Post on 23-May-2020
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��य पाठको, ऑल गवन�म�ट जॉब इं�डया आपके �लए मह�वपणू� भगूोल �वषय से भारत क� जलवाय ुपर
�टडी नो�स ले कर आए ह� िजस के Educator - Raj Holkar है। उ�ह�ने इस �वषय पर बहुत ह� सरल
श�द� म� �वषय एक एक �बदं ुको ��ततु �कया है, आप इस नो�स के �वारा UPSC, IAS, MPPSC &
Other State PSC's क� पर��ा क� सफलता हेत ुउ�म पाएंगे।
अगर आप �कसी �वषय पर �लखना चाहत ेह� तो हम� संपक� कर� - allgovtjobsindia@gmail.com
आशा है आप को यह लेख पसंद आएगा अगर हां तो हम� कम�ट बॉ�स म� ज�र �लख�। और य�द कोई
सझुाव या �शकायत हो तो comment box म� बताइये।
भारत क� जलवाय ु जलवायःु �कसी �थान अथवा देश म� ल�बे समय के तापमान, वषा�, वायमु�डल�य दबाव तथा पवन� क�
�दशा व वेग का अ�ययन व �व�लेषण जलावय ुकहलाता है। स�पणू� भारत को जलवाय ुक� �वाि�ट से
उ�ण क�टबंधीय मानसनूी जलवाय ुवाला देश माना जाता है।
भारत म� उ�णक�टबंधीय मानसनूी जलवाय ुपायी जाती है। मानसनू श�द क� उ�प�त अरबी भाषा के '
मौ�सम' श�द से हुई है।
मौ�सम श�द का अथ� : पवन� क� �दशा का मौसम के अनसुार उ�ट जाना होता है। भारत म� अरब सगार
एवं बंगाल क� खाडी से चलने वाल� हवाओ ंक� �दशा म� ऋततु ्प�रवत�न हो जाता है, इसी सदंभ� म� भारतीय
जलवाय ुको मानसनूी जलवाय ुकहा जाता है।
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भारतीय जलवाय ुको �भा�वत करने वाले कारकः
¡) ि�थ�त एवं अ�ांशीय �व�तारः - भारत उ�र� गोला��ध म� ि�थत है एवं कक� रेखा भारत के लगभग
म�य से होकर गजुरती है अतः यहाँ का तापमान उ�च रहता है। ये भारत को उ�णका�टबंधीय जलवाय ु
वाला �े� बनाती है।
ii) सम�ु से दरू� : भारत तीन ओर से सम�ु से �घरा हुआ है भारत के पी�चमी तट, पवू� तट एवं द��ण
भारतीय �े� पर सम�ु�य जलवाय ुका �भाव पड़ता है �क�त ुउ�र� भारत, उ�र� पि�चमी भारत एव ंउ�र�
- पवू� भारत पर समु�ं� जलवाय ुका �भाव नग�य है।
iii) उ�र� पव�तीय �े�णया : �हमालयी �े� भारत क� जलवाय ुको �भा�वत करता है यह मानसनू क�
अव�ध म� भारतीय �े� म� वषा� का कारण भी बनता है तथा शीत ऋत ुम� �त�बतीय �े� से आने वाल�
अ�यंत शीत लहर� म� �कावट पदैा कर भारत को शीत लहर के �भाव� से बचाने के �लए आवरण या द�वार
क� भ�ूमका �नभाता है।
iv) भ ू- आकृ�त: - भारत क� भ-ू आकृ�तक सरंचना पहाड़, पठार, मदैान एवं रे�ग�तान भी भारत क�
जलवाय ुको �भा�वत करत ेह�। अरावल� पव�त माला का पि�चमी भाग एवं पि�चमी घाट का पवू� भाग
आ�द वषा� क� कम मा�ा �ा�त करने वाले �े� ह�।
V) मानसनूी हवाएं : मानसनूी हवाएं भी भारतीय जलवाय ुको �भा�वत करती है हवाओ ंम� आ��ता क�
मा�ा, हवाओ ंक� �दशा एवं ग�त आ�द।
VI) अ�व� वाय ुसंचरण ( जेट ���म ) : जेट ���म ऊपर� शोभमणल म� आम तौर पर म�य अ�ांश म�
भ�ूम से 12 Km ऊपर पि�चम से पवू� ती� ग�त से चलने वाल� एक धारा का नाम है। इसक� गीत
सामा�यत 150 - 300 Kmp क� होती है।
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Vii) ऊ�ण क�टबधंीय च�वात और प�शचम �व�ोभ :- उ�ण क�टबधंीय च�वात का �नमा�ण बगंाल क�
खाड़ी और अरब सगर म� होता है। और यह �ाय�वीपीय भारत के एक बड़ ेभ ूभाग को �भा�वत करता है।
Viii) द��णी दोलन : - जब कभी भी �ह�द भी �ह�द महासागर के ऊपर� दवाब अ�धक हो जाता है, तब
�शांत महासागर के ऊपर �न�न दबाव बनता है। और जब �शांत महासागर के ऊपर उ�च दबाव क� सिृ�ट
होती है तब �ह�द महासागर के ऊपर �न�न दबाव बनता है। दोन� महासागर� के इस उ�च एव �न�न वाय ु
