمرهََ ُ َّ
म� �मलन ेवाले �यादा अजर क� म�तहक़ हो सक� -ु
vमि�जदे हराम म� �वातीन अपन े�लए मख़सस क� गई जगाह� पर ू
नमाज़ पढ़� -मद� के साथ खड़ ेहोकर नमाज़ नह� ंहोती-
vनमाज़ क� अदायगी के दौरान सफ़ बंद� क� तरफ पर� तव�जोह द� -ू
v�वातीन बाल ,बाज़ और टख़न ेढांप कर नमाज़ पढ़� -ू
vतवाफ़ या सई के दौरान फज़ � नमाज़ का व�त हो जाए तो �वातीन
तवाफ़ या सई छोड़ कर बाजमात नमाज़ अदा कर�-फज़ � नमाज़ क�
मौजदगी म� कोई दसर� नमाज़ नह� ंहोती-ू ू
vनमाज़ के बाद पहले लगाए गए च�कर शमार करत ेहए बाक़� च�कर ु ु
मक�मल कर ल� -ु
vनमाज़ो के वक़फ़ म� नींद आ जाए तो बेदार होन ेके बाद वज़ कर के ु ू ु ु
अलब�ता टेक या सहारे के बगैर उंघ आ जाए तो वज़ नमाज़ पढ�ु ु
नह� टटता-ू
�वातीन और हैज़ व �नफ़ास के एहक़ाम
vअयामे हज म� महाना मामल को रोकन ेके �लए गो�लय� का ू
इ�तमेाल ज़�र� हो तो �वातीन डा�टर से मशवरे के बाद ऐसा कर�
�य��क उनके नक़सानदेह असरात सेहत पर पड़ सकत ेह� –ु
vएहराम के बाद हैज़ या �नफ़ास श� हो तो �वातीन पाक होन ेतक ु
इंतज़ार कर�-जब पाक हो जाऐ ंतो �फर तवाफ़ और सई कर�,बाल काट
ल� -इससे उनका उमराह मक�मल हो जाएगा-ु
vये सरत ेहाल उमराह अदायगी करन ेके बाद या आठ तार�ख़ को हज ू
का एहराम बांधन ेके बाद या तवाफ़े अफ़दा से क़बल पेश आए तो
वक़फ़ अराफ़ाह व मज़दलफ़ाह,रमी जमारात और तल�बया व िज़� ु ू ु
सर अजंाम द� और जब पाक हो जाऐ ंतो ग़सल कर के तवाफ़े ु
हज कर� -
vहालत ेएहराम म� तवाफ़े हज से क़�ल हैज़ श� हो जाए और ख़ातन ु ू
का मेहरम फ़ौर� सफ़र के �लए मजबर हो और म�का म� उसका कोई ू
मेहरम भी नह� ंतो इस हालत म� मजबर� क� वजह से मि�जद म� ू
दा�ख़ल होन ेऔर तवाफ़ के �लए हैज़ से तहारत क� शत � सा�क़त हो
जायेगी -लेहाज़ा ऐसी �वातीन तवाफ़ और सई कर ल� और अगर
मसाफ़त(फ़ासला)क़र�ब होन ेक� वजह से ये मम�कन हो �क सफ़र ु
कर ल� और तहारत के फ़ौरन बाद अपन ेशौहर या �कसी मेहरम के
साथ वापस आकर हालत ेतहारत म� तवाफ़ कर� तो ये �यादा बेहतर
है-(बहवाला फ़तावा इ�ला�मया,दा��सलाम पब�लशरज़)
vहैज़ तवाफ़े अफ़ादा व सई के बाद और तवाफ़े �वदा से क़बल श� हो ु
तो तवाफ़े �वदा सा�क़त हो जायेगा –
�वातीन और क़यामे म�का व मद�ना
vमि�जदे हराम म� एक नमाज़ का सवाब एक लाख नमाज़� के
बराबर और मि�जदे नबवी म� एक हज़ार नमाज़ के बराबर है
इस�लए िजतनी नमाज़� मि�जद म� अदा कर सकती है कर� -
v�तलावत ेक़रआन मजीद,िज़�े इलाह� या दरस व तदर�स म� ु
व�त गज़ार� -ु
vचन ेखजर और पानी क� बोतल बगै म� रख� ता�क ज़�रत के ू
व�त इ�तमेाल कर सक� -
vमि�जद म� िजतनी देर रह� आबे ज़मज़म ख़ब �पय � -को�शश कर� ू
बहत ठंडा इ�तमेाल ना कर�-इससे ज़काम और गला ख़राब होन ेका ुु
अदेंशा होता है-ठंड ेपानी के कलर पर और दसेर पर ू ू
के अलफ़ाज़ सहलत के �लए �लखे गए ह� -ू
vहर एक को म�करा कर �मल�,सलाम म� पहल कर� ु ु
vमि�जदे हराम के अ�दर रा�त� म� खड़ ेहोन ेया बठैन ेसे परहेज़
कर� -