दाबीय अ�तः स�ब�ध को ह� द��णी दोलन कहत ेह�।
ix-एल �ननो : इसके �भाव के कारण भारत म� कम वषा� होती है।
X- ला - नीना : यह एल - नीन� क� �वपर�त सकं�पना है। इसके �भाव म� भारत म� वषा� क� मा�ा अ�छ�
रहती है।
कोपेन का जलवाय ुवग�करण : कोपेन ने भारतीय जलवायवुीय �देश� को 9 भाग� म� �वभािजत �कया है -
1. लघ ुकाल�न शीत ऋत ुस�हत मानसनूी जलवाय ु(AMW �कार) : - ऐसी जलवाय ुम�ुबई के
द��ण म� प�शचमी तट�य �े�� म� पायी जाती है। इन �े�� म� द��ण - पि�चम मानसनू से
�ी�म ऋत ुम� 250 - 300 cm से अ�धक वषा� होती है। इस जलवाय ु�देश म� आने वाले �े�
-
- मालावार, एवं क�कण तट, गोवा के द��ण तथा प�शचमी घाट पव�त क� प�शचमी ढाल।
- उ�र पवू� भारत
- अडंमान - �नकोबार �वीप समहू
1. उ�ण क�तबंधीय सवाना जलवाय ु�देश ( AW �कार ) : - यह जलवाय ुकोरोम�डल एव ं
मालावार तट�य �े�� के अलावा �ाय�वीपीय पठार के अ�धकांश भाग� म� पायी जाती है। इस
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जलवाय ु�े� क� ऊपर� सीमा लगभग कक� रेखा से �मलती है अथा�त ्यह जलवाय ुकक� रेखा के
द��ण म� ि�थत �ाय�वीपीय भारत के अ�धकांश भग� म� पायी जाती है। यहाँ सलाना हर �कार
क� वन�प�त पायी जाती है। इस �कार के �देश म� �ी�मकाल मे द��ण - प�शचम मानसनू से
लगभग 75 Cm वषा� होती है। शीत काल सखूा रहता है।
3.श�ुक �ी�म ऋत,ु आ�� शीत ऋत ुस�हत मानसनूी जलवाय ु( AS �कार) : यह वह �देश है जहाँ
शीतकाल म� वषा� होती है और �ी�म ऋत ुसखूा रहता है। यहाँ शीत ऋत ुम� उ�र - पवू� मानसनू ( लौटत े
हुए मानसनू) से अ�धकांश वषा� होती है। वषा� ऋत ुक� मा�ा शीत काल मे लगभग 75-100 तक होती है।
इसके अ�तग�त तट�य त�मलनाडु और आ�� �देश के सीमावत� �देश आत ेह�।
4.अ��ध श�ुक �टेपी जलवाय ु( Bshw �कार) : यहाँ वषा� �ी�मकाल म� 30 - 60 cm होती है। शीत
काल म� वषा� का अभाव रहता है। यहाँ �टेपी �कार क� वन�प�त पायी जाती ह�। इसके अ�तग�त -
म�यवत� राज�थान, प�रचमी पंजाब, ह�रयाणा, गुजरात के सीमावत� �े� एवं पि�चमी घाट का विृ�ट
छाया �देश। शा�मल ह�।
1. उ�ण म��थल�य जलवाय ु(Bwhw): यहाँ वषा� काफ� कम होती है ( 30 cm से भी कम ),
तापमान अ�धक रहता है। यहाँ �ाकृ�तक वन�प�त कम ( नग�य ) होती ह� एव ंकांटेदार
म��थलयी वन�प�त पायी जाती है इस �देश के अतं�गत - राज�थान का प�शचमी �े�, उ�र�
गुजरात, एवं ह�रयाणा का द��णी भाग शा�मल ह�।
2. श�ुक शीत ऋत ुक� मानसनूी जलवाय ु(cwg �कार) : इस �कार क� जलवाय ुगंगा के
अ�धकांश मदैानी इलाक�, पवू� राज�थान, असम और मालवा के पठार� भाग� म� पायी जाती
है। यहाँ गम� म� तापमान 40 ℃ तक बढ़ जाता है जो शीतकाल म� 27 ℃ तक पहंुच जाता है।
वषा� म�ुयत: �ी�म ऋत ुम� होती है शीत काल श�ुक है।
3. लघ ु�ी�म काल य�ुत शीत आ��ध जलवाय ु(Dfc �कार) : - इस �कार क� जलवाय ु
�सि�कम, अ�णाचल �देश और असम ( �हमालय का पवू� भाग) के �ह�स� म� पायी जाती है।
शीत काल ठ�डा, आ��ध एवं लबंी अव�ध का होता है। शीत काल म� तापमान 10 ℃ तक होता
है।
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4. टु��ा त�ुय जलवाय ु(ET �कार) - यहाँ तापमान सालभर 10 ℃ से कम रहता हैै। शीतकाल
म� �हमपात के �प म� वष� होती है। इसके अतंग�त - अ�राख�ड के पव�तीय �े�, क�मीर,
ल�दाख, �हमाचल �देश के 3000 से 5000 मी॰ ऊँचाई वाले �े� शा�मल ह�।
5. �वीय त�ुय जलवाय ु(E �कार) : यहाँ तापमान साल भर 0 ℃ से कम (�हमा�छा�रत �देश
) होता है। इसके अ�तग�त �हमालय के प�शचमी और म�यवत� भाग म� 5000 मी० से अ�धक
ऊँचाई वाले �े�। [ J & K एवं H.P के उ�च ऊंचाई वाले �े� ]
भारतीय मानसनू क� उ�प�त के �स�धांत मानसनू क� उ�प�त से संब�धत चार �मखु �स�धांत �दए गए ह�-
1. तापीय �स�धांत
2. �वषवुतीय पछुआ पवन �स�धांत
3. जेट ���म �स�धांत
4. अलनीनो �स�धांत
मानसनू क� उ�प�त का ताल�य �स�धांत
इस �स�धांत के अनसुार, मानसनूी पवन� क� उ�प�त का म�ुय कारण ता�पय�। �ी�म ऋत ुम� सयू� क�
�करण� उ�र� गोला��ध म� ल�बवत पड़ती ह�। इससे यहाँ एक वहृत �न�न दाब (LP) का �नमा�ण होता है।
इस �न�न दाब के कारण उ�र पवू� �यापा�रक पवन� अनपुि�थत हो जाती ह� जो �क 5° से 30° उ�र� एव ं
द��णी अ�ांश� के बीच सालभर चलती ह�।
तापीय �वषवुत रेखा उ�र क� ओर �खसक जाती है इस कारण द० प०ू �यापा�रक पवन� �वषवुत रेखा को
पार कर उ�र� गोला��ध म� आ जाती ह�। फेरेल के �नयमानसुार उ�र� गोला��ध म� आने पर ये पवन अपनी
दां�हनी और (Right Hand side) अथा�त ्उ�र पवू� क� ओर मड़ु जाती ह� तथा सपंणू� भारतीय
उपमहा�वीप पर �वा�हत होने लगती ह�। चू�ंक ये पवन ल�बी समु�ं� या�ा कर आ रह� होती ह� अतः
जलवा�प य�ुत होती है।
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ये द० प०ू मानसनूी पवन भारतीय उपमहा�वीप म� दो भाग� म� बंटकर वषा� ऋत ुलाती ह�।�थम, अरब
सागर शाखा पि�चमी घाट के पि�चमी दाल पर तथा ��वतीय, बंगाल क� खाड़ी शाखा के �वारा अडंमान
�नकोबार �वीप समहू एवं उ�र पवू� भारत म� भार� वषा� होती है।
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बंगाल क� खाड़ी शाखा उ�र - �प�चम भारत के �न�न दाब �े� क� और अ�भस�रत होती है। पवू� से
पी�चम क� ओर जलवा�प क� कमी के साथ ह� वषा� क� मा�ा म� भी कमी होती जाती है।
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�याप�रक पवन� - �भापा�रक पवन� 5° से 30 ° उ�र� एवं द��णी अ�ांशो के बीच चलने वाल� पवन� ह� जो
35° उ�र� एवं द��णी अ�ांश (उ�च दाब) से O ° असांश (�न�न दाब) के बीच चलती है।
शीत ऋत ुम� सयू� क� �करण� मकर रेखा पर सीधी पड़ती ह�। इससे भारत के उ�र पि�चमी भाग म� अरब
सागर व बंगाल क� खाड़ी के तलुना म� अ�धक ठ�ड होने के कारण उ�च दाब �े� का �नमा�ण ( उ�र -
पि�चम भारत म�) एवं अरब सागर तथा बंगाल क� खाड़ी म� �न�न दाब �नमा�ण ( ठ�ड कम होने के कारण
) होता है इस कारण मानसनूी पवन� �वपर�त �दशा म� (H.P.से L.P क� तरफ) बहने लगती है।
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जाड़ ेक� ऋत ुम� उ�र पवू� �यापा�रक पवन� पनुः चलने लगती ह�। यह उ�र पवू� मानसनू लेकर आता है।
तथा बंगाल क� खाड़ी से जलवा�प �हण कर त�मलनाडु के तट पर वषा� करती ह�।
2.मानसनू क� उ�प�त का �वषवुतीय पछुआ पवन �स�धांत या ��त�वषवुतीय पछुआ पवन �स�धांत :-
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इसका ��तपादन �लोन के �वारा �कया गया है। इनके अनसुार �वषवुतीय पछुआ पवन ह� द��ण -
प�शचम मानसनूी हवा है। इसक� उ�प�त अतंः ऊ�ण अ�भसरण के कारण होती है।
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ITCZ :- उ० प०ू �यापा�रक पवन� एवं द० प०ू �यापा�रक पवन का �मलन �थल अतंर - उ�ण क�टबधंीय
अ�भसरण �े� (ITCZ) होता है। यहाँ दोनो पवन� के �मलने �वषवुतीय पछुआ पवन� क� उ�प�त होती है।
�लोन ने मानसनू क� उ�प�� हेत ुतापीय �भाव को �मखु माना है।
● - �ी�म काल म� तापीय �वषवुत रेखा के उ�र� �खसकान के कारण अतंः ऊ�ण अ�भसरण
(ITCZ) �वषवुत रेखा के उ�र म� होता है। �वषवुतीय पछुवा पवन� अपनी �दशा संशो�धत कर