vरा�त ेम� नमाज़ पढ़नी पढ़ जाए तो मक�मल करत ेह� रा�ता ु
छोड़ द�-अगर उठन ेको कहा जाए तो फ़ौरन उठ जाऐ ं–vलडाई
झगड़,ेग़ीबत,चग़ल� और ध�कम पेल से बच� -ु
vतहारत,सफ़ाई और पाक�ज़गी का ख़ास �याल रख़� -
vरोज़ाना ग़सल का ऐहतमाम कर� और �लबास त�द�ल कर�-ु
vिज�म,�लबास,दाँत� और जराब� क� सफ़ाई का ख़ास ऐहतमाम ु
कर� -
v�मना और अरफ़ात म� सफ़ाई का ख़ास �याल रख� -
v�मना म� क़याम के दौरान को�शश कर� �क हर नमाज़ से एक
या आधा घंटा पहले बतैल ख़ला से फ़ा�रग होकर वज़ ु ु ु
कर ल� ता�क देर होन ेके बाइस नमाज़ कज़ा ना हो-
ّ مبرد ّ غیر مبرد
v�मना से अरफ़ात और अरफ़ात से मज़दलफ़ा और �फर मज़दलफ़ा से ु ु
�मना का सफ़र काफ़� स� अज़मा होता है-लाख� लोग� क� बेशमार ु
गा�ड़य� के बाइस ये का�फ़ला बहत अ�ह�ता अ�ह�ता चलता है �लहाज़ा ु
इस दौरान स� का मज़ाहेरा कर�,दआऐ,ं अज़कार और द�द पढ़� - ु ु ु
vरा�त�,बज़ार� और अपन ेइद� �गद� कड़ा करकट ना फेक� ,इ�तमेाल ू
शदा �टश,जस के खाल� �ड�बे,पेपर �गलास वग़ैरा पलाि�टक क� थलै� ु ु ू
म� डाल� -
vअपना शना�ती काड � और �रहाइश का पता जेब या पस � मे रख�
शना�त के �लए ग�प इंतज़ेा�मया क� तरफ़ से हाथ या गले मे कछ ु ु
पहनना लािज़म �कया जाए तो उसक� पाब�द� कर�-
vअचानक तबीयत ख़राब होन ेक� सरत मे हरम शर�फ़ के अदंर हर ू
गेट के नज़द�क बन े�ल��नक म� जाऐं -
vअरबी ज़बान के चंद इबतदेाई जमले और �गनती सीख कर जाऐं-ु
vसबर और इ�ताक़ामत का दामन हर जगह थामे रख� -
vअफ़वाह� पर �यान ना द� और सनी सनाई बात को बग़ैर तहक़�क़ ु ु
आगे ना पहँचाऐं - ु
vमि�जदे आयशा म� नमाज़ पढ़न ेके �लए या बार बार उमरे का
एहराम बांधन ेके �लए वहा ँना जाऐं -
v�सफ़� हायज़ा ख़ातन पाक होन ेके बाद वहा ँसे एहराम बाँध कर तवाफ़ ू
और सई कर सकती है-
vहर अमल स�नत ेरसल के मता�बक़ करन ेक� को�शश कर� ता�क ु ू ु
�यादा से �यादा अजर के म�तहक़ हो सक� - ु
vमि�जदे हराम और मि�जदे नबवी दोन� म� दा�ल अफ़ता मौजद ह� ू
चनाच े�कसी भी सवाल या मसले के बारे मे शरई ह�म पछन ेके �लए ु ूु
वहा ँराबता कर� -
�वातीन और मि�जदे नबवी
vमि�जद मे दा�ख़ल होत ेव�त मंदरज़ेल दआ पढ़� -ु
" अ�लाह के नाम के साथ,अ�लाह के रसल पर सलाम हो - ऐ अ�लाह! ू
मेरे गनाह माफ़ फ़रमा दे और मेरे �लए अपनी रहमत के दरवाज़ ेखोल दे -ु
"(सनन इ�नेमाजा)ु
vमि�जदे नबवी म� दा�ख़ल होने के बाद तह�यातल मि�जद ु
अदा कर� -हजरा मबारक क� तरफ़ �ख़ करके नबी पर ुु
इन अलफ़ाज़ म� सलाम भेज� -
"ऐ अ�लाह के रसल आप पर सलाम हो -"ू
vइसके साथ साथ द�दे इ�ाह�मी पढ़� –
“ऐ अ�लाह मोह�मद और आले मोह�मद पर इस तरह रहमत नािज़ल
फ़रमा िजस तरह तने इ�ाह�म(अ)और आले इ�ाह�म(अ) पर रहमत नािज़ल ू
फ़रमाई थी,बेशक त बहत तार�फ़ वाला और बज़ग� वाला है,ऐ अ�लाह! ू ु ुु
मोह�मद पर और आले मोह�मद पर इस तरह बरकत� नािज़ल
फ़रमा िजस तरह तन ेइ�ाह�म(अ)और आले इ�ाह�म(अ) पर बरकत� नािज़ल ू
फ़रमा�,बेशक त बहत तार�फ वाला और बज़ग� वाला है-“ ू ु ुु