भारतीय उपमहा�वीप पर बने �न�न दाब क� ओर �वा�हत होने लगती है। यह द��ण -
पि�चम मानसनू को ज�म देती है।
● - शीत ऋत ुम� सयू� के द��णायन होने पर �न�न दाब �े�, उ�च दाब, �े� मे बदल जाता है
तथा उ० प०ू �यापा�रक पवन� पनुः ग�तशील हो जाती ह�।
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3.जेट ���म �स�धांत - इस �स�धांत का ��तपादन ये�ट ( yest) �वारा �कया गया है। जेट ���म ऊपर� वायमु�डल ( 9 - 18
km) के बीच अ�त ती�गाती वाय ु�वाह �णाल� है। म�य भग म� इसक� ग�त अ�धकतम (340 Kmp
hr) होती ह� जो �न�न वायमु�डल के मौसम को �भा�वत करती ह�।
भारत म� आने वाले द��ण - पि�चम मानसनू का संबधं उ�ण पवू� जेट ���म से है। यह 8° N से 35 °
N अ�ाशो के म�य चलती है। उ�र पवू� मानसनू का सबं�ध ( शीतकाल�न मानसनू ) उपो�ण प�शचमी
(पछुआ)ं जेट ���म से है। यह 20° से 35 ° उ�र� एवं द��णी दोन� अ�ांशो के म�य चलती है।
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- पछुआ ( उपो�ण पि�चमी ) जेट ���म �वारा उ�र पवू� मानसनू क� उ�प�तः
शीतकाल म� उपो�ण पि�चमी (पछुआ) जेट ���म संपणू� पि�चमी तथा म�य ए�शया म� पि�चम से पवू�
�दशा म� �वा�हत होती है। �त�बत का पठार इसके माग� म� अवरोधक का काय� करता है एव ंइसे दो।भाग� म�
बांट देता है। एक शाखा �त�बत के पठार के उ�र से उसके समाना�तर बहने लगती है। दसूर�, द��णी
शाखा �हमालय के द��ण म� पवू� क� ओर बहती है।
द��णी शाखा क� मा�य ि�थ�त म� लगभग 25 °N अ�ांश के ऊपर होती है। इसका दाब �तर 200 से
300 �मल� बार होता है। पि�चमी �व�ोभ जो भारत म� शीत ऋत ुमे अता है, इसी जेट पवन �वारा लाया
जाता है। रात के तापमान म� व�ृ�ध इन �व�ेभ� के आने का सचूक है।
प�शचमी जेट ���म ठ�डी हवा का �तंभ होता है जो सतह पर हवाओ ंको धकेलता है। इससे सतह पर उ�च
दाब का �नमा�ण होता है [ भारत के उ�र पि�चमी भाग म� ] ये श�ुक हवाएं बंगाल क� खाड़ी [तलुना�मक
�प से तापमान अ�धक होने के कारण �न�न दाब �े� ] क� ओर �वा�हत होती ह�। इन हवाओ ंके �वारा ह�
शीतकाल म� उ�र �देश एवं �बहार म� शीत लहर चलती है। बंगाल क� खाड़ी म� पहंुचने के बाद ये हवाएँ
अपने दा�हने मडु जाती ह� और मानसनू का �प ले लेती ह�। जब पवन त�मलनाडु के तट पर पहंुचती ह� तो
बंगाल क� खाड़ी से �हण �कए जलवा�प क� वषा� त�मलनाडु म� करती है।
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- " उ�ण पवू� जेट ���म �वारा द��ण पि�चम मानसनू क� उ�पीतः -
गम� म� पि�चमी जेट ���म भारतीय उपमहा�वीप पर नह�ं बहती है। इसका �खसकाव �त�बत के पठार के
उ�र क� ओर हो जाता है। इस समय भारत के ऊपर� वायमु�डल म� ऊ�ण पवू� जेट ���म चलती है। उ�ण
पवू� जेट ���म क� उ�प�त का कारण म�य ए�शया एवं �त�बत के पठार� भाग� के अ�य�धक गभ� होने को
माना जाता है।
�त�बत के पठार से गम� होकर ऊपर उठने वाल� हवाओ म� शोभम�डल के म�य भाग म� घाड़ी क� सईु क�
�दशा म� च��य प�रसंचरण �ार�भ हो जाता है। यह ऊपर उठती वाय ु�ोभ सीमा के पास दो अलग - अलग
धाराओ ंम� बट जाती है। इनम� से एक �वषवुत व�ृ क� ओर पवू� जेट ���म के �प म� चलती है तथा दसूर�
�वु क� ओर पि�चमी जेट ���म के �प म� चलती है।
पवू� जेट ���म भारत के ऊपर� वायमु�डल म� द० प० �दशा क� ओर बहती हुई अरब सागर म� नीचे बठैने
लगती है। इससे वहाँ वहृत उ�च दाब का �नमा�ण होता है। इसके �वपर�त भारतीय उपमहा�वीप के ऊपर
जब ये गम� जेट ���म चलती है। इसके �वपर�त भारतीय उपमहा�वीप के ऊपर क� ओर खींच लेती हैै। यहाँ
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वहृत �न�न दाब का �नमा�ण करती है। इस �न�न दाब को भरने के �लए अरब सांगर के उ�च भार �े� से
हवाएं उ�र पवू� क� ओर चलने लगाती ह�। यह� द��ण पि�चमी मानसनू पवन है।
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उ�ण पवू� जेट ���म �वारा द० प० मानसनू क� उ�प�� - उ�ण पवू� जेट ���म के कारण ह� भारत म� मानसनू - पवू� उ�ण क�तबंधीय च�वात आत ेहै। वरन ्
अ�नय�मत भी है। जब यह भारत के वहृत �े� के ऊपर ल�बी अव�ध तक चलती है तो बाद क� ि�थ�त
बनती है। जब ये हवाएं कमजोर होती ह� तो सखूा आता हैै।
1. एल�ननो �स�धांत - लगभग 3 से 8 वष� के अ�तरात पर महासागर� तथा वायमु�डल म� एक
�व�श�ट उथल पथुल होती है। इसक� श�ुआत पवू� �शांत महासागर के पे� के तट से होती है।
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पे� के तट पर ह�बो�ट या पे� क� जलधारा ( ठ�डी जलधारा ) �वा�हत होती है। यह जल
धारा द��ण अमे�रका तट से दरू उ�र क� ओर �वा�हत होती है। ह�बो�ट जलधारा क�
�वशषेता श�तल जल का गहरई से ऊपर क� ओर आना (upwelling) है। �वषवुत रेखा के पास
यह द��ण �वषवुत रेखा जलधारा के �प म� �शांत महासागर के आर पार पि�चम क� ओर
मड़ु जाती है।
एंलनीयो के आने के साथ ह� ठ�ड ेपानी का गहराई से ऊपर आना बंद दो जाता है एवं ठ�ड ेपानी का
��त�थापन पि�चम से आने वाले गम� जल से हो जाता है। अब पे� क� ठ�डी जलधारा का तापमान बढ़
जाता है। इसके गम� जल के �भाव से �थमतः द��णी �वषवुतीय गम� जलधारा का तापमान बढ़ जाता है
अतः स�पणू� म�य �शांत का जल गम� हो जाता हैै तथा वहाँ �न�न दाब का �नमा�ण होता है। जब कभी इस
�न�न दाब का �व�तार �ह�द महासागर के पवू� म�यवत� �े� तक होता है तो यह भारतीय मानसनू क�
�दशा को संशो�धत कर देती है। इस �न�न दाब क� तलुना म� भारतीय उपमहा�वीप के �थल�य भाग पर
बना �न�न दाब (�ी�म ऋत ुम�) तलुना�मक �प से कम होता है। अतः अरब सागर के उ�च दाब �े� �े�
से हवाओ का �वाह, द��ण- पवू� �हदंमहासागर क� ओर होने लगता है। इससे भारतीय उपमहा�वीप म�
सखेू क� ि�थ�त बनती है। इसके �वपर�त जब एल�ननो धारा का �भाव म�यवत� �शांत तक सी�मत रहता
है तो द० प० मानसनू पवन� का माग� बा�धत नह�ं होता तथा भारत म� भरपरू वषा� होती है।
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द��ण - प�शचम मानसनू :-
सामा�यतः भारत म� मानसनू का समय जनू से �सत�बर तक रहता है। इस समय उ�र पि�चमी भारत
तथा पा�क�तान म� �न�न वायदुाब का �े� बन जाता है। अतं उ�ण क�टबंधीय अ�भसरण �े� (ITCZ)
उ�र क� ओर �खसकता हुआ �शवा�लक के पव�त पार तक चला जाता है। इसके कारण भारतीय
उपमहा�वीप के ऊपर �सधं ुगंगा मदैान म� एक ल�बाकार �न�न दाबीय मेखला का �नमा�ण होता है, िजसे
मानसनू गत� (trough) ह�। इस �न�न ढाब को भरने के �लए द��णी गोला��ध म� चलने वाल� द० प०ू
वा�णि�यक पवन (Trade winds) �वषवुत रेखा को पार का पवू� क� ओर मड़ु जाती है। (फेरेल के
�नयमानसुार) तथा द��णी - पि�चमी मानसनूी पवन का �प ले लेता है।
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भारत म� द��णी - पि�चमी मानसनू क� उ�पती का संबधं उ�ण पवू� जेट ���म से है। द��णी - पि�चमी
मानसनू भारत म� सव��थम अडंमान एवं �नकोबार तट पर 25 मई को पहंुचता है। �फर 1 जनू को चे�नई
एवं �त�अन�तपरुम तक पहंुचता है। 5 से 10 जनू के बीच कोलकाता एव ंमुबंई को छूता है। 10 से 15