ملسو هيلع هللا ىلصملسو هيلع هللا ىلص
ملسو هيلع هللا ىلص ملسو هيلع هللا ىلص
ملسو هيلع هللا ىلص
v�फर अबबकर �स�ीक़ और उमर पर इस तरह सलाम भेज� -ू
"ऐ अब बकर �स�ीक़ आप पर सलाम हो -"ु
“ऐ उमर फ़ा�क़ आप पर सलाम हो -"(सनन बह�क़�)ु
vमि�जद नबवी म� कसरत से नवा�फ़ल,�तलावत क़रआन मजीद,द�द ु
शर�फ़ पढ़� और िज� अज़कार कर� -
vसीरत रसल अहाद�से मबारका और दसर� अ�छ� �कताब� का ू ु ू
मतालेआ कर� . ु
vरोज़ातल ज�नाह म� ध�कम पेल और दसर� को अिज़यत �दए बग़ैर ु ू
न�फ़ल अदा करन ेका मौक़ा �मल जाए तो ज़�र फ़ायदा उठाऐं - नबी
न ेफ़रमाया
ملسو هيلع هللا ىلص
" मेरे हजरे और �म�बर के दरि�यान वाल� जगह ज�नत के बाग़� म� से एक बाग़ ु
है और मेरा �म�बर मेरे हौज़ पर वाक़े है.”
vरसल अ�लाह क� क़� मबारक के बाहर लगी जा�लय� को ना छऐ-ंू ु ु
ना चम� और ना उनसे �चमट� -यहाँ अपनी आवाज़ बलंद करने से भी ू ु
ग़रेज़ कर� -ु
vरसल अ�लाह क� क़� मबारक पर आवाज़ बलंद करना ,क़� ू ु ु
मबारक क� तरफ़ नमाज़ क� तरह हाथ बांध कर खड़ ेहोना,�क या ु ु
सजदा करना,�तलावत या िज़� के �लए बठैना ,इसका तवाफ़ करना
या इसक�
�वातीन और नमाज़े जनाज़ा
मि�जद हराम और मि�जद नबवी दोन� म� फ़ज़ � नमाज़� के बाद नमाज़
जनाज़ा अदा �कया जाता है-
नमाज़ जनाज़ा फ़ज़ � कफ़ाया है और अममन मद� हज़रात ह� अदा करत ेु
ह�-उमराह और हज के दौरान �वातीन के �लए भी ये मौक़ा है के वो
नमाज़ जनाज़ा अदा कर� –
अब हािज़म अब हरैराह से �रवायत करत ेह� के नबी न ेु ु ु
फ़रमाया:िजसन े�कसी जनाज़ ेपर नमाज़ पढ़� उसके �लए एक क़�रात(के
बराबर अजर) है - और जो जनाज़ ेके साथ गया यहा ंतक के उसे क़� म�
रख �दया गया उसके �लए दो क़�रात(के बराबर अजर) है- रावी कहत ेह�
म � न ेअब हरैराह से पछा क़�रात से �या मराद है तो उ�ह�न ेकहा ओहद ु ू ुु
पहाड़ के बराबर – (सह� बख़ार�)ु
ملسو هيلع هللا ىلص
नमाज़ जनाज़ा क� अदायगी का तर�क़ा
नमाज़ जनाज़ा हालत क़याम ह� म� चार तकबीरात के साथ अदा कर� -
इस म� �क,सजदा नह� ंह� –ू
पहल� तकबीर हाथ उठाकर कह� और सना वा सरह ू
फ़ा�तहा पढ़� -
दसर� तकबीर कह� और द�दे इ�ाह�मी पढ़� -ू ु
तीसर� तकबीर कह� और म�यत क� बि�शश के �लए
दआऐं कर� -ु
चौथी वा आख़र� तकबीर कह� और सलाम फेर द� –
तीसर� तकबीर के बाद पढ़� जाने वाल� म�यत
बि�शश के �लए मसनन दआू ु
"ऐ अ�लाह इसक� बि�शश फ़रमा इस पर रहमत फ़रमा,और इस से
दरगज़र करके माफ़ फ़रमा दे,और इसक� अ�छ� मेहमानी कर और ु
इसके दा�ख़ल होने क� जगह कशादा कर दे और इसे पानी बफ़� और ु
ओल� से धो डाल और इसे ख़ताओ ं से इस तरह साफ़ करदे जसेै
सफ़ेद कपड़ा मलै कचलै से साफ़ �कया जाता है और इसे इसके घर से ु
बेहतर घर और इसके घर वाल� से बेहतर घर वाले और इसके साथी से
बेहतर साथी अता फ़मा� और इसे ज�नत म� दा�ख़ल फ़रमा और इसे
अज़ाबे क़� और आग के अज़ाब से बचाले - "(सह� मि�लम)ु
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