जनू के बीच के बीच पटना, अहमदाबाद, नागपरु तक पहंुचता है। 15 जनू के बाद लखनऊ , �द�ल�,
जयपरु जसेै शहर� म� पहंुचता है।
�ाय�वीपीय भारत म� द�तक देने के बाद द��ण - पि�चम मानसनू मानसनू दो शाखाओ ंम� बंट जाता है-
1. अरब सागर�य शाखा
2.बंगाल क� खाड़ी शाखा
1. भारतीय द० प० मानसनू क� अरब सागर�य शाखाः द० प० मानसनू क� यह शाखा प�शचमी
घाट क� उ�च भ�ूम म� लगभग समकोण पर द�तक देती है। अरब सागर शाखा �वारा भारत के
पि�चमी तट, पि�चमी घाट पव�त, महारा�� गजुराज एवं म�यपदेश के कुध �ह�स� म� वषा�
होती है।
- अब सागर शाखा �वारा भारत के पि�चमी घाट पव�त के पि�चमी ढाल पर तट�य भाग क� तलुना म�
अ�धक वषा� होती है। उदाहरण�व�प महावले�वर म� 650 वषा� होती है जब�क मुलंई म� मा�ा 190 cm
वषा� होती है। पि�चमी घाट पव�त के पवू� भाग म� वषा� क� मा�ा काफ� कम होती है �य��क यह विृ�ट छाया
�देश (Rain shadow Area) है। पणेु म� मा� 60 cm वषा� होती है। अरब सागर शाखा राज�थान से
गुजरती हुई �हमालय से टकारती है तथा ज�म ूक�मीर एवं �हमायल �देश के पव�तीय ढ़ाल� पर वषा� करती
है। राज�थान से गुजरने के बावजदू इस मानसनूी शाखा �वारा यहाँ वषा� नह� हो पाती इसके दो �मखु
कारण ह� -
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● अरावल� पव�त माला क� �दशा का इन मानसनूी पवन� के �वाह क� �दशा के समाना�तर होना।
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● �सधं �देश (पा�क�तान) से आने वाल� गम� एव ंश�ुक हवाएं मानसनूी पवन� क� सापे��क
आ��धता को कम कर देती ह�। िजससे वाय ुसंत�ृत नह�ं हो पाती।
1) अरब सागर�य शाखा का वाृि�ट छाया �े�ः पि�चमी घाट पार करने के प�चात ्वषा� लाने वाल� वाय ु
धाराएं पवू� ढ़लान� पर ऊपर क� ओर चल� जाती ह�। इसके फल�व�प वाृि�ट छाया �े� ( Rain Shadow
Area) का �नमा�ण होता है। पहाड़ क� ऊँचाई िजतनी अ�धक होगी, उतना ह� अ�धक वाृि�ट छाया �े� का
�नमा�ण होगा।
2) द० प० मानसनू क� बंगाल क� खाड़ी शाखाः
मानसनू क� यह शाखा �ी लंका से इंडोने�शया �वीप समहू� के समुा�ा �वीप तक स��य रहती हैै। बंगाल
क� खाड़ी शाखा दो धाराओ ंम� आगे बढ़ती है। इस शाखा क� उ�र� धारा मेघालय म� ि�थत खासी पहारड़ये�
म� द�तक देती है तथा इसक� दसूर� धारा �न�न दबाव �ोणी ( trough ) के पवू� छोर पर बायीं ओर मड़ु
जाती है। यहाँ से यह हवा क� धारा �हमालय क� �दशा के साथ साथ द��ण पवू� से उ�र - पि�चम �दशा म�
बहती है। यह धारा भारत के मदैान �े�� म� वषा� करती है।
- उ�र मदैानी �े� म� मानसनूी वषा� को पि�चम से बहने वाले च�वाती गत� या पि�चमी हवाओ से और
अ�धक बल �मलता है।
- मदैानी इलाक� को पवू� से पि�चम से बहने वाले च�वाती गत� या पि�चमी हवाओ ंसे और अ�धक बल
�मलता है।
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- उ�र मदैानी �े� म� मानसनूी वषा� को पि�चम से बहने वाले च�वाती गत� या पि�चमी हवाओ ंसे और
अ�धक बल �मलता है।
- मदैानी इलाक� म� पवू� से पि�चम और उ�र से द��ण म� वषा� क� ती�ता म� कमी आती है। पि�चम म�
वषा� म� कमी का कारण नमी के ��ोत से दरू� का बढ़ना है। दसूर� ओर उ�र से द��ण म� वषा� क� ती�ता म�
कमी क� वजह नमी के ��ोत का पव�त� से इर� का बढ़ना है।
- अरब सागर�य शाखा एवं बंगाल क� खाड़ी शाखा दोन� शाखाएं छोटा नागपरू के पठार म� �मलती ह�।
- अरब सागर�य मानसनू शाखा, बंगाल क� खाड़ी शाखा से अ�धक शि�तशाल� है। इसके दो �मखु कारण
ह� -
● अरब सागर बंगाल क� खाड़ी से आकार म� बड़ा है।
● अरब सागर क� अ�धकांश शाखा भारत म� पड़ती है जब�क बगंाल क� खाड़ी शाखा से �यांमार,
मले�शया , और थाइल�ैड तक चल� जाती है।
द��ण पि�चम मानसनू अव�ध के दौरान भारत का पवू� तट�य मदैान (�वशषे �प से त�मलनाडु)
तलुना�मक �प से श�ुक रहता हैै। �य��क यह मानसनूी पवन� के समाना�तर ि�थत है और साथ ह� यह
अरब सागर�य शाखा के विृ�ट छाया �े� म� पड़ता है।
उ�र पवू� मानसनू या मानसनू क� वापसी
�सता�बर के अतं तक उ�र पि�चम म� बना �न�न दवाब कमजोर होने लगता है और अ�ततः वह �वषवुत
रेखीय �देश क� तरफ चला जाता है। च�वाती अव�थाओ ंके �थान पर ��त च�वाती अव�थाएं आ जाती
ह�। प�रणाम�व�प, हवाएँ उ�र� �ेग से दरू बहना श�ु कर देती है। उसी समय �वषवुत रेखा के द��ण म�
सरूज आगे बढ़ता नजर आता है। ( अ�तर उ�ण क�टबंधीय अ�भसरण �े� (ITCZ) भी �वषवुत रेखा क�
ओर आगे बढ़ता है। उस समय भारतीय उपमहा�वीप म� हवांए उ�र पवू� से द��णी पि�चम �दशा म� बहती
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है। यह ि�थ�त अ�टूबर से म�य �दस�बर तक लगातार बनी रहती है िजसे मानसनू क� वापसी या �फर
उ�र पवू� मानसनू कहत ेह�। �दस�बंर के अतं तक, मानसनू परू� तरह से भारत से जा चकुा होता है।
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बंगाल क� खाड़ी के ऊपर से वापस जा रहा मानसनू, माग� म� आद�ता नमी �हण कर लेता है िजससे
अ�टूबर - नब�बर म� पवू� या तट�य उड़ीया, त�मलनाडु और कना�टक के कुछ �ह�से म� वषा� होती है।
अ�टूबर म� बंगाल क� खाड़ी म� �न�न दवाब बनता है, जो द��ण क� ओर बढ़ जाता है और नव�बर म�
उडीसा और त�मलनाडु तट के बीच फंस जाने से भार� वषा� होती है।
मानसनू म� �कावट : वषा� ऋत ुम�, जलुाई और अग�त मह�ने म� कुछ ऐसे समय होता है जब मानसनू
कमजोर पड़ जाता है। बादल� का बनना काम हो जाता है और �वशषे �प से �हमालयी पहाड़ी और द��ण
पवू� �ायदु�प के ऊपर वषा� होनी ब�द हो जाती है �क ये �कावट� �त�बत के पठार क� कम ऊँचाई क� वजह
से आती ह�। इससे मानसनू गत� उ�र क� ओर मडु जाता है।
इस अव�ध म� जहाँ परेू देश को �बना वषा� के ह� संतोष करना पड़ता है तब उप �हमालयी �देश� एव ं
�हमालय के द��णी ढलान� म� भार� वषा� होती ह�।
- पि�चमी �व�ोभ ( Western Disturbance): आमतौर पर जब आकाश साफ रहता है पर�त ु
पि�चम �दशा से हवाएं भमू�य सागर से आती है और इसका, ईरान अफगा�न�तन और पा�क�तान को
पार करने के प�चात ्भारत म� �वेश करती ह�।
ये हवाएं राज�थान, पंजाब और ह�रयाणा म� ती� ग�त से बहती अ�णाचल �देश तक पहंुच जाती ह� िजससे
गंगा के मदैान इलक� मे ह�क� वषा� और �हमालयी प�ट� म� �हम वषा� होती है।
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यह हटना म�ुय �प से शीत ऋत ुम� होती है �य��क इस समय उ�र पि�चम भारत म� एक �ीण उ�च
दाब का �नमा�ण होता है। इसी समय भारत पर 'पि�चमी जेट ���म ' का �भाव होता है जो भमू�य सागर
से उठने वाले शीतो�ण च�वात को भारत म� लाती है। इसे ह� 'पि�चमी �व�ोभ' कहत ेहै। इससे म�ुय �प
से �भा�वत रा�य पंजाब ह�रयाणा, पि�चमी उ�र�देश, राज�थान, �हमाचल �देश एव ंज�म ूक�मीर ह�।
इससे होने वाल� वषा� रबी क� फसल ( गेहँू etc.) के �लए बहुत उपयोगी हैै। यह वषा� " मावठ" नाम से भी
जानी जाती है।
भारत क� ऋतएंु
भारतीय मौसम �वभाग �वारा भारत क� जलवाय ुको चार अतओ ंम� �वभािजत �कया गया है-
1) शीत ऋत ु
2) �ी�म ऋत ु
3) वष� ऋत ु
4) शर� ऋत ु
शीत ऋतःु इसका काल म�य �दस�बर से फरवर� �क माना जाता है। इस समय सयू� ि�थ�त द��णायन हो
जाती है। अतः उ�र� गोला��ध म� ि�थत भारत का तापमान कम हो जाता है। इस ऋत ुम� समताम रेखाएं
पवू� से पि�चम क� ओर �ायः सीधी रहती है। इस ऋत ुम� समताप रेखाएँ पवू� से पि�चम क� ओर �ायः
सीधी रहती है। 20 ℃ क� समताप रेखा भारत के म�य भाग से गुजरती है। इस ऋत ुम� भमू�य सागर से
उठने वाला शीतो�ण च�वात ' प�शचमी जेट ���म के सहारे भारत म� �वेश करता है। इसे पि�चमी जेट
���म के सहारे भारत म� �वेश करता है। इसे ' पि�चमी �व�ोभ' कहत ेह�। यह पंजाब, ह�रयाणा,
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राज�थान, प० उ�र �देश, �हमाचल �देश एवं ज�म ूक�मीर म� वषा� करवाता है। शीतकाल म� होने वाल�
यह वषा� "मावठ" कहलती है। यह वषा� रबी क� फसल के �लए उपयोगी है।
- गी�म ऋत ु: यह ऋत ुमाच� से मई तक रहती है। सयू� के उ�रायण होने से सारे भारत म� तापमान बढ़
जाता है। इस ऋत ुम� उ�र और उ�र प�रचमी भारत मे �दन के समय तजे गम� एव ंश�ुक हवाएँ चलती है।
जो ' ल ू' के नाम से ��स�ध है। इस ऋत ुम� सयू� के �मशः उ�रायण होत ेजाने के कारण अ�तर उ�ण
क�टबंधीय अ�भसरण �े� (ITCZ) उ�र क� ओर �खसकने लगता है एवं जलुाई म� 25 ° अ�ांश रेखा को
पर कर जाता है।
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इस ऋत ुम� �थल�य श�ुक एवं गम� पावन जब सम�ु� आई पवन� से �मलती है तो वो उन जगह� पर �च�ड
तफूान क� उ�प�त होती है। इसे मानसनू सव� च�वात ( Pre Monsoon cyclone) के नाम से जाना
जाता है।
भारत म� मानसनू पवू� च�वात ( Pre Monsoon Cyclone) के �थानीय नामः
नाव��टर - पवू� भारत ( प० बंगाल, �बहार, झासख�ड, उडीसा) यह चाय, जटु और चावल क� खेती के
�लए लाभपद है।
काल वशैाखी - प�रचम बंगाल ( नाव�ैटर का �थानीय नाम )
चेर� �लाँसम - कना�टक एवं केरल ( काँफ� के फूल� के �खलने म� सहायक )
आ� विृ�ट / आम ्बौछार, आम ्वषा� : द��ण भारत ( आम के ज�द� पकने म� सहाभक )
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बोड��च�ला - नाव�ैटर का असम म� �थानीय नाम
3) वषा� ऋत:ु इस ऋत ुका समय जनू से �सत�बर तक रहता है। इस समय उ�र पि�चमी भारत तथा
पा�क�तान म� �न�न वायदुान का �े� बन जाता है ( तापमान अ�धक होने के कारण )। अतः उ�ण
क�टबंधीय अ�भसरण �े� (ITCZ) उ�र क� ओर �खसकता हुआ �शता�लक के पव�तवाद तक चला जाता
है। एवं गंगा के मदैानी �े� म� �न�न दाव बन जाता है इस दाल को भरने के �लए द० प०ू �याप�रक पवन�
�वषवुत रेखा को पार कर द० प० मानसनूी पवन� के �प म� भारत म� �वेश करती है। ये द० प० मानसनूी
पवन� दो शाखाओ ंम� �वभािजत हो जाती ह�। पहल� शाखा, अरब सागर�य शाखा भारत के पि�चमी घाट
पव�त, महारा��, गुजरात, म�य�देश, �हमाचल �देश एवं ज�म ूक�मीर म� वषा� करती हैै। दसूर� शाखा,
बंगाल क� खाड़ी शाखा, उ�र - पवू� भारत, पवू� भारत एवं उ�र �देश, राज�थान, उ�राख�ड आ�द भाग�
म� वषा� करती है।
- गारो, खासी एवं �याि�तया पहा�डयां क� पनमुा आकृ�त म� फैल� ह�। एवं सम�ुध क� ओर खलु� हुई ह�।
अतः बंगाल क� खाड़ी से आने वाल� हवाएँ यहाँ फस जाती ह� और अ�या�धक वषा� करती ह�।
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- गोरा, खासी एवं जयाि�तया पहा�डया क� पनमुा आकृ�त म� फैल� ह�, एक सम�ु क� ओर खलु� हुए ह�।
अतः बंगाल क� खड़ी से आने वाल� हवाएँ यहाँ फस जाती ह� और अ�य�धक वषा� करती ह�।
- खासी पहाड़ी के द��णी भाग म� ि�थत ' मा�सनराम' ससंार का सवा��धक वषा� वाला �थान है।
● अगर आप �कसी �वषय पर �लखना चाहत ेह� तो हम� संपक� कर� -
